Rajat Sharma

My Opinion

चौराहे पर मोदी-विरोधी गठबंधन

akbतीन हिन्दीभाषी राज्यों के चुनावों में हार के असर विरोधी दलों पर दिखने लगे हैं. इंडिया अलायन्स के जो नेता मिलकर मोदी को हराने के दावे करते थे, उन्होंने इंडिया अलायन्स पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए. कांग्रेस से साफ कह दिया कि अब कांग्रेस की ज़ंमीदारी नहीं चलेगी, कांग्रेस अगर गठबंधन चाहती है, तो सभी छोटी पार्टियों को क्षेत्रीय पार्टियों को साथ लेकर चलना होगा, सबको सम्मान देना होगा. दरअसल रविवार को जैसे ही चार राज्यों के नतीजे साफ हुए, तीन राज्यों में कांग्रेस की बुरी हार हुई, तो कांग्रेस के नेताओं को इंडिया अलायन्स का ख़याल आया. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्विटर पर लिखा कि पार्टी इस हार से हताश नहीं है, हार के कारण खोजेंगे, गलतियों को ठीक करेंगे और 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में लगेंगे, सभी विरोधी दल मिलकर लड़ेंगे. छह दिसंबर को इंडिया एलायंस के नेताओं की मीटिंग होगी. सोमवार को कांग्रेस के नेताओं ने गठबंधन में शामिल सभी पार्टियों के नेताओं से बात करने की कोशिश की. छह दिसंबर को दिल्ली आने का न्योता दिया लेकिन ममता बनर्जी ने मीटिंग में आने से इनकार कर दिया. ममता ने कहा कि उन्हें पहले से इस मीटिंग की कोई जानकारी नहीं हैं, उनके पहले से प्रोग्राम पहले से तय हैं, वह 6 से 12 दिसंबर तक उत्तर बंगाल में होंगी, इसलिए अलायन्स की मीटिंग में शामिल होना संभव नहीं है. अब तय ये हुआ है कि 6 दिसम्बर को इंडिया अलायंस में शामिल पार्टियों के प्रमुख सांसदों की मीटिंग होगी, और दिसम्बर के तीसरे हफ्ते में सभी विरोधी दलों के अध्यक्षों की बैठक होगी. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हार के बाद विपक्षी दलों को कुछ सूझ नहीं रहा है. 24 में क्या होने वाला है, जनता किसके साथ जाने वाली है, किस पिच पर लड़ाई लड़ी जाएगी, तीन राज्यों के नतीजों ने ये एकदम स्पष्ट कर दिया है. हार के बाद भी कांग्रेस कुछ सकारात्मक बातें खोजने में लगी है. कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने हार को निराशाजनक बताया लेकिन ये कहने से नहीं चूके कि बीजेपी और कांग्रेस के वोट शेयर में ज्यादा फर्क नहीं है, इस अंतर को मिटाया जा सकता है. दरअसल इन आंकड़ों के जरिए कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं में 2024 से पहले एक उम्मीद जगाने की कोशिश कर रही है. तीन राज्यों में एकतरफा जीत के बाद जहां एक ओर बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं, तो वहीं कांग्रेस के लिए 2024 के सेमीफाइनल के ऐसे नतीजे बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करते हैं. ऐसे में कांग्रेस के सामने सबसे चुनौती तो विपक्षी गठबंधन की एकजुटता बनाए रखने की है. ममता बनर्जी ने बैठक में आने से इंकार कर दिया तो कांग्रेस की तरफ से जयराम रमेश ने सफाई देते हुए कहा कि 6 दिसंबर की मीटिंग तो अनौपचारिक है. आगे भी एलायंस की ऐसी मीटिंग होंगी, उसमें ममता बनर्जी भी आएंगी. लेकिन बात इतने पर खत्म नहीं हुई. ममता की पार्टी के तमाम नेताओं ने कांग्रेस को नतीजों से सबक लेने की सलाह दे दी. ममता के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस को सबको साथ लेकर चलना नहीं आता, अगर सबका साथ लेना है, तो कांग्रेस को अहंकार छोड़ना होगा. उनकी पार्टी के नेता कुणाल घोष ने सीधे कह दिया कि अब विपक्ष का नेतृत्व कांग्रेस की बजाय TMC को मिलना चाहिए, तभी 2024 में नैया पार लगेगी, वरना कांग्रेस तो अपने अहंकार में सबको डुबा देगी. इंडिया एलान्यस के जितने भी नेता बोले, सबने मध्य प्रदेश की मिसाल दी. कहा कि अगर कांग्रेस समाजवादी पार्टी को थोड़ी बहुत सीटें दे देती तो नतीजे ऐसे न होते. अखिलेश यादव ने भी कहा कि कांग्रेस ने अहंकार का नतीजा देख लिया, अब अगर साथ आना है, तो सभी पार्टियों का सम्मान करना होगा. उद्धव ठाकरे की शिवसेना के नेता संजय राउत ने थोड़ा और खुलकर कांग्रेस को कोसा. संजय राउत ने कहा कि देश में ज़मींदारी ख़त्म हो गई लेकिन कांग्रेस के कुछ नेता हैं, जो अभी भी ख़ुद को ज़मींदार समझते हैं, ऐसे नेताओं ने ही कांग्रेस को हरवाया है. इस मामले में कांग्रेस पर सबसे तीखा हमला नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने किया. अब्दुल्ला ने कहा कि कांग्रेस के नेता हवा में उड़ रहे थे, अब ज़मीन पर आए हैं, तीन महीने बाद उन्हें अलायन्स का ख्याल आया हैं. उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस वक्त वो नहीं कह सकते कि विरोधी दलों के गठबंधन का क्या हश्र होगा, बनेगा या नहीं. उमर अब्दुल्ला की इस बात से सचिन पायलट सहमत नहीं दिखे. सचिन पायलट ने कहा कि कांग्रेस ने निश्चित रूप से कुछ ग़लतियां कीं, तभी पार्टी हारी, अब हार के कारणों का विश्लेषण होगा और 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बेहतर रणनीति के साथ चुनाव में उतरेगी. वैसे तो कोई खुलकर नहीं बोल रहा है, लेकिन सभी विपक्षी नेता दबे-ढके लफ्ज़ों में कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं और चाहते हैं कि उनकी पार्टी के नेता को विपक्षी गठबंधन का चेहरा बनाया जाए. जेडीयू ने भी विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व पर अपनी दावेदारी जता दी. नीतीश के बेहद क़रीबी नेता और मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि 2024 में विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व ऐसे नेता के हाथ में होना चाहिए, जो कामयाब हो और जिसको जनता आज़मा चुकी हो. हालांकि, कांग्रेस के कुछ नेता हैं, जो चार राज्यों में हार के बावजूद ये मानने को तैयार नहीं हैं कि कांग्रेस बैकफुट पर है या फिर उसकी मोलभाव करने की क्षमता कम हुई है. कांग्रेस के सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि उनकी पार्टी को तो बीजेपी से ज़्यादा वोट मिले हैं. ऐसे में तमिलनाडु, केरल और यूपी जैसे राज्यों को छोड़कर बाक़ी राज्यों में चुनाव कांग्रेस की अगुवाई में ही लड़े जाएंगे. तीन राज्यों में करारी हार का एक असर ये हुआ है कि विरोधी दलों के एलायंस में कांग्रेस की दादागिरी खत्म हो गई है. ज्यादातर विरोधी दलों के नेता कह रहे हैं कि कांग्रेस बीजेपी को नहीं हरा सकती. राहुल गांधी, मोदी को टक्कर देने में फिसड्डी साबित हुए हैं. कर्नाटक जीतकर कांग्रेस ने जो गुब्बारा फुलाया था, उसकी हवा रविवार को निकल गई. कोई कांग्रेस को अंहकारी बता रहा है, तो कोई उसे नाकारा कह रहा है. तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने तो साफ कह दिया कि विरोधी दलों के एलायंस को ममता बनर्जी ही लीड कर सकती हैं. उधर, दिग्विजय सिंह गिना रहे हैं कि पोस्टल बैलेट में कांग्रेस जीती, पर EVM में हार गई और ये बताने की ज़हमत नहीं उठाते कि पोस्टल बैलेट में चुनाव ड्यूटी पर रहने वाले सरकारी कर्मचारियों के गिने चुने वोट होते हैं. जयराम रमेश तो परसेंटेंज गिनाने में लगे हैं, ये बताने के लिए कि कांग्रेस में अभी भी दम बाकी है. इसमें कोई शक नहीं कि कांग्रेस आज भी ऐसी पार्टी है जिसका समर्थन करने वाले पूरे देश में हैं पर चुनावी राजनीति के लिहाज से देखें तो कांग्रेस चार लोकसभा सीटों वाले हिमाचल प्रदेश के अलावा दक्षिण के दो राज्यों, कर्नाटक और तेलंगाना में सिमटकर रह गई है. यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में पार्टी कमज़ोर है. इसलिए अब अगर क्षेत्रीय पार्टियों के नेता एलांयस के नेतृत्व पर दावा करने लगे तो कांग्रेस क्या जवाब देगी? लालू फिर से नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की बात करने लगें, तो राहुल गांधी क्या जवाब देंगे? लालू का काम तभी बनेगा जब नीतीश बिहार से बाहर निकलेंगे. लेकिन अब मुश्किल ये है कि नीतीश कुमार पिछले 10 दिन से अपने घर से बाहर नहीं निकले हैं.

नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले दस दिन से सार्वजनिक तौर पर नहीं दिखे हैं. इसलिए अब उनकी सेहत को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने ट्विटर पर लिखा कि पिछले 10 दिनों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तबीयत खराब है, उनको कुछ हुआ भी है या फिर सिर्फ उनके साथ राजनैतिक साजिश चल रही है? जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार का हेल्थ बुलेटिन जारी होना चाहिए ताकि उनकी तबीयत के बारे में लोगों को पता चले. मांझी के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी ट्विटर पर लिख दिया कि मांझी की चिंता जायज़ है, इसलिए नीतीश कुमार का हेल्थ बुलेटिन जारी होना चाहिए. मांझी और गिरिराज सिंह की ये बात जेडीयू के नेताओं को बहुत बुरी लगी. जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि किसी की सेहत को लेकर राजनीति ठीक नहीं है. अगर उन्होंने मांझी और उनके परिवार का हैल्थ बुलेटिन जारी कर दिया तो मांझी बहुत मुश्किल में पड़ जाएंगे. बिहार कांग्रेस के नेता अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि गिरिराज सिंह को अपनी चिंता करनी चाहिए, रही बात नीतीश कुमार की, तो उनकी तबीयत बिल्कुल ठीक है, उन्हें कुछ नहीं हुआ. नीतीश के एक और विरोधी चिराग पासवान ने कहा कि अगर नीतीश कुमार की तबीयत ठीक नहीं है तो उन्हें अच्छा इलाज मिलना चाहिए लेकिन अगर वो यूं ही ऑफिस नहीं आ रहे, तो ये बात सही नहीं है. नीतीश कुमार के बारे में उनके अपने साथी कहते हैं कि वो आजकल अक्सर नाम और चेहरे भूल जाते हैं. कभी कभी अपने मंत्रियों को भी नहीं पहचान पाते. जिस दिन नीतीश कुमार ने विधाससभा में सेक्स का पाठ पढ़ाया, उस दिन उनकी पार्टी के नेता ने मुझसे कहा था कि प्लीज़, इन बातों को इनग्नोर कर दीजिए, नीतीश कुमार की मेंटल हेल्थ ठीक नहीं है. मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि ये सब बातें गलत साबित हों. मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालने वाले नेता के बारे में ऐसी बातें सुनकर बिलकुल अच्छा नहीं लगता लेकिन बिहार की राजनीति आजकल ऐसी है कि अगर नीतीश सामने नहीं आएंगे, तो तरह-तरह की बातें होंगी. इसलिए नीतीश जी के स्वास्थ्य के बारे में औपचारिक रूप से सबको बता दिया जाए तो अच्छा होगा.

