किसानों को मोदी का नये साल का तोहफा
नए साल के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों के लिए दो बड़े फैसले किए. 2025 की पहली कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को 2026 तक जारी रखने को मंजूरी दे दी. अगर बाढ, सूखा या ओले गिरने से फसल का नुकसान होता है, तो बीमा के जरिए इसकी भरपाई हो पाएगी.
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि अब बीमा के सैटेलमेंट में टेक्नोलॉजी की मदद ली जाएगी, इससे किसानों को जल्दी से जल्दी क्लेम मिल सकेगा. टेक्ननोलॉजी और इनोवेशन के लिए सरकार 824 करोड़ रुपये अलग से देगी.
कैबिनेट ने दूसरा बड़ा फैसला खाद की कीमतों को लेकर किया है. अब किसानों को 50 किलो वाला डीएपी का बैग 1350 रुपये में मिलेगा, जो भी अतिरिक्त खर्चा है, उसे केंद्र सरकार उठाएगी. इसके लिए सरकार डीएपी सप्लाई करने वाली कंपनियों को 3850 करोड़ रुपये की सब्सिडी देगी. सरकार ने तय किया है कि किसानों को डीएपी की कमी न हो इसके लिए इस साल डीएपी का advance procurement किया जाएगा.
कैबिनेट के फैसले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट में लिखा कि नए वर्ष का पहला निर्णय देश के करोड़ों किसान भाई-बहनों को समर्पित है. मोदी सरकार का ये फैसला उस वक्त आया है जब पंजाब और हरियाणा के किसान MSP की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा किसान संगठनों के आंदोलन का मामला सुप्रीम कोर्ट में है, कोर्ट जो भी आदेश देगा सरकार उसे मानेगी. चौहान ने कहा कि नए साल में किसानों के कल्याण के नए संकल्प के साथ सरकार आगे बढ़ेगी और कृषि मंत्री के तौर पर वो किसानों की समस्याओं को दूर करने की हर संभव कोशिश करेंगे.
शिवराज सिंह चौहान ने किसानों आंदोलन पर भले ही कुछ नहीं कहा, लेकिन उन्हें भी किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की गिरती सेहत की फिक्र है. डल्लेवाल 37 दिन से अनशन पर हैं, उनकी हालत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को डल्लेवाल को दो दिन के भीतर अस्पताल में भर्ती करवाने का आदेश दिया था लेकिन किसान संगठनों के नेता इसके लिए तैयार नहीं है. पंजाब सरकार पर भी दबाव है. किसान नेताओं का कहना है कि जबतक केन्द्र सरकार किसानों से बात नहीं करती तब तक डल्लेवाल अपना इलाज कराने के लिए तैयार नहीं है.
डल्लेवाल की सेहत वाकई खराब है. उन्हें तुरंत इलाज की ज़रूरत है लेकिन लगता है किसी को उनकी जान की परवाह नहीं है. आंदोलन करने वाले उनके साथी किसानों को डल्लेवाल को तुरंत इलाज के लिए ले जाना चाहिए. उन्हें इस बात की परवाह नहीं करनी चाहिए कि इससे आंदोलन कमज़ोर हो जाएगा. डल्लेवाल की ज़िंदगी का इस्तेमाल सरकार को झुकाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए. अगर किसान ऐसा नहीं करते तो पंजाब सरकार को तुरंत ये कदम उठाना चाहिए. इस बात की परवाह नहीं करनी चाहिए कि आंदोलन और तेज़ हो जाएगा. सबसे पहले बुजुर्ग नेता की जान बचाने का इंतज़ाम होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट का भी यही निर्देश है.
Modi’s New Year gift to farmers
On New Year’s Day, Prime Minister Narendra Modi announced a special gift for farmers by extending subsidy of DAP (Di-Ammonium Phosphate) fertilizers from January 1 till further orders. Farmers will continue to get a 50 kg DAP bag for Rs 1350 and the extra cost will be borne by the Centre. The government will give Rs 3,850 crore subsidy to companies that manufacture and supply DAP fertilizers.
This will help millions of farmers and their families. Agriculture Minister Shivraj Singh Chouhan said, advance procurement of DAP will be done this year so that farmers should not face scarcity of fertilizers. In his tweet on X, Prime Minister Narendra Modi said, the first decision of the New Year is dedicated to crores of farmers brothers and sisters.
At the first meeting of Union Cabinet, the special one-time package on Di-Ammonium Phosphate (DAP) fertiliser at the rate of Rs 3,500 per metric tonne was extended from January 1, 2025 till further orders. This special package is over and above the approved NBS (nutrient based subsidy). 28 grades of Phosphorus and Potassium fertilizers are made available to farmers at subsidized rates through manufacturers and importers.
In another decision, the Cabinet approved the continuation of Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana and Restructured Weather-Based Crop Insurance Scheme till 2025-26. The approval was given for an enhanced allocation with overall outlay of Rs 69,515.71 crore for the scheme period (2021-22 to 2025-26).
This will help in risk coverage of crops from non-preventable natural calamities for farmers across the country till 2025-26. For large-scale technology infusion in the implementation of the scheme, the Cabinet approved the creation of the Fund for Innovation and Technology (FIAT) with a corpus of Rs.824.77 crore.
Agriculture Minister Chouhan said, farmers would now get their crop damage claims soon, based on settlement with the help of technology. He however avoided speaking about the farmers’ agitation in Punjab. Farmer leader Jagjit Singh Dallewal is on indefinite fast for the last 37 days. His health is deteriorating fast and the Supreme Court had directed Punjab government to admit Dallewal to hospital within two days. But farmer leaders insist, Dallewal will not break his indefinite fast until and unless the Centre starts talks with farmers.
Dallewal’s condition is worsening, but it seems none of the sides are worried about his life. Agitating farmers must take Dallewal to hospital immediately. They should not worry that their agitation will be weakened if Dallewal is taken to hospital. Dallewal’s life must not be used as a tool to force the government to bow to their wishes. If farmer leaders are unwilling, then Punjab government must step in and provide immediate treatment to Dallewal as per the directions of Supreme Court.
Maha Kumbh: World’s Biggest Event Ever
On January 13 this year, the world will witness the beginning of the world’s biggest event ever at the holy Sangam in Prayagraj, Uttar Pradesh, where more than 40 crore devotees are expected to take a holy dip at the confluence of two rivers, Ganga and Yamuna.
Chief Minister Yogi Adityanath is personally supervising the mega arrangements. A sprawling township has come up on an area of nearly 5,000 acres, ready with 1.5 lakh tents, 1.5 lakh green toilets manned by 15,000 safai karmacharis, 1,240 km long pipe lines have been laid, and more than 50,000 tap water connections have been provided. Two km away from Sangam, a huge space has been kept for parking more than 20,000 vehicles. Two hospitals, one with 100 beds and another with 220 beds have already started working. 92 new roads have been laid, and the Sangam township is dazzling with 67,000 LED lights and 2,000 solar lights.
