Rajat Sharma

My Opinion

महाकुंभ : एक चमत्कार, अविश्वसनीय, अकल्पनीय

AKBमकर संक्रांति के दिन प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर शाम तक साढ़े 3 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके थे. वैसे तो दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ की शुरूवात सोमवार को ही हो गई थी, लेकिन मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर अमृत स्नान के साथ प्रयागराज में महाकुंभ की असली रौनक दिखाई दी. इसकी तस्वीरें देख कर आप चौंक जाएँगे. इतनी बड़ी तादाद में लोग कुंभ क्षेत्र में पहुंचे, संगम में डुबकी लगाई लेकिन कहीं भी, किसी को, किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई, कोई शिकायत करने वाला नहीं मिला. ये दुनिया वालों के लिए अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय है.

सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात ये है कि कुछ ही घंटों के दौरान संगम में जितने लोगों ने स्नान किया, वह दुनिया के 52 देशों की पूरी आबादी से ज्यादा है. दुनिया की बड़े विश्वविद्यालयों और मैनेजमेंट संस्थानों के लोग सिर्फ ये जानने समझने के लिए प्रयागराज पहुंचे हैं कि इतनी बड़ी संख्या के लिए इंतजाम कैसे किए जाते हैं, भीड़ को संभालने का प्रबंध कैसे किया जाता है. कुंभ पैंतालीस दिनों तक चलने वाला है. अगले डेढ़ महीने तक लोग इसी तरह प्रयागराज पहुंचते रहेंगे. आगे जो दो अमृत स्नान और होने हैं, उनमें और ज्यादा भीड़ होगी. 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन संगम में डुबकी लगाने वालों की संख्या छह करोड़ तक पहुंच सकती है.
पूर्ण महाकुंभ का पहला अमृत स्नान हुआ. जैसे ही सूर्यदेव का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश हुआ, जैसे ही सूर्य भगवान उत्तरायण हुए, मकर संक्राति की बेला में, ब्राह्ममहूर्त में, संगम के तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. परंपरा के मुताबिक, सबसे पहले सभी 13 अखाड़ों के साधु-संतों, आचार्य, महामंडलेश्वर, नागा साधुओं, अघोरियों और महिला साधुओं ने स्नान किया. उसके बाद साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा भक्तों ने संगम में स्नान, ध्यान और पूजा-अर्चना की.

सबसे पहले श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साधु-संतों ने अपनी छावनी से संगम की तरफ जुलूस निकाला. उसके पीछे-पीछे श्री शम्भू पंचायती अटल अखाड़े का जुलूस था. इन अखाड़ों में सबसे आगे हाथों में तलवार, भाला, त्रिशूल और गदा लिए नागा साधू चल रहे थे. उनके पीछे अखाड़े के आचार्य और पीठाधीश्वर अपने रथ पर सवार थे.

सनातन परंपरा और शास्त्रों में वैसे तो कुल 13 अखाड़े हैं लेकिन महाकुंभ में लोगों के बीच सबसे ज्यादा उत्सुकता जूना अखाड़ा और निरंजनी अखाड़े के नागाओं को देखने की होती है. मंगलवार को जब महानिर्वाणी और अटल अखाड़े के बाद निरंजनी और जूना अखाड़े के नागा जब संगम की तरफ बढ़े, तो वहां मौजूद पुलिस फोर्स ने साधु-संतों के चारों तरफ सुरक्षा घेरा कड़ा कर दिया. जूना अखाड़े के हज़ारों नागा साधू हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए संगम की तरफ बढ़े और अखाड़े के आचार्य, पीठाधीश्वर, महामंडलेश्वर और दूसरे बड़े संतों के साथ स्नान किया.

साढ़े तीन करोड़ लोग एक जगह इक्कठे हों, बिना किसी भगदड़ या धक्कामुक्की के स्नान करें, कहीं कोई गड़बड़ी न हो, किसी तरह की असुविधा न हो और सब खुशी खुशी वापस चले जाएं, ये दुनियाभर के लिए हैरानी की बात है. इसकी व्यवस्था करना कोई आसान नहीं होता. इतनी बड़ी संख्या को नियंत्रित करना, उनके लिए सारी व्यवस्थाएं करना बहुत बड़ी चुनौती होती है. लेकिन योगी आदित्यनाथ ने इस चुनौती को बड़ी सरलता से पूरा किया. महाकुंभ में ढ़ाई सौ से ज्यादा IAS, PCS अफसरों को लगाया गया. यूपी पुलिस के महानिदेशक और सरकार के प्रमुख सचिव खुद सारे इंतजामात को मॉनीटर कर रहे थे. दस हजार हैक्टेयर में फैले कुंभ क्षेत्र को 25 से ज्यादा सैक्टर्स में बांटा गया है. अखाड़ों के स्नान के लिए अलग घाट बनाए गए. सभी अखाड़ों के साधुओं के लिए घाट तक आने जाने के अलग अलग रूट तय़ किए गए. अलग अलग दिशाओं से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अलग रास्ते बनाए गए.
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया के 52 देशों की आबादी साढ़े तीन करोड़ से कम है. यानि इतने देशों की जनसंख्या से ज्यादा लोगों ने प्रयागराज में बारह घंटे के दौरान पवित्र डुबकी लगाई.

करीब चालीस देशों के लोग भी छोटे छोटे जत्थों में प्रयागराज पहुंचे हैं. विदेशी भक्तों ने भी महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाई. ये लोग सनातनी नहीं है, हमारी भाषा नहीं समझते, हमारी संस्कृति को नहीं जानते. लेकिन महाकुंभ में आकर विदेशी भी सनातन के रंग में पूरी तरह डूबे दिखाई दिए.

