ओडिशा में हुए भयानक रेल हादसे में कई नई बातें सामने आईं है. ये साफ हो गया है कि बालेश्वर में रेल हादसा तकीनीकी गड़बड़ी के कारण नहीं हुआ. इतना बड़ा हादसा इसलिए हुआ क्योंकि सिग्नल सिस्टम में छेड़छाड़ की गई थी. 288 बेकसूर लोगों की जानें इसलिए गई कि किसी ने आखिरी वक्त में कोरोमंडल एक्सप्रेस की लाइन बदल दी. यह गाड़ी मेन लाइन पर जा रही थी, अचानक उसे लूप लाइन पर डायवर्ट किया गया, जहां छह हजार टन लोहे से भरी मालगाड़ी खड़ी थी. 128 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस लोहे की दीवार जैसी मालगाड़ी से जा टकराई. कुछ डिब्बे दूसरी मेन लाइन पर गिरे और दूसरी तरफ से आ रही बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस भी हादसे का शिकार हो गई. अब सवाल ये है कि वो शख्स कौन था जिसने कोरोमंडल एक्सप्रेस को लूप लाइन पर डाला? रेलवे के बड़े अफसरों का कहना है कि ये काम गलती से नहीं हो सकता, ये इंसानी गलती का मामला नहीं है, ये तकनीकी खामी का मामला भी नहीं है. अब सीबीआई इस केस की जांच कर रही है. CBI ने एफआईआर दर्ज कर लिया है, सारे रिकॉर्ड अपने कब्जे में ले लिए. लेकिन अब कांग्रेस समेत दूसरे विरोधी दलों ने CBI जांच पर सवाल उठा दिए हैं. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार सच्चाई को छुपाना चाहती है, वरना जांच का काम तो कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी का है, इसमें CBI का क्या काम? कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सीबीआई जांच पर सवाल उठाए हैं, लेकिन जनता दल-एस के अध्यक्ष और पूर्व पीएम एच डी देवगौडा ने कहा कि सीबीआई जांच पर सवाल उठाना ठीक नहीं है. इस मुद्दे पर सियासत नहीं होनी चाहिए. देवगौडा ने कहा, वो पिछले तीन दिन से देख रहे हैं कि कैसे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मेहनत कर रहे हैं, दुर्घटना स्थल पर खड़े होकर बचाव और पटरियों की मरम्मत का काम खुद देख रहे हैं. मुझे लगता है इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस भयानक दुर्घटना की जांच कौन कर रहा है. जांच जो भी करे, सच सामने आना चाहिए. जांच इस बात की होनी चाहिए कि क्या इलेक्ट्रोनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम ने ट्रेन चालक को गुमराह किया? जिस ट्रेन को मेन लाइन पर जाना था उसे ऐन वक्त पर लूप लाइन पर कैसे डाल दिया ? इलेक्ट्रोनिक इंटर लॉकिंग सिस्टम को दोषमुक्त माना जाता है. अगर सिस्टम फेल होता है या खराब होता है तो सारे सिग्नल रेड हो जाते हैं, सारी ट्रेनें रुक जातीं हैं. फिर गड़बड़ कहां हुई? कैसे हुई? इलेक्ट्रोनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव किसने किया? अलग अलग लोगों की अलग अलग राय है. कोई कह रहा है कि लोकेशन बॉक्स में हुए मैनुअल चेंज की वजह से कोरोमंडल एक्सप्रेस को ग्रीन सिग्नल मिला. किसी का कहना है कि इंटरलॉकिंग सिस्टम से साजिश के तहत छेड़छाड़ की गई, जिससे ट्रेन लूप लाइन पर चली गई. हर किसी की अपनी थ्योरी है, अपना विचार है. इसलिए सीबीआई के सामने बहुत बड़ी चुनौती है, ये पता लगाना कि जो सिस्टम कभी फेल नहीं हो सकता, उसने धोखा कैसे दिया? क्या ये टैक्निकल फॉल्ट था या किसी की लापरवाही की वजह से ऐसा हुआ या फिर किसी साजिश के तहत इंटरलॉकिंग में बदलाव किया गया? जब तक इन सवालों के जवाब नहीं मिलते किसी को चैन कैसे आ सकता है? कांग्रेस कह रही है कि सरकार सच छिपाने की कोशिश कर रही है. ममता बनर्जी ने कहा कि सच सामने आना चाहिए और शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल नेताओं द्वारा वायरल की गई ऑडियो रिकॉर्डिंग पर सवाल उठा दिए. इसकी क्या जरूरत थी? देवेगौड़ा ने ठीक कहा, इस मामले में सियासत नहीं होनी चाहिए.
बिहार में पुल गिरा : ज़िम्मेवार कौन ?
