चुनाव में फेक वीडियो : एक खतरनाक खेल
लोकसभा चुनाव में डीप फेक और फेक वीडियो की भी एंट्री हो गई. दिल्ली में केस दर्ज हुआ. दिल्ली की पुलिस तेलंगाना तक पहुंच गई. तेलंगाना के मुख्यमंत्री को पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया गया. रेवंत रेड्डी के फोन की जांच भी होगी. इस मामले में असम से कांग्रेस से एक कांग्रेस समर्थक की गिरफ्तारी हुई है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी चुनाव में डीप फेक के इस्तेमाल पर चिंता जताई. लोगों से सावधान रहने को कहा. IT मंत्री अश्विनी वैष्णव की अगुआई मे बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला. इस वीडियो को फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. कांग्रेस के नेता अब इस मामले में सफाई देते घूम रहे हैं. असल में हुआ ये कि गृह मंत्री अमित शाह ने तमिलनाडु की एक चुनाव रैली में कहा कि तीसरी बार केन्द्र में बीजेपी की सरकार आएगी तो जहां जहां असंवैधानिक तौर पर मुस्लिम आरक्षण लागू है, उसे खत्म किया जाएगा. लेकिन उनके वीडियो की editing की गई. ‘मुस्लिम’ शब्द हटाकर ‘दलित आदिवासी’ जोड़ दिया गया. यानि अमित शाह को ये कहते हुए दिखाया गया कि बीजेपी की सरकार आएगी तो असंवैधानिक तौर पर लागू दलित, पिछड़े और आदिवासियों का आरक्षण तुंरत खत्म कर देगी. चूंकि आवाज अमित शाह की थी, एडीटिंग इतनी सफाई से की गई कि किसी भी सुनने वाले को लगेगा कि अमित शाह ने यही कहा कि बीजेपी की सरकार आरक्षण को खत्म करेगी. इस वीडियो को सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म्स पर खूब वायरल किया गया. इसके बाद बीजेपी हरकत में आई, पुलिस एक्शन भी हुआ, चुनाव आयोग से शिकायत भी हुई, बड़े-बड़े नेताओं ने कैंपेन के दौरान इसकी हकीकत बताई लेकिन सवाल ये है कि आखिर इस वीडियो का तेलंगाना से क्या कनैक्शन है? चूंकि अमित शाह का ये वीडियो तेलंगाना में कांग्रेस की स्टेट यूनिट के ऑफिशियल हैंडल से X पर पोस्ट किया गया, इसलिए दिल्ली पुलिस की टीम हैदराबाद में कांग्रेस दफ्तर में पहुंची. तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं. इसलिए दिल्ली पुलिस ने रेवंत रेड्डी को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है. रेवंत रेड्डी के अलावा तेलंगाना कांग्रेस के नेता सतीश, नवीन, शिवाशंकर और अस्मा तस्लीम को भी नोटिस भेजा गया है. इन सभी लोगों से अपने मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक गजेट्स साथ लाने को कहा गया है. इन पर आईटी एक्ट और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने और समाज मे विद्वेष फैलाने की कोशिश की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है. जिस वक्त दिल्ली पुलिस ने तेलंगाना कांग्रेस के नेताओं को नोटिस सर्व किया उस वक्त रेवंत रेड्डी कर्नाटक के कलबुर्गी में प्रियंका गांधी की एक चुनावी सभा में थे. रेवंत रेड्डी ने कहा कि बीजेपी अब तक चुनाव में ED, CBI और Income Tax का ही इस्तेमाल कर रही थी, लेकिन अब इस सूची में दिल्ली पुलिस का नाम भी जुड़ गय़ा है. रेवंत रेड्डी ने कहा कि चुनाव में हार के डर से बीजेपी ये सब करवा रही है. मंगलवार को अमित साह ने गुवाहाटी में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि उनके भाषण का फेल वीडियो बनवाने में कांग्रेस का हाथ है. उन्होने कहा कि जिन लोगों ने भी ये हरकत की कि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उधर, महाराष्ट्र के सतारा और कर्नाटक के बागलकोट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रैलियों को संबोधित करते हुए लोगों को आगाह किया कि एक बहुत बड़ी साज़िश पर काम हो रहा है ताकि Artificial Intelligence, Deepfake के जरिए नकली वीडियो बना कर लोगों को गुमराह किया जाय और समाज में वैमनस्य को बढावा दिया जाय. मोदी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटैलीजेंस और सोशल मीडिया के जमाने में जो इसका दुरूपयोग कर रहे हैं, जो समाज को भड़काने और आग लगाने की कोशिश कर रहे हैं, उनसे सावधान रहने की जरूरत है. मोदी ने कहा कि पुलिस तो इस तरह की हरकत करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि चुनाव आयोग भी इस मामले को गंभीरता से लेगा. टैक्नोलॉजी के ज़माने में असली नकली में फर्क करना मुश्किल है. नेता वही, आवाज़ वही, हाव-भाव वही, लेकिन शब्द नकली. ये फिल्मों और टीवी सीरियल्स में हो, तो बात समझ में आती है लेकिन जब चुनाव के दौरान नेताओं के ऐसा बोलते हुए दिखाया जाए, जो उन्होंने कहा ही नहीं हैं, तो बहुत मुश्किल हो जाएगी. आजकल हर हाथ में मोबाइल है. सबके फोन में व्हाटसैप, ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब जैसे तमाम सोशल मीडिया एप हैं. एक नकली वीडियो कुछ ही सेकेन्ड में लाखों लोगों तक पहुंच जाता है और लोग इस सच मानकर forward कर देते हैं. इसलिए ये भयानक खेल है. लोकतन्त्र के लिहाज़ से खतरनाक खेल हैं. चूंकि लोगों के पास वीडियो की असलियत को जानने का तो कोई ज़रिया नहीं हैं, इसलिए कम से कम आप इतना कर सकते हैं कि बिना सोचे समझे किसी वीडियो को forward न करें, वरना मुसीबत में पड़ सकते हैं क्योंकि IT एक्ट बहुत सख्त हैं. अगर आप किसी गलत वीडियो को पोस्ट करते हैं या फॉरवर्ड करते हैं तो जेल जा सकते हैं. इसीलिए मोदी ने कहा कि सावधान रहिए. जहां तक विरोधी दलों के नेताओं का सवाल है, तो ये साफ हो गया कि अमित शाह का नकली वीडियो जानबूझ कर सोची समझी रणनीति के तहत फैलाया गया क्योंकि जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, उसके बाद गुजरात से लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार तक कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और RJD के नेताओं ने रैलियों में कहना शुरू कर दिया कि बीजेपी ने दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण को खत्म करने की तैयारी कर ली है. अगर मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो आरक्षण खत्म हो जाएगा. गुजरात के पाटन में राहुल गांधी ने एक रैली में कहा कि बीजेपी के नेता कहते हैं कि वो किसी कीमत पर आरक्षण खत्म नहीं करेंगे, लेकिन हकीकत ये है कि बीजेपी के लोग संविधान और आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं, इसीलिए वो सरकारी नौकरियां खत्म कर रहे हैं, निजीकरण को बढावा दे रहे हैं क्योंकि निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू नहीं होता. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आगरा और एटा की रैलियों में कहा कि बीजेपी के लोग आरक्षण के घोर विरोधी हैं. वो संघ के इशारे पर धीरे धीरे आरक्षण को ख़त्म करते जा रहे हैं. बिहार के सारण में अपनी बेटी रोहिणी आचार्य का प्रचार करने पहुंचे लालू प्रसाद यादव ने भी कहा कि अब लड़ाई सरकार बनाने की नहीं, संविधान और आरक्षण को बचाने की है. लालू ने कहा कि संविधान को बचाने के लिए ही सारे दल इकट्ठा हुए हैं और सब मिलकर बीजेपी को हराएंगे. इसके बाद लालू ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में भोजपुरी गीत गुनगुनाते हुए कहा कि बीजेपी को जनता ऐसा धक्का लगाएगी कि वो सत्ता से हट जाएंगे. विरोधी दलों के नेताओं के आरोपों का जवाब प्रधानमंत्री मोदी ने दिया. मोदी ने महाराष्ट्र के सोलापुर की रैली में कहा कि वो तो क्या, बाबा साहब अंबेडकर भी अब आरक्षण को खत्म नहीं कर सकते. इसलिए विरोधी दलों के नेता जो झूठ फैला रहे हैं, उस पर यकीन करने की जरूरत नहीं हैं. मोदी ने कहा कि कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन के लोगों को अपनी हार साफ दिख रही है, इसलिए वो परेशान हैं और अब लोगों के बीच झूठ फैलाने में जुट गए हैं और कह रहे हैं कि मोदी सरकार आरक्षण खत्म कर देगी.मोदी ने कहा कि जब तक मैं जिंदा हूं मैं आरक्षण को खत्म नहीं होने दूंगा. इस चुनाव में कांग्रेस की कोशिश है कि किसी तरह बीजेपी पर ये बात चिपका दी जाए कि मोदी और उन की पार्टी आरक्षण विरोधी है. अमित शाह का फेक वीडियो , राहुल और लालू के बयान इसी सोची समझी नीति का हिस्सा हैं. लेकिन आजकल लोग काफी जागरूक हैं. सब समझते हैं कि doctored वीडियो क्या होते हैं, कैसे तैयार किए जाते हैं. लोग ये भी जानते हैं कि जहां तक आरक्षण का सवाल है, आज के ज़माने में कौन इसे हटाने की बात कहेगा? न कोई आरक्षण हटा सकता है, न कोई इसके बारे में सोच सकता है. और ये कोई आखिरी चुनाव तो है नहीं. बीजेपी को आगे भी चुनाव लड़ने हैं. आगे भी सरकारें बनानी है. आगे भी पार्टी चलानी है. इसीलिए ये नैरेटिव बिलकुल बेकार है कि मोदी आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं. इस बात की शुरुआत लालू यादव ने की थी. राहुल गांधी ने भी यही बात बड़ी चालाकी से फैलाने की कोशिश की. इसको 400 पार के नारे से जोड़ा. ये कहा कि मोदी इसीलिए 400 सीटें चाहते हैं ताकि आरक्षण खत्म कर दें. इस बात पर कोई यकीन नहीं करेगा. पहली बात तो ये है कि मोदी को यहीं रहना है. इसी देश में रहना है. यहीं चुनाव लड़ने हैं. और दूसरी बात ये कि OBC, दलित, SC-ST को लेकर मोदी का पिछले 23 साल का ट्रैक रिकॉर्ड बिलकुल साफ है. अब मोदी ने ये कहकर पलटवार किया है कि कांग्रेस ओबीसी का कोटा काटकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है. चुनाव के मैदान में इस तरह के आरोप प्रत्यारोप लगते रहते हैं. बहस भी होती है. लेकिन फेक वीडियो बनाना, लोगों को गुमराह करना, ये अपराध है. इसीलिए ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. न सिर्फ ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, इस बात की गहराई में भी जाना चाहिए कि ऐसा वीडियो किसने बनवाया और झूठ किसने फैलाया? वैसे तो मैं मानता हूं कि ‘ये पब्लिक है, सब जानती है’.