साढ़े तीन करोड़ की भीड़ को मैनेज करना हंसी खेल नहीं हैं. हालांकि कुछ लोग कह सकते हैं कि टैक्नोलॉजी की मदद से, AI का इस्तेमाल करके, पुलिस फोर्स लगाकर भीड़ को कन्ट्रोल किया गया. लेकिन मुझे लगता है कि करोड़ों की भीड़ सिर्फ टैक्नोलॉजी के जरिए कन्ट्रोल नहीं की जा सकती. इसके लिए सटीक प्लानिंग, मानव संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल, भक्तों की संख्या का सही अनुमान, उनकी जरूरतों के हिसाब से इंतजाम, आपात स्थितियों का सही आकलन और सबसे महत्वपूर्ण दृढ़ इच्छाशक्ति जरूरी है.

योगी आदित्यनाथ ने अपनी संकल्पशक्ति के साथ यही किया. दो साल पहले से महाकुंभ की तैयारी शुरू की, बार बार प्रयागराज के दौरे किए, एक-एक चीज पर खुद नजर रखी, सबसे काबिल अफसरों को प्रयागराज में तैनात किया, सारी छोटी-बड़ी व्यवस्थाओं को खुद देखा, प्रॉपर प्लानिंग की, इसलिए पहला अमृत स्नान बिना किसी बाधा के सकुशल संपूर्ण हुआ.

इसका श्रेय योगी आदित्यनाथ की सरकार के साथ साथ उनके अफसर, सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी, वालेंटियर्स और सफाई कर्मचारियों को भी मिलना चाहिए. हालांकि अभी उनकी जिम्मेदारी खत्म नहीं हुई है. अभी महाकुंभ डेढ़ महीने तक चलना है. इसलिए प्रार्थना करनी चाहिए कि सब कुछ अच्छा रहे और महाकुंभ में आने वाले सभी श्रद्धालु गंगा स्नान करके सनातन का जयकारा लगाते हुए सकुशल अपने घर वापस जाएं.

Maha Kumbh : Incredible, Unimaginable, Unique

akbAt the planet’s biggest religious congregation in Prayagraj, more than 3.5 crore pilgrims and ascetics had taken a holy dip at the Triveni confluence of Ganga, Yamuna and mythical Saraswati by Tuesday evening. Never before in world history had such a humungous multitude of pilgrims congregated at one place to offer religious prayers. For the rest of the world, this was incredible, unimaginable and unique.

The number of pilgrims who took a holy dip on Makar Sankranti can equal the population of several countries. Experts from big universities and management institutes have reached Prayagraj to study the complex nature of crowd management made for the event to pass off smoothly, without a hitch. Purna Maha Kumbh will continue for 45 days in Prayagraj and there are two more big ‘Amrit Snans’ pending, when more crowds will congregate. By January 29 (Mauni Amavasya), the number may cross six crore.

If one adds the population of 52 countries, it will touch 3.5 crore. The number of pilgrims who took a holy dip on Tuesday was more than this figure. Managing a huge crowd of 3.5 crore is not a matter of joke. Adequate police force was deployed to control crowd movement. I personally feel that one cannot control such a humungous crowd only with the help of technology. It needs careful planning, better use of human resources, correct calculation about number of expected pilgrims, arrangements according to needs, correct analysis about emergency situations, and last, but not the least, strong will power. UP Chief Minister Yogi Adityanath did this because of his strong determination and will power.

The arrangements for Kumbh Mela had begun two years ago. Yogi personally visited Prayagraj frequently, kept a personal and close watch on each and every requirement, posted his most capable officers at the venue, did proper planning, and the result was : the first ‘Amrit Snan’ on Tuesday passed off peacefully without a hitch. The credit for this goes to Yogi Adityanath’s government, his officers, police personnel, volunteers and ‘safai karmacharis’. The work is not yet over. More than a month and half are left, and one prays that everything passes off peacefully.

For the pilgrims and ascetics, it was an experience of a lifetime. The heady atmosphere at the dawn of Makar Sankranti in Prayagraj, with hundreds of Naga sadhus walking with swords, spears, tridents and maces in their hand, followed by their ‘akhada’ chiefs and ‘Pithadheeswaras’, was a sight to see. Helicopters were arranged to sprinkle flowers on the ascetics.

मोदी पर क्यों फिदा हुए उमर अब्दुल्ला ?

AKB30 सोमवार को जिस अंदाज में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प3धानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की, वह राहुल गांधी को बिल्कुल पसंद नहीं आएगा. उमर अब्दुल्ला की पार्टी नैशनल कांफ्रेंस अभी भी INDIA गठबंधन में है, हालांकि विरोधी दलों के कई नेता कह रहे हैं कि ये गठबंधन सिर्फ और सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था.

मौका था, सोनमर्ग तक 8,500 फीट की ऊंचाई पर जुड़ने वाली 6.5 किलोमीटर लंबी टनल का उद्घाटन, जिसमें उमर अब्दुल्ला मोदी के स्वागत में भाषण दे रहे थे. गांदरबल में हुई रैली में उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री की जमकर तारीफ की. उमर ने कहा ने कश्मीर के साथ मोदी का पुराना नाता है, मोदी ने जम्मू कश्मीर के लोगों से जो भी वादे किए, उन्हें पूरा किया. मोदी ने पिछले साल जून में कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का वादा किया था, और 4 महीने के अंदर चुनाव करा दिया. ये चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हुआ और इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं हुआ. अब प्रधानमंत्री अपना तीसरा वादा जल्द पूरा करें, वो है, जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस देने का वादा.

जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हर काम का एक वक़्त होता है और सही समय पर ये वादा भी पूरा करेंगे. मोदी ने कहा कि जम्मू कश्मीर विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है, ये मिलकर काम करने का नतीजा है. जम्मू में रेलवे डिवीज़न बन गया, सोनमर्ग टनल बन गई, ज़ोज़ीला टनल का काम तेजी से चल रहा है, चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे सबसे ऊंचा पुल बन गया. कश्मीर में स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, सिनेमा हॉल, होटल और स्टेडियम बन रहे हैं, कश्मीर की आबोहवा में रौनक फिर लौट रही है. मोदी ने कहा कि उन्होंने जो वादा किय़ा वो पूरा हुआ, जिस परियोजना का शिलान्यास किया, उसका उद्घाटन भी किया.

मोदी ने कहा कि कश्मीर में बदलाव का श्रेय कश्मीर को लोगों को मिलना चाहिए क्योंकि कश्मीर की जनता ने आतंकवाद को ख़ारिज किया और लोकतंत्र का साथ दिया. मोदी ने कहा कि कश्मीर भारत का ताज है और वो चाहते हैं कि ये मुकुट और चमके.

उमर अब्दुल्ला ने जो कहा, वह शतप्रतिशत सही है. पिछले पांच साल में जम्मू कश्मीर के हालात तेजी से बदले हैं. कश्मीर में 40 साल बाद लोगों ने मल्टीप्लैक्स में जाकर फिल्म देखी, अस्पताल बने, गांव-गांव तक सड़के पहुंची, स्कूलों में स्मार्ट क्लासेज बनी, कनैक्टिविटी के लिए हाईवै बन रहे हैं, टनल्स बन रही है, आम लोगों के जीवन पर इन सबका सीधा असर होता है, सिस्टम के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ता है. इसीलिए इस बार के चुनाव में जम्मू कश्मीर के लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया, रिकॉर्ड वोटिंग हुई.

उमर अब्दुल्ला की सरकार केन्द्र सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है. इसका असर ज़मीन पर दिख रहा है. वैसे जम्मू कश्मीर भी दिल्ली की तरह केन्द्र शासित प्रदेश है. उमर अब्दुल्ला को भी उतने ही अधिकार है जितने दिल्ली के सीएम के पास. लेकिन अरविंद केजरीवाल दस साल से मोदी को सिर्फ गाली दे रहे हैं. LG ने भी केजरीवाल के काम अटकाये. इस टकराव का खामियाजा दिल्ली वालों को भुगतना पड़ा.

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Why Omar Abdullah praised Modi ?

AKB30 The effusive praise lavished on Prime Minister Narendra Modi by Jammu & Kashmir Chief Minister Omar Abdullah at the opening of Sonamarg Z-Morh tunnel on Monday may not sound sweet to Rahul Gandhi’s ears, given the fact that Omar Abdullah and his party National Conference are still part of Congress-led INDIA alliance.

Omar Abdullah said, “On International Yoga Day event in Srinagar last year, Modi had promised to bridge the gap between dil (heart) and Dilli (Delhi), and he has proved it. The trust of the people of Kashmir in Modi has increased because he has kept his words … You fulfilled your promise of holding assembly elections, and there were free and fair elections in Kashmir, without any interference…The people are asking me when would Jammu & Kashmir get back its statehood. My heart is saying that very soon you will fulfil your third promise on statehood.”

Responding to Omar’s remarks, Prime Minister Modi said, “Yeh Modi hai, Waada karta hai toh nibhaata hai. Har kaam ka ek samay hai, aur sahi samay par sahi kaam hone wale hain. (Modi always keeps his promises. There’s a time for everything, and right things will happen at the right time)”.

Modi said, Jammu & Kashmir is marching towards progress. A new railway division has been created for Jammu, the Sonamarg tunnel is ready, work on Zozila tunnel is progressing fast, and the world’s tallest bridge over river Chenab is ready. Schools, colleges, hospitals, theatres, hotels and stadiums are functioning in the Valley, and the air of joy has returned to the Valley. The credit goes to the people of Kashmir who rejected terrorism and supported democracy. Kashmir is the crown of India and we want the crown should shine bright.”

The entire project is 12 km long and will be completed at a cost of Rs 2700 crore. A parallel tunnel and 7.5 metre wide exit road has been built in cases of emergency. This tunnel is part of the all-weather connectivity project that links Srinagar to Leh in Ladakh. The distance between Srinagar and Leh will be reduced from 49 km to 43 km. Tourists can access Sonamarg round the year for winter sports.

What the J&K chief minister said in the presence of Prime Minister Modi was 100 per cent correct. The situation in J&K has changed fast in the last five years. After a gap of nearly 40 years, people are going to multiplexes to watch films. Hospitals, rural roads have been built. Smart classes have begun in schools. This has changed the life of the average citizen. The commoner in the Valley has regained his trust in the system. Voters took part in the recent Lok Sabha and assembly polls in large numbers. There was record voting at several polling stations.

Omar Abdullah’s government is working in tandem with the Centre and this has shown good results on the ground. Like Delhi, J&K is a Union Territory. Omar Abdullah has the same powers as Chief Minister like Arvind Kejriwal. For ten years, Kejriwal spent much of his time blaming the Centre and Prime Minister Modi. The Lt. Governor also stopped several schemes initiated by Kejriwal, but the ultimate losers were the people of Delhi.

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लालू नीतीश को गले लगाने के लिये इतने उतावले क्यों हैं ?

AKB30 लालू यादव बहुत दिनों के बाद बोले. थोड़ा बोले. लेकिन उनके एक बयान ने बिहार की राजनीति में सबको कन्फ्यूज़ कर दिया. लालू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए उनके दरवाजे खुले हैं, नीतीश कुमार को भी अपने दरवाजे खुले रखने चाहिए. लालू ने कहा कि उन्होंने नीतीश के सारे गुनाह माफ कर दिए हैं, पुरानी बातों को पीछे छोड़ दिय़ा है, अब नीतीश अगर साथ आते हैं, तो उनके साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं है.

