हैदराबाद के जलभराव वाले विभिन्न इलाकों से गुरुवार को 10 और शव निकाले जाने के साथ ही तेलंगाना में बाढ़ और बारिश से मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 50 हो गया है। तीन दिनों से इस शहर के अधिकांश हिस्सों में बिजली नहीं है और पानी सप्लाई भी पूरी तरह से ठप है। भारी बारिश की तबाही के निशान हर जगह हैं। लोग तीन दिन से घरों में फंसे हैं, न खाना है, न पीने का पानी है। शहर के ज्यादातर हिस्से में पानी भरा है। कुछ लोगों ने अपनी छतों पर शरण ले रखी है तो कुछ लोग बहुमंजिली इमारतों में फंसे हुए हैं। बारिश बंद होने के बाद भी रिहायशी इलाकों में जो पानी भरा था, वह अब भी जमा है, लोगों के घर डूबे हुए हैं।
मंगलवार की रात भारी बारिश के बाद झील का बांध टूट गया और बाढ़ का पानी घरों, अस्पतालों और दफ्तरों में घुस गया। रेस्क्यू ऑपरेशन और प्रभावित इलाकों से पानी निकालने के लिए आर्मी की यूनिटों के साथ-साथ एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की चार टीमों को लगाया गया। फंसे हुए लोगों को नाव के जरिए सुरक्षित जगहों तक पहुंचाया जा रहा है। वहीं, तेलंगाना सरकार ने बाढ़ प्रभावितों के लिए 61 राहत केंद्र स्थापित किए हैं।
गुरुवार रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने आपको हैदराबाद की गलियों में चलती नाव की तस्वीरें दिखाई। छोटी-छोटी नावों के जरिए लोगों तक राशन पानी पहुंचाया जा रहा है। लेकिन पूरे शहर में सबको राशन मिल जाए, हर व्यक्ति तक मदद पहुंच जाए ये आसान काम नहीं हैं।
इंडिया टीवी संवाददाता टी राघवन मुश्किल हालात में उन रिहायशी इलाकों तक पहुंचे जहां के लोग पिछले तीन दिनों से अपने घरों में फंसे हुए हैं। चारों तरफ पानी ही पानी है, लेकिन लोग प्यासे हैं, क्योंकि पीने का पानी खत्म हो चुका है। बिजली की सप्लाई बंद है, इसलिए लोगों के फोन डिस्चार्ज हो चुके हैं। लोग न दूसरों का हाल जान पा रहे हैं और न अपना हाल बता पा रहे हैं।
हैदराबाद के राजेंद्र नगर इलाके में एक परिवार पानी में फंस गया था। घर के पास पानी तेज रफ्तार से बह रहा था। पानी की रफ्तार इतनी ज्यादा थी कि लोगों का पानी में उतरना मुश्किल हो रहा था। रेस्क्यू वर्कर्स का घर तक पहुंचना मुमकिन नहीं हो पा रहा था। नाव भी घर तक नहीं पहुंच पा रही थी इसलिए पानी में फंसे परिवार को बचाने के लिए जेसीबी मशीन की मदद ली गई। एक जेसीबी मशीन को घर के पास लाया गया। जेसीबी मशीन के लोडर को घर के पास पहुंचाया गया फिर लोडर पर बच्चों को बिठाया गया और फिर एक- एक करके बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
उधर, बेगमपेट इलाके के होली ट्रिनिटी चर्च में भी भारी बारिश के कारण पानी भरा हुआ है। जिस वक्त सैलाब आया उसकी रफ्तार बहुत तेज थी। पानी के तेज बहाव ने चर्च के अंदर प्रार्थना हॉल में लगी बेंचों को उखाड़ दिया। चर्च के अंदर दूसरी धार्मिक चीजों को भी काफी नुकसान हुआ है।
