
पाकिस्तान के गैरकानूनी कब्जे वाले कश्मीर से रुलाने वाली तस्वीरें आईं. आज़ादी की मांग कर रहे लोगों पर पाकिस्तानी फौज ने अंधाधुंध फायरिंग की, सड़कों पर लाशें ही लाशें बिछी हुई दिखाई दीं. आप तस्वीरें देखेंगे तो कलेजा मुंह को आ जाएगा.
   आसिम मुनीर की फौज ने PoK की पुलिस को भी नहीं बख्शा. कई पुलिस वालों को भी गोलियों से उड़ा दिया. फौज को शक है कि पुलिस के जवान PoK की आवाम का साथ दे रहे हैं. हालांकि फौज की गोलियां, लाशों के ढेर, खून की नदियां PoK की जनता को डरा नहीं पाईं. उल्टा हुआ. विरोध की चिंगारी शोलों में बदल गई.
     इस वक्त भी मुजफ्फराबाद और मीरपुर जैसे शहरों में हजारों लोग सड़कों पर नारे लगा रहे हैं, शहबाज़ शरीफ की सरकार सदमे में है. घबराकर शहबाज़ शरीफ ने प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए एक टीम को मुजफ्फराबाद भेजा लेकिन इंकलाब के नारे लगाने वाले अब इंतकाम चाहते हैं. वो पाकिस्तान की हुकूमत से बात नहीं करना चाहते, आज़ादी चाहते हैं.
    शहबाज़ शरीफ की हुकूमत ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग के ऑर्डर दिए, लेकिन PoK की लोकल पुलिस ने लोकल लोगों पर गोलियां बरसाने से इंकार कर दिया. इसलिए इस्लामाबाद से काउंटर टेरेरिज्म यूनिट के एक हजार हथियारबंद जवान मुजफ्फराबाद भेजे गए. पाकिस्तान रेंजर्स और आर्मी को POK में चल रही आजादी की जंग को कुचलने के लिए भेजा गया है. सरकार का हुक्म है कि प्रदर्शनकारियों को किसी भी कीमत पर मुज़फ़्फ़राबाद पहुंचने से रोका जाए.
    पाकिस्तानी फौज की हैवानियत दुनिया के सामने न आए, PoK में लगी आग और ज्यादा न भड़के, इसलिए पाकिस्तान सरकार ने PoK में इंटरनेट बैन कर दिया और मीडिया रिपोर्टिंग पर पाबंदी लगा दी है.
   लोगों का कहना है कि वो पिछले 78 बरस से पाकिस्तान के ज़ुल्म झेल रहे हैं लेकिन अब इंतेहा हो गई. अब शहबाज़ शरीफ की हुकूमत और मुनीर की फ़ौज से अपने गुनाहों का हिसाब देना होगा.
   वैसे तो पाकिस्तान के मीडिया ने PoK के ख़ून-ख़राबे को censor कर दिया है लेकिन वहां के कुछ आज़ाद पत्रकार PoK की ख़बरें बाकी दुनिया तक पहुंचा रहे हैं.  ऐसे ही एक पत्रकार इमरान रियाज़ ने बताया कि PoK में रेंजर्स और पुलिस की फायरिंग में बड़ी तादाद में लोग मारे गए हैं लेकिन शहबाज़ सरकार और मुनीर की फ़ौज ये आंकड़ा छुपा रही है.
  PoK की जनता अब पाकिस्तान से निजात पाने पर एलान कर चुकी है. निहत्थे लोगों पर फायरिंग के बाद भड़के हुए लोग  पाकिस्तान की पुलिस पर अपना ग़ुस्सा निकाल रहे हैं. कोटली, मीरपुर, और ददियाल में पब्लिक ने पुलिस की कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया.  बाघ क़स्बे में भी रेजर्स और पाकिस्तानी फौज के जवान  अवाम के ग़ुस्से का निशाना बने.
   पाकिस्तान की हुकूमत बातचीत की दावत दे रही हैं लेकिन इस ऑफ़र में कितना खोट है, इसका सबूत इस्लामाबाद से आया. इस्लामाबाद प्रेस क्लब में एक प्रोटेस्ट मीटिंग बुलाई गई थी. इस मीटिंग में PoK के कुछ लोग शामिल होने वाले थे और पत्रकारों को भी कवरेज के लिए बुलाया गया था लेकिन मीटिंग शुरू होते ही  इस्लामाबाद पुलिस की टीम पहुंची और उसने वकीलों और पत्रकारों को बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया.  पुलिस ने प्रेस क्लब के भीतर घुसकर लोगों को पकड़-पकड़कर पीटा. प्रेस क्लब के कैफेटेरिया में तोड़-फोड़ की. पुलिस के जवान वहां से प्रोटेस्टर्स को उठा ले गए.
