क्या राहुल गांधी ने कृष्ण का ‘अपमान’ किया ?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ सीटों के लिए शुक्रवार को जब वोटिंग हो रही थी, उस वक्त इसी इलाके में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली हो रही थी. मोदी ने उन इलाकों में कैंपेन किया, जहां दूसरे चरण में मतदान होना है. मोदी ने अमरोहा की रैली में भगवान कृष्ण की बात की. असल में ये कहा जाता है कि अमरोहा को श्रीकृष्ण ने बसाया था. इसके बाद श्रीकृष्ण द्वारिका चले गए थे. मोदी ने इसी बात का जिक्र करके राहुल गांधी पर हमला किया. मोदी ने कहा कि जो भगवान राम और कृष्ण हमारे आराध्य हैं, करोड़ों हिंदुओं की जिनमें आस्था है, कांग्रेस बार बार उनके अस्तित्व को नकारती है. मोदी ने कहा कि वो द्वारिका गए, समंदर के भीतर जाकर श्रीकृष्ण की आराधना की तो कांग्रेस के युवराज ने इसका मजाक उड़ाया. कहा द्वारिका है ही नहीं. मोदी ने कहा कि अब वो यादव बन्धु जो खुद को श्रीकृष्ण का भक्त बताते हैं. उन्हें जवाब देना चाहिए कि कृष्ण का अपमान करने वाली कांग्रेस के साथ गठबंधन कैसे कर सकते हैं.
अखिलेश यादव गौतमबुद्धनगर में थे. .जब अखिलेश से पूछा गया कि मोदी ने कहा है कि जो अपने आपको यदुवंशी मानते हैं, कृष्ण का भक्त बताते हैं., वो द्वारिकाधीश का अपमान करने वाली कांग्रेस के साथ गठबंधन कैसे कर सकते हैं. खिलेश ने सवाल सुना., कहा कि बीजेपी ब्रह्मांड की सबसे झूठी पार्टी है. .बीजेपी के लोग कुछ भी कहें, लेकिन समाजवादी पार्टी और इंडिया गठबंधन भाईचारे को बढ़ाने वाला गठबंधन है. नरेन्द्र मोदी जानते हैं कि समाजवादी पार्टी को बड़ी संख्या में यादवों का वोट मिलता है, इसीलिए मोदी ने अमरोहा में द्वारिकाधीश के अपमान का मुद्दा उठाया. राहुल गांधी ने अपनी रैली में मोदी का मजाक उडाया था, कहा था कि मोदी दिखावे के लिए द्वारिका में समंदर के नीचे गए, वहां कोई पंडित नहीं था लेकिन मोदी वहां बैठकर कृष्ण की पूजा कर रहे थे. इस पर मोदी ने अखिलेश और तेजस्वी से जबाव मांगा.अब देखना है ये दोनों नेता क्या जबाव देंगे.
DID RAHUL GANDHI ‘INSULT’ LORD KRISHNA?
Prime Minister Narendra Modi fired a fresh salvo at Congress leader Rahul Gandhi on Friday alleging that he had “insulted Lord Krishna” by mocking his underwater “pooja” near Dwarka. Addressing an election rally in Amroha, UP, Modi referring to Rahul as “Congress ke shahzada” (prince) said, “All of us revere Lord Ram and Lord Krishna, millions of Indians have faith in them, but Congress has always tried to negate the existence of these two gods. I went to Dwarka, and performed underwater pooja, the Congress prince made fun of it. I am now asking his Yaduvanshi (Yadav) friends, those who claim to be devotees of Krishna, how can they have an alliance with Congress which insults Lord Krishna?” When Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav was asked to react, he heard the reporter’s question and said, “BJP is the biggest party of liars in this universe”, and walked away. Modi is clearly taking the current poll debate to the next level. Since most of the Yadav voters support Samajwadi party, an ally of Congress in Uttar Pradesh, he raised the issue of “insult of Lord Krishna” in Amroha. Rahul Gandhi had mocked Modi for performing underwater pooja in Dwarka “without the presence of a pandit”. It is now for both Rahul Gandhi and Akhilesh Yadav to reply to Modi’s salvo. Both Rahul and Akhilesh are optimistic that their parties would get the support of Muslim voters, and also from backward castes, Dalits and other poorer sections by raising the caste census issue. Already rumours are being spread in western UP about the Thakur community members unhappy with BJP leaders.
मसला राजनीति का नहीं, केजरीवाल की सेहत का है
दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की एक अर्जी पर अपना आदेश सोमवार तक के लिए सुरक्षित रखा. केजरीवाल ने अपनी अर्जी में कहा था कि उन्हें रोज़ इन्सूलिन दिया जाय और प्रतिदिन अपने डाक्टर से 15 मिनट के लिए वीडियो कान्फ्रेंसिंग करने दिया जाय, जिसमें उनकी पत्नी भी मौजूद रहें. केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा कि उनके मुवक्किल मेडिकल ज़मानत या अस्पताल में इलाज की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि केवल 15 मिनट डाक्टर से वीडियो कान्फ्रेंसिंग करने की गुहार लगा रहे हैं. कोर्ट में तिहाड़ जेल के वकील ने एक रिपोर्ट पेश की जिसमें कहा गया कि केजरीवाल का ब्लड शूगर लेवल सामान्य है लेकिन घर से जो भोजन आ रहा है, वह डाक्टर की सलाह के मुताबिक नहीं आ रहा. कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल की सेहत की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड भी गठित किया जा सकता है. कोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के वकील ने कहा कि केजरीवाल को जो भोजन उनके घर से भेजा गया है, वह डॉक्टरों द्वारा निर्धारित भोजन से मेल नहीं खाती. जेल के वकील ने कहा कि केजरीवाल को सबसे पहले जब जेल लाया गया था, तब उन्होने कहा था कि वो पहले इन्यूलिन ले रहे थे, लेकिन बाद में खुद बंद कर दिया. दरअसल ED ने गुरुवार को एक चौंकाने वाला खुलासा किया था और कोर्ट को बताया था कि केजरीवाल जानबूझ कर अपनी सेहत खराब करने की कोशिश कर रहे हैं, केजरीवाल डायबिटीक हैं, शुगर के मरीज हैं, परन्तु वो जेल में आम, मिठाइयां और आलू-पूडी-सब्ज़ी खा रहे हैं. ED का आरोप था कि केजरीवाल जान-बूझकर ऐसा कर रहे हैं क्योंकि वो चाहते हैं कि उनका शुगर लेवल बिगड़ जाए और फिर वो अपनी सेहत को ज़मानत मांगने का आधार बना सकें. आम आदमी पार्टी सरकार की मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया कि जेल में केजरीवाल को बीमार बनाने की एक साजिश चल रही है और ये कोशिश हो रही है कि उन्हें घर से मिल रहा खाना बंद हो. पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी साज़िश का आरोप लगाया. