आज मैं नेपाल की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के सात जिलों और बांग्लादेश की सीमा से लगे असम के चार जिलों में दिख रही कुछ चिंताजनक प्रवृत्तियों के बारे में बताऊंगा। यूपी और असम पुलिस द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को 2 दिन पहले भेजी गई इस संवेदनशील रिपोर्ट के मुताबिक कई चौंकाने वाली चीजें सामने आई हैं। इन सीमावर्ती जिलों में हुआ डेमोग्राफिक चेंज परेशान करने वाला है।
यूपी पुलिस के मुताबिक, 7 सीमावर्ती जिलों, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, श्रावस्ती, सिद्धार्थ नगर, महाराजगंज, बलरामपुर और बहराइच में पिछले 10 सालों के दौरान मुस्लिम आबादी में 32 फीसदी का इजाफा हुआ है। इन जिलों में मस्जिदों और मदरसों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। ग्राउंड रिपोर्ट में इन जिलों के एक हजार से भी ज्यादा गांवों के आंकड़े जुटाए गए हैं। इन 7 जिलों के 116 गांवों में मुस्लिम आबादी 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ी है, जबकि सीमावर्ती इलाकों के करीब 303 गांव ऐसे हैं जहां पिछले 10 सालों में मुस्लिम आबादी में 30 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। इन जिलों में मस्जिदों की संख्या में भी करीब 25 फीसदी बढ़ी है।
बांग्लादेश से लगते असम के धुबरी, करीमगंज, दक्षिण सलमारा और कछार जिलों में मुसलमानों की आबादी में 30 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हो गया है। यह बात भी सामने आई है कि सिर्फ यूपी और असम ही नहीं, पाकिस्तान की सीमा से लगे राजस्थान और चीन की सीमा से लगे उत्तरखंड के कई जिलों में भी मस्जिदों और मदरसों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
मुसलमानों की अचानक बढ़ी आबादी के बारे में जानकारी सामने आने के बाद बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा एजेंसियों ने अन्तर्राष्ट्रीय साजिश की तरफ इशारा करते हुए सरकार को आगाह किया है। उत्तर प्रदेश और असम की पुलिस ने आंशका जताई है कि सरहद से लगते इलाकों में गैरकानूनी रुप से आए हुए घुसपैठिए डेरा जमा रहे हैं। दोनों राज्यों की पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि बॉर्डर के साथ लगते जिलों में मुस्लिम आबादी 2011 के मुकाबले 32 परसेंट तक बढ़ गई है, जबकि पूरे देश में यह बदलाव 10 से 15 परसेंट के बीच है। सीमावर्ती जिलों में मुसलमानों की आबादी का अचानक बढ़ना बहुत ही गंभीर मसला है।
यूपी पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में आशंका जाहिर की है कि नेपाल की सीमा से लगे इन 7 सीमावर्ती जिलों में बाहर से मुसलमानों को लाकर बसाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन 7 जिलों के 1047 गांव नेपाल बॉर्डर से लगते हैं, जिनमें से 116 गांवों में 10 सालों के दौरान मुसलमानों की आबादी में 50 फीसदी तक का इजाफा हो गया है। इनमें से 303 गांव ऐसे हैं जिनमें मुसलमानों की आबादी 30 से 50 फीसदी तक बढ़ी है। रिपोर्ट कहती है कि इन इलाकों में पिछले 4 साल में मस्जिदों और मदरसों की संख्या में भी 25 फीसदी तक का उछाल देखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में नेपाल से सटे सीमावर्ती जिलों में कुल 1349 मस्जिदें और मदरसे थे और अब इनकी संख्या बढ़कर 1688 हो गई है।
यूपी पुलिस के सामने दिक्कत यह है कि एक-एक व्यक्ति के दस्तावेजों की जांच कैसे करे, और अगर जांच करे भी तो यह कैसे पता लगाए कि पंचायत के रिकॉर्ड में जो नए नाम दर्ज हुए हैं वे वैध हैं या अवैध। पुलिस आखिर कैसे बता लगाए कि जो दस्तावेज दिखाए जा रहे हैं वे असली हैं या नकली। सुरक्षा एजेंसियाों को पूरा शक है कि इन सीमावर्ती जिलों में बाहर से आए हुए लोगों को बसाया जा रहा है और उनके फर्जी दस्तावेज तैयार भी तैयार हो गए हैं।
सीमावर्ती जिलों में जाने वाले हिंदू साधुओं और महंतों का भी कहना है कि जब वे नेपाल से सटी सीमा वाले इलाकों में जाते हैं तो साफ दिखता है कि मुसलमानों की आबादी तेजी से बढ़ी है। थोड़ी-थोड़ी दूर पर मस्जिद और मदरसे दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को पता लगाना चाहिए कि अचानक सीमावर्ती जिलों में मुस्लिम आबादी कैसे बढ़ गई। ये जांच करनी चाहिए कहीं ये रोहिंग्या मुसलमान और बांग्लादेशी घुसपैठिए तो नहीं हैं।
