Rajat Sharma

My Opinion

NDA, नरेंद्र, नायडु और नीतीश : अटकलों के लिए कोई गुंजाइश नहीं

akb full प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आज NDA संसदीय दल का नेता सर्वसम्मति से चुन लिया गया. पुराने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में NDA के सभी सांसदों की बैठक में होगी, जिसमें सभी सहयोगी दलों ने एक स्वर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव का सर्वसम्मति से समर्थन किया. इस प्रस्ताव का अनुमोदन गृह मंत्री अमित शाह ने किया, और सहयोगी दलों के नेता चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार, एच डी कुमारस्वामी और अन्य ने प्रस्ताव का समर्थन किया. नीतीश कुमार ने यहां तक कहा कि वो चाहते थे कि मोदी आज ही प्रधानमंत्री पद की शपथ ले लें. अपने धन्यवाद भाषण में नरेंद्र मोदी ने NDA की चुनावी जीत को ‘महाविजय’ बताया और कहा कि जनता ने इंडी अलायंस को उसके भ्रष्टाचार के इतिहास के कारण नकार दिया. मोदी ने NDA सांसदों से अपील की कि वे मंत्रालयों के आवंटन के बारे में चल रही अटकलबाज़ी पर भरोसा न करें. उधर, राष्ट्रपति भवन में मोदी के तीसरे शपथ ग्रहण की तैयारियां तेज हो गई है. राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में मेहमानों के लिए कुर्सियां लग गई हैं. मोदी रविवार नौ जून को शपथ लेंगे, जिसमें कई पड़ोसी देशों के राजनेता उपस्थि रहेंगे. इनमें बंगलादेश, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका, भूटान जैसे देश शामिल हैं. जहां तक मंत्रालयों को लेकर अटकलों का सवाल है, मुझे 2014 में चुनाव के बाद हुई NDA के सांसदों की पहली मीटिंग में कही गई नरेन्द्र मोदी की बात याद आ रही है. सेन्ट्रल हॉल में हुई उस मीटिंग में मोदी ने कहा था कि अब मंत्रिमंडल को लेकर चर्चा शुरू होगी, तमाम दावे किए जाएंगे, लेकिन ऐसी किसी अफवाह के चक्कर में मत पड़ना, अगर कोई कहे कि वो आपको मंत्री बनवा सकता है, तो भरोसा मत करना. अगर कोई फोन आए कि प्रधानमंत्री कार्यालय से बोल रहा हूं, आपको मंत्री बनाया जा रहा है तो भी यकीन मत करना, एक बार प्रधानमंत्री कार्यालय फोन करके पूछ लेना, क्योंकि फैसला मुझे करना है, और किसी को नहीं. उसके बाद इस तरह की अटकलबाजी बंद हो गई, सत्ता के गलियारों मे घूमने वाले बिचौलियों की दुकानें बंद हो गई. लेकिन इस बार हालात बदले हैं. बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है. गठबंधन की सरकार बन रही है. इसलिए फिर उसी दौर की बातें शुरू हो गई हैं. लेकिन शायद लोग ये भूल रहे हैं कि सिर्फ आंकड़े बदले हैं, हालात बदले हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी वही हैं, जो समझौता नहीं करते, दबाव में नहीं आते. ये सही है कि नरेन्द्र मोदी की ये सरकार चन्द्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार के समर्थन पर टिकी होगी, इसलिए उनका ख्याल रखना होगा. लेकिन मेरी जानकारी ये है कि चन्द्रबाबू नायडू ने किसी तरह की कोई शर्त नहीं रखी है. चन्द्रबाबू नायडू ने नरेन्द्र मोदी से सिर्फ इतना कहा है कि आप देश की सरकार जैसे चला रहे थे, वैसे ही चलाएं, वह बिना शर्त पूरा समर्थन देंगे और बदले में आन्ध्र प्रदेश के लोगों की भलाई के लिए उन्हें केन्द्र से जो सहयोग चाहिए, वो केन्द्र सरकार से मिले. बस यही शर्त है. इसके अलावा किसी पद को लेकर, मंत्रियों की संख्या को लेकर या मंत्रालयों को लेकर न नीतीश कुमार के साथ कोई बात हुई है, न चन्द्रबाबू नायडू के साथ, और न इन दोनों ने अपनी तरफ से कोई मांग अभी तक रखी है. सरकार में हिस्सेदारी के अलावा कुछ मुद्दे हैं जिनको लेकर बीजेपी TDP, JDU के बीच वैचारिक मतभेद हैं. इसलिए अब उन मुद्दों को हवा दी जा रही है. पूछा जा रहा है कि कॉमन सिविल कोड़ पर JDU और TDP का रूख क्या होगा. क्या ये दोनों पार्टियां बिहार और आन्ध्र को स्पेशल स्टेटस की मांग करेंगी. क्या मोदी पर अग्निवीर स्कीम को वापस लेने के दबाव बनाएंगी. JDU की तरफ से इन सवालों का भी साफ साफ जवाब दिया गया. नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के सांसदों के साथ मीटिंग की. सारे सांसदों को अपनी प्राथमिकताएं समझा दी. ये भी साफ कर दिया कि NDA के साथ थे और NDA के साथ ही रहेंगे. ये सही है कि विरोधी दलों के नेता समान नागरिक संहिता, राज्यों को विशेष दर्जा, जातिगत जनगणना और अग्निवीर स्कीम जैसे मुद्दों पर विवाद पैदा करने की कोशिश करेंगे लेकिन बीजेपी के नेताओं का कहना है कि इन सभी मुद्दों पर सहमति बनाने में मुश्किल नहीं होगी. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पहले ही कह चुके हैं कि अनुभव के आधार पर अग्निवीर स्कीम में जो कमियां सामने आएंगी, उन्हें सरकार दूर करेगी, इस योजना पर पुनर्विचार करने में भी कोई हिचक नहीं होगी. इसलिए अगर इस मामले में सहयोगी दल मांग करेंगे तो अग्निवीर योजना पर सरकार अड़ेगी नहीं. जहां तक जातिगत जनगणना का सवाल है तो बीजेपी ने कभी इसका विरोध नहीं किया. इसलिए हो सकता है कि सरकार जातिगत जनगणना के लिए तैयार हो जाए. बीजेपी के नेताओं का कहना है कि UCC के सवाल पर गृह मंत्री अमित शाह साफ कर चुके हैं कि UCC बीजेपी के एजेंडा में हैं लेकिन इसे लागू करना है या नहीं, ये राज्यों पर निर्भर होगा. इसलिए इसमें भी दिक्कत नहीं होगी. थोड़ी बहुत मुश्किल विशेष दर्जा को लेकर होगी क्योंकि नीतीश कुमार और चन्द्रबाबू नायडू दोनों अपने अपने राज्य के लिए विशेष दर्जा मांग रहे हैं. केन्द्र सरकार की मुश्किल ये है कि अगर बिहार और आन्ध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है तो दूसरे राज्य भी इसकी मांग करेंगे. नीति आयोग भी इस प्रावधान को खत्म कर चुका है. इसलिए विशेष राज्य का दर्जा देने के बजाए नरेन्द्र मोदी बिहार और आन्ध्र प्रदेश के विकास के लिए अतिरिक्त मदद दे सकते हैं. कुल मिलाकर नरेन्द्र मोदी को भी मालूम है, सरकार गठबंधन की है और नीतीश कुमार और चन्द्रबाबू नायडू भी राजनीति में नए नहीं हैं. उन्हें भी केन्द्र सरकार की सीमाएं मालूम है. इसलिए इस तरह के मुद्दों पर टकराव होगा, इसकी गुंजाइश कम है.