The entire township has been divided into 25 sectors. The Sangam township has been declared a separate district, having its own district magistrate and Superintendent of Police. The first ‘shahi snan’ (main bathing) will take place on January 13 and the last ‘shahi snan’ will be on February 26. Twelve new bathing ghats (banks) have been built and a riverfront has been developed over 12.5 km area. Chequered plates have been laid on an area of 550 sq km to ensure that the devotees do not have to walk in mud.
Yogi Adityanath on Tuesday conducted a survey of the Kumbh Mela preparations and expressed his satisfaction. Thirty pontoon bridges will be built, out of which 28 are ready. More than 50,000 security personnel from UP Police and para-military forces will be deployed. They will be commanded by 218 IPS officers. Underwater drones, that can go 100 metre deep, will be used for the first time in Kumbh Mela. Four central commands will work in tandem with a control room. Nearly 350 experts will monitor the areas that will draw huge crowds.
Kumbh Mela takes place after every 12 years. This time, it has been named Purna Maha Kumbh, because it will occur after 144 years (12 Maha Kumbh Melas multiplied by 12). Astrologers and Sanatan spiritual leaders have described this as the most auspicious occasion. Yogi Adityanath is leaving no stone unturned to make this mega event a success.
Prime Minister Narendra Modi is also involved in finetuning the arrangements. Modi has advised use of digital technology to project the rich heritage of Kumbh Melas. The aim is to attract youths towards India’s ancient heritage. The broader objective is to convey India’s message of devotion and faith to the rest of the world. It is surely going to be a spectacular event.
महाकुम्भ : अद्भुत, अलौकिक, अकल्पनीय
नए साल का सबसे पहला और सबके बड़ा आयोजन पूर्ण महाकुंभ होगा. 144 साल के बाद ये अवसर आया है. 40 करोड़ लोग गंगा में डुबकी लगाएंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ की तैयारियां का जायज़ा लेने मंगलवार को खुद प्रयागराज पहुंचे. ज्यादातर काम पूरे हो चुके हैं. अखाड़ों की धर्मध्वजा स्थापित हो चुकी है. गंगा और यमुना का जल स्वच्छ हो गया है. संगम का पानी सिर्फ स्नान के लिए नहीं, बल्कि पीने के लायक है. अब सिर्फ 13 जनवरी का इंतजार है जब पहले स्नान पर्व के साथ पूर्ण महाकुंभ की शुरूआत होगी.
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस बार पूरी दुनिया भारत की भव्य विरासत की ताकत को देखेगी. पूर्ण महाकुंभ के लिए गंगा पर पीपे के तीस पुल बनाए गए हैं. 28 पुलों का काम पूरा हो गया है. श्रद्धालुओं को गंगा स्नान में दिक्कत न हो इसके लिए 12 नए पक्के घाट बनाए गए हैं. करीब साढ़े बारह किलोमीटर में नदी के आसपास रिवर फ्रंट डेवलप किया गया है. साढे पांच सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चेकर्ड प्लेटें बिछाई गई हैं ताकि श्रद्धालुओं को कीचड़ में न चलना पड़े.
संगम नगरी में एक नया शहर बस गया है जिसे 25 अलग अलग सेक्टरों में बांटा गया है. करीब साढ़े सौ किलोमीटर लम्बी 92 नई सड़कें बनाई गई हैं. 67,000 LED लाइट्स और
2,000 solar lights से संगम नगरी जगमगा रही है. संगम से दो किलोमीटर की दूरी पर बीस हजार से ज्यादा गाडियों के लिए पाकिंग की व्यवस्था है. डेढ़ लाख टेंट बनाए गए हैं. इनमें स्विस कॉटेज से लेकर डोम सिटी तक सब बनकर तैयार है. डोम सिटी एक तरह का फ्लोटिंग कॉटेज हैं. इसमें ठहरने वालों को संगम का 360 डिग्री व्यू मिलेगा.
संगम क्षेत्र में डेढ़ लाख ग्रीन टॉयलेट लगाए जा रहे हैं, पन्द्रह हजार सफाई कर्मियों की तैनाती की गई है. साढ़े बारह सौ किलोमीटर की पाइप लाइन डाली गई है. पचास हजार से ज्यादा नलों के कनैक्शन दिए गए हैं. एक सौ बैड का और दो बीस बीस बैड के दो अस्पताल बनकर तैयार हैं. आखिरी शाही स्नान 26 फरवरी को होगा. अनुमान है कि उस दिन आठ करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे.
महाकुंभ में 50 हजार से ज्यादा पुलिस और पैरा मिलिट्री के लोग तैनात किए जाएंगे. 218 IPS अफसरों की तैनाती होगी. आसमान से ड्रोन के जरिए हर गतिविधि पर नज़र रखी जाएगी. महाकुंभ में पहली बार Underwater Drones का इस्तेमाल किया जाएगा. ये ड्रोन पानी में 100 मीटर की गहराई तक जाकर मॉनीटरिंग कर सकते हैं. 2,700 सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं. चार सेंट्रल कमांड और कंट्रोल रूम भी बनाए गए हैं जहां 350 एक्सपर्ट लगातार भीड़भाड़ वाले इलाकों पर निगरानी रख सकेंगे. कुंभ में पहली बार facial recognition technology का इस्तेमाल किया जाएगा.
वैसे तो कुंभ हर बारह साल के बाद होता है लेकिन इस बार महाकुंभ विशेष है. बारह-बारह साल के बाद बारह महाकुंभ का चरण पूरा होता है तो 144 साल के बाद पूर्ण महाकुंभ का योग बनता है. इसलिए प्रयागराज में होने वाले इस कुंभ को पूर्ण महाकुंभ का दर्जा दिया गया है. ज्योतिषाचार्यों ने इस महाकुंभ को खास माना है और योगी आदित्यनाथ की सरकार भी इस महाकुंभ को भव्य और दिव्य बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. नरेंद्र मोदी कुम्भ के आयोजन से जुड़े हुए हैं. उन्होंने कुम्भ की विरासत को डिजिटल technology से जोड़ने की सलाह दी है. अध्यात्म को नई पीढ़ी से जोड़ने का निर्देश दिया है. भारत की आस्था और भक्ति का संदेश कुम्भ के माध्यम से पूरी दुनिया में पहुंचाने को कहा है. ये संयोग, ये प्रयोग अद्भुत होगा.
Happy New Year Rahul: But where are you?
Leader of Opposition in Lok Sabha Rahul Gandhi is not in India now. He left for Vietnam by VietJet airlines flight no VJ896, according to reports. BJP and Congress leaders sparred over social media after news about Rahul’s holiday sojourn appeared. Even senior Congress leaders were not aware neither about his itinerary, nor about his present location.
BJP IT Cell head Amit Malviya tweeted: “At a time when there is national mourning over the demise of former PM Dr Manmohan Singh, Rahul Gandhi, who was pretending to be very distraught four days ago, has gone to Vietnam to celebrate the New Year.” Congress MP Manickam Tagore replied, “If Rahul Gandhi travels privately, why does it bother you? Get well in New Year…When will Sanghis stop this ‘take diversion’ politics?”
It is no secret that Rahul Gandhi often vanishes from public view. During New Year, he often goes to a foreign destination for rest and recreation. Nobody should have any objection to this. It is his personal right. He is free to go anywhere, any time for holidays, but his personal visits often become political issues.
