सैफ का हमलावर कहां गायब हो गया?
सैफ अली खान पर हुए कातिलाना हमले को लेकर दो तरह की खबरें आईं. एक तो ये कि पुलिस अभी तक हमलावर को पकड़ पाने में नाकाम रही है. कातिलाना हमला करने वाला वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है, पर वो पुलिस के हाथ क्यों नहीं आया, ये एक रहस्य है.
दूसरी खबर ये है कि सैफ अली खान को ICU से स्पेशल रूम में शिफ्ट कर दिया गया है. दो तीन दिन डॉक्टर उन पर निगरानी रखेंगे. उसके बाद अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है. लीलवती अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि सैफ अली खान खतरे से बाहर हैं, वह तेजी से रिकवर कर रहे हैं, लेकिन पूरी तरह ठीक होने में थोड़ा वक्त लगेगा, क्योंकि चोटें बहुत गहरी और घातक थीं.
डॉक्टरों ने बताया कि सैफ अली खान की पीठ में घुसा चाकू रीढ़ की हड्डी तक घंसा था. अगर घाव 2 मिलीमीटर गहरा होता तो सैफ जिंदगी भर के लिए लकवाग्रस्त हो सकते थे. गले में लगा घाव अगर एक मिलीमीटर इधर उधर होता तो उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता.
डॉक्टर कहते हैं कि ये ऊपर वाले का चमत्कार है कि सैफ बाल-बाल बच गए. सैफ की हिम्मत देखकर डॉक्टर भी हैरान रह गए . रीढ़ की हड्डी से ढ़ाई इंच का चाकू का हिस्सा निकला है, दो बड़े ऑपरेशन हुए और शुक्रवार को सैफ कुछ कदम खुद चले.
लेकिन सैफ पर जानलेवा हमला करने वाले शख्स को लेकर पुलिस अभी भी अंधेरे में है. क्या पुलिस को वाकई अपराधी का कोई अता-पता नहीं है? क्या वाकई पुलिस के पास हमलावर का कोई सुराग नहीं है? पुलिस ने दो संदिग्धों को हिरासत में लिया, पूछताछ की और बाद में उन्हें छोड़ दिया.
सैफ अली खान के केस में अब तक डॉक्टरों और पुलिस ने जो बताया है, उसकी वजह से रहस्य और गहरा हो गया है.
एक बात तो ये साफ है कि सैफ पर जो हमला हुआ, वो गंभीर था. कमर में और गर्दन पर चाकू का वार गहरा है. ये सिर्फ सैफ की किस्मत है कि चाकू रीढ़ की हड्डी या गर्दन की नस तक नहीं पहुंचा. वो बाल-बाल बच गए.
लेकिन पुलिस अभी उलझी हुई है. गुरुवार तक मुंबई पुलिस के DCP दावा कर रहे थे कि हमलावर की पहचान हो गई है और उसे कुछ ही घंटों में पकड़ा जाएगा.
पुलिस ने ये भी दावा किया था कि वो हिस्ट्री शीटर है, पुलिस के पास CCTV फुटेज है जिसमें हमलावर की साफ तस्वीर है. इसके बाद भी अब तक पुलिस हमलावर की पहचान तक नहीं कर पाई है.
मुंबई के 21 पुलिस थानों की टीमें, क्राइम ब्रांच की 12 टीमें पीछे लगी है और एक हमलावर को नहीं पकड़ पा रही है. ये मुंबई पुलिस की छवि के लिए अच्छा नहीं है.
जब ऐसे किसी हाईप्रोफाइल केस में खामियां दिखाई देने लगती हैं तो शक होता है कि पुलिस कुछ छिपाने की कोशिश कर रही है. इसी वजह से सोशल मीडिया पर तरह-तरह की अफवाहें फैलने लगती हैं.
जब तक पुलिस इस केस में हमलावर तक नहीं पहुंचेगी, जो वीडियो में सीढ़ियों पर चढ़ते-उतरते दिखाई दे रहा है, तब तक अटकलों का ये दौर चलता रहेगा.
Why can’t police nab Saif attacker ?
With reports that the absconding attacker is frequently changing clothes and locations, the mystery about the murderous attack on actor Saif Ali Khan is deepening.
Many questions still beg answers. Who was the attacker? How did he enter the actor’s house bypassing security? What was the motive behind the attack? What exactly happened at the apartment on that fateful night?
It is now clear that the stabbings were ferocious. It was Saif’s fortune that the knife missed the actor’s spinal chord and the cranial nerve and artery on the neck.
Dr Nitin Dange of Lilavati Hospital said, the tip of the knife had reached the outer layer of spine, and had it entered even 2 millimetre deep, the actor would have faced paralysis. The stab on the neck was close to the main artery that supplies blood to the brain. Had the knife hit the artery, Saif’s life would have been in danger.
Dr Nitin Dange said, Saif suffered four crtical wounds, two on his arm and one each on his back and neck. He is now recovering fast.
While doctors are clear about Saif evading death by millimetres, Mumbai Police appears to be confused. Till Thursday, Mumbai Police DCP was claiming that the attacker has been identified and would be nabbed within five hours. Police had also claimed that he was a history sheeter, and since the police had CCTV footage about the attacker, he would be nabbed soon. Yet, the police is yet to correctly identify the attacker by name till now.
Teams from 21 police stations of Mumbai and 12 teams from Crime Branch are working on leads to nab the attacker. The delay in nabbing the culprit is denting the image of Mumbai Police.
Whenever loopholes appear in the probe during any high profile case, people start doubting whether police is trying to hide something. This has led to a spate of unnecessary speculations on social media. Unless Mumbai Police nabs the culprit seen walking up and down the stairs near Saif’s apartment in the CCTV footage, speculations will continue.
सैफ का हमलावर: अंदर कैसे आया और बाहर कैसे भागा?
मुंबई से चौंकाने वाली खबर आई. फिल्म स्टार सैफ अली खान पर कातिलाना हमला हुआ. सैफ के घर में घुसकर हमलावर ने चाकू से 6 वार किए. दो घाव काफी गंभीर हैं. चाकू सैफ अली खान की रीढ़ की हड्डी में घुस कर टूट गया. उनकी गर्दन पर भी गहरा घाव है. हाथ और पेट पर भी चाकू से चोट लगी है. ऑपरेशन के बाद पीठ में घुसा चाकू का टुकड़ा निकाल दिया गया है. गर्दन और सीने पर आई चोट की सर्जरी की गई है. सैफ अली खान लीलावती अस्पताल में अब खतरे से बाहर हैं और उनको ICU से उनके रूम में भेज दिया गया है.
