दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने राहुल गांधी को रिजेक्ट कर दिया. दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के चुनाव में RSS के छात्र संगठन ABVP की भारी जीत हुई. 
एक दिन पहले ही राहुल गांधी ने GEN-Z से सड़क पर आने की अपील की थी. शुक्रवार को दिल्ली के GEN-Z ने कांग्रेस के छात्र संगठन के उम्मीदवारों को सड़क पर खड़ा कर दिया. राहुल ने अपील की थी कि देश के छात्र, युवा और GEN-Z संविधान को बचाने के लिए आगे आएं. एक दिन बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव के जो नतीजे आए उसमें GEN-Z ने अपना फैसला सुना दिया.
दिल्ली यूनीवर्सिटी में डेढ़ लाख से ज्यादा छात्र हैं. ज्यादातर छात्र बीस से पच्चीस साल की उम्र के है और इन GEN Z वोटर्स ने राहुल गांधी को करारा जवाब दिया. चार में से तीन पदों पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उम्मीदवार जीते, सिर्फ उपाध्यक्ष का पद NSUI को मिला. अगर दिल्ली विश्वविद्यालय के चुनाव में कांग्रेस जीत जाती तो राहुल गांधी रातों-रात ऐलान कर देते कि देश के नौजवानों ने नरेंद्र मोदी को reject कर दिया है.जैसे लोकसभा चुनाव में 99 सीटें आने को उन्होंने अपनी जीत और मोदी की हार घोषित कर दिया था. नए माहौल में मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर राहुल गांधी भी कहें कि DUSU चुनाव में ABVP ने vote चोरी की है.
मोटी बात ये है कि मोदी को हराने के लिए desperate होकर राहुल गांधी कभी शी जिनपिंग की तरफ देखते हैं तो कभी ट्रंप से आस लगाते हैं. कभी बांग्लादेश की तरफ देखते हैं तो कभी नेपाल में लगी आग में हाथ सेंकते हैं. लेकिन DUSU का चुनाव इस बात का प्रतीक है कि हमारे देश के नौजवान चुनाव व्यवस्था में विश्वास रखते हैं, लोकतांत्रिक व्यवस्था पर भरोसा रखते हैं और ये विश्वास पूरे देश का विश्वास है. हमारे यहां सरकारें बनाना और बिगाड़ना सिर्फ चुनाव के माध्यम से हो सकता है. इन बातों के लिए न कोई सड़क पर उतरेगा, न किसी को उतरने देगा.
ट्रम्प ने ठीक कहा: मेयर सादिक़ ने लंदन को बर्बाद किया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप दो दिन के ब्रिटेन दौरे पर थे. ब्रिटेन से लौटने से पहले ट्रंप ने एक और धमाका कर दिया. जब लंदन में ट्रंप के सम्मान में स्टेट डिनर दिया गया और इसमें लंदन के मेयर सादिक़ ख़ान दिखाई नहीं दिए, जबकि सादिक़ ख़ान, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कियर स्टार्मर की लेबर पार्टी के नेता हैं, पिछले नौ साल से लंदन के मेयर हैं, इसलिए सादिक खान की गैरमौजूदगी की चर्चा हुई..
जब इस पर सवाल पूछा गया तो ट्रंप ने बिना लाग लपेट के कह दिया कि वो सादिक़ ख़ान का चेहरा नहीं देखना चाहते थे. इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से कहा था कि डिनर में सादिक़ ख़ान को न बुलाया जाए.
ट्रंप ने कहा कि उन्होंने ख़ुद ब्रिटिश हुकूमत से कहा था कि उनके स्टेट डिनर में सादिक़ ख़ान नहीं दिखना चाहिए. ट्रंप ने कहा कि उन्हें लंदन शहर पसंद था… लेकिन मेयर सादिक़ ख़ान ने इस ख़ूबसूरत शहर को तबाह कर दिया है, वो लंदन के इतिहास के सबसे बुरे मेयर हैं, उनके राज में लंदन में अपराधी बेलगाम हो गए. अवैध आप्रवासियों की तादाद बढ़ गई.इसीलिए वो नहीं चाहते थे कि सादिक़ ख़ान उनके सामने पड़ें.
वैसे सादिक़ ख़ान और डॉनल्ड ट्रंप की ये अदावत कोई नई नहीं. दोनों के बीच पिछले कई साल से सियासी लड़ाई चली आ रही है. ये झगड़ा 2015 में तब शुरू हुआ था, जब ट्रंप ने मुसलमानों के अमेरिका आने पर पाबंदी लगाने की मांग की थी. तब सादिक़ ख़ान ने ट्रंप को मुसलमान विरोधी और हिंसा को बढ़ावा देने वाला बताया था.
2016 में जब सादिक़ ख़ान लंदन के मेयर चुने गए, तो ट्रंप ने सादिक खान को अपना IQ टेस्ट कराने की सलाह दी. 2017 और 2019 में लंदन में हुए दो आतंकी हमलों को लेकर भी ट्रंप ने सादिक़ ख़ान को आड़े हाथों लिया था. इसकी बड़ी वजह ये थी कि 2019 में जब ट्रंप ब्रिटेन की सरकारी यात्रा पर आए थे तो सादिक़ ख़ान ने ट्रंप के विरोध में प्रदर्शन की अनुमति दी थी.
ट्रंप, सादिक़ ख़ान पर आरोप लगाते रहे हैं कि वो मुसलमानों के लंदन में बसाने में मदद करते हैं. लंदन में बसे मुसलमानों की आपराधिक गतिविधियों पर पर्दा डालते हैं..
लंदन में अपराध बढ़े हैं, छुरेबाज़ी की घटनाओं में 20 परसेंट का इज़ाफ़ा हो गया है. लंदन में मुस्लिम आप्रवासियों की बाढ़ आ गई है. पिछले 20 साल में लंदन में मुसलमानों की आबादी दुगुनी से ज़्यादा हो गई है. इनमें से दो तिहाई पाकिस्तानी मूल के हैं. सादिक़ ख़ान के माता-पिता भी पाकिस्तान के ही थे..
लंदन से ही ब्रिटेन की इस्लामिक शरीयत काउंसिल चलती है जो निकाह, तलाक़ और खुला जैसे मसलों पर फ़तवे जारी करती है. आंकड़ों के मुताबिक़ ब्रिटेन में हुई एक लाख इस्लामिक शादियों को रजिस्टर नहीं कराया गया. मैं ट्रंप की इस बात से सहमत हूं कि लंदन एक जमाने में दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों में एक था. लेकिन अब तबाह हो चुका है. लंदन दुनिया के सबसे सुरक्षित शहरों में एक था लेकिन अब अपराध की भरमार है. Mayfair जैसे सेंट्रल लंदन के इलाके में जब लोग hotel से या घर से बाहर निकलते हैं, तो अपनी घड़ी और अपना फोन छुपा लेते हैं..
एक ज़माना था जब लंदन जा कर लोग अंग्रेजों से mannerism और etiquettes सीखते थे, लेकिन अब लंदन में अंग्रेज कम और illegal migrants ज्यादा नजर आते हैं. जबसे सादिक खान मेयर बने हैं, लंदन में पाकिस्तानियों की भरमार है. अब तो सड़क पर चलते हुए या तो सामने से लुटेरे आने का डर होता है या फिर पीछे से कोई आपकी पीठ थप-थपा कर आपसे भीख मांगता है. लंदन वाकई बदल गया है और ट्रंप की नाराज़गी बिलकुल जायज़ है.