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ANTI-MODI ALLIANCE ON THE CROSSROADS

AKBA meeting of chiefs of all the opposition parties which are part of INDIA alliance will now be held in the third week of December. The after-effects of the disastrous performance of Congress in MP, Rajasthan and Chhattisgarh assembly polls are already visible in the relationships between the main constituents. Congress President Mallikarjun Kharge had called an informal meeting of the alliance on December 6 at his residence, but key party leaders like Mamata Banerjee, Akhilesh Yadav decided to give it a skip. Mamata Banerjee complained that she was not told about the meeting, and she had already fixed her visit to North Bengal from December 6 to 12. Later, Congress leaders clarified that the meeting at Kharge’s residence was of Parliament floor leaders, and it has been convened to discuss parliament strategy. In Kolkata, Mamata’s nephew Abhishek Banerjee said Congress must discard its arrogant attitude, while another Trinamool leader Kunal Ghosh bluntly demanded that the leadership mantle should now be given to his party, if the opposition wants to win the 2024 elections. Ghosh alleged that Congress leaders had become arrogant. Most of the opposition leaders cited the example of Madhya Pradesh and said, had the Congress given some seats to Samajwadi Party, the results could have been different. SP supremo Akhilesh Yadav said, Congress has now seen the result of its arrogance and all the parties will have to come together and accord respect to one another. Kerala chief minister and CPI(M) leader Pinarayi Vijayan was scathing in his attack. He said, “Congress has displayed greed, seeking to pocket everything and dominate rather than unite all anti-BJP forces. The election outcome is a consequence of such an attitude.” The CPI(M) leader alleged that Congress is facing serious internal dissension and this is having an adverse impact on talks with other constituent parties. It may be recalled that INDIA alliance had planned to hold a joint public rally in Bhopal during the MP elections, but Congress leader Kamal Nath stalled it. Since then, there has been no joint meeting or rally by the INDIA alliance. On seat adjustment talks with Samajwadi party, Kamal Nath had remarked in front of reporters, “what is Akhilesh-Vakhilesh?”. Later Congress leaders had to salvage the situation by mollifying their angry SP counterparts. On Monday, Shiv Sena (UBT) leader Sanjay Raut said, Congress must understand that ‘zamindari’ system has been abolished in India, but there are some Congress leaders who consider their areas of influence as ‘zamindari’. It is because of such leaders that the Congress lost, Raut said. National Conference chief Omar Abdullah said, Congress leaders were flying high in the air, and after the elections, they have been grounded. Abdullah said, Congress has suddenly woke up after three months about the INDIA alliance. He said, it is difficult to say what will be the fate of the alliance. Congress leader Sachin Pilot agreed that his party did commit some mistakes and lost, but the reasons of defeat must be analysed. Though none of the opposition leaders are saying it in the open, but most of them, in private discussions, are raising questions about Congress leadership. On Monday, a JD(U) leader Vijay Choudhary demanded that the leadership of INDIA alliance should be in the hands of a tried and tested leader who has been successful in the past. He was pointing towards Bihar chief minister Nitish Kumar. It is a fact that there are some leaders in Congress who are unwilling to accept the truth that because of defeats in the three Hindi heartland states, the party is now on the backfoot and its bargaining power in INDIA alliance has weakened. Congress MP Manickam Tagore said, Congress got more votes than the BJP and the party will lead the opposition in states except Tamil Nadu, UP and Kerala. One big effect of the electoral debacle has been that ‘dadagiri’ (Big Brother attitude) of Congress leaders in opposition alliance has now ended. Most of the opposition leaders are now saying that Congress cannot defeat BJP and Rahul Gandhi has proved to be a loser in the fight against Modi. The balloon that Congress had raised after its win in Karnataka and Himachal Pradesh, has now gone flat. Congress leader Digvijaya Singh, nursing his electoral wounds in MP, showed details of postal ballots on social media to say that his party won the postal ballots, but lost in EVMs. Such leaders do not mention that postal ballots are few and they are mainly from employees involved in election duty. Congress leader Jairam Ramesh quoted voting percentage figures to say that Congress is still in the reckoning. There is no doubt that Congress is a party which has support in most states of the country, but if you look from the electoral point of view, Congress is now confined to only two states in the South (Karnataka and Telangana) and a small state (Himachal Pradesh) in the north. The party has been decimated in UP, Bihar, and it has lost the key states of MP, Rajasthan and Chhattisgarh. What will the Congress say now, if leaders of regional parties demand that they be allowed to lead the opposition alliance? What reply can Rahul Gandhi give, if Lalu Prasad starts demanding that Nitish Kumar be made the INDIA convenor? Lalu’s aim to instal his son as Bihar CM will be fulfilled only when Nitish goes from Bihar to the Centre. But Nitish is facing a different problem.

NITISH KUMAR’S DISAPPEARANCE ACT

Questions are being raised in Bihar about Nitish’s health, with leaders like Chirag Paswan, Giriraj Singh and Jitan Ram Manjhi demanding that the government should issue a health bulletin about the CM. On Tuesday, Nitish Kumar attended a cabinet meeting. There have been reports that Nitish Kumar may be suffering from loss of memory. He has been making mistakes in recognizing faces of prominent people. The chief minister has not appeared in public for the last 10 days. JD(U) spokesperson Neeraj Kumar said, leaders should avoid making unnecessary speculations about the chief minister’s health. Congress leader Akhilesh Prasad Singh said that Nitish Kumar is fine and he is not suffering from any health related problems. When the famous “sex education” incident inside the assembly took place, a senior JD(U) leader had told me to ignore the chief minister’s remakrs because his mental health was not in proper shape. I pray to Almighty that all these speculations are proved false. It is not good to hear such remarks about a leader holding a Constitutional post of chief minister. Politics in Bihar today is in such a shape that if Nitish does not appear in public, it will surely give rise to unnecessary speculations. It will be better if his health situation is officially communicated to the public.

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HOW MODI SHATTERED CONGRESS PLANS?

AKBThe stunning hat-trick by Prime Minister Narendra Modi in the three Hindi heartland states of Rajasthan, Madhya Pradesh and Chhattisgarh has dealt a stunning blow to the Congress-led opposition alliance. The only consolation was Telangana, where Congress won. On Sunday evening, addressing party workers in the BJP headquarters, Modi said, “by giving a hat-trick, the people have now guaranteed a hat-trick for 2024 Lok Sabha elections”. Modi said, the lesson that should be drawn from the election results is that people have shown zero-tolerance towards corruption, dynastic politics and appeasement politics. “This election result is the stamp of approval from the people to carry on with the fight against corruption…The Ghamandia (INDIA) coalition lacks the zeal for service to the people and it is full of negativity and abusiveness”, he said. Modi said, today’s result sounds a warning to those who are obstructing development, indulging in corruption and are helping anti-national forces. “Reform yourselves otherwise the people will finish you forever”, the PM told the opposition. With his speech, Modi set the agenda for next year’s general elections. BJP is going to fight the elections on the agenda of development, backed by what the PM called, “Modi Ki Guarantee”. Modi knows that the opposition parties will become more united after Sunday’s defeat and may try to spoil the atmosphere, but he advised party workers not to get trapped in negativity. His message was for the youth, women and farmers too. The problem with the opposition is that it lacks a fine orator like Modi. A leader whose persona has a magnetic effect and he commands a clean and spotless image. The opposition parties are yet to regain their composure after the stunning defeat. Sunday’s victory was historic. It was the fifth electoral victory in Madhya Pradesh by Chief Minister Shivraj Singh Chouhan with BJP winning 163 out of 230 seats, leaving 66 seats for the Congress. The Chhattisgarh result was stunning. All the exit polls had predicted a Congress victory, but BJP upturned the tables by winning 54 out of 90 seats leaving leaving 35 for the Congress. In Rajasthan, there was an undercurrent which Chief Minister Ashok Gehlot felt during polling, but he could not gauge in whose favour was the undercurrent going. BJP won 115 out of 199 seats, leaving 70 for the Congress. In Telangana, the people gave a ‘bye, bye’ to Chief Minister K. Chandrashekhar Rao, with the Congress winning 65 out of 119 seats, leaving 39 for KCR’s Bharat Rashtra Samithi. There is hectic political activity going in the four states for selecting chief ministers.

MADHYA PRADESH

The Madhya Pradesh result was surprising. BJP has been in power for 20 years, with Shivraj Singh Chouhan as the CM for 18 years. Congress had rested its hopes on anti-incumbency sentiment among voters, but BJP put a dampener on such hopes. Neither the BJP nor the Congress leaders anticipated this result. The people of Madhya Pradesh stunned both. Chouhan’s stature is surely going to rise after this victory. He was being written off during the election campaign. On Sunday, Chouhan won by a record margin of 1,04,974 votes from Budhni constituency. The credit for BJP’s landslide victory goes to the hard toil put in by Chouhan who addressed more than 160 public meetings. Railway Minister Ashwini Vaishnaw, worked for nearly three months in the war room, executing the party’s poll strategy. As an after-effect, Jyotiraditya Scindia, who joined BJP after his revolt against the Congress leadership, will get his due place in his new party and he may be given a bigger responsibility. The political future of Kamal Nath and Digvijaya Singh, both old warhorses of the Congress, is almost certainly over. For Digvijay Singh, it was a double embarrassment as his son Jaivardhan Singh barely managed to win the traditional Raghogarh seat by a margin of only 4,505 votes. Digivijaya’s brother Laxman Singh lost from Chachoura by a huge margin of 61,570 votes to BJP’s Priyanka Penchi. The love and affection that the people of Madhya Pradesh showered on Chouhan has surprised everybody.

RAJASTHAN

Congress got a severe shock in Rajasthan. Gehlot could not gauge that the undercurrent among voters was against his party. Most of the exit polls proved wrong, and BJP got a resounding majority. Eight independent candidates, most of them rebels, and seven candidates from smaller parties won. 16 ministers from Gehlot’s cabinet lost. They included Pratap Singh Khachriawas, Govind Ram Meghwal, Bhanwar Singh Bhati, Shakuntala Rawat, Vishwendra Singh, Ramesh Chandra Meena, Shaley Muhammad, Zahida Khan, B D Kalla, Bhanwar Lal Jatav, Parsadi Lal Meena, Ram Lal Jat and others. Gehlot had fielded six of his advisers. Out of them, five lost. They included Sanyam Lodha, Rajkumar Sharma, Babulal Nagar, Danish Abrar and former chief secretary Niranjan Arya. It is a fact that the Congress party had been facing a battle between Gehlot and his bete noire Sachin Pilot and the common voters were fed up of this feud. Pilot had toiled hard to make his party win five years ago as state party chief. He had addressed more than 240 rallies in 2018, but when he was denied the plum post of CM, he and his supporters revolted in 2020. Gehlot removed Pilot from the post of deputy CM and he was also removed from state party chief post. This time, Gehlot denied tickets to several supporters of Pilot. The result: Sachin Pilot did not toil hard as he should have done. He only addressed 24 rallies, won his Tonk seat by a margin of 29,475 votes. The other Gurjar leader who won on Congress ticket was Ashok Chandna. He won by 45,004 votes. Six Gurjar candidates on BJP tickets won. The message from the people of Rajasthan is loud and clear. One cannot cheat people by making false promises or inducements. The Congress tried all experiments from Rs 50 lakh health insurance, to monthly payouts to women, senior citizens, farmers and unemployed youths. But the electorate rejected these promises. The people preferred a strong, spotless, effective and decisive leadership. BJP fought the elections without any chief ministerial face, and went to the people in the name of Modi. The people reposed their trust in Modi’s guarantee. Naturally, questions will now be raised about Gehlot’s political future. Sachin Pilot will have to chalk out his own path. To sit out for five more years could be politically suicidal for a young leader like him. The after effects of Rajasthan election result will be seen in the coming few months.