डॉक्टर्स का कहना है कि सैफ अली खान को जल्द डिस्चार्ज किया जाएगा लेकिन अब ह कई दिन चल फिर नहीं पाएंगे. सबसे बड़ा सवाल ये है कि हमलावर सैफ अली खान के फ्लैट में घुसा कैसे? उसे एंट्री कैसे मिली?
सैफ अली खान अपनी बिल्डिंग के बारहवें फ्लोर पर थे. ये हादसा 11वें फ्लोर पर हुआ. अपार्टमेंट के चारों तरफ सिक्योरिटी है. बिल्डिंग के बाहर और अंदर गार्ड्स तैनात है. किसी अनजान शख्स को बिना पूछताछ के अंदर नहीं जाने दिया जाता.
सैफ अली खान जिस सदगुरू अपार्टमेंट में रहते हैं, उसमें चार लेयर की सिक्योरिटी है. सबसे पहले गेट पर सिक्योरिटी गार्ड्स रहते हैं लेकिन पुलिस का दावा है कि चोर दीवार फांद कर घुसा. दूसरी लेयर लॉबी में लिफ्ट के करीब है. लिफ्ट बिल्डिंग में रहने वाले लोगों के थंब इंप्रैशन से खुलती है लेकिन दावा किया जा रहा है कि ये शख्स लिफ्ट के बजाए सीढियों से ग्यारहवें फ्लोर तक पहुंचा. सिक्योरिटी की तीसरी लेयर हर फ्लोर पर लिफ्ट खुलने के बाद ग्लास का डोर है जो उस फ्लोर पर रहने वाले लोगों के थंब इंप्रैशन, फेस रिकॉग्निशन या कार्ड से खुलता है.
इसके बाद अपार्टमेंट के अंदर जाने के लिए मुख्य दरवाज़े पर कैमरा और वॉयस मैसेज सिस्टम है. गेट पर पासवर्ड वाला लॉक है. इसके बाद भी हमलावर ग्यारहवें फ्लोर पर सैफ अली खान के घर के भीतर कैसे दाखिल हो गया? इसका अब तक कोई जवाब नहीं मिला और जब तक इसका जवाब नहीं मिलेगा तब तक ये साफ नहीं होगा कि जिस शख्स ने सैफ पर जानलेवा हमला किया वो वाकई चोरी के इरादे से घुसा था या उसका मकसद सैफ को नुकसान पहुंचाना था. राहत की बात है कि सैफ अली खान इस कातिलाना हमले में बच गए लेकिन इससे मुंबई की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल तो उठे हैं. इसी इलाके में सलमान खान के घर पर गोली चली थी. इसी इलाके में एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की सरेआम हत्या हुई थी. ऐसे में लोगों की चिंता तो वाजिब है इसीलिए ये एक राजनीतिक मुद्दा भी बन गया.
उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की NCP और कांग्रेस ने मुंबई की क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाए. संजय राउत ने कहा कि ये तो सैफ़ जैसे स्टार के ऊपर हमला था, इसलिए शोर मच रहा है वरना मुंबई के आम लोग रोज़ अपराधियों का शिकार हो रहे हैं. संजय राउत ने कहा कि महायुति सरकार का पूरा ज़ोर उन नेताओं की सुरक्षा पर है, जो दूसरी पार्टियों से टूटकर आए हैं, सरकारी को आम लोगों की कोई फ़िक्र नहीं. शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने कहा कि महाराष्ट्र में अपराध तेजी से बढ रहे हैं, अपराधी इतने बेलगाम हैं कि वो हाई सिक्योरिटी ज़ोन में घुसकर हमले कर रहे हैं, ये चिंता की बात है.
AIMIM के प्रवक्ता वारिस पठान ने कहा कि जिस दिन प्रधानमंत्री मुंबई में थे, सुरक्षा चाक-चौबंद थी. अगर उस दिन घर में घुसकर सैफ अली खान पर हमला हो सकता है तो बाकी दिनों में आम लोगों के साथ क्या होता होगा, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है. वारिस पठान ने कहा कि बांद्रा जैसे हाई सिक्योरिटी इलाक़े में एक के बाद एक तीन बड़ी वारदात हो चुकी हैं, इसलिए अब सरकार को जवाब तो देना पड़ेगा.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि सैफ का परिवार गुरुदेव यानी रवींद्रनाथ टैगोर के ख़ानदान से जुड़ा है और वो सैफ की मां शर्मिला टैगोर का बहुत सम्मान करती हैं, इसलिए वो चाहती हैं कि सैफ के हमलावर को जल्दी से जल्दी पकड़ा जाए और उसको कड़ी से कड़ी सज़ा हो. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने सैफ पर हमले को सीधे सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ दिया. केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी की डबल इंजन की सरकार फेल हो गई है, बीजेपी न सीमाओं की सुरक्षा कर पा रही है, न आंतरिक सुरक्षा संभल रही है, जो हाल मुंबई का है, वहीं हाल दिल्ली की कानून व्यवस्था का है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मुंबई भारत का सबसे सुरक्षित शहर है, एक-दो घटनाओं के आधार पर मुंबई को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए.
ये सही है कि सैफ के घर में घुसकर उनपर कातिलाना हमला हुआ, ये बड़ी सुरक्षा चूक है, सरकार जवाबदेह है, लेकिन हमारे यहां राजनीति कितनी कमाल की है, ये भी देखने और समझने की जरूरत है. केजरीवाल के सामने दिल्ली का चुनाव है. उन्होंने मुंबई की घटना को दिल्ली से जोड़ दिया. ममता बनर्जी ने इसमें गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का कनेक्शन ढूंढ लिया. वारिस पठान ने इसे प्रधानमंत्री के मुंबई दौरे से जोड़ दिया और संजय राउत ने इस केस को शिवसेना की टूट से जोड़ कर देखा. इसलिए ऐसे बयानों को कोई गंभीरता से नहीं लेता. लेकिन देवेंद्र फडणवीस को जवाब तो देना होगा. जिस इलाके में कई फिल्मस्टार्स रहते हैं, वहां सुरक्षा में चूक तीन-तीन बार होगी, तो सवाल तो उठेंगे. उम्मीद करनी चाहिए कि कातिलाना हमला का सारा सच जल्द सामने आ जाएगा.
