Rajat Sharma

पूजा से पहले डूबा कोलकाता : सबसे पहले ड्रेनेज व्यवस्था को सुधारें

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दुर्गा पूजा की तैयारियों में लगे पश्चिम बंगाल पर बड़ी मुसीबत आई. बंगाल के कई जिलों में रिकॉर्ड बारिश हुई. कोलकाता में नौ लोगों की मौत हो गई. इनमें से सात लोग बारिश के पानी में करंट फैल जाने के कारण अपनी जान से हाथ धो बैठे.
कोलकाता में बारिश का तीस साल का रिकॉर्ड टूट गया. दस घंटे के दौरान 253 मिलीमीटर बारिश हुई. पूरे शहर में हर जगह पानी भर गया. टैक्सी, बसें, मैट्रो, ट्रेन और विमान सेवाएं रुक गई. 32 उड़ाने रद्द करनी पड़ी. 42 उड़ाने देर से चली. ट्रैक पर पानी भरने के कारण मैट्रो ट्रेन रोकनी पड़ी. हजारों लोग रास्ते में फंस गए. ममता बनर्जी की सरकार ने मंगलवार से ही दुर्गा पूजा की छुट्टी घोषित कर दी. अब दशहरे तक कोलकाता में सरकारी दफ्तरों के साथ साथ स्कूल कॉलेज भी बंद रहेंगे.
पूरे बंगाल में दुर्गा पूजा की तैयारियां ज़ोरों पर है, पूजा मंडपों के डेकोरेशन का काम आखिरी दौर में है लेकिन मंगलवार को हुई जबरदस्त बारिश ने सारी तैयारियों पर पानी फेर दिया. पूजा के पंडाल पानी में डूब गए.
कई जगह पानी में करंट आने से सात लोगों की मौत हो गई. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसके लिए CESC यानी कोलकाता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉरपोरेशन को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि CESC ने बिजली की तारों के रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया. खुले में झूल रहे तारों की वजह से करंट फैला और सात बेगुनाह लोगों की जान गई.
ममता ने केन्द्र सरकार को भी लपेटा. कहा, कि फरक्का बैराज का सही तरीके से रखरखाव नहीं हुआ जिसके कारण बैराज से पानी ओवर फ्लो हुआ और कोलकाता के जल प्रलय हुआ.
लेकिन शहर के नालों की सफाई, ड्रैनेज सिस्टम को दुरूस्त करने की जिम्मेदारी तो कोलकाता नगर निगम की है और नगर निगम पर ममता की पार्टी का कब्जा है.
कोलकाता हो या मुंबई, दिल्ली हो या बेंगलुरु, हमारे महानगरों में आभादी लगातार बढ़ती जा रही है. ड्रेनेज व्यवस्था जितने लोगों के लिए बनी थी, उनसे तीन गुनी से ज्यादा आबादी का दबाव है. लोग नालों में इतना कचरा फेंकते हैं कि वो choke हो जाते हैं. जब बारिश नहीं होती, तब हालात सामान्य रहते हैं, लेकिन अगर ज्यादा बारिश हो जाए तो सारे इंतजामात फेल हो जाते हैं, शहरों के नगर निगमों की नाकामी उजागर हो जाती है. कोलकाता में यही हुआ.
मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में कोलकाता में भारी बारिश की चेतावनी दी है. बंगाल की खाड़ी के उत्तर पूर्व में कम दबाव की वजह से बरसात की मुसीबत आई है. पानी का ये कहर ऐसे समय टूटा है जब कोलकाता में लाखों लोग दूर-दूर से आकर दुर्गा पूजा के लिए एकत्रित होते हैं. मां दुर्गा के पंडाल सजाने पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं. पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए दुर्गा पूजा के दिन उत्साह और उमंग के दिन होते हैं. मां भगवती से प्रार्थना है कि कोलकाता के लोगों को इस दुख और इस तकलीफ से बाहर निकालें, आने वाले दिनों में बारिश कम हों और लोग उत्साह से दुर्गा पूजा का उत्सव मना सकें.
क्या आज़म खान सपा के साथ रहेंगे ?
23 महीने बाद समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खान ज़मानत पर जेल से बाहर आ गए. सीतापुर जेल से रिहा होने के बाद आज़म खान रामपुर पहुंच गए.
रास्ते में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने उनका जगह-जगह स्वागत किया. आजम खान शाहजहांपुर से बरेली होते हुए रामपुर पहुंचे.
शाहजहांपुर में जब काफिला कुछ देर के लिए रुका तो आजम खान ने कहा कि जिसने उनके लिए दुआ की, उन्हें शुक्रिया, जो बुरे वक्त में भूल गया, उससे कोई गिला-शिकवा नहीं.
चूंकि पिछले कुछ दिनों से ये चर्चा चल रही है कि आजम खान अखिलेश यादव से नाराज़ हैं, इसलिए बीएसपी में जा सकते हैं, लेकिन आजम खान ने न तो इस चर्चा को गलत बताया, न इस पर मुहर लगाई. उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि राजनीति में क्या चल रहा है, पहले वो अपना इलाज कराएंगे और उसके बाद अपने राजनीतिक भविष्य पॉलिटिकल फ्यूचर के बारे में सोचेंगे.
आजम खान की रिहाई पर अखिलेश यादव ने खुशी का इज़हार किया. अखिलेश ने कहा कि योगी सरकार ने आजम खान के खिलाफ फर्जी केस बनाए, जब समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी, तो वो आजम खान के खिलाफ चल रहे सभी केस वापस ले लेंगे.
आज़म खान के खिलाफ कुल 104 मुकदमे दर्ज हैं. 12 मामलों में फैसला आ चुका है, पांच मामलों में सजा हुई है, सात में बरी हो गए, बाकी में ज़मानत मिली है.
पहली बार आज़म खान फरवरी 2020 में गिरफ्तार हुए और 27 महीने जेल में रहे. फिर अक्टूबर 2023 में दोबारा जेल गए और 23 महीने बाद जेल से निकले, लेकिन इन पचास महीनों में अखिलेश यादव ने सिर्फ एक बार, वो भी लोकसभा चुनाव से पहले, जेल में आजम खान से मुलाकात की.
आजम खान जिंदगी भर समाजवादी पार्टी का झंडा बुलंद करते रहे, नौ बार विधायक रहे, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रहे लेकिन बुरे वक्त में समाजवादी नेताओं ने आजम खान का वैसे साथ नहीं दिया जैसी उन्हें उम्मीद थी. इसलिए उनके मन में कसक तो होगी.
लेकिन आजम खान पुराने नेता हैं. वक्त को पहचानते हैं, हवा के रुख को समझते हैं. बीजेपी में वह जा नहीं सकते, यूपी में BSP की हालत कमज़ोर है. इसलिए वो समाजवादी पार्टी छोडेंगे, इसकी उम्मीद कम ही है. आज़म खान की ये बात सही है कि उनकी सेहत ठीक नहीं हैं, इसलिए वह फिलहाल राजनीति की बजाय स्वास्थ्य पर ध्यान देंगे, अपना इलाज कराएंगे. आज़म खान जल्द स्वस्थ हों, फिर से सियासत में सक्रिय हों, यही दुआ करनी चाहिए.
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