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि केजरीवाल ने जेल से बाहर आने के लिए ये नया ड्रामा तैयार किया है, घर के खाने के नाम पर वो ऐसी चीज़ें खा रहे हैं जिससे उनकी तबीयत बिगड़ जाए और बाहर आने का बहाना मिल जाए. कौन क्या खाना खा रहा है, कितना खा रहा है, ये किसी भी व्यक्ति का ज़ाती मामला है, इसे लेकर सार्वजनिक रूप से बहस करना मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता, लेकिन क्या करें? ये मामला इतना बड़ा इश्यू बन गया, केजरीवाल की diet की डिटेल्स कोर्ट में आ गई, public domain में आ गई, इसीलिए एक-एक बात आपके साथ शेयर करनी पड़ी. केजरीवाल पढ़े लिखे जानकार व्यक्ति हैं, उन्हें 22 साल से डायबिटीज है, इसलिए क्या खाना है, क्या नहीं, ये वो खुद बहुत अच्छी तरह जानते हैं. इसलिए इस बात पर तो यकीन नहीं किया जा सकता कि केजरीवाल को घर से जो खाना भेजा जा रहा है, वो उनकी सेहत खराब करने के लिए है. लेकिन दूसरी तरफ जो तथ्य ED ने कोर्ट के सामने रखे, उन्हें देखने के बाद तो कोई भी सोचेगा कि डायबिटीज़ का मरीज़ अगर आम, मिठाइयां खा रहा है, तो ये नॉर्मल नहीं है. जहां तक आतिशी के तर्कों का सवाल है, तो आतिशी का ये कहना कि केजरीवाल ने जो मिठाइयां खाईं वो शुगर फ्री थी. ये मान भी लिया जाए तो ये कैसे माना जा सकता है कि आम शुगर फ्री होता है. और दुख की बात ये है कि आतिशी ने इसे सियासत से जोड़ दिया. कहा कि पूड़ी सब्जी तो नवरात्र का प्रसाद था. क्या केजरीवाल को बीजेपी के लोग धर्म के रास्ते पर चलने से भी रोकेंगे? केजरीवाल को जेल में मारने की साजिश हो रही है. इन सब बातों से केजरीवाल का केस कमजोर होता है और बीजेपी को भी बयानबाजी करने का मौका मिलता है. ये मसला राजनीति का नहीं, केजरीवाल की सेहत का है और स्वास्थ्य सबसे ज्यादा जरूरी है. अगर केजरीवाल को डॉक्टर्स की सलाह की जरूरत है तो वो उन्हें मिलनी चाहिए, लेकिन इस सवाल का जवाब भी मिलना चाहिए कि केजरीवाल ने जो खाना खाया, क्या वो डॉक्टर्स की सलाह के मुताबिक था या उन्हें जो खाना दिया गया, उसकी वजह से शूगर लेवल बढ़ा.
KEJRIWAL’S HEALTH SHOULD NOT BE MADE A POLITICAL ISSUE
A Delhi court reserved its order till Monday on an application filed by Delhi chief minister Arvind Kejriwal for administering insulin to him in jail and for allowing him to consult his doctors daily through video-conferencing for 15 minutes in the presence of his wife. In his application, Kejriwal has said, he is suffering from acute diabetes and his blood sugar levels were fluctuating at an alarming rate, posing risk to his health. Kejriwal’s senior advocate Abhishek Manu Singhvi, reading excerpts from the CM’s application, said “in an attempt to pre-empt and cover-up the issue, jail authorities in collaboration with ED have sought to do media trial by alleging that sugar levels of the applicant is rising because of his diet.” Singhvi claimed that in the 48 meals sent till now, mangoes were sent only thrice and no mango was sent after April 8. Singhvi described the ED counsel’s allegations as “petty, political and ridiculous”. Tihar jail counsel submitted a report in court which said Kejriwal’s blood sugar levels were completely normal. Singhvi pleaded that Kejriwal was asking for only 15 minutes daily video conferencing with his doctor and that he was not asking for medical bail or hospital treatment. The court finally reserved its order till Monday. A day earlier, ED had told the court that Kejriwal was eating foods high in sugar, like mangoes and sweets every day, despite suffering from Type 2 diabetes, “to create grounds for securing medical bail”. The ED counsel told the court that “Kejriwal was consciously consuming items like tea with sugar, mango, banana sweets, poori, aaloo sabzi, on a regular basis, despite being a patient of diabetes mellitus type 2, and knowing very well that consumption of such items results in increase in blood sugar. This is being done to create a medical emergency to obtain sympathetic treatment from the court of law on medical grounds”. AAP minister Atishi alleged at a press conference that a “conspiracy is being hatched to kill Arvind Kejriwal and he is not being given insulin despite repeated requests.” AAP MP Sanjay Singh alleged that “misleading” news about Kejriwal was being spread through media, “a deep conspiracy is being hatched against the Delhi CM and anything can happen with him in prison.” Delhi BJP chief Virendra Sachdeva alleged that Kejriwal and his party are hatching a drama so that the chief minister could come out of jail on medical grounds. Personally, I do not like to publicly discuss any individual’s diet, because this is an exclusively personal matter. But it was blown up into a big issue, when details of Kejriwal’s diet came in the public domain and media had to share the same with the public. Arvind Kejriwal is a well-read person. He has been battling diabetes for the last 22 years, and he knows what to eat and what to avoid. One cannot believe the allegation that home-made food being sent to him in jail was deliberately meant to endanger his health. But looking at the facts placed by ED before the court, one can naturally question how a diabetic patient is consuming mangoes and sweets, which is not normal. As far as AAP minister Atishi’s arguments are concerned, she claimed that the sweets were sugar-free. Even if one accepts this, how can one claim mangoes are sugar-free? Sadly, Atishi has connected this issue with politics. She said, the aloo-poori-sabzi was part of Navratri prasad and Kejriwal cannot be prevented by BJP leaders from following his faith. She has alleged that a plot is being hatched to kill him in jail. All such allegations can ultimately weaken Kejriwal’s case and give BJP a handle to attack the AAP government. This is not a political issue. It is related to Kejriwal’s health. His health is the most essential issue. If Kejriwal needs doctors’ advice, he must be provided. But one must truthfully answer the question whether the diet consumed by Kejriwal was part of doctors’ advice, or the food items were deliberately given to him to raise his blood sugar levels.