Saif attacker mystery : How he got in and how he escaped?
In a shocking incident at a penthouse atop a residential complex in Bandra, Mumbai, an intruder knifed actor Saif Ali Khan six times and then fled taking the staircase route. This incident has sent shockwaves across the Mumbai film industry and raised questions about whether our celebrities are really safe in Maximum City.
Saif Ali Khan underwent surgery in Lilavati Hospital, where surgeons removed the 3-inch top of the knife, close to the vertebrae in the mid-spine region, and doctors said, had the knife tip lodged a millimetre or so deeper, the wound could have been a major problem.
Saif, 54, is presently out of danger and has been shifted from ICU to his room on Friday. Meanwhile, Mumbai Police has caught a suspect from Bandra railway station, on the basis of cctv footage that showed the attacker going up and down the staircase.
Several questions arise. How did the intruder gain entry into the closely guarded complex?
The complex had four layers of security. At the main gate, security guards are deployed, but police says, the intruder scaled a wall. The second layer of security is near the lobby lift, which can open only on the basis of thumb impressions of residents. Police say, the intruder went to the 11th floor using the staircase.
The third layer of security is the glass door on each floor after the lift doors open. This glass door can open only on the basis of thumb impression or face recognition or by card.
For entry into the apartment, a camera and voice message system was placed at the main door, and the gate can be opened only by using a password lock.
There is no clear reply to the question: How did the intruder enter the apartment? Unless the questions are answered, the motive and intent of the intruder cannot be established. It was in Bandra locality that bullets were fired outside Salman Khan’s apartment, and in the same locality, NCP leader Baba Siddiqui was shot dead by an assassin.
Naturally, concerns arise, but it has also blowed up into a political issue. Shiv Sena (UBT), NCP(Sharad), AIMIM, TMC and Congress raised questions on law and order. West Bengal chief minister Mamata Banerjee said, Saif’s family was linked by marriage to Rabindranath Tagore’s clan after Nawab Mansoor Ali Khan Pataudi married actor Sharmila Tagore. She demanded early arrest of the attacker. Former Delhi CM Arvind Kejriwal made it an issue of national security. He said, the ‘double engine sarkaar’ of BJP in Maharashtra has failed and law and order has deteriorated both in Delhi and Mumbai.
Maharashtra Chief Minister Devendra Fadnavis said, Mumbai is the safest city in India and its police should not be defamed on the basis of one or two incidents. Fadnavis said, Mumbai Police would soon arrest the culprit.
It’s true that the murderous attack on a film star inside his residence was the result of a grave security lapse and the government is answerable, but one must understand our brand of politics.
Kejriwal is fighting Delhi assembly elections and he promptly latched Delhi with Mumbai on law and order issue. Mamata Banerjee found out Rabindranath Tagore family connections with the Pataudi family. AIMIM leader Waris Pathan linked the incident to the Prime Minister’s Sunday trip to Mumbai and Sanjay Raut linked this incident with the split in Shiv Sena.
Nobody takes the remarks of these leaders seriously. But Fadnavis will have to reply. If security lapse happens not once, but thrice, in a locality like Bandra, where top film stars reside, then questions will definitely arise. Let us hope the truth will soon come out.
Rahul’s ‘fight against Indian State’ : Real target is Modi
Congress leader Rahul Gandhi has done it again. Two of his gaffes on Wednesday embarrassed the country’s oldest political party. His first gaffe: Rahul said, “Congress is not only fighting BJP, RSS, it is also fighting the Indian State”. His second gaffe: RSS chief Mohan Bhagwat “has the audacity” to say that India did not get real freedom in 1947. Congress leaders were quick to defend Rahul by explaining the true definite of ‘Indian State’. By that time, the arrow had left the bow and BJP grabbed the opportunity with both hands.
BJP chief J. P. Nadda said, it is now clear that Rahul Gandhi has openly admitted that he hates India and that he openly supports anarchy, like the ‘Urban Naxals’. Union Minister Hardeep Singh Puri said: “How can he say, his party is fighting the Indian State? Either it’s derailment of his mental coordinates or it is the George Soros toolkit. But how can any Indian say that he is against the Indian State? I think the several times re-launched leader, young at the age of 54, needs to do some serious introspection.”
BJP leader Ravi Shankar Prasad said, “I pity Rahul Gandhi. He neither understands India, nor the Constitution. His tutors seem to be Maoists and Rahul is speaking the language of Maoists”.
The occasion was the inauguration of the new national headquarters of Indian National Congress. The party has now shifted from a government bungalow to a newly built building complex. Congress leaders clapped when Rahul spoke, but later several of them realized the gaffe and they started defending Rahul.
I think the sole intent of Rahul Gandhi’s remarks was to target Narendra Modi. He is unable to accept the fact that Modi has become the Prime Minister for the third time. During the last ten years, Rahul tried all the means at his disposal to defeat Modi.
Firstly, he tried to go solo, undertook padyatra, and then assembled all anti-Modi parties on a single platform. He launched video wars, but could not succeed. Rahul also instigated farmers, supported the ‘tukde-tukde’ gang, levelled corruption charges in Rafale deal, but he could not stop Modi from winning.
In the second round, Rahul took help on foreign soil from those running anti-India campaign, and tried to corner Dalit votes by raising his voice in support of Ambedkar, reservation and Constitution. Yet, Modi won again.
The reason why Rahul could not succeed is: he is unable to understand Modi thoroughly. Rahul is on his one-track spree, and he refuses to watch the direction in which Modi is moving. Rahul Gandhi is now convinced that Modi wins elections because he has the Election Commission and judiciary under his control and that Modi strikes fear among politicians by misusing ED. Rahul believes that the media is under Modi’s control. But he is badly mistaken. No single person or party can control all these institutions, forget occupying them and winning elections.
If Modi won elections, it was because of his zeal and toil. Modi toils round the clock in politics. He has the capability to toil for his party. Modi’s government has worked superbly in the last ten years. I need not recount them here. Modi himself narrates them in most of his speeches.
On the other hand, Rahul Gandhi and his associates are so deeply entrenched in their opposition to Modi that they are unwilling to listen to anything else. To quote a proverb, they are hunting for a black cat inside a dark room. The fact is: the black cat is not there inside the room.
