आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सरकार ने बहुत बड़ा फैसला किया है। सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा स्वदेशी तकनीकों से बने 83 तेजस विमानों की खरीद को बुधवार को मंजूरी दे दी। चौथी पीढ़ी के इन लड़ाकू विमानों को भारतीय वायुसेना के लिए खरीदा जाएगा। 46,898 करोड़ रुपये का यह अबतक का सबसे बड़ा स्वदेशी सैन्य सौदा है। सिंगल इंजन वाले तेजस मार्क 1-ए फाइटर जेट्स की डिलीवरी तीन साल में शुरू होगी।
सरकार के इस आदेश से स्वदेशी सैन्य उत्पादन क्षेत्र को एक बड़ा बढ़ावा मिलेगा। इस ऑर्डर को पूरा करने के लिए एचएएल करीब 500 अन्य कंपनियों के साथ काम कर रही है। इस फैसले से भारतीय वायु सेना में फाइटर स्क्वाड्रन की संख्या भी बढ़ेगी। इस सौदे में भारतीय वायुसेना को 10 तेजस ट्रेनर विमानों की डिलीवरी भी शामिल है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सौदे का ऐलान करते हुए कहा-‘यह सौदा डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक गेम-चेंजर होगा। यह घरेलू एयरोस्पेस के इकोसिस्टम को बदलने के लिए एक उत्प्रेरक के तौर पर काम करेगा। एलसीए तेजस आने वाले समय में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ बनने जा रहा है।’
तेजस का नया मार्क 1-ए वर्ज़न मौजूदा तेजस से 43 मामलों में बेहतर होगा। भारतीय वायुसेना की तरफ से एचएएल को पहले दिए गए 40 तेजस मार्क-1 के ऑर्डर की तुलना में इस नए वर्जन में 43 सुधार किए गए हैं। इसमें सबसे अहम चीज जो जोड़ा गया है वो है इसका आधुनिक एईएसए रडार। मौजूदा यांत्रिक रूप से संचालित रडार को हटाकर एईएसए रडार लगाया गया है जो कि बिल्कुल नया इल्केट्रॉनिक वॉरफेयर स्यूट होगा। यह दुश्मन के रडार और मिसाइलों को जाम करने की क्षमता से लैस होगा। इसके साथ ही हवा से हवा में ईंधन भरने की सुविधा, 80 किलोमीटर तक मार करनेवाली बीवीआर ( Beyond Visual Range) मिसाइल सिस्टम तेजस के नए वर्जन की खूबी होगी। यह लड़ाकू विमान एक हजार किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति तक उड़ान भर सकता है और 5,000 किलोग्राम से ज्यादा बम और मिसाइल ले जा सकता है। यह चौथी पीढ़ी के फाइटर जेट्स में सबसे छोटा और हल्का है।
बुधवार रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने अपने डिफेंस एडिटर मनीष प्रसाद की एक रिपोर्ट दिखाई। मनीष ने बेंगलुरु में एचएएल की उस यूनिट का दौरा किया जहां तेजस लड़ाकू विमानों का निर्माण किया जा रहा है। एचएएल के चीफ टेस्ट पायलट ने बताया कि यह चौथी पीढ़ी की सीरीज में सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों में से एक है। यह दुनिया के किसी भी फाइटर जेट से किसी मुकाबले में कम नहीं होगा। तेजस का नया मार्क 1-ए इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट से लैस होगा। तेजस प्रोजेक्ट के जनरल मैनेजर पी जयदेवा ने हमारे डिफेंस एडिटर को बताया कि तेजस के मार्क1-ए वर्ज़न के बाद तेजस मार्क-2 का इंतज़ार होगा। इसमें ताकतवर इंजन, ज़्यादा बम ले जाने की क्षमता होगी और ये आधुनिक रडार और सेंसर होंगे। तेजस मार्क-2 का वजन 17 टन होगा जबकि मौजूदा तेजस विमान का वजन 12 टन है।
मौजूदा समय में भारतीय वायु सेना के पास केवल 30 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं। प्रत्येक स्क्वाड्रन में 16 से 18 लड़ाकू विमान हैं, लेकिन सीमा पर दोतरफा खतरों को देखते हुए जरूरत 42 स्क्वाड्रन की है। इस नई खरीद के साथ ही भारतीय वायुसेना में तेजस लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़कर 123 हो जाएगी। फिलहाल वायुसेना में 20 तेजस फाइटर जेट हैं और 20 फाइटर जेट बनाने का काम चल रहा है।