रामलला का सूर्य तिलक : एक सपना हुआ साकार
रामनवमी पर भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव देश भर में मनाया गया. अयोध्या में अलग ही माहौल था. पांच सौ साल बाद रामलला ने भव्य मंदिर में अपना जन्मदिन मनाया. दोपहर को ठीक बारह बजे गर्भगृह में सूर्य भगवान ने रामलला के ललाट पर सूर्य तिलक किया. प्रभु राम को छप्पन भोग लगाया गया. दुनिया भर से भक्त रामलला के दर्शन के लिए पहुंचे. बड़े शहरों से लेकर कस्बों और गावों में मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की शोभायात्राएं निकालीं गई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भगवान श्रीराम का जीवन और उनके आदर्श विकसित भारत के निर्माण का सशक्त आधार बनेंगे, उनका आशीर्वाद आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को नई ऊर्जा प्रदान करेगा. चूंकि पांच सौ साल बाद रामलला अपने मंदिर में विराजमान हुए हैं, इसलिए इस बार की रामनवमी पर अयोध्या में जबरदस्त तैयारी की गई थी. पूरी अयोध्या नगरी को सजाया गया. दुनिया भर से 15 लाख से ज्यादा भक्त अयोध्या पहुंचे. साढे तीन लाख से ज्यादा भक्तों ने रामलला के दर्शन किए. सबको उस पल का इंतजार था जब रामलला के ललाट पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी, रामलला का सूर्य तिलक होगा. ठीक 12 बजे गर्भगृह में बत्तियां बंद हुईं और सूर्य की किरणों का प्रवेश हुआ. रामलला के मस्तक पर सूर्य भगवान ने तिलक किया. उस वक्त घंटे घड़ियाल की ध्वनि से पूरा माहौल गूंजने लगा. रामलला के सूर्य तिलक की तैयारी वैज्ञानिक तरीके से की गई थीं. Central Building Research Institute, रूड़की और Indian Institute of Astrophysics, बैंगलुरु के वैज्ञानिकों ने इसके लिए पूरा मेकैनिज्म डिज़ाइन किया था. तीसरी मंजिल से सूर्य किरणों को गर्भगृह तक लाना और रामलला के मस्तक पर डालना कोई आसान काम नहीं था लेकिन करोड़ों लोगों की आस्था और वैज्ञानिकों की मेहनत ने इस कठिन काम को भी आसान बना दिया. दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें पहले मंदिर के तीसरी मंजिल पर लगे मिरर पर पड़ीं, फिर वो reflect होकर एक पीतल के पाइप के जरिए मंदिर की पहली मंजिल तक पहुंचीं. फिर सूर्य किरणों को रिफैल्क्टर के जरिए गर्भगृह की दीवार में बने सुराख के रास्ते रामलला के मस्तक तक लाया गया. ये सूर्य तिलक 58 मिलीमीटर का था. करीब 3 से 4 मिनट तक सूर्य की किरणों ने रामलला के मस्तक पर तिलक किया जिसे देखने के लिए तमाम रामभक्त मंदिर में मौजूद थे. लेकिन जिस वक्त रामलला का सूर्य तिलक हो रहा था, गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश रोक दिया गया था ताकि ज्यादा भीड़ न हो जाए. जैसे ही रामलला का सूर्याभिषेक हुआ, भगवान की आरती की गई, करोड़ों रामभक्तों ने इस दृश्य को टीवी स्क्रीन पर लाइव देखा. जिस वक्त रामलला का सूर्य तिलक हो रहा था, प्रधानमंत्री मोदी उस समय असम के नलबाड़ी में एक चुनाव रैली करके निकले थे. 12 बजे वो हैलीकॉप्टर में थे. मोदी ने हैलीकॉप्टर में बैठकर ऑनलाइन ही रामलला के सूर्य तिलक के अद्भुत दृश्य को देखा. इस पवित्र क्षण का साक्षी बनने से पहले उन्होने अपने जूते उतारे. फिर पूरी श्रद्धा के साथ सूर्य तिलक का नजारा देखा और श्रीराम को प्रणाम किया. मोदी ने अपना ये वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि करोड़ों भारतीयों की तरह उनके लिए भी ये एक भावनात्मक क्षण था. मोदी ने नलबाड़ी की रैली में सूर्य तिलक का जिक्र किया. उन्होने वहां मौजूद लोगों से अपने मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाकर भगवान राम के इस उत्सव में शामिल होने की अपील की और उसके बाद जय श्रीराम के नारे लगाए. सूर्यवंशी श्रीराम के जन्मोत्सव के वक्त रामलला के मस्तक पर सूर्य तिलक ऐतिहासिक क्षण था. ये विरासत के संरक्षण और विज्ञान के संवर्धन से बने विकास पथ का प्रमाण है. रामलला के मस्तक पर सूर्य तिलक का काम देखने सुनने में जितना आसान लग रहा है, वह हकीकत में बहुत कठिन था. इसमें वैज्ञानिकों का अथक परिश्रम लगा है. मंदिर निर्माण कमेटी के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा ने बताया था कि रामलला के मस्तक पर सूर्य तिलक का विचार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का था. जब राम मंदिर निर्माण का काम शुरू होने वाला था, उस वक्त हर छोटी बड़ी बात पर विचार हो रहा था. उसी समय मोदी ने ये सुझाव दिया था कि प्रभु श्रीराम सूर्यवंशी क्षत्रिय हैं, इसलिए क्या ऐसा हो सकता है कि रामनवमी के दिन रामलला का तिलक स्वयं सूर्य भगवान करें? सूर्य की किरणों रामलला के मस्तक का अभिषेक करें? उस बैठक में प्रधानमंत्री के सुझाव पर अमल करने पर सहमति बनी लेकिन इसके बाद मोदी ने ये काम सिर्फ मंदिर निर्माण के काम में लगे लोगों पर नहीं छोड़ा, खुद प्रयास शुरू कर दिए. उन्होंने महाराष्ट्र और कर्नाटक के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों से बात की और उन्हें इस काम की जिम्मेदारी भी सौंपी. मोदी का ये सुझाव हकीकत में बदल गया और पूरी दुनिया ने गर्भगृह में विराजे रामलला के सूर्यतिलक तिलक के दर्शन किए. कोणार्क के सूर्य मंदिर सहित देश भर में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां सूर्य की किरणें सीधे भगवान की मूर्ति पर पड़ती हैं. नोट करने की बात ये है कि जिस तरह अयोध्या के राम मंदिर में ये काम वैज्ञानिक संस्थानों की मदद से हुआ, हजारों साल पहले भी भारत में इसी तरह की वैज्ञानिक सोच उपलब्ध थी. उत्सव के इस पल में समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने अयोध्या और देशभर में हो रहे समारोहों को पाखंड बता दिया. रामगोपाल यादव ने कहा कि अयोध्या में सब अशुभ हो रहा है, आधे-अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई, अब बीजेपी के नेता ढ़ोल पीट रहे हैं. यादव ने कहा कि वो कभी किसी मंदिर में नहीं गए, मंदिर में पाखंडी जाते हैं, वो घर में ही भगवान का नाम ले लेते हैं, इसीलिए वही सच्चे भक्त हैं. रामगोपाल यादव इसलिए नाराज है क्योंकि बीजेपी के नेता हर सभा में अयोध्या की बात करते हैं, रामलला की बात करते हैं, सनातन को बड़ा मुद्दा बना रहे हैं, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बहिष्कार पर सवाल पूछ रहे हैं. ये बातें रामगोपाल यादव को परेशान कर रही है. इसीलिए उन्होंने कहा कि जो मंदिर जाते हैं, वो पाखंडी हैं, अयोध्या में बना मंदिर अशुभ है, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सनातन में तो हर सुबह की शुरूआत राम नाम से होती है और जिदगी की शाम भी राम नाम से होती है, इसमें कहां जाति है? कहां धर्म है? योगी ने कहा कि कांग्रेस समाजवादी पार्टी और बीएसपी का चरित्र दोहरा है, ये लोग पहले राम के अस्तित्व का प्रमाण मांगते थे और अब कह रहे हैं, राम तो सबके हैं. योगी आदित्यनाथ ने ठीक कहा कि सनातन में तो हर सुबह की शुरुआत भगवान के नाम से होती है, जीवन की शुरुआत और अंत भी राम नाम से होता है, इसका किसी जाति से कोई लेना-देना नहीं है. इसीलिए जब रामगोपाल यादव ने मंदिर जाने वालों को पाखंडी कहा तो मुझे आश्चर्य हुआ. रामगोपाल यादव तो पढ़े लिखे हैं. क्या वह यह नहीं जानते कि भारत एक धर्म प्रधान देश है? क्या वह ये भूल गए कि धर्म भारतीय संस्कृति का मूल आधार है? हमारे मंदिर हमारी विरासत का प्रतीक हैं? क्या वह यह भूल गए कि हमारे देश में करोड़ों लोग भगवान में आस्था रखते हैं, मंदिर जाते हैं, पूजा पाठ करते हैं? रामगोपाल यादव को ऐसे लोगों की भावनाओं को आहत करने का कोई हक नहीं है. रामगोपाल यादव इस तरह की बयानबाजी में अगर कोई सियासी फायदा ढूंढ रहे हैं, अगर समाज के किसी एक वर्ग को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं, तो वह बड़ी गलतफहमी में हैं. उन्हें और उनकी पार्टी को इसका नुकसान होगा.