CHHATTISGARH

The voters of Chhattisgarh belied all claims made by exit pollsters. The exit polls had predicted a clear majority for Congress but were proved wrong. BJP’s win in this state is purely because of Modi’s image and ‘guarantee’. During elections, BJP lacked a strong organization and leadership and there were no preparations worth the name. It appeared as if the party had already surrendered, but two weeks before polling, Modi changed the way the wind was blowing. Congress had made promises to buy paddy and cow dung from farmers, promised free education for students from kindergarten till post-graduate courses, but Modi guaranteed a better life for all. The people trusted Modi’s guarantee. It remains to be seen how Modi will fulfil people’s expectations in Chhattisgarh.

The defeats in Chhattisgarh, MP and Rajasthan are a big setback for Congress. All the hopes of the main opposition party for 2024 polls were based on securing victories in these three states. The Congress wanted to lead the INDIA alliance of opposition parties. The path to return to power at the Centre was supposed to pass through these states. Rahul Gandhi did not want to lose these states at any cost. Because of this, contrary to his nature, he accepted all the demands of Ashok Gehlot, Kamal Nath and Bhupesh Baghel. Rahul and Priyanka Gandhi toiled hard and addressed meetings. They promised freebies. One can gauge the depression in Congress circles from the fact that on counting day, hotel rooms had been booked in Karnataka to transport the winning MLAs by planes and helicopters. This responsibility was given to Karnataka deputy CM D K Shivakumar. But the defeat was such a huge one that all these preparations came to nought. Not a single top Congress leader appeared in media on Sunday to give reactions. I spoke to a top Congress leader. He said, ‘what can we say now’? He said, ‘Rahul’s Bharat Jodo Yatra had passed through MP and Rajasthan, and nothing was left to chance. Rahul had tried to corner Modi on the OBC and caste census issues, but it fell flat.’ Rahul harped on Adani theme, and lost the three states. He visited temples, recited Hanuman Chalisa, drove a tractor as a farmer, spent time with truck driver, railway coolies and auto drivers, but none of these helped. Rahul made fun of Modi after India’s ODI World Cup final loss, by describing him as a ‘panauti’ (bad omen), but now the Congressmen find him as a ‘panauti’. In a nutshell, Rahul tried all the means at his disposal, but the arrow did not hit the bull’s eye. The defeat in these three states have poured cold water on Congress’ plans. Another attempt to re-launch Rahul failed. Rahul will now have to hire new advisers. Either the present advisers will have to write a new script for him or they will have to search for new jobs.

TELANGANA

The only silver lining in the gloomy atmosphere came from Telangana, where the Congress will form its government for the first time since it attained statehood. Revanth Reddy, a young leader, will become the chief minister. BRS supremo K Chandrashekhar Rao’s decade-old regime has come to an end. While BRS ally AIMIM, led by Asaduddin Owaisi, retained its seven seats, BJP won eight seats, seven more than last time. Telangana is the only state where the exit polls proved correct. KCR did not appear before the media. He sent his resignation to the Governor from his home. Revanth Reddy and KCR had contested two seats each, but one only one seat each. In Kamareddy, both KCR and Revanth Reddy faced each other, both lost, and the seat went to BJP candidate Katipally Venkata Ramanna Reddy, who defeated KCR by 6,741 votes. BJP’s vote percentage in Telangana has increased to 13.9 per cent. Congress did come to power in Telangana this time, but it is a fact that BJP has increased its base in the state for the first time. This is surely going to cause tension for Congress, KCR and Owaisi. The election result is a warning signal for KCR’s party. KCR had changed the old name of his party TRS to BRS, because he wanted to be active in national politics. He was fully confident of winning this election and had planned to hand over power to his son K T Rama Rao and come to Delhi. But the people of Telangana have spoiled his plans. It may be that BRS may have to revert back to its old nomenclature TRS. The Congress had focussed on Muslim voters in Telangana this time and succeeded. And now, BJP is going to take advantage of this. It will try to mobilize Hindu voters. The after effect will be seen in next year’s general elections. That is why, on Sunday evening, Modi said, “the people of Telangana have opened the door for BJP…The day is not far when the people of Telangana will open the door of their hearts for BJP.”

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मोदी की जीत, कांग्रेस की 2024 की योजना कैसे ध्वस्त हुई ?

akbचार राज्यों के चुनाव नतीजों ने पूरे देश को चौंका दिया. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस बुरी तरह चुनाव हार गई. तीनों राज्यों में बीजेपी को जबरदस्त जीत मिली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस जीत की हैट्रिक से जनता ने 2024 में जीत की हैट्रिक की गारंटी दे दी है. मोदी ने कहा कि इन नतीजों में जनता ने भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखा दिया है. मोदी ने कहा कि ये चुनाव नतीजे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पर जनता की मुहर है. मोदी ने कहा कि जनता का दिल जीतने के लिए जनसेवा का जज्बा होना चाहिए जो घमंडिया (INDIA) गठबंधन में बिल्कुल नहीं है. गालीगलौज और नकारात्मकता से घमंडिया गठबंधन जनता दिल में जगह नहीं बना सकता. मोदी ने कहा कि ये नतीजे उन ताकतों को चेतावनी है जो विकास की योजनाओं के खिलाफ खड़ी रहती हैं. मोदी ने विपक्ष पर जबरदस्त हमले किए. चूंकि मौका भी था, माहौल भी था, दस्तूर भी था, इसीलिए मोदी ने कहा कि ये चुनाव नतीजे विरोधियों को सबक है कि सुधर जाइए, वरना जनता उन्हें खत्म कर देगी. तीन राज्यों में बीजेपी को एतिहासिक जीत मिली है. मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने लगातार पांचवी बार बीजेपी को ऐतिहासिक जीत दिलाई, 230 में 163 सीटें बीजेपी को मिलीं. छत्तीसगढ़ के नतीजे तो कांग्रेस के होश उड़ाने वाले हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ में तो ज्यादातर एक्जिट पोल भी कांग्रेस के पक्ष में थे लेकिन यहां भी बीजेपी ने 90 में 54 सीटें जीत लीं. राजस्थान में अंडर करंट तो था, ये अशोक गहलोत समझ गए थे, लेकिन अंडर करंट किसके पक्ष में है, इसका अंदाजा गहलोत नहीं लगा पाए. राजस्थान में बीजेपी ने 200 में से 115 सीटें जीतीं. तेलंगाना में जनता ने केसीआर को विदा कर दिया. कांग्रेस के लिए राहत की बात इतनी है कि तेलंगाना में कांग्रेस को बहुमत मिल गया. कांग्रेस ने तेलंगाना में 119 में से 64 सीटें जीत लीं, जो बहुमत के आंकड़े से चार ज्यादा है. चुनाव नतीजों के बाद एक बड़ा सवाल ये है कि देश की सियासत पर इसका क्या असर पड़ेगा, कांग्रेस हार का ठीकरा किसके सिर फोड़ेगी और अब इंडिया एलायन्स आगे बढ़ेगा या नहीं. अगर मोदी-विरोधी मोर्चा बनता है, तो उसमें कांग्रेस की स्थिति क्या होगी. मोदी ने भविष्य की राजनीति के संकेत दिए. कहा कि अब जातिवाद का जहर घोलने का वक्त खत्म हो गया. अब झूठे वादे करने वालों का वक्त खत्म हो गया. अब जो विकास की बात करेगा, जो जनता के काम करेगा, वही जनता के दिल पर राज करेगा. मोदी ने अपने भाषण में 2024 का एजेंडा सैट कर दिया. 2024 का चुनाव विकास के एजेंडे पर होगा, मोदी की गारंटी पर होगा, बीजेपी का कैंपेन सकारात्मक होगा, मोदी के नाम और काम पर होगा. मोदी ने विरोधियों से भी कह दिया कि वो भी गाली गलौज और मुफ्त के वादों की राह छोड़कर विकास की राह पर आएं, वरना खत्म हो जाएंगे. मोदी जानते हैं कि चुनाव नतीजों के बाद विरोधी दलों की एकजुटता और बढ़ेगी, माहौल को खराब करने की कोशिश होगी लेकिन मोदी ने कार्यकर्ताओं से कहा कि नकारात्मकता में फंसना नहीं हैं, उलझना नहीं हैं, सही रास्ते पर चलना है. मोदी ने नौजवानों, महिलाओं, किसानों की बात की. विरोधी दलों के साथ मुश्किल ये है कि वो मोदी जैसा प्रखर वक्ता, मोदी जैसा जादुई असर वाला नेता, मोदी जैसी बेदाग छवि वाला नेता, कहां से लाएंगे? इसीलिए मोदी ने कहा कि आज की हैट्रिक 2024 की हैट्रिक की गारंटी है.

मध्य प्रदेश

सबसे हैरान करने वाले नतीजे मध्य प्रदेश में आए. मध्य प्रदेश में बीस साल से बीजेपी की सरकार है. 18 साल से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं. कांग्रेस को एंटी इन्कम्बैंसी से बहुत उम्मीदें थी लेकिन बीजेपी ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. बीजेपी को 230 में 167 सीटें मिलीं. पिछले चुनाव के मुकाबले बीजेपी की सीटों की संख्या में 63 का इजाफा हुआ जबकि कांग्रेस की सीटें 114 से घटकर 61 रह गईं. कांग्रेस को 53 सीटों का नुकसान हुआ. मध्य प्रदेश में ऐसे नतीजों के उम्मीद न बीजेपी के नेताओं को थी, न कांग्रेस के नेताओं को. मध्य प्रदेश की जनता ने सबको चौंका दिया. इस जीत के बाद शिवराज सिंह चौहान का कद पार्टी में और प्रदेश में बढ़ेगा. जिस शिवराज सिंह चौहान के बारे में कहा जा रहा था कि उनके चेहरे से लोग ऊब गए हैं, फटिग आ गय़ा है लेकिन उन्ही शिवराज सिंह को जनता ने मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मार्जिन से जिताया. शिवराज बुधनी से 1,04,974 वोटों के रिकॉर्ड मार्जिन से जीते हैं. मध्य प्रदेश में जीत का श्रेय शिवराज सिंह की दिनरात की गई मेहनत को और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व को जाता है. इस जीत में एक और नेता की मेहनत छुपी है. अश्विनी वैष्णव लगातार तीन महीने तक पर्दे के पीछ रहकर पार्टी की रणनीति को अमली जामा पहनाने में लगे रहे. मध्य प्रदेश चुनाव नतीजों का आफ्टर इफैक्ट ये होगा कि ज्यातिरादित्य सिंधिया अब पूरी तरह बीजेपी में सैट हो जाएंगे. उनको आगे बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी लेकिन कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का राजनीतिक भविष्य करीब-करीब खत्म है. दिग्विजिय सिंह के लिए ये शर्मनाक बात है कि राघोगढ़ सीट से उनका बेटा जयवर्धन सिंह चुनाव तो जीता है लेकिन सिर्फ 4,505 वोट से. जबकि दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह अपनी सीट नहीं बचा पाए. बीजेपी की प्रियंका पेंची से 61,570 वोट से हार गए. कुल मिलाकर मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के प्रति जनता के प्यार ने सबको चौंका दिया. अब मुख्यमंत्री की कुर्सी के सबसे प्रबल और स्वाभाविक दावेदार शिवराज सिंह चौहान है लेकिन वो बनेंगे या नहीं ये कोई नहीं कह सकता क्योंकि फैसला नरेन्द्र मोदी को करना है.

