Rajat Sharma

लाश पर सियासत : मोकामा में 3 बाहुबलियों में टक्कर

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बिहार के चुनाव में फिर खूनखराबा हुआ. शुक्रवार को फिर बाहुबली आपस में टकराए, फिर जातियों का संघर्ष देखने को मिला. मोकामा में जनसुराज के समर्थक की हत्या के बाद फिर फायरिंग हुई, पत्थर चले, गाड़ियां तोड़ी गईं, फिर लाश पर राजनीति हुई और लाशें गिराने की धमकियां दी गईं.
कभी लालू यादव के नज़दीकी रहे, लेकिन इस बार सुराज पार्टी का समर्थन करने वाले दुलारचंद यादव का पोस्टमार्टम के बाद अन्तिम संस्कार हो गया. लेकिन इससे पहले दुलारचंद का शव लेकर जा रही गाड़ी पर पथराव हुआ, RJD उम्मीदवार बाहुबली सूरजभान की पत्नी और उम्मीदवार वीणा देवी की गाड़ी को तोड़ा गया, गोलियां चलाई गईं.
दुलारचंद की हत्या का आरोप मोकामा के बाहुबली अनंत सिंह और उनके समर्थकों पर है. अनंत सिंह जनता दल-यूनाइटेड के उम्मीदवार हैं.
अनंत सिंह का कहना है कि दुलारचंद की हत्या चुनावी फायदे के लिए सूरजभान ने करवाई, ये सब RJD का खेला है, लेकिन सूरजभान का कहना है कि मामला बहुत गंभीर है, रिटायर्ड जज से इसकी जांच करानी चाहिए.
अनंत सिंह और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज हो गई है, लेकिन क्या अनंत सिंह की गिरफ्तारी भी होग? क्या अनंत सिंह और सूरजभान का टकराव इसलिए हुआ कि दुलारचंद की वजह से उनके चुनावी समीकरण बिगड़ गए थे? दुलारचंद की हत्या से वोटों का फायदा किसे होगा?
ये सारे सवाल जनता के मन में है. तेजस्वी यादव ने पूछा, क्या यही सुशासन है?
मोकामा में सियासी गर्मी इस समय चरम पर है. जब दुलारचंद के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले लाया जा रहा था, तो रास्ते में अनंत सिंह और दुलारचंद के समर्थक आपस में भिड़ गये. जिस गाड़ी पर दुलारचंद का शव था, उसको घेर कर चल रहे लोगों ने अनंत सिंह के खिलाफ नारे लगाये. इससे अनंत सिंह के समर्थक नाराज हो गए, फिर पत्थरबाजी शुरू हो गई. आरोप है कि अनंत सिंह के समर्थकों ने शव ले जा रही गाड़ी पर पत्थर फेंके. इसके बाद जवाबी हमला हुआ और मातम के माहौल में जंग के हालात बन गए.
RJD उम्मीदवार वीणा देवी के काफिले की कार पर भी हमला किया गया. हालत ये हो गई कि वीणा देवी को अपनी गाडियां वहीं छोड़कर मौके से निकलना पड़ा.
दुलारचंद यादव समुदाय से थे और अनंत सिंह भूमिहार हैं, इसलिए इस हत्या के बाद जातियों की गोलबंदी हो गई.
इस बीच दुलारचंद की हत्या का एक वीडियो आज सामने आया, जिसमें जनसुराज पार्टी के कार्यकर्ता अनंत सिंह के काफिले पर हमला करते दिख रहे हैं. अनंत सिंह के समर्थकों का आरोप है कि दुलारचंद यादव अपने समर्थकों को हमले के लिए उकसा रहे थे. मोकामा में अनंत सिंह और दुलारचंद यादव की दुश्मनी दशकों पुरानी है. दुलारचंद यादव पर भी हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, रंगदारी जैसे कई गंभीर मामले दर्ज थे. 1991 के कांग्रेस नेता सीताराम सिंह हत्याकांड में भी उनका नाम आया था. मोकामा से वो चुनाव भी लड़े थे लेकिन हार गए थे.
दुलारचंद की हत्या क्यों हुई, क्या इसके पीछे जाति के वोट का गणित है, इसको लेकर तरह-तरह की चर्चा हैं. पता तो ये लगा है कि दुलारचंद भी बाहुबली थे.एक जमाने में लालू यादव के खासम-खास थे, अनंत सिंह के विरोधी थे.
दुलारचंद लम्बे वक्त से पीयूष प्रियदर्शी का समर्थन कर रहे थे. वो चाहते थे कि तेजस्वी यादव मोकामा से अनंत सिंह के खिलाफ पीयूष प्रियदर्शी को मैदान में उतारें. तेजस्वी ने पीयूष प्रियदर्शी के साथ खुली गाड़ी में सवार होकर मोकामा में रोडशो भी किया था, लोगों को कलम बांटे थे, दावा किया था कि NDA वाले बंदूकें बांटते हैं, तेजस्वी कलम बांट रहा है, लेकिन आखिरी वक्त में तेजस्वी ने पीयूष प्रियदर्शी की बजाय दूसरे बाहुबली सूरजभान की पत्नी को टिकट दे दिया. इससे दुलारचंद नाराज हो गए. इसी दौरान प्रशान्त किशोर ने पीयूष प्रियदर्शी को जनसुराज का टिकट दे दिया. इसके बाद दुलारचंद भी RJD के उम्मीदवार को छोड़कर पीयूष प्रियदर्शी के साथ प्रचार में लग गए.
आप सोचेंगे कि इससे दुलारचंद की हत्या का क्या रिश्ता? तो मोकामा में चर्चा इस बात की है कि दुलारचंद यादव भी पुराने हिस्ट्रीशीटर थे, यादवों में उनका दबदबा था, मोकामा में यादवों और भूमिहारों के बीच सियासी टकराव रहता है. चूंकि RJD की वीणादेवी और JDU के अनंत सिंह दोनों भूमिहार हैं, दुलारचंद के समर्थन से यादवों का वोट पीयूष प्रियदर्शी को मिल सकता था. इससे अनंत सिंह और वीणादेवी दोनों को नुकसान होता. अब दुलारचंद की हत्या का इल्जाम अनंत सिंह पर है. यानि अनंत सिंह को यादवों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है. इसीलिए चाहे केस हत्या का है तो भी मरने वाले और हत्या के आरोपी की जाति देखी जा रही है. लेकिन राजनीति में बाहुबलियों का इस तरह से दखल गलत है. खूनी संघर्ष में जातियों की गोलबंदी भी गलत है..
अच्छी बात ये है कि अब लोगों ने बाहुबलियों से डरना बंद कर दिया है. उन्हें वोट देना बंद कर दिया है. वो अपने आपको जितना चाहे हीरो समझ लें, लोगों ने अब उनकी परवाह करना बंद कर दिया है.