FAKE VIDEOS IN POLLS : A DANGEROUS GAME
DeepFake and fake videos made their entry into Lok Sabha elections on Monday, with Delhi Police filing a case of “doctoring” a video of Home Minister Amit Shah’s speech, and a Delhi Police team landed in Hyderabad for probe. The Chief Minister of Telangana Revanth Reddy was summoned by Delhi Police for questioning, while a Congress “war room” coordinator was arrested in faraway Assam. Two persons were arrested by Ahmedabad Police cyber crime wing on Tuesday, and one of them Satish Vansola is the personal assistant of Congress leader Jignesh Mevani. Prime Minister Narendra Modi expressed deep concern over use of DeepFake technology in elections and appealed to people to remain alert and not to forward unconfirmed videos on social media handles. A BJP delegation led by Information Technology Minister Ashwini Vaishnaw met the Election Commission demanding action against those who “doctored” Amit Shah’s speech. On Tuesday, Amit Shah, addressing a press conference in Guwahati, blamed the Congress for preparing a fake video of his speech. “Their frustration has reached such a level that they have spread fake videos about me. Their chief minister, state president have forwarded this fake video, and now one of them is facing a criminal offence”. Amit Shah played both the real video of his speech and the doctored video before the media. While in the real video, Shah was shown as saying ‘reservation given to minorities unconstitutionally would be removed’, the fake video shows him as saying that ‘reservation for SC, ST and backward castes given unconstitutionally would be removed’. Since the doctored video was posted on the official X handle of Telangana Congress state unit, the Delhi Police team landed in Hyderabad and started checking electronic devices. Apart from Chief Minister Revanth Reddy, state Congress leaders Satheeh, Naveen, Shivashankar and Asma Taslim have also been served notices. All these persons have been asked to bring their cellphones and electronic gadgets for probe. A case under provisions relating to spreading communal disharmony has been filed under IPC and the Information Technology Act. Chief Minister Revanth Reddy alleged that BJP was now trying to use Delhi Police after from ED, CBI, and Income Tax to target opposition leaders. Revanth Reddy has been summoned by police not in his capacity as chief minister, but as president of state Congress unit. On Monday, in his election rallies in Bagalkote, Karnataka and Satara, Maharashtra, Prime Minister Narendra Modi warned of “a deep conspiracy” to spread tension during the elections by faking his voice and those of Amit Shah, J P Nadda and other leaders, with the help of Artificial Intelligence, to spread lies and light fire in society. Differentiating the real from the fake has now become very difficult in this age of Artificial Intelligence. One can understand imitation of voices of leaders in films and TV serials, but putting words in the mouths of leaders addressing huge election meetings, is a dangerous game. Almost every Indian today carries a cellphone, linked with WhatsApp, Twitter, Facebook and YouTube. One fake, deepfake or doctored video can reach millions of people within seconds. People who get these fake videos on their phone, immediately forward them to their friends and WhatsApp groups, believing them to be true. This is a dangerous game for our vibrant democracy. People do not have the tools to check whether a video is true or fake. The least you can do is not to forward such fake videos, otherwise you and your friends may land in trouble. The Information Technology Act is quite stringent on this point. If you post or forward a fake video, you can land in jail. That is why Modi alerted people to remain cautious. As far as opposition leaders are concerned, it has become quite clear that Amit Shah’s speech video was doctored as part of a well-thought-out strategy. The moment the fake video went viral, Congress, Samajwadi Party and RJD leaders in UP, Bihar and Gujarat, started alleging that BJP has planned to amend the Constitution to end reservations for Dalits, tribals and backward castes. Their message was quite clear: caste-based reservation would end if Modi becomes PM for the third time. Congress leader Rahul Gandhi repeated this charge in his Monday rally in Patan, Gujarat. The same charge was repeated by SP supremo Akhilesh Yadav in his rallies in Agra and Etah, where he alleged that BJP, at the instance of RSS, wants to finish off caste-based reservation. RJD founder Lalu Prasad Yadav, campaigning for his daughter Rohini Acharya in Saran, Bihar, said the battle this time is not about formation of government, but for saving the Constitution and reservation. It was left to PM Modi to tell people in his rallies that ending reservation was out of the question and that he would protect reservation for Dalits, tribals and backward castes till his last breath. The Congress-led opposition is desperately trying to affix the label of “anti-reservation” on Modi and BJP this time. The circulation of Amit Shah’s fake video, and speeches of Rahul Gandhi and Lalu Prasad seem to be part of that calculated campaign. But people nowadays are quite aware. They know when a doctored video lands on their phone. They also know that no force in India can remove reservation, at any cost. They also know that this is not the “last election” as is being spread by the opposition. It was first floated by Lalu yadav, and Rahul Gandhi quite cleverly linked the “400 Paar” slogan of BJP with this charge, to say that Modi wants 400 LS seats in order to end reservation in Constitution. Nobody is going to believe this. Firstly, Modi has to stay in India, fight elections, Secondly, Modi’s track record during the last 23 years on the issue of OBC, Dalit, tribals has been quite clean. Modi has now counter-attacked. He has started alleging that the Congress wants to reduce OBC quota and give some of it to Muslims. Allegations and counter-allegations do take place during election, but preparing ‘doctored’ fake videos and spreading them in order to mislead voters and create disharmony is a crime. Strong action must be taken against such conspirators. Action must be taken not only against those who doctored the video, but it must be found out who ordered the ‘doctoring’ of this video and circulated it. I can only quote that film song: Yeh Public Hai, Sab Jaanti Hai.
