भारत, रूस और चीन समेत SCO के सभी देशों ने एक सुर में कहा कि अब दुनिया में किसी की दादागिरी नहीं चलेगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि दुनिया आपसी सहयोग से ही चलेगी लेकिन अगर कोई विश्व व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश करेगा, बिजनेस चेन को तोड़ कर धौंसपट्टी जमाएगा, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
किसी ने अमेरिका का नाम नहीं लिया. ट्रंप के टैरिफ का जिक्र नहीं किया लेकिन जाहिर है, सबका इशारा अमेरिका और ट्रंप के टैरिफ की तरफ ही था. SCO शिखर बैठक में पुतिन और शी जिंगपिंग के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जो केमिस्ट्री दिखी, उसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है.
रूस के विदेश मंत्रालय ने तीनों नेताओं की तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा “picture of the day”, पुतिन पूरी गर्मजोशी के साथ मोदी को SCO समिट की ग्रुप फोटो के लिए बने मंच तक ले गए. इसके बाद मोदी से अपनी कार में साथ चलने का अनुरोध किया, गेट पर मोदी के लिए दस मिनट तक इंतजार किया. शी जिनपिंग ने भी मोदी को हाथों हाथ लिया, आंतकवाद के मुद्दे पर भारत के रुख का समर्थन किया, मौजूदा उथल पुथल के दौर में भारत चीन और रूस की दोस्ती को “वर्ल्ड ऑर्डर का बैलेंसिंग फैक्टर बताया”.
पाकिस्तान भी SCO का सदस्य है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मौजदूगी में SCO के सभी देशों ने पहलगाम हमले की निंदा की. मोदी ने पुरज़ोर तरीके से कहा कि सीमा पार से आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और शहबाज शरीफ चुपचाप बैठे सुनते रहे.
SCO शिखर बैठक के दौरान पुतिन और शी जिनपिंग समेत सभी देशों के नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को रिसीव करने पहुंचे लेकिन शहबाज शरीफ एक कोने में खड़े सबको देखते रहे. शहबाज शरीफ की बेइज्जती की चर्चा पाकिस्तान में खूब हो रही है.
जब त्येनजिन में प्रधानमंत्री मोदी SCO शिखर बैठक में पहुंचे, उस वक्त तक ज्यादातर राष्ट्रप्रमुख वहां पहुंच चुके थे. सबसे पहले पुतिन ने मोदी को रिसीव किया, पुतिन ने मोदी से हाथ मिलाया, गर्मजोशी से गले मिले, इसके बाद कॉरीडोर में दोनों नेता गुफ्तगू करते हुए अंदर तक गए. इस दौरान पुतिन और मोदी ने बेलारुस और टर्की के राष्ट्रपति समेत कई नेताओं से अभिवादन किया. शी जिनपिंग के साथ खड़े होकर अनौपचारिक बात भी हुई लेकिन किसी ने पाकिस्तान के वज़ीर-ए-आज़म शहबाज़ शऱीफ की तरफ देखा तक नहीं. शहबाज शरीफ एक कोने में खड़े थे लेकिन न मोदी ने, न पुतिन ने और न शी जिंगपिंग ने शहबाज़ शरीफ़ को कोई भाव दिया.
शिखर बैठक के दौरान शहबाज़ शरीफ़ कई मौक़ों पर मोदी के सामने पड़े लेकिन प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के वज़ीर-ए-आज़म की तरफ देखा तक नहीं. बड़ी बात ये है कि SCO बैठक का जो साझा बयान जारी हुआ, उसमें 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की गई. ये साझा बयान पाकिस्तान के वज़ीर-ए-आज़म शहबाज़ शरीफ़ की मौजूदगी में जारी हुआ. पाकिस्तान ने भी इस पर दस्तख़त किए हैं.
भारत, चीन, रूस, तुर्की, ईरान, उज़्बेकिस्तान, कज़ाख़िस्तान, बेलारुस और ईरान समेत 10 देशों ने पहलगाम हमले को इंसानियत पर हमला बताया. इस हमले की साज़िश करने वालों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की. SCO के साझा बयान में दहशतगर्दों को पालने पोसने वालों, उनकी मदद करने वालों के ख़िलाफ़ भी कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई.
