तुर्की मंगलवार को 5.6 और 5.7 तीव्रता के भूकंप के झटकों से एक बार फिर हिल गया। इससे पहले सोमवार को तुर्की और सीरिया में 7.8 और 7.5 तीव्रता के 3 बड़े भूकंप आए थे।
दोनों देशों में अब तक 5,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। आपदा में जान गंवाने वालों की संख्या 10 हजार से भी ज्यादा होने की आशंका है क्योंकि बचावकर्मी अभी भी मलबे को हटाने में जुटे हुए हैं। भूकंप के बाद दर्जनों ऑफ्टरशॉक्स आ चुके हैं जिससे आपदा में जीवित बचे लोग और बचावकर्मियों में दहशत है। विनाश इतने बड़े पैमाने पर हुआ है कि बचावकर्मियों को मलबे में से लोगों को निकालने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
भूकंप के झटके तुर्की, सीरिया, लेबनान, साइप्रस और इजरायल तक में महसूस किए गए। पहला झटका सोमवार को स्थानीय समयानुसार सुबह करीब 4 बजे आया, जब ज्यादातर लोग सो रहे थे। अभी बचाव कार्य चल ही रहा था कि एक और बड़ा भूकंप आया, जिससे और ज्यादा तबाही हुई। दोनों ही बार 90 सेकेंड से भी ज्यादा समय तक धरती कांपती रही, जिससे न सिर्फ इमारतें बुरी तरह हिल गईं, बल्कि हाईवे और रनवे तक में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गईं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की 2 टीमों को तुर्की रवाना किया, जिसमें विशेष रूप से प्रशिक्षित डॉग स्क्वॉड और बचाव उपकरणों के साथ 100 कर्मचारी शामिल थे। प्रभावित इलाकों के लिए मेडिकल टीम भी भेजी गई है। मोदी ने ट्वीट किया, ‘तुर्की में आए भूकंप के कारण हुए जान-माल के नुकसान से दुखी हूं।’
मंगलवार की सुबह संसदीय दल की बैठक में बीजेपी के सांसदों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भावुक हो गए। उन्होंने 2011 में गुजरात के भुज में आए विनाशकारी भूकंप को याद किया जिसमें 20,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और 1.5 लाख से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस भूकंप ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया था। मोदी ने कहा, वह अच्छी तरह समझ सकते हैं कि तुर्की के लोग इस समय किन हालात से गुजर रहे होंगे।
सोमवार को आए भूकंप का केंद्र तुर्की के कहारनमारास शहर के पास था। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप अर्दोआन ने कहा कि देश में भूकंप से इतनी बड़ी तबाही 1939 के बाद कभी नहीं हुई। बचाव कार्य के लिए सेना, अर्धसैनिक बल, पुलिस और आपातकालीन प्रतिक्रिया विभाग की टीमों को तैनात किया गया है। 2 जबरदस्त भूकंपों और 40 आफ्टरशॉक्स से तुर्की के 8 प्रांत बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। भूकंप से कई इमारतों और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के साथ-साथ सैकड़ों साल पुराना किला भी क्षतिग्रस्त हो गया।
बुल्गारिया, रोमानिया, ग्रीस, क्रोएशिया, चेक रिपब्लिक, फ्रांस, हॉलैंड और पोलैंड समेत कई यूरोपीय देशों ने खोज एवं बचाव टीमें भेजी हैं। सीरिया में अलेप्पो, लातकिया और हमा शहरों में काफी तबाही हुई है।
तापमान में भारी गिरावट के कारण तुर्की के हैते में हजारों लोगों लोगों को स्पोर्ट्स सेंटर्स और मेले के इस्तेमाल होने वाले हॉल में रखा गया है। वहीं, तमाम लोगों ने आग के चारों तरफ कंबलों में दुबककर रात बिताई। राहत सामग्री की पहली खेप के साथ आज सुबह भारतीय वायु सेना की पहली C17 फ्लाइट तुर्की के अदाना पहुंची। विमान में NDRF के 50 खोज एवं बचाव कर्मी, विशेष रूप से प्रशिक्षित डॉग स्क्वॉड, ड्रिलिंग मशीन, राहत सामग्री, दवाएं और अन्य आवश्यक उपकरण थे।
भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसके बारे में वैज्ञानिक आधार पर पहले से भविष्यवाणी कर पाना संभव नहीं है। लेकिन तुर्की के भूकंप को लेकर एक ट्विटर मैसेज अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस मैसेज में एक डच एक्सपर्ट ने दावा किया है कि उसने 4 दिन पहले भूकंप की भविष्यवाणी कर दी थी। नीदरलैंड के एक रिसर्चर फ्रैंक हूगरबीट्स ने 3 फरवरी को ट्विटर पर भविष्यवाणी की थी कि तुर्की, जॉर्डन और सीरिया में 7.5 की तीव्रता का भूकंप आ सकता है। वैज्ञानिक उनकी भविष्यवाणी की जांच में लग गए हैं। फिलहाल, पूरी दुनिया का ध्यान तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप से बचे लोगों तक तत्काल राहत और मदद पहुंचाने पर है।