झील के किनारे पर बनी कॉलोनियों में हालात ज्यादा खराब हैं। क्योंकि झील के किनारे में दरार आने के बाद इन्हीं रिहायशी इलाकों में पानी काफी तेज रफ्तार से दाखिल हुआ। बारिश बंद होने के बाद भी पुराने हैदराबाद के चंद्रायानगुट्टा, मुसी नदी के किनारे स्थित चदरघाट और मूसाराम बाग में पानी भरा हुआ है। यही हालात शहर के बाहरी इलाके में स्थित उप्पल और वनस्थलीपुरम का है।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने बाढ़ से हुई तबाही का जायजा लेने के लिए और राहत के कामों में तेजी लाने के लिए हाई लेवल मीटिंग बुलाई। इसके बाद चन्द्रशेखर राव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर यह बताया कि 24 घंटे की भारी बारिश और बाढ़ की वजह की वजह से तेलंगाना में अबतक करीब 5000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। उन्होंने पीएम मोदी से आग्रह किया है कि लोगों की मदद के लिए राज्य को केन्द्र से कम से कम 1500 करोड़ रुपए की मिलने चाहिए।
राज्य सरकार ने बताया है कि अचानक हुई भारी बारिश की वजह से कुल 35 हजार परिवार प्रभावित हुए हैं। 20 हजार 450 मकानों को नुकसान हुआ है। सीएम चन्द्रशेखर राव ने बाढ़ की वजह से मरने वालों के परिवार को 5 लाख रुपए की मदद का ऐलान किया है। साथ ही यह भी भरोसा दिलाया है कि जिन लोगों के मकान इस बाढ़ में बह गए हैं सरकार उन्हें नए मकान बना कर देगी।
हालांकि ये एक प्राकृतिक आपदा है फिर भी मेरा मानना है कि बड़े पैमाने पर हुई इस तबाही को रोका जा सकता था। इसकी तैयारी पहले से हो सकती थी। झील के किनारे वाले इलाकों में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है। यहां पर अवैध निर्माण की भरमार है। इसलिए भारी बारिश के बाद पानी झील के बांध से ओवरफ्लो हो गया। अब, हैदराबाद नगर निगम ने उन सभी मकानों को ध्वस्त करने का फैसला किया है जो अवैध तरीके से झील और नालों के किनारे बनाये गये हैं।
उदाहरण के तौर पर नगरम झील के उत्तर में जहां 20 साल पहले कुछ नहीं था, वहां एक पूरी कॉलोनी बसा दी गई जिसका नाम ‘चक्रधर कॉलोनी’ है। झील के किनारे वाले हिस्सों पर पिछले कई साल से अतिक्रमण जारी रहा और कॉलोनियां बसती गईं। बोडुप्पल, नदीम कॉलोनी, मक्का कॉलोनी, सिंगरेनी कॉलोनी, वाम्बे कॉलोनी, गगनपहाड़ और बांदरी कॉलोनी उन अवैध कॉलोनियों में से हैं जिन्हें बारिश के बाद सबसे ज्यादा जलभराव का सामना करना पड़ा है। इसी तरह दक्षिण हैदराबाद में वर्षों से बिल्डरों ने झीलों पर अतिक्रमण किया और इन पर कॉलोनियां बसती चली गईं। मंगलवार को हुई भारी बारिश और बाढ़ का कहर इन कॉलोनियों को झेलना पड़ रहा है।
चौबीस घंटे की बारिश में हैदराबाद का जो हाल हुआ है उसकी कल्पना हैदराबाद के लोगों ने सपने में भी नहीं की होगी। हालांकि ये सही है कि बीस साल के बाद हैदराबाद में ऐसी बारिश हुई थी। लेकिन ये भी याद रखना चाहिए कि हैदराबाद अब बीस साल पहले वाला हैदराबाद नहीं हैं। इस बारिश से शहर की टाउन प्लानिंग में जो खामियां सामने आई हैं, कम-से-कम अब उन्हें दूर करना चाहिए।
हो सकता है कि इसके लिए भी एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जिम्मेदार ठहरा दे। लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि ये शहर ओवैसी के खानदान का गढ़ है। पचास साल से इस शहर की रहनुमाई ओवैसी का परिवार कर रहा है। 1969 में ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी पहली बार विधायक बन गए थे। इसके बाद वे इसी शहर से 2004 तक सांसद रहे। खुद असदुद्दीन ओवैसी 2004 से अब तक लगातार हैदराबाद के सांसद हैं। शहर के विकास की जिम्मेदारी सांसद और विधायक की भी होती है। अब इस शहर का जो हाल है, उसके लिए ओवैसी साहब किसको टोपी पहनाएंगे….या खुद जिम्मेदारी लेंगे?