राजस्थान

राजस्थान में भी कांग्रेस को करंट लगा. अशोक गहलोत ने कहा था कि राजस्थान में अंडरकरंट है. उनकी बात सही निकली. कांग्रेस को राजस्थान की जनता ने तगड़ा झटका दिया. ज्यादातर एक्जिट पोल गलत साबित हुए. राजस्थान में बीजेपी को बहुमत से ज्यादा सीटें मिलीं. 199 सीटों में से बीजेपी 115 सीटें जीतीं… और कांग्रेस केवल 69 सीटों पर सिमट गई. गौर करने वाली बात ये है कि राजस्थान में इस बार बागी उम्मीदवारों और निर्दलीय उम्मीदवारों की भी अच्छी कामयाबी मिली. 15 सीटों पर निर्दलीय और छोटी पार्टियों के उम्मीदवार जीते हैं. हैरानी की बात ये है कि अशोक गहलोत को मिलाकर 25 मंत्रियों ने चुनाव लड़ा था. इनमें से 17 मंत्री अपनी सीट नहीं बचा पाए. प्रताप सिंह खाचरियावास, गोविंद राम मेघवाल, भंवर सिंह भाटी, शकुंतला रावत, विश्वेंन्द्र सिंह, रमेश चंद्र मीणा, शाले मुहम्मद, उदयलाल आंजना सबके सब चुनाव हार गए. इसके अलावा गहलोत सरकार में मंत्री रहे बीडी कल्ला, ज़ाहिदा ख़ान, भंवर लाल जाटव, ममता भूपेश, परसादी लाल मीणा, सुखराम विश्नोई, रामलाल जाट और प्रमोद जैन भाया को भी जनता ने घर बैठा दिया. सबसे बड़ी बात अशोक गहलोत ने अपने छह सलाहकारों को टिकट दिया था. इनमें से पांच, संयम लोढ़ा, राजकुमार शर्मा, बाबूलाल नागर, दानिश अबरार और पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य भी चुनाव हार गए. इसमें कोई शक नहीं कि पिछले तीन साल से राजस्थान में कांग्रेस पायलट बनाम गहलोत के झगड़े से जूझती रही. नतीजों से साफ़ है कि जनता इस अंदरूनी लड़ाई से उकता गई थी. सचिन पायलट ने 2018 के चुनाव में ख़ूब मेहनत की थी. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने पूरे राजस्थान की यात्रा की, 240 से ज़्यादा रैलियां की थीं, कांग्रेस की सत्ता में वापसी में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा लेकिन 2020 में जब सचिन पायलट ने बग़ावत की तो गहलोत ने उन्हें डिप्टी सीएम पद से हटा दिया, प्रदेश अध्यक्ष भी नहीं बनने दिया. गहलोत ने पायलट समर्थकों के टिकट भी काट दिए. और सचिन पायलट ने चुनाव प्रचार में भी उतना दम नहीं लगाया, जितना उन्होंने पिछली बार लगाया था. इस बार सचिन पायलट ने केवल 24 चुनावी रैलियां कीं. पायलट ख़ुद टोंक से 29,475 वोटों के अंतर से जीत गए. उनके अलावा कांग्रेस से सिर्फ़ एक और गुर्जर नेता अशोक चांदना ही चुनाव जीत पाए. वहीं, बीजेपी के आधा दर्जन से गुर्जर उम्मीदवार चुनाव जीत गए. राजस्थान की जनता का संदेश साफ है. लालच देकर और झूठे वादे करके जनता को बरगलाया नहीं जा सकता. कांग्रेस ने राजस्थान में हर तरह का प्रयोग किया, पचास लाख का स्वास्थ्य बीमा, महिलाओं, बुजुर्गों, किसानों, बेरोजगारों, सबको हर महीने पैसा देने, जैसे तमाम वादे किए लेकिन सारे फॉर्मूलों को जनता ने अनसुना कर दिया. इसका मतलब है कि मजबूत, बेदाग, असरदार और निर्णायक नेतृत्व को जनता पसंद करती है. बीजेपी ने बिना किसी चेहरे के चुनाव लड़ा, सिर्फ मोदी के नाम और काम पर. जनता ने मोदी की गारंटी पर यकीन किया. चुनाव नतीजों से अशोक गहलोत के राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठेंगे. सचिन पायलट अपना रास्ता तलाशेंगे क्योंकि अब पांच साल तक खाली बैठना उन जैसे नौजवान नेता के लिए आत्मघाती होगा. इसलिए इन चुनाव नतीजों के आफ्टर इफैक्ट राजस्थान में अभी अगले कुछ महीनों में दिखाई देंगे लेकिन फिलहाल राजस्थान में ये बड़ा सवाल है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा.

छत्तीसगढ़

सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे छत्तीसगढ़ में आए. सारे एक्जिट पोल छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार रिपीट होने का दावा कर रहे थे लेकिन सारे पोल पंडित गलत साबित हुए. छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी ने जबरदस्त जीत दर्ज की. कांग्रेस को जीत का इतना यकीन था कि कांग्रेस की तरफ से पचहत्तर तरह की सौ किलो मिठाई कांग्रेस के ऑफिस में रखवा दी गई थी क्योंकि कांग्रेस को लगता था कि पार्टी 90 में से 75 सीटें जीतेगी लेकिन दो घंटे की काउंटिंग के बाद कांग्रेस के दफ्तर में न लड्डू बांटने वाले दिखे, न लड्डू खाने वाले. कांग्रेस के बड़े बड़े नेता चुनाव हार गए. भूपेश बघेल सरकार में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष दीपक बैज भी चुनाव हार गए. भूपेश बघेल पाटन सीट से 19,723 वोट के अंतर से अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे. छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत विशुद्ध रूप से सिर्फ और सिर्फ नरेन्द्र मोदी की गारंटी की जीत है. छत्तीसगढ में न बीजेपी का संगठन था, न नेतृत्व था, न तैयारी थी. ऐसा लगता था कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी चुनाव से पहले ही हथियार डाल चुकी थी लेकिन चुनाव से दो हफ्ते पहले मोदी ने छत्तीसगढ़ में हवा का रूख बदल दिया. कांग्रेस ने धान खरीद से लेकर गोबर खरीद तक के वादे किए. केजी से लेकर पीजी तक मुफ्त शिक्षा का वादा किया. किसानों नौजवानों को हर किसी को कुछ न कुछ देने का वादा किया लेकिन मोदी ने सिर्फ इस बात की गारंटी दी कि बीजेपी की सरकार सबका साथ लेगी, सबका विकास करेगी. हर किसी की जिंदगी को बेहतर बनाएगी. लोगों ने मोदी की गारंटी पर यकीन किया और नतीजा सबके सामने हैं. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुई हार कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका है. उसकी वजह समझिए. मोदी को हराने की कांग्रेस की सारी उम्मीद चार राज्यों के चुनाव पर टिकी हुई थी. विरोधी दलों के गठबंधन का नेतृत्व करने का कांग्रेस का सपना इसी पर आधारित था. कांग्रेस का केन्द्र की सत्ता में वापस आने का रास्ता इन्हीं राज्यों से होकर गुजरता था. राहुल गांधी ये चुनाव किसी कीमत पर हारना नहीं चाहते थे. इसीलिए अपनी फितरत के विपरीत अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और कमलनाथ की हर एक बात मानी. राहुल और प्रियंका ने पूरी ताकत लगाई, मुफ्त का माल बांटने के वादे किए और तनाव कितना ज्यादा था इसका अंदाजा आपको इस बात से लगेगा कि काउंटिंग के दिन अपने चुनाव जीतने वाले विधायकों के लिए होटल बुक कराए जा चुके थे, हैलीकॉप्टर और प्लेन भी तैयार खड़े थे. दो चार विधायकों की कमी पड़ने पर उन्हें तोड़ने का इंतजाम भी कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार कर चुके थे. लेकिन हार इतनी करारी हुई कि कुछ भी काम नहीं आया. हार इतना दर्द देने वाली हुई कि कांग्रेस का कोई बड़ा नेता रविवार को मीडिया के सामने नजर ही नहीं आया. मेरी कांग्रेस के एक बड़े नेता से बात हुई. उन्होंने कहा कि अब क्या कहें? राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा मध्य प्रदेश और राजस्थान से गुजरी थी, उसका कोई असर नहीं हुआ, राहुल ने ओबीसी और कास्ट सेंसस के नाम पर मोदी को घेरने की कोशिश की थी, वो भी बेकार हो गई, राहुल गांधी अडा़नी, अड़ानी करते रहे और तीन राज्यों में जमीन खिसक गई, मंदिरों में घूमे, हनुमान चालीसा का पाठ किया, किसान बने, ट्रक ड्राइवर के साथ घूमे, कुली बनकर बोझ उठाया लेकिन कुछ काम नहीं आया. मोदी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया. मोदी को पनौती कहकर मजाक उडाया लेकिन कांग्रेस वाले कह रहे हैं कि ये तो खुद पनौती साबित हुए. मोटी सी बात ये है कि राहुल की कांग्रेस ने हर तीर चलाया, लेकिन कोई निशाने पर नहीं लगा. तीन राज्यों की हार ने सारी कोशिशों पर पानी फेर दिया. राहुल को फिर से लॉंच करने की ये कोशिश भी बेकार साबित हुई. अब राहुल को नए सलाहकार रखने पड़ेंगे या सलाहकारों को नई स्क्रिप्ट लिखनी पड़ेगी. वरना सलाहकारो कों नई नौकरी खोजनी पड़ेगी.

