
राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर बेसिर-पैर के आरोप लगाए. एक बार फिर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को टारगेट किया. राहुल गांधी के बम में कोई दम नहीं दिखा.
   राहुल ने दो ऐसे मामलों के आधार पर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोप लगाए जिनमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई, गड़बड़ी करने की सिर्फ कोशिश भर की गई थी.
   राहुल गांधी चुनाव आयोग पर आरोपों की नई किस्त का पूरा प्रेजेंटेशन बनाकर लाए थे, साथ में गवाह भी थे. राहुल ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र की राजुरा विधानसभा सीट में 6,850 वोट जोड़ने और कर्नाटक की अलंद सीट पर 6,018 वोटर्स के नाम काटने की कोशिश की गई थी.
    राहुल ऐसे लोगों को साथ लेकर आए थे जिनके नाम वोटर लिस्ट से काटने की एप्लीकेशन दी गई थी और जिनके नाम से एप्लाई किया गया था. राहुल ने कहा कि जिनके नाम से वोट डिलीट करने के लिए एप्लाई किया गया, उनका कहना है कि उन्होंने एप्लाई नहीं किया. तो फिर ये काम कौन कर रहा था? किसके इशारे पर कर रहा था? इसके बाद राहुल ने फैसला भी सुना दिया.  कहा, चुनाव आयोग जानबूझकर कांग्रेस के समर्थकों के वोट कटवा रहा है.
  राहुल गांधी ने कुछ फोन नंबर्स भी दिखाए और कहा कि कर्नाटक के बाहर के इन फोन नंबर्स से वोट डिलीट किए गए.
   राहुल ने कहा कि पहले तो उन्हें वोट चोरी के सबूत खुद जुटाने पड़ रहे थे लेकिन अब चुनाव आयोग कमीशन के कुछ लोग भी उनकी मदद करने लगे हैं.   इसके बाद राहुल असली बात पर आए. उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार का नाम लेकर उन पर वोट चोरी का इल्जाम लगाया. राहुल ने कहा कि ज्ञानेश कुमार का काम अब चुनाव कराना नहीं, बल्कि वोट चोरों की सुरक्षा कवच देना है, इसीलिए वोट चोरी की जांच कर रही कर्नाटक की CID के साथ चुनाव आयोग सहयोग नहीं कर रहा है.
   चुनाव आयोग ने फौरन राहुल गांधी के इल्जामात का फैक्ट चैक किया और सारे आरोपों को गलत, भ्रामक और बेबुनियाद बताया. चुनाव आयोग ने कहा कि ऑनलाइन वोट काटने का कोई ऑप्शन ही नहीं होता, इंटरनेट के जरिए किसी का वोट नहीं काटा जा सकता.
   राहुल गांधी ने कहा कि छह हजार से ज्यादा वोट काटे गए, चुनाव आयोग ने कहा कि एक भी जेनुइन वोटर का नाम नहीं कटा. हालांकि चुनाव आयोग ने  माना कि इस तरह की कोशिश जरूर की गई थी लेकिन अपराधी इस कोशिश में कामयाब नहीं हुए. चुनाव आयोग ने ये गड़बड़ी पकड़ी और तुरंत इस मामले में FIR दर्ज करवाई.
    बाद में कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी ने इस पर और सफाई  दी. उन्होंने कहा कि डिलीशन के लिए कुल 6,018  एप्लिकेशन आईं थीं, इनमें से 24 genuine केस थे, इसलिए उनका नाम डिलीट किया गया, जबकि 5,994 एप्लिकेशन कैंसिल कर दी गई. यानी 6,018 वोटरों के नाम डिलीट करने का राहुल का आरोप गलत है. तीसरी बात चुनाव आयोग ने कही कि इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि अलंद सीट पर 2023 में कांग्रेस उम्मीदवार को ही जीत मिली थी.
हैरानी की बात ये है कि राहुल गांधी ने गुरुवार को Gen Z से लोकतंत्र की रक्षा करने और वोट चोरी रोकने की अपील कर दी. राहुल ने ट्वीट में लिखा कि देश के युवा, देश के छात्र और देश के Gen Z संविधान को बचाएंगे, लोकतंत्र की रक्षा करेंगे और वोट चोरी को रोकेंगे. इसके साथ ही राहुल गांधी ने अपनी फोटो भी पोस्ट की है, जिसमें लिखा है “Democracy will not be deleted”.
