सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक के मुद्दे का संज्ञान लिया है। इस बीच केंद्र की एक उच्चस्तरीय टीम ने शुक्रवार को उस स्थान का दौरा करने के बाद पंजाब पुलिस के अधिकारियों से पूछताछ की जहां प्रदर्शनकारियों ने पीएम के काफिले को रोक दिया था। शुक्रवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कि कैसे पंजाब पुलिस के DGP ने पीएम के रूट को हरी झंडी देते समय SPG को गुमराह किया था।
DGP ने SPG के अधिकारियों से फोन पर 11 बार बात की। इस दौरान उन्होंने शुरू में आश्वासन दिया कि पीएम के काफिले के जाने के लिए रास्ता साफ है, लेकिन बाद में उन्होंने SPG से कहा कि स्थिति हिंसक हो सकती है इसलिए काफिले को यू-टर्न लेकर वापस चले जाना चाहिए।
पहले बात करते हैं खराब मौसम के चलते सड़क मार्ग से जाने के फैसले पर। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी समेत कांग्रेस के तमाम नेता कहते रहे हैं कि सड़क के रास्ते जाने का फैसला अचानक लिया गया था। मौसम विभाग ने पहले ही अनुमान जताया था कि 5 जनवरी को बारिश हो सकती है और इसी को देखते हुए बठिंडा से फिरोजपुर तक लैंड रूट के लिए रिहर्सल किया गया था।
पीएम का प्लेन सुबह 10.20 बजे बठिंडा एयरपोर्ट पर उतरा और मौसम खराब होने के कारण सड़क के रास्ते जाने का फैसला किया गया। 48 मिनट बाद सुबह 11.08 बजे पीएम का काफिला सड़क मार्ग से फिरोजपुर के लिए एयरपोर्ट से रवाना हुआ। इन 48 मिनट के दौरान SPG के अधिकारियों ने पंजाब के DGP से 11 बार फोन पर बात की। सुबह 10.30 बजे SPG ने DGP से पूछा कि क्या सड़क का रास्ता क्लीयर है? सुबह 11 बजे DGP ने ग्रीन सिग्नल दे दिया।
उस वक्त तक DGP ने SPG को रास्ते में किसी तरह के प्रदर्शन के बारे में नहीं बताया। इस बात की तरफ कोई इशारा नहीं किया कि रास्ते में प्रदर्शनकारी बैठे हैं, रोड जाम है। प्रधानमंत्री का काफिला 12 बजकर 45 मिनट पर फिरोजपुर के पास फ्लाईओलर पर पहुंच गया और सामने प्रदर्शनकारी थे। उस वक्त तक भी SPG को प्रदर्शनकारियों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। पंजाब के DGP और SPG के अधिकारियों के बीच आखिरी बार बात दोपहर एक बजकर 5 मिनट पर हुई। तब DGP ने SPG को बताया कि लोग हिंसक हो रहे हैं और प्रधानमंत्री के काफिले को वापस चले जाना चाहिए।
बातचीत से यह तो साफ हो गया है कि DGP ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर SPG को गुमराह किया। अब जांच सिर्फ इस बात की होनी है कि क्या DGP सिद्धार्थ चटोपाध्याय नें जानबूझकर ये जानकारी छिपाई? या फिर डीजीपी को ऊपर से किसी ने निर्देश दिया। पंजाब पुलिस के पास पीएम के रूट को सैनिटाइज करने के लिए 48 मिनट थे। काफिले को बठिंडा से घटनास्थल तक पहुंचने में 97 मिनट का समय लगा। सवाल ये है कि पंजाब पुलिस एक घंटे 37 मिनट तक क्या कर रही थी? प्रदर्शनकारियों को रास्ते से क्यों नहीं हटाया गया? SPG को यह जानकारी क्यों नहीं दी गई कि रास्ते में प्रदर्शनकारी बैठे हैं?