There are two reasons behind this. One, he keeps his visits and destinations secret. This can be the norm for popular movie stars, but when political leaders keep their foreign visits secret, it gives ammunition to their political rivals. Two, Rahul Gandhi never bothers what is happening in the country when he goes abroad. Had former PM Dr Manmohan Singh not passed away last week, Rahul’s New Year celebration would not have become a big issue. Earlier, he gave a break to his Bharat Jodo Yatra for this reason. Rahul also left his campaign in the midst of assembly elections, when he went on a foreign visit.
Had any top BJP leader done this and gone on a secret foreign visit, Rahul Gandhi would have raised a big hue and cry. He would have gone to the extent of describing it as an insult to the Constitution. But now, he is the Leader of Opposition and it is a statutory position. It would have been better, had he disclosed his itinerary to the public.
राहुल जी ! फिर से कहाँ चले गये?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस वक्त विदेश में हैं. पता लगा है कि वह छुट्टियां मनाने वियतनाम गए हैं. कांग्रेस के नेताओं को भी इसकी खबर नहीं हैं, लेकिन मुझे जानकारी मिली है कि राहुल गांधी वियत जेट एयर की फ्लाइट नंबर VJ 896 से रविवार रात 1 बजे वियतनाम रवाना हो गए. हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि राहुल 1 जनवरी तक वियतनाम में ही रूकेंगे या फिर वहां से कहीं और जाएंगे. लेकिन इतना तय है कि राहुल अभी देश में नहीं हैं.
बीजेपी IT Cell के प्रमुख अमित मालवीय ने X रक ट्वीट किया, “ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर देश में राष्ट्रीय शोक घोषित है। लेकिन राहुल गांधी, जो चार दिन पहले बहुत व्याकुल होने का स्वांग रच रहे थे, वो नया साल मनाने के लिए वियतनाम चले गए हैं। इससे पहले भी कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव और प्रणब मुखर्जी का इसी तरह अपमान किया था।“
चूंकि दो दिन पहले डॉ मनमोहन सिंह का अन्तिम संस्कार हुआ, सरकार ने 1 जनवरी तक राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया और इसी बीच राहुल नया साल मनाने विदेश निकल गए, इसलिए बीजेपी के नेताओं ने राहुल गांधी पर हमला किया. जवाब में कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने X पर लिखा : “अगर राहुल गांधी निजी यात्रा पर कहीं जाते हैं, तो इससे आपको क्या तकलीफ है? कम से कम नये साल में तो सुधर जाओ.”
ये तो कोई सीक्रेट नहीं है कि राहुल गांधी बीच-बीच में गायब हो जाते हैं. नये साल का जश्न मनाने मनाने वह किसी दूसरे देश में जरूर जाते हैं. इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. ये उनका अधिकार है. वो कभी भी, कहीं भी छुट्टी मनाने जा सकते हैं लेकिन उनकी ये निजी यात्रा सियासी मुद्दा बन जाती है.
इसकी दो वजहें हैं. एक तो राहुल अपनी विदेश यात्राओं और गंतव्य को गुप्त रखते हैं, किसी को बताते नहीं. ये फिल्म स्टार्स के लिए तो ठीक हो सकता है लेकिन कोई राजनीतिक नेता ऐसा करे तो विरोधियों को सवाल उठाने का मौका मिलता है.
दूसरी बात ये कि राहुल इस बात की परवाह नहीं करते कि जब वह बाहर जा रहे हैं, उस समय देश में क्या चल रहा है. जैसे अगर डॉ. मनमोहन सिंह का निधन न हुआ होता तो राहुल का ये साल का जश्न इतना बड़ा मसला न बनता. इसी चक्कर में उनकी भारत जोड़ो यात्रा को ब्रेक दिया गया था क्योंकि राहुल को कहीं जाना था. एक दो बार तो वह विधानसभा चुनावों का कैम्पेन बीच में छोड़कर विदेश चले गए थे.
सबसे बड़ी बात ये है कि अगर बीजेपी का कोई बड़ा नेता इस तरह से गायब हो जाए, सीक्रेट यात्रा पर चला जाए तो राहुल गांधी आसमान सिर पर उठा लेंगे. वो इसे संविधान का अपमान बता देंगे, लेकिन अब तो वो खुद एक statutory पद पर हैं. लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं, कहां जा रहे हैं, ये बताकर जाते तो अच्छा होता.
किस्सा कुर्सी का: वोट के बदले नोट का
क्रिसमस के मौके पर आम आदमी पार्टी की तरफ से एक AI जनरेटेड वीडियो जारी किया गया जिसमें केजरीवाल को सेंटा बनाया गया, जो दिल्ली में घूम-घूम कर लोगों को क्रिसमस के तोहफे बांट रहे हैं. चूंकि आम आदमी पार्टी ने चुनाव के बाद महिलाओं को हर महीने 2100 रूपए देने का वादा किया है, इसलिए इस वीडियो में केजरीवाल महिलाओं को 2100 रूपए का गिफ्ट देते हुए दिख रहे हैं.
लेकिन केजरीवाल को लेने के देने पड़ गए. दिल्ली सरकार ने महिलाओं को 2100 रूपए देने और 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को मुफ्त इलाज वाले स्कीम को पूरी तरह फर्जी बता दिया. इस स्कीम के लिए जो कार्ड बनवाए जा रहें हैं, फॉर्म भरवाए जा रहे हैं, उसे फ्रॉड बताया है.
असल में केजरीवाल और मुख्यमंत्री आतिशी सिंह गली-गली में घूम कर जिस महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना के फॉर्म भरवा रहे थे, कार्ड बना रहे थे, उन्हीं योजनाओं को दिल्ली सरकार ने फर्जी बता दिया. आम आदमी पार्टी सरकार के महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने दिल्ली के सभी अखबारों में एक नोटिस जारी करके लोगों से इस तरह की धोखाधड़ी से सावधान रहने की अपील की. लोगों से कहा है कि ये पब्लिक का डेटा इक्कठा करने की कोशिश है, सरकार ने ऐसी किसी योजना को मंजूरी नहीं दी है, इसलिए इस तरह के झांसे में न आएं, कोई फॉर्म न भरें, वरना मुश्किल में पड़ सकते हैं. आपके दस्तावेजों और पर्सनल जानकारी का दुरूपयोग हो सकता है. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने भी एक विज्ञापन जारी किया और साठ साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों के लिए मुफ्त इलाज के दावों को फर्जी करार दिया.
दोनों विज्ञापनों में कहा गया कि दिल्ली सरकार ने इस तरह की कोई योजनाएं शुरु नहीं की हैं, जब इस तरह का फैसला होगा, कोई स्कीम शुरु होगी, तब बाकायदा नोटिफिकेशन आएगा, लोगों को इसकी जानकारी दी जाएगी, लेकिन अभी इस योजना के नाम पर जो कैंप लगाए जा रहे हैं, जो पर्नसल डेटा लिये जा रहे हैं, वो गलत है, गैरकानूनी और फ्रॉड है.