Get connected on Twitter, Instagram & Facebook

NDA, NARENDRA, NAIDU AND NITISH : NO SCOPE FOR SPECULATIONS

AKB Prime Minister Narendra Modi was on Friday unanimously elected leader of National Democratic Alliance parliamentary party at a meeting held at in the Central Hall of old Parliament building. His election as NDA leader paved the way for him to be sworn in a Prime Minister for a historic third consecutive term on Sunday (June 9). Leaders of all NDA allies, including Telugu Desam Party, Janata Dal(U) and others, came to the rostrum to support a resolution moved by Defence Minister Rajnath Singh and seconded by Home Minister Amit Shah for electing Modi as NDA parliamentary party leader. TDP chief N Chandrababu Naidu, Bihar CM Nitish Kumar and leaders of all NDA parties applauded Modi’s performance and extended their support. In his acceptance speech, Modi described the recent victory as a “Maha Vijay” (grand victory) for NDA. He said, the opposition tried to paint the election results as a defeat , “but we didn’t lose, we never lost and we shall never lose”. On the other hand, Modi said, people have rejected what he called “INDI alliance” which was formed to grab power. Modi said, “though Congress-led UPA changed its name, but people knew them for their corruption. Even after changing their name, the country has not forgiven them and rejected them. Because of their one-point agenda of opposing just one individual, the people of India have made them sit in the Opposition…On the other hand, NDA stands for New India, Developed India, Aspirational India….NDA government has been the strongest alliance government in India’s history.” The President has invited Modi to form his government and already preparations are afoot at the Rashtrapati Bhavan for holding the swearing-in ceremony on Sunday. The ceremony will be attended by leaders from most of the neighbouring countries like Nepal, Bhutan, Bangladesh, Sri Lanka and Maldives. Meanwhile, speculations are still on about the number of portfolios that the NDA allies may seek from BJP. In his acceptance speech today, Modi told NDA MPs not to trust rumours and speculations about distribution of portfolios, which he said were baseless. Chief Ministers of all BJP-ruled states attended Friday’s NDA meeting. These included UP chief minister Yogi Adityanath, Assam CM Himanta Biswa Sarma, Gujarat CM Bhupendra Patel, Uttarakhand CM Pushkar Dhami, Haryana CM Nayab Singh Saini, Rajasthan CM Bhajanlal Sharma, MP CM Mohan Yadav and chief ministers from north-eastern states. About speculations, I remember, in 2014 Modi had told the NDA meeting at that time, not to trust baseless rumours about distribution of portfolios. He told the MPs not to trust any phone calls if somebody claimed that he or she was speaking from PMO. This was how he ended all speculations and powerbrokers were kept at bay. Since the situation this time is changed and BJP has not secured clear majority on its own, speculations are again rife. But people probably forget that the numbers and situation may have changed, but Modi has not changed. He is the same Narendra Modi who never compromises or bows to pressures. It is true that Modi’s government will depend on support from Chandrababu Naidu’s and Nitish Kumar’s party for majority and their views will have to be taken into consideration. As far as I know, Chandrababu Naidu has not kept any pre-conditions. He has only told Modi to run the government as he was running, and he would get his unconditional support. In return, Naidu reportedly told the PM, that he would seek the Centre’s cooperation for ensuring the welfare of the people of Andhra Pradesh. Neither any talks have taken place till now over the number of ministers and portfolios, nor any demands have been made by both Naidu and Nitish Kumar. Of course, some political issues remain. Opposition parties may try to drive a wedge among the NDA allies over issues like Uniform Civil Code, caste survey and Agniveer scheme. BJP leaders are confident there will not be much difficulties in ironing out these issues. Defence Minister Rajnath Singh has already said that the Centre would try to remove shortcomings in the Agniveer scheme and would not hesitate for a relook. As far as caste survey is concerned, BJP never opposed this idea. Probably the Centre may agree for a caste census. On Uniform Civil Code, Home Minister Amit Shah has clearly said that UCC is on BJP’s agenda, but it will depend on state governments whether to implement it or not. On according special status to states like Bihar and Andhra Pradesh, there could be some difficulties. Both Nitish Kumar and Chandrababu Naidu have sought special status for their respective states. The Centre’s problem is that if both these states are given special status, other states would also make similar demands. NITI Aayog has already ended such a provision for according special status. Narendra Modi may opt for giving special assistance to states like Bihar and AP. Overall, Modi knows that he will be running a coalition government, and neither Nitish nor Chandrababu are new in politics. They know the Centre’s limitations. Hence, there is little possibility of any confrontation developing on such issues.

Get connected on Twitter, Instagram & Facebook

मोदी के पीएम बनने का रास्ता साफ, विपक्ष को इंतज़ार करना पड़ेगा

akb नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. बुधवार को सहयोगी दलों की मीटिंग में नरेन्द्र मोदी को NDA का नेता चुन लिया गया. अब NDA के नेता राष्ट्रपति से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. राष्ट्पति को NDA में शामिल पार्टियों के नेताओं के दस्तखत वाली समर्थन की चिट्ठी सौंप दी जाएगी. इसके साथ ही नई सरकार के गठन का रास्ता साफ हो जाएगा. राष्ट्रपति ने बुधवार शाम को मोदी सरकार के मंत्रियों के सम्मान में विदाई भोज दिया. NDA के पास 292 का आंकड़ा है, बहुमत के लिए 272 चाहिए, इसलिए मोदी की सरकार बनेगी, इसमें कोई संशय नहीं है. बुधवार को INDIA गठबंधन के नेताओं ने भी साफ कर दिया कि फिलहाल वो विपक्ष में ही बैठेंगे, सरकार बनाने की कोई कोशिश नहीं करेंगे. सुबह संजय राउत कह रहे थे कि बीजेपी के पास तो सिर्फ 240 हैं, जबकि INDIA गठबंधन के पास ढ़ाई सौ सांसद हैं, नीतीश कुमार और चन्द्रबाबू नायडू तो सबके दोस्त हैं लेकिन चन्द्रबाबू नायडू ने दिल्ली पहुंचने से पहले हैदराबाद में ही कह दिया कि वो NDA के साथ हैं, NDA के साथ ही रहेंगे. नीतीश कुमार की पार्टी JDU ने भी साफ कर दिया कि वह NDA के साथ ही रहेंगे. शाम को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कह दिया कि उनका गठबंधन सरकार बनाने की कोई कोशिश नहीं करेगा. अब सवाल सिर्फ इतना है कि नरेन्द्र मोदी पहली बार ऐसी सरकार का नेतृत्व करेंगे जो सहयोगी दलों के समर्थन पर टिकी होगी. NDA की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा, राजनाथ सिंह, अमित शाह, टीडीपी के अध्यक्ष चन्द्रबाबू नायडु, जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार, शिवसेना के एकनाथ शिन्दे, लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान, RLD के जयन्त चौधरी, NCP के प्रफुल्ल पटेल, JD-S से एच डी कुमार स्वामी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चे के जीतनराम मांझी, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के सुदेश महतो, अपना दल की अनुप्रिया पटेल, आंध्र प्रदेश से जनसेना के अध्यक्ष पवन कल्याण, असम गण परिषद के अतुल बोरा, सिक्किम क्रांतिकारी परिषद के इंद्र सुब्बा और नॉर्थ ईस्ट के एलायंस पार्टनर्स के नेता शामिल हुए. सबसे पहले सभी दलों ने नरेंद्र मोदी को NDA का नेता चुन लिया. इसके बाद सभी पार्टियों ने बीजेपी, को समर्थन की चिट्ठी दे दी. अब 7 जून को NDA के सभी सासंदों की मीटिंग होगी जिसमें मोदी को NDA संसदीय दल का नेता चुना जाएगा. उसी दिन NDA की तरफ से सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा. इस बीच राजनाथ सिंह, अमित शाह, जे पी नड्डा मंत्रिमंडल को लेकर सभी सहयोगी दलों से बात करेंगे. ये फॉर्मूला तय किया गया है कि पांच सांसदों पर एक कैबिनेट मंत्री का पद दिया जाएगा. जैसे चुनाव नतीजों के बाद सबके अपने अपने विश्लेषण हैं, उसी तरह सरकार बनाने को लेकर नेताओं को अपने अपने interpretation हैं. बीजेपी के लिए बुधवार को जश्न का दिन था क्योंकि इस बात में अब कोई शक़ नहीं रहा कि एक बार फिर मोदी सरकार बनेगी. मोदी विरोधी मोर्चे में कई नेता ऐसे हैं जो अभी भी यही सोच सोचकर खुश हैं कि कभी तो चंद्रबाबू या नीतीश कुमार मोदी के लिए समस्या पैदा करेंगे. कांग्रेस के लिए यही बड़ी बात है कि मोदी विरोधी मोर्चे में सबसे ज्यादा सीटें उसे मिली हैं और अब इस मोर्चे का नेतृत्व उसके पास रहेगा. अखिलेश भैया खुश हैं कि 4-4 बार हारने के बाद उन्होंने यूपी में बीजेपी से ज्यादा सीटें हासिल कर लीं. उनकी वजह से बीजेपी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला. चाचा शरद पवार खुश हैं कि उन्होंने महाराष्ट्र में भतीजे को रोक लिया. ममता दीदी प्रसन्न हैं कि उन्होंने बीजेपी को पैर नहीं फैलाने दिए. जो जीता वो भी खुश, जो हारा वो भी खुश. इसी को कहते हैं सबका साथ सबका विकास. INDIA अलायन्स ने अपनी हार मान ली. गठबंधन की बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि फिलहाल गठबंधन विपक्ष में ही बैठेगा, सरकार बनाने की कोई कोशिश नहीं की जाएगी. बैठक में सोनिया गांधी, राहुल गांधी,प्रियंका गांधी के अलावा शरद पवार, एम के स्टालिन, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी, सीताराम येचुरी, उमर अबदुल्ला, संजय राउत, डी राजा, चंपई सोरेन, कल्पना सोरेन, संजय सिंह और राघव चड्ढा समेत 33 नेताओं ने हिस्सा लिया. करीब दो घंटे तक चली मीटिंग में इस बात पर चर्चा हुई कि नंबर न होने के बावजूद क्या सरकार बनाने की कोशिश जारी रखनी चाहिए. सारे दलों ने तय किया कि विपक्षी गठबंधन सरकार बनाने के लिए सही वक्त का इंतजार करेगा. खरगे ने कहा कि जनता तानाशाही से आजादी चाहती है, गठबंधन सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगा और सही वक्त आने पर कदम उठाएगा. एनसीपी के संस्थापक शरद पवार इस बात को समझते हैं कि इस समय मोदी को सरकार बनाने से नहीं रोका जा सकता. वो जानते हैं कि चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को NDA से अलग करना मुश्किल होगा. ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे जैसे नेता इसीलिए बैठक में नहीं आए क्योंकि उन्हें पता है कि फिलहाल सरकार बनाने के रास्ते तो बंद हैं. लेकिन राहुल गांधी तो अपनी हर चुनाव रैली में कहते थे, लिखकर ले लो, 4 जून के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे. इसीलिए कांग्रेस के नेता चाहते हैं कि साम, दाम, दंड, भेद कुछ भी करके मोदी को प्रधानमंत्री बनने से रोका जाना चाहिए. लेकिन आंकड़े ऐसे हैं कि मोदी को तीसरे टर्म से रोक पाना असंभव है. चुनाव के नतीजे आने के बाद भी मोदी विरोधी मोर्चे के कई नेताओं ने कहा था, हमारी सरकार बनेगी, अगर नहीं बनी तो सब कहेंगे कि सब मिलकर लड़े फिर भी मोदी को नहीं रोक पाए. दो घंटे तक जो बैठक हुई, उसमें कई बार ये बात उठी लेकिन फिर एक नेता ने समझाया कि अकेले बीजेपी के पास 240 सांसद हैं, हमारी इतनी पार्टियों को मिलाकर भी 234 सांसद ही हैं, इसीलिए फिलहाल इंतज़ार करो और देखते रहो, के अलावा कोई रास्ता नहीं है.