राहुल के लिए State तो बहाना है, असल में मोदी निशाना है
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर गलती कर दी. एक बार फिर देश की सबसे पुरानी पार्टी को शर्मसार किया. बुधवार को राहुल ने कहा कि कांग्रेस की लड़ाई सिर्फ बीजेपी RSS से नहीं है, कांग्रेस की लड़ाई तो इंडियन स्टेट (भारत राज्य) से है. बाद में कांग्रेस के प्रवक्ता सफाई देने लगे. इंडियन स्टेट को अपने अपने तरीके से परिभाषित करने लगे. पर तीर कमान से निकल चुका था.
बीजेपी ने मौके को लपक लिया, राहुल के बयान को देशविरोधी बता दिया. बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा कि अब तो राहुल गांधी ने सरेआम साबित कर दिया है कि वो देश से नफरत करते हैं, अर्बन नक्सल की बात पहले दबी जुबान से होती थी, लेकिन अब तो राहुल गांधी ने बता दिया कि वो देश में अराजकता पैदा करना चाहते हैं.
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने राहुल को मानसिक तौर पर दिवालिया करार दिया. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल को न तो भारत की, न ही संविधान की कोई समझ है, उनके tutor भी माओवादी है, इसीलिए राहुल अब माओवादियों की भाषा बोल रहे हैं.
राहुल ने जिस मौके पर ये बयान दिया वो भी ऐतिहासिक था, 40 साल बाद कांग्रेस का मुख्य कार्यालय एक नई इमारत में शिफ्ट हुआ. जब राहुल ने इंडियन स्टेट से जंग की बात कही, तो कांग्रेस के नेताओं ने तालियां बजाईं, बाद में एहसास हुआ कि गड़बड़ हो गई. जब चारों तरफ से हमले हुए तो कांग्रेस के नेताओं ने राहुल गांधी का बचाव किया. के.सी. वेणुगोपाल, सचिन पायलट, गौरव गोगोई से लेकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी सबने कहा कि राहुल गांधी तो बीजेपी द्वारा सरकारी संस्थाओं पर कब्जे की बात कर रहे थे, चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे थे.
मुझे लगता है कि राहुल गांधी का मकसद सिर्फ और सिर्फ मोदी से लड़ना-झगड़ना है. वह इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं कि मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बन गए. पिछले 10 साल में राहुल गांधी ने मोदी को हराने के लिए सब कुछ करके देख लिया. कभी अकेले लड़े, कभी पैदल चले. कुछ नहीं हुआ. सारी मोदी विरोधी पार्टियों का मोर्चा बनाया, वीडियो वॉर लॉन्च की, पर मोदी को हरा नहीं पाए.
राहुल ने क्या कुछ नहीं किया. किसानों को भड़काया, टुकड़े-टुकड़े गैंग का साथ लिया. राफैल विमानों की खरीद को लेकर भ्रष्टाचार के इल्जाम लगाए लेकिन मोदी को नहीं रोक पाए. दूसरे राउंड में राहुल ने विदेशों में जाकर भारत-विरोधी मुहिम चलाने वालों का सहारा लिया. भारत में आरक्षण, संविधान और बाबा साहेब आंबेडकर की बात करके, दलित वोट हासिल करने का प्रयास किया. लेकिन इसके बावजूद मोदी चुनाव जीत गए.
इसकी वजह ये है कि राहुल मोदी को समझ ही नहीं पाए हैं. वो अपनी धुन में हैं, देख भी नहीं रहे कि मोदी किस दिशा में जा रहे हैं, राहुल गांधी को पक्का यकीन है कि मोदी चुनाव इसीलिए जीतते हैं क्योंकि मोदी का न्यायपालिका पर नियंत्रण है, चुनाव आयोग उनके हाथ में है, मोदी ED का इस्तेमाल कर नेताओं को डराते हैं. राहुल मानते हैं मीडिया मोदी के कब्जे में है. पर ये राहुल की बहुत बड़ी गलतफहमी है.
इन सारे संस्थानों पर न कोई कब्जा कर सकता है और न कब्जा करने से कोई चुनाव जीत सकता है. मोदी ने अगर चुनाव जीते तो इसके पीछे मोदी की मेहनत है, राजनीति के लिए 24 घंटे अपने आप को खपाने की ताकत है. मोदी ने पिछले 10 साल में जबरदस्त काम किया है, मुझे वो बताने की जरूरत नहीं है. प्रधानमंत्री अपने हर भाषण में अपने काम गिनाते हैं, पर राहुल गांधी और उनके साथी मोदी विरोध में इतने खोए हुए हैं कि वो कुछ भी सुनने-समझने को तैयार नहीं हैं. वे तो एक अंधेरे, काले कमरे में एक काली बिल्ली को ढूंढ रहे हैं, जबकि बिल्ली उस कमरे में है ही नहीं.
महाकुंभ : एक चमत्कार, अविश्वसनीय, अकल्पनीय
मकर संक्रांति के दिन प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर शाम तक साढ़े 3 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके थे. वैसे तो दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ की शुरूवात सोमवार को ही हो गई थी, लेकिन मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर अमृत स्नान के साथ प्रयागराज में महाकुंभ की असली रौनक दिखाई दी. इसकी तस्वीरें देख कर आप चौंक जाएँगे. इतनी बड़ी तादाद में लोग कुंभ क्षेत्र में पहुंचे, संगम में डुबकी लगाई लेकिन कहीं भी, किसी को, किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई, कोई शिकायत करने वाला नहीं मिला. ये दुनिया वालों के लिए अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय है.
सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात ये है कि कुछ ही घंटों के दौरान संगम में जितने लोगों ने स्नान किया, वह दुनिया के 52 देशों की पूरी आबादी से ज्यादा है. दुनिया की बड़े विश्वविद्यालयों और मैनेजमेंट संस्थानों के लोग सिर्फ ये जानने समझने के लिए प्रयागराज पहुंचे हैं कि इतनी बड़ी संख्या के लिए इंतजाम कैसे किए जाते हैं, भीड़ को संभालने का प्रबंध कैसे किया जाता है. कुंभ पैंतालीस दिनों तक चलने वाला है. अगले डेढ़ महीने तक लोग इसी तरह प्रयागराज पहुंचते रहेंगे. आगे जो दो अमृत स्नान और होने हैं, उनमें और ज्यादा भीड़ होगी. 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन संगम में डुबकी लगाने वालों की संख्या छह करोड़ तक पहुंच सकती है.