तेलंगाना

कांग्रेस के लिए कुछ राहत की खबर तेलंगाना से आई. तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनेगी, रेवंत रेड्डी मुख्यमंत्री बनने वाले हैं. तेलंगाना के लोगों ने दस साल से राज कर रहे केसीआर को वनवास पर भेज दिया. तेलंगाना में कांग्रेस को बहुमत मिला है. 119 में से कांग्रेस को 64 सीटें मिली हैं, BRS को सिर्फ 39 सीटें मिली हैं. ओवैसी की पार्टी को पिछली बार भी सात सीटें मिली थी, इस बार भी सात सीटें मिली हैं. लेकिन बड़ी बात ये है कि तेलंगाना में बीजेपी ओवैसी की पार्टी से बड़ी पार्टी हो गई है. बीजेपी को तेलंगाना में 8 सीटों पर जीत मिली हैं जबकि पिछले चुनाव में बीजेपी सिर्फ एक सीट जीती थी. सिर्फ तेलंगाना ऐसा राज्य है जिसमें एक्जिट पोल पूरी तरह सही साबित हुए. तेलंगाना में हार के बाद तो केसीआर सामने ही नहीं आए. उन्होंने घर से ही राज्यपाल को इस्तीफा भेज दिया. दिलचस्प बात ये है कि तेलंगाना में रेवंत रेड्डी और केसीआर दोनों दो-दो सीटों से चुनाव लड़े थे, दोनों एक एक सीट से जीत गए, लेकिन कामारेड्डी सीट पर केसीआर और रेवंत रेड्डी आमने सामने थे और दोनों हार गए. कामारेड्डी में बीजेपी के उम्मीदवार वैंकेट रामन्ना रेड्डी ने रेवंत रेड्डी और केसीआर दोनों को हरा दिया. कामारेड्डी में बीजेपी उम्मीदवार ने केसीआर को 6,741 वोट से हरा दिया. रेवंत रेड्डी तीसरे नंबर पर रहे. तेलंगाना में भले ही कांग्रेस की सरकार बन गई है लेकिन बीजेपी ने जिस तरह से तेलंगाना में अपना जनाधार बढ़ाया है, सीटों की संख्या बढ़ी है, उससे कांग्रेस, केसीआर और ओवैसी तीनों की परेशानी बढ़ेगी. चुनाव नतीजे केसीआर की पार्टी के लिए खतरे की घंटी है. केसीआर ने अपनी पार्टी का नाम सिर्फ इसलिए बदला था क्योंकि वो अब राष्ट्रीय राजनीति में आना चाहते थे. केसीआर तेलंगाना में जीत के प्रति आश्वस्त थे. वो चाहते थे कि चुनाव के बाद वो तेलंगाना की सत्ता बेटे के. टी. रामाराव को सौंप कर खुद राष्ट्रीय राजनीति करेंगे लेकिन जनता ने उनका प्लान चौपट कर दिया. अब हालात ऐसी है कि हो सकता है केसीआर को पार्टी का नाम BRS से बदलकर फिर से TRS करना पड़े. इस बार तेलंगाना में कांग्रेस का पूरा जोर मुस्लिम वोट बैंक पर कब्जा करने पर था. उसमें कांग्रेस कामयाब हुई लेकिन अब बीजेपी इसका फायदा उठाएगी और हिन्दू मतदाताओं को एकजुट करेगी. इसका असर लोकसभा चुनाव में दिखेगा. इसीलिए रविवार को मोदी ने कहा कि तेलंगाना के लोगों ने बीजेपी के लिए दरवाजे खोले हैं, अब वो दिन दूर नहीं जब तेलंगाना की जनता बीजेपी के लिए दिल के दरवाजे भी खोलेगी.

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फेक न्यूज़ चैनलों और डीपफेक साइबर डकैतों से सावधान रहें

AKB30 देश भर में साइबर ठगी के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. जो केसेज सामने आए हैं, उन्हें साइबर ठगी कहने के बजाए साइबर डकैती कहना ज्यादा सही होगा. इस विषय पर आगे कुछ लिखने से पहले मैं बताना चाहता हूं कि शुक्रवार को भारत सरकार ने ऐसे 9 यूट्यूब चैनलों को बंद कर दिया जो झूठी खबरें परोस रही थीं. इसमें हैरान करने वाली बात ये है कि इनमें से कई चैनल्स मेरी फोटो लगाकर, ‘आज की बात’ की तस्वीर लगा कर झूठी खबरें बेच रहे थे. ऐसे ऐसे दावे कर रहे थे, जिन्हें देखकर मैं भी सकते में आ गया. इन खबरों को आप देखेंगे तो ऐसा लगेगा कि जैसे रजत शर्मा ये खबर बता रहे हैं. लोग इसी चक्कर में खबर देख लेते हैं. फिर उस पर यकीन करके उसे फॉरवर्ड भी कर देते हैं. जिन यूट्यूब चैनल्स के खिलाफ एक्शन लिया गया है, जो फेक न्यूज फैला रहे थे, उनके सब्सक्राइबर्स की तादाद लाखों में है, उनके व्यूज़ करोड़ों में हैं और ये चैनल कभी सरकारी योजनाओं के बारे में झूठे दावे करते थे, तो कभी प्राकृतिक आपदाओं के नाम पर अफ़वाहें फैलाते थे. कभी अपराध, तो कभी समाज के एक तबक़े पर ज़ुल्म की फ़र्ज़ी ख़बरें फैला रहे थे. जिन यू-ट्यूब चैनल्स के खिलाफ action हुआ, जब मैंने उनके डीटेल चेक किए तो ये देखकर हैरान रह गया कि कई यू-ट्यूब चैनल्स ने तो अपने वीडियो में मेरी फोटो लगा रखी थी. वीडियो के थंबनेल में मेरे शो की इमेज चिपका रखी थी. एक यू-ट्यूब चैनल, सरकारी योजना ऑफ़िशियल के नाम से चल रहा था. इसके एक लाख सब्सक्राइबर हैं और इसके वीडियो को 29 लाख से ज़्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं. इस यू-ट्यूब चैनल ने 8 नवंबर को मेरी फोटो लगाकर एक वीडियो पोस्ट किया. इसमें दावा किया गया था कि भीषण संकट की वजह से स्कूल बंद कर दिए गए हैं. एक और वीडियो में मेरी फोटो वाली थंबनेल लगाकर ये फ़र्ज़ी ख़बर फैलाई गई कि क़ुदरत के क़हर से एक हज़ार लोगों की जान चली गई है, पूरे देश में पुलिस फ़ोर्स तैनात कर दी गई है, जबकि ये बिल्कुल फर्जी खबर थी. 3 नवंबर को भी इस चैनल ने मेरी फोटो लगाकर एक वीडियो पोस्ट किया, और दावा किया कि 22 राज्यों के लिए एलर्ट जारी हुआ है, 50 हज़ार से ज़्यादा लोगों की जान चली गई, 99 साल का रिकॉर्ड टूटने वाला है. ये सारी बातें, ये सारे दावे झूठे हैं. न तो इंडिया टीवी ने ऐसी कोई ख़बर चलाई और न ही मेरे किसी शो में इस तरह का कोई दावा किया गया लेकिन मेरी तस्वीर लगाकर ये चैनल लोगों को झूठ परोस रहा था. इस तरह के एक दो नहीं सैकड़ों वीडियो हैं, दर्जनों यूट्यूब चैनल्स हैं, जो मेरी फोटो लगा कर या इंडिया टीवी की क्लिप लगाकर झूठी खबरें चलाते हैं लेकिन सबको पकड़ पाना, सब पर नजर रखना आसान नहीं है. इसलिए मुझे आपकी मदद की जरूरत है. जो लोग मेरे नाम पर या मेरी तस्वीर लगाकर झूठ फैला रहे हैं. उनकी साजिश को समझने की जरूरत है. एक तो वो मेरे नाम का इस्तेमाल करके ज्यादा व्यूज बटोरते हैं, फायदा उठाते हैं लेकिन इससे भी बड़ा और गंभीर अपराध ये है कि,वो मेरी विश्वसनीयता पर हमला करने की कोशिश कर रहे हैं. मेरा नाम लेकर, मेरी फोटो लगाकर फेक न्यूज दिखाकर मेरी विश्वसनीयता पर चोट पहुंचाना चाहते हैं मैंने आज ये खबर आज इसलिए दिखाई कि आपका विश्वास, आपका भरोसा ही मेरी ताकत है. आपका समर्थन ऐसे फर्जी चैनल चलाने वाले अपराधियों से लड़ने में मेरी मदद करेगा. आप मुझे तीस साल से जानते हैं. आप का और मेरा एक अपनेपन का रिश्ता है. अगर आपको कोई ऐसी फेक न्यूज दिखाई दे, कोई फर्जी चैनल दिखाई दे, जो मेरे नाम का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं तो मुझे जानकारी दें, Whatsapp करें, फोन करें, नंबर मैं आपको बता देता हूं-9350593505. आप ईमेल भी कर सकते हैं. मेल आईडी है, mail@indiatvnews.com हमने ऐसे कई फर्जी यूट्यूब चैनल्स को बंद करवाया है. ऐसे कई अपराधियों को पकड़वाया है और ये काम आपके साथ मिलकर मैं लगातार करता रहूंगा.

साइबर फ्रॉड

अब आपको बताता हूं, साइबर क्राइम करने वाले टैक्नोलॉजी की मदद से किस किस तरह के पैंतरे अपनाकर लोगों को ठग रहे हैं. सबसे ताजा मामला ग़ाज़ियाबाद का है. ग़ाज़ियाबाद में एक बुजुर्ग को बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में ठगा गया. साइबर ठगी के इस केस में AI का इस्तेमाल किया गया. रिटायर्ड पुलिस अफसर की शक्ल, उसकी आवाज, उसी के दफ्तर के वीडियो का इस्तेमाल शिकार को धमकाने के लिए किया गया. असल में हुआ य़े है कि गाजियाबाद में 74 साल के बुजुर्ग अरविन्द शर्मा ने नया स्मार्ट मोबाइल फोन खरीदा. फोन में कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के एप डाउनलोड कर लिए. अपना प्रोफाइल भी बना लिया. इसके बाद फेसबुक मैसेंजर खोला तो दूसरी तरफ से कॉल आई. बुजुर्ग ने कॉल रिसीव कर ली. इसके तुरंत बाद व्हाट्सऐप पर वीडियो कॉल आई दूसरी तरफ़ से वीडियो कॉल पर एक लेडी थी, उसने कपड़े नहीं पहन रखे थे. बुजुर्ग ने जैसे ही ये देखा तो तुरंत कॉल डिस्कनेक्ट कर दी लेकिन इससे मुसीबत खत्म नहीं हुई. मुसीबत यहीं से शुरू हुई थी. कुछ देर बाद बुजुर्ग के पास फोन आया. कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस वाला बताया और कहा कि उनके पास शिकायत आई है कि आप फोन पर अश्लील वीडियो चैट्स करते हैं. बुजुर्ग घबरा गया. पुलिस वाले ने थाने पहुंचने को कहा. बुजुर्ग को लगा कि अगर ये बात किसी को पता लगी तो बेइज्जती होगी. बुजुर्ग से कहा गया कि वो बड़े अधिकारी से बात करे. बताया गया कि ADG प्रेम प्रकाश वीडियो कॉल पर बात करेंगे. बुजुर्ग के फोन पर वीडियो कॉल आई. मैं आपको बता दूं कि प्रेम प्रकाश वाकई में IPS अफसर थे. कुछ दिन पहले रिटायर हुए हैं लेकिन इस वीडियो कॉल में असली प्रेम प्रकाश नहीं, AI का इस्तेमाल करके उनका डीपफेक था.चेहरा प्रेम प्रकाश का, आवाज प्रेम प्रकाश की, दफ्तर भी उन्हीं का. ये सब देखकर कोई भी चकरा जाएगा. पुलिस वाले ने उनसे कॉन्टैक्ट किया. बुजुर्ग से 74 हजार रूपए वसूल लिए लेकिन पीछा नहीं छोडा. जब परिवार वालों ने देखा कि अरविन्द परेशान हैं तो उन पर बहुत दवाब डाला. तब जाकर अरविन्द ने अपनी बेटी को सारी बात बताई. बेटी ने वकील से संपर्क किया. जब वकील ने ठगों से बात की तो ठगों ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दी और सारे नंबर स्विच ऑफ हो गए. ग़ाज़ियाबाद के DCP सिटी निपुण अग्रवाल ने कहा कि पुलिस को वो बैंक एकाउंट नंबर मिल गया है, जिसमें अरविंद शर्मा ने पैसे ट्रांसफर किए थे और फेक कॉल करने वाले का IP एड्रेस भी मिल गया है, बहुत जल्दी, अपराधियों को पकड़ लिया जाएगा. इसी तरह हरियाणा के फ़रीदाबाद में एक छात्रा अनन्या को ठगों ने साइबर ठगी का शिकार बनाया. परिवार वालों ने उसे नया लैपटॉप दिलवाया था. इसी लैपटॉक के जरिए डिजिटल डकैतों ने अनन्या को 17 दिन तक हाउस अरेस्ट कर दिया. अनन्या के पास आशीष शर्मा नामक एक व्यक्ति का फोन कॉल आया, उसने कहा कि वह कस्टम अधिकारी है, एक कूरियर पकड़ा गया है, जिसमें 16 पासपोर्ट और 68 एटीएम कार्ड बरामद हुए हैं. फर्जी कस्टम अफसर ने कहा कि वह इसकी शिकायत लखनऊ पुलिस से कर सकती है. इसके बाद कॉल को एक दूसरे शख्स के पास ट्रांसफर कर दिया गया जिसने अपना परिचय लखनऊ के पुलिस अधिकारी के तौर पर दिया. अनन्या को स्काइप के जरिए वीडियो कॉल पर कनेक्ट कर लिया गया .जो शख्स वीडियो कॉल पर था, उसने अनन्या से आधार कार्ड का नंबर पूछा और बताया कि उसके खिलाफ तो ह्यूमन ट्रैफिकंग का केस भी दर्ज है, अरेस्ट वारंट भी निकला हुआ है और इस मामले में अनन्या को 3 करोड़ 80 लाख रुपए भी मिले हैं. उसने कॉल ट्रांसफऱ की और अनन्या से कहा कि आपकी बात CBI अफसर से कराई जा रही है. अब फर्जी CBI अफसर वीडियो कॉल पर आया. उसने कहा अगर आप गिरफ्तारी से बचना चाहती हैं, तो 3 करोड़ 80 लाख की जो पांच परसेंट रक़म बनती है, यानी तकरीबन 15 लाख रुपए आपको अपने बेल अमाउंट के तौर पर जमा करना होगा. अनन्या मंगला ने कहा कि उसके पास इतना पैसा नहीं है, तो साइबर ठग ने अनन्या से कहा कि वह उसे डिजिटल अरेस्ट भी कर सकते हैं और तब तक वह पैसे का इंतजाम कर ले इसके बाद अनन्या मंगला को साइबर ठगों ने यह हिदायत दी कि वो अपना कॉल कभी भी डिस्कनेक्ट नहीं करेगी. वीडियो वह बंद कर सकती हैं, लेकिन ऑडियो कभी भी डिस्कनेक्ट नहीं करेगी. सायबर ठगों ने ये भी कहा कि वो इस केस की जानकारी अपने घरवालों को नहीं देंगी.