Get connected on Twitter, Instagram & Facebook

DECKS CLEARED FOR MODI AS PM : OPPOSITION CAN ONLY WAIT AND WATCH

AKB Decks have been cleared for Narendra Modi to take oath as Prime Minister for the third term, in the presence of several top heads of states. He was elected leader of National Democratic Alliance on Wednesday, which has won 292 seats in the Lok Sabha elections. President Droupadi Murmu hosted a farewell dinner for the outgoing ministers in Rashtrapati Bhavan on Wednesday evening. INDIA bloc leaders attended a meeting at Congress president Mallikarjun Kharge’s residence, where they decided to sit in the opposition for now and adopt a ‘wait and watch’ policy. Telugu Desam Party chief N Chandrababu Naidu said, his party would continue to remain in NDA and there should be no confusion on this issue. JD-U chief Nitish Kumar also said his party would continue to stay in NDA. Both these leaders are presently in the ‘kingmaker’ role. A chance meeting between Nitish Kumar and RJD chief Tejashwi Yadav on the Patna-Delhi flight left tongues wagging in political circles. Both the leader did sit together inside the plane and had a tete-a-tete, but JD-U leaders scotched all speculations about a ‘comeback’. Speculations aside, it was celebration time for BJP on Wednesday, since there are no doubts that Modi would be forming the next government at the Centre. Opposition leaders in INDIA bloc are still nursing hopes about Naidu and Nitish Kumar creating problems for Modi. Overall, the results have brought happiness for all parties. BJP leaders are happy that Modi would be starting his third term, Congress leaders are happy that the party has won the second largest number of seats and it would continue to lead the opposition front. Akhilesh Yadav is happy that his Samajwadi Party won more seats than the BJP, after facing four consecutive defeats. He is happy that his party stopped BJP from getting majority. Uncle Sharad Pawar is happy that he succeeded in stopping his nephew Ajit Pawar in his tracks. Mamata Didi is happy that her party stopped BJP from spreading its wings in Bengal. Everybody is happy: those who won, and those who lost. In a sense, you can call this, ‘Sabka Saath, Sabka Vikaas’. At the INDIA bloc meeting, 33 leaders from various parties attended, but the front has, after all, conceded defeat. Sonia Gandhi, Rahul Gandhi, Priyanka Gandhi, Sharad Pawar, M K Stalin, Akhilesh Yadav, Tejashwi Yadav, Abhishek Banerjee (Mamata’s nephew), Sitaram Yechury, Omar Abdullah, Sanjay Raut, Champai Soren, Kalpana Soren, Sanjay Singh and Raghav Chadha were among those who attended. The unanimous decision was that the alliance would now wait for the “right time” to strike. NCP founder Sharad Pawar knows, Modi cannot be stopped from forming his government now. He also knows that it would be difficult to snare away Chandrababu Naidu and Nitish Kumar from NDA. This was the reason why heavyweights like Mamata Banerjee and Uddhav Thackeray did not attend Wednesday’s meeting. They know that the roads for government formation are now closed. Rahul Gandhi had been telling at each of his election meetings that he was ready to give in writing that Modi would no more continue as PM after June 4. Even now, some Congress leaders want to prevent Modi from taking over as PM, by hook or by crook, but the numbers are stacked against them. The numbers clearly show that nothing can stop Modi from starting his third term. The opposition front meeting went on for nearly two hours. Some leaders did say that Modi must be stopped at all costs, but one experienced leader among them pointed out that on one hand BJP alone has 240 MPs, while the entire INDIA bloc has only 234 MPs. It would be better for all to wait and watch.