जैसे ही दिल्ली सरकार के विज्ञापन सामने आए, तो बीजेपी को मौका मिला. बीजेपी के नेताओं ने केजरीवाल और उनकी सरकार पर हमले किए. विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि अब तो आम आदमी पार्टी की सरकार ही कह रही है कि केजरीवाल लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं, लोगों का पर्सनल और फाइनेंशियल डेटा इक्कठे कर रहे हैं, इसलिए इस मामले की जांच वैसे ही होनी चाहिए जैसे किसी आर्थिक अपराध या धोखाधड़ी की होती है.
इस मामले में केजरीवाल बैकफुट पर आ गए. अगर जनता उनके वादे पर भरोसा करके रजिस्ट्रेशन करवा रही है तो इसमें गलत क्या है. बड़ी बात ये हैं कि सीएम आतिशी खुद केजरीवाल के साथ घूम घूम कर योजनाओं के फॉर्म भरवा रही हैं और उनकी ही सरकार के दो विभाग इन योजनाओं के तहत रजिस्ट्रेशन को फ्रॉड बता रहे हैं. इसलिए आतिशी सिंह ने सफाई दी और कहा कि ये सब बीजेपी की चाल है, बीजेपी ने अफसरों पर दबाव डाल कर इस तरह का विज्ञापन जारी करवाया है. वो दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करेंगी.
कांग्रेस भी मैदान में आई. कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि केजरीवाल और बीजेपी में कोई फर्क नहीं हैं, दोनों पार्टियां दिल्ली के लोगों को धोखा दे रही हैं. कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी की सरकार के खिलाफ श्वेत पत्र जारी किया. अजय माकन ने कहा कि केजरीवाल एक नंबर के झूठे हैं, उनकी कोई विचारधारा नहीं हैं, वह सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं.
केजरीवाल के 2100 रुपये के वादे का मामला दिलचस्प है. केजरीवाल महिलाओं और बुजुर्गों से वादा कर रहे हैं, फॉर्म भरवा रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टी की ही सरकार ने इन योजनाओं को फर्जी करार दे दिया. ये कैसे हुआ, ये समझने की बात है. दिल्ली की अफसरशाही उपराज्यपाल के अधीन है. केजरीवाल ने सबको बायपास करके योजनाओं का ऐलान किया. उपराज्यपाल ने गुगली फेंक दी, अखबारों में इस स्कीम को फर्जी बताने वाले विज्ञापन छपवा दिए.
दूसरी तरफ केजरीवाल को पूरा भरोसा है कि महाराष्ट्र के चुनाव में लाडली बहन योजना ने बीजेपी को जिता दिया, मोदी की आयुष्मान योजना से बीजेपी को लाभ मिला, इसीलिए दिल्ली में उन्होंने ये कार्ड चला. केजरीवाल का ये फॉर्मूला गुजरात में काम कर गया था. केजरीवाल ने गुजरात के चुनाव से पहले महिलाओं को हर महीने दो हजार रूपए देने का वादा किया था. इसी तरह कैंप लगाकर फॉर्म भरवाए थे. गुजरात में आम आदमी पार्टी को 14 प्रतिशत वोट मिले थे.
आम आदमी पार्टी का दावा है कि दिल्ली में महिला सम्मान योजना के लिए 22 लाख महिलाएं और संजीवनी योजना के लिए करीब दो लाख बुजुर्ग रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं. इस बात को लेकर बीजेपी को टेंशन हो गई.
बीजेपी को महिलाओं के वोट खिसकने का डर होने लगा. इसका एक सबूत बुधवार को ही मिल गया. बीजेपी नेता प्रवेश वर्मा ने महिलाओं को घर बुला कर 11-11 सौ रूपए बांटे. प्रवेश वर्मा नई दिल्ली से अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, इसीलिए उन्होंने महिलाओं के वोट के लिए केजरीवाल का फॉर्मूला अपनाया.
प्रवेश वर्मा के 20, विंडसर पैलेस वाले बंगले पर सुबह महिलाओं की भीड़ लग गई. वे अपना वोटर कार्ड लेकर पहुंच गईं. इंडिया टीवी संवाददाता ऐसी कई महिलाओं से मिले, उन्होंने कहा कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने यहां आने को कहा था.जो महिलाएं निकलीं, उनके हाथ में एक फोल्डर था, जिसमें लाडली योजना का कार्ड और एक लिफाफा था. लिफाफे में 1100 रूपए थे. इन महिलाओं ने कहा कि प्रवेश वर्मा ने कहा है कि अभी तो सिर्फ 1100 रूपए दे रहे हैं, अगर दिल्ली में बीजेपी की सरकार आई तो लाडली बहना योजना के तहत हर महीने खाते में 2500 रूपए आएंगे.
सीएम आतिशी सिंह ने आरोप लगाया कि प्रवेश वर्मा के घर अब भी करोड़ों रूपये पड़े हैं और ED या CBI को उनके घर पर छापा मारना चाहिए, उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए.
प्रवेश वर्मा ने सफाई देते हुए कहा कि उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा ने एक NGO बनाया था, उस NGO की और से वह गरीब और जरूरतमंदों की मदद कर रहे थे.
सबसे आखिर में अरविन्द केजरीवाल अपने तुनाव क्षेत्र में महिला वोटरों से मिलने पहुंच गए, उन्हें समझाया कि दूसरी पार्टी वाले 1100 रूपये दे रहे हैं, उनसे नोट ले लेना लेकिन वोट मत देना.
महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना के मुद्दे पर केजरीवाल अपने ही जाल में फंस गए थे. उनके पास अपनी ही सरकार के विज्ञापन पर कोई जवाब नहीं था लेकिन प्रवेश वर्मा ने महिलाओं को 1100 रूपए के लिफ़ाफ़े बांट कर केजरीवाल को escape route दे दिया. महिलाओं और बुजुर्गों से फॉर्म भरवा कर केजरीवाल ने वोटर्स को लालच देने की कोशिश की और प्रवेश वर्मा ने भी वही काम किया. केजरीवाल से ज्यादा खुल्लमखुल्ला तरीके से किया.
महिलाओं के वोट केजरीवाल को भी चाहिए और प्रवेश वर्मा को भी. लेकिन केजरीवाल पुराने खिलाड़ी हैं. उन्होंने सीधे पैसे नहीं दिए, पैसों का वादा किया और प्रवेश वर्मा ने सीधे लिफाफा पकड़ा दिया. चुनावों के वक्त ज्यादातर नेता ये काम करते हैं, लेकिन कहते हैं, चोर वही होता है जो पकड़ा जाए और प्रवेश वर्मा पकड़े गए. उनकी सफाई थोड़ी कमजोर है.
Kissa Kursi Ka : Note For Vote
On Christmas, Aam Aadmi Party shared an AI-generated video on social media showing its convenor Arvind Kejriwal dressed as Santa Claus ‘distributing’ welfare gifts. The caption read: “Delhi’s own Santa delivering gifts year-round”. The video showed a a government school in delhi and the AAP chief gifting a box to a woman with Rs 2,100 written on it. But Kejriwal had to face a bizarre twist. Delhi government’s Department of Women and Child Development and Health Department issued public notices in nespapers cautioning people against the “registration drives” current underway by AAP for two schemes – Mahila Samman promising Rs 2,100 monthly allowances for women, and Sanjeevani scheme promising free health care for senior citizens aged above 60 years. The government notices said, these schemes were “non-existent” and urged residents not to share personal data. The notices clearly said no such schemes have been notified by Delhi government.