पूर्ण महाकुंभ का पहला अमृत स्नान हुआ. जैसे ही सूर्यदेव का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश हुआ, जैसे ही सूर्य भगवान उत्तरायण हुए, मकर संक्राति की बेला में, ब्राह्ममहूर्त में, संगम के तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. परंपरा के मुताबिक, सबसे पहले सभी 13 अखाड़ों के साधु-संतों, आचार्य, महामंडलेश्वर, नागा साधुओं, अघोरियों और महिला साधुओं ने स्नान किया. उसके बाद साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा भक्तों ने संगम में स्नान, ध्यान और पूजा-अर्चना की.
सबसे पहले श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साधु-संतों ने अपनी छावनी से संगम की तरफ जुलूस निकाला. उसके पीछे-पीछे श्री शम्भू पंचायती अटल अखाड़े का जुलूस था. इन अखाड़ों में सबसे आगे हाथों में तलवार, भाला, त्रिशूल और गदा लिए नागा साधू चल रहे थे. उनके पीछे अखाड़े के आचार्य और पीठाधीश्वर अपने रथ पर सवार थे.
सनातन परंपरा और शास्त्रों में वैसे तो कुल 13 अखाड़े हैं लेकिन महाकुंभ में लोगों के बीच सबसे ज्यादा उत्सुकता जूना अखाड़ा और निरंजनी अखाड़े के नागाओं को देखने की होती है. मंगलवार को जब महानिर्वाणी और अटल अखाड़े के बाद निरंजनी और जूना अखाड़े के नागा जब संगम की तरफ बढ़े, तो वहां मौजूद पुलिस फोर्स ने साधु-संतों के चारों तरफ सुरक्षा घेरा कड़ा कर दिया. जूना अखाड़े के हज़ारों नागा साधू हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए संगम की तरफ बढ़े और अखाड़े के आचार्य, पीठाधीश्वर, महामंडलेश्वर और दूसरे बड़े संतों के साथ स्नान किया.
साढ़े तीन करोड़ लोग एक जगह इक्कठे हों, बिना किसी भगदड़ या धक्कामुक्की के स्नान करें, कहीं कोई गड़बड़ी न हो, किसी तरह की असुविधा न हो और सब खुशी खुशी वापस चले जाएं, ये दुनियाभर के लिए हैरानी की बात है. इसकी व्यवस्था करना कोई आसान नहीं होता. इतनी बड़ी संख्या को नियंत्रित करना, उनके लिए सारी व्यवस्थाएं करना बहुत बड़ी चुनौती होती है. लेकिन योगी आदित्यनाथ ने इस चुनौती को बड़ी सरलता से पूरा किया. महाकुंभ में ढ़ाई सौ से ज्यादा IAS, PCS अफसरों को लगाया गया. यूपी पुलिस के महानिदेशक और सरकार के प्रमुख सचिव खुद सारे इंतजामात को मॉनीटर कर रहे थे. दस हजार हैक्टेयर में फैले कुंभ क्षेत्र को 25 से ज्यादा सैक्टर्स में बांटा गया है. अखाड़ों के स्नान के लिए अलग घाट बनाए गए. सभी अखाड़ों के साधुओं के लिए घाट तक आने जाने के अलग अलग रूट तय़ किए गए. अलग अलग दिशाओं से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अलग रास्ते बनाए गए.
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया के 52 देशों की आबादी साढ़े तीन करोड़ से कम है. यानि इतने देशों की जनसंख्या से ज्यादा लोगों ने प्रयागराज में बारह घंटे के दौरान पवित्र डुबकी लगाई.
करीब चालीस देशों के लोग भी छोटे छोटे जत्थों में प्रयागराज पहुंचे हैं. विदेशी भक्तों ने भी महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाई. ये लोग सनातनी नहीं है, हमारी भाषा नहीं समझते, हमारी संस्कृति को नहीं जानते. लेकिन महाकुंभ में आकर विदेशी भी सनातन के रंग में पूरी तरह डूबे दिखाई दिए.
साढ़े तीन करोड़ की भीड़ को मैनेज करना हंसी खेल नहीं हैं. हालांकि कुछ लोग कह सकते हैं कि टैक्नोलॉजी की मदद से, AI का इस्तेमाल करके, पुलिस फोर्स लगाकर भीड़ को कन्ट्रोल किया गया. लेकिन मुझे लगता है कि करोड़ों की भीड़ सिर्फ टैक्नोलॉजी के जरिए कन्ट्रोल नहीं की जा सकती. इसके लिए सटीक प्लानिंग, मानव संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल, भक्तों की संख्या का सही अनुमान, उनकी जरूरतों के हिसाब से इंतजाम, आपात स्थितियों का सही आकलन और सबसे महत्वपूर्ण दृढ़ इच्छाशक्ति जरूरी है.
योगी आदित्यनाथ ने अपनी संकल्पशक्ति के साथ यही किया. दो साल पहले से महाकुंभ की तैयारी शुरू की, बार बार प्रयागराज के दौरे किए, एक-एक चीज पर खुद नजर रखी, सबसे काबिल अफसरों को प्रयागराज में तैनात किया, सारी छोटी-बड़ी व्यवस्थाओं को खुद देखा, प्रॉपर प्लानिंग की, इसलिए पहला अमृत स्नान बिना किसी बाधा के सकुशल संपूर्ण हुआ.
इसका श्रेय योगी आदित्यनाथ की सरकार के साथ साथ उनके अफसर, सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी, वालेंटियर्स और सफाई कर्मचारियों को भी मिलना चाहिए. हालांकि अभी उनकी जिम्मेदारी खत्म नहीं हुई है. अभी महाकुंभ डेढ़ महीने तक चलना है. इसलिए प्रार्थना करनी चाहिए कि सब कुछ अच्छा रहे और महाकुंभ में आने वाले सभी श्रद्धालु गंगा स्नान करके सनातन का जयकारा लगाते हुए सकुशल अपने घर वापस जाएं.
Maha Kumbh : Incredible, Unimaginable, Unique
At the planet’s biggest religious congregation in Prayagraj, more than 3.5 crore pilgrims and ascetics had taken a holy dip at the Triveni confluence of Ganga, Yamuna and mythical Saraswati by Tuesday evening. Never before in world history had such a humungous multitude of pilgrims congregated at one place to offer religious prayers. For the rest of the world, this was incredible, unimaginable and unique.