EVM पर फैसला चुनाव प्रक्रिया में लोगों के भरोसे को और पुख्ता करेगा
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साफ कह दिया कि चुनाव EVM से ही होंगे, अब बैलट पेपर के ज़माने में लौटने की बात किसी को सोचनी भी नहीं चाहिए, चुनाव के बीच चुनाव प्रक्रिया पर बेवजह संदेह पैदा करना ठीक नहीं हैं. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपंकर दत्ता की पीठ ने EVM के केस में दो फ़ैसले दिए हैं. पहला ये कि बैलट पेपर से चुनाव कराने या फिर VVPAT के साथ 100 परसेंट मिलान की मांग को सिरे से ख़ारिज किया जाता है और दूसरा संदेह की स्थिति में जांच का रास्ता खोल दिया. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया हैं कि उम्मीदवारों के चुनाव निशान लोड होने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद EVM की सिंबल लोडिंग यूनिट को सील किया जाए और चुनाव नतीजे आने के बाद कम से कम 45 दिनों सिंबल स्टोर यूनिट को सुरक्षित रखा जाए. अगर हारने वाले उम्मीदवार को नतीजे पर ऐतराज़ है तो वह सात दिन के भीतर चुनाव आयोग से जांच की मांग कर सकता है.. चुनाव आयोग तकनीकी एक्सपर्ट्स से वोटिंग मशीनों की जांच कराएगा, मशीनों की जांच का ख़र्चा उम्मीदवार को ही देना होगा. इधर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और उधर ये चुनावी मुद्दा बन गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मदी ने बिहार की चुनावी रैली में EVM पर सवाल उठाने वालों पर करारा हमला किया, कहा कि ईवीएम पर सावाल उठाने वालों के गाल पर ये एक करारा तमाचा है. मोदी ने कहा, विरोधी दलों के नेताओं ने EVM को लेकर जनता के मन में संदेह पैदा करने का पाप किया है, INDI अलायन्स के लोग चाहते थे कि देश फिर उसी अंधकार युग में लौट जाए जब बूथ कैप्चर होते थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने विरोधी दलों को गहरा झटका दिया है. मोदी ने कहा कि विपक्षी दलों को समझ लेना चाहिए कि, बैलट पेपर वाला पुराना युग अब वापस नहीं आएगा. EVM का सबसे ज्यादा विरोध कांग्रेस के नेता कई साल से कर रहे थे. EVM के खिलाफ विदेश जाकर प्रैस कॉन्फ्रैस तक की. दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में दिल्ली में विरोध मार्च भी हुआ . सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में डाली गई अर्ज़ियों से कांग्रेस का कोई वास्ता नहीं था लेकिन, कांग्रेस ज़्यादा से ज़्यादा VVPAT मिलान करने की मांग करने का अभियान आगे भी चलाती रहेगी. कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाया, कहा कि अगर सब कुछ सही है तो चुनाव आयोग 11 महीने से विपक्षी दलों को VVPAT पर बातचीत के लिए मिलने का समय क्यों नहीं दे रहा है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि विपक्षी दल EVM के ख़िलाफ़ लड़ाई आगे भी जारी रखेंगे.आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जिस तरह से चुनाव आयोग और केंद्र सरकार, दोनों VVPAT की पर्चियों की 100 परसेंट गिनती का विरोध कर रहे थे, उससे शक पैदा होता है कि कुछ छुपाने की कोशिश हो रही है.सुप्रीम कोर्ट का फैसला समझदारी का फैसला है, देश को आगे ले जाने वाला फैसला है, लोकतंत्र की लाज बचाने वाला फैसला है. मैंने पिछले 47 साल से चुनावों को बहुत करीब से देखा है, हर चुनाव में बूथ लूटे जाते थे, गोलियां चलती थीं, बम फोड़े जाते थे. जब मैं रिपोर्टर बना तो चुनावों में सबसे बड़ी खबर ये होती थी कि कहां, किसने, कितने बूथ लूटे. आज के ज़माने के लोगों को शायद ये मालूम नहीं होगा कि बूथ लूटना क्या होता है. गुंडे बदमाश पोलिंग बूथ में आते थे..वोटरों को भगा देते थे, बैलट पेपर पर अपने उम्मीदवार का ठप्पा मारकर डिब्बा सील करवा देते थे. ये बूथ लूटना सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं होता था. इससे बाहुबली उम्मीदवारों का रास्ता खुलता था. पहले वो बंदूक के दम पर दूसरों के लिए बूथ लुटवाते थे, फिर कुछ साल बाद अपने लिए बूथ लूटते थे और संसद और विधानसभा में पहुंच जाते थे. जब EVM मशीन आई तो ये गुंडागर्दी, ये वोट की लूट बंद हुई. EVM की मशीन कांग्रेस के जमाने में आई थी लेकिन इसमें गड़बड़ के इल्जाम मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद लगे. जब राहुल गांधी जैसे नेता EVM में गड़बड़ी के आरोप लगाते थे कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण जैसे वकील इस पर सवाल उठाते थे, तो दुख होता था क्योंकि वो EVM की अहमियत जानते हैं. वो जानते हैं कि EVM ने हमारी चुनावी प्रक्रिया को कितना सुरक्षित बनाया है. मुझे लगता है जिन लोगों ने EVM पर सवाल उठाए, अब उन्हें अक्ल आ गई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने हर पहलू पर विचार करने के बाद फैसला किया है. चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने आज कह दिया कि EVM से वोटिंग सुरक्षित है, और इसकी हैकिंग नहीं हो सकती, ये EVM पर सवाल उठाने वालों के लिए करारा जवाब है. कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारी चुनाव व्यवस्था पर लोगों का भरोसा और पुख्ता करेगा. साथ ही इससे हमारे लोकतंत्र को और सशक्त और जानदार बनाने में मदद मिलेगी. इसीलिए आज प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज का दिन लोकतंत्र के लिए विजय दिवस है, हर देशवासी को इस दिन पर गर्व होना चाहिए.
EVM VERDICT : PEOPLE’S TRUST IN DEMOCRACY WILL NOW BECOME STRONGER
The Supreme Court on Friday dismissed all petitions seeking 100 per cent counting of VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail) slips and giving voters physical access to those slips. A bench of Justice Sanjiv Khanna and Justice Dipankar Datta dismissed all doubts about hacking and manipulation of electronic voting machines (EVMs) and said the plea for return to the old system of ballot paper voting was “foible and unsound”. The bench in its judgment clearly said, “unless substantial evidence is presented against EVMs, the current system will have to persist with enhancements….repeated and persistent doubts and despair, even without supporting evidence, can have the contrarian impact of creating distrust.” The apex court however directed the Election Commission of India that symbol loading units must be sealed and stored in strong rooms for 45 days after declaration of results, in order to facilitate checks, if discrepancies are alleged after the counting is over. The apex court said, candidates who stand second and third can ask for engineers of EVM manufacturers to check microcontroller chips in 5 per cent of EVMs per assembly segment of each Lok Sabha constituency. Request must be made within seven days of results. Candidates will have to pay for it, and will get their money back , if EVM is found faulty. The apex court said, nobody should even think of returning to the ballot age, when there used to be large-scale malpractices like booth capturing and snatching of ballot boxes. “The weakness of the ballot paper system is well known and documented. In the Indian context, keeping in view the large size of the electorate of nearly 97 crore, the number of candidates…the number of polling booths…and the problems faced with ballot papers, we would be undoing the electoral reforms by directing reintroduction of ballot papers. EVMs offer significant advantages”, the bench said. Prime Minister Narendra Modi, addressing rallies in Bihar, described the Supreme Court judgement as “a tight slap” in the face of Congress-led opposition, and demanded opposition leaders must apologize for creating distrust about EVM in the minds of people. While Congress leader Jairam Ramesh said his party had nothing to do with the petitions filed by Association for Democratic Reforms and others, the party would continue to demand more and more verification of VVPAT slips with EVM votes. Congress spokesperson Supriya Shrinate said, if everything was hunky-dory, why didn’t the Election Commission call a meeting of all parties to discuss VVPAT despite the fact that the demand was made 11 months ago? Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav said, his party’s campaign against use of EVM would continue in future. AAP leader Saurabh Bhardwaj said, the manner in which the Centre and ECI both opposed 100 per cent verification of VVPAT slips raises doubts, and they are trying to hide something. Today’s Supreme Court judgement is a well-considered one, and it is a progressive measure. This judgement will surely uphold the core values of democracy. I have seen elections from close quarters since the last 47 years. Earlier, polling booths used to be “captured” by goons, there used to be firing and bomb throwing. When I first became a reporter, the first news on polling day used to be about how many polling booths were captured. Today, young voters may not know the true meaning of “booth capturing”. Goons used to forcibly enter polling booths, scare away the voters standing in queues, snatch ballot papers from presiding and polling officers, start stamping the symbol of the party of their choice and then force the officers to seal the ballot boxes. This type of booth capturing was not limited to elections only. It opened the path for ‘bahubalis’ (gangsters) to contest as candidates. Earlier, these gangsters used to capture booths at the point of gun for helping others, and later they themselves contested and won assembly and parliament elections at the point of gun. With the coming of EVMs, booth capturing by goons came to a halt. EVMs were brought in use when Congress was in power. But alllegations against EVMs began after Narendra Modi became Prime Minister. Leaders like Rahul Gandhi used to level EVM manipulation charges, and lawyers like Kapil Sibal and Prashant Bhushan used to raise questions in courts. It was really very sad because they knew the significance of EVMs and how these machines made our election process safe ans secure. I think those who used to raise questions about EVMs will now regain their senses after the SC judgement. The apex court considered all technical aspects of EVM and VVPAT usage minutely and delivered its verdict. Since the Supreme Court declared that EVMs were safe, secure and cannot be hacked, it is a tight slap in the face of doubters. Supreme Court judgement will strengthen the trust of voters in our electoral process. It will help to make our democracy stronger and more vibrant. This was the reason why Prime Minister Modi described it as a “Vijay Diwas” (Day of Victory) and every Indian should feel proud on this day.