AAP chief Arvind Kejriwal had announced both these schemes and promised to implement them if the party returns to power in 2025 Assembly polls. BJP leaders described this as “economic offence and fraud” and demanded a probe into how personal and financial data from voters are being collected. Arvind Kejriwal, clearly on the backfoot, said there was nothing wrong if people come forward to register their names if they trust AAP to deliver on its poll promises.
Chief Minister Atishi herself have been moving around with Kejriwal in Delhi and getting the forms filled up, and on the other hand, her own government was issuing public notices cautioning people that the schemes were non-existent. Atishi alleged that this was part of “BJP’s conspiracy” and threatened to take action against Delhi government officers who issued these ads.
Congress, the third force in Delhi, waded into this debate and alleged that there was no difference between BJP and Kejriwal, as both the parties “were cheating the people of Delhi”. Congress issued a White Paper on AAP government’s promises and failures. Congress leader Ajay Maken described Arvind Kejriwal as “a big liar who has no ideology and who can do anything to grab power”.
The public notices issued by Delhi government are quite interesting. Delhi government’s bureaucracy works under the Lt. Governor. Since Kejriwal announced both schemes bypassing all, the L-G threw a googly, by inserting ads in newspapers describing the schemes as “non-existent”. On the other hand, Kejriwal is confident that both these schemes would ensuring a repeat win for his party, just like the Laadli Behan Yojana that swept the BJP-ShivSena-NCP government back in power in Maharashtra, and Modi’s Ayushman Yojana that gave benefits to BJP.
Kejriwal had played this card earlier in Gujarat assembly elections. He had promised Rs 2,000 monthly allowance to women, and organized camps for women voters to fill up forms. In the elections, AAP got 14 per cent votes. Similarly, in Delhi, Kejriwal had started “registration” of women and senior voters two days ago. AAP claimed that by Wednesday evening, 22 lakh women registered their names under Mahila Samman Yojana, while two lakh senior citizens registered their names under Sanjeevani Yojana.
Naturally, this caused tension in Delhi BJP camp, and it was evident on Wednesday, when Delhi BJP leader Parvesh Verma started distributing Rs 1,100 cash to each woman voter in his residence. Verma is going to contest against Kejriwal in New Delhi constituency. So, he adopted the ‘Kejriwal formula’ to defeat the AAP chief. At the government bungalow in 20, Windsor Place, there was a big crowd of women who were being given Rs 1,100 in envelopes. They had gone to Verma’s home carrying their voter identity cards.
India TV reporter met several women who came out carrying folders in which Rs 1100 cash was inserted in envelopes. The folders carried photographs of BJP leaders. Chief Minister Atishi demanded that ED or CBI should raid Verma’s residence and arrest him, as she suspected there were crores of rupees worth cash lying in his home. Parvesh Verma clarified that his father former CM Sahib Singh Verma had set up an NGO which helped poor and destitute women and this cash was being distributed for this purpose. He said, this was not black money and every rupee was accountable.
Kejriwal, by evening, issued an appeal to voters not to hesitate in taking cash, but refrain from giving votes to BJP. The AAP chief, who was caught in his own net on the Mahila Samman and Sanjeevani schemes issue because of Delhi govt ads, now got an escape route after it was found that Parvesh Verma was distributing cash to women voters. Both tried to offer inducements to women voters, either in cash or getting names registered. Parvesh Verma’s style was more blatant. Kejriwal is an old player in this game. He did not distribute money, but promised to give if elected. Verma straightaway gave envelopes filled with cash. Most of the politicians secretly distribute cash and other goodies during elections, but in Hindi, there is a proverb: “Chor Wohi Hota Hai, Jo Pakda Jaye” (The thief is the one who gets caught). Parvesh Verma was caught and his defence seems to be weak.
सारे बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजो
दिल्ली और मुंबई में बांग्लादेशी कहां से आते हैं, कैसे इन शहरों में बस जाते हैं और वोटर बन जाते हैं, इसका खुलासा मंगलवार को हुआ. मुझे ये जानकर हैरानी हुई कि घुसपैठियों के फर्जी दस्तावेज दिल्ली में बीस-बीस रूपए में बन जाते हैं, फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट, एड्रेस प्रूफ और फर्जी इनकम सर्टिफिकेट भी सस्ते में बन जाते हैं. फिर नकली सर्टिफिकेट्स का वेरीफिकेशन भी बिना ज्यादा खर्च के हो जाता है और उसके बाद असली आधार कार्ड, पैन कार्ड और वोटर कार्ड सब कुछ बन जाने में कोई मुश्किल नहीं होती. यानी बीस रूपए में बांग्लादेशी घुसपैठिए भारत के नागरिक बन जाते हैं, वोटर लिस्ट में उनका नाम आ जाता है, वोट डालते हैं, सरकारी योजनाओं का फायदा उठाते हैं और आपके पेट पर लात मारते हैं.
ये खुलासा तब हुआ जब दिल्ली पुलिस ने इस गिरोह के 11 सदस्यों को पकड़ा. इनमें पांच बांग्लादेशी हैं. दिल्ली में बांग्लादेशी घुसपैठियों के पकड़े जाने की कहानी बिल्कुल फिल्मी है. हुआ ये कि 20 अक्टूबर को संगम विहार में सेंटू शेख़ नाम के शख़्स की हत्या हो गई थी. पुलिस ने जब इस मर्डर केस की जांच के दौरान उसके घर की तलाशी ली, तो 21 आधार कार्ड, 6 पैन कार्ड और 4 वोटर ID मिले. सारे दस्तावेज़ असली थे. जिन लोगों के वोटर कार्ड थे, पुलिस ने उनसे सख्ती से पूछताछ की तो पता लगा कि वो चारों बांग्लादेशी हैं. उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड और वोटर ID बन चुके हैं. सेंटू ही उन्हें बांग्लादेश से भारत लाया था और पैसों के लेन-देन के झगड़े में उसकी हत्या हो गई. इसके बाद जांच ने दिशा बदली.
बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में लाने का काम सेंटू शेख के लिए बड़ा आसान था. सबका रोल तय था. सेंटू शेख़ बांग्लादेश के लोगों को पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत में घुसपैठ कराता था. ये घुसपैठिए पहले बंगाल और झारखंड में आकर ठहरते थे. वहां से धीरे-धीरे दिल्ली आते थे. दिल्ली में सेंटू शेख़ उन सबको एक कंप्यूटर सेंटर चलाने वाले साहिल सहगल से मिलवाता था. यहां सात रुपए में बर्थ सर्टिफिकेट और बीस रुपए में इनकम सर्टिफिकेट बन जाता था. इसी सेंटर पर बांग्लादेशी घुसपैठियों के नकली बर्थ सर्टिफिकेट, पढ़ाई लिखाई के सर्टिफिकेट और इनकम सर्टिफिकेट तैयार हो जाते थे. इसके बाद इन्हीं नकली जस्तावेज के आधार पर असली आधार और पैन कार्ड बन जाता था.