    इस्लामाबाद में पत्रकारों की पिटाई की तस्वीरों को तो पाकिस्तान की हुकूमत रोक नहीं पाई लेकिन PoK की सड़कों पर बिछी लाशों की जो तस्वीरें मैंने आपको गुरुवार रात अपने शो “आज की बात” में दिखाई. वो हमने बड़ी मुश्किल से हासिल की हैं.
     पाकिस्तान की हुकूमत की पूरी कोशिश है कि पाकिस्तानी फौज की गोलियों की गूंज किसी को सुनाई न दे, बेगुनाह लोगों की मौत किसी को दिखाई न दे, PoK में मीडिया के जाने पर पाबंदी है, Internet पर ban लगा दिया गया है. पहले अवाम को रोकने के लिए containers लगाए गए, फिर बेहिसाब गोलियां बरसाईं गईं लेकिन लाशों का अंबार भी अवाम को रोकने में नाकाम रहा.
   PoK में लोकल मीडिया के लोगों ने जान पर खेलकर फौजी हैवानियत की तस्वीरें भेजी हैं. पाकिस्तान के mainstream Media से दिल दहलाने वाली ये तस्वीरें गायब हैं.
   PoK के लोग पूछ रहे हैं कि कहां हैं वो लोग जो मोमबत्तियां जलाते थे?  कहां हैं वो लोग जो इंसानियत के पैरोकार बनते थे? Western Media को ये खून से सनी लाशें दिखाई क्यों नहीं देतीं? मुझे लगता है कि PoK की आवाज को अब ज्यादा दिन दबाया नहीं जा सकेगा. बहुत जल्द शहबाज और मुनीर के जुल्म की तस्वीरें पूरी दुनिया देखेगी.
RSS@100 : मोहन भागवत का एकता का संदेश
     नागपुर में संघ के विजयादशमी समारोह में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने उन लोगों को नसीहत दी, जो भारत में श्रीलंका, बांग्लादेश या फिर नेपाल जैसी GEN-Z क्रांति का ख्वाब देख रहे हैं.
     मोहन भागवत ने कहा कि लोकतन्त्र में जनता सरकार तक अपनी भावनाएं पहुंचा सकती है, व्यवस्था को बदल सकती है लेकिन सड़क पर उतर कर हंगामा करने से सिर्फ अराजकता फैलती है, इससे किसी का भला नहीं होता.
   मोहन भागवत ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर से लेकर अमेरिका के साथ चल रहे टैरिफ वॉर और देश में चल रहे तमाम मुद्दों पर बात की.
    चूंकि आजकल कई राज्यों में “आई लव मोहम्मद” को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं, मोहन भागवत ने इसकी तरफ इशारा किया. उन्होंने कहा कि भारत में हर महापुरूष का सम्मान किया जाता है लेकिन पिछले कुछ दिनों से जिस तरह कानून हाथ में लेकर गुंडागर्दी की जा रही, वो ठीक नहीं.
   मोहन भागवत ने कहा कि भारत सनातन काल से हिन्दू राष्ट्र है, हिन्दुओं की एकता सबकी सुरक्षा और देश के विकास की गारंटी है.
     मोहन भागवत ने RSS की छवि को बदला है. उन्होंने कभी हिंदू-मुसलमान को लड़वाने की बात नहीं कही. वो अपनी हिंदू विचारधारा से पीछे भी नहीं हटते. हमेशा हिंदुओं की एकता को और मजबूत करने की बात करते हैं लेकिन संघ के स्वयंसेवकों से हमेशा कहते हैं कि हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग ढूंढने की जरूरत नहीं है. इस एक वाक्य का बहुत बड़ा मतलब है कि बात-बात पर टकराने की आवश्यकता नहीं है.
    RSS का विरोध करने वाले आरोप लगाते हैं कि संघ के लोग दंगा करवाते हैं, हिंसा भड़काते हैं. आज मोहन भागवत ने ये भी स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है.
   मोहन भागवत के विजयादशमी भाषण से RSS को लेकर उठे बहुत सारे सवालों के जवाब मिलेंगे जिनसे संघ के 100वें वर्ष में RSS को समझने में मदद मिलेगी.
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