लड़की इतना डर गई कि उसने 17 दिन तक न तो कॉल डिस्कनैक्ट की, न घर वालों को कुछ बताया. इस दौरान उसने इधर उधर से जुगाड़ करके ढाई लाख रूपए भी ठगों को दे दिए. एक दिन वो बाथरूम में थी, लैपटॉप का स्पीकर खुला था. ठगों ने उसे वीडियो पर नहीं देखा तो आवाज दी. घर में नौकरानी काम कर रही थी..उसने आवाज सुनी तो घर वालों को बताया कि कोई बार बार अनन्या को बुला रहा है. ठगों ने जब ये आवाज सुनी तो तुरंत कल डिस्कनेक्ट कर दी और अनन्या को मैसेज भेज दिया कि उसकी जमानत हो गई है.अब वो आजाद है. साइबर फ्रॉड का एक केस नोएडा में भी सामने आया. नोएडा में एक IT कंपनी में काम करने वाली महिला को कॉल आई कि उसके ख़िलाफ़ मुंबई में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है. कॉल करने वाले ने इतना बताने के बाद, लड़की को वीडियो कॉल पर कनेक्ट किया. फिर वर्दी पहनकर बैठे एक आदमी से बात कराई… क्लेम किया कि वो मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच का DCP है. बैक ग्राउंड बिल्कुल थाने वाला था. कुछ क़ैदी बैठाए गए थे, वॉकी टॉकी भी रखा हुआ था. अपने आप को DCP कहने वाले शख़्स ने उस महिला से कहा कि कुछ दिन पहले नरेश गोयल नाम के कारोबारी के यहां रेड पड़ी थी, वहां, दो करोड़ रुपए पकड़े गए और इसमें से 20 लाख का कमीशन उस महिला को भी पे किया गया है. DCP बने ठग ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के ये पैसे ट्रांसफर करने के लिए महिला के बैंक एकाउंट और आधार नंबर का इस्तेमाल हुआ है. फिर कहा कि इस मामले में जमानत के तौर पर उसे 20 लाख रुपए ट्रांसफर करने होंगे. इस महिला के पास सिर्फ़ 11 लाख रुपए थे. उससे ठगों ने कहा कि अभी वो 11 लाख ही ट्रांसफर करे, उसके बाद बाकी के पैसों का इंतजाम करे. डर के कारण महिला ने, ठगी करने वालों के खाते में ट्रांसफर कर दिए. पैसे ट्रांसफर करने के बाद भी उस महिला को दस घंटे तक ऑनलाइन रखा गया.और कहा गया कि आपका केस सेटेल हो गया है. आप डिजिटल अरेस्ट से रिहा की जाती हैं. ये सही है कि सरकार डिजिटल क्राइम करने वालों के खिलाफ सख्ती कर रही है. साइबर पुलिस स्टेशन खोले जा रहे हैं. इस नए तरह के क्राइम से लड़ने के लिए पुलिस को ट्रेनिंग दी जा रही है. पुलिस इस मामले में पहले के मुकाबले ज्यादा एलर्ट और इक्यूप्ड हुई है लेकिन टैक्नोलॉजी रोज रोज अपडेट हो रही है और अपराधी क्राइम के तरीके भी रोज रोज बदल रहे है. इसलिए इस तरह के अपराधों से लड़ने का एक ही तरीका है, अवैयरनैस यानि जागरूकता. एक बात अच्छे से समझ लीजिए. कोई पुलिस अफसर किसी केस के बारे में आपको फोन पर जानकारी नहीं देगा. कोई पुलिस अधिकारी वीडियो कॉल करके ने वारंट की बात कहेगा, न गिरफ्तारी का डर दिखाएगा., न दूसरे थाने में फोन ट्रांसफऱ करेगा, न वीडियो कॉल पर पूछताछ की जाएगी, न कोई पुलिस अफसर जमानत के रास्ते बताएगा. अगर कोई ऐसा कॉल आपके पास आता है तो समझ लीजिए कि आपको ठगने की कोशिश हो रही है. कॉल करने वाला खुद अफराधी है, इसलिए डरने के बजाए, उसकी बात मानने की बजाय, फोन काट दीजिए. इसकी जानकारी सबसे पहले परिवार वालों को और फिर पुलिस को दीजिए. एक और सबसे जरूरी बात, कभी किसी के डराने से डरिए मत. ब्लैकमेल होने के बजाय घरवालों को पूरी बात बताइए.क्योंकि अपराधियों की कोशिश यही होती है कि वो जिसको ठग रहे हैं, वो घरवालों से बात न करे, पुलिस के पास न चला जाए. अगर आप डरे नहीं, तो बच जाएंगे. अगर डर गए तो लुट जाएंगे, इसलिए सावधान रहिए.

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BEWARE OF FAKE NEWS CHANNELS, DEEPFAKE CYBER FRAUDS

AKB30 Cyber fraud crimes are on the rise with the advent of latest Artificial Intelligence tools that can create deepfake videos. I will come to that later in this blog. Let me first discuss about several channels on YouTube which are peddling false and baseless news using thumbnails of media personalities, including myself. On Friday, the government blocked nine such YouTube channels with 83 lakh subscribers who were caught by PIB (Press Information Bureau) Fact Check Unit. They are: GTV, Bajrang Education, Aapke Guruji, BJ News, Sansani Live TV, Daily Study, Bharat Ekta News, Ab Bolega Bharat and Sarkari Yojana Official. Several of them were using thumbnails and images of TV news channels and their news anchors to mislead viewers so that they can believe all their baseless news as authentic. I was stunned on seeing thumbnails of myself and my show ‘Aaj Ki Baat’ on these channels. Viewers had been forwarding these news believing it to be authentic. One of them, Sarkari Yojana Official had more than 29 lakh views. On November 8, it used my thumbnail image and posted a video which claimed that all schools have been closed because of some natural disaster. Another video claimed, nearly 1,000 people have died in some natural calamity and a nationwide red alert has been sounded. All these news were fake, they had nothing to do with India TV or my show. Another YouTube channel Sansani Live TV had four lakh subscribers and more than 11 crore views. On November 4, it posted a video claiming 35,000 people died in a deadly earthquake in India. The video carried my image. Lies were being peddled using my image. There are dozens of similar YouTube channels which are misusing my images and it is not an easy job to keep track of all them. In this endeavour, I need your support. We should all try to understand the conspiracy behind using my images to peddle fake news. Their videos are garnering millions of views because of my image. These fake news channels are trying to attack my credibility by peddling baseless news report. I am mentioning this because I consider your trust as my strength. Your support will help me in fighting such criminals. As viewers of Aap Ki Adalat and Aaj Ki Baat, you have been knowing me for the last 30 years. We have a sort of personal bonding between us. If you notice any channel on social media peddling fake news by using my name and image, please do inform me on WhatsApp and telephone. Please contact 93505 93505 or you can drop me a mail at mail@indiatvnews.com . We have managed to block some of these fake channels and we seek your support in catching more such culprits. I will continue to do this work with your help.