Get connected on Twitter, Instagram & Facebook

मोदी की हैट्रिक : बीजेपी आत्ममंथन करे

AKB देश के मतदाताओं ने अपना जनादेश सुना दिया है. नयी लोकसभा में 292 सीटों के साथ एनडीए को बहुमत मिला है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी हफ्ते अपने तीसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति भवन में शपथ लेने वाले हैं. मोदी ने मंगलवार को कहा कि देश की जनता ने तीसरी बार उन्हें आशीर्वाद दिया है, जनता का ये फैसला लोकतंत्र को मजबूत करेगा, यह विसित भारत के लक्ष्य की तरफ बढने का जनादेश है. बीजेपी को इस बार पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, उसे 240 लोकसबा सीटों पर जीत हासिल हुई है. अब सवाल है कि जनता ने जो जनादेश दिया, उसका मतलब क्या है? लोगों ने ऐसा जनादेश दिया है जो भारतीय राजनीति के इतिहास में लंबे समय तक याद रखा जाएगा. बीजेपी और NDA को ऐसी जीत दी है, जो हार की फीलिंग देती है. कांग्रेस के अलायंस को ऐसी हार दी है, जो उन्हें जीत की फीलिंग दे रही है. अगर राजनीति के इतिहास से देखा जाए, तो 1962 के बाद ये पहला मौका है, जब ऐसी सरकार जिसने पांच-पांच साल के दो कार्यकाल पूरे कर लिए हों, तीसरी बार फिर सरकार बनाएगी. दूसरी बात, बीजेपी की सीटें जरूर कम हुई हैं लेकिन वोट शेयर लगभग उतना ही है जितना 2014 और 2019 में था. कांग्रेस दो-दो बार चुनाव हारने के बावजूद, सारी मोदी विरोधी पार्टियों से अलायंस करके मैदान में उतरने के बावजूद, मुश्किल से 100 सीटों के आसपास पहुंच पाई. लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटें कम हुई हैं लेकिन NDA के पास इतनी सीटें हैं कि आराम से सरकार बना सके. लेकिन इस शोरगुल में दो तीन बातें नज़रअंदाज़ नहीं की जा सकती. गुजरात, मध्य प्रदेश, हिमाचल, दिल्ली, छत्तीसगढ़ ऐसे राज्य हैं जहां बीजेपी ने लगभग सारी की सारी सीटों पर जीत हासिल की है. एक और दिलचस्प तथ्य ये है कि बीजेपी ओडिशा में अपने दम पर सरकार बनाएगी. सोमवार को ही अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी को जीत हासिल हुई थी और आंध्र प्रदेश में तेलगु देशम पार्टी के साथ मिलकर NDA सत्ता में आई है, लेकिन इस सारे चुनाव का सबसे अच्छा नतीजा रहा कि अब कोई EVM पर सवाल नहीं उठाएगा, अब कोई चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाएगा, अब कोई ये नहीं कहेगा कि जिला कलक्टर यानी रिटर्निंग अफसर पर दबाव डालकर चुनाव के नतीजे बदलवा दिए. और जिस तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हुए हैं, इसका संदेश पूरी दुनिया में जाएगा. पूरा विश्व देख रहा है कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है, यहां के लोग बड़े शांतिपूर्ण तरीके से अपनी सरकार बनाते है. हां, ये ज़रूर है कि हमारे यहां इस बार सारे के सारे एग्जिट पोल फेल हुए, गलत साबित हुए. इसीलिए अब सोचना पड़ेगा कि लाखों रुपये खर्च करके जो एग्जिट पोल कराए जाते हैं, वो कराने भी चाहिए या नहीं. बीजेपी को भी इस बात पर आत्ममंथन करना चाहिए कि इतना परिश्रम, इतना काम और इतनी कल्याणकारी योजनाओं लागू करने के बाद भी उनकी सीटें कम क्यों हुईं. अब राज्यवार कुछ विश्लेषण.

उत्तर प्रदेश

इस चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश में लगा. यूपी के नतीजे अप्रत्याशित हैं. बीजेपी 62 से 33 सीटों पर आ गई और समाजवादी पार्टी पांच से 37 पर पहुंच गई. कांग्रेस को भी छह सीटें मिलीं. बहुजन समाज पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका. राहुल गांधी और शरद पवार ने कहा कि यूपी के लोगों ने कमाल कर दिया. वाकई में यूपी के नतीजे कांग्रेस के लिए बड़ी जीत है. अमेठी में स्मृति ईरानी 1 लाख 67 हजार से ज्यादा वोटों के बड़े अंतर से चुनाव हारी. कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा ने स्मृति ईरानी को हराया. अमेठी के अलावा रायबरेली सीट से राहुल गांधी 3 लाख 89 हजार से ज्यादा वोटों से जीते. यूपी के ज्यादातर इलाकों में जो बीजेपी के गढ़ माने जाते थे, वहां बीजेपी की हार हुई, पूर्वांचल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य यूपी में बीजेपी को झटका लगा. अखिलेश यादव की रणनीति इस बार काम कर गई. बीजेपी के नेताओं को अब तक समझ नहीं आ रहा है कि गलती कहां हुई. इतना बड़ा सदमा कैसे लगा. हालत ये है कि फैजाबाद की सीट, जिसमें अयोध्या आता है, वहां भी बीजेपी हार गई. फैजाबाद में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने बीजेपी की सासंद लल्लू सिंह को 54 हजार से ज्यादा वोटों से हराया. लखीमपुर खीरी में अजय मिश्रा टेनी, सुल्तानपुर में मेनका गांधी, फतेहपुर से मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति हार गए. अखिलेश यादव के परिवार के पांच सदस्य जो चुनाव लड़ रहे थे, जीत गए. बदायूं से शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव, फिरोजाबाद से रामगोपाल के बेटे अक्षय यादव, आजमगढ़ से धर्मेन्द्र यादव, मैनपुरी से डिंपल यादव और कन्नौज से खुद अखिलेश यादव चुनाव जीते हैं. नतीजों को गौर से देखें तो पश्चिमी यूपी, पूर्वांचल, बुंदेलखंड और अवध समेत सभी इलाकों में बीजेपी को नुकसान हुआ है. बीजेपी के इस नुकसान के पीछे बहुजन समाज पार्टी की खराब परफॉर्मेंस भी एक फैक्टर दिखता है. पिछली बार 10 सीटें जीतने वाली मायावती की पार्टी इस बार यूपी में खाता भी नहीं खोल पाई. शुरूआती तौर पर ऐसा लग रहा है कि मायावती का दलित वोट इंडिया अलायंस की तरफ स्विच कर गया जिसका नुकसान बीजेपी को हुआ. वेस्टर्न यूपी में राष्ट्रीय लोकदल और पूर्वांचल में राजभर, निषाद पार्टी, अपना दल की परफॉर्मेंस भी बेहद खराब रहा. दूसरी तरफ इंडिया अलायंस की दोनों पार्टियों समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को इसका फायदा हुआ. समाजवादी पार्टी की तरफ OBC वोटर गोलबंद होता दिखा तो दलित वोट भी इस बार उन्हें मिला. महंगाई, बेरोजगारी, अग्निवीर, संविधान और आरक्षण वाला मुद्दा अखिलेश पिछड़ों दलितों के मन तक पहुंचाने में कामयाब रहे. उत्तर प्रदेश के नतीजे बीजेपी के लिए बहुत बड़ा धक्का है. पिछली बार यूपी में बीजेपी ने 62 सीटें जीती थीं, 50 परसेंट वोट शेयर बीजेपी के पास था, लेकिन यूपी की जनता के मन को इस बार बीजेपी पढ़ने में नाकाम रही. उत्तर प्रदेश में बीजेपी का वोट शेयर गिरकर 42 परसेंट पर आ गया जबकि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा फायदे में रही. 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को सिर्फ 18 परसेंट वोट मिले थे लेकिन इस बार इसमें जबरदस्त इजाफा हुआ. सपा का वोट शेयर बढ़कर 34 परसेंट के आसपास पहुंच गया. कांग्रेस को भी इस बार यूपी में फायदा हुआ. कांग्रेस की सीटें भी बढ़ीं और वोट परसेंट भी. 2019 में कांग्रेस को सिर्फ 6 फीसदी के करीब वोट मिले थे लेकिन इस चुनाव में ये बढ़कर 10 फीसदी के आसपास पहुंच गए. मायावती का बसपा का वोट शेयर 19 से गिरकर 10 परसेंट पर आ गया. लोगों के मन में ये सवाल है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने मेहनत की, कानून व्यवस्था दुरूस्त की, आर्थिक हालत सुधारी, केन्द्र की योजनाओं का बेहतर तरीके से लागू कराया. इसके बाद भी यूपी में बीजेपी को झटका क्यों लगा? इसका जवाब आसान है. बीजेपी ने उम्मीदवारों के चयन में गड़बड़ी की, जातिगत समीकरणों का ध्यान नहीं रखा. दूसरी वजह अखिलेश यादव ये संदेश देने में कामयाब रहे कि मायावती बीजेपी की मदद कर रही है, मोदी जीते तो आरक्षण को खत्म कर देंगे. इससे मुसलमानों के साथ साथ दलितों का बड़ा वोट शेयर भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवारों को मिला. अखिलेश यादव के गठबंधन ने बेहतर तालमेल के साथ काम किया. सभी जातियों का वोट उन्हें मिला, इसलिए वो जीते. हालांकि अखिलेश यादव यादव अब दावा कर रहे हैं कि लोग मंहगाई और बेरोजगारी से परेशान थे लेकिन सवाल ये है कि मंहगाई और बेरोजगारी तो बिहार में भी थी, लेकिन बिहार के नतीजे बिल्कुल उलट आए.