सिर्फ दिल्ली नहीं, असम से लेकर केरल तक और बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ मंगलवार को जबरदस्त एक्शन हुआ, चौंकाने वाले खुलासे हुए. जिस बात ने सबसे ज्यादा परेशान किया, वो ये है कि बांग्लादेश के जिस आतंकवादी को असम पुलिस ने केरल से गिरफ्तार किया, उसके तार अल कायदा से जुड़े हैं. वो अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) का सक्रिय सदस्य था. इस संगठन पर भारत, ब्रिटेन, अमेरिका और बांग्लादेश में प्रतिबंध है लेकिन ये बांग्लादेशी घुसपैठिया भारत में अंसारुल्लाह के लिए स्लीपर सेल का नेटवर्क तैयार कर रहा था.
इसी तरह महाराष्ट्र में मंगलवार को जो बांग्लादेशी पकड़े गए, वो वोटर बन चुके थे. आश्चर्य की बात ये है कि लोकसभा, विधानसभा चुनावों में उन्होंने वोट भी डाले लेकिन किसी को कानों कान खबर नहीं हुई. मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान के लिए मुहिम चलाई जाएगी, डिटेंशन सेंटर बनेंगे और बांग्लादेशियों को जल्दी से जल्दी डिपोर्ट किया जाएगा. लेकिन सवाल ये है कि क्या बांग्लादेशियों को पकड़ना इतना आसान है? अगर पकड़ भी लिया तो उनको डिपोर्ट करना कितना मुश्किल होगा?
दिल्ली में बांग्लादेशियों का सवाल सिर्फ कानूनी और तकनीकी ही नहीं है, ये पूरी तरह राजनीतिक है. बांग्लादेश से आए मुसलमान..पहले कांग्रेस का वोटबैंक थे. अब वे आम आदमी पार्टी के साथ हैं. दिल्ली में जब इनकी तलाश शुरू हुई, वोटर सूची से नाम कटने शुरू हुए तो आम आदमी पार्टी के चीफ अरविंद केजरीवाल ने कई सवाल पूछे. पूछा कि जो बांग्लादेशी सीमा पार कर बंगाल, बिहार, झारखंड गोते हुए दिल्ली आए, उन्हें गृह मंत्रालय क्यों नहो रोक पाय़ा.
आमतौर पर देश में जब जब बांग्लादेशी घुसपैठियों की चर्चा होती है तो इसे वोट बैंक की नजर से देखा जाता है. लेकिन ये मसला बहुत बड़ा और गंभीर है. आप ये सुनकर हैरान हो जाएंगे कि बीस साल पहले 2004 में सरकार ने संसद में बताया था कि देश में बांग्लादेशी घुसपैठियों की तादाद करीब दो करोड़ है. उस वक्त सिर्फ दिल्ली में 6 लाख बांग्लादेशी घुसपैठियों के होने की बात कही गई थी.
फिर 2013 में यूपीए की सरकार ने भी इसी तरह के आंकडे दिए थे लेकिन कभी भी बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने, उन्हें पकड़ कर वापस भेजने की गंभीर कोशिश नहीं हुई. पिछले कुछ सालों में ये मुद्दा उठा है, अब कार्रवाई हो रही है. लेकिन मुश्किल ये है कि बांग्लादेशी जितनी आसानी से हमारे देश में घुस आते हैं, उन्हें वापस निकालना उतना ही कठिन है, क्योंकि किसी को विदेशी साबित करना जांच एजेंसियों का काम है. घुसपैठियों के पास दस्तावेज तो होते नहीं जिससे उन्हें आसानी से घुसपैठिया साबित किया जाए. इस चक्कर में सालों साल केस चलता रहता है.
मुंबई में पिछले तीन साल में 686 बांग्लादेशी पकड़े गए लेकिन सिर्फ 222 को डिपोर्ट किया जा सका. बाकी केस अभी भी अदालतों में चल रहे हैं. बांग्लादेशी घुसपैठिए यहां आकर बस जाते हैं और भारत के लोगों का हक़ मारते हैं. इनमें से बहुत से आपराधिक गतिविधियों में शामिल होते हैं. चूंकि उनका कोई रिकॉर्ड पुलिस के पास नहीं होता, इसलिए आसानी से पकड़े नहीं जाते.
कुल मिलाकर ये लोग समाज और पुलिस दोनों के लिए मुसीबत बनते हैं. इसलिए मुझे लगता है कि घुसपैठियों के मुद्दे पर सिय़ासत करने के बजाए सभी पार्टियों के नेताओं को साथ आना चाहिए. घुसपैठियों को बाहर निकालने में सरकार और जांच एजेंसियों का समर्थन करना चाहिए.
Deport all illegal Bangladeshi migrants
The busting of a gang engaged in Bangladeshi immigration racket in Delhi and the arrest of eight Ansarullah Bangla Team terrorist module members from Bengal and Kerala raise serious concerns about the influx of people from the neighbouring country.
In Delhi, 11 persons including five Bangladeshis were arrested on charge of forging documents to generate Aadhar and voters’ identity cards for foreigners.
The crackdown on Bangladeshis in Delhi comes after the Lt. Governor directed the police chief to launch a two-month drive to identify Bangladeshi nationals. Fake Aadhar cards and other certificates were being sold by this gang for Rs 20. Among those arrested are Aadhar card operators and document forgers. Most of these Bangladeshis, after getting Aadhar and voter identity cards, get all welfare scheme benefits from the government.
Meanwhile, a joint team of Assam and Bengal police nabbed eight Bangladeshis who were acting as members of Ansarullah Bangla Team sleeper terror module. They were arrested from Kerala and Bengal. The busting of Ansarullah Bangla Team terror module is more serious. Their mastermind, Shahab Sheikh, was first caught in Kerala, and after getting clues, Assam-Bengal joint police team raided Dhubri in Assam, and Khidirpur and Murshidabad in Bengal, to nab the other members of the module. Shahab Sheikh had been living in India for the last ten years. In the meantime, he visited Bangladesh several times. Police sources say, the module planned to kill leaders of RSS and other pro-Hindutva outfits in India.
Maharashtra chief minister Devendra Fadnavis has announced that a state-wide drive would be launched to identify illegal Bangladeshi immigrants and those arrested would be kept at detention centres before deportation.
Already, with Delhi assembly polls due, the issue of detection of illegal Bangladeshis living in the capital has become not only legal and technical, but political too. Muslims coming from Bangladesh to Delhi were vote banks of Congress party and most of them are now supporters of Aam Aadmi Party. AAP chief Arvind Kejriwal has beeing raising questions as to how Bangladeshis, who crossed the Bengal border reached Delhi, since border security rests with the Centre.
Normally, in India, whenever the issue of illegal Bangladeshi migrants arises, these foreign nationals are viewed by some political parties as vote banks. The issue has now wider and serious ramifications. In 2004, the Centre informed Parliament that there were an estimated two crore Bangladeshi infiltrators in India, out of which six lakhs were in National Capital Region. In 2013, the UPA government had also given similar data about illegal Bangladeshi migrants.