A DREAM COME TRUE: SUN RAYS ILLUMINATE RAM IDOL IN AYODHYA
As the nation watched the live streaming of Sun rays illuminating the forehead of Ram Lalla idol in the newly built Ayodhya temple on Ramnavami day, Prime Minister Narendra Modi, sitting in a helicopter, watched it on his iPad, 1100 kilometres away in Nalbari, Assam, after addressing a huge election rally. For the first time in the last 500 years, Ramnavami was celebrated in a grand temple built at the birthplace of Lord Ram. Modi wrote on X : “After my Nalbari rally, I watched the Surya Tilak on Ram Lalla. Like crores of Indians, this is a very emotional moment for me. The grand Ram Navami in Ayodhya is historic. May this Surya Tilak bring energy to our lives and may it inspire our nation to scale new heights of glory.” The beam of sunlight was reflected on the forehead of Ram Lalla idol through a special mirror-lens arrangement, designed by astronomers at the Indian Institute of Astrophyics (IIA), Bengaluru, and it was installed in the temple by a team of scientists from Central Building Research Institute, Roorkee. The IIA team began designing the apparatus three years ago, and prepared a four-mirror-and-four-lens array. The first mirror that received sunlight at noon, was positioned at an angle along the path of the sun rays. The light was then reflected to three other mirrors and after it passed through four lenses at desired intensity, it was directed to the idol’s forehead for three to four minutes. While the mirror directed the beams of light, the lenses made them converge to the required intensity. Millions of devotees of Lord Ram watched the Surya Tilak on their TV screens. Lord Shri Ram was born in a Suryavanshi dynasty, and the Surya Tilak was a historic moment. This was a momentous mix of conservation of our rich legacy and the marvel of modern science. Carrying out this at the right moment was not easy. The scientists had to toil hard to plan and create the apparatus before executing it. Ram Temple construction committee chairman Nripendra Mishra said, it was Prime Minister Modi’s idea for illuminating the idol’s forehead on Ramnavami day. Modi’s plea was that since Lord Shri Ram was a Kshatriya belonging to Suryavanshi dynasty, it would be advisable for the Sun God to do the Surya Tilak of the idol’s forehead. Modi did not leave it to the committee members. He himself contacted scientists and astrophysicists in Maharashtra and Karnataka, and assigned them this responsibility. The result: the world watched the Sun rays performing tilak of Lord Ram Lalla installed in the Garbha-griha of the temple. Konark Sun Temple in Odisha is one of several such temples, built in a manner where the sun rays directly fall on the main idol. Needless to say, Indian architects and scientists of yore had scientific knowledge of how to illuminate the idol inside a temple with Sun rays, as was done by modern scientists on Ramnavami day. Uttar Pradesh chief minister Yogi Adityanath was busy in Gorakhpur, performing Kanya Pujan to mark the end of nine-day-long fast of Chaitra Navratri. Yogi described this year’s Ramnavami as special in the sense that it is being held after a long wait of 500 years inside a temple. Samajwadi Party leader Ram Gopal Yadav spoiled the merriment by commenting that “performing worship inside temples is nothing but paakhand (hypocrisy). Yadav said, whatever happening in Ayodhya seems to be inauspicious, because the Ram Lalla idol was consecrated in a partially-built temple and BJP leaders are trying to reap political advantage out of it. Yadav claimed, he never went to a temple in his life, and always worshipped idols in his home. One can understand Ram Gopal Yadav’s unhappiness, because BJP leaders are mentioning about how Ram temple was built and the idol installed after a gap of 500 years. BJP leaders are telling people how Congress and Samajwadi Party boycotted the consecration ceremony in Ayodhya. In reply, Yogi Adityanath said, “in Sanatan Dharma, every morning begins with the word Ram, and when somebody’s life comes to an end, the word Ram is uttered. So where is the question of caste in this issue?” Yogi said, Congress, SP and BSP practise double standards. “Their leaders used to demand proof about the birthplace of Lord Ram, and now they say, Lord Ram belongs to one and all”, he said. I think, Yogi is right. Every Sanatani begins his morning with the name of Lord Ram, and when one passes away, Ram Naam Sathya Hai is uttered by the pall-bearers. This has nothing to do with any caste. I was surprised when Ram Gopal Yadav described temple goers as “hypocrites”. He holds PhD, M.Sc.(Physics) and MA (Political Science) degrees. He has been a lecturer and Principal of a college in UP. He must know that India is a land of faiths. Has he forgotten that dharma is the basis of Indian culture? Our temples are symbols of our rich heritage. Has he forgotten that millions of people in India go to temples and worship before gods? Yadav has no right to hurt the sentiments of people. If he is seeking political advantage by making such a remark, in order to make any section or community happy, then he is mistaken. He and his party may have to face enormous political loss in UP.