The number of pilgrims who took a holy dip on Makar Sankranti can equal the population of several countries. Experts from big universities and management institutes have reached Prayagraj to study the complex nature of crowd management made for the event to pass off smoothly, without a hitch. Purna Maha Kumbh will continue for 45 days in Prayagraj and there are two more big ‘Amrit Snans’ pending, when more crowds will congregate. By January 29 (Mauni Amavasya), the number may cross six crore.
If one adds the population of 52 countries, it will touch 3.5 crore. The number of pilgrims who took a holy dip on Tuesday was more than this figure. Managing a huge crowd of 3.5 crore is not a matter of joke. Adequate police force was deployed to control crowd movement. I personally feel that one cannot control such a humungous crowd only with the help of technology. It needs careful planning, better use of human resources, correct calculation about number of expected pilgrims, arrangements according to needs, correct analysis about emergency situations, and last, but not the least, strong will power. UP Chief Minister Yogi Adityanath did this because of his strong determination and will power.
The arrangements for Kumbh Mela had begun two years ago. Yogi personally visited Prayagraj frequently, kept a personal and close watch on each and every requirement, posted his most capable officers at the venue, did proper planning, and the result was : the first ‘Amrit Snan’ on Tuesday passed off peacefully without a hitch. The credit for this goes to Yogi Adityanath’s government, his officers, police personnel, volunteers and ‘safai karmacharis’. The work is not yet over. More than a month and half are left, and one prays that everything passes off peacefully.
For the pilgrims and ascetics, it was an experience of a lifetime. The heady atmosphere at the dawn of Makar Sankranti in Prayagraj, with hundreds of Naga sadhus walking with swords, spears, tridents and maces in their hand, followed by their ‘akhada’ chiefs and ‘Pithadheeswaras’, was a sight to see. Helicopters were arranged to sprinkle flowers on the ascetics.
मोदी पर क्यों फिदा हुए उमर अब्दुल्ला ?
सोमवार को जिस अंदाज में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प3धानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की, वह राहुल गांधी को बिल्कुल पसंद नहीं आएगा. उमर अब्दुल्ला की पार्टी नैशनल कांफ्रेंस अभी भी INDIA गठबंधन में है, हालांकि विरोधी दलों के कई नेता कह रहे हैं कि ये गठबंधन सिर्फ और सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था.
मौका था, सोनमर्ग तक 8,500 फीट की ऊंचाई पर जुड़ने वाली 6.5 किलोमीटर लंबी टनल का उद्घाटन, जिसमें उमर अब्दुल्ला मोदी के स्वागत में भाषण दे रहे थे. गांदरबल में हुई रैली में उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री की जमकर तारीफ की. उमर ने कहा ने कश्मीर के साथ मोदी का पुराना नाता है, मोदी ने जम्मू कश्मीर के लोगों से जो भी वादे किए, उन्हें पूरा किया. मोदी ने पिछले साल जून में कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का वादा किया था, और 4 महीने के अंदर चुनाव करा दिया. ये चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हुआ और इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं हुआ. अब प्रधानमंत्री अपना तीसरा वादा जल्द पूरा करें, वो है, जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस देने का वादा.
जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हर काम का एक वक़्त होता है और सही समय पर ये वादा भी पूरा करेंगे. मोदी ने कहा कि जम्मू कश्मीर विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है, ये मिलकर काम करने का नतीजा है. जम्मू में रेलवे डिवीज़न बन गया, सोनमर्ग टनल बन गई, ज़ोज़ीला टनल का काम तेजी से चल रहा है, चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे सबसे ऊंचा पुल बन गया. कश्मीर में स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, सिनेमा हॉल, होटल और स्टेडियम बन रहे हैं, कश्मीर की आबोहवा में रौनक फिर लौट रही है. मोदी ने कहा कि उन्होंने जो वादा किय़ा वो पूरा हुआ, जिस परियोजना का शिलान्यास किया, उसका उद्घाटन भी किया.
मोदी ने कहा कि कश्मीर में बदलाव का श्रेय कश्मीर को लोगों को मिलना चाहिए क्योंकि कश्मीर की जनता ने आतंकवाद को ख़ारिज किया और लोकतंत्र का साथ दिया. मोदी ने कहा कि कश्मीर भारत का ताज है और वो चाहते हैं कि ये मुकुट और चमके.
उमर अब्दुल्ला ने जो कहा, वह शतप्रतिशत सही है. पिछले पांच साल में जम्मू कश्मीर के हालात तेजी से बदले हैं. कश्मीर में 40 साल बाद लोगों ने मल्टीप्लैक्स में जाकर फिल्म देखी, अस्पताल बने, गांव-गांव तक सड़के पहुंची, स्कूलों में स्मार्ट क्लासेज बनी, कनैक्टिविटी के लिए हाईवै बन रहे हैं, टनल्स बन रही है, आम लोगों के जीवन पर इन सबका सीधा असर होता है, सिस्टम के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ता है. इसीलिए इस बार के चुनाव में जम्मू कश्मीर के लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया, रिकॉर्ड वोटिंग हुई.
उमर अब्दुल्ला की सरकार केन्द्र सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है. इसका असर ज़मीन पर दिख रहा है. वैसे जम्मू कश्मीर भी दिल्ली की तरह केन्द्र शासित प्रदेश है. उमर अब्दुल्ला को भी उतने ही अधिकार है जितने दिल्ली के सीएम के पास. लेकिन अरविंद केजरीवाल दस साल से मोदी को सिर्फ गाली दे रहे हैं. LG ने भी केजरीवाल के काम अटकाये. इस टकराव का खामियाजा दिल्ली वालों को भुगतना पड़ा.
Why Omar Abdullah praised Modi ?
The effusive praise lavished on Prime Minister Narendra Modi by Jammu & Kashmir Chief Minister Omar Abdullah at the opening of Sonamarg Z-Morh tunnel on Monday may not sound sweet to Rahul Gandhi’s ears, given the fact that Omar Abdullah and his party National Conference are still part of Congress-led INDIA alliance.
