पाकिस्तान के गृह मंत्री और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष मोहसिन नकवी ने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दी. एशिया कप की ट्रॉफी टीम इंडिया के हवाले करने से इंकार कर दिया.
BCCI ने साफ कर दिया कि भारतीय टीम मोहसिन नकवी के हाथ से ट्रॉफी नहीं लेगी, नकवी एशिया कप की जो ट्रॉफी लेकर भागे हैं, वो एशियन क्रिकेट काउंसिल के दफ्तर में पहुंचा दें, भारत वहीं से ट्रॉफी ले लेगा. लेकिन मोहसिन नकवी ने ट्रॉफी दुबई के उस होटल में रखी हुई है जिसमें वो ठहरे हैं.
मोहसिन नकवी कह रहे हैं कि ट्रॉफी टीम इंडिया ले ले उन्हें कोई ऐतराज़ नहीं है, लेकिन ट्रॉफी उन्हीं के हाथ से लेनी होगी.
हालांकि सूर्य कुमार यादव और उनकी पूरी टीम भारत लौट आई है, एशिया कप के फाइनल मैच को जीते हुए भी तीन दिन हो चुके हैं, लेकिन मोहसिन नकवी ने न तो ट्रॉफी टीम इंडिया को दी, न खिलाड़ियों के मेडल्स दिए.
मोहसिन नकवी की इस बेजा हरकत को लेकर ACC की मीटिंग में जबरदस्त नोंकझोंक हुई. BCCI ने मोहसिन नकवी को खूब खरी-खोटी सुनाई. अब मामला ICC के पास जाएगा. इतना तो तय है कि एशिया कप ट्रॉफी टीम इंडिया के पास ही आएगी लेकिन सवाल ये है कि मोहसिन नकवी ट्रॉफी लेकर क्यों भागे.
मोहसिन नक़वी ने भारत को एशिया कप की ट्रॉफी देने के लिए अब एक नई शर्त रखी है. नक़वी ने कहा है कि वो टीम इंडिया को ट्रॉफी देने को राज़ी हैं लेकिन अवार्ड समारोह फिर से हो, समारोह में वही टीम इंडिया को ट्रॉफी देंगे और उसका लाइव टेलीकास्ट किया जाए. BCCI ने मोहसिन नक़वी की इस शर्त को सिरे से खारिज कर दिया.
दुबई में मंगलवार को एशियन क्रिकेट काउंसिल की वार्षिक आम बैठक में BCCI के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला और बोर्ड के सदस्य आशीष शेलार पहुंचे. उन्हने एशियन क्रिकेट काउंसिल से एशिया कप की ट्रॉफी नहीं मिलने पर कड़ा ऐतराज़ जताया.
BCCI के अधिकारियों ने कहा कि भारत ने कप जीता है और ट्रॉफी पर टीम इंडिया का अधिकार है. भारतीय टीम को ट्रॉफी मिलनी चाहिए, ACC अध्यक्ष मोहसिन नक़वी ट्रॉफी को तुरंत ACC के दफ्तर में पहुंचाएं, टीम इंडिया वहीं से ट्रॉफी ले लेगी. राजीव शुक्ला ने कहा कि ट्रॉफी एशियन क्रिकेट काउंसिल की है, किसी की बपौती नहीं, जो अपनी मर्ज़ी से उस अपने घर ले जाए, होटल में अपने कमरे में रख ले. लेकिन मोहसिन नकवी टीम इंडिया की जीत से इतने बौखलाए हुए हैं कि जब मीटिंग शुरू हुई, तो उन्होंने नेपाल को वेस्ट इंडीज़ पर जीत की मुबारकबाद दी, मंगोलिया को ACC का सदस्य बनने पर भी बधाई दी लेकिन एशिया कप जीतने पर टीम इंडिया को मुबारकबाद तक नहीं दी.
इस पर आशीष शेलार ने आपत्ति जताई, तब मोहसिन नक़वी ने बेमन से भारत को जीत की बधाई दी.
मोहसिन नक़वी ने कहा कि वो टीम इंडिया को ट्रॉफी देने के लिए एक घंटे से ज़्यादा वक़्त तक मंच पर खड़े इंतज़ार करते रहे, उनका मज़ाक़ बना, पूरी दुनिया की नज़र में वो कार्टून बन गए, इसलिए वो ट्रॉफी और मेडल तभी देंगे, जब अवार्ड सेरेमनी फिर से होगी और टीम इंडिया उनके हाथ से ट्रॉफी लेने को तैयार होगी.