लालू के इस बयान ने सबको चौंका दिया क्योंकि दो दिन पहले ही तेजस्वी यादव ने कहा था कि नीतीश के साथ अब समझौते की कोई गुंजाइश नहीं हैं, उनके लिए RJD के दरवाजे बंद है. लेकिन लालू यादव ने बिल्कुल उल्टी बात कह दी. इसीलिए बिहार की राजनीति में हलचल हुई. हालांकि JDU के नेताओं ने लालू यादव की बात को शिगूफा कहकर खारिज कर दिया लेकिन नीतीश कुमार ने कुछ नहीं कहा. सिर्फ मुस्कुरा कर निकल गए. नीतीश की चुप्पी ने अटकलों को और हवा दे दी. अब RJD, JD-U, BJP और कांग्रेस, सभी पार्टियों के नेता कन्फ्यूज़्ड हैं. किसी की समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर चल क्या रहा है? लालू और नीतीश कुमार के दिल में क्या है? RJD और JD-U की रणनीति क्या है?

गुरुवार को तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार एक दूसरे से पटना राज भवन में मिले. मौका था, नये राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के शपथ समारोह का. नीतीश ने तेजस्वी की पीठ थपथाई. इस तस्वीर ने आग में घी का काम किया. अब सवाल ये है कि क्या लालू का बयान RJD का स्टैंड है या फिर तेजस्वी की बात सही है? या लालू और तेजस्वी के विरोधाभासी बयान नीतीश कुमार को घेरने का मिलाजुला खेल है?

लालू यादव ने नीतीश को दोस्ती का न्योता चलते-फिरते हल्के-फुल्के अंदाज़ में नहीं दिया. बाकायदा इंटरव्यू अरेंज किया. गाड़ी में बैठकर इत्मीनान से पूरी बात कही. साफ-साफ लफ्ज़ों में कही. इसलिए ये तो तय है कि लालू ने जो कहा वो सोच-समझ कर कहा. उनके बयान से कन्फ्यूजन इसलिए हुआ क्योंकि तेजस्वी यादव लगातार कह रहे हैं कि नीतीश के साथ दोबारा दोस्ती का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. तीन दिन पहले तेजस्वी यादव ने सीतामढ़ी में साफ कहा था कि नीतीश कुमार के साथ सरकार चलाना अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है. नीतीश के लिए RJD के दरवाजे पूरी तरह बंद हैं, महागठबंधन में उनकी एंट्री बिल्कुल भी नहीं हो सकती. तेजस्वी ने बुधवार को फिर कहा कि बिहार से नीतीश की विदाई अब तय है, पुराने बीज बार-बार डालने से खेत की पैदावार कम हो जाती है, नीतीश कुमार को बीस साल हो गए, इसलिए बिहार में अब नए बीज की जरूरत है.

राज भवन में जब नीतीश कुमार से लालू यादव के बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो नीतीश ने कुछ कहा नहीं. सिर्फ हैरानी जताई और मुस्कुराकर चले गए. JD-U के नेता केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि “लालू यादव ने क्या कहा, क्यों कहा, ये वही जानें. रही बात नीतीश कुमार के कहीं और आने-जाने की, तो ये फिजूल की बात है”. बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की जो हालत हुई उसके बाद लालू यादव घबरा गए हैं, इसलिए वो ऐसी बातें कह रहे हैं, नीतीश यादव लालू को अच्छी तरह जानते हैं, वो ऐसी बातों में आने वाले नहीं हैं.

मजे की बात ये है कि लालू के बयान से कांग्रेस उत्साहित है. बिहार में कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने नीतीश कुमार की तारीफ की. कहा, नीतीश कुमार विचार से गांधीवादी हैं, लेकिन गोडसेवादियों के साथ हैं, साथ बदल सकता है, लेकिन विचार तो नहीं बदलते. शकील अहमद खान ने कहा कि नीतीश कुमार को लेकर लालू यादव ने अगर कुछ कहा है तो उसका मतलब है, कौन जाने भविष्य में क्या होगा? शाम को तेजस्वी सामने आए. तेजस्वी ने कहा कि लालू जी ने जो कह दिया, उसका कोई मतलब नहीं निकालना चाहिए.

लालू यादव ने जो कहा वो पूरी तरह planned था, सोच-समझकर छोड़ा गया शिगूफा था. लालू अपने जीते जी तेजस्वी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं. वह जानते हैं कि बिहार में जातियों के वोट किस तरह बंटे हुए हैं, वह ये भी जानते हैं कि तेजस्वी केवल कांग्रेस और दूसरी पार्टियों के भरोसे बहुमत हासिल नहीं कर सकते. आज नीतीश के पास जिस तरह का गठबंधन है, उसमें नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर आसानी से जीत सकते हैं. फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं. हालांकि तेजस्वी को भरोसा है कि नीतीश कुमार थके हुए, पुराने हो चुके हैं. तेजस्वी को इसमें अवसर दिखाई देता है. वह अपने दिलोदिमाग में बिलकुल साफ हैं कि अब नीतीश चाचा के साथ नहीं जाएंगे.

नीतीश भी कह चुके हैं कि दो बार गलती हो गई, अब कहीं नहीं जाएंगे. बीजेपी ऐलान कर चुकी है कि नीतीश को फिर से सीएम बनाने में उसे कोई समस्या नहीं है लेकिन फिर भी लालू यादव ने ये सियासी शरारत क्यों की?