वैसे आपको बता दूं कि तेजस बनाने की प्रक्रिया कोई हाल के दिनों में शुरू नहीं हुई है। पिछले 37 वर्षों के लंबे और जद्दोजहद भरे इंतजार के बाद तेजस की इतनी बड़ी खरीद को मंजूरी मिली है। केंद्र सरकार ने अगस्त, 1983 में 560 करोड़ रुपये के शुरुआती निवेश के साथ लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) परियोजना को मंजूरी दे दी थी। यह फैसला पुराने मिग 21 विमानों को बदलने के लिए लिया गया था। 18 साल बाद वर्ष 2001 में तेजस के पहले प्रोटटाइप विमान ने उड़ान भरी थी और इसके 12 साल बाद वर्ष 2013 में सिंगल इंजन तेजस को शुरुआती ऑपरेशनल क्लीयरेंस मिला था।
भारतीय वायु सेना को प्रोजेक्ट शुरू होने के 32 साल बाद जनवरी 2015 में पहला तेजस लड़ाकू विमान मिला। केवल दो विमानों के साथ वायुसेना ने अपनी पहली तेजस स्क्वाड्रन बनाई। फरवरी 2019 में तेजस को फाइनल ऑपरेशनल मंजूरी मिल गई और पिछले साल मई में भारतीय वायुसेना ने दूसरी तेजस स्क्वाड्रन बनाई। भारतीय वायुसेना में तेजस के 83 विमानों को शामिल करने के बाद अब एचएएल पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट जिसे एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) कहा जाता है, को डेवलप करने के लिए तैयार है। भारतीय वायु सेना अपने बेड़े में कम से कम 126 ऐसे स्टील्थ फाइटर जेट्स चाहती है।
एचएएल ऐसे एयरक्राफ्ट्स बनाएगा जो दुनिया में किसी भी आधुनिक एयरक्राफ्ट्स का मुकाबला कर सकते हैं, ये एक बड़ा कदम है और इस पर हर भारतवासी को गर्व होगा। क्योंकि ये आत्मनिर्भर भारत की तरफ एक बड़ा कदम है। लेकिन मुझे राहुल गांधी की बातें याद आ गईं। राहुल गांधी ने तो पार्लियामेंट में खड़े होकर जोर-जोर से कहा था कि नरेन्द्र मोदी एचएएल को खत्म करना चाहते हैं। वो सारे डिफेंस के ऑर्डर विदेशी कंपनियों को देना चाहते हैं। एचएएल बंद हो जाएगी और इसमें काम करनेवाले लोग बेरोजगार हो जाएंगे। उस समय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल गांधी की एक-एक बात को गलत बताया थाऔर ये कहा था कि एचएएल को बहुत सारा काम दिया जा रहा है। बुधवार को जब राजनाथ सिंह ने बताया कि एचएएल से तेजस फाइटर जेट्स 48 हज़ार करोड़ में खरीदे जाएंगे तो ये साबित हो गया कि राहुल गांधी ने उस समय जो कहा था वो बेबुनियाद था,उसका कोई सिर-पैर नहीं था।
मेरा मानना है कि राहुल गांधी को कभी-कभी अपनी कही बातों पर आत्मचिंतन करना चाहिए। उन आरोपों के बारे में आत्मनिरीक्षण करना चाहिए जो उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ लगाए थे। नरेन्द्र मोदी का सपना है ‘आत्मनिर्भर भारत’, अपने पैरों पर खड़ा भारत,अपनी रक्षा में सक्षम, समर्थ और सबल भारत। हर देशवासी भी यही चाहता है और तेजस उसी दिशा में एक बड़ा कदम है। सरकार का यह फैसला देश के लिए गर्व की बात है। अब तक स्वदेशी हथियार तो छोड़िए, अपने साजो-सामान की मरम्मत के लिए भी सेना दूसरे देशों पर निर्भर थी। फाइटर जेट से लेकर ऑटोमौटिक राइफल्स और उनकी गोलियां तक, सब कुछ विदेशों से मंगाते थे। फौजियों के शरीर पर बुलेटप्रूफ जैकेट से लेकर जूते तक, सब कुछ दूसरे देशों से मंगाया जाता था। लेकिन अब फाइटर जेट, ऑटोमैटिक राइफल और बंदूकों की गोलियां भी स्वदेशी होंगी। ये गौरव की बात है और इसकी तस्वीरें 26 जनवरी की परेड में देखकर आपका सीना भी गर्व से चौड़ा हो जाएगा। राहुल को इस वर्ष की गणतंत्र दिवस परेड को देखना चाहिए जिसमें सेना अपने स्वदेशी हथियारों का प्रदर्शन करेगी। मोदी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का वादा किया है और इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है, इसीलिए पूरी दुनिया मोदी की तारीफ कर रही है।