Rajat Sharma

ट्रम्प-मोदी के बीच दरार के 4 बड़े कारण

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पूरी दुनिया में आज इस बात की चर्चा है कि अमेरिका ने भारत पर सब ज्यादा टैरिफ क्यों लगाया? अमेरिका में भी लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाकर चीजों को महंगा क्यों कर दिया. इसको लेकर जितने मुंह, उतनी बातें. ट्रंप के एक एडवाइजर ने कहा कि ट्रंप ने भारत पर इतना टैरिफ इसीलिए लगाया क्योंकि ट्रंप मानते हैं कि रूस और यूक्रेन की जंग के लिए नरेंद्र मोदी जिम्मेदार हैं.
ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने दावा किया कि रूस से तेल खरीदकर भारत पुतिन को जंग के लिए पैसे देता है. अगर मोदी रूस से खरीदना बंद कर दें तो टैरिफ भी वापस हो जाएगा और रूस यूक्रेन की जंग भी रुक जाएगी.
अमेरिका की इस तर्क में कोई दम नहीं है क्योंकि अमेरिका के एक और एक्सपर्ट ने दूसरा लॉजिक दिया. ये भी ट्रंप के सलाहकार हैं. अमेरिका की नेशनल इकॉनमिक काउंसिल के डायरेक्टर केविन हैसेट ने कहा भारत पर इतना टैरिफ लगाने की वजह ये है कि भारत ने कृषि और डेयरी सेक्टर अमेरिकी कंपनियों के लिए खोलने से मना कर दिया, मोदी इस बात पर अड़े हुए हैं और ट्रंप भी अड़े हुए हैं, इसीलिए रास्ता निकलने की उम्मीद कम है.
ट्रंप ख़ुद ये मान रहे हैं कि यूक्रेन में युद्ध से अमेरिका को भारी मुनाफ़ा हो रहा है. फिर भी उन्होंने युद्ध के लिए भारत को ज़िम्मेदार ठहराया. एक्सपर्ट्स ने इसकी 4 वजह बताई.
एक तो ये कि जुलाई 2019 में जब इमरान ख़ान अमेरिका गए थे तो ट्रंप ने उनसे कह दिया था कि कश्मीर के मसले पर मोदी ने उनसे मध्यस्थता करने को कहा है. ट्रंप के इस बयान पर मोदी ने नाराजगी जाहिर की और ट्रंप को बता दिया कि भारत, कश्मीर के मसले पर किसी तीसरे देश की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा.
ट्रंप और मोदी के बीच तल्ख़ी की दूसरी वजह, अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में हुई एक घटना है. मोदी ने ट्रंप और कमला हैरिस दोनों उम्मीदवारों से मिलने का समय मांगा, ट्रंप ने समय दिया, ट्रंप ने अपनी रैली में इसकी घोषणा भी कर दी कि मोदी मुझसे मिलने आ रहे हैं. लेकिन अन्तिम क्षण में कमला हैरिस ने मोदी को मिलने का समय नहीं दिया. मोदी को लगा कि सिर्फ़ एक पार्टी के उम्मीदवार से मिलना ठीक नहीं होगा, इसलिए मोदी ने ट्रंप के साथ मुलाकात कैंसिल कर दी. ट्रंप को ये बात बहुत नागवार गुजरी.
तीसरी बात, भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम. ट्रंप अब तक 42 बार कह चुके हैं कि भारत पाकिस्तान का युद्ध उन्होंने रुकवाया. सीजफायर का फैसला करवाया. भारत कई बार ये साफ़ कर चुका है कि सीज़फ़ायर का फ़ैसला पाकिस्तान के अनुरोध पर हुआ लेकिन ट्रंप सुनने को तैयार नहीं हैं.
चौथी वजह, ट्रंप और मोदी की बात कनाडा में होनी थी. G-7 शिखर सम्मेलन के दौरान मीटिंग तय थी लेकिन ट्रंप अचानक अमेरिका लौट गए. फिर उन्होंने मोदी को फोन किया, वॉशिंगटन आने के लिए कहा. ये वही दिन था जब पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर व्हाइट हाउस में ट्रंप से लंच पर मिलने वाले थे. मोदी ने वॉशिंगटन जाने से इनकार कर दिया. ट्रंप को ये बात चुभ गई. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इन 4 कारणों की वजह से ट्रंप ने टैरिफ को लेकर भारत को टारगेट किया.
ट्रंप और मोदी के रिश्तों में खटास की एक वजह जर्मनी के अख़बार Frankfurter Allgemeine Zeitung ने भी बताई. जर्मनी के इस बड़े अखबार का दावा है कि ट्रंप ने मोदी को चार बार कॉल किया लेकिन मोदी ने ट्रंप की कॉल रिसीव नहीं की. इसकी वजह क्या थी? ये औपतारिक रूप से किसी ने नहीं बताया. लेकिन पता ये चला है कि ट्रंप अक्सर दुनिया के नेताओं को अपने पर्सनल नंबर से कॉल करते हैं. जिन नेताओं को ट्रंप ने अपने पर्सनल नंबर दिए हैं, उनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी है. अपने पिछले कार्यकाल में ट्रंप ने मोदी को अपना पर्सनल नंबर दिया था. लेकिन इस बार राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने सुरक्षा एजेंसियों के कहने पर अपना फ़ोन और नंबर दोनों बदल दिया. शायद उन्होंने अपने नए नंबर से ही प्रधानमंत्री मोदी के मोबाइल पर कॉल किया था. unknown नंबर होने की वजह से प्रधानमंत्री ने ट्रंप की कॉल्स रिसीव नहीं की. लगता है ट्रंप ने इस बात को दिल पर ले लिया और अब टैरिफ को बदले का हथियार बना रहे हैं.
एक बात तो पक्की है कि ट्रंप को भारत से जो भी समस्या है, वह बहुत बड़ी है. इतनी बड़ी समस्य़ा सिर्फ Russia से तेल खरीदने को लेकर तो नहीं हो सकती क्योंकि यूक्रेन को अमेरिका और यूरोप इतनी मदद भेजते हैं कि उसके आगे रूस को भारत के तेल से होने वाली कमाई आटे में नमक के बराबर है.
ट्रंप की समस्या इतनी बड़ी है कि उन्होंने आसिम मुनिर को गोद में बिठा लिया. युद्धविराम को tariff से जोड़कर बार-बार मोदी को embarrass किया, भारत पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगा दिया. भारत के साथ इतने वर्षों की दोस्ती का कोई ख्याल नहीं किया.
जिस चीन से अमेरिका की दुश्मनी है, उसे छूट दी. ट्रंप के इस रवैये की सिर्फ एक ही वजह हो सकती है कि ‘नरेंदर’ ने सरेंडर करने से इनकार कर दिया. मोदी ने ट्रंप के आगे झुकने से इनकार कर दिया. ट्रंप ने मोदी को underestimate किया.
वैसे भी ट्रंप का काम करने का अपना तरीका है. वो रोज़ मीडिया से सीधे बात करते हैं, किसी भी Head of State के बारे में कुछ भी कह देते हैं. बड़े-बड़े फैसले सोशल मीडया पोस्ट करके घोषणाएं करते हैं. दूसरे देशों के प्रधानमंत्रों और राष्ट्रपतियों को सीधे mobile पर फोन करते हैं. ऐसा अमेरिका में पहले कभी किसी राष्ट्रपति ने नहीं किया. अब अमेरिका के लोग भी कह रहे हैं कि ट्रंप सिर्फ एक trader हैं, deal maker हैं. इसीलिए भारत को ट्रंप से deal करने के नए और अलग तरीके ढूंढने होंगे और मुझे विश्वास है कि इसकी कोशिश ज़रूर की जा रही होगी.

बिहार : मोदी की मां के नाम पर गाली, दांव उल्टा पड़ेगा

बिहार में चुनावी राजनीति गालीगलौज के स्तर पर पहुंच गई है. राहुल गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए तू-तड़ाक की भाषा का इस्तेमाल किया और अगले दिन कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने दरभंगा में मंच से मोदी को गंदी-गंदी गालियां दीं.
मंच से माइक पर देश के प्रधानमंत्री को मां की गाली दी गई, सिर्फ गाली नहीं दी गई, गाली देकर नारे लगवाए गए. ये घिनौनी हरकत दगभंगा के पास बिठौली में हुई. वहां राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोट अधिकार यात्रा के लिए मंच बना था. सामने कांग्रेस और RJD के हजारों कार्यकर्ता थे. इसी दौरान मंच से कांग्रेस के किसी स्थानीय नेता ने माइक पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भद्दी गालियां देनी शुरू कर दी, मोदी को मां की गाली दी.
हैरानी की बात ये है कि कांग्रेस के इस नेता ने सामने मौजूद पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी मोदी के लिए गालियों के नारे लगवाए. मंच पर दर्जनों लोग मौजूद थे लेकिन किसी ने इस नीचतापूर्ण हरकत का विरोध नहीं किया. किसी ने उसे नहीं रोका.
चूंकि मंच पर भीड़ थी, कैमरे मंच से दूर थे, इसलिए उस शख्स का चेहरा सामने नहीं आया जिसने ये गिरी हुई हरकत की. पता ये चला कि जो मंच बना था वो कांग्रेस के एक स्थानीय नेता मोहम्मद नौशाद ने बनवाया था. नौशाद इस बार जाले विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट का दावेदार है.
जैसे ही प्रधानमंत्री को गाली देने वाला वीडियो सामने आया तो देशभर में बीजेपी के नेताओं ने इसकी निंदा की. बिहार पुलिस ने कांग्रेस के कार्यकर्ता मुहम्मद रिज़वी को गिरफ्तार कर लिया. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ये कृत्य सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी का नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतवासियों की भावनाओं का अपमान है.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी स्वर्गीय माताजी के लिए कांग्रेस और आरजेडी के मंच से जिस तरह गालियों और अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया है, वह न केवल निंदनीय है, बल्कि हमारे लोकतंत्र को कलंकित करने वाला है. बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को जिस तरह गाली दी गई, उसके लिए राहुल गांधी और तेजस्वी यादव, दोनों शहजादों, को माफी मांगना चाहिए.
चुनावों का इतिहास गवाह है कि कांग्रेस ने जब जब मोदी को गाली दी है, मोदी को फायदा हुआ है और कांग्रेस को नुकसान. जब सोनिया गांधी ने गुजरात में मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कहा तो कांग्रेस को खामियाजा भुगतना पड़ा.
इसके बाद कांग्रेस गुजरात में दंगों की बात करने से कतराती थी. जब राहुल ने ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया तो ये कांग्रेस के लिए counter productive साबित हुआ. राहुल का दांव उल्टा पड़ गया. जब राहुल गांधी ने कहा, ‘सारे मोदी चोर हैं’ तो मुकदमा हुआ, कोर्ट में जवाब देना मुश्किल हो गया.
जब राहुल ने ‘नरेंदर सरेंडर’ कहा तो public को बुरा लगा. कल भी बिहार में राहुल ने प्रधानमंत्री को लेकर जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया, उसे बिहार की जनता पसंद नहीं करेगी. इन बातों का लोगों पर खास असर इसीलिए भी नहीं होता क्योंकि मोदी का एक track record है. मोदी की देशभक्ति पर कोई सवाल नहीं उठा सकता. दूसरा, मोदी किसी से डरने वालों में नहीं हैं. तीसरा, मोदी पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं जमता.
मोदी के परिश्रम का लोहा उनके विरोधी भी मानते हैं. इसी चक्कर में मोदी को गाली देने वालों को नुकसान होता है. मोटी बात ये है कि भारत के लोकतंत्र में अपशब्दों का, अश्लीलता का, गालियों का कोई स्थान नहीं है.
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