अब भारत मोहसिन नक़वी के इस रुख़ की शिकायत ICC से करेगा. वहीं एशियन क्रिकेट काउंसिल ने अब ट्रॉफी का फ़ैसला ACC के पांच टेस्ट खेलने वाले सदस्यों – भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान- पर छोड़ दिया है. इस मसले को सुलझाने के लिए पांचों देशों के क्रिकेट बोर्ड्स की बैठक जल्दी ही बुलाई जाएगी.
अब मैं आपको बताता हूं कि रविवार को फाइनल के बाद इतना ड्रामा क्यों हुआ. टीम इंडिया ने पुरस्कार समारोह शुरू होने से पहले ही बता दिया था कि वो मोहसिन नक़वी के हाथ से ट्रॉफी नहीं लेगी. तय हुआ कि मंच पर मोहसिन नक़वी , एमिरेट्स क्रिकेट बोर्ड के उपाध्यक्ष ख़ालिद अल ज़रूनी और बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष अमीनुल इस्लाम मौजूद रहेंगे, लेकिन मोहसिन नकवी किसी को कोई अवार्ड या मेडल नहीं देंगे. खिलाड़ियों को व्यक्तिगत प्रदर्शन के लिए अवार्ड घोषित किए गए. भारत और पाकिस्तान के क्रिकेटर्स ने आकर अधिकारियों से अवार्ड लिए. इनमें से कोई भी अवार्ड मोहसिन नक़वी ने नहीं दिया.
मंच पर मौजूद दूसरे अधिकारियों ने अवार्ड दिए, तब तक कोई दिक़्क़त नहीं थी लेकिन जब ट्रॉफी देने की बात आई, तो मोहसिन नकवी ने ट्रॉफी पकड़ ली और ज़िद करने लगे कि टीम इंडिया को ट्रॉफी वही देंगे.
टीम इंडिया ने न्यूजांलैंड के कमेंटेटर साइमन डूल को संदेश भिजवाया कि भारतीय खिलाड़ी मोहसिन नक़वी से ट्रॉफी नहीं लेंगे क्योंकि वो PCB और ACC के अध्यक्ष होने के साथ-साथ पाकिस्तान के गृह मंत्री भी हैं और सोशल मीडिया पर भारत विरोधी बयान देते रहे हैं. साइमन डूल ने इस बात की घोषणा भी कर दी. इसके बाद एशिया कप के मेजबान यूनाइटेड अरब एमिरेट्स ने मोहसिन नक़वी और भारतीय टीम के मैनेजमेंट से बात करके बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की ताकि विजेता टीम को ट्रॉफी दी जा सके.
पहले एमिरेट्स क्रिकेट बोर्ड ने ऑफ़र दिया कि भारतीय टीम को बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष अमीनुल इस्लाम से ट्रॉफी दिला दी जाए. टीम इंडिया इसके लिए तैयार हो गई लेकिन, मोहसिन नक़वी नहीं राज़ी हुए. वो अपने हाथ से टीम इंडिया को ट्रॉफी देने पर अड़े रहे.
इसके बाद, एमिरेट्स क्रिकेट बोर्ड के उपाध्यक्ष ख़ालिद अल ज़रूनी से टीम इंडिया को ट्रॉफी दिलाने का प्रस्ताव दिया गया. मोहसिन नक़वी इसके लिए भी तैयार नहीं हुए. वह मंच पर खड़े होकर टीम इंडिया के ट्रॉफी लेने आने का इंतज़ार करते रहे लेकिन भारत के क्रिकेटर्स ने मैदान पर मौजूद होने के बावजूद ट्रॉफी लेने के लिए मंच का रुख़ नहीं किया. मोहसिन नक़वी की ज़िद की वजह से क़रीब एक घंटे तक पूरा ड्रामा चलता रहा. आख़िर में मोहसिन नक़वी मंच छोड़कर होटल रवाना हो गए. उन्होंने अपने अधिकारियों को ट्रॉफी और टीम इंडिया के प्लेयर्स के मेडल भी अपने होटल पहुंचाने का हुक्म दिया. मोहसिन नक़वी के आदेश पर उनके अधिकारी ट्रॉफी लेकर होटल चले गए और टीम इंडिया ने ट्रॉफी के बिना ही जीत का जश्न मनाया.