CYBER FRAUD

Now, let me caution you about the entry of deepfake in the world of cyber crimes. In some of the cases, fraudsters posing as senior police officers give calls to people, tell them they are under arrest, slap charges of transporting drugs, gold or US dollars, show FIRs and fake video calls with a DCP level officer wearing a police uniform, use the setup of a police office, also show some criminals being kept in a lockup, and then the game of arrest, bail and extortion will begin. In the latest incident in Ghaziabad, a 74-year-old man Arvind bought a new smart phone, downloaded some social media apps, created his profile, opened his Facebook Messenger, got a video call on WhatsApp showing a nude girl. Soon after a man claiming to be police officer rang him up, told him he was engaged in obscene sex chats, put him on a video call with an Additional Director General named Prem Prakash, who was wearing a police unform. Prem Prakash, in real life, is a senior police officer, but AI was being used to create a deepfake video. Rs 74,000 was extorted from the senior citizen. Initially, the victim did not reveal this to his family members, but later he told his daughter, Monika Sharma, who, in turn, got in touch with a lawyer. The lawyer rang up the scamsters, who initially tried to browbeat him, but later disconnected on realizing that their game was up. In my show ‘Aaj Ki Baat’ we showed the audio and videos of telephone calls to our viewers. Monika said, her father was so scared that he was thinking about committing suicide. DCP Ghaziabad City Nipun Agrawal said, police have traced the bank account number to which the victim had transferred money, and the IP address of the fake calls has also been traced. He promised that the scamsters will be rounded up soon. In another incident, conmen targeted a computer student Ananya in Faridabad. Ananya had bought a new laptop and was planning to go to Canada. Ananya got a call from one Ashish Sharma, posing as a Customs official, who claimed that a courier has been caught with 16 passports and 68 ATM cards. The conman transferred the call to a fake police officer in Lucknow. The fake police officer told her that there was an arrest warrant against her for earning Rs 3.8 crore from human trafficking. The police officer transferred the call to a fake CBI official. This third con man asked her to pay up five per cent of the earnings, which came to Rs 15 lakh as bail amount. The con man told her not to disconnect her call by any means and not to reveal this to any family member. The lady, out of fear, did not disconnect the call for 17 days, managed to get Rs 2.5 lakh and sent the money to the conmen’s account. One day, the laptop speaker was on, Ananya was in the washroom, and when the con men called her name, her house maid shouted that somebody is calling Ananya. The con men soon disconnected and sent Ananya a message saying her bail has been granted and she was free. Ananya’s father said, it was their mistake that they never asked Ananya why she was spending so much time with her laptop. In the third instance, a lady working in an IT company in Noida got a call saying there was a money laundering case against her in Mumbai. The con man linked her on a video call with another posing as DCP, Crime Branch of Mumbai Police. The background was similar to that of a police station, with some prisoners sitting, a walkie talkie on the table. The con man posing as DCP told her that a raid was conducted at the premises of a businessman Naresh Goyal, in which Rs 2 crore cash was seized, out of which Rs 20 lakh was meant as commission for the woman. The fake DCP told her that her bank account and Aadhar number wer used for transferring Rs 20 lakh. She was asked to arrange Rs 20 lakh as bail money and was threatened that she could be arrested if the money was not transferred. The victim offered to trasnfer Rs 11 lakhs. Even after transferring the money, she was kept online for 10 hours, after which she was told that her case has been settled and she is being released “digitally”. The government has asked people to be careful against cyber frauds. The Prime Minister has already described deepfake as a serious issue. IT Minister Ashwini Vaishnaw had called for stringent control measures against deepfake technology, after which guidelines have been issued to Google and YouTube users. . Google has said that all those posting synthetic videos must give a warning that it is AI-generated content. Already, in India, government is working on measures to curb digital crimes. Cyber police stations are being set up. Police staff are being given cyber-related training. Since digital technology is getting upgraded fast, fraudsters and criminals are exploring new avenues of trapping victims. The only sure-fire method to tackle such fraudsters is: public awareness. Let me make it quite clear. No police officer will give you any information on phone about any case against you. No police official will discuss warrant or threaten arrest on phone. No police officer will speak about warrant in any video call. Nor will any police officer transfer your calls to another police stations through audio or video. No police officer can discuss bail over phone. If you get such a call, know this clearly that you are being conned. The caller is himself a criminal. Instead of listening to him, disconnect your call immediately, and tell your family members and your local police about such a call. Last, but not the least: Do not be afraid. Instead of succumbing to blackmail, tell your family about any threat that come on phone. If you start fearing, the fraudsters will know that you are easy game. So, beware.

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एक्ज़िट पोल्स आ गये, अब एक्ज़ैक्ट नतीजों का इंतज़ार

AKB30 पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान पूरे हो चुके हैं और गुरुवार को जो एक्ज़िट पोल्स आये, उनमें से कई चौंकाने वाले हैं. नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे. इंडिया टीवी-CNX एक्जिट पोल्स के मुताबिक, मध्य प्रदेश में लगातार पांचवी बार बीजेपी की सरकार बनने की संभावना है, बीजेपी को दो तिहाई बहुमत मिलता दिख रहा है. ये शिवराज सिंह के लिए बहुत अच्छी और कमलनाथ के लिए बहुत बुरी खबर है. एक्जिट पोल में हैरान करने वाले नतीजे राजस्थान को लेकर भी हैं. एक्जिट पोल के मुताबिक, राजस्थान में कांग्रेस की सरकार एक बार फिर रिपीट हो सकती है, मुकाबला कांटे का है लेकिन बीजेपी कांग्रेस से पीछे दिख रही है. छत्तीसगढ़ में एक्जिट पोल्स के नतीजे अनुमान के मुताबिक ही हैं, कांग्रेस की सरकार आसानी से बन सकती है, हालांकि पिछली बार के मुकाबले कांग्रेस की सीटें कम होंगी, बीजेपी की सीटें बढ़ेंगी. तेलंगाना से भी कांग्रेस के लिए अच्छी खबर है. एक्जिट पोल्स के मुताबिक, तेलंगाना में दस साल के शासन के बाद केसीआर की विदाई होगी, कांग्रेस यहां बहुमत के साथ सरकार बनाएगी.

मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश के नतीजे सबसे ज्यादा चौंकाने वाले हैं. एक्जिट पोल के नतीजे ऐसे हैं जिसकी कल्पना न बीजेपी के नेताओं ने की थी और न कांग्रेस के नेताओं ने. एक्जिट पोल्स के मुताबिक, बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलने जा रहा है. शिवराज सिंह चौहान की योजनाओं पर जनता ने मुहर लगाई है. शिवराज को पूरे नंबरों के साथ पास किया है. इंडिया टीवी-CNX एक्जिट पोल के मुताबिक, मध्य प्रदेश में विधानसभा की 230 सीट में से बीजेपी को 140 से 159 सीट मिल सकती हैं, यानि बीजेपी को दो तिहाई से ज्यादा सीटें मिल सकती हैं. मध्य प्रदेश में कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है. एक्जिट पोल के मुताबिक, कांग्रेस 70 से 89 सीटों के बीच सिमट जाएगी. मैंने कांग्रेस के लिए ‘सिमट जाएगी’ शब्दों का इस्तेमाल इसलिए किया क्योंकि पिछले चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटें मिली थी जबकि बीजेपी 109 पर रह गई थी लेकिन इस बार बीजेपी को पचास सीटों तक का फायदा होता दिख रहा है जबकि कांग्रेस को 24 से लेकर 44 सीटों का नुकसान हो सकता है. ये कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के लिए बड़ा झटका और शिवराज सिंह चौहान के लिए बहुत बड़ी जीत का संकेत है. वोट शेयर के मुताबिक, पिछली बार बीजेपी को 41 परसेंट वोट मिले थे और इस बार उसमें पांच परसेंट की बढ़त दिख रही है जबकि कांग्रेस को तीन परसेंट के घाटे के साथ करीब 38 परसेंट वोट मिल सकते हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वो तो शुरू से ये बातच कह रहे थे कि बीजेपी को सवा सौ से डेढ़ सौ सीट मिल सकती हैं. उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व और उनकी सरकार की लाडली लक्ष्मी, लाडली बहना और तीर्थ दर्शन योजना जैसी स्कीम्स का फायदा बीजेपी को मिला. कांग्रेस नेता कमल नाथ ने रात को ट्विटर पर लिखा- “3 दिसंबर को जब मतगणना शुरू होगी तो कांग्रेस की सरकार पर जनता की मुहर लग जाएगी। मैंने हमेशा आपसे कहा है कि देश विजन से चलता है, टेलीविजन से नहीं। बहुत से एग्जिट पोल में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनती हुई दिखाई दी है जबकि कुछ एग्जिट पोल अन्य तरह की बात कर रहे हैं। आपको इस सबसे अपना ध्यान भटकने नहीं देना है। अर्जुन की तरह आपको निगाहें सिर्फ अपने लक्ष्य पर रखनी है। आपको अपना पूरा ध्यान मतगणना के दिन पर लगाना है और यह सुनिश्चित करना है कि कांग्रेस को मिला एक-एक वोट सही से गिना जाए और प्रदेश में प्रचंड बहुमत से कांग्रेस की सरकार बने। जय कांग्रेस, विजय कांग्रेस। “ दिग्विजय सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश में जो नतीजे आएंगे वो एक्जिट पोल से बिल्कुल उल्टे होंगे. प्रदेश की जनता शिवराज सिंह चौहान के शासन से ऊब चुकी है, बदलाव चाहती है. उन्होंने दावा किया कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस 135 से ज्यादा सीटें जीतेगी.

अगर तीन दिसंबर को नतीजे बीजेपी के पक्ष में आते हैं, तो यह शिवराज सिंह चौहान की बहुत बड़ी जीत होगी क्योंकि बीजेपी के नेताओं को भी लग रहा था कि शिवराज चौहान ने भले ही बहुत काम किया हो, अच्छी योजनाएं लागू की हों, लेकिन 18 साल से वह मुख्यमंत्री हैं, इसलिए एक फटिग फैक्टर (थकावट वाला कारण) काम कर सकता है. इसीलिए बीजेपी ने शिवराज को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश नहीं किया, लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने इसे एक चुनौती के तौर पर लिया, जबरदस्त मेहनत की, डेढ़ सौ से ज्यादा सभाएं की, हर जिले में, हर विधानसभा क्षेत्र में गए, सबको साथ लेकर चले. सबसे बड़ी बात ये है कि मध्य प्रदेश ने महिलाओं के लिए जो काम किए, लाडली बहना, सुकन्या योजना, लाडली लक्ष्मी जैसी 19 ऐसी स्कीम्स लागू कीं, जो महिलाओं को सशक्त करने वाली हैं, इसीलिए इस बार महिलाओं का वोट प्रतिशत बढ़ा और ये बीजेपी के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता दिखाई दे रहा है. अगर एक्जिट पोल्स के नतीजे सही साबित होते हैं तो शिवराज सिंह चौहान का कद बीजेपी में बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा. मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उनकी दावेदारी और ज्यादा पक्की हो जाएगी. दूसरी तरफ ये नतीजे कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के राजनीतिक सफर पर बहुत बड़ा स्पीड ब्रेकर साबित होंगे.

छत्तीसगढ

लेकिन छत्तीसगढ़ में स्थिति बिल्कुल भिन्न है. मध्य प्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी सरकार के रिपीट होने की उम्मीद है. इंडिया टीवी-CNX एक्जिट पोल के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बन सकती है. 90 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस को 46 से 56 सीटें मिलने का अनुमान हैं जबकि बहुमत के लिए 45 सीटें चाहिए. पिछली बार कांग्रेस को 68 सीटें मिलीं थीं. इस लिहाज से कांग्रेस की पन्द्रह से बीस सीटें कम हो सकती है. दूसरी तरफ बीजेपी को 30 से 40 सीट मिल सकती हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 15 सीटें मिलीं थी. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया कि कांग्रेस को सत्तर से ज्यादा सीटें मिलेंगी. कांग्रेस के लिए एक मुश्किल मुख्यमंत्री पद हो सकता है. हालांकि भूपेश बघेल दौड़ में सबसे आगे हैं, लेकिन टी.एस. सिंहदेव की भी दावेदारी है. पिछली बार कहा गया था कि कांग्रेस हाईकमान ने ढाई-ढाई साल सीएम की डील की थी. गुरुवार को एक्जिट पोल के नतीजे आने के बाद टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि नतीजे आने दीजिए, उसके बाद मुख्यमंत्री पद पर फैसला हाईकमान करेगा.

छत्तीसगढ़ में बीजेपी के पास मजबूत नेतृत्व नहीं था, संगठन बिखरा हुआ था. भूपेश बघेल ने चुनाव की तैयारी एक साल पहले से शुरू कर दी थी, पार्टी और संगठन उनके साथ था, धान की खरीद से लेकर गोबर खरीद जैसी योजनाएं उन्होंने पहले लागू कर दी. इसका फायदा भूपेश बघेल को मिलता दिख रहा है. हां, ये जरूर है कि अगर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलता है, तो भूपेश बघेल ही मुख्यमंत्री होंगे. .मुझे लगता है कि टीएस सिंह देव का इंतजार और बढ़ जाएगा.