Omar Abdullah said, “On International Yoga Day event in Srinagar last year, Modi had promised to bridge the gap between dil (heart) and Dilli (Delhi), and he has proved it. The trust of the people of Kashmir in Modi has increased because he has kept his words … You fulfilled your promise of holding assembly elections, and there were free and fair elections in Kashmir, without any interference…The people are asking me when would Jammu & Kashmir get back its statehood. My heart is saying that very soon you will fulfil your third promise on statehood.”
Responding to Omar’s remarks, Prime Minister Modi said, “Yeh Modi hai, Waada karta hai toh nibhaata hai. Har kaam ka ek samay hai, aur sahi samay par sahi kaam hone wale hain. (Modi always keeps his promises. There’s a time for everything, and right things will happen at the right time)”.
Modi said, Jammu & Kashmir is marching towards progress. A new railway division has been created for Jammu, the Sonamarg tunnel is ready, work on Zozila tunnel is progressing fast, and the world’s tallest bridge over river Chenab is ready. Schools, colleges, hospitals, theatres, hotels and stadiums are functioning in the Valley, and the air of joy has returned to the Valley. The credit goes to the people of Kashmir who rejected terrorism and supported democracy. Kashmir is the crown of India and we want the crown should shine bright.”
The entire project is 12 km long and will be completed at a cost of Rs 2700 crore. A parallel tunnel and 7.5 metre wide exit road has been built in cases of emergency. This tunnel is part of the all-weather connectivity project that links Srinagar to Leh in Ladakh. The distance between Srinagar and Leh will be reduced from 49 km to 43 km. Tourists can access Sonamarg round the year for winter sports.
What the J&K chief minister said in the presence of Prime Minister Modi was 100 per cent correct. The situation in J&K has changed fast in the last five years. After a gap of nearly 40 years, people are going to multiplexes to watch films. Hospitals, rural roads have been built. Smart classes have begun in schools. This has changed the life of the average citizen. The commoner in the Valley has regained his trust in the system. Voters took part in the recent Lok Sabha and assembly polls in large numbers. There was record voting at several polling stations.
Omar Abdullah’s government is working in tandem with the Centre and this has shown good results on the ground. Like Delhi, J&K is a Union Territory. Omar Abdullah has the same powers as Chief Minister like Arvind Kejriwal. For ten years, Kejriwal spent much of his time blaming the Centre and Prime Minister Modi. The Lt. Governor also stopped several schemes initiated by Kejriwal, but the ultimate losers were the people of Delhi.
लालू नीतीश को गले लगाने के लिये इतने उतावले क्यों हैं ?
लालू यादव बहुत दिनों के बाद बोले. थोड़ा बोले. लेकिन उनके एक बयान ने बिहार की राजनीति में सबको कन्फ्यूज़ कर दिया. लालू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए उनके दरवाजे खुले हैं, नीतीश कुमार को भी अपने दरवाजे खुले रखने चाहिए. लालू ने कहा कि उन्होंने नीतीश के सारे गुनाह माफ कर दिए हैं, पुरानी बातों को पीछे छोड़ दिय़ा है, अब नीतीश अगर साथ आते हैं, तो उनके साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं है.
लालू के इस बयान ने सबको चौंका दिया क्योंकि दो दिन पहले ही तेजस्वी यादव ने कहा था कि नीतीश के साथ अब समझौते की कोई गुंजाइश नहीं हैं, उनके लिए RJD के दरवाजे बंद है. लेकिन लालू यादव ने बिल्कुल उल्टी बात कह दी. इसीलिए बिहार की राजनीति में हलचल हुई. हालांकि JDU के नेताओं ने लालू यादव की बात को शिगूफा कहकर खारिज कर दिया लेकिन नीतीश कुमार ने कुछ नहीं कहा. सिर्फ मुस्कुरा कर निकल गए. नीतीश की चुप्पी ने अटकलों को और हवा दे दी. अब RJD, JD-U, BJP और कांग्रेस, सभी पार्टियों के नेता कन्फ्यूज़्ड हैं. किसी की समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर चल क्या रहा है? लालू और नीतीश कुमार के दिल में क्या है? RJD और JD-U की रणनीति क्या है?
गुरुवार को तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार एक दूसरे से पटना राज भवन में मिले. मौका था, नये राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के शपथ समारोह का. नीतीश ने तेजस्वी की पीठ थपथाई. इस तस्वीर ने आग में घी का काम किया. अब सवाल ये है कि क्या लालू का बयान RJD का स्टैंड है या फिर तेजस्वी की बात सही है? या लालू और तेजस्वी के विरोधाभासी बयान नीतीश कुमार को घेरने का मिलाजुला खेल है?
लालू यादव ने नीतीश को दोस्ती का न्योता चलते-फिरते हल्के-फुल्के अंदाज़ में नहीं दिया. बाकायदा इंटरव्यू अरेंज किया. गाड़ी में बैठकर इत्मीनान से पूरी बात कही. साफ-साफ लफ्ज़ों में कही. इसलिए ये तो तय है कि लालू ने जो कहा वो सोच-समझ कर कहा. उनके बयान से कन्फ्यूजन इसलिए हुआ क्योंकि तेजस्वी यादव लगातार कह रहे हैं कि नीतीश के साथ दोबारा दोस्ती का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. तीन दिन पहले तेजस्वी यादव ने सीतामढ़ी में साफ कहा था कि नीतीश कुमार के साथ सरकार चलाना अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है. नीतीश के लिए RJD के दरवाजे पूरी तरह बंद हैं, महागठबंधन में उनकी एंट्री बिल्कुल भी नहीं हो सकती. तेजस्वी ने बुधवार को फिर कहा कि बिहार से नीतीश की विदाई अब तय है, पुराने बीज बार-बार डालने से खेत की पैदावार कम हो जाती है, नीतीश कुमार को बीस साल हो गए, इसलिए बिहार में अब नए बीज की जरूरत है.
राज भवन में जब नीतीश कुमार से लालू यादव के बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो नीतीश ने कुछ कहा नहीं. सिर्फ हैरानी जताई और मुस्कुराकर चले गए. JD-U के नेता केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि “लालू यादव ने क्या कहा, क्यों कहा, ये वही जानें. रही बात नीतीश कुमार के कहीं और आने-जाने की, तो ये फिजूल की बात है”. बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की जो हालत हुई उसके बाद लालू यादव घबरा गए हैं, इसलिए वो ऐसी बातें कह रहे हैं, नीतीश यादव लालू को अच्छी तरह जानते हैं, वो ऐसी बातों में आने वाले नहीं हैं.