क्या कांग्रेस मुसलमानों को संसाधनों पर पहला हक़ देना चाहती है?
मुसलमानों को देश के संसाधनों में पहली प्राथमिकता देने के सवाल पर शुक्रवार को सोशल मीडिया पर बीजेपी ने 2009 का एक पुराना वीडियो जारी किया. इस वीडियो में उस समय के प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह मुबई की एक प्रेस कान्फ्रेन्स में ये कहते हुए दिखाये गये हैं कि अल्पसंख्यकों, खास कर गरीब मुसलमानों, का देश के संसाधनों पर पहला हक़ है. अप्रैल 2009 में ये प्रेस कान्फ्रेन्स उसी साल होने जा हे लोकसभा चुनाव से पहले कराई गई थी. डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट कह रहे हैं कि वह अभी भी ये राय रखते हैं कि देश के संसाधनों पर गरीब मुसलमानों का पहला हक़ है. इससे एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खर्गे ने प्रधानमंत्री को एक खुला पत्र निख कर कहा थआ कि उन्होंने शब्दों को तोड़ मरोड़ कर आरोप लगाया है ताकि साम्प्रदायिक वैमनस्य पैदा हो. अपने पत्र में खर्गे ने लिखा था कि ऐसा करके आप अपनी कुर्सी की मर्यादा को कम कर रहे हैं. शुक्रवार को भारीय जनात पार्टी ने मनमोहन सिंह का नया वीडियो जारी करते हुए कहा कि इससे कांग्रेस के झूठ और स्पष्टीकरणों का पर्दाफाश हो जाता है. इससे भाजपा का ये आरोप सच साबित होता है कि मुसलमानों को खास तवज्जोह के साथ प्राथमिकता देना कांग्रेस की नीति बन चुकी है. ये वीडियो कांग्रेस की इस सोच का सबूत है कि आरक्षण से लेकर संसाधनों तक सभी मामलों में वह मुसलमानों को प्राथमिकता देना चाहती है. ये विवाद ऐसे समय पैदा हुआ है जब शुक्रवार को करोड़ों वोटरों ने दूसरे चरण में 88 चुनाव क्षेत्रों में मतदान किय़ा. मोदी ने उत्तर प्रदेश की रैलियों में कहा कि दो शहजादों की जो जोड़ी आजकल घूम रही है, वो पिछड़ों का हक मारने के लिए निकली है, ये लोग पिछड़ों का आरक्षण छीन कर अपने खास वोट बैंक को देना चाहते हैं, लेकिन उनके इरादों के सामने मोदी दीवार बनकर खड़ा है, इसीलिए अब उन्हें गालियां दी जा रही हैं. मोदी ने कहा कि ये दोनों पिछड़ों के हक का आरक्षण छीनकर उसे अपने चहेतों को देना चाहते हैं, यहां अपने चहेतों का मतलब मुसलमानों से था. मोदी ने कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति ने देश का बहुत नुकसान किया है लेकिन इंडी अलायंस के लोगों ने ठान लिया है कि वो सुधरेंगे नहीं, धर्म के आधार पर आरक्षण नीति लाएंगे और पिछड़ों से उनका हक छीन लेंगे. मोदी ने आगरा की रैली में तमाम पिछड़ी जातियों का नाम लिया….कुर्मी, मौर्या, कुशवाहा, यादव, गुर्जर, जाट, राजभर, तेली और पाल. इन जातियों के लोगों को सीधे एड्रेस किया और कहा कि सभी को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के मंसूबों से सतर्क हो जाना चाहिए क्योंकि यूपी के दो लड़कों की जोड़ी अब पिछड़ों से विश्वासघात कर रही है, अखिलेश यादव मुसलमानों का वोट पाने के लिए यादवों को ही धोखा दे रहे हैं. ये सही है कि मोदी ने अपनी चुनावी सभा में खुलकर मुसलमानों का जिक्र किया पर वास्तव में मुसलमान शब्द का इस्तेमाल मोदी ने सिर्फ राजस्थान की रैली में किया था. इसके बाद मोदी बार बार ये कह रहे हैं कि कांग्रेस पिछड़ों का आरक्षण छीन कर अपने चहेतों को देना चाहती है और वो कर्नाटक का उदाहरण दे रहे हैं. कांग्रेस के नेता इस बात से तो इंकार नहीं कर सकते कि कर्नाटक में मुसलमानों को आरक्षण मिल रहा है लेकिन कांग्रेस सफाई में ये कह रही है कि कर्नाटक में मुसलमानों को आरक्षण तीस साल से मिल रहा है, वो मजहब के आधार पर नहीं हैं, गरीबी के आधार पर है. लेकिन सवाल ये है कि क्या सारी मुस्लिम जातियां सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़ी हैं, सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर सभी मुस्लिम जातियों को आरक्षण के दायरे में लाया गया, सभी मुसलमानों को आरक्षण मिल रहा है, ये मजहब के आधार पर नहीं हुआ तो और क्या है? तीसरी बात, अगर कांग्रेस मोदी की बात को गलत साबित करना चाहती है तो कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ये एलान क्यों नहीं करती कि वो मुसलमानों का आरक्षण खत्म करेगी और कांग्रेस की सरकार किसी भी राज्य में मुसलमानों को आरक्षण नहीं देगी? चूंकि कांग्रेस ऐसा करेगी नहीं, इसीलिए नरेन्द्र मोदी के हमले जारी रहेंगे और कांग्रेस के नेता गुस्से में मोदी को गालियां देंगे, लेकिन मोदी ने कांग्रेस की इस गलती को भी अपने पक्ष में मुद्दा बना लिया.
DOES CONGRESS WANT TO GIVE PRIORITY TO MUSLIMS ON RESOURCES?