प्रदर्शनकारियों की तस्वीरों, वीडियो और बयानों से साफ हो जाता है कि यह पंजाब सरकार की ओर से एक बड़ी चूक थी। और यह गलती एक जगह नहीं बल्कि कई स्तर पर हुई। पीएम का फिरोजपुर जाने का कार्यक्रम कई दिन पहले से निर्धारित था। रैली के लिए मैदान और वैकल्पिक सड़क मार्ग को लेकर भी तैयारी चल रही थी। तैयारियों में शामिल केंद्रीय एजेंसियों ने राज्य सरकार को बताया था कि प्रदर्शनकारी पीएम की रैली में खलल डालने की कोशिश कर सकते हैं।
पंजाब सरकार को भेजी गई चिट्ठी में केंद्र ने साफ कहा था कि रैली का स्थान भारत-पाकिस्तान सीमा से करीब 14 से 15 किलोमीटर ही दूर है। इसमें इस बात का भी इशारा किया गया था कि पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन्स के जरिए हथियार, गोला-बारुद के गिराए जाने की आशंका है। फिर भी पंजाब पुलिस ने कोई तैयारी नहीं की और सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को बसों और ट्रैक्टरों पर सवार होकर फ्लाईओवर के आसपास जाने दिया, जिससे पीएम की सुरक्षा में गंभीर चूक हुई।
इस घटना की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को प्रधानमंत्री के दौरे से संबंधित सारे रिकॉर्ड्स को ‘तत्काल… सुरक्षित और संरक्षित करने’ का निर्देश दिया। अदालत ने चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के DGP और राष्ट्रीय जांच एजेंसी से एक IG रैंक के अफसर को ‘राज्य पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय एजेंसियों से रिकॉर्ड सुरक्षित और जब्त करने’ के लिए रजिस्ट्रार जनरल की सहायता करने का निर्देश दिया। रजिस्ट्रार जनरल से इन रिकॉर्ड्स को फिलहाल अपनी कस्टडी में रखने को कहा गया है।
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि सुरक्षा में हुई चूक का ‘यह एक अनूठा मामला है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का सबब बन सकता था। जब कभी प्रधानमंत्री का काफिला सड़क मार्ग से गुजरता है, SPG पहले संबद्ध राज्य के DGP से परामर्श करता है ताकि यह जान सके कि जिस मार्ग से होकर प्रधानमंत्री जाएंगे वह सुरक्षा के दृष्टिकोण से ‘क्लियर’ है या नहीं। यहां डीजी ने हरी झंडी दी थी। उन्होंने यह नहीं कहा कि कि आगे रास्ता बंद है।’ सुप्रीम कोर्ट सोमवार को इस मुद्दे पर फिर सुनवाई करेगा।
एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने इस सुरक्षा चूक पर गंभीरता से संज्ञान लिया है, तो दूसरी तरफ पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू ने बीजेपी नेताओं द्वारा व्यक्त की जा रही नाराजगी को ‘स्वांग’ करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह स्वांग इसलिए रचा गया क्योंकि फिरोजपुर की रैली में मुश्किल से 500 लोग पहुंचे थे। उन्होंने मांग की कि सुरक्षा में चूक के लिए SPG, IB और अन्य केंद्रीय एजेंसियों पर भी कार्रवाई की जाए।
सुरक्षा में हुई चूक के 18 घंटे बाद पंजाब पुलिस ने FIR दर्ज की और इसी से पता चलता है कि राज्य सरकार कैसे पूरे मामले को हल्के में ले रही है। कुलगरी पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर बीरबल सिंह द्वारा ‘150 अज्ञात व्यक्तियों’ के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि उन्होंने सड़क पर ट्रैफिक को अवरुद्ध करने की कोशिश की। इस FIR में IPC की धारा 283 लगाई गई है जिसमें 200 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। यह धारा आम तौर पर उन लोगों के खिलाफ लगाई जाती है जो छोटे-मोटे विरोध प्रदर्शन करते हैं। इस FIR में प्रधानमंत्री के काफिले का कोई जिक्र नहीं है। ऐसे में पंजाब पुलिस और राज्य सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस मसले पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, यह साफतौर पर प्रधानमंत्री की जान लेने की साजिश थी। उन्होंने आरोप लगाया कि साजिशकर्ता सिर्फ पंजाब की सरकार में ही नहीं हैं, बल्कि उनके तार दिल्ली से भी जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि इस साजिश को पूरे देश ने टीवी पर देखा है, पीएम के काफिले को आगे से रोका गया और माइक पर यह घोषणा हो रही थी कि काफिले को पीछे से घेर लिया जाए। उन्होंने पूछा कि ऐसे हालात में अगर ड्रोन या हथियारों का इस्तेमाल किया गया होता तो क्या होता?