मोहसिन नकवी ने जो किया, उसे कहते हैं, चोरी और फिर सीनाज़ोरी. क्रिकेट के इतिहास में ये पहला मौक़ा है कि जब जीतने वाली टीम अपनी trophy मांग रही है. विजेता टीम के खिलाड़ी अपने मेडल का इंतजार कर रहे हैं लेकिन हारने वाली टीम के chief उन पर कब्जा करके बैठे हैं, जिद पर अड़े हैं ‘ट्रॉफी मैं दूंगा’.
सबसे शर्मनाक बात ये है कि ये ट्रॉफी हारने वाली टीम के होटल में बेशर्मी की मिसाल बनकर पड़ी है. पाकिस्तान किकेट बोर्ड के चीफ मोहसिन नकवी दुनिया के पहले क्रिकेट अधिकारी हैं, जो मैदान से ट्रॉफी लेकर भाग गए.
ये भी पहला मौका है जब Asian Cricket Council के अध्यक्ष मंच पर कार्टून की तरह खड़े रहे और खिलाड़ियों ने उनकी तरफ देखा भी नहीं.
ये भी पहली बार है कि ACC की बैठक में जीतने वाली टीम के अधिकारी अपने हक के लिए बोलते रहे, लेकिन हारने वाले इतने बेशर्म थे कि टस से मस नहीं हुए.
जो लोग गली मोहल्ले में क्रिकेट खेलते हैं, उनको ऐसी बातों की आदत हो जाती है. वहां अगर कोई हारने लगे तो जीतने वाले का bat छीनकर भाग जाते हैं.
मोहसिन नकवी का level यही है. उन्हें जितनी जल्दी ACC की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए, क्रिकेट के लिए उतना ही अच्छा होगा.
इंटरनेट पर बैन : तालिबान ने एक और गलती कर दी
अफगानिस्तान में इस वक्त इंटरनेट ब्लैकआउट कर दिया गया है. तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान में इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क सर्विस बंद कर दी हैं. काबुल, हेरात, मजार-ए-शरीफ और उरुजगान जैसे कई शहरों में फाइबर-ऑप्टिक इंटरनेट सर्विस ठप होने की वजह से ये शहर देश दुनिया से कट गए हैं.
इस ब्लैकआउट के कारण अफगानिस्तान में इंटरनेशनल कॉल करना संभव नहीं है. मोबाइल नेटवर्क बंद होने से अफगानिस्तान के लोग एक-दूसरे से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. ऑनलाइन क्लासेस नहीं हो पा रही हैं. इसके अलावा, बिजनेस पर भी असर पड़ा है. ऑनलाइन कारोबार पूरी तरह ठप है.
अफगानिस्तान में पहले बल्ख, कंधार, हेलमंद, उरुजगान और निमरोज जैसे कुछ सूबों में फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क बंद किए गए थे लेकिन अब ये इंटरनेट बैन पूरे देश में लागू हो गया है. तालिबानी हुकूमत का कहना है कि इंटरनेट और मोबाइल फोन की बजह है से नौजवान पीढ़ी बर्बाद हो रही है. इंटरनेट की वजह से मुल्क में लोग ऐसी हरकतें कर रहे हैं जो शरिया के खिलाफ है. इसलिए सरकार ने देश में इंटरनेट और मोबाइल फोन सर्विस पर बैन लगाने का फैसला किया है.
तालिबान सरकार के इस फैसले पर किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए. तालिबान के शासन में लोगों को अपनी बात कहने का अधिकार नहीं है. लड़कियों को पढ़ने का हक नहीं है. समाज में हर तरह की पाबंदियां लागू हैं. इंटरनैट आज की दुनिया में आजादी और ज्ञान का प्रतीक है और आजादी और ज्ञान से तालिबान की सरकार को एलर्जी है.
अफगानिस्तान की सरकार का ये फैसला आखिरकार तालिबान को नुकसान पहुंचाएगा और उन्हें इसे वापस लेना पड़ेगा.
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