दिल्ली के लालकटोरा स्टेडियम में मंगलवार को देश के तमाम बड़े मुस्लम संगठनों के नेता वक्फ के नए कानून के विरोध की रूपरेखा तय करने के लिए पहुंचे. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्नलस लॉ बोर्ड द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में तय हुआ कि नया वक्फ कानून वापिस न लिए जाने तक ये जंग जारी रहेगी. मौलाना कह रहे हैं कि सरकार ने वक्फ एक्ट में बदलाव करके मुसलमानों के मजहबी मामलों में दखल दिया है. लेकिन बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि वक्फ कानून का मजहब से कोई लेना देना नहीं है. उन्होने कहा कि कुरान में वक्फ जैसा कोई लफ्ज है ही नहीं. आरिफ मोहम्मद खान ने पूछा कि वक्फ की प्रॉपर्टीज का इस्तेमाल, गरीब और कमजोर तबके के लोगों के लिए क्यों नहीं हुआ? उन्होंने पूछा कि वक्फ की प्रॉपर्टी पर..कमर्शियल शॉप्स, मॉल्स, होटल्स और रिहायशी फ्लैट्स क्यों बनाए गए ? आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि जो लोग वक्फ पर सरकारी कब्जे का डर दिखा रहे हैं, उन्हें बताना चाहिए कि अब तक वक्फ बोर्ड ने वक्फ प्रॉपर्टी का क्या इस्तेमाल किया? जिस मकसद के लिए प्रॉपर्टी वक्फ की गई ,क्या उसका इस्तेमाल उस काम के लिए हुआ? क्या वक्फ की जमीनों पर गरीब बच्चों के लिए स्कूल बने, कोई अस्पताल बना? उन्होने कहा कि वक्फ बोर्ड के जिम्मेदार लोगों को, मौलानाओं को ईसाई मिशनरीज से सीखना चाहिए जिन्होंने स्कूल, अस्पताल बनवाए और आज मुसलमान अपने बच्चों के एडमिशन के लिए मिशनरी स्कूलों के सामने लाइन लगाते हैं. आरिफ साहब की बात पूरी तरह सही, सोलह आने सच है, क्योंकि देश के बड़े बड़े शहरों में प्राइम लोकेशन पर जहां वक्फ की जमीन है, वहां शॉपिंग कॉम्प्लैक्स, मॉल बन गए हैं, आवासीय फ्लैट्स बन गए हैं. पटना के डाक बंगला चौराहे की शिया वक्फ बोर्ड की हजारों करोड़ की करीब 30 प्रॉपर्टीज़ हैं, कायदे से ये जमीन बेची नहीं जा सकती, लीज़ पर दी जा सकती है, मुतवल्ली को अधिकार है कि वो वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी सिर्फ 11 महीने के लिए लीज़ पर दे सकता है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि करोड़ों की जमीन कौडियों में बेच दी. अब यहां मॉल, मार्केंटिंग कॉम्पलेक्स बना दिए गए हैं. इसी तरह कर्नाटक के वक्फ बोर्ड ने अपनी 14 हजार 855 बिल्डिंग्स को कमर्शियल इस्तेमाल के लिए किराए पर दिया हुआ है. इसमें सबसे ज्यादा 1 हजार 672 बिल्डिंग्स बैंगलुरू में हैं. वक्फ बोर्ड को कमर्शियल प्रॉपर्टी से हर साल किराए से सिर्फ 77 करोड़ की आमदनी होती है. वक्फ की जमीन पर बैंगलूरू में एक फाइव स्टार होटल बना है. आरिफ मोहम्मद खान ने वक्फ के बारे में जो बताया, वो हैरान करने वाला है. इससे कई बातें समझ में आती हैं. जैसे वक्फ का लफ्ज कुरान में है ही नहीं लेकिन मौलाना वक्फ को मजहब से जोड़ रहे हैं क्योंकि मजहब के नाम पर लोगों को जोड़ना आसान होता है. आरिफ साहब के मुताबिक कुरान कहती है कि कमजोर और गरीब तबकों के लिए जी खोलकर पैसा खर्च करो लेकिन वक्फ की प्रॉपर्टी पर किसी ने अस्पताल या यतीमखाने नहीं बनवाए. वक्फ के पास हजारों करोड़ की प्रॉपर्टी है लेकिन इस प्रॉपर्टी को मैनेज करने वालों ने इसे कमर्शियल यूज़ के लिए औने पौने दामों पर बेच दिया. जो जमीन गरीब के लिए दान की गई थी, उसको कमाई का जरिया बना लिया. अगर प्रॉपर्टी को मैनेज करने वाले ये काम न करते तो कानून में बदलाव की कोई जरूरत ही नहीं पड़ती. वक्फ का जो नया कानून आया है, उसपर चर्चा करते समय इनको ध्यान में रखा जाना चाहिए.