राज्यों के पुलिस प्रमुखों की मीटिंग में असम पुलिस की तरफ से जो रिपोर्ट पेश की गई उसमें कहा गया है कि बांग्लादेश बॉर्डर से 10 किलोमीटर के रेडियस में स्थित जिलों की मुस्लिम आबादी में करीब 30 फीसदी का उछाल देखा गया है, जबकि इसी दौरान जनसंख्या बढ़ने का राष्ट्रीय औसत 12.5 फीसदी और राज्य का औसत 13.5 फीसदी रहा।
दूसरे शब्दों में कहें तो असम के जिन जिलों की सरहद बांग्लादेश से लगती है, वहां मुस्लिम आबादी बढ़ने की रफ्तार राष्ट्रीय औसत से करीब ढाई गुना ज्यादा रही। असम के जिन 4 जिलों में मुस्लिमों की आबादी तेजी से बढ़ी, वे हैं धुबरी, करीमगंज, कछार और साउथ सालमारा। 2011 में यहां मुस्लिम आबादी 3,95,659 थी जो 2021 में बढ़कर 5,13,126 हो गई। असम पुलिस के अधिकारियों का मानना है कि राज्य में बांग्लादेश से मुसलमानों की घुसपैठ जारी है।
असम पुलिस की रिपोर्ट में एक अजीबोगरीब बात का जिक्र किया गया है। बॉर्डर के पास एक गांव तो ऐसा भी है जहां सिर्फ 5 परिवार रहते हैं, लेकिन अचानक वहां 4 मस्जिदें बन गईं। जब गांववालों से पूछा गया कि ये मस्जिदें किसने बनवाईं, पैसा कहां से आया, तो इसका कोई जबाव नहीं मिला। पिछले एक महीने में करीब डेढ़ दर्जन बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ा गया है। दावा किया गया है कि इस इलाके में विदेशियों के फर्जी दस्तावेज बनवाने का काम भी जोरों से चल रहा है।
यूपी और असम के अलावा राजस्थान में भी बॉर्डर से सटे इलाकों में मुसलमानों की आबादी बढ़ी है। अचानक नए मदरसे और मस्जिदें दिखने लगीं। इस बदलाव को BSF ने भी नोटिस किया और इसकी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी। BSF ने जब जमीनी हकीकीत का विश्लेषण किया तो यह बात सामने आई कि दूसरे धर्मों के लोगों की आबादी केवल 8-10 फीसदी का फर्क आया, लेकिन मुसलमानों की आबादी में 25 फीसदी तक बढ़ गई। BSF ने अपनी रिपोर्ट में यहां तक कहा कि मदरसों की संख्या बढ़ गई है, और मदरसों में जाने वाले बच्चों की संख्या में भी इजाफा हुआ है।
बीएसएफ की रिपोर्ट में कहा गया कि इसके अलावा पोखरण, मोहनगढ़ और जैसलमेर जैसे सीमा वाले इलाकों में ऐसे मौलवी और मौलाना भी दिख रहे हैं जो बाहरी हैं। इन इलाकों के ज्यादातर मदरसों में पढ़ाने वाले मौलवी भी स्थानीय नहीं हैं। चितौड़गढ़ से बीजेपी सांसद सीपी जोशी ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार तुष्टिकरण की नीति अपना रही है इसलिए बाहर से आए मुसलमानों की चेकिंग नहीं की जा रही है।
यूपी, असम और राजस्थान तो बड़े और पुराने राज्य हैं, लेकिन करीब 22 साल पहले बने उत्तराखंड में भी नेपाल से लगे इलाकों में मुस्लिम आबादी बढ़ने की रफ्तार हैरान करने वाली है। उत्तराखंड में पिछले 10 सालों में मुसलमानों की संख्या में 2.5 गुना की बढ़ोतरी हो गई। कुछ ही दिन पहले खबर आई थी कि उत्तराखंड के जंगलों में बड़े पैमाने पर मजार बना दी गई हैं और रोहिंग्या मुसलमानों ने अपनी बस्तियां बसा ली हैं। इस खबर के सामने आने के बाद राज्य सरकार की तरफ से जंगल की जमीन से मजार और रोहिंग्या मुसलमानों को हटाने के आदेश दिए गए हैं।
उत्तर प्रदेश में नेपाल की सीमा से लगे जिलों में और असम में बांग्लादेश से सटे इलाकों में मुसलमानों की बढ़ती आबादी को लेकर पहली बार नवंबर 2021 में DGP कॉन्फ्रेस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में चिंता जाहिर की गई थी। इस कॉन्फ्रेस की अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी कर रहे थे और उनके सामने यूपी पुलिस ने एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की थी। इसी रिपोर्ट को 2 दिन पहले अपडेट किया गया है। यूपी पुलिस ने अपनी प्रेजेंटेशन में इस बात को भी हाईलाइट किया था कि पहले बॉर्डर के पास वाले गांवों में हिंदू, मुस्लिम और सिखों की मिली जुली आबादी हुआ करती थी, लेकिन अब इन जिलों में मुस्लिम आबादी काफी तेजी से बढ़ रही है।
अगर पड़ोसी मुल्कों से, पाकिस्तान और बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लोगों को हमारे बॉर्डर के इलाकों में भेजा जा रहा है तो यह चिंता की बात है। अगर पाकिस्तान और चीन की साजिश के तहत भारत की सरहद से सटे इलाकों में मुसलमानों को बसाया जा रहा है तो यह एक गंभीर मसला है। यूपी और असम पुलिस की इस रिपोर्ट पर, BSF की जानकारी पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए और इस साजिश का जड़ से खात्मा कर देना चाहिए।