आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से RBI के सभी नए नोटों पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की तस्वीरें छपवाने की अपील की। उन्होंने कहा, ये समृद्धि के प्रतीक हैं और देवताओं का आशीर्वाद भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद करेगा।
केजरीवाल ने कहा, उनका सुझाव किसी के खिलाफ नहीं है। उन्होंने इंडोनेशिया का उदाहरण दिया, जहां 85 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम और 2 प्रतिशत से कम हिंदू हैं। उन्होंने कहा, इस्लामिक देश होने के बावजूद इंडोनेशिया ने अपने नोटों पर भगवान गणेश की तस्वीर छापी है।
AAP सुप्रीमो ने कहा कि उन्हें यह आइडिया इस साल दीवाली पर लक्ष्मी पूजन करते हुए आया। उन्होंने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार से अपील करता हूं कि हमारे नोटों पर एक तरफ महात्मा गांधी की तस्वीर है। यह जिस स्थिति में है, वैसी ही रहनी चाहिए, लेकिन दूसरी तरफ भगवान गणेश और लक्ष्मी के चित्र छपे होने चाहिए। अगर इंडोनेशिया ऐसा कर सकता है तो हम क्यों नहीं? किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। यह देश की समृद्धि और संपन्नता का प्रश्न है। देवी लक्ष्मी समृद्धि और धन की प्रतीक हैं।’
इस सवाल पर कि AAP हिंदुत्व ब्रांड की राजनीति कर रही है, केजरीवाल ने जवाब दिया: ‘आरोप लगने दो। मैंने कई लोगों से बात की है और सभी ने कहा कि यह एक अच्छा विचार है और इसे लागू किया जाना चाहिए।’
केजरीवाल का सुझाव बीजेपी के नेताओं को बिल्कुल पसंद नहीं आया और उन्होंने AAP नेता पर निशाना साधना शुरू कर दिया। दिल्ली से बीजेपी के सांसद मनोज तिवारी ने पूछा कि वोट मांगने के लिए सिर पर जाली वाली टोपी पहनकर मस्जिद जाने वाले केजरीवाल को अचानक हिंदू देवी-देवताओं की शक्ति का एहसास कैसे हो गया?
बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्र ने पूछा कि जो केजरीवाल अयोध्या में राम मंदिर की जगह अस्पताल बनाने की मांग कर रहे थे, अब ऐसा सुझाव क्यों दे रहे हैं? इसका जवाब भी खुद सम्बित पात्र ने ही दिया। उन्होंने कहा, यह वोट का चक्कर है क्योंकि गुजरात में चुनाव होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल की सरकार ने ही लोगों को दीवाली की रात पटाखे जलाने पर 6 महीने के लिए जेल भेजने की धमकी दी थी। उन्होंने कहा कि केजरीवाल की पार्टी के ही एक मंत्री ने खुलेआम हिंदू देवी-देवताओं को गाली दी थी जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। सम्बित पात्र ने कहा, ‘केजरीवाल गिरगिट की तरह अपना रंग इसलिए बदल रहे हैं क्योंकि उन्हें गुजरात चुनाव में हार का खतरा सामने दिख रहा है।’
मुझे लगता है कि संबित पात्र ने ठीक कहा है। केजरीवाल ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने का विरोध किया था। लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया और मंदिर का निर्माण शुरू हो गया, तो केजरीवाल खुद अयोध्या गए और दिल्ली के बुजुर्गों को मुफ्त में अयोध्या दर्शन कराने का ऐलान भी कर दिया।
बुधवार की रात ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कि कैसे केजरीवाल ने दिल्ली में सिग्नेचर ब्रिज का उद्घाटन करते समय अपनी ‘नानी’ का हवाला देकर कहा था कि मस्जिद को तोड़कर जो मंदिर बन रहा है उसमें भगवान राम नहीं रह सकते। हमने यह भी दिखाया था कि कैसे केजरीवाल ने तब कहा था कि अगर हम केवल मंदिर बनाते रहे तो बच्चे बड़े होकर सिर्फ सिर्फ पुजारी बनेंगे और भारत 15वीं शताब्दी में वापस चला जाएगा। तब उन्होंने लोगों से कहा था कि अगर आप सब मंदिर-मस्जिद में उलझे रहोगे तो आपके बच्चे कभी इंजीनियर नहीं बन पाएंगे, वे मंदिर के पुजारी बन जाएंगे।
बीजेपी के नेताओं ने बुधवार को सबूतों के साथ दिखाया कि कैसे 2018 में केजरीवाल राम मंदिर का विरोध कर रहे थे, लेकिन 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2020 में राम मंदिर की नींव रख दी, तो उनके विचार बदल गए। पिछले साल गोवा विधानसभा चुनावों के दौरान 26 अक्टूबर को केजरीवाल रामलला का दर्शन करने अयोध्या गए। उन्होंने हनुमानगढ़ी में भी जाकर पूजा-अर्चना की। इसके बाद अगले दिन उन्होंने दिल्ली आकर ऐलान कर दिया कि अब उनकी सरकार सभी बुजुर्गों को मुफ्त में रामलला के दर्शन कराएगी। बुजुर्गों के अयोध्या आने-जाने, खाने-पीने और ठहरने का सारा इंतजाम दिल्ली सरकार करेगी।
बीजेपी नेताओं ने याद दिलाया कि केजरीवाल वक्त के हिसाब से रूप और विचार बदल लेते हैं। 2019 के बाद केजरीवाल रामभक्त बन गए, लेकिन उससे पहले जब दिल्ली में सरकार बनी थी तब रमजान के दौरान वह इफ्तार पार्टियां आयोजित करते थे, जालीदार टोपी पहने और गमछा डाले नजर आते थे।