There had been no serious campaign by the Centre or state governments to identify Bangladeshi infiltrators and pushing them back. In a striking contract, Bangladeshi immigrants cross over with ease into India, while Indian authorities face legal difficulties in ensuring their deportation.
Identification of illegal migrants is the work of investigation agencies. Since most of the illegal migrants do not have genuine documents, it is difficult to establish them as infiltrators. This has been going on since decades. In Mumbai, 686 Bangladeshi migrants were arrested in the last three years, out of which only 222 migrants were deported. The cases of the remaining migrants are pending in courts.
Illegal Bangladeshi migrants enter India, settle here, obtain Indian identity cards through fraudulent means and get benefits from all welfare schemes. Several of them have been found to be involved in criminal activities, but since police do not have their crime records, it is difficult to nab them. Ultimately, they become a headache for society and police.
Political leaders should stop politicizing this infiltration issue and support government and its investigation agencies to ensure that illegal immigrants from Bangladesh are deported at the earliest.
अल्लू अर्जुन किसके निशाने पर ?
कभी कभी सुपरस्टार होना भी महंगा पड़ जाता है. अल्लू अर्जुन इसकी नयी मिसाल हैं. दक्षिण की फिल्मों के सुपरस्टार तेलंगाना की सियासत में एक मोहरा बन गए हैं. रविवार को अचानक कुछ लोग उनके घर में घुस गए, तोड़फोड़ की, टमाटर फेंके, नारे लगाए, धमकी दी. अल्लू अर्जुन के परिवार वालों ने घबराकर उनके दो छोटे छोटे बच्चों को गाड़ी में बिठाकर पिछले दरवाजे से बाहर निकाला.
‘पुष्पा-2’ के जिस सुपरहिट किरदार से पर्दे पर सब डरते हैं, असली जिंदगी में वो अल्लू अर्जुन अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर डरे हुए हैं. वो राजनीति में नहीं हैं. किसी राजीतिक दल का समर्थन नहीं करते, लेकिन अल्लू अर्जुन को लेकर BRS और कांग्रेस आपस में टकरा रहे हैं, उनके घर पर हुए हमले के लिए एक दूसरे पर दोष थोप कर रहे हैं. पुलिस ने 6 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया, लेकिन हैरत की बात ये है कि उन्हें तुरंत जमानत मिल गई. इसीलिए इस बात का शक हुआ कि हमला करने वालों को किसी ना किसी का हाथ तो है.
BRS ने इल्जाम लगाया कि अल्लू अर्जुन के घर पर हमला करने वाले कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के करीबी हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि ये सब BRS की चाल है. उनका दावा है कि अल्लू अर्जुन के घर पर हमला BRS के नेताओं ने करवाया और इल्जाम कांग्रेस पर लगाया. सरकार कांग्रेस की है. पुलिस मामले की तहकीकात कर रही है. लेकिन सवाल ये है कि अल्लू अर्जुन के पीछे कौन पड़ा है? वो कौन है जिसकी अल्लू अर्जुन से दुश्मनी है? ‘पुष्पा-2’ के प्रीमयर के वक्त जो भगदड़ हुई, उसमें एक महिला की मौत कोई सियासी मसला नहीं है. ये मामला कोर्ट में हैं. जिस महिला की मौत हुई उसके पति ने कह दिया कि उस हादसे में अल्लू अर्जुन की कोई गलती नहीं है. तो फिर अल्लू अर्जुन को लेकर इस तरह की सियासत क्यों हो रही है? वो कौन है जो अल्लू अर्जुन को निशाना बना रहा है? अल्लू अर्जुन के घर पर तोड़फोड़ करने वाले कौन है?
BRS ने इल्जाम लगाया कि अल्लू अर्जुन के घर पर हमला करने वाले कांग्रेसी हैं, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के करीबी हैं. BRS के दावों का BJP के नेताओं ने भी समर्थन किया, लेकिन कांग्रेस की तरफ से दावा किया गया कि अल्लू अर्जुन के घर पर हमला करने वाले उस्मानिया यूनिवर्सिटी ज्वाइंट एक्शन कमेटी से जुड़े हैं, उनका संबंध BRS से हैं. पुलिस ने कहा हंगामा करने वाले सभी 6 आरोपी उस्मानिया यूनिवर्सिटी के छात्र हैं, ये सभी यूनिवर्सिटी की ज्वाइंट एक्शन कमेटी से जुड़े हैं. कोई इसका अध्यक्ष है, कोई उपाध्यक्ष तो कोई प्रवक्ता है. लेकिन पुलिस ने ये नहीं बताया कि अल्लू अर्जुन के घर के बाहर हंगामा करने के केस में आरोपी नंबर वन रेड्डी श्रीनिवास विकाराबाद जिल में रेवंत रेड्डी के चुनावक्षेत्र का रहने वाला है. BRS के नेताओं का कहना है रेड्डी श्रीनिवास ने 2019 में कांग्रेस के टिकट पर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ चुका है. रेड्डी श्रीनिवास ने एक वीडियो 4 दिसम्बर को पोस्ट किया, जिसमें वो यूथ कांग्रेस का जिलाध्यक्ष बनाये जाने पर पार्टी के नेताओं का शुक्रिया अदा कर रहा है. जवाब में कांग्रेस के नेताओं ने BRS के नेता के. टी. रामाराव के साथ रेड्डी श्रीनिवास की फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दी. .इस फोटो में रेड्डी श्रीनिवास ने BRS का गमछा डाल रखा है.
विधानसभा में अकबरूद्दीन ओबैसी और मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने अल्लू अर्जुन के खिलाफ बयानबाजी की. अकबरूद्दीन ओबैसी ने इल्जाम लगाया कि अल्लू अर्जुन को भगदड़ में महिला की मौत की जानकारी दे दी गई थी, तो वो सिनेमाहॉल से बाहर नहीं आए और यहां तक कहा कि अब पिक्चर और ज्यादा हिट होगी. अल्लू अर्जुन ने तुरंत इस आरोप का खंडन किया और इसे चरित्रहनन की कोशिश बताया.
CM रेवंत रेड्डी के करीबी लोगों ने बताया कि CM ने पीड़ित परिवार के लिए ताउम्र मदद देने का संदेश अल्लू अर्जुन तक पहुंचाया है. इसके तहत 2 करोड़ रूपये का फंड बनाकर श्री तेजा ट्रस्ट’ की स्थापना की जाएगी. इसमें अल्लू अर्जुन 1 करोड़ रूपये देंगे, निर्देशक सुकुमार 50 लाख रूपये औऱ प्रोड्यूसर मैत्री मूवीज़ 50 लाख रूपये का योगदान करेंगे. ट्रस्ट की मदद से पीड़ित परिवार को बेहतर चिकित्सा देखभाल और शिक्षा दिलवायी जाएगी.
इस समय अल्लू अर्जुन साउथ के सबसे बड़े सुपरस्टार हैं. उनकी फिल्म ‘पुष्पा 2’ ने डेढ़ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार करके सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. ऐसे सुपरस्टार से दुश्मनी कौन मोल लेगा? उनके घर पर हमला कौन करवाएगा? ये एक रहस्य है लेकिन एक बात साफ है कि अल्लू अर्जुन को पूरी प्लानिंग के साथ इस मामले में फंसाया गया. उन्हें ये समझाया गया कि पर्दे पर हीरो होना एक बात है, लेकिन असली जिंदगी में हीरो को जीरो बनाया जा सकता है.