बिहार
बिहार में तेजस्वी यादव ने मेहनत भी कम नहीं की थी. बिहार में भी RJD, कांग्रेस और लेफ्ट का अलायन्स था. बिहार में एनडीए ने अच्छा प्रदर्शन किया, राज्य की 40 में से बीजेपी-JDU-HAM के एलायंस को 30 सीटें मिली. नीतीश कुमार की JDU को 12, बीजेपी को 12 सीटों पर जीत मिली. चिराग़ पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी पांच सीटों पर लड़ी और पांचों जीतीं. जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने एक सीट पर जीत हासिल की. RJD को 4, कांग्रेस को तीन और CPI-ML को 2 सीटें मिलीं. पूर्णिया से निर्दलीय लड़ रहे पप्पू यादव ने जीत हासिल की. आरा से केंद्रीय मंत्री आर के सिंह, और पाटलिपुत्र से बीजेपी सांसद रामकृपाल यादव चुनाव हार गए. रामकृपाल यादव को लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती ने हराया. बिहार में 12 सीट जीतकर नीतीश कुमार केंद्र की नई सरकार में किंग-मेकर बन गए हैं क्योंकि बीजेपी को अपने दम पर बहुमत नहीं हासिल किया है. तेजस्वी यादव ने ढ़ाई सौ से ज्यादा रैलियां की. उनकी रैलियों में भीड़ भी दिखाई दी, जोश भी था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. अब वो हार के लिए EVM को भी दोषी नहीं ठहरा सकते क्योंकि पड़ोस में यूपी है जहां अखिलेश ने अच्छी खासी सफलता हासिल की है. असल में बिहार के चुनाव के नतीजों का सबसे बड़ा संदेश ये है कि नीतीश कुमार नाम का टाइगर अभी जिंदा है, अभी भी बिहार के गरीब लोग नीतीश को अपना नेता मानते हैं. जो लोग कह रहे थे कि बीजेपी ने नीतीश के साथ गठबंधन करके गलती की, उन्हें जनता ने जवाब दे दिया. चूंकि बीजेपी को अपने दम पर जनादेश नहीं मिला है इसीलिए नीतीश कुमार अब NDA में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे.

राजस्थान, हरियाणा

राजस्थान के नतीजों ने भी बीजेपी को हैरान किया. पिछले साल बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल की थी. राजस्थान में लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं. पिछली बार यहां एनडीए ने क्लीन स्वीप किया था. बीजेपी को 24 सीटें मिली थीं. इस बार बीजेपी को 10 सीटों का नुकसान हुआ. राजस्थान में बीजेपी को सिर्फ 14 सीटें मिली. कांग्रेस को जालौर सीट पर बड़ा झटका लगा. अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को बीजेपी के लुंबाराम ने 2 लाख से ज्यादा वोट से हरा दिया. बीजेपी को जयपुर, उदयपुर और राजसमंद में जीत हासिल हुई. जयपुर में बीजेपी की मंजू शर्मा ने कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास को 3 लाख 31 हजार से ज्यादा वोट से हराया. राजस्थान में बीजेपी को आपसी झगड़ों ने हराया. वसुंधरा राजे इस बार पूरी तरह सक्रिय नहीं रही. मुख्यमंत्री नए हैं. कई सीटों पर टिकट काटने से जाट वोटर्स नाराज हुए. कम से कम 4 सीटों में जातिगत समीकरणों का ध्यान नहीं रखा गया. इसी तरह हरियाणा में भी बीजेपी 10 में से केवल 5 सीटें ही जीत पाई. पिछले चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा में सभी दस सीटें जीती थीं. कांग्रेस ने अंबाला, हिसार, सिरसा, सोनीपत और रोहतक सीट बीजेपी से छीनी.
पिछले चुनाव में कांग्रेस बंटी हुई थी, इस बार हिसाब उल्टा था. कांग्रेस मिलकर लड़ी और बीजेपी के नेता आपस में लड़ते रहे. कांग्रेस के लोग तो कह रहे हैं कि सरकार के खिलाफ anti-incumbency थी. लेकिन सवाल ये हैं कि अगर anti-incumbency इतना बड़ा मसला था तो गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड में ये मुद्दे काम क्यों नहीं आए?

महाराष्ट्र, बंगाल

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी ने महायुति को तगड़ा झटका दिया है. महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी कुल 48 में से 29 सीटें जीती जबकि महायुति को सिर्फ 18 सीटें मिलीं. महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा फायदे में कांग्रेस रही. कांग्रेस 17 सीटों पर लडी और उसमें से 13 सीटें जीतीं. शरद पवार की पार्टी ने 10 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और वो 8 सीटें जीती, उद्धव ठाकरे की शिवसेना 21 सीटों पर लडी और 9 पर जीती. महाराष्ट्र में दो बातें सामने आईं. एक, उद्धव ठाकरे के प्रति लोगों की सहानुभूति नजर आई. इसका बीजेपी को नुकसान हुआ.शिवसेना के टुकड़े करना लोगों को पसंद नहीं आया. जिस तरह से विधायकों को गुवाहाटी ले जाकर मेहमान बनाकर रखा गया, उससे अच्छा impression नहीं पड़ा. दूसरी बात बीजेपी के पास ज्यादा सीटें थीं. देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के तौर पर अच्छा काम किया था. इसके बावजूद सरकार बनने के बाद जब मौका मिला, तो एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया गया. इससे बीजेपी के कार्यकर्ता और समर्थक दोनों का मनोबल गिरा. महाराष्ट्र में इससे बीजेपी को नुकसान हुआ. पश्चिम बंगाल में एक बार फिर ममता बनर्जी का सिक्का चला. तृणमूल कांग्रेस ने 29 सीटों पर जीत दर्ज की. बीजेपी 18 से घट कर 12 सीटों पर आ गई. ममता बनर्जी ने कहा कि अगर मोदी सत्ता में न होते और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग न करते, तो उनको जितनी सीटें मिलीं, उससे आधी ही मिलतीं. बंगाल के नतीजों ने सबको चौंकाया. सारे एक्सपर्ट्स फेल हो गए. कुछ दिन पहले मैंने प्रशांत किशोर से बातचीत की. प्रशांत किशोर ने बंगाल के विधानसभा चुनाव में ममता को जिताने के लिए बड़ी मेहनत की थी. उस समय उन्होंने बीजेपी की हार की भविष्यवाणी की थी जो सही साबित हुई. इस बार उन्हें लगता था कि बीजेपी बंगाल में अच्छी खासी जीत हासिल करेगी. बंगाल को लेकर प्रशांत किशोर बिलकुल गलत साबित हुए लेकिन ओडिशा के बारे में जो उन्होंने कहा वो सही साबित हुआ.