मोदी संविधान नहीं बदलेंगे
देश भर में इन दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से लेकर AAP नेता संजय सिंह तक सभी पार्टियों के नेता रैलियों को संबोधित कर रहे हैं. मंगलवार को मोदी ने बंगाल और बिहार की चार रैलियों में विरोधी दलों के उन आरोपों पर जवाब दिया. विरोधी दलों के नेता आरोप लगा रहे हैं कि अगर मोदी फिर जीते तो वह संविधान बदल देंगे, आरक्षण खत्म हो जाएगास मोदी भ्रष्टाचार के मामलो का डर दिखाकर दूसरी पार्टियों को तोड़ने का काम करते हैं. मोदी ने इन मुद्दों पर सीधी बात की. कहा, वह तो क्या, बीजेपी तो क्या, बाबा साहब का संविधान तो अब खुद बाबा साहब आंबेडकर भी नहीं बदल सकते. मोदी ने कहा कि संविधान, पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के हकों का रक्षा कवच है, संविधान देश की प्रगति को दिशा देने वाली शक्ति है, संविधान के साथ खिलवाड़ तो कांग्रेस ने किया, बीजेपी ऐसा कभी नहीं कर सकती. मोदी ने कहा कि अब हार की हताशा में डूबे लोग देश में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, लोगों को डराने का षडयन्त्र कर रहे हैं, अफवाहें पैला रहे हैं कि मोदी आया तो संविधान खत्म कर देगा, बीजेपी बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को ख़त्म करना चाहती है. मोदी ने पूर्णिया की रैली में कहा कि उनकी सरकार ने तो संविधान को सर्वोपरि रखा है, इस साल संविधान लागू होने के 75 साल पूरे कर रहे हैं, सरकार ने जैसे आजादी का अमृत महोत्सव मनाया, उसी तरह संविधान लागू होने का उत्सव भी मनाएगी. मोदी ने कहा कि जो लोग संविधान को खत्म करने की अफवाह फैला रहे हैं, हकीकत में बाबा साहब आंबेडकर का अपमान उन्हीं पार्टियों ने कियास उन्ही पार्टियों ने 1975 में इमरजेंसी लगा कर संविधान को सस्पेंड किया था, विरोधी दलों के नेताओं को जेल में डाला था. मोदी ने कहा कि पिछले 30 साल में बीजेपी केंद्र से लेकर कई राज्यों में सत्ता में रही लेकिन बीजेपी ने संविधान पर कभी आंच नहीं आने दी. मोदी ने कहा कि विपक्ष के लिए संविधान राजनीति का हथकंडा है लेकिन उनके लिए संविधान विकसित भारत बनाने का मार्गदर्शक है. आप सोच रहे होंगे कि आखिर संवैधानिक तरीके से चुनी गई सरकार संविधान को खत्म क्यों करेगी? मोदी को संविधान की रक्षा का वचन क्यों देना पड़ रहा है? असल में जबसे मोदी ने 400 पार का नारा दिया है, उसके बाद से ही विरोधी दलों के ज्यादातर नेताओं ने ये नैरेटिव बनाने की कोशिश शुरू कर दी है कि अगर नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो देश में लोकतन्त्र खत्म हो जाएगा, इसके बाद देश में चुनाव नहीं होंगे. मोदी को अगर 400 से ज्यादा का बहुमत मिल गया तो मोदी संविधान को बदल देंगे. राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी से लेकर असद्दुदीन ओवैसी तक सारे नेता अपनी रैलियों में यही बातें कर रहे हैं. औरंगाबाद की रैली में ओवैसी ने कहा कि बीजेपी सत्ता में वापस आई तो संविधान बदल सकती है. ओवैसी ने कहा कि मोदी बार-बार चार जातियों की बात इसीलिए करते हैं क्योंकि संविधान को बदलकर वो आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं. शिव सेना (उद्धव) नेता उद्धव ठाकरे ने भी कहा कि अगर मगर की कोई बात ही नहीं हैं, अगर बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आई तो मोदी संविधान बदलेंगे. उद्धव ठाकरे ने कहा कि अब सबकुछ सामने आ चुका है, बीजेपी के कई बड़े नेता इसके लिए माहौल बना रहे हैं कि बीजेपी को 400 सीटें दो, तो संविधान बदल देंगे. समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने भी आज कहा कि देश में जो कुछ हो रहा है, वो लोकतन्त्र खत्म होने का संकेत है. रामगोपाल यादव ने कहा कि बीजेपी गरीबों को मुफ्त राशन इसलिए बांट रही है कि वो सरकार से सवाल न पूछ सकें, वो संविधान बदलें, आरक्षण खत्म करें, लेकिन लोग इस डर से कि कहीं राशन न बंद हो जाए, चुप रह जाएं. इसीलिए मुफ्त राशन की आदत लोगों में डाली जा रही है. राहुल गांधी ने केरल में कहा कि बीजेपी और RSS संविधान को खत्म करने की फिराक में हैं, कांग्रेस और उसके सहयोगी दल इस बार संविधान को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि देश में इस तरह का माहौल बन गया है कि संविधान को बदला जाएगास मोदी भले ही इस बात की कितनी भी गारंटी दें कि संविधान नहीं बदलेंगे लेकिन किसी को उन पर भरोसा नहीं है. अशोक गहलोत ने कहा कि संविधान बदलने का माहौल विपक्ष नहीं बना रहा है बल्कि खुद बीजेपी के बड़े नेता बना रहे हैं और ये बहुत खतरनाक है. तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर मोदी सचमुच संविधान नहीं बदलना चाहते, तो अपनी पार्टी के उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते जो संविधान बदलने की बात कर रहे हैं. कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि बीजेपी आगर इस बार चुनाव जीती तो देश में लोकतंत्र खत्म हो जाएगा, हमारे देश का हाल रूस जैसा हो जाएगा, बीजेपी संविधान बदल देगी, लोगों से सवाल पूछने की आजादी छीन ली जाएगी, विपक्ष के नेताओं को जेल में डाल दिया जाएगा. आप अगर विरोधी दलों के नेताओं के बयानों को देखेंगे तो सब एक स्वर से बोल रहे हैं कि मोदी संविधान को बदल देंगे, लोकतंत्र को खत्म कर देंगे. ये एक तरह का sustained कैंपेन है. इसीलिए मोदी अपनी सभाओ में कह रहे हैं कि उनके लिए संविधान सबसे ऊपर है, लोकतंत्र के लिए उनके मन में अपार श्रद्धा है, इसे बदलने और खत्म करने का उनका कोई इरादा नहीं है. लेकिन मोदी के कहने से ये कैंपेन खत्म नहीं हो जाएगा. ये बात तो विरोधी दलों के नेता भी जानते हैं कि हमारे देश की जनता, लोकतंत्र को, अभिव्यक्ति की आजादी को कितना प्यार करती है. एक बार इंदिरा गांधी ने 1975 में इमरजेंसी लगाकर लोकतंत्र का गला घोंटा था, जनता ने 1977 में उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया था. अब कोई नेता लोकतंत्र को खत्म करने की हिम्मत कभी नहीं कर सकता. जहां तक मोदी का सवाल है, मोदी को तो ये लोकतंत्र चुनाव की ये व्यवस्था सबसे ज्यादा सूट करती है. मोदी ने इसी सिस्टम में तीन तीन बार गुजरात का चुनाव जीता, मुख्यमंत्री रहे. इसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में दो-दो बार लोकसभा का चुनाव जीता, पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. तीसरी बार उनकी जीत पक्की मानी जा रही है. मोदी को इसमें बदलाव की क्या जरूरत है? बदलाव तो वो लोग करना चाहेंगे जो इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में बार बार हार रहे हैं. बदलाव तो वो चाहेंगे जिनके जीतने का चांस मोदी ने खत्म कर दिया है. इसीलिए ये कहावत है – उल्टा चोर कोतवाल को डांटे. मोदी विरोधी मोर्चे के नेता आजकल एक और कैंपेन कर रहे हैं. वो कह रहे हैं कि मोदी EVM की वजह से जीतते हैं.