एक और हादसे पर सियासत हो रही है और नीतीश कुमार को जबाव देते नहीं बन रहा है. भागलपुर में गंगा पर बना पुल दूसरी बार ढ़ह गया और छत्तीस घंटे के भीतर आज सरकार को IIT रूड़की की वो जांच रिपोर्ट भी मिल गई जो 14 महीने से नहीं मिली थी. इसके बाद बिहार सरकार ने लापरवाह अफसरों की भी पहचान कर ली, और जिस कंपनी को 1700 करोड़ में पुल बनाने का ठेका दिया था, उसके खिलाफ भी एक्शन ले लिया. भागलपुर में पुल का निर्माण कर रही एस पी सिंगला कंस्ट्रक्शन कंपनी को कारण बताओ नोटिस दिया गया. एजेंसी को 15 दिन के अंदर गंगा नदी से मलबा हटाने को कहा गया. बिहार पुल निर्माण निगम के MD को भी कारण बताओ नोटिस दिया गया. खगड़िया के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया गया. बिहार के अवर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि जब पिछली बार पुल गिरा था तभी से इसकी डिजाइन को लेकर शक था, आईआईटी रुड़की की टीम की जांच रिपोर्ट आ गई है. पुल को नए सिरे से बनाया जाएगा. इसके लिए डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार हौगी, और मॉनसून के बाद पुल को नए सिरे से बनाने का काम शुरु किया जाएगा. 1700 करोड़ की लागत से बना पुल ताश के पत्तों की तरह ढ़ह जाए तो सवाल पूछे जाएंगे और नीतीश कुमार को जबाव देना पड़ेगा. नीतीश कुमार खुद कह रहे हैं कि उन्हें तो पहले से पता था कि पुल बनाने में गड़बड़ी हो रही है तो सवाल है कि फिर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? तेजस्वी कह रहे हैं कि सरकार IIT की रिपोर्ट का इंतजार कर रही थी. तो सवाल उठता है कि अगर रिपोर्ट का इंतजार हो रहा था तो फिर इस दौरान उसी कंपनी को पुल का काम शुरू करने की अनुमति किसने दी? क्यों दी? और सबसे बड़ा सवाल ये है कि IIT रूड़की को जो रिपोर्ट सरकार को 14 महीने से नहीं मिली थी, वो एक ही दिन में कैसे मिल गई? जब तक इन सवालों के जबाव सरकार नहीं देती, तब तक नीतीश सरकार की नीयत पर शक बना रहेगा और इसका राजनीतिक नुकसान नीतीश के साथ साथ तेजस्वी को भी होगा. एसपी सिंगला कन्स्ट्रक्शन कंपनी के देश में 34 प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं. इस कंपनी को महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार के वक्त मुंबई में गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड बनाने का ठेका मिला था. अब इस टेंडर की जांच करवाने की मांग शुरू हो गई है..गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड प्रोजेक्ट के के तहत का फ्लाईओवर बनाने का ठेका एसपी सिंगला प्राइवेट लिमिटेड को दिसंबर 2021 में बीएमसी ने दिया था, उस वक्त उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे. भागलपुर में ब्रिज गिरने के बाद एनसीपी, कांग्रेस और बीजेपी ने इस प्रोजेक्ट की क्वालिटी और टेंडर प्रोसेस की जांच की मांग की है. इस मामले में उद्धव ठाकरे पर इल्जाम लग रहे हैं. उनकी पार्टी के सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि जब ये ठेका उद्धव सरकार ने सिंगला कंपनी को दिया था उस वक्त एकनाथ शिन्दे नगर विकास मंत्री थे, आज भी ये विभाग एकनाथ शिन्दे के पास है, इसलिए जिसको शक हो, वो एकनाथ शिन्दे से जाकर पूछ ले कि सिंगला कंपनी को ठेका क्यों दिया था.
पहलवानों का मुद्दा : सुलझाने का अब वक्त
चैम्पियन पहलवान बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक ने बुधवार को खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की. खेल मंत्री ने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया था. पहलवानों ने मांग की कि उनकी मुख्य मांग है, भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार किया जाय। आज वार्ती अदूरी रही, और अभी बातचीत के कई और दौर हो सकते हैं. मुझे लगता है कि चैंपियन पहलवानों ने पिछले कुछ दिनों में बहुत संयम दिखाया है. सरकार से बात करने की पहल की है. इस मामले में कुछ एक्शन तो तुरंत लिए जा सकते हैं. सबसे पहला, पहलवानों को यकीन दिलाया जाए कि पुलिस बृज भूषण शरण सिंह को बचाने की कोशिश नहीं कर रही. अगर इसके बाद भी पहलवानों को पुलिस पर भरोसा ना हो तो जांच किसी दूसरी एजेंसी को दे दी जाए. दूसरा, बृज भूषण शरण सिंह को फेडरेशन के अध्यक्ष पद से तुरंत हटाया जाए और ये सुनिश्चित किया जाए कि जब भी फेडरेशन के चुनाव होंगे तो बृज भूषण का बेटा या उनका कोई रिश्तेदार या उनका कोई नॉमिनी फेडरेशन का अध्यक्ष नहीं बनेगा. तीसरी बात, महिला पहलवानों के दैनन्दिन मामलों की देखरेख के लिए किसी महिला प्रशासक को जिम्मेदारी दी जाए. मेरी जानकारी के अनुसार, इस दिशा में बात आगे बढ़ी है. बात अटकी है, बृज भूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी को लेकर. मुझे लगता है कि अगर पुलिस की शुरुआती जांच में बृज भूषण दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए. अगर हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत हो तो वो भी किया जाना चाहिए. इन रास्तों से मामला सुलझाने के लिए दोनों तरफ से अगर कोशिश हुई तो रास्ता जरूर निकलेगा.