मुर्शिदाबाद, ममता, मुसलमान और पुनर्वास
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में 11-12 अप्रैल को दंगाइयों ने वक्फ एक्ट के विरोध में हिंसा की, उसका रौंगटे खड़े करने वाला वीडियो सामने आया है. 12 अप्रैल को दंगाइयों की भीड़ ने मुर्शिदाबाद में हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास को घर से खींच कर धारदार हथियारों से काट डाला. उस दिन हुई बेरहमी का वीडियो सामने आया जिसमें हरगोविंद दास और उनका बेटा चंदन दास खून से लथपथ सड़क पर पड़े दिखाई दे रहे हैं. ये तस्वीरें भयानक हैं. हरगोविंद दास और चंदन दास का कोई कसूर नहीं था, उनका वक्फ एक्ट या वक्फ बोर्ड से कोई लेना देना नहीं था. फिर भी दंगाइयों की भीड़ उनके घर में घुसी और पिता पुत्र को घर से घसीटकर धारदार हथियारों से काट डाला क्योंकि वो हिन्दू थे. मुर्शिदाबाद में अभी भी हिन्दू ड़रे हुए हैं. ममता बनर्जी की सरकार जबरन उन लोगों को मुर्शिदाबाद वापस ला रही है, जो हिंसा के बाद अपना घरबार छोड़कर मालदा भाग गए थे और शरणार्थी शिविरों में रह रहे थे. ऐसे तीन सौ परिवारों को मालदा के सरकारी शेल्टर से जबरदस्ती नाव में बिठाकर मुर्शिदाबाद वापस भेज दिया गया. लेकिन मुर्शिदाबाद में इन लोगों के रहने खाने का कोई इंतजाम नहीं हैं. इनके जले हुए घरों में कुछ बचा नहीं हैं. सरकार ने खुले आसमान के नीचे सिर्फ एक टेंट लगा दिया है. इसके नीचे बूढ़े बच्चे और बुजुर्ग बैठे हैं, न खाने का इंतजाम है और पीने को पानी है. मीडिया के लिए सेल्फ रेगुलेशन के जो नियम हैं, उनके कारण मुर्शिदाबाद में हुई बेकसूर लोगों की हत्या का भयानक वीडियो मैं आपको अपने शो ‘आज की बात’ में दिखा नहीं पाया वरना आपका भी खून खौल जाता. जो लोग घरबार छोड़कर भागने के लिए मजबूर हुए, उनके घरों की हालत डराने वाली है. जिन बेघर, बेबस लोगों को कैंप में लाया गया है, उनकी हालत रुलाने वाली है. मैं तो राज्य सरकार से अपील करूंगा कि सबसे पहले इन गरीब लोगों की सुध ली जाए, उन्हें सुरक्षा और घर के साथ साथ दो वक्त का भोजन दिया जाए. ममता बनर्जी सबकी मुख्यमंत्री हैं,किसी एक तबके या किसी एक वर्ग की नहीं.
क्या राहुल गांधी विदेशी धरती पर भारत का अपमान कर रहे हैं ?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी आजकल अमेरिका में हैं. उन्होंने एक बार फिर अमेरिका में भारत के चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए. राहुल गांधी ने बॉस्टन की ब्राउन यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल के छात्रों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि भारत की चुनाव प्रणाली में गंभीर समस्या है और चुनाव आयोग अब निष्पक्ष नहीं रहा. उन्होंने महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव का उदाहरण दिया. राहुल गांधी ने कहा, महाराष्ट्र में जितने वयस्क मताजाता हैं, उससे ज्यादा लोगों ने विधानसभा चुनाव में वोट डाले, चुनाव आयोग ने हमें शाम 5.30 बजे तक की वोटिंग का आंकड़ा दिया, शाम 5.30 बजे से लेकर शाम 7.30 बजे तक 65 लाख लोगों ने वोट डाले, ऐसा हो पाना असंभव है. जब हमने आयोग से वोटिंग की फुटेज मांगी तो उन्होंने न केवल उसे देने से इंकार कर दिया बल्कि नियम भी बदल दिया. महाराष्ट्र में अपनी हार को राहुल गांधी चुनाव आयोग की हेराफेरी बताते हैं, पर हेराफेरी तो उनकी अपनी बातों में हैं. 18 जनवरी को राहुल गांधी ने कहा कि महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव जो हुए. तो उसके बीच एक करोड़ वोटर का फर्क था, यानी एक करोड़ वोटर बढ़े. 3 फरवरी को संसद में राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा के चुनावों के बीच महाराष्ट्र में 70 लाख नए वोटर्स आए. चुनाव आयोग ने जो आंकड़े दिये उसके मुताबिक महाराष्ट्र में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बीच वोटर्स का अंतर 40 लाख है. मतलब 40 लाख बढ़े. दूसरी बात, कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग से जो शिकायत की थी, उसमें कहा था कि महाराष्ट्र में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बीच वोटर्स की संख्या 47 लाख बढ़ी. चुनाव आयोग ने इसके जवाब में 66 पन्नों का ब्यौरा दिया. मेरे पास इतना समय नहीं है की ये सारा ब्यौरा अपके साथ शेयर कर सकूं. लेकिन मोटी बात ये है कि चुनाव आयोग ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया और उल्टे सवाल पूछा कि 2019 के चुनावों में 2 महीने के अंदर महाराष्ट्र में 28 लाख से ज्यादा नए वोटर कैसे बने. जब 2019 में कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी तब किसी ने वोटरों की संख्या बढ़ने पर सवाल नहीं उठाया. चुनाव आयोग के उत्तर से साफ है कि राहुल गांधी न सिर्फ अपनी पार्टी को गुमराह कर रहे हैं बल्कि देश के बाहर चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाकर भारत की छवि धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं.