प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिल का दर्द, मन की पीड़ा, जुबान पर आ ही गई. मोदी ने कहा कि बिहार में जिस तरह RJD कांग्रेस के मंच से उनकी दिवंगत मां को गाली दी गई, वो उनके दिल में तीर की तरह चुभी है.
मोदी ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं को ये बात पच ही नहीं रही है कि एक गरीब पिछड़े वर्ग की मां के बेटे को देश की करोड़ों मांओं ने आशीर्वाद दिया, मां भारती की सेवा का बार-बार अवसर दिया, इसलिए मुंह में चांदी की चम्मच लेकर पैदा हुए शहजादे उनकी मां को गाली दे रहे हैं.
मोदी ने कहा कि हमारे देश में मां साक्षात् देवी है, मां पूज्य है, इसीलिए मां को गाली देकर कांग्रेस और RJD ने जो महापाप किया है, उसे देश माफ नहीं करेगा, अब ये बिहार के हर नौजवान की जिम्मेदारी है कि कांग्रेस और RJD के नामदारों को गलती का एहसास कराएं, हर मां, बहन, बेटी से माफी मांगने के लिए मजबूर करें.
मोदी ने कहा कि बिहार की मां, बहन, बेटियां हर गली, हर चौराहे पर. जहां कांग्रेस और RJD के नेता मिलें, उन्हें वहीं पकड़ें और नारी शक्ति का एहसास कराएं. मोदी की इस भावुक अपील के बाद बिहार में जगह जगह प्रोटेस्ट शुरू हो गए. NDA ने 4 सितंबर को 5 घंटे के लिए बिहार बंद का ऐलान किया है.
मां को गाली दिए जाने पर प्रधानमंत्री मोदी का दर्द छलकना स्वाभाविक है. कोई भी बेटा अपनी मां के लिए गाली सुनकर आहत होगा. उनकी मां का तो तीन साल पहले देहांत हो चुका है. वो कभी राजनीति में नहीं रहीं. उन्होंने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा. क्या उनको सिर्फ इसीलिए गाली दी गई क्योंकि उनका बेटा देश का प्रधानमंत्री है?
जिस दिन कांग्रेस और RJD के मंच से मोदी का नाम लेकर मां की गाली दी गई थी, उसी दिन राहुल और तेजस्वी उसकी निंदा कर देते तो उनका क्या बिगड़ जाता?
उसके बाद भी कई दिन तक उनकी यात्रा जारी रही. अगर वो दुख भी प्रकट कर देते तो शायद ये इतना बड़ा मुद्दा न बनता. पर शायद दोनों नेताओं का अहं बहुत बड़ा है.
पहले कांग्रेस के एक नेता ने इसे बीजेपी की साजिश बताया. फिर दूसरे ने इसे एक मामूली कार्यकर्ता का काम बताया. फिर बाकी नेता गिनाने लगे कि बीजेपी के किस-किस नेता ने क्या-क्या गाली दी.
राजनीति में गाली गलौज के लिए कोई स्थान नहीं है. उसकी निंदा की जानी चाहिए. लेकिन पहले क्या हुआ इससे कांग्रेस के मंच से मां को गाली देने का लाइसेंस तो नहीं दिया जा सकता.
भारत के लोग गाली गलौज की भाषा को कभी स्वीकार नहीं करते. इसीलिए राजनीतिक तौर पर तेजस्वी को नुकसान होगा. उन्हें एक दिवंगत मां के अपमान की कीमत चुकानी पड़ेगी.
गुरुग्राम के लोगों की आवाज़ को कौन सुनेगा ?
इस समय पंजाब के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और जम्मू कश्मीर के कई इलाकों में भारी बारिश से हालात खराब हैं. हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन की बजह से 300 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
दिल्ली में यमुना नदीं खतरे के निशान के ऊपर बह रही है और बहुत से निचले इलाकों में बाढ का पानी भर गया है. दिल्ली में पुराने लोहा रेलवे पुल को बंद कर दिया गया है.
बारिश की वजह से साइबर सिटी गुरुग्राम का पिछले तीन दिनों में जो हाल हुआ, उसकी तस्वीरें आईं डराने वाली है. मिलेनियम सिटी के नाम से मशहूर गुरुग्राम के ज्यादातर पॉश इलाके पानी में डूब गए. हर जगह पानी भरा, हर जगह जाम लगा.
गुरुग्राम के राजीव चौक, हीरो होंडा चौक, इफको चौक, और खिड़की दौला टोल प्लाज़ा की सड़कों पर तो कई फीट पानी भरा रहा. इसके अलावा, गुरुग्राम के सदर, नरसिंहपुर, शीतला माता मंदिर रोड, अग्रसेन चौक, सेक्टर 15, मेहरौली रोड, ओल्ड दिल्ली रोड और द्वारका रोड जैसी सड़कों पर तो इतना पानी था कि लोगों का निकलना मुश्किल हो गया. लगातार बारिश की वजह से राजीव चौक और बजघेरा अंडरपास जैसे major routes पर ट्रैफिक थम गया.
दिल्ली से गुरुग्राम जाने वाली और गुरुग्राम से दिल्ली और जयपुर आने वाली सड़कों पर आठ किलोमीटर का ट्रैफिक जाम लगा रहा. जो लोग शाम को दफ्तर से निकले, वो आधी रात के बाद घर पहुंचे. जो दूरी 20 मिनट में तय हो जाती थी, उसे तय करने में चार- पांच घंटे लग गए.
गुरुग्राम में जल-भराव और जाम के बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाली. कहा कि सरकार के ख़ज़ाने में हज़ारों करोड़ देने वाला गुरुग्राम अनाथ है. यहां नगर प्रशासन की सारी व्यवस्था फेल हो गई है. गुरुग्राम में करोड़ों के फ्लैट ख़रीदने वाले कीड़े-मकोड़ों वाली ज़िंदगी बसर करने को मजबूर हैं.
आखिर गुरुग्राम के लोगों का कसूर क्या है? उन्होंने किसी का क्या बिगाड़ा है कि उन्हें दो-दो घंटे जाम में खड़े रहना पड़ता है?
क्या उनका गुनाह ये है कि गुरुग्राम में रहने वाले और काम करने वाले हर साल एक लाख करोड़ रुपये का tax देते हैं?
क्या उनका कसूर ये है कि हरियाणा का 45% GST सिर्फ गुरुग्राम से वसूल होता है? इस GST की वजह से हरियाणा का GST collection पंजाब के मुकाबले पांच गुना है.
क्या गुरुग्राम के लोगों का कसूर ये है कि वो excise के नाम पर हरियाणा को 27% राजस्व देते हैं? गुरुग्राम में रहने वाले लोग road tax देते हैं, toll देते हैं और इन सारे Taxes के बदले हर साल गुरुग्राम की सड़कें नदी और नालों में तब्दील हो जाती हैं. 50-50 करोड़ के flats में रहने वालों का घर से बाहर निकलना बंद हो जाता है.
गुरुग्राम में बहुत सारी Multinational Companies हैं जिनमें काम करने वाले दुनिया के बड़े बड़े शहरों से आते हैं. बात दूर तलक जाती है और पूरी दुनिया में गुरुग्राम का नाम खराब होता है. और ये कोई एक बार की बात नहीं है. हर साल की यही कहानी है.
इसको कौन ठीक करेगा? गुरुग्राम के लोगों की सुध कौन लेगा? इसका जवाब देने वाला भी कोई नहीं है.
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