लालू राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं. कन्फ्यूज़न क्रिएट करने के मास्टर हैं. नीतीश का आने-जाने का रिकॉर्ड खराब है. लालू ने इसी का फायदा उठाने के चक्कर में ये बयानबाजी की. लेकिन इसका नुकसान ये हो गया कि पहली बार RJD में लालू और तेजस्वी एक दूसरे की बात को काटते हुए दिखाई दिए. एक दूसरे से असहमत दिखाई दिए. अब कन्फ़्यूज़न आरजेडी में है.

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Why is Lalu eager to open doors for Nitish again?

AKB30 Rashtriya Janata Dal patriarch Lalu Prasad Yadav spoke in public on Thursday after a long time, but his comments were loaded with political meanings, confusing all in Bihar.

Lalu Yadav said, “our doors are open for Nitish Kumar…I have forgiven all his past sins and have left old issues behind. If Nitish comes forward, we have no problem in working with him”.

Lalu’s offer was carefully planned. He said this in an interview and spoke inside a car with ease. His words were clear. The confusion was created because his son Tejashwi Yadav had been consistently saying there was no chance of any alliance with Nitish anymore.

Three days ago, Tejashwi Yadav had said in Sitamarhi that running a government with Nitish Kumar would be like striking one’s own foot with an axe. Tejashwi said, “the doors of RJD are closed for Nitish, and there is no question of his party’s entry” into RJD-led Mahagathbandhan in Bihar. On Wednesday, Tejashwi said, “Nitish’s exit from power is final…He has ruled Bihar for 20 years and Bihar requires new seeds..If you sow the same old seeds continuously, the soil will get ruined.”

But Lalu Yadav spoke differently and his remarks created ripples in Bihar politics. Nitish’s Janata Dal(U) leaders described Lalu’s remarks as useless and speculative, while Nitish Kumar laughed off Lalu’s suggestions.

At Patna Raj Bhavan, after the new Governor Arif Mohammed Khan’s swearing-in ceremony, Nitish put his hand on Tejashwi’s shoulder, patted his back and spoke to him for a minute. When reporters asked Nitish about Lalu’s remarks, the Chief Minister laughed and walked away with a quip, “What are you saying?”.

Bihar JD(U) minister Vijay Chaudhary said, “there is no confusion in our party over this, and the confusion is in RJD. This is why Lalu and his son are speaking in two different tones. It is clear Lalu Yadav is going to lose again in Bihar and he is worried. That’s why he is inviting Nitish Kumar, but his remark means nothing.” BJP leader and Deputy CM Samrat Chaudhary said, “Lalu Yadav seems to be worried because his Mahagathbandhan got a severe beating in Lok Sabha polls…Nitish Kumar knows Lalu well and he is not going to react to his offer.”

Congress leaders appeared to be enthusiastic. Congress legislative party leader Shakeel Ahmed Khan praised Nitish Kumar as a “Gandhian who is working with Godse supporters… If Lalu has offered something to Nitish Kumar then there must be some meaning behind it.” In the evening, Tejashwi Yadav again appeared before reporters to say that “no inference should be drawn from Lalu Ji’s remarks.”

The fact is, whatever Lalu Yadav said was perfectly planned. It was a trial balloon sent to test the direction of the wind. Lalu’s dream is to see his son Tejashwi as CM during his lifetime. But a master strategist like Lalu knows, caste votes are now fully divided in Bihar. Lalu knows Tejashwi cannot get a majority in this year’s assembly elections by relying on Congress and other smaller parties.

On the other hand, Nitish Kumar is leading a big alliance with BJP and he can win the assembly elections hands down to become the CM again. But Tejashwi feels, Nitish Kumar, because of old age, is now tired and this is a golden opportunity for him to come to power. Tejashwi is quite clear in his mind that he would not be joining hands with “Nitish Chacha”.

On his part, Nitish Kumar has also said that he had committed mistakes twice in the past (in joining hands with RJD), and he would not do so for the third time. BJP has already announced that it has no problem with accepting Nitish as chief minister again.

Then why this politically mischievous statement from Lalu? The old warhorse is a clever player in politics. He is a master in creating confusions. Nitish’s record of crossing over to the other camp is already bad. That’s why Lalu made this remark with a view to get some political gain. But the fallout took place in his own party, RJD, this time. For the first time, both father and son appeared to be towing two different lines. Both appear to disagree on the issue of joining hands with Nitish. The confusion is clearly in the RJD.

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किसानों को मोदी का नये साल का तोहफा

AKB30 नए साल के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों के लिए दो बड़े फैसले किए. 2025 की पहली कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को 2026 तक जारी रखने को मंजूरी दे दी. अगर बाढ, सूखा या ओले गिरने से फसल का नुकसान होता है, तो बीमा के जरिए इसकी भरपाई हो पाएगी.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि अब बीमा के सैटेलमेंट में टेक्नोलॉजी की मदद ली जाएगी, इससे किसानों को जल्दी से जल्दी क्लेम मिल सकेगा. टेक्ननोलॉजी और इनोवेशन के लिए सरकार 824 करोड़ रुपये अलग से देगी.

कैबिनेट ने दूसरा बड़ा फैसला खाद की कीमतों को लेकर किया है. अब किसानों को 50 किलो वाला डीएपी का बैग 1350 रुपये में मिलेगा, जो भी अतिरिक्त खर्चा है, उसे केंद्र सरकार उठाएगी. इसके लिए सरकार डीएपी सप्लाई करने वाली कंपनियों को 3850 करोड़ रुपये की सब्सिडी देगी. सरकार ने तय किया है कि किसानों को डीएपी की कमी न हो इसके लिए इस साल डीएपी का advance procurement किया जाएगा.