An April 2009 video of the then Prime Minister Dr Manmohan Singh surfaced on Friday, in which the former PM is seen clearly saying at a press conference in Mumbai that “minorities, especially poor Muslims, should have first right when it comes to resources.” The press conference was addressed by Dr Singh in the run-up to the 2009 parliamentary elections. He categorically said, he stood by his earlier assertion that poor Muslims should have first right when it comes to resources. The video comes a day after Congress President Mallikarjun Kharge wrote to Prime Minister Narendra Modi saying he had misquoted Dr Singh on the issue of giving priority to Muslims on national resources. Kharge posted an open letter to Modi in which he wrote, “it has become a habit for you to seize on few words taken out of context and create a communal divide. You are lowering the dignity of the chair by speaking in this manner.” On Friday, BJP, after circulating Singh’s 2009 video, stated. “This unequivocal assertion by Dr Manmohan Singh demolishes the Congress’ canards and clarifications on his previous statement. It supports our assertion that preferential treatment to Muslims is a clear policy of the Congress Party. This is further proof of the Congress mindset to give preference to Muslims in everything, from reservation to resources.” This furore has taken place on a day when millions of voters casted their votes on Friday in 88 parliamentary constituencies and the poll atmosphere is already surcharged. At three election rallies at Agra, Bareilly and Shahjahanpur in Uttar Pradesh on Friday, Modi alleged that both Congress and SP are promoting appeasement politics and they want to reduce the quota of backward castes in order to give reservation to Muslims. Modi named these backward castes – Kurmi, Maurya, Kushwaha, Yadav, Gurjar, Jat, Rajbhar, Teli and Pal. He warned the backward caste voters to be on its guard against the machinations of Congress and SP. Modi had said in his rallies in Rajasthan and MP that between 2004 and 2010, the Congress government tried to give reservation to Muslims in Andhra Pradesh four times, but due to legal hurdles and awarenesss of Supreme Court, it could not fulfil its intention. Modi said, the “Congress government committed a sin in Karnataka by including all Muslims, regardless of their wealth or social status, in the OBC list. OBC reservation was snatched illegally and clandestinely and given to Muslims.” Strongly responding to this, Karnataka chief minister Siddaramaiah on Friday claimed, the Prime Minister was “telling a blatant lie”. He said, “it is indicative of his desperation born from a fear of defeat. Constitutional reservation cannot be arbitrarily amended. States do not have the authority to modify them. That a Prime Minister lacks even this basic knowledge is tragic for our country.” In the same breath, Siddaramaiah admitted that “in Karnataka, Muslims have been included in the 2B category for backward classes. This is not something done now. It was based on the reports of Backward Classes Commissions. This reservation has been in place for the last three decades.” It is true that Prime Minister Modi mentioned the word ‘Musalman’ in his election meeting, but he used the word ‘Musalman’ only once in his Rajasthan rally. Since then, Modi has been repeatedly saying that the Congress wants to steal reservation from backward castes and give them to the community it likes. He gave the example of Karnataka. Congress leaders cannot deny that Muslims are getting reservation in that state, but, while clarifying, they say that reservation to Muslims was being given since the last thirty years and it is not on the basis of religion, but on grounds of poverty. But the question here is: Is the entire Muslim community socially and economically backward? Muslim castes were brought into the reservation quota on grounds of social backwardness. All Muslims are getting reservation there. If this is not religious-based reservation, what else? Thirdly, if Congress wants to refute Modi’s allegation, why doesn’t the present Congress government in Karnataka announce that it would end reservation for Muslims. Why doesn’t the party say this emphatically that no reservation will be given to Muslims in any state? Since the Congress will not do this due to obvious reasons, Narendra Modi will continue to sharpen his attacks. Modi has used this mistake on part of the Congress as an issue in his favour.
सैम पित्रोदा ने फिर कांग्रेस को मुसीबत में डाला
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए नई मुसीबत पैदा हो गई. दूसरे चरण की वोटिंग से 48 घंटे पहले अमेरिका में बैठे कांग्रेस के थिंक टैंक सैम पित्रोदा ने ऐसा धमाका किया जिसकी गूंज बुधवार को देश की राजनीति में खूब सुनाई दी. पूरी कांग्रेस बैकफुट पर आ गई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर जो इल्जाम लगाया था, सैम पित्रोदा ने उससे आगे की बात कह दी. सैम पित्रोदा ने कहा कि अमेरिका में Inheritance (विरासत) टैक्स लगता है, भारत में ऐसा कानून नहीं हैं, लेकिन इस पर विचार होना चाहिए. यानि अगर किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसकी जो सम्पत्ति है, उसमें से कम से कम आधा हिस्सा सरकार के पास जाए, सिर्फ आधा हिस्सा उसके बच्चों को दिया जाए. सैम पित्रोदा की ये बात चुनाव प्रचार का सबसे बड़ा मुद्दा बन गई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, जे पी नड्डा, योगी आदित्यनाथ से लेकर सुधांशु त्रिवेदी तक सबने इसे मुद्दा बनाया. मोदी ने कहा कि अब एक्सरे का मतलब भी सामने आ गया, कांग्रेस देश के लोगों की संपत्ति का सर्वे कराएगी, उस पर कब्जा करेगी, जिनकी मौत होगी, उनकी आधी जायदाद हथिया कर अपने चहेते वोट बैंक को बांट देगी. मोदी ने कहा कि कांग्रेस का नारा है – “लूट का खेल, जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी” . मोदी ने कहा कि अभी तक इशारों में बात हो रही थी लेकिन अब युवराज के गुरू ने सारा खेल उजागर कर दिया है. सैम पित्रोदा का ये बयान कांग्रेस के गले की फांस बन गया. मल्लिकार्जुन खरगे, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी से लेकर जयराम रमेश तक सबने इस मुद्दे पर सफाई देने की कोशिश की. अमेरिका में विरासत टैक्स वाला क़ानून कुछ इस प्रकार है. मान लीजिए कि कोई 10 करोड़ डॉलर की जायदाद का मालिक है और जब उसकी मौत हो जाती है तो उसकी केवल 45 प्रतिशत संपत्ति ही उसके बच्चों को मिलती है. बाक़ी 55 प्रतिशत पर सरकार का क़ब्ज़ा हो जाता है. ये काफी दिलचस्प कानून है. ये कानून कहता है कि आपने अपनी पीढ़ी में संपत्ति कमाई. लेकिन जब आपकी मौत होती है तो आपको अपनी पूरी तो नहीं, पर लेकिन आधी संपत्ति जनता की भलाई के लिए देनी होगी. पित्रोदा ने इंटरव्यू में यही बात कही. पित्रोदा ने कहा, मुझे ये बात उचित लगती है, भारत में ऐसा कोई क़ानून नहीं है, भारत में अगर कोई इंसान 10 अरब डालर की संपत्ति का मालिक है, तो उसकी मौत के बाद उसकी पूरी संपत्ति उसके बच्चों को मिल जाती है, जनता के हाथ कुछ नहीं आता. अमेरिका का क़ानून कहता है कि इस संपत्ति में से आधा जनता यानी सरकार को मिलेगा. पित्रोदा ने कहा, इन मुद्दों पर जनता में बहस होनी चाहिए, मुझे नहीं पता कि इसका क्या नतीजा निकलेगा. लेकिन, जब हम संपत्ति के पुनर्वितरण की बात करते हैं, तो हम नई नीतियों और कार्यक्रमों की बात कर रहे हैं, जो जनता की भलाई के लिए होंगे. अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस की मंशा अब देश के सामने आ गई है. सैम पित्रोदा कांग्रेस की नीतियां तैयार करते हैं, उनके बयान को हल्के में नहीं लेना चाहिए, कांग्रेस लोगों की संपत्ति को सरकारी क़ब्ज़े में लेकर मुसलमानों को देना चाहती है. अमित शाह ने कहा कि अगर कांग्रेस की ये मंशा नहीं है, तो अपने घोषणापत्र से सर्वे की बात हटा दे और खुलकर कहे कि देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का नहीं, ग़रीबों का है. सैम पित्रोदा तो अमेरिका में बयान देकर सो गए लेकिन यहां कांग्रेस के नेताओं की नींद उड़ गई. सैम के बयान पर विवाद बढ़ा तो कांग्रेस ने सफाई देने की कोशिश की. राहुल गांधी के राजनीतिक सलाहकार जयराम रमेश ने कहा कि सैम पित्रोदा उनके मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक रहे हैं लेकिन पित्रोदा ने Inheritance टैक्स पर जो कुछ कहा उनकी निजी राय है, इसका कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं, कांग्रेस सैम पित्रोदा के बयान से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखती. जयराम रमेश ने कहा कि मोदी ने सनसनी फैलाने के लिए सैम पित्रोदा के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया है. बाधवार को इंडिय़ा टीवी के चुनाव मंच कार्यक्रम में विदेश मंत्री ए, जयशंकर ने तफ्सील से सैम पित्रोदा के बयान का मतलब समझाया. एस. जयशंकर ने कहा कि सैम पित्रोदा के बयान को अलग से देखना गलत होगा, ये कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, कांग्रेस का घोषणापत्र, कांग्रेस के नेताओं के बयान और अब सैम पित्रोदा का कथन यही दिखाता है कि कांग्रेस लोगों की संपत्ति का सर्वे कराना चाहती है और उसे किसी खास वर्ग को देना चाहती है. सैम पित्रोदा की आदत है कि पहले आग लगाते हैं, फिर पानी छिड़कने की कोशिश करते हैं. ये वही सैम पित्रोदा हैं जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 1984 के सिखों विरोधी दंगों को लेकर कहा था कि “ हुआ तो हुआ ”. उनका ये बयान बड़ा मुद्दा बना था. मोदी ने चुनाव सभाओं में सैम पित्रोदा के बयान को उठाया था. उस वक्त भी कांग्रेस ने सैम के बयान को इनकी निजी राय कहकर खारिज किया था लेकिन नतीजा क्या हुआ, ये पूरे देश ने देखा. कांग्रेस अपने न्यूनतम स्कोर पर पहुंच गई. इस बार चुनाव के दौरान सैम ने फिर मुंह खोला. अब कह दिया कि मौत के बाद व्यक्ति की संपत्ति में आधी सरकार के कब्जे में आनी चाहिए. राहुल गांधी लोगों की संपत्ति का सर्वे कराने और जरूरत से ज्यादा संपत्ति को सरकार के कब्जे में लेकर लोगों के बीच बांटने की बात पहले से कह रहे हैं. कांग्रेस ने सर्वे की बात घोषणा पत्र में कही है. अब तीनों बातों को जोड़कर देखा जाए तो वही मतलब निकलता है, जो मोदी ने कहा. इसलिए इस मुद्दे पर कांग्रेस के लिए बचाव का कोई मौका नहीं हैं. चूंकि कांग्रेस ये कह रही है कि जिन लोगों के पास ज्यादा संपत्ति है, उनकी संपत्ति लेकर उन लोगों में बांटी जाएगी जिनके पास कुछ नहीं हैं. इसका मतलब सुधांशु त्रिवेदी ने बताया, कि जमीन जायदाद और पैसा तो उन्हीं लोगों के पास नहीं हैं, जो दूसरे देशों से आए हैं, जो घुसपैठिए हैं, और घुसपैठिए कौन हैं? कांग्रेस किसे संपत्ति देना चाहती है? ये मोदी बार बार बता रहे हैं. बुधवार को भी मोदी ने कहा कि कांग्रेस लोगों की संपत्ति अपने खास वोट बैंक को देना चाहती है. सरगुजा की रैली में मोदी ने कहा कि कांग्रेस, SC-ST और OBC के हिस्से का आरक्षण मुसलमानों को दे रही है, कर्नाटक इसका सबूत है जहां कांग्रेस सरकार है और वहां OBC कोटे से 4 प्रतिशत आरक्षण मुसलमानों को मिल रहा है.