मजे की बात ये है कि लालू के बयान से कांग्रेस उत्साहित है. बिहार में कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने नीतीश कुमार की तारीफ की. कहा, नीतीश कुमार विचार से गांधीवादी हैं, लेकिन गोडसेवादियों के साथ हैं, साथ बदल सकता है, लेकिन विचार तो नहीं बदलते. शकील अहमद खान ने कहा कि नीतीश कुमार को लेकर लालू यादव ने अगर कुछ कहा है तो उसका मतलब है, कौन जाने भविष्य में क्या होगा? शाम को तेजस्वी सामने आए. तेजस्वी ने कहा कि लालू जी ने जो कह दिया, उसका कोई मतलब नहीं निकालना चाहिए.
लालू यादव ने जो कहा वो पूरी तरह planned था, सोच-समझकर छोड़ा गया शिगूफा था. लालू अपने जीते जी तेजस्वी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं. वह जानते हैं कि बिहार में जातियों के वोट किस तरह बंटे हुए हैं, वह ये भी जानते हैं कि तेजस्वी केवल कांग्रेस और दूसरी पार्टियों के भरोसे बहुमत हासिल नहीं कर सकते. आज नीतीश के पास जिस तरह का गठबंधन है, उसमें नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर आसानी से जीत सकते हैं. फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं. हालांकि तेजस्वी को भरोसा है कि नीतीश कुमार थके हुए, पुराने हो चुके हैं. तेजस्वी को इसमें अवसर दिखाई देता है. वह अपने दिलोदिमाग में बिलकुल साफ हैं कि अब नीतीश चाचा के साथ नहीं जाएंगे.
नीतीश भी कह चुके हैं कि दो बार गलती हो गई, अब कहीं नहीं जाएंगे. बीजेपी ऐलान कर चुकी है कि नीतीश को फिर से सीएम बनाने में उसे कोई समस्या नहीं है लेकिन फिर भी लालू यादव ने ये सियासी शरारत क्यों की?
लालू राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं. कन्फ्यूज़न क्रिएट करने के मास्टर हैं. नीतीश का आने-जाने का रिकॉर्ड खराब है. लालू ने इसी का फायदा उठाने के चक्कर में ये बयानबाजी की. लेकिन इसका नुकसान ये हो गया कि पहली बार RJD में लालू और तेजस्वी एक दूसरे की बात को काटते हुए दिखाई दिए. एक दूसरे से असहमत दिखाई दिए. अब कन्फ़्यूज़न आरजेडी में है.
Why is Lalu eager to open doors for Nitish again?
Rashtriya Janata Dal patriarch Lalu Prasad Yadav spoke in public on Thursday after a long time, but his comments were loaded with political meanings, confusing all in Bihar.
Lalu Yadav said, “our doors are open for Nitish Kumar…I have forgiven all his past sins and have left old issues behind. If Nitish comes forward, we have no problem in working with him”.
Lalu’s offer was carefully planned. He said this in an interview and spoke inside a car with ease. His words were clear. The confusion was created because his son Tejashwi Yadav had been consistently saying there was no chance of any alliance with Nitish anymore.
Three days ago, Tejashwi Yadav had said in Sitamarhi that running a government with Nitish Kumar would be like striking one’s own foot with an axe. Tejashwi said, “the doors of RJD are closed for Nitish, and there is no question of his party’s entry” into RJD-led Mahagathbandhan in Bihar. On Wednesday, Tejashwi said, “Nitish’s exit from power is final…He has ruled Bihar for 20 years and Bihar requires new seeds..If you sow the same old seeds continuously, the soil will get ruined.”
But Lalu Yadav spoke differently and his remarks created ripples in Bihar politics. Nitish’s Janata Dal(U) leaders described Lalu’s remarks as useless and speculative, while Nitish Kumar laughed off Lalu’s suggestions.
At Patna Raj Bhavan, after the new Governor Arif Mohammed Khan’s swearing-in ceremony, Nitish put his hand on Tejashwi’s shoulder, patted his back and spoke to him for a minute. When reporters asked Nitish about Lalu’s remarks, the Chief Minister laughed and walked away with a quip, “What are you saying?”.
Bihar JD(U) minister Vijay Chaudhary said, “there is no confusion in our party over this, and the confusion is in RJD. This is why Lalu and his son are speaking in two different tones. It is clear Lalu Yadav is going to lose again in Bihar and he is worried. That’s why he is inviting Nitish Kumar, but his remark means nothing.” BJP leader and Deputy CM Samrat Chaudhary said, “Lalu Yadav seems to be worried because his Mahagathbandhan got a severe beating in Lok Sabha polls…Nitish Kumar knows Lalu well and he is not going to react to his offer.”
Congress leaders appeared to be enthusiastic. Congress legislative party leader Shakeel Ahmed Khan praised Nitish Kumar as a “Gandhian who is working with Godse supporters… If Lalu has offered something to Nitish Kumar then there must be some meaning behind it.” In the evening, Tejashwi Yadav again appeared before reporters to say that “no inference should be drawn from Lalu Ji’s remarks.”
The fact is, whatever Lalu Yadav said was perfectly planned. It was a trial balloon sent to test the direction of the wind. Lalu’s dream is to see his son Tejashwi as CM during his lifetime. But a master strategist like Lalu knows, caste votes are now fully divided in Bihar. Lalu knows Tejashwi cannot get a majority in this year’s assembly elections by relying on Congress and other smaller parties.
On the other hand, Nitish Kumar is leading a big alliance with BJP and he can win the assembly elections hands down to become the CM again. But Tejashwi feels, Nitish Kumar, because of old age, is now tired and this is a golden opportunity for him to come to power. Tejashwi is quite clear in his mind that he would not be joining hands with “Nitish Chacha”.
On his part, Nitish Kumar has also said that he had committed mistakes twice in the past (in joining hands with RJD), and he would not do so for the third time. BJP has already announced that it has no problem with accepting Nitish as chief minister again.
Then why this politically mischievous statement from Lalu? The old warhorse is a clever player in politics. He is a master in creating confusions. Nitish’s record of crossing over to the other camp is already bad. That’s why Lalu made this remark with a view to get some political gain. But the fallout took place in his own party, RJD, this time. For the first time, both father and son appeared to be towing two different lines. Both appear to disagree on the issue of joining hands with Nitish. The confusion is clearly in the RJD.