कैबिनेट के फैसले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट में लिखा कि नए वर्ष का पहला निर्णय देश के करोड़ों किसान भाई-बहनों को समर्पित है. मोदी सरकार का ये फैसला उस वक्त आया है जब पंजाब और हरियाणा के किसान MSP की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा किसान संगठनों के आंदोलन का मामला सुप्रीम कोर्ट में है, कोर्ट जो भी आदेश देगा सरकार उसे मानेगी. चौहान ने कहा कि नए साल में किसानों के कल्याण के नए संकल्प के साथ सरकार आगे बढ़ेगी और कृषि मंत्री के तौर पर वो किसानों की समस्याओं को दूर करने की हर संभव कोशिश करेंगे.

शिवराज सिंह चौहान ने किसानों आंदोलन पर भले ही कुछ नहीं कहा, लेकिन उन्हें भी किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की गिरती सेहत की फिक्र है. डल्लेवाल 37 दिन से अनशन पर हैं, उनकी हालत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को डल्लेवाल को दो दिन के भीतर अस्पताल में भर्ती करवाने का आदेश दिया था लेकिन किसान संगठनों के नेता इसके लिए तैयार नहीं है. पंजाब सरकार पर भी दबाव है. किसान नेताओं का कहना है कि जबतक केन्द्र सरकार किसानों से बात नहीं करती तब तक डल्लेवाल अपना इलाज कराने के लिए तैयार नहीं है.

डल्लेवाल की सेहत वाकई खराब है. उन्हें तुरंत इलाज की ज़रूरत है लेकिन लगता है किसी को उनकी जान की परवाह नहीं है. आंदोलन करने वाले उनके साथी किसानों को डल्लेवाल को तुरंत इलाज के लिए ले जाना चाहिए. उन्हें इस बात की परवाह नहीं करनी चाहिए कि इससे आंदोलन कमज़ोर हो जाएगा. डल्लेवाल की ज़िंदगी का इस्तेमाल सरकार को झुकाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. अगर किसान ऐसा नहीं करते तो पंजाब सरकार को तुरंत ये कदम उठाना चाहिए. इस बात की परवाह नहीं करनी चाहिए कि आंदोलन और तेज़ हो जाएगा. सबसे पहले बुजुर्ग नेता की जान बचाने का इंतज़ाम होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट का भी यही निर्देश है.

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Modi’s New Year gift to farmers

AKB30 On New Year’s Day, Prime Minister Narendra Modi announced a special gift for farmers by extending subsidy of DAP (Di-Ammonium Phosphate) fertilizers from January 1 till further orders. Farmers will continue to get a 50 kg DAP bag for Rs 1350 and the extra cost will be borne by the Centre. The government will give Rs 3,850 crore subsidy to companies that manufacture and supply DAP fertilizers.

This will help millions of farmers and their families. Agriculture Minister Shivraj Singh Chouhan said, advance procurement of DAP will be done this year so that farmers should not face scarcity of fertilizers. In his tweet on X, Prime Minister Narendra Modi said, the first decision of the New Year is dedicated to crores of farmers brothers and sisters.

At the first meeting of Union Cabinet, the special one-time package on Di-Ammonium Phosphate (DAP) fertiliser at the rate of Rs 3,500 per metric tonne was extended from January 1, 2025 till further orders. This special package is over and above the approved NBS (nutrient based subsidy). 28 grades of Phosphorus and Potassium fertilizers are made available to farmers at subsidized rates through manufacturers and importers.

In another decision, the Cabinet approved the continuation of Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana and Restructured Weather-Based Crop Insurance Scheme till 2025-26. The approval was given for an enhanced allocation with overall outlay of Rs 69,515.71 crore for the scheme period (2021-22 to 2025-26).

This will help in risk coverage of crops from non-preventable natural calamities for farmers across the country till 2025-26. For large-scale technology infusion in the implementation of the scheme, the Cabinet approved the creation of the Fund for Innovation and Technology (FIAT) with a corpus of Rs.824.77 crore.

Agriculture Minister Chouhan said, farmers would now get their crop damage claims soon, based on settlement with the help of technology. He however avoided speaking about the farmers’ agitation in Punjab. Farmer leader Jagjit Singh Dallewal is on indefinite fast for the last 37 days. His health is deteriorating fast and the Supreme Court had directed Punjab government to admit Dallewal to hospital within two days. But farmer leaders insist, Dallewal will not break his indefinite fast until and unless the Centre starts talks with farmers.

Dallewal’s condition is worsening, but it seems none of the sides are worried about his life. Agitating farmers must take Dallewal to hospital immediately. They should not worry that their agitation will be weakened if Dallewal is taken to hospital. Dallewal’s life must not be used as a tool to force the government to bow to their wishes. If farmer leaders are unwilling, then Punjab government must step in and provide immediate treatment to Dallewal as per the directions of Supreme Court.

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Maha Kumbh: World’s Biggest Event Ever

AKBOn January 13 this year, the world will witness the beginning of the world’s biggest event ever at the holy Sangam in Prayagraj, Uttar Pradesh, where more than 40 crore devotees are expected to take a holy dip at the confluence of two rivers, Ganga and Yamuna.

Chief Minister Yogi Adityanath is personally supervising the mega arrangements. A sprawling township has come up on an area of nearly 5,000 acres, ready with 1.5 lakh tents, 1.5 lakh green toilets manned by 15,000 safai karmacharis, 1,240 km long pipe lines have been laid, and more than 50,000 tap water connections have been provided. Two km away from Sangam, a huge space has been kept for parking more than 20,000 vehicles. Two hospitals, one with 100 beds and another with 220 beds have already started working. 92 new roads have been laid, and the Sangam township is dazzling with 67,000 LED lights and 2,000 solar lights.

The entire township has been divided into 25 sectors. The Sangam township has been declared a separate district, having its own district magistrate and Superintendent of Police. The first ‘shahi snan’ (main bathing) will take place on January 13 and the last ‘shahi snan’ will be on February 26. Twelve new bathing ghats (banks) have been built and a riverfront has been developed over 12.5 km area. Chequered plates have been laid on an area of 550 sq km to ensure that the devotees do not have to walk in mud.