ओड़िशा, आंध्र प्रदेश

ओड़िशा में बीजेपी को ऐतिहासिक सफलता मिली. 25 साल से ओडिशा में एकछत्र राज कर रहे नवीन पटनायक की विदाई हो गई. लोकसभा और विधानसभा की ज्यादातर सीटें बीजेपी ने जीत ली. ओड़िशा में पहली बार बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी. 147 सीटों वाली ओडिशा असेंबली में बीजेपी को 78 सीट मिली, नवीन पटनायक की बीजू जनता दल को 51 ही सीटें मिलीं. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने ओडिशा में 21 सीटों में से 19 पर जीत हासिल की, जबकि बीजेडी और कांग्रेस को सिर्फ एक-एक सीट मिली . ओडिशा में बीजेपी की जीत इसीलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 25 साल से नवीन पटनायक सत्ता में थे. वो ओडिया नहीं बोल सकते थे, वह ज्यादा पब्लिक से नहीं मिलते थे और उनका पांच-पांच बार चुनाव जीतना एक चमत्कार था. किसी को नहीं लगता था कि जबतक नवीन बाबू राजनीति में हैं उनको हराया जा सकता है लेकिन बीजेपी ने ये कमाल करके दिखाया क्योंकि ओडिशा में बीजेपी के सारे एकजुट होकर लड़े. आंध्रप्रदेश में बीजेपी चंद्रबाबू नायूड की तेलुगू देशम पार्टी और पवन कल्याण की जनसेना पार्टी के साथ मिलकर लड़ी. इस अलायंस को 175 सदस्यों वाली विधानसभा में 163 सीटें मिली है. टीडीपी 134, जनसेना पार्टी 21 और बीजेपी 8 सीटों पर जीती. मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी 12 सीट पर सिमटकर रह गई. आंध्रप्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से टीडीपी को 16, बीजेपी को 3 और जनसेना पार्टी को 2 सीट मिली हैं. यानी 25 लोकसभा सीटों में से 21 सीटें इस अलांयस ने जीती हैं. 16 लोकसभा सीटों के साथ अब चंद्रबाबू नायूड की केंद्र सरकार में भी अहम भूमिका हो गई है. NDA में बीजेपी के बाद सबसे ज्यादा सांसद उन्हीं की पार्टी यानी टीडीपी के हैं.

Get connected on Twitter, Instagram & Facebook

MODI’S HAT-TRICK : BJP NEEDS TO INSTROSPECT

AKB The mandate given by the people of India on Tuesday shall be remembered for a long time in Indian political history. The BJP-led National Democratic Alliance won 292 seats, 20 more than the 272-magic mark, while Congress-led INDIA alliance won 234 seats, 38 short of the majority mark. Though NDA won, yet it gives a feeling of defeat. Though INDIA alliance failed to get majority, it gave a feeling of victory for them. For the first time since BJP led by Narendra Modi swept to power in 2014, it could not secure a majority on its own. BJP won 240 seats, much lower than the record 303 seats that it had won five years ago. Prime Minister Modi, who will take oath for the third time on June 8, will have to depend on the support of his NDA allies. Modi will be equalling Jawaharlal Nehru’s record of taking oath for the third consecutive time as PM. This is the first time since 1962 that a party at the Centre which completed two full five-year terms, will be forming its third consecutive government. Modi, in his third term, will have to depend on the support of his two main allies Telugu Desam Party, which has 16 MPs, and Janata Dal (United), which has 12 MPs. BJP’s seat tally may have declined, but its vote share remained almost the same that it got in 2014 and 2019. Despite losing two general elections consecutively, Congress entered the fray leading a combine of opposition parties, but failed to touch the three-digit mark. Congress won 99 seats. Though BJP’s seat tally is now reduced, its NDA alliance can easily form a coalition government. Two or three points must not be overlooked in the cacophony over the poll results: One, BJP made an almost clean sweep in Madhya Pradesh, Himachal Pradesh, Delhi, Gujarat, Odisha and Chhattisgarh. Another interesting fact is that BJP will be forming a government in Odisha for the first time ending Naveen Patnaik’s 25-year-old reign. It has already swept to power in Arunachal Pradesh on Monday, and will now be sharing power with Telugu Desam Party in Andhra Pradesh. The best outcome from this election is that not a single party has raised any question about tampering of electronic voting machines (EVMs). Nobody can complain that district collector, acting as Returning Officer, were pressurized to change the poll result. Nobody can now question the impartiality of the Election Commission of India. The entire world has seen how free and fair election was conducted in India. The world has seen India’s vibrant democracy in action and how government are formed or thrown out peacefully. Prime Minister Narendra Modi, while addressing party workers at BJP headquarters in Delhi on Tuesday evening said, “Today’s victory is the victory of the world’s largest democracy”. He hailed the Election Commission, its officials and security forces, saying “140 crore Indians should be proud of the credibility of the nation’s election process. I would request our media influencers, opinion makers and others to make the whole world aware of the country’s electoral process, because it has given India a new identity. He praised the Election Commission for showing the mirror to those who had cast doubts about the integrity of polls. Modi promised to root out corruption in all forms during his third term. The election results have proved all exit polls as incorrect, and the time has come to ponder whether it is at all necessary to splurge millions of rupees for conducting exit polls. BJP, as a party, should introspect why despite putting in so much effort and implementing public welfare schemes, its overall seat tally failed to touch the magic mark. Let’s have a look at some major states:

UTTAR PRADESH
The results from UP were unexpected. BJP’s tally from the state fell from 62 to 33, while Samajwadi Party topped the list with 37 seats. Congress won six seats, but BSP failed to open its account. Both Rahul Gandhi and Sharad Pawar said, the voters of UP have done a magic. Union Minister Smriti Irani lost her Amethi seat to Congress candidate Kishori Lal Sharma by a big margin of 1,67,196 votes. Rahul Gandhi won his second LS seat from Rae Bareli by a huge margin of 3,90,030 votes defeating his BJP rival. BJP lost its strongholds in Purvanchal, western UP and central UP. Akhilesh Yadav’s strategy worked. BJP is yet to work out the exact reasons why it lost. It even lost Faizabad seat which covers Ayodhya, where Lord Ram’s temple was consecrated after 500 years. Leaders and ministers like Menaka Gandhi, Ajay Mishra Teni, Sadhvi Niranjan Jyoti, Mahendra Nath Pandey, Sanjeev Balyan lost. All five members of Akhilesh Yadav’s family, including himself, won. Some BJP leaders are saying that poor performance of Bahujan Samaj Party candidates could be the main reasons for the losses. Prima facie it appears that the Dalit vote bank of BSP shifted its allegiance to INDIA alliance, and this hurt BJP’s prospects. OBC voters appeared to consolidate behind Samajwadi Party, because Akhilesh Yadav succeeded in making price rise, unemployment, Agniveer scheme, Constitution and reservation as emotive issues among the voters. BJP was commanding 50 per cent vote share in UP last time, but this time, its leaders failed to read the minds of the people, and its vote share shrunk to 42 per cent. On the other hand, Samajwadi Party’s vote share jumped from 18 pc five years ago to 34 pc this time, while Congress’ vote share increased from six pc last time to 10 pc this time. Mayawati’s BSP had its vote share almost halved from 19 pc five years ago to 10 pc this time. People are asking why despite Chief Minister Yogi Adityanath performed well in improving law and order and economic conditions in the state, BJP suffered a setback. The answer is simple: BJP made mistake in selecting candidates and did not keep caste equations in mind. On the other hand, Akhilesh Yadav worked with his allies with better co-ordination, and got votes from most of the castes.

BIHAR
In Bihar, NDA alliance performed better than INDIA bloc. Both BJP and Janata Dal(U) won 12 seats each, while its ally Chirag Paswan’s LJP (R) won five seats. RJD, the main challenger, could win only four seats, while its allies, Congress and CPI-ML won three and two seats respectively. The BJP-led NDA won 30 out of a total of 40 seats in Bihar. JD-U chief Nitish Kumar has emerged as a kingmaker at the Centre. On his part, RJD leader Tejashwi Yadav toiled hard during the campaign despite suffering from an injured leg. Thousands of people, mostly youths, crowded his election meetings, but this could not be converted into votes. Tejashwi cannot blame EVMs any more, because in neighbouring UP, EVMs functioned perfectly. The biggest message from Bihar results is that “a tiger named Nitish Kumar Abhi Zinda Hai”, and the poor people of Bihar still consider him their leader. Those who had written off Nitish Kumar politically for aligning with BJP were proved wrong and the people have given their mandate. Nitish Kumar will now perform an important role in NDA at the Centre.