MODI WILL NEVER CHANGE CONSTITUTION
In his election rallies in Bihar and West Bengal on Tuesday, Prime Minister Narendra Modi hit out at the opposition for launching a smear campaign against him on the issue of Constitution. The opposition leaders have been telling voters that Modi would change the Constitution and end reservation for Dalits, OBCs and Adivasis. In his Gaya rally, Modi said, “Congress and its partners are resorting to lies in the name of Constitution just to abuse me. NDA respects the Constitution. Not only BJP, but even Babasaheb Ambedkar cannot change the Constitution”. Modi named the Congress president Mallikarjun Kharge and said, Kharge had opposed the celebration of Constitution Day in Parliament by saying that the nation already celebrates Republic Day. Modi said, the opposition is “playing politics with the Constitution, but for us, Constitution is a matter of faith, and this election will ensure that those who are against the Constitution would be punished”. In his Purnea rally, Modi tried to link the Constitution issue with Sanatan Dharma. He said, “Those who abuse Sanatan Dharma should listen carefully…80 to 90 per cent of the members in the Constituent Assembly who made the Constitution were Sanatanis, and those Sanatani members supported Babasaheb Ambedkar in the drafting of a great Constitution.” Modi said, the Constitution is the ‘raksha kavach’ (protective armour) for the rights of backward castes, Dalits and Adivasis, and it is the guiding force for our nation’s progress. He said, it was the Congress which tinkered with the Constitution when it was in power, and BJP would never do such a thing. The Prime Minister alleged that those who have become frustrated after realizing that they would lose in this election, are now trying to spread misinformation. “They are misguiding the voters as part of a conspiracy to strike fear in the minds of people”, the PM said. Modi said, “the very people who are now crying hoarse about protecting the Constitution are the ones who insulted Babasaheb Ambedkar when he was alive. “The Congress even suspended the Constitution when it proclaimed Emergency in 1975”, he said. Modi raised the Constitution issue because opposition leaders like Rahul Gandhi, Tejashwi Yadav, Mamata Banerjee, Akhilesh Yadav and Asaduddin Owaisi have been harping on this issue in their meetings. Owaisi alleged in a rally in Aurangabad that Modi is speaking about four castes only because he wants to abolish reservation clauses in the Constitution. Shiv Sena (UBT) chief Uddhav Thackeray and Samajwadi Party leader Ramgopal Yadav also alleged that Modi is aiming at winning 400 seats only because he wants to change the Constitution. Congress leader Ashok Gehlot said, no matter what guarantee Modi may give about not changing the Constitution, people are not going to trust him. RJD leader Tejashwi Yadav countered by challenging Modi to take action against those BJP leaders who have been openly saying that the Constitution will be changed if BJP wins 400 seats. Congress spokesperson Pawan Khera alleged that if BJP won the elections this time, democracy would come to an end and India will become Russia. Khera alleged, BJP would change the Constitution, curtail freedom of speech and throw opposition leaders in jail. I have named all these opposition leaders because they are speaking in the same tone. This seems to be part of a sustained campaign. It is because of this that Modi told in his election rallies that Constitution is supreme, he has full faith in democracy, and there is no intention to put an end to it. Merely Modi saying this will not end this smear campaign. Opposition leaders know that the people of our country greatly value democracy and freedom of speech. In 1975, Indira Gandhi had clamped Emergency and had throttled democracy by throwing all opposition leaders in jails. The people of the country showed her and her party the door in the 1977 general elections. No leader will have the courage to repeat the same act now. As far as Modi is concerned, the present democratic electoral system suits him fine. He was elected thrice as chief minister of Gujarat, and he won the Lok Sabha elections twice with a clear majority. His third term is almost certain. Then where is the need for change in Constitution? The persons who will want a change in Constitution are those who are repeatedly being defeated in the current democratic setup. Only those persons will seek change, whose chances of winning have been eliminated by Modi. There is a Hindi proverb: “Ulta Chor Kotwal Ko Daante”. That is why, these leaders are not only trying to create a scare about the Constitution but are also questioning the EVM method of polling and counting of votes.
HOW MODI DEMOLISHED OPPOSITION CHARGE ON ELECTORAL BONDS
For the first time, Prime Minister Narendra Modi spoke in detail about the recently scrapped Electoral Bond Scheme, and came out with facts and figures to reject the Opposition charge that BJP cornered most of the donations. In an interview to ANI news agency on Monday, Modi said, out of nearly 3,000 companies that bought electoral bonds, only 26 companies are facing actions from the Enforcement Directorate. He also said, among these 26 companies, 16 companies bought electoral bonds despite facing legal actions. Modi said, out of these 16 companies, 37 per cent of the electoral bond money went to the BJP, while 63 per cent of the electoral bond money went to opposition parties that are not aligned with BJP. Modi said, these figures clearly rubbish the Opposition’s allegation that ED and CBI were misused to get electoral donations. The Prime Minister said, those who are opposing the electoral bond scheme will regret it later. He said “This (scrapping) is a decision everyone will regret when there is honest reflection…this has completely pushed the country towards black money”. Modi also rubbished the opposition allegations that the government was misusing ED and CBI to target political opponents. He said, “out of all the cases ED has registered, only 3 per cent cases are against politicians while 97 per cent of the accused are those who have nothing to do with politics. They are either drug mafia or officials involved in corruption, or officers who had created benami (illegal) assets. 97 per cent of cases are against them and they have been sent to jail”. Modi said, those in the opposition who are making an issue about appointments of heads of ED, CBI and Election Commissioners, know that their defeat (in elections) is sure, and they are looking for excuses. The Prime Minister also spoke about his plan for Indian tax payers, on Sanatana Dharma and alleged politicization of Hinduism, Ayodhya Ram temple issue and his future roadmap. Soon after the PM’s interview was telecast, Congress leader Rahul Gandhi reacted saying electoral bond scheme was the “biggest extortion scheme of the world and Modi was the mastermind”. Rahul Gandhi demanded that the PM must explain how CBI starts inquiry and after BJP gets electoral bond money, the inquiry is scrapped. Political allegations and counter-allegations apart, Modi, in his more than an hour long interview pointed out what his government did during the last ten years, and outlined his vision for the next 25 years. He also indicated what his government would do in the first 100 days of his government’s third term. This clearly shows Modi is confident of getting a third term. The opposition had been alleging that the present election is not being held with a “level playing field” and CBI and ED are being misused to intimidate opposition parties. The opposition has also alleged that several leaders have been jailed and some leaders have been forced to leave their parties. Modi replied to all these charges. The opposition parties have also alleged that they are short of funds ahead of the elections because the government has intimated the donors. Modi, on his part, came with all facts and figures relating to electoral bond donations, ED and CBI probes. One important point that Modi made was, one can understand the DMK’s compulsion for criticizing Sanatan Dharma, but, Modi asked, why has the Congress forgotten Sanatan culture? This is another point on which the Congress appears to be on a weak pitch.