जेमाइमा की जय हो

भारत की महिला क्रिकेट टीम ने इतिहास रच दिया. ऑस्ट्रेलिया को हरा कर वीमैन्स वर्ल्डकप विश्वकप के फाइनल में जगह बनाई. इसके साथ-साथ क्रिकेट के इतिहास में वनडे मैच का सबसे बड़ा रन चेज किया.
ऑस्ट्रलिया के टीम चार वर्ल्डकप जीत चुकी है. पिछले पंद्रह मैच लगातार जीती थी.टीम इंडिया के सामने जीत के लिए ऑस्ट्रेलिया ने 339 रन का लक्ष्य रखा लेकिन हरमनप्रीत कौर की टीम ने पहाड़ जैसे इस लक्ष्य को 48.3 ओवर में हासिल कर लिया.
इस मैच में पूरी टीम अच्छा खेली लेकिन इस ऐतिहासिक जीत की हीरो बनीं जेमाइमा रोड्रिग्स. टीम इंडिया के दो विकेट जल्दी गिर गए, लेकिन जेमाइमा आखिरी वक्त तक क्रीज़ पर जमी रहीं. शानदार शॉट्स लगाए, 127 रन की पारी खेली. कप्तान हरमनप्रीत कौर ने जेमाइमा का बढिया साथ दिया. हरमनप्रीत ने 89 रनों की पारी खेली और भारत का वर्ल्डकप के फाइनल में पहुंचा दिया.
मैच के बाद जेमाइमा काफी इमोशनल हो गईं. उनकी आंखों से लगातार आंसू बह रह थे. उन्होंने कहा कि उनके लिए निजी उपलब्धि मायने नहीं रखती, उनका लक्ष्य टीम को जिताना था. अब रविवार को होने वाले फाइनल में टीम इंडिया का मुकाबला साउथ अफ्रीका से होगा. मैच का नतीजा कुछ भी हो लेकिन इतना तय है कि इस बार महिला क्रिकेट को नया विश्व चैंपियन मिलेगा.
ऑस्ट्रेलिया के साथ semi-final की असली Hero जेमाइमा रोड्रिग्स थीं. मैच के आखिरी ओवर्स में उन्हें जबरदस्त थकान थी, खड़े रहना मुश्किल था, पर वो मैदान में डटी रहीं. टीम इंडिया को जिताकर दम लिया. जेमाइमा ने कहा कि जब हिम्मत टूट रही थी तो Bible की एक line ने उन्हें ताकत दी.
जेमाइमा के इस जज्बे को सलाम.
मैच के बाद बात करते समय जेमाइमा की आंखों में आंसू थे. उन्हें ये सोचकर रोना आ रहा था कि पिछले कई दिन से उन्हें कितनी परेशानी थी. सोशल मीडिया पर उन्हें किस कदर troll किया गया, लेकिन खेल के मैदान में mental toughness, killer instinct और टीम की साथियों का समर्थन काम आया.किसी भी खिलाड़ी के लिए यही सबसे बड़ी ताकत होती है. सोशल मीडिया पर कौन क्या कहता है, इसकी ज्यादा परवाह नहीं करनी चाहिए.
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