RAJASTHAN, HARYANA
Results from Rajasthan were a setback for BJP, which had last year won the assembly elections. Five years ago, BJP had won 24 out of a total of 25 Lok Sabha seats, but this time BJP could win only 14 seats and the Congress won eight. Congress suffered a major loss in Jalore, when former CM Ashok Gehlot’s son Vaibhav Gehlot was defeated by BJP rival Lumbaram by more than 2 lakh votes. BJP won the seats of Jaipur, Udaipur and Rajsamand by big margins. BJP leaders say, infighting in the party cost the party at least ten seats. Caste equations were not kept in mind in at least four seats. Similarly, in Haryana, BJP, which had made a clean sweep of all 10 LS seats five years ago, lost five seats to Congress, which won from Ambala, Hisar, Sirsa, Sonepat and Rohtak. In the last elections, Congress in Haryana was divided, but this time there was infighting in Haryana BJP. Congress leaders claimed anti-incumbency as the reason, but the question arises: Why wasn’t their anti-incumbency factor in Gujarat, MP and Chhattisgarh?

MAHARASHTRA, BENGAL

In the key state of Maharashtra, Congress-led Maha Vikas Aghadi won 29 out of a total of 48 seats, leaving BJP-led Mahayuti to win only 18 seats. Congress was the biggest beneficiary. It contested 17 seats and won 13. NCP(Sharad Pawar) contested 10 and won eight seats. Shiv Sena (UT) contested 21 seats and won nine. Shiv Sena (Eknath Shinde) won only seven seats, while NCP (Ajit Pawar) could win only one seat. Maharashtra voters appeared to be sympathetic towards Uddhav Thackeray, and they did not approve of split in Shiv Sena. Secondly, BJP had more seats, but its leader Devendra Fadnavis was made to work as deputy chief minister and Eknath Shinde was made CM. This demoralized BJP workers and supporters and the results are there for all to see. In West Bengal, Trinamool Congress supremo Mamata Banerjee ruled the root. Her party won 29 out of a total of 42 seats, while BJP’s tally was reduced from 18 to 12. After the results were out, Mamata Banerjee claimed the results would have been far better had Narendra Modi not been in power and if official machinery had not been used against her party. West Bengal’s results shocked most of the people. Almost all the experts failed in predicting Mamata’s victory. Election strategist Prashant Kishore, who had worked with Mamata and helped her win the assembly elections, had predicted that BJP would fare better this time, but his prediction failed.

ODISHA, ANDHRA PRADESH

BJP scored a historic victory in Odisha assembly elections, dislodging Chief Minister Naveen Patnaik’s 25-year-old grip on power. BJP won 78 out of a total of 147 seats and is going to form a government on June 10. Patnaik’s Biju Janata Dal took second position with 51 seats. Naveen Patnaik himself lost from Kantabanjhi seat, and barely managed to win his traditional Hinjili seat. Naveen Patnaik was rarely seen in public, he could not speak Odia language fluently despite being the CM of Odisha for 25 years, and his consecutive win for five terms was nothing short of a magic. He and his party appeared to be invincible, but BJP did the impossible. This was due to unity among all BJP leaders in the state. In Andhra Pradesh, Chandrababu Naidu, who forged an alliance with Pawan Kalyan’s Jana Sena party and BJP, swept the assembly polls. TDP won 135 seats, Jana Sena won 21 and BJP, for the first time, won 8 seats. Chief Minister Y S Jaganmohan Reddy’s YSR Congress was decimated. It could win only 11 seats. In the Lok Sabha elections, Chandrababu has emerged as the kingmaker, with TDP winning 16, BJP three and Jana Sena party winning 2 seats. YSR Congress could win only four LS seats. In NDA, Naidu’s TDP has the largest number of MPs after BJP.

Get connected on Twitter, Instagram & Facebook

नड्डा, खरगे और एक्ज़िट पोल

AKB30 शुक्रवार को जब कांग्रेस के ज्यादातर नेता ये कह रहे थे कि आखिरी चरण की वोटिंग को प्रभावित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कन्याकुमारी में ध्यान पर बैठने का नाटक किया है, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इंडिया टीवी की संवाददाता विजयलक्ष्मी को एक एक्सक्लूसिव इंटरन्यू में कहा कि INDIA गठबंधन को इस बार 272-बहमत आंकड़े से ज्यादा सीटें मिलेंगी. खरगे ने कहा कि मोदी की विदाई तय हो चुकी है और 4 जून को विपक्षी गठबंधन की सरकार बनने जा रही है. खरगे ने राज्यवार आंकड़े गिना दिये और बताया कि किस राज्य में कांग्रेस को कितनी सीटें मिलने जा रही है. खरगे ने कहा कि 4 जून को कांग्रेस लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरेगी, बहुमत के लिए 272 सीटें चाहिए और इंडी एलायंस को इससे ज़्यादा सीटें मिलेंगी. खरगे ने दावा किया कि पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, बंगाल, यूपी, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में उनका एलायंस शानदार प्रदर्शन करेगा. महाराष्ट्र में महाविकास अघाडी को 30 सीटें मिलेंगी. खरगे ने कहा कि यूपी में भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस तीस से पैंतीस सीटें जीतेंगी, हरियाणा की दस में से कम से कम आठ सीटें कांग्रेस को मिलेंगी. खरगे ने कहा कि जब कांग्रेस हर जगह बढ़ रही है, तो फिर बीजेपी चार सौ पार का दावा कैसे कर रही है, ये वही जाने. दूसरी तरफ बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि कोई कुछ भी दावा करे लेकिन इस बार बीजेपी अपने लक्ष्य को हासिल करेगी, जनता एनडीए को चार सौ से ज्यादा सीटें देकर नई नरेन्द्र मोदी को तीसरी बार देश का प्रधानमंत्री बनाएगी. इंडिया टीवी के पॉलिटिकल एडीटर देवेन्द्र पाराशर के साथ खास बातचीत में नड्ढा ने अपने दावों का गणित भी समझाया. नड्ढा ने कहा कि इस बार बंगाल, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में बीजेपी की सीटें बढ़ेंगी. राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी अपना प्रदर्शन दोहराएगी. नड्डा ने कहा कि इस बार बंगाल में बीजेपी 30 से ज्यादा सीटें जीतेंगी. ओडिशा में बीजेपी को 21 में से 18 सीटें मिलेंगी और बिहार में बीजेपी और उसके मित्रदल मिलकर सभी 40 सीटें जीतेंगे. चुनाव में कौन जीतेगा किसको कितनी सीटें मिलेंगी. इसपर दावा करने से तो कोई किसी को नहीं रोक सकता लेकिन राजनीतिक दलों के दावों पर यकीन करना मुश्किल है. मैंने इलेक्शन एक्सपर्ट प्रशांत किशोर से उनका आकलन पूछा. प्रशांत किशोर इस समय स्वतंत्र हैं, किसी राजनीतिक दल से उनका कोई लेना-देना नहीं है और उनके आकलन हमेशा सही साबित होते हैं. इस चुनाव के बारे में प्रशांत किशोर का कहना है कि बीजेपी आराम से सरकार बनाएगी, नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे, इसको लेकर उन्हें कोई शक नहीं. प्रशांत किशोर का कहना है कि पिछले चुनाव में उत्तर और पश्चिम में, जिसमें वो कर्नाटक को भी शामिल करते हैं, बीजेपी को ढाई सौ सीटें मिलीं थीं. यहां बीजेपी को इस बार कोई भारी नुकसान होता नहीं दिखाई देता. पिछली बार दक्षिण और पूर्व से बीजेपी को 53 सीटें मिली थीं, जिसने उसे 303 तक पहुंचा दिया था. प्रशांत किशोर का आकलन है कि इस बार पूरब और दक्षिण में ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में बीजेपी को 25-26 सीटों का फायदा होगा और ये बीजेपी की जीत को सुनिश्चित करेगा. प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ काम किया है और पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने ममता की शानदार विजय और बीजेपी की हार के बारे में का सही भविष्यवाणी की थी. चुनाव प्रचार के दौरान अरविन्द केजरीवाल ने एक नया शिगूफा छोड़ा था. केजरीवाल बार बार कह रहे थे कि अगर बीजेपी जीती तो भी नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं होंगे, मोदी अपनी जगह अमित शाह को प्रधानमंत्री बनाएंगे. केजरीवाल ने कहा था कि चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ की कुर्सी भी नहीं बचेगी. अखिलेश यादव ने भी चुनावी सभाओं में बार बार यही बता कही थी लेकिन शुक्रवार को देवेन्द्र पाराशर ने जे पी नड्डा से पूछ लिया कि क्या इस तरह का कोई विचार पार्टी का है, तो नड्डा ने कहा कि मोदी के रिटायर होने को लेकर जो बातें कही जा रही हैं, वो बकवास हैं, मोदी सिर्फ 2024 में ही नहीं 2029 में भी बीजेपी का नेतृत्व करेंगे. योगी को हटाने के केजरीवाल के बयान पर नड्डा ने कहा कि केजरीवाल ने अपने सारे प्रतिस्पर्धियों को पार्टी से निकाल दिया, वो सोचते हैं पार्टी ऐसे ही चलती है, लेकिन बीजेपी हर नेता का पूरा सम्मान करती है. शुक्रवार को नैशनल कान्फ्रेंस के नेता फारूक़ अब्दुल्ला ने कहा कि 4 जून को सारे एग्ज़िट पोल ग़लत साबित होंगे. कांग्रेस ने तो एक्जिट पोल्स का बॉयकॉट करने का एलान कर दिया है. कांग्रेस एक्जिट पोल दिखाने वाले किसी चैनल पर अपनी पार्टी के नेताओं को नहीं भेजगी. कांग्रेस के इस फैसले को अमित शाह ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया. अमित शाह ने कहा कि अब तो साफ हो गया है कांग्रेस ने हार मान ली है,अब हार के बहाने बनाने की तैयारी चल रही है. अमित शाह ने कहा कि जब से राहुल गांधी ने कमान संभाली है, कांग्रेस डिनायल मोड में चल रही है और नकारात्मक राजनीति कर रही है, इससे कांग्रेस का कभी भला नहीं होगा. कांग्रेस ने मान लिया कि एक्जिट पोल उसके खिलाफ हो सकते हैं, इसलिए कांग्रेस ने एक्जिट पोल के बॉयकॉट का फैसला कर लिया. हालांकि EXIT पोल क्या कहते हैं, ये तो शनिवार शआम 5 बजे के बाद ही पता चलेगा. इंडिया टीवी का EXIT पोल नतीजे आने से पहले आपको नतीजों का अनुमान बता देगा. इस अनुमान का विश्लेषण करने के लिए हमारे स्टूडियो में कई एक्सपर्ट्स होंगे, वो सारे रिपोर्टर्स जिन्होंने पिछले 2 महीने से भयंकर गर्मी में चुनाव को कवर किया है, उनका आकलन भी मिलेगा. हमारे एंकर्स आपको चुनाव में वोटिंग पैटर्न की बारिकियां समझाएंगे.असली चुनाव नतीजे तो मतगणना वाले दिन 4 जून को आएंगे और उसके बाद नेता तय करेंगे कि उन्हें आगे क्या करना है.