Yogi Adityanath on Tuesday conducted a survey of the Kumbh Mela preparations and expressed his satisfaction. Thirty pontoon bridges will be built, out of which 28 are ready. More than 50,000 security personnel from UP Police and para-military forces will be deployed. They will be commanded by 218 IPS officers. Underwater drones, that can go 100 metre deep, will be used for the first time in Kumbh Mela. Four central commands will work in tandem with a control room. Nearly 350 experts will monitor the areas that will draw huge crowds.

Kumbh Mela takes place after every 12 years. This time, it has been named Purna Maha Kumbh, because it will occur after 144 years (12 Maha Kumbh Melas multiplied by 12). Astrologers and Sanatan spiritual leaders have described this as the most auspicious occasion. Yogi Adityanath is leaving no stone unturned to make this mega event a success.

Prime Minister Narendra Modi is also involved in finetuning the arrangements. Modi has advised use of digital technology to project the rich heritage of Kumbh Melas. The aim is to attract youths towards India’s ancient heritage. The broader objective is to convey India’s message of devotion and faith to the rest of the world. It is surely going to be a spectacular event.

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महाकुम्भ : अद्भुत, अलौकिक, अकल्पनीय

AKBनए साल का सबसे पहला और सबके बड़ा आयोजन पूर्ण महाकुंभ होगा. 144 साल के बाद ये अवसर आया है. 40 करोड़ लोग गंगा में डुबकी लगाएंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ की तैयारियां का जायज़ा लेने मंगलवार को खुद प्रयागराज पहुंचे. ज्यादातर काम पूरे हो चुके हैं. अखाड़ों की धर्मध्वजा स्थापित हो चुकी है. गंगा और यमुना का जल स्वच्छ हो गया है. संगम का पानी सिर्फ स्नान के लिए नहीं, बल्कि पीने के लायक है. अब सिर्फ 13 जनवरी का इंतजार है जब पहले स्नान पर्व के साथ पूर्ण महाकुंभ की शुरूआत होगी.

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस बार पूरी दुनिया भारत की भव्य विरासत की ताकत को देखेगी. पूर्ण महाकुंभ के लिए गंगा पर पीपे के तीस पुल बनाए गए हैं. 28 पुलों का काम पूरा हो गया है. श्रद्धालुओं को गंगा स्नान में दिक्कत न हो इसके लिए 12 नए पक्के घाट बनाए गए हैं. करीब साढ़े बारह किलोमीटर में नदी के आसपास रिवर फ्रंट डेवलप किया गया है. साढे पांच सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चेकर्ड प्लेटें बिछाई गई हैं ताकि श्रद्धालुओं को कीचड़ में न चलना पड़े.

संगम नगरी में एक नया शहर बस गया है जिसे 25 अलग अलग सेक्टरों में बांटा गया है. करीब साढ़े सौ किलोमीटर लम्बी 92 नई सड़कें बनाई गई हैं. 67,000 LED लाइट्स और

2,000 solar lights से संगम नगरी जगमगा रही है. संगम से दो किलोमीटर की दूरी पर बीस हजार से ज्यादा गाडियों के लिए पाकिंग की व्यवस्था है. डेढ़ लाख टेंट बनाए गए हैं. इनमें स्विस कॉटेज से लेकर डोम सिटी तक सब बनकर तैयार है. डोम सिटी एक तरह का फ्लोटिंग कॉटेज हैं. इसमें ठहरने वालों को संगम का 360 डिग्री व्यू मिलेगा.

संगम क्षेत्र में डेढ़ लाख ग्रीन टॉयलेट लगाए जा रहे हैं, पन्द्रह हजार सफाई कर्मियों की तैनाती की गई है. साढ़े बारह सौ किलोमीटर की पाइप लाइन डाली गई है. पचास हजार से ज्यादा नलों के कनैक्शन दिए गए हैं. एक सौ बैड का और दो बीस बीस बैड के दो अस्पताल बनकर तैयार हैं. आखिरी शाही स्नान 26 फरवरी को होगा. अनुमान है कि उस दिन आठ करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे.

महाकुंभ में 50 हजार से ज्यादा पुलिस और पैरा मिलिट्री के लोग तैनात किए जाएंगे. 218 IPS अफसरों की तैनाती होगी. आसमान से ड्रोन के जरिए हर गतिविधि पर नज़र रखी जाएगी. महाकुंभ में पहली बार Underwater Drones का इस्तेमाल किया जाएगा. ये ड्रोन पानी में 100 मीटर की गहराई तक जाकर मॉनीटरिंग कर सकते हैं. 2,700 सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं. चार सेंट्रल कमांड और कंट्रोल रूम भी बनाए गए हैं जहां 350 एक्सपर्ट लगातार भीड़भाड़ वाले इलाकों पर निगरानी रख सकेंगे. कुंभ में पहली बार facial recognition technology का इस्तेमाल किया जाएगा.

वैसे तो कुंभ हर बारह साल के बाद होता है लेकिन इस बार महाकुंभ विशेष है. बारह-बारह साल के बाद बारह महाकुंभ का चरण पूरा होता है तो 144 साल के बाद पूर्ण महाकुंभ का योग बनता है. इसलिए प्रयागराज में होने वाले इस कुंभ को पूर्ण महाकुंभ का दर्जा दिया गया है. ज्योतिषाचार्यों ने इस महाकुंभ को खास माना है और योगी आदित्यनाथ की सरकार भी इस महाकुंभ को भव्य और दिव्य बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. नरेंद्र मोदी कुम्भ के आयोजन से जुड़े हुए हैं. उन्होंने कुम्भ की विरासत को डिजिटल technology से जोड़ने की सलाह दी है. अध्यात्म को नई पीढ़ी से जोड़ने का निर्देश दिया है. भारत की आस्था और भक्ति का संदेश कुम्भ के माध्यम से पूरी दुनिया में पहुंचाने को कहा है. ये संयोग, ये प्रयोग अद्भुत होगा.