आतंकवाद के सवाल पर प्रधानमंत्री मोदी ने जो कहा, वो पाकिस्तान के गाल पर तमाचा है. SCO के साझा बयान में आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की गई. ये आसिम मुनीर को करारा जवाब है. इसी साल जून में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साझा बयान पर इसीलिए दस्तखत नहीं किया था, क्योंकि उसमें आतंकवाद का जिक्र नहीं था. नरेंद्र मोदी की diplomacy ने बाज़ी पलट दी. शी जिनपिंग के सामने कहा, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के मुंह पर कहा, दुनिया के 20 नेताओं को बताया कि पहलगाम का आतंकी हमला इंसानियत के नाम पर कलंक है, जो देश आतंकवाद को पालते पोसते हैं, उनके खिलाफ action कितना जरूरी है.
मोदी ने बिना कहे चीन को याद दिलाया कि वो आतंकवाद की factory को माल सप्लाई करता है, चीन को इस बात का एहसास कराया कि आतंकवाद पर भारत का stand न बदला है, ना बदलेगा. चीन को भी इस बात का एहसास है कि कैसे पाकिस्तान चीन को छोड़कर अमेरिका की गोद में बैठ गया, ट्रंप को Nobel peace prize के लिए recommend करने में आसिम मुनीर ने जरा भी शर्म नहीं की. अब चीन ये बताना चाहता है कि उसके लिए भारत पाकिस्तान के मुकाबले कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है, इसीलिए तस्वीरों में साफ दिखाई दिया कि शी जिनपिंग ने कैसे शहबाज शरीफ को ignore किया और मोदी का दोस्त की तरह स्वागत किया.
SCO शिखर सम्मेलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति की ऐतिहासिक सफलता है. जो लोग कह रहे थे कि भारत की विदेश नीति असफल हो गई, उनको मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की दोस्ती देखकर धक्का लगा होगा.
जो लोग कहते थे कि मोदी चीन से डरते हैं, उन्होंने देखा होगा, कैसे मोदी ने आंख में आंख डालकर पाकिस्तान के आतंकवाद की निंदा की, वो भी चीन की सरज़मीं पर.
जो लोग मोदी को कूटनीति का पाठ पढ़ा रहे थे, उन्होंने देखा होगा कि पुतिन ने कैसे अपनी कार में बैठकर मोदी का इंतजार किया, दोनों नेताओं ने 50 मिनट तक अकेले में गाड़ी में बैठकर बात की. पुतिन के कूटनीतिक संबंधों में ऐसा दूसरा उदाहरण देखने को नहीं मिलता.
जो लोग कह रहे थे ‘नरेंदर सरेंडर’, उनको आज दिल्ली में अमेरिकी दूतावास द्वारा जारी बयान पढ़कर सांप सूंघ गया होगा. आज अमेरिका को याद आ गया कि भारत और अमेरिका के रिश्ते कितने गहरे हैं और दोनों की दोस्ती कैसे नई ऊंचाइयां छू रही है.
जो लोग इस बात पर नाच रहे थे कि ट्रंप ने tariff लगा दिया, मोदी के लिए संकट खड़ा कर दिया, आज उनको इस बात पर मिर्ची लगेगी कि मोदी ने पुतिन और शी जिनपिंग के साथ मिलकर World Order का balance बनाकर ट्रंप को चौंका दिया.
जो लोग मोदी की विदेश नीति की आलोचना कर रहे थे, असल में वो भारत को नीचा दिखाने का प्रयास कर रहे थे.
जब मामला विदेश नीति का हो, जब मामला अमेरिका और चीन से मुकाबले का हो, तो सबको देश के साथ खड़ा होना चाहिए. प्रधानमंत्री कोई भी हो, सरकार किसी भी पार्टी की हो, राष्ट्रहित सर्वोपरि रहना ही चाहिए.
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