अब सवाल ये है कि केजरीवाल ने इस वक्त नोटों पर गणेश और लक्ष्मी की तस्वीर छापने की बात क्यों कही? इसका जबाव अहमदाबाद के हमारे संवाददाता निर्णय कपूर ने दिया। उन्होंने बताया कि असल में केजरीवाल की सरकार के पूर्व मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने हिंदू देवी-देवताओं पर बयान देकर जो गलती की, उसका खामियाज़ा उनकी पार्टी को गुजरात में भुगतना पड़ रहा है।
राजेन्द्र पाल गौतम का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वह लोगों से ब्रह्मा, विष्णु और महेश समेत अन्य देवी-देवताओं का कभी पूजा न करने की शपथ दिलाते हुए दिखाई दे रहे थे। बीजेपी समर्थकों ने यह वीडियो गुजरात के लोगों को खूब दिखाया और इसे गुजरात के चुनाव में मुद्दा बना दिया। गुजरात के कई शहरों में केजरीवाल के पोस्टर लगा दिए गए जिनमें वह जालीदार टोपी पहने दिखाई दे रहे हैं। पोस्टरों में लिखा है कि केजरीवाल ‘हिंदू विरोधी’ हैं। गुजरात के चुनाव में हिन्दू विरोधी की छवि किसी भी नेता के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। इसलिए केजरीवाल ने लक्ष्मी और गणेश की तस्वीर नोटों पर छापने का फॉर्मूला सुझाया है।
कांग्रेस ने भी केजरीवाल के आइडिया को चुनावी स्टंट बताया । कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि ‘केजरीवाल तो ‘संघ और बीजेपी की B टीम’ हैं, दोनों ने मिलकर देश की इकॉनमी का बेड़ा गर्क कर रखा है। केजरीवाल का बयान बीजेपी और आम आदमी पार्टी का मिलाजुला खेल है।’
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने केजरीवाल के बयान पर बेहद दिलचस्प प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘लक्ष्मी और गणेश जी के साथ केजरीवाल की फोटो भी करेंसी पर छाप देनी चाहिए। इससे भारतीय रुपये की कीमत और ज्यादा बढ़ जाएगी।’
गुरुवार को कांग्रेस के एक अन्य नेता मनीष तिवारी ने सुझाव दिया कि नोटों पर महात्मा गांधी के साथ-साथ डॉक्टर भीम राव आंबेडकर की तस्वीर भी छापी जानी चाहिए। उधर, महाराष्ट्र के बीजेपी नेता नितेश राणे ने एक मॉर्फ्ड फोटो पोस्ट की जिसमें भारतीय करेंसी पर छत्रपति शिवाजी की तस्वीर लगी थी। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि ‘ये पर्फेक्ट है।’
मुझे लगता है कि करेंसी नोटों पर अरविंद केजरीवाल का सुझाव एक डिफेंसिव कदम है। गुजरात में बीजेपी के समर्थकों ने शहरों की दीवारों पर केजरीवाल की जालीदार टोपी वाली तस्वीरें लगवा दीं है। उनके एक मंत्री ने देवी देवताओं की पूजा ना करने की कसम खिलाई तो उसका वीडियो वायरल कर दिया गया। गुजरात में इससे उनकी पार्टी को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। केजरीवाल को लगा कि उनकी छवि हिंदू विरोधी वाली बनने लगी है, ऐसे में चुनाव में उनकी पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है। इसलिए वह करेंसी नोटों पर लक्ष्मी और गणेश की फोटो छापने का विचार लेकर आए।
केजरीवाल की बातों में आस्था या भक्ति कम, चुनावी नफे-नुकसान का गणित ज्यादा दिखाई दिया। आगे की व्याख्या कवि कुमार विश्वास ने कर दी। उन्होंने कहा कि केजरीवाल अब अपने आप को कट्टर हिंदू दिखाने में लगे हैं क्योंकि अब उन्हें लगता है कि अल्पसंख्यक वोटों पर तो पहले ही ममता, अखिलेश और नीतीश जैसे आधा दर्जन दावेदार दावा जता रहे हैं। कुमार विश्वास के मुताबिक, केजरीवाल सोचते हैं कि 82 फीसदी हिंदू वोट बैंक में से आधा भी फंसा लिया तो काम बन जाएगा, क्योंकि वह मानते हैं कि मुसलमान तो मजबूरी में उन्हें ही वोट देंगे। कुमार विश्वास, केजरीवाल के पुराने साथी रहे हैं। वह उनकी राजनीति को, उनके पैंतरों को अच्छी तरह समझते हैं।
लेकिन जो भी हो, मैं हैरान हूं कि वोटों के लिए कोई लक्ष्मी और गणेश जैसे देवी-देवताओं का इस्तेमाल कर रहा है तो कोई जाली वाली टोपी का। राजनीति का यह रंग आजकल काफी दिखाई देता है। यह अंधविश्वास है कि नोटों पर लक्ष्मी और गणेश की फोटो लगाने से रुपये की कीमत बढ़ जाएगी और देश की अर्थव्यवस्था सुधर जाएगी। ऐसी बातें न तो राजनीति के लिए ठीक है और न ही अर्थव्यवस्था के लिए।
जहां तक इंडोनेशिया में नोटों पर भगवान गणेश की तस्वीर का सवाल है, 2012 में थाईलैंड ने भी भगवान गणेश की तस्वीर वाले सिक्के दीपावली के मौके पर जारी किए थे। इसी तरह 2018 में ऑस्ट्रेलिया ने दीपावली पर भगवान गणेश की तस्वीर के साथ स्पेशल सिक्के जारी किए। इन देशों ने ऐसा हिंदुओं की आस्था के प्रति सम्मान दिखाने के लिए किया, न कि वोट इकट्ठा करने या राजनीति करने के लिए।