मैंने जो वीडियो देखे हैं उनमें सब कुछ साफ नजर आ रहा है। एक तरफ रखवाली करते हथियारबंद SPG कमांडो से घिरे अपनी गाड़ी में फंसे प्रधानमंत्री, आगे और पीछे तमाम अन्य दूसरी गाड़ियां, और सड़क के दूसरी तरफ यह सब देखते हुए सैकड़ों लोग, बसों और ट्रैक्टर ट्रॉलियों के साथ। 20 मिनट तक पीएम फ्लाईओवर पर फंसे रहे। मजबूरन उन्हें रॉन्ग साइड से यू-टर्न लेना पड़ा। उस समय मौके पर पूरी तरह अराजकता फैली हुई थी।
अब देखते हैं, नवजोत सिद्धू ने क्या कहा? सिद्धू ने प्रधानमंत्री पर ‘पंजाब और पंजाबियत का अपमान करने’ का आरोप लगाया । और सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने क्या कहा ? शुक्रवार को चन्नी ने एक रैली में कहा कि बीजेपी पंजाब और पंजाबियों का अपमान कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर आंच आएगी तो ‘मैं अपने सीने पर गोलियां खाकर उनकी रक्षा करूंगा। मैं अपने पीएम को खरोंच भी नहीं आने दूंगा।’
ये सब पाकिस्तान में टीवी और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। पाकिस्तानी ऐंकर और ब्लॉगर प्रधानमंत्री की सुरक्षा का मखौल उड़ा रहे हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि पाकिस्तानी इस घटना पर खुशी से झूम रहे होंगे, और सिद्धू का मजाक करना भी कोई नहीं बात नहीं। लेकिन इस बार मामला बेहद गंभीर है। फ्लाईओवर पर पीएम के काफिले को 20 मिनट तक रोकना सुरक्षा में बड़ी चूक है। सुरक्षा के लिहाज से पीएम के काफिले को 5 सेकेंड के लिए भी रुकने नहीं दिया जा सकता। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने NIA को जांच में शामिल किया है, क्योंकि बहुत कुछ शामिल है।
पंजाब में चन्नी और सिद्धू की जोड़ी आज भी कह रही है कि प्रधानमंत्री को कोई खतरा नहीं था। 20 मिनट तक रुकना पड़ गया तो क्या हो गया। चन्नी और सिद्धू को कैसे पता कि कोई खतरा नहीं था? क्या उनके पास पाकिस्तान से मैसेज आया था कि आतंकवादी आज छुट्टी पर हैं? उन्हें किसने बताया कि मोदी जी पूरी तरह सुरक्षित हैं? क्या खुले फ्लाईओवर पर हमला नहीं हो सकता था? क्या वहां किसी ड्रोन हमले की गुंजाइश नहीं थी? ये मजाक नहीं तो और क्या है कि सिद्धू इसे प्रधानमंत्री की रैली में आई भीड़ से जोड़कर देखें? ये मजाक नहीं तो और क्या है युवा कांग्रेस का कोई नेता पीएम मोदी से ट्विटर पर पूछे कि ‘Modiji, How’s the Josh?’
जो तथ्य और वीडियो सामने आए हैं उनके आधार पर चन्नी और सिद्धू जैसे नेताओं की बातें बचकानी लगती हैं। शायद सुप्रीम कोर्ट की बात सुनकर सिद्धू और चन्नी जैसे नेताओं को ये बात समझ आ जाए कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा एक गंभीर मसला है और ऐसे मामलों में हल्की बातें नहीं की जानी चाहिए।