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Happy New Year Rahul: But where are you?

AKBLeader of Opposition in Lok Sabha Rahul Gandhi is not in India now. He left for Vietnam by VietJet airlines flight no VJ896, according to reports. BJP and Congress leaders sparred over social media after news about Rahul’s holiday sojourn appeared. Even senior Congress leaders were not aware neither about his itinerary, nor about his present location.

BJP IT Cell head Amit Malviya tweeted: “At a time when there is national mourning over the demise of former PM Dr Manmohan Singh, Rahul Gandhi, who was pretending to be very distraught four days ago, has gone to Vietnam to celebrate the New Year.” Congress MP Manickam Tagore replied, “If Rahul Gandhi travels privately, why does it bother you? Get well in New Year…When will Sanghis stop this ‘take diversion’ politics?”

It is no secret that Rahul Gandhi often vanishes from public view. During New Year, he often goes to a foreign destination for rest and recreation. Nobody should have any objection to this. It is his personal right. He is free to go anywhere, any time for holidays, but his personal visits often become political issues.

There are two reasons behind this. One, he keeps his visits and destinations secret. This can be the norm for popular movie stars, but when political leaders keep their foreign visits secret, it gives ammunition to their political rivals. Two, Rahul Gandhi never bothers what is happening in the country when he goes abroad. Had former PM Dr Manmohan Singh not passed away last week, Rahul’s New Year celebration would not have become a big issue. Earlier, he gave a break to his Bharat Jodo Yatra for this reason. Rahul also left his campaign in the midst of assembly elections, when he went on a foreign visit.

Had any top BJP leader done this and gone on a secret foreign visit, Rahul Gandhi would have raised a big hue and cry. He would have gone to the extent of describing it as an insult to the Constitution. But now, he is the Leader of Opposition and it is a statutory position. It would have been better, had he disclosed his itinerary to the public.

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राहुल जी ! फिर से कहाँ चले गये?

AKBकांग्रेस नेता राहुल गांधी इस वक्त विदेश में हैं. पता लगा है कि वह छुट्टियां मनाने वियतनाम गए हैं. कांग्रेस के नेताओं को भी इसकी खबर नहीं हैं, लेकिन मुझे जानकारी मिली है कि राहुल गांधी वियत जेट एयर की फ्लाइट नंबर VJ 896 से रविवार रात 1 बजे वियतनाम रवाना हो गए. हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि राहुल 1 जनवरी तक वियतनाम में ही रूकेंगे या फिर वहां से कहीं और जाएंगे. लेकिन इतना तय है कि राहुल अभी देश में नहीं हैं.

बीजेपी IT Cell के प्रमुख अमित मालवीय ने X रक ट्वीट किया, “ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर देश में राष्ट्रीय शोक घोषित है। लेकिन राहुल गांधी, जो चार दिन पहले बहुत व्याकुल होने का स्वांग रच रहे थे, वो नया साल मनाने के लिए वियतनाम चले गए हैं। इससे पहले भी कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव और प्रणब मुखर्जी का इसी तरह अपमान किया था।“

चूंकि दो दिन पहले डॉ मनमोहन सिंह का अन्तिम संस्कार हुआ, सरकार ने 1 जनवरी तक राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया और इसी बीच राहुल नया साल मनाने विदेश निकल गए, इसलिए बीजेपी के नेताओं ने राहुल गांधी पर हमला किया. जवाब में कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने X पर लिखा : “अगर राहुल गांधी निजी यात्रा पर कहीं जाते हैं, तो इससे आपको क्या तकलीफ है? कम से कम नये साल में तो सुधर जाओ.”

ये तो कोई सीक्रेट नहीं है कि राहुल गांधी बीच-बीच में गायब हो जाते हैं. नये साल का जश्न मनाने मनाने वह किसी दूसरे देश में जरूर जाते हैं. इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. ये उनका अधिकार है. वो कभी भी, कहीं भी छुट्टी मनाने जा सकते हैं लेकिन उनकी ये निजी यात्रा सियासी मुद्दा बन जाती है.

इसकी दो वजहें हैं. एक तो राहुल अपनी विदेश यात्राओं और गंतव्य को गुप्त रखते हैं, किसी को बताते नहीं. ये फिल्म स्टार्स के लिए तो ठीक हो सकता है लेकिन कोई राजनीतिक नेता ऐसा करे तो विरोधियों को सवाल उठाने का मौका मिलता है.

दूसरी बात ये कि राहुल इस बात की परवाह नहीं करते कि जब वह बाहर जा रहे हैं, उस समय देश में क्या चल रहा है. जैसे अगर डॉ. मनमोहन सिंह का निधन न हुआ होता तो राहुल का ये साल का जश्न इतना बड़ा मसला न बनता. इसी चक्कर में उनकी भारत जोड़ो यात्रा को ब्रेक दिया गया था क्योंकि राहुल को कहीं जाना था. एक दो बार तो वह विधानसभा चुनावों का कैम्पेन बीच में छोड़कर विदेश चले गए थे.

सबसे बड़ी बात ये है कि अगर बीजेपी का कोई बड़ा नेता इस तरह से गायब हो जाए, सीक्रेट यात्रा पर चला जाए तो राहुल गांधी आसमान सिर पर उठा लेंगे. वो इसे संविधान का अपमान बता देंगे, लेकिन अब तो वो खुद एक statutory पद पर हैं. लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं, कहां जा रहे हैं, ये बताकर जाते तो अच्छा होता.

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