चुनाव बॉन्ड पर मोदी ने विपक्ष के आरोपों का कैसे जवाब दिया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर एक बड़ा खुलासा किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स से चंद देने वाली 3 हजार कंपनियों में से सिर्फ 26 कंपनियां ऐसी हैं जिनके खिलाफ ED या CBI ने कोई कार्रवाई की. मोदी ने ये बात इस आरोप के जवाब में कही कि कंपनियों पर ED और CBI का दबाव डालकर बीजेपी ने उनसे चंदा लिया. आरोप ये भी है कि कई कंपनियां ऐसी हैं जिनके खिलाफ ED ने कार्रवाई की और उसके बाद उन्होंने बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड्स के जरिए पैसा दिया. प्रधानमंत्री ने बताया कि सिर्फ 16 कंपनियां ऐसी हैं जिनके खिलाफ ED की कार्रवाई होने के बाद उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे लेकिन इन कंपनियों के इलेक्टोरल बॉन्ड में से विरोधी दलों को 63 प्रतिशत चंदे मिले और बीजेपी को सिर्फ 37 प्रतिशत चंदे मिले. मोदी ने ये मिसाल देते हुए समझाया कि इलेक्टोरल बॉन्ड के लिए ED और CBI के इस्तेमाल का आरोप बेबुनियाद है. मोदी ने कहा कि इलेक्ट्रोरल बॉन्ड का जो लोग आज विरोध कर रहे हैं, वे भविष्य में पछताएंगे क्योंकि इलैक्ट्रोरल बॉन्ड स्कीम राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले पैसे में पारदर्शिता लाने हेतु अच्छी नीयत से बनाई गई थी. मोदी ने कहा कि अगर इलैक्ट्रोरल बॉन्ड न होते तो आज कैसे पता लगता कि किसने कितना पैसा किसको दिया है? मोदी ED, CBI के राजनीतिक इस्तेमाल पर भी पहली बार बोले. उन्होंने कहा कि ED ने पिछले 10 साल में जितने केस दर्ज किए हैं, उनमें सिर्फ तीन प्रतिशत ऐसे हैं, जो राजनीतिक लोगों के खिलाफ हैं. बाकी के 97 प्रतिशतक केस आर्थिक अपराधियों के खिलाफ हैं, जैसे तस्कर, ड्रग माफिया, बेनामी संपत्ति वाले अफसर. इसीलिए ED और CBI का राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ बेजा इस्तेमाल का इल्जाम भी बेमानी है. मोदी ने कहा कि जो लोग ED, CBI या चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को मुद्दा बना रहे हैं, असल में उन्हें पता है कि उनकी हार तय है, इसलिए अभी से बहाने खोज रहे हैं. मोदी ने उन सारे मुद्दों पर खुल कर साफ साफ बात की, जिनके बारे में देश के लोग जानना चाहते हैं, जैसे इलैक्ट्रोरल बॉन्ड, ED, CBI के सियासी इस्तेमाल के इल्जाम, टैक्स पेयर्स के लिए मोदी का प्लान, चुनाव के दौरान सनातन और हिन्दुत्व का राजनीतिकरण, राम मंदिर मुद्दा और मोदी की भावी योजनाएं. मोदी की ये बात तो सही है कि चुनाव में बड़े पैमाने पर काले धन का इल्तेमाल होता है जिसे रोकना जरूरी है. चुनाव आयोग ने सोमवार को ही खुलासा किया है कि एक मार्च के बाद अब तक 4650 करोड़ रु. की रिकवरी हो चुकी है, करीब सौ करोड़ रूपए का कैश हर रोज बरामद किया जा रहा है. विरोधी दलों के लिए चुनाव में दूसरा बड़ा मुद्दा है, ED, CBI की कार्रवाई. विरोधी दलों का इल्जाम है कि ED और CBI का इस्तेमाल विरोधियों को डराने के लिए, चुनाव प्रचार से दूर रखने के लिए किया जा रहा है. इस पर मोदी ने लंबा जवाब दिया. प्रधानमंत्री ने कहा कि पहली बात तो ये है कि जिन कानूनों के तहत कार्रवाई हे रही है, वो उनकी सरकार ने नहीं बनाए हैं. दूसरी बात ED ने जितने केस दर्ज किए हैं, उनमें से सिर्फ तीन परसेंट नेताओं या राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोगों के खिलाफ हैं. और तीसरी बात कांग्रेस के कार्यकाल में ED ने सिर्फ चौंतीस लाख रूपए कैश बरामद किए थे जबकि पिछले दस सालों में ED 2200 करोड़ से ज्यादा का नकद जब्त कर चुकी है. मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार देश के लिए घातक है, इसलिए भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी शिद्दत के साथ जंग जारी रहेगी. मोदी का इंटरव्यू प्रसारित होने के तुरंत बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जवाब दिया. राहुल ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड दुनिया का सबसे बड़ा वसूली रैकेट है और मोदी इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए वसूली के मास्टरमाइंड हैं. राहुल ने कहा कि मोदी की चोरी पकड़ी गई है इसीलिए उन्हें सफाई देनी पड़ रही है. आरोप-प्रत्यारोप अलग बात है, लेकिन ये सही है कि मोदी ने जो इंटरव्यू दिया उसमें उन्होंने अपने 10 साल के काम गिनाए, आने वाले 25 साल का विज़न बताया और ये भी बताया कि तीसरी बार सरकार बनने के बाद पहले 100 दिन में वो क्या करेंगे, इसका प्लान उन्होंने तैयार कर लिया है. इससे आने वाले चुनाव में मोदी की जीत का विश्वास झलकता है. विरोधी दलों का सबसे बड़ा आरोप है कि इस चुनाव में लेवल प्लेइंग फील्ड नहीं हैं, मोदी ने CBI और ED का इस्तेमाल करके विरोधी दलों को डराया, कई नेताओं को जेल में डाल दिया और कई को अपनी पार्टियां छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया. मोदी ने इन सारे सवालों के जवाब दिये. चुनाव के मौके पर विरोधी दलों का एक बड़ा इल्जाम ये भी है कि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे की कमी है क्योंकि सरकार ने उन्हें चंदा देने वालों को दबाकर रखा है. विरोधी दल कहते हैं कि ED और CBI से डराकर कंपनियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजेपी को चंदा देने के लिए दबाव डाला गया. मोदी ने आंकड़ों के साथ इसका जवाब दिया. उन्होंने दावा किया कि ED और CBI का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप बेबुनियाद है. मोदी ने कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला, सनातन का अपमान करने के लिए कांग्रेस को निशाना बनाया. मोदी ने कहा कि DMK की मजबूरी समझ में आती है लेकिन कांग्रेस अपनी संस्कृति को कैसे भूल गई? नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर और प्राण प्रतिष्ठा समारोह की भी बात की और उन्होंने बताया कि कैसे कांग्रेस ने हमेशा इस बात की कोशिश कि राम मंदिर ना बन पाए. ज़ाहिर है, आस्था के मुद्दे पर कांग्रेस इस समय कमजोर पिच पर है.
ऐटमी हथियार और मांस-मछली : मोदी ने कैसे विपक्ष को कठघरे में खड़ा किया
भारत- पाकिस्तान सीमा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़े खतरे की तरफ इशारा किया..मोदी ने कहा कि INDI गठबंधन का इरादा भारत के परमाणु हथियारों को नष्ट करने की है. उनका इरादा हमारे परमाणु बम को दरिया में डुबोने का है. नरेंद्र मोदी ने ये बात बाड़मेर में एक रैली में कही. मोदी ने कहा कि INDI अलायंस में शामिल एक पार्टी ने अपने मैनिफेस्टो में साफ-साफ लिखा है कि वो सत्ता में आएगी, तो परमाणु हथियारों को नष्ट कर देगी. परमाणु हथियारों को दरिया में डुबो देगी. मोदी का इशारा INDI गठबंधन में शामिल CPM के मैनिफेस्टो की तरफ थाजिस में यही सब लिखा है . प्रधानमंत्री मोदी ने विरोधियों से पूछा कि आप किसके इशारे पर देश को कमज़ोर करना चाहते हैं? मोदी ने पूछा कि किसके दबाव में आकर INDI गठबंधन, देश के परमाणु हथियारों को नष्ट करना चाहता है? मोदी ने कहा कि हम देश को ताकतवर बनाने में जुटे हुए हैं लेकिन INDI अलायंस भारत को शक्तिहीन बनाना चाहता है.