PITRODA STIRS A HORNETS’ NEST ONCE AGAIN!
Congress leader Rahul Gandhi’s mentor and chairman of Indian Overseas Congress, Sam Pitroda has this habit of first lighting a fire, and then trying to douse it with water. I remember, how during the last 2019 Lok Sabha elections, Sam Pitroda made a questionable comment “Hua, Toh Hua” about the 1984 anti-Sikh riots that engulfed several cities after the assassination of the then PM Indira Gandhi. At that time, Narendra Modi made it an issue in his election meetings, and the Congress party distanced itself saying it was Pitroda’s personal remark. The result was there for all to see. Congress touched its lowest score during 2019 Lok Sabha elections. This time too, Pitroda has put his foot in the mouth. In an interview, Pitroda advocated US-type inheritance tax provision, in which 45 per cent is kept by the successor and the remaining 55 per cent is taken away as tax by the government, and said it was “an interesting law”. This is what he said: “Nothing wrong in accumulating wealth, but to what point? Let me tell you, in America there is an inheritance tax. So, if let’s say if one has $100 million worth of wealth, and when he dies he can transfer probably 45 per cent to his children, 55 per cent is grabbed by govt. Now that’s an interesting law. It says, you, in your generation, made wealth, and you are leaving now, you must leave your wealth, for the public – not all of it, half of it, which, to me, sounds fair. In India, you don’t have that. If somebody is worth $10 billion and dies, his children get $10 billion. The public gets nothing. So these are the kind of issues that people will have to debate and discuss.” This remark created a political uproar in India, with Prime Minister Narendra Modi taking a dig by rephrasing a popular ad tagline, “Loot Ka Khel, Zindagi Ke Saath Bhi, Zindagi Ke Baad Bhi”, meaning the Congress wants to loot people when they are alive and also after they die. Congress leaders had to scramble to counter this and clearly appeared to be on the defensive. He party disassociated itself from the remark of Rahul’s mentor. Rubbing it in, Modi said, now one can realize the true meaning of “x-ray” that Rahul has been saying in his election meetings while advocating caste census and survey. Top BJP leaders like Amit Shah, Yogi Adityanath and others rapped the Congress on this issue. Explaining inheritance tax, Modi did not mince words while telling voters that half of the wealth created by ‘dada-dadis’ (grandparents) and parents for their children and grandchildren will now be seized by the government, if Congress comes to power. This wealth, Modi said, will be redistributed to some particular vote banks. When reporters asked Congress President Mallikarjun Kharge about Pitroda’s remark, he became angry and said, “Pitroda is the chairman of Indian Overseas Congress, and he has no role in India. Our party has no such intention, and Modi is trying to confuse voters by playing up Pitroda’s remark.” At India TV’s daylong conclave Chunav Manch in Delhi on Wednesday night, External Affairs Minister S. Jaishankar said, “Do not take this as an isolated remark of an individual. It is part of a thought process. First Congress speaks of carrying out a nationwide survey of properties owned by all. Then they say, there should be redistribution (of wealth). They say with pride that ours is a revolutionary manifesto. They had been saying since long that some sections have the first priority over the nation’s resources. Pitroda was citing this example so that you accept it. Later they realized the reaction that would take place. Now they are explaining that Pitroda does not speak for our party and that he did not actually meant what he said. And what does the records say? Rahul Gandhi says there must be census, then he says there must be redistribution. He acknowledges Pitroda as his mentor. Dr Manmohan Singh was made to say, because the remote control was being held by the family, that some sections have the first priority on our resources. Now if you fit all these, what is the picture? It is not Pitroda’s ‘soch, it is not Rahul Gandhi’s ‘soch’, Yeh Paarivarik soch Hai. (it is the family’s thought process). This is the thinking of Nehru, Indira Gandhi, Rajiv Gandhi. So the fourth generation of this family wants licence raj, control raj, poverty raj back, and we shall control whether your property will remain with you or not. And if we feel that your property should belong to some others, it will be done.” BJP spokesperson Sudhanshu Trivedi explained the sections of the society who could get this wealth if Congress came to power. “They are outsiders and infiltrators, who do not have much wealth, and Congress wants to redistribute wealth to them”, he said. Modi, at his Sarguja rally on Wednesday clearly said, Congress is planning to reduce reservation quota of SC, ST and Other Backward Classes and provide reservation to Muslims. He cited the example of Karnataka, where Congress is in power, and the state government is giving 4 per cent reservation from OBC quota to Muslims.
मुसलिम आरक्षण : मोदी के हमले के बाद कांग्रेस बचाव की मुद्रा में
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर बड़ा हमला किया। मोदी ने कहा कि कांग्रेस पिछड़े दलित और आदिवासियों का आरक्षण छीन कर मुसलमानों को देना चाहती है. मोदी ने कहा कि कांग्रेस संविधान में बदलाव करके धर्म के आधार पर आरक्षण पर लगी रोक को खत्म करना चाहती है. मोदी ने याद दिलाया कि कांग्रेस पायलट प्रोजैक्ट के तौर पर आन्ध्र प्रदेश में ये प3योग कर चुकी है. मोदी ने कहा कि कांग्रेस का यही मंसूबा है कि अगर वो सत्ता में आई तो मुसलमानों को आरक्षण देगी. यही कांग्रेस का ‘हिडन एजेंडा’ है. अब तक कांग्रेस के नेता इल्जाम लगा रहे थे कि मोदी अगर तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो संविधान बदल देंगे, आरक्षण को खत्म कर देंगे लेकिन मंगलवार को मोदी ने कहा कि कांग्रेस कितना भी जोर लगा ले, लेकिन पिछड़े, दलित और आदिवासियों के आरक्षण को कोई छू भी नहीं सकता, कोई मौजूदा आरक्षण को खत्म नहीं कर सकता, ये मोदी की गारंटी है. मोदी ने एक और बात कही, कि हकीकत ये है कि कांग्रेस संविधान विरोधी है. कांग्रेस के नेता चुनाव के दौरान खुलकर कहने लगे हैं कि संविधान उन पर थोपा गया है, वो भारत के संविधान को नहीं मानते, कांग्रेस के युवराज के सामने ये बात कही गई, लेकिन युवराज खामोश रहे. अब कांग्रेस के उस नेता ने जनता के सामने यही बात कह दी. मोदी रोज एक के बाद एक जिस तरह से कांग्रेस पर हमले कर रहे हैं, उसके बाद चुनाव कैम्पेन का रूख का पलट गया है. जो बात मोदी ने टोंक में कही, योगी आदित्यनाथ अमरोहा में उससे दो कदम आगे बढ गए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में लिख दिया है कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो देश में शरिया कानून लागू किया जाएगा. योगी ने वोटरों से पूछा कि क्या वो भारत में तालिबान का शासन चाहते हैं. चुनाव प्रचार में बाजी कैसे पलटनी है, ये कोई मोदी से सीखे. आरक्षण के मामले में कांग्रेस की नीयत का सवाल उठाकर मोदी ने एक झटके में कांग्रेस को बचाव की मुद्रा पर ला दिया. कांग्रेस ने बार बार शोर मचाया था कि मोदी संविधान को खत्म कर देंगे. लालू यादव कह रहे थे कि मोदी आरक्षण को समाप्त कर देंगे. पहले राउंड में मोदी ने इन आरोपों का जवाब दिया. ये बताया कि संविधान में उनकी कितनी निष्ठा है. ये समझाया कि वो लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं. ये भी बताया कि बाबा साहेब आंबेडकर में उनकी कितनी आस्था है. दूसरे राउंड में मोदी ने सीधा वार किया. कांग्रेस का इतिहास खोलकर रख दिया. कांग्रेस के घोषणापत्र का पोस्ट मॉर्टम कर दिया. मोदी ने कहा काँग्रेस का छिपा हुआ एजेंडा तुष्टीकरण की राजनीति करना है. मोदी ने मुख्यत: तीन बातें लोगों के सामने रखीं. एक तो कांग्रेस का घोषणापत्र 1936 के मुस्लिम लीग के घोषणापत्र के तर्ज पर बनाया गया है. दूसरा कांग्रेस का इरादा लोगों की संपत्ति छीनकर मुसलमानों को सौंपने का है. और तीसरा कांग्रेस की मंशा ये है कि दलितों और पिछड़ों का आरक्षण छीनकर मुसलमानों को दे दिया जाए. मोदी का ये हमला कांग्रेस पर अबतक का सबसे बड़ा है और इसने कांग्रेस को पूरी तरह से बचाव की मुद्रा में ला दिया है. इसीलिए आज लगा कि दूसरे चरण के मतदान से पहले मोदी ने बाजी पलट दी. अब चाहे वो असदुद्दीन ओवैसी हों, मल्लिकार्जुन खरगे हों या फारूख अब्दुल्ला, ये सभी मोदी को मुस्लिम विरोधी बता रहे हैं, लेकिन ऐसी बातों से मोदी का कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि ये आरोप तो मोदी पर पिछले 23 साल से लगाया जा रहा है.
MUSLIM RESERVATION : MODI IN AGGRESSIVE MODE
Firing fresh salvo against the Congress, Prime Minister Narendra Modi on Tuesday warned voters that if Congress came to power, it would reduce reservation quotas for Dalits, Backward Castes and Tribals and extend reservation to Muslims. Addressing an election rally in Tonk, Modi reminded that the Congress government in 2004 had reduced SC/ST reservation in Andhra Pradesh and had given reservation to Muslims. He said, “it was a pilot project to test the waters so that it could be implemented through India.” Modi said, Congress tried to give Muslim reservation in Andhra Pradesh at least four times between 2004 and 2010, but could not do so due to hurdles from the Supreme Court. In another salvo fired at the Congress, Uttar Pradesh chief minister Yogi Adityanath told a rally in Amroha that the Congress manifesto has clearly promised that if it formed a government at the Centre, it would implement personal laws, “meaning Sharia law”. “They want to implement Taliban administration in India. Will you accept Taliban administration?”, Yogi asked the voters. Yogi took out a big road show in Meerut for BJP candidate and former Ramayana serial actor Arun Govil. Reacting to Modi’s and Yogi’s allegations, Congress President Mallikarjun Kharge said, if BJP returned to power for the third time, “Narendra Modi will change the Constitution and end reservation”. One should learn from Narendra Modi how to turn the tables in an election campaign. By questioning Congress party’s intentions on reservation, Modi has put Congress on the defensive. Congress leaders had been alleging for the last several weeks that Modi wanted to abolish the Constitution. Even RJD supremo Lalu Prasad Yadav had said that Modi will end reservation. In the first round, Modi replied to their allegations and reiterated his belief in the Constitution and democracy. He also explained that he had full faith in the principles laid down by B R Ambedkar when the Constitution was framed. In the second round, Modi chose to carry out a direct attack. He laid bare the history of the Congress, he publicly conducted a post mortem of the Congress manifesto, and told voters that the “hidden agenda” of Congress was to continue with “appeasement politics”. Modi mainly presented three points – One, the Congress manifesto was drafted on the lines of Muslim League’s 1936 manifesto, Two, Congress intends to seize properties from the people and hand them over to Muslims, and Three, the real intention of Congress was to take away reservation quota from Dalits and backward castes and hand them to Muslims. This is one of the biggest attacks made by Modi in the current general elections. It has put Congress into a defensive mode. It seems Modi has turned the tables on the eve of second phase of polling on Friday (April 26). In one stroke, he has forced leaders like Asaduddin Owaisi, Mallikarjun Khare and Dr Farooq Abdullah to describe Modi as “anti-Muslim”. This will have no effect on Modi’s and BJP’s chances, because they have been levelling the same allegations for the last 23 years.
अब मोदी आक्रामक हैं, कांग्रेस बचाव की मुद्रा में है
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर कांग्रेस की नीयत और नीति पर सवाल उठाया है. मोदी ने कहा है, कांग्रेस की नज़र आम लोगों की मेहनत की कमाई पर है, प्रॉपर्टी पर है, महिलाओं के मंगलसूत्र पर है. मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने इरादा जाहिर कर दिया है कि अगर वह सत्ता में आई तो लोगों के घरों, जायदाद, और गहनों का सर्वे कराएगी, फिर लोगों की कमाई कांग्रेस के पंजे में होगी. मोदी ने कहा कि माओवादियों ने जो काम दुनिया के दूसरे हिस्सो में किया, वही काम कांग्रेस हमारे देश में करना चाहती है. मोदी के इस बयान से चुनावी कैंपेन की दशा और दिशा दोनों बदल गई. कांग्रेस के नेता मोदी की शिकायत लेकर सोमवार को चुनाव आयोग के पास पहुंच गए. मोदी को मानसिक तौर पर दिवालिया, मानसिक रोगी, साम्प्रदायिक भाईचारे का दुश्मन, झूठा, फरेबी और न जाने क्या क्या बता दिया. असल में मोदी ने यही बात रविवार को राजस्थान की रैली में कही थी. उसके बाद से ही कांग्रेस के नेता परेशान हैं. मोदी को चुनौती दे रहे हैं कि वो दिखाएं कि कांग्रेस के घोषणापत्र में कहां लिखा है कि लोगों की संपत्ति छीनकर घुसपैठियों को बांट दी जाएगी. कांग्रेस ने पूछा कि मोदी बताएं कि कांग्रेस के किस नेता ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनी तो संपत्ति का सर्वे कराया जाएगा और संपत्ति मुसलमानों में बांट दी जाएगी. कांग्रेस को इस मामले में INDIA गठबंधन के दूसरे सहयोगी दलों का भी समर्थन मिला. अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, संजय राउत, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और ममता बनर्जी से लेकर असदुद्दीन ओवैसी तक, सब ने नरेन्द्र मोदी पर हमला किया. चूंकि मोदी के रविवार के बयान पर कांग्रेस ने जिस तरह से