इस पूरे मामले की क्रोनोलॉजी को समझिए. फिल्म के प्रीमियर के वक्त जो मौत हुई, वो दुखद, दुर्भाग्यपूर्ण थी, लेकिन अल्लू अर्जुन का इसमें कोई सीधे सीधे कोई हाथ नही था. फिर भी घटना के एक हफ्ते के बाद अचानक हैदराबाद पुलिस सक्रिय हुई, अल्लू अर्जुन को गिरफ्तार किया गया, लोअर कोर्ट ने उन्हें 14 दिन के लिए जेल भेजा, हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी अल्लू अर्जुन को रातभर जेल में रखा गया. इसीलिए ये साफ है कि ये मामला उतना सीधा नहीं है जितना दिखाई देता है.
विधानसभा में जिस तरह से पहले अकबरूद्दीन ओबैसी ने अल्लू अर्जुन पर महिला की हत्या का इल्जाम लगाया, जिस तरह से सीएम रेवंत रेड्डी ने अल्लू अर्जुन पर निशाना लगाया, उसने इस शक को और बढ़ा दिया. और फिर अल्लू अर्जुन के घर पर हमला हुआ, इसको लेकर भी सियासत हुई. उससे ये साफ हो गया है कि कोई तो है जो अल्लू अर्जुन से पुराना स्कोर सैटल कर रहा है.
सवाल ये है कि रेवंत रेड्डी खुलकर अल्लू अर्जुन के खिलाफ क्यों बोले? अल्लू अर्जुन पर क्रिमिनल केस क्यों हुआ? उनके घर पर हमला किसने करवाया? इन सारे मामलों में उंगलियां रेवंत रेड्डी की तरफ उठ रही हैं. ये कोई नहीं जानता कि रेवंत रेड्डी की अल्लू अर्जुन से नाराजगी क्या है, लेकिन अब लगता है कि ट्रस्ट बनने के बाद मामला सुलझ जाएगा, अल्लू अर्जुन की मुश्किलें कम होंगी. लेकिन ये सवाल बना रहेगा कि क्या वाकई में मुख्यमंत्री सुपरस्टार के पीछे पड़े हैं? क्या इसके पीछे कोई निदी दुश्मनी है? या कोई पुराना झगड़ा? कुछ तो है जिसे छुपाया जा रहा है. कुछ तो है जो पर्दे के पीछे है.
Who has a score to settle with Allu Arjun?
Being a superstar can at times prove costly. Allu Arjun is the latest example. This superstar from the South has now become a pawn in the chessboard of Telangana politics. On Sunday, some youths barged into his residence, threw tomatoes and broke flowerpots while shouting menacing slogans. The screen hero’s family had to send both his kids to safety from the back of the residence. In reel life, starstruck filmgoers fear the Pushpa-2 hero, but in real life, the star was fearing for the safety of his kids.
Allu Arjun is not in politics. He does not support any political party, but in Telangana, BRS and Congress have crossed swords over Allu Arjun. The two parties are blaming each other for the attack on the star’s residence. Hyderabad Police has arrested six persons, but surprisingly, all of them got bail immediately. This has roused suspicions about the possibility of political backing for these ruffians.
BRS leaders have alleged that Congress supporters, close to Chief Minister Revanth Reddy, attacked Allu’s residence, but Congress leaders say this is a clever game plan of BRS. Congress leaders allege, BRS leaders conspired to carry out this attack to fix blame on Congress. Since the state government is run by Congress and police is investigating the matter, the question arises as to which are the political forces that are trying to target Allu Arjun? Who are the ones who want to teach Allu Arjun a lesson? The death of a woman during the Pushpa-2 premiere stampede is not a political issue. The matter is in court. The husband of the woman who died has publicly said, Allu Arjun was not responsible for this tragedy. Then why this attack on Allu Arjun’s residence?
Congress leaders allege that the ruffians who attacked Allu Arjun’s residence were linked to Osmania University Joint Action Committee which has connections with BRS. According to police, all the six persons arrested and later released on bail were students of Osmania University. But police did not disclose that Accused No. 1 was Reddy Srinivas, a resident of Chief Minister Revanth Reddy’s Vikarabad constituency. BRS leaders say, Reddy Srinivas had contested the Zilla Panchayat polls in 2019 on Congress ticket. Reddy Srinivas posted a video on December 4 on social media thanking senior party leaders for appointing him the district chief of Youth Congress. On Monday, Congress leaders also uploaded pics of Reddy Srinivas with BRS leader T. Ramarao, in which the former was wearing a BRS ‘gamchha’ (towel).
There is another political party in the picture. AIMIM leader Akbaruddin Owaisi alleged that when a woman died in the stampede, Allu Arjun was informed, but he did not come out of the theatre to meet the victims. According to Owaisi, Allu Arjun, on the contrary, said, his movie would now become a superhit.
Meanwhile, sources close to Chief Minister Revanth Reddy said on Monday night that a Shri Teja Trust with Rs 2 crore corpus fund will be created, to which Allu Arjun would contribute Rs 1 crore, the director Sukumar would donate Rs 50 lakh and producer Mythri Movie Makers would contribute Rs 50 lakhs. This trust will provide education and treatment expenses to the stampede victims.
Allu Arjun is among the top superstars of the South at the moment. His latest movie Pushpa-2 broke all records by doing more than Rs 1,500 crore business. It is still a mystery as to who is trying to buy enmity with the superstar by sending ruffians to attack his residence. But one thing appears to be clear. There was planning behind a conspiracy to target Allu Arjun. The intent was to convey the message to the superstar that being a super hero on screen is one thing, but in real life, the same hero can be reduced to a zero.
One should try to understand the chronology behind this. Firstly, the death of a female fan in the stampede at the movie premiere was sad and unfortunate, but Allu Arjun was not directly involved in this. Secondly, Hyderabad Police suddenly became active after a week. Allu Arjun was arrested, taken to a lower court which sent him to 14 days’ judicial custody, but in spite of High Court granting bail, the star was kept overnight inside the jail, citing jail manual rules.
The matter does not appear to be as straight as it looks. The manner in which Akbaruddin Owaisi levelled murder charge against Allu Arjun, the Chief Minister Revanth Reddy criticizing the super star, create suspicions. This was followed by tomato pelting at Allu’s residence. Political parties levelled charges and counter-charges.
It is now clear there is someone who wants to settle old scores with Allu Arjun. The question arises: Why did CM Revanth Reddy speak out against Allu Arjun? Why was a criminal case filed against the star? Who orchestrated the attack on the star’s residence?
Fingers of suspicion are being pointed at the Chief Minister. Nobody knows why Revanth Reddy is unhappy with Allu Arjun. Though efforts are being made to iron out differences, the question will continue to hound: Was the Chief Minister trying to target the superstar? Is it personal rivalry or some old dispute? Something is being kept hidden and brushed under the carpet.