राष्ट्रहित में कुछ ऐसी बातें हैं जिनपर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. भारत परमाणु शक्ति वाला देश है और रहना चाहिए. भारत के ऐटमी हथियार किसी पर हमला करने के लिए नहीं, बल्कि आत्मरक्षा के लिए है. भारत की ऐटमी ताकत इस पूरे क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए है, हमारी सीमाओं की सुरक्षा के लिए है और भारत की सुरक्षा सारे राजनीतिक विचारों और भावनाओं से ऊपर हैं..इसपर सवाल उठाने वाले किस देश से प्रभावित हैं, किस विचारधारा पर चलते हैं, ये बताने की जरूरत नहीं है. इसी तरह आर्टिकल 370 को फिर से लागू करने की बात बेमानी है और भारत विरोधी है. धारा 370 हटाने का फैसला एक ऐसा फैसला था जिसे लोग असंभव मानते थे. कश्मीर के नेता कहते थे कि 370 हटा तो यहां तिरंगा थामने वाले हाथ तक नहीं मिलेंगे लेकिन मोदी ने साहसिक निर्णय लिया, कश्मीर की फिज़ा बदली, अब वहां पत्थर उठाने वाले लोग नजर नहीं आते लेकिन तिरंगा उठाने वाले लोगों की कोई कमी नहीं हैं.
मटन और मछली
प्रधानमंत्री मोदी ने उधमपुर की रैली से कांग्रेस और लेफ्ट के साथ-साथ, लालू यादव की पार्टी RJD पर भी निशाना साधा. मोदी ने कहा कि RJD और कांग्रेस वही पार्टी है जिन्हें लोगों की भावनाओं की ज़रा भी परवाह नहीं है, उनके नेता सावन में मटन बनाते हैं और नवरात्रि में मछली खाते हैं. मोदी ने कहा कि ये बात सही है कि देश में खानपान को लेकर किसी तरह की रोक-टोक नहीं है, हर कोई अपनी पसंद का खाना खा सकता है लेकिन कुछ लोग नवरात्रि के मौके पर, सावन के दिनों में मांस-मछली खाने का वीडियो सिर्फ एक वर्ग को चिढ़ाने के लिए पोस्ट करते हैं और दूसरे वर्ग को खुश करने के लिए करते हैं, उनकी मंशा गलत है. इस विवाद की शुरुआत तेजस्वी यादव के मछली खाने का वीडियो पोस्ट करने से हुई थी. तेजस्वी का कहना है कि हैलिकॉप्टर में मुकेश सहनी के साथ मछली खाने का वीडियो नवरात्रि शुरु होने से एक दिन पहले का था. इसी तरह पिछले साल सावन के महीने में राहुल गांधी और लालू यादव ने चम्पारन मटन बनाकर खाया था. तेजस्वी यादव की बात सही है कि कौन क्या खाता है, ये चुनाव का विषय नहीं हो सकता लेकिन नवरात्र के दिनों में ऐसे वीडियो दिखाकर शुरुआत किसने की? सवाल मछली या संतरा खाने का नहीं है. सवाल इसका वीडियो बनाकर पब्लिक करना और लोगों की भावनाओं को आहत करने का है. ऐसी बातों से असली मुद्दों से ध्यान भटकता है और बीजेपी के नेताओं को भी मौका मिलता है . असल में विरोधी ये बात समझ नहीं पाए हैं कि नरेन्द्र मोदी चुनाव प्रचार में माहिर हैं. गलती से भी किसी विरोधी नेता ने मोदी को सामने full toss फेंकी तो वो मौके पर चौका लगाने में जरा नहीं चूकते. राहुल गांधी ने शक्ति से लड़ने की बात कही तो मोदी ने उसे जोर शोर से उठाया और पूरी कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया. अब तेजस्वी के वीडियो को मोदी मुद्दा बना रहे हैं और RJD के नेता सफाई देने में लगे हुए हैं..
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NUCLEAR WEAPONS AND NON-VEG : HOW MODI TOOK OPPOSITION TO TASK
Prime Minister Narendra Modi on Friday lashed out at INDIA bloc for the CPI(M) manifesto which calls for elimination of all nuclear weapons. Addressing an election rally in Barmer, Rajasthan, near the India-Pakistan border, Modi alleged that the opposition wanted to weaken India. He questioned the wisdom of such a move when India’s neighbouring countries possess nuclear arms. The CPI(M) manifesto had promised to work for “complete elimination of all nuclear weapons and other weapons of mass destruction, including chemical and biological weapons”. Modi said, “this is a dangerous declaration against our country. When two of our neighbours are armed with nuclear weapons, should we destroy our nuclear weapons?” What Modi has red flagged is correct. There can be no compromise on issues relating to national interest. India is a nuclear power and shall continue to remain so. India’s atomic weapons are not meant for attacking any country, but for providing deterrence. India’s nuclear weapons are meant for ensuring peace in the entire region and for protecting our borders. India’s security interests are paramount, far above all political ideas and leanings. There is no need to elaborate who are being guided by other countries by questioning our own nuclear might. Similarly, electoral promises have been made to revive Article 370 granting special powers to Jammu and Kashmir. Reviving Article 370 is useless and anti-national. Scrapping of Article 370 was a decision which many political leaders viewed as impossible. There were leaders in Kashmir who were predicting dire consequences by saying not a single Indian will be there in the Valley to hoist the tricolour if Article 370 was scrapped. Modi took a bold decision, the atmosphere in the Valley has completely changed and stone throwers have vanished. There is no dearth of Kashmiris who are holding the tricolour flag proudly.
MUGHAL MENTALITY
At his Udhampur election rally, Modi targeted Congress and RJD for deliberately trying to hurt the sentiments of Hindus. He said, Rahul Gandhi and Lalu Yadav prepared a “Champaran mutton” dish together and consumed it in the month of Sawan last year, a time considered sacred by Hindus when they desist from consuming non-vegetarian food. “This echoes Mughal mentality and this act was deliberately meant to offend the sentiments of Hindus. I know they will be raining abuses at me, but as Prime Minister, I consider it my responsibility to bring this matter before the people”, Modi said. The immediate provocation was the circulation of a video by RJD leader Tejashwi Yadav consuming fish with his ally Mukesh Sahni inside a helicopter. Though Tejashwi claimed that the act took place a day before the sacred Navratra fasting began, yet BJP leaders took him to task for offending the sentiments of Hindus. Modi clarified in his speech that there was no restriction in India on whether people consume veg or non-veg food, but when some people deliberately post videos of consuming mutton and fish during the sacred period of Sawan and Navratra, considered auspicious by Hindus, it hurts their sentiments. I think Tejashwi Yadav is right when he says that “who eats what” cannot be an election issue, but the question is: who triggered the controversy by posting the fish-eating video during Navratra? The question is not about consuming fish. The question is about making a video of it and circulating it in public to deliberately hurt the sentiments of others. Such frivolous acts deflects the attention of people from the main issues and provides BJP leaders a handle. The opposition is yet to realize that Narendra Modi is a master of election campaigning. Any error made by any opposition leader is considered a full-toss ball and Modi does not hesitate to hit a sixer. When Rahul Gandhi said, there is a word called Shakti in Hinduism and we have to fight that Shakti, Modi picked this slip of tongue and put Congress leaders on the backfoot. Modi has now made Tejashwi’s fish-eating video an issue in the vast Hindi-speaking hinterland. RJD leaders are busy giving clarifications.