    मैंने कुछ दिन पहले आपसे कहा था कि नेपाल में लगी आग की लपटों में हमारे यहां के कुछ लोगों को कुर्सी की झलक दिखने लगी है. आज राहुल गांधी की आरज़ू ज़ुबां पर आ ही गई. उन्होंने Gen Z का नाम लिख ही दिया. वोट चोरी के फर्जी narrative का इस्तेमाल अब युवाओं को उकसाने के लिए किया जाएगा.
  जैसे ही राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेन्स खत्म की, सोशल मीडिया पर एक बड़े ग्रुप ने सुनियोजित तरीके से मुहिम शुरु कर दी. ये अलग बात है कि चुनाव आयोग ने 4 वाक्यों में इस मुहिम की हवा निकाल दी. पर असल बात न तो voter list की है, न ही चुनाव आयोग की.  मकसद तो किसी तरह नरेंद्र मोदी को हटाना है. इसीलिए ‘कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना’ है.
   पर ये narrative खड़ा करने की कोशिश करने वाले भूल गए कि ये बदला हुआ भारत है. .हमारे लोग चाहे नए ज़माने के हों या पुराने के, झूठ पर विश्वास नहीं करते और सच का सामना करने से नहीं डरते. वे जानते हैं कि कब-कब किसकी सरकार ने कितना काम किया. उन्हें मालूम है, किसने उन से क्या छीना और किसने उनको क्या दिया ?
अडानी को SEBI की क्लीन चिट : निवेशकों के घाटे की भरपाई कौन करेगा?
    देश के बड़े इंडस्ट्रियल ग्रुप अडानी समूह को बड़ी राहत मिली. सिक्योरिटीज़ ऐंड एक्सचेंज़ बोर्ड यानी सेबी ने शेयरों में हेरा-फेरी करने और इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोपों से अडानी ग्रुप को क्लीन चिट दे दी.
   अमेरिका की शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने गौतम अडानी और उनके ग्रुप की कंपनियों, अडानी पोर्ट्स और अडानी पावर, पर ऑफ़शोर फंडिंग के ज़रिए अपने ग्रुप में पैसे लगवाने और इनसाइडर ट्रेडिंग करने के आरोप लगाए थे लेकिन जांच में ये सारे आरोप बेबुनियाद और झूठे साबित हुए.
  सेबी के सदस्य कमलेश चंद्र वार्ष्णेय ने अपने आदेश में कहा कि अडानी ग्रुप पर शेयरों की हेराफेरी के जो आरोप लगाए गए थे, उन्हें साबित करने वाला एक भी सबूत नहीं मिला. सारे आरोप निराधार पाए गए.    हिंडनबर्ग ने जनवरी 2023 में अडानी ग्रुप के ख़िलाफ़ अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि अडानी ग्रुप की कंपनियां इनसाइडर ट्रेडिंग कर रही हैं, stock manipulation करके शेयरों की कीमतें बढ़ा रही हैं.
    ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाकर मामले की जांच कराई थी. SIT ने भी अडानी ग्रुप को हिंडनबर्ग के लगाए इल्ज़ामों से क्लीन चिट दे दी थी लेकिन SEBI शेयर मार्केट से जुड़े आरोपों की जांच कर रही थी. आज अडानी ग्रुप को SEBI ने भी क्लीन चिट दे दी.
   क्लीन चिट मिलने को गौतम अडानी ने एक बयान में कहा कि उनकी कंपनी शुरू से कह रही थी कि हिंडनबर्ग के आरोप बेबुनियाद और झूठे हैं.
SEBI की अडानी को क्लीन चिट बिलकुल स्पष्ट है. इसमें कोई if या but नहीं हैं. हिंडनबर्ग के दावे झूठे निकले. अडानी ग्रुप की सारी transactions को genuine करार दे दिया गया. न कोई fraud साबित हुआ, न fund की siphoning के सबूत मिले. सारे कर्ज़ ब्याज के साथ लौटा दिए गए. SEBI को किसी नियम कानून में उल्लंघन नहीं मिला.
   Adani Group की कंपनियों को तो राहत मिल गई. सवाल ये है कि हिंडनबर्ग की फर्जी रिपोर्ट के कारण हज़ारों निवेशकों का जो नुकसान हुआ, उसके जिम्मेदार कौन हैं ? झूठे narrative के कारण अडानी के shares में भारी गिरावट आई थी. हजारों निवेशकों के करोड़ों रुपये डूब गए थे.
   कोई तो ऐसा तरीका होना चाहिए कि इन लोगों के नुकसान की भरपाई हो और नुकसान पहुंचाने वालों को सज़ा मिले.
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