Get connected on Twitter, Instagram & Facebook

NADDA, KHARGE AND EXIT POLLS

AKB30 On a day when Congress and other opposition leaders were busy alleging that Prime Minister Narendra Modi’s meditation in Kanyakumari was a “gimmick” to influence the last phase of polling, Congress president Mallikarjun Kharge came out with his predictions about Lok Sabha polls. In an exclusive interview to India TV correspondent Vijaylaxmi, Kharge gave state-wise assessments to predict that Congress-led INDIA bloc would win more than the required magic mark of 272 and Congress would emerge as the single largest party in Lok Sabha. Kharge claimed that the opposition alliance would do spectacularly well in states like Punjab, Haryana, Karnataka, Bengal, UP, Rajasthan, Bihar and Maharashtra. He predicted Maha Vikas Aghadi would win 30 out of 48 seats in Maharashtra, while in UP, the Congress-Samajwadi Party alliance would win 30 to 35 seats out of a total of 80. Kharge was hopeful of Congress winning at least eight out of a total of 10 seats in Haryana. He did not reveal the sources on which he had based his assessment. India TV political editor Devendra Parashar spoke to BJP president Jagat Prakash Nadda about his assessment. Nadda was quite clear about Narendra Modi getting a third term as Prime Minister. He said, whatever claims any party of leader might make, BJP was going to achieve its aim of securing more than 400 LS seats. Nadda explained the reasons for his assessment. He said, BJP would increase its tally this time in UP, Andhra Pradesh, Telangana, Kerala and Maharashtra, while it would repeat its 2019 performance in Rajasthan, MP, Gujarat, Haryana and Himachal Pradesh. Nadda was hopeful of BJP winning 18 out of a total of 21 seats in Odisha, while, he said, BJP and its allies would sweep all 40 seats in Bihar. Nobody can stop anybody from predicting the outcome of LS elections, but it is difficult to believe in assessments made by political leaders. I asked political strategist Prashant Kishore about his assessment. Prashant Kishore is not presently aligned with any political party. He works independently and his predictions are more often proved correct. Prashant Kishore told me that BJP would form its third consecutive government smoothly and Narendra Modi would undoubtedly be sworn in for the third term as PM. In 2019 elections, he said, BJP had won nearly 250 seats in the North and West (he included Karnataka), and he was not finding any substantial loss for the party this time. In the lst elections, he said, BJP had won 53 seats in the South and East, and the party’s total tally touched 303 in 2019. This time, Prashant Kishore said, BJP would make substantial gains of nearly 25-26 seats in Odisha, West Bengal, Telangana and Andhra Pradesh, and this would seal its overall victory. Prashant Kishore worked with TMC chief Mamata Banerjee in Bengal’s last assembly elections, ensuring a landslide victory for her party. He had then correctly predicted about BJP’s defeat in Bengal. During the election campaign, AAP chief Arvind Kejriwal had floated a speculation that even if BJP wins, Modi would make Amit Shah the PM and UP CM Yogi Adityanath might lose his seat. Akhilesh Yadav repeated this theory in his public meetings too. India TV political editor Devendra Parashar posed a question on this to BJP chief J P Nadda on Friday. Nadda’s reply was, “all speculations about Modi’s retirement are baselss, Modi will not only lead the BJP in 2024, but also in 2029.” On Yogi, Nadda said, “Kejriwal has this habit of removing all his competitors from his party, and probably he thinks parties are run like this; in BJP, we accord respect to every leader”. On Friday, National Conference leader Dr Farooq Abdullah said, exit polls predictions would be proved incorrect on June 4. Congress went a step ahead. The party announced that it would boycott exit poll debates on TV channels on Saturday. Congress leaders said, “since voters have already given their verdict and their votes are locked inside EVMs, the results will be there for all to see on June 4. Congress party’s view is that there is no jusitification in taking part in debates on public surveys before the results are out. The aim of any debate is to enrich the knowledge of viewers. Congress party will gladly participate in TV debates on June 4 Counting Day.” Home Minister Amit shah described Congress party’s decision as unfortunate and said, it appears that the Congress has already accepted its defeat, and it is trying to find excuses to explain its defeat. “Since the time Rahul Gandhi took over the reins of Congress, this party has always been running on denial mode, and is practising negative politics. This will not help the party”, Amit Shah said. Exit polls will be telecast on India TV this Saturday (June 1) from 5 pm onwards. Our reporters and anchors would be speaking with election experts to explain the nuances of exit poll results on Saturday. Of course, the real results will be telecast on June 4 by India TV from 6 am onwards on Tuesday.

Get connected on Twitter, Instagram & Facebook