चौतरफा हमला किया, उससे कांग्रेस के नेताओं को उम्मीद थी कि अब शायद मोदी हिन्दू-मुस्लिम की बात नहीं करेंगे लेकिन सोमवार को मोदी ने और जोरदार तरीके से अपनी बात कही, कांग्रेस के घोषणापत्र पर, कांग्रेस के नेताओं की मंशा पर छह मिनट से ज्यादा बोले. मोदी ने कहा कि कांग्रेस की नज़र देश की महिलाओं के गहनों पर है, माताओं-बहनों के मंगलसूत्र पर है, वो उसे छीन लेना चाहती है. मोदी ने कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र में उसके इरादे साफ-साफ लिखे है, कांग्रेस जानना चाहती है कि किसके पास कितनी जायदाद है, कितनी ज़मीन है, कितने मकान है, कितनी सैलरी है और बैंक में कितना फिक्स्ड डिपॉज़िट है. अगर कांग्रेस की सरकार आई तो लोगों के बैंक खातों में झांकेगी, लॉकर खंगालेगी, ज़मीन-जायदाद का पता लगाएगी और फिर सबकुछ छीनकर, उस पर कब्जा करके उसे पब्लिक के बीच बांट देगी. मोदी ने जिस तरह से कांग्रेस को घेरा और जिस मुद्दे पर घेरा, उसकी कल्पना कांग्रेस के नेताओं को नहीं थी, इसलिए परेशानी तो दिख रही है, लेकिन जवाब नहीं मिल रहा. कांग्रेस के नेता बस इतना कह रहे हैं कि मोदी कांग्रेस के घोषणापत्र को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं, इसलिए अब कांग्रेस के कार्यकर्ता प्रधानमंत्री को कांग्रेस के घोषणापत्र की कॉपी डाक के जरिए भेजेंगें. कांग्रेस के नेता मोदी की शिकायत लेकर चुनाव आयोग के पास पहुंच गए, मोदी के बयान को साम्प्रदायिक और आदर्श आचार संहिता के खिलाफ बताया. प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने मोदी के बयान को उनकी बौखलाहट का नतीजा बताया, कहा, कि मोदी को पता चल गया है कि देश का मूड बदल रहा है, इसीलिए वो हताशा में ऐसे नफ़रत भरे बयान दे रहे हैं. बिहार में तेजस्वी यादव ने कहा कि वो हाथ जोड़कर मोदी से गुजारिश करते हैं कि वह महंगाई, बेरोज़गारी, और विकास जैसे मुद्दों पर बात करें, हिंदू-मुसलमान विवाद पैदा न करें, यही देश के लिए बेहतर होगा. अब सवाल ये है कि आखिर मोदी ने जो बात कही, उसका आधार क्या है? तो मैं आपको बता दूं कि मोदी को ये मौका राहुल गांधी ने दिया है. कांग्रेस की मुसीबत की जड़ राहुल गांधी हैं. राहुल गांधी ने कांग्रेस का घोषणापत्र जारी होने के बाद हैदराबाद में एक रैली में कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो पूरे देश में प्रॉपर्टी का सर्वे कराया जाएगा, ये पता लगाया जाएगा कि देश का धन किसके हाथ में है और मजे की बात ये है कि राहुल गांधी के इस बयान का वीडियो खुद कांग्रेस की तरफ से जारी किया गया था. ये सारा मामला क्या है. इसे समझने की जरूरत है. राहुल गांधी ने जब साफ-साफ कहा कि अगर उनकी सरकार आई तो इस बात का सर्वे करवाएंगे कि किसके पास कितनी प्रॉपर्टी है, वो कहां से आई और इस प्रॉपर्टी को बांट दिया जाएगा, मोदी ने इस बात को पकड़ लिया और डॉक्टर मनमोहन सिंह के उस बयान से जोड़ दिया जहां उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है. मोदी ने कहा कि कांग्रेस आपकी संपत्ति छीनकर मुसलमानों को दे देगी. राहुल ने जो कहा वो उनके ऊपर वामपंथी विचारधारा का असर है. ये कम्यूनिस्टों की सोच है. एक जमाने में कम्यूनिस्ट देशों में ये होता था, जहां प्रॉपर्टी का सर्वे होता था और जायदाद छीन ली जाती थी. और मोदी ने जो कहा वो बीजेपी की विचारधारा है. वो मानते हैं कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति करती है, वोट के लिए मुसलमानों को खुश करना चाहती है. अब संपत्ति छिन जाने की बात ऐसी है जो लोगों को डरा भी सकती है, भावनात्मक रूप से आहत भी कर सकती है. इसीलिए कांग्रेस इतनी परेशान है. कांग्रेस अबतक ये कह रही थी कि मोदी लोकतंत्र को खत्म कर देंगे, संविधान को समाप्त कर देंगे और मोदी को इन आरोपों की सफाई देनी पड़ रही थी. अब मामला बिलकुल उलट गया. अब मोदी आक्रामक मुद्रा में हैं, और कांग्रेस पूरी तरह बटाव की मुद्रा में है. उसे बार-बार सफाई देनी पड़ रही है कि घोषणापत्र में ऐसा कुछ नहीं है लेकिन कांग्रेस की समस्या ये है कि राहुल गांधी ने ये बातें सार्वजनिक रूप से कहीं हैं. एक बार नहीं, कई-कई बार कही हैं. कांग्रेस ने राहुल गांधी के इस बयान को रिकॉर्ड से मिटाने की कोशिश की थी लेकिन डिजिटल इंडिया के जमाने में ये संभव नहीं हो पाया. कांग्रेस के लिए राहत की बात सिर्फ इतनी हो सकती है कि मोदी के इस बयान को मुद्दा बनाने में मोदी विरोधी मोर्चे के सारे नेता एकजुट हो गए. जो कांग्रेस के साथ नहीं हैं वो भी मैदान में उतर गए.
HOW MODI PUT CONGRESS ON THE DEFENSIVE
By raising the issue of ‘redistribution of wealth’, Prime Minister Narendra Modi has raised serious questions about the intent and policy of the Congress party. Since Sunday, in his election rallies, Modi has been on the offensive against the Congress and its leader Rahul Gandhi. Modi accused the Congress of planning to redistribute private assets after carrying out an economic survey of movable and immovable assets, including real estate and gold, owned by families. Modi told voters that the ‘hand’ (symbol of Congress) will take control of people’s earnings in the manner Maoists have done in other parts of the world. Modi termed the Congress leaders as ‘Urban Naxals’. Modi has changed the tone and tenor of election campaign. Congress leaders went to the Election Commission and demanded action against Modi for violating Model Code of Conduct by making communal statements about minorities. The EC has sought videos and transcripts of Modi’s speeches. Congress leaders branded Modi as ‘mentally insane’, ‘enemy of communal harmony’, ‘liar’, ‘fraud’ and what not. Congress leaders have challenged Modi to show where the party manifesto has promised to take over private property and redistribute wealth. Congress has now been joined by other opposition leaders like Akhilesh Yadav, Tejashwi Yadav, Sanjay Raut, Omar Abdullah, Mehbooba Mufti, Mamata Banerjee and Asaduddin Owaisi in targeting Modi. The point is: what provoked the Prime Minister to make these remarks? I think, Rahul Gandhi’s remarks gave Modi the handle. Rahul Gandhi has been creating headaches for the Congress. After the Congress manifesto was released, Rahul Gandhi, while addressing a rally in Hyderabad on April 6 said, “if Congress came to power, property survey will be carried out throughout India, to find out which family has how much assets”. One must understand the entire issue. Rahul Gandhi, in his speech, clearly said, the economic survey will be carried out to ascertain which family has how much property, and these would be redistributed. Modi latched on to this remark and he linked this with a 2006 speech by the then Prime Minister Dr Manmohan Singh in which he had, inter alia, said, “plans for minorities, especially Muslims, must have the first claim on resources, so that the benefits of development reach them equitably”. Modi, at his Sunday rally, lashed out at Congress and said if Congress comes to power, it will seize private wealth and give them to Musalmans. What Rahul Gandhi said clearly shows the effect of Leftist thinking. During the 20th century, in countries ruled by Communist parties, private properties were surveyed and then seized by the State. What Modi said reflects BJP’s ideology. Modi believes that the Congress is following a policy of appeasement in order to make Muslims happy as they constitute a big vote bank. As far as seizure of private property is concerned, this is an issue which can cause scare among the common people and hurt them emotionally. This is the reason, why Congress leaders are now worried. Till last weekend, Congress leaders have been saying that Modi would finish off democracy and change the Constitution, and Modi was busy replying to those charges. The tables are now turned. Modi is now on the offensive, and Congress is fully on the defensive. Their leaders are busy issuing clarifications about their manifesto and also about Dr Manmohan Singh’s and Rahul Gandhi’s speeches. Congress leaders are busy telling voters that nothing has been mentioned about ‘redistribution of wealth’ in the manifesto. But the problem with Congress is, Rahul Gandhi has publicly made these remarks. Not once, but several times. Congress tried to erase Rahul’s remarks from videos and records, but in this digital age, this is not possible. The only silver lining of relief for the Congress is that all the leaders in anti-Modi front are now united in their mission to target Modi.