राजस्थान

राजस्थान से भी कांग्रेस के लिए अच्छी खबर है. बीजेपी को राजस्थान से बहुत उम्मीद है लेकिन एक्जिट पोल्स के नतीजे राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रिपीट होने का इशारा कर रहे हैं. अशोक गहलोत के जादू का असर दिख रहा है. एक्जिट पोल के मुताबिक राजस्थान में कांग्रेस को 94 से 104 के बीच सीट मिलती दिख रही हैं. बहुमत का आंकड़ा 100 का है. .बीजेपी को 80 से 90 सीटें मिलने का अनुमान है. दिलचस्प बात ये है कि पिछली बार की तरह राजस्थान में इस बार भी छोटी पार्टियों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी क्योंकि एक्जिट पोल्स के मुताबिक राजस्थान में छोटी पार्टियां और निर्दलीयों को भी 14 से 18 सीट मिल सकती हैं. सीटों के मामले में भले ही कांग्रेस का आंकड़ा बीजेपी से 10 से 15 सीट ज्यादा दिख रहा हो लेकिन वोट शेयर के मामले में दोनों ही पार्टियां बराबरी पर हैं. बीजेपी को 42 परसेंट वोट और कांग्रेस को 43 परसेंट वोट मिल सकते हैं. एक्जिट पोल के नतीजों से अशोक गहलोत जोश में हैं. गहलोत ने कहा कि वो तो शुरू से कह रहे हैं कि इस बार तीस साल का रिकॉर्ड टूटेगा, राजस्तान में तीस साल के बाद पहली बार सरकार रिपीट होगी, उन्हें हमेशा से भरोसा था कि उनकी सरकार रिपीट हो रही है. गहलोत ने कहा कि राजस्थान में मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई हवा नहीं थी, और कैंपेन के दौरान बीजेपी के नेताओं ने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया, उससे भी कांग्रेस को फायदा हुआ. गहलोत ने एक गौर करने वाली बात कही. कहा, कि बीजेपी ने चुनाव में जिस तरह धर्म को मुद्दा बनाया, जिस तरह वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश की, उसमें बीजेपी अगर कामयाब हुई तो बात अलग है, वरना सरकार तो कांग्रेस की ही बनेगी. वैसे जीत के दावे करने में बीजेपी के नेता भी पीछे नहीं हैं. बीजेपी नेता राजेंद्र राठौर ने कहा कि बीजेपी को 135 से ज्यादा सीटें मिलेंगी. एक्जिट पोल्स के नतीजे राजस्थान में कांटे की टक्कर दिखा रहे हैं, कांग्रेस थोड़ी आगे है, ये बीजेपी के नेताओं के लिए परेशान कर सकता है लेकिन अगर एक्जिट पोल के नतीजे सही साबित होते हैं तो कांग्रेस को फायदा का सारा श्रेय अशोक गहलोत को देना पड़ेगा. राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस की रणनीति में एक बुनियादी फर्क था. कांग्रेस ने वक्त रहते अशोक गहलोत को खुला हाथ देने का फैसला किया, चुनाव की कमान पूरी तरह गहलोत को सौंप दी लेकिन बीजेपी ने वसुन्धरा राजे को मंच पर लाने में देर कर दी, इसलिए पार्टी के कार्यकर्ताओं में भ्रम वाली स्थिति रही, और इसका फायदा गहलोत को मिलता दिख रहा है.

तेलंगाना

तेलंगाना से कांग्रेस के लिए अच्छी खबर है. एक्जिट पोल्स के मुताबिक, तेलंगाना में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की विदाई और कांग्रेस की सरकार बनना तय है. इंडिया टीवी के एक्जिट पोल के मुताबिक, 119 सीटों वाली तेलंगाना विधानसभा में कांग्रेस को 63 से 79 सीट मिल सकती है. 10 साल से सरकार चला रहे चंद्रशेखर राव की पार्टी भारत राष्ट्र समिति को 31 से 47 सीट मिल सकती हैं जबकि ओवैसी की पार्टी AIMIM को 5 से 7 और बीजेपी को तेलंगाना में 2 से चार सीट मिल सकती हैं. पिछली बार तेलंगाना में कांग्रेस को सिर्फ 19 सीट मिली थी जबकि BRS को 68 सीटें मिली थी. कांग्रेस के वोट शेयर में 14 परसेंट की उछाल दिखाई दे रही है, जबकि BRS का वोट शेयर 9 परसेंट के घाटे के साथ 38 परसेंट पर रह सकता है. लेकिन केसीआर की बेटी के कविता ने कहा हैं कि एक्जिट पोल चाहे कुछ भी कहें लेकिन BRS इस बार सेंचुरी मारेगी. तेलंगाना राज्य UPA शासन में बना था मगर, कांग्रेस कभी इसका श्रेय नहीं ले सकी. अलग राज्य बनने का पूरा श्रेय के. चंद्रशेखर राव ले गए. पिछली बार केसीआर को अपनी जीत को लेकर इतना पुरज़ोर यकीन था कि उन्होंने एक साल पहले ही चुनाव करा लिया. लेकिन इस बार तस्वीर बदली हुई दिखाई दे रही है. तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष रेवंता रेड्डी कह रहे हैं कि इस बार कांग्रेस की सरकार बनने वाली है. रेवंता रेड्डी ने तो शपथ ग्रहण की तारीख 9 दिसम्बर भी तय कर दी है. लेकिन कांग्रेस के दावे को असद्दुदीन ओबैसी ने हवा-हवाई बताया. कहा, कि कोई कुछ भी कहे लेकिन तीन तारीख को सच सामने आ जाएगा, KCR एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे. तेलंगाना में इस बार बदलाव की हवा साफ दिख रही थी. कांग्रेस को सरकार बनने की उम्मीद थी इसलिए कांग्रेस ने जबरदस्त मेहनत की. कांग्रेस और BRS में मुकाबला मुस्लिम वोटर्स को साथ लेने का था. अब तक ओबैसी की मदद से मुस्लिम वोटर्स केसीआर के साथ रहते थे लेकिन इस बार ऐसा लग रहा है कि मुसलमानों का एकमुश्त वोट कांग्रेस को मिला है और इसी का असर है कि एक्जिट पोल में कांग्रेस तेलंगाना में सरकार बनाती दिख रही है.

मिज़ोरम

मिजोरम में एक बार फिर मिज़ो नेशनल फ्रंट के नेता मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा दौड़ में आगे दीख रहे हैं. .ज़ोरमथंगा की MNF को 14 से 18 सीटें मिल सकती हैं, जबकि ललदुहोमा की ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट को 12 से 16 सीट मिलती दिख रही हैं. कांग्रेस को 8 से 10 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है. बीजेपी भी यहां 2 सीट जीत सकती है.

इन पांच राज्यों के चुनावों को लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल कहा जा रहा है. अगर एक्जिट पोल्स के हिसाब से नतीजे आए, अगर राजस्थान, छत्तीसगढ और तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनी तो कांग्रेस समेत विरोधी दलों के नेता यही दावा करेंगे कि देश में नरेन्द्र मोदी के खिलाफ लहर है. लेकिन मैं याद दिलाना चाहता हूं कि पांच साल पहले भी राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीगढ़ में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, तेलंगाना में भी बीजेपी हारी थी लेकिन पांच महीने बाद जब लोकसभा चुनाव हुए तो राजस्थान की सभी पच्चीस सीटें बीजेपी ने जीतीं, मध्य प्रदेश में 29 में 28 सीटें बीजेपी ने जीतीं, छत्तीसगढ़ की 11 में से 9 सीटें बीजेपी ने जीतीं. इसलिए मुझे लगता है कि तीन दिसंबर को पांच राज्यों में जनता का जो भी फैसला आए, उसका असर लोकसभा चुनाव पर होगा, ये कहना मुश्किल है. हालांकि एक्जिट पोल्स नतीजे नहीं होते, ये अनुमान ही हैं. एक्जैक्ट नतीजे तो तीन दिंसबर को ही आएंगे. तब तक इंतजार करना चाहिए. और 3 दिसंबर को जब फाइनल नतीजे आएंगे, इंडिया टीवी ने सबसे तेज नतीजे आप तक पहुंचाने के लिए खास इंतजाम किए हैं. 3 दिसंबर को ये स्पेशल कवरेज सुबह 6 बजे से देख सकते हैं. मेरे साथ इंडिया टीवी रिपोर्टर्स की पूरी टीम होगी, नए और मॉडर्न ग्राफिक्स होंगे, एक्सपर्ट्स का पैनल होगा. तो 3 दिसंबर को पांच राज्यों के चुनाव नतीजे देखिए मेरे साथ, सुबह 6 बजे से.

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EXIT POLLS ARE IN, LET US WAIT FOR EXACT RESULTS

AKB30 Exit polls for the five state assembly elections, for which counting will take place on December 3, have come in. Some of the exit poll projections are surprising. India TV-CNX exit poll projection shows, BJP may get a nearly two-third landslide victory in Madhya Pradesh with 140 to 159 seats. Congress may get only 70 to 80 seats, says the exit poll. For Rajasthan, too, the exit poll projection is a bit surprising. Congress may retain power in that state despite a neck-to-neck battle with BJP. The projection says, Congress may get 94 to 104 seats and may stay ahead of BJP which may get 80 to 90 seats. The exit poll projection for Chhattisgarh is not surprising and Congress may retain power with a clear majority. There is good news for Congress from Telangana. The party may come to power for the first time since Telangana achieved statehood. If the projection proves to be true, Chief Minister K. Chandrashekhar Rao will be on his way out after ruling the state for a decade. The exit poll projection for Mizoram shows a hung assembly in the north-eastern state. Already reactions have started pouring in.

MADHYA PRADESH

An elated Chief Minister Shivraj Singh Chouhan, who was fighting with his back to the wall, said, he was confident since the beginning that his party would win 125-150 seats. He attributed this to Prime Minister Narendra Modi’s leadership and his government’s Ladli Behna, Ladli Lakshmi and Teerth Darshan Yojana schemes. Congress leader Kamal Nath took to Twitter and wrote, “the nation is run by vision, and not by television…When counting starts on December 3, the people of MP will put their seal of approval to a Congress government.” If BJP retains power, it will be a big victory for Shivraj Singh Chouhan. BJP leadership was worried about the ‘fatigue factor’ that was expected because Chouhan has ruled as CM for 18 years. It was because of this that BJP did not project Chouhan as its chief minister this time. Chouhan took this as a challenge. He toiled hard, addressed more than 150 public meetings. He went to each district and assembly constituency, and focussed on women voters with his attractive schemes. This was the reason why there was a quantum jump in the number of women who cast their votes this time, and this could prove advantageous for BJP. If the exit poll proves correct, Chouhan’s stature in his party will surely rise and his claim for the CM’s throne will become stronger. On the other hand, if the results match with exit poll projection, they could act as a speed-breaker for the political careers of Kamal Nath and Digvijaya Singh.

CHHATTISGARH
The situation is different in neighbouring Chhattisgarh. Congress CM Bhupesh Baghel, happy with exit poll projections, says, his party will get more seats than projected. Though exit polls give Congress a majority, there is not much difference between vote share projections of Congress (43 pc) and BJP (41 pc). Though Bhupesh Baghel is again the frontrunner this time for the CM’s post, T. S. Singhdeo is also a strong claimant. In the last elections, the Congress high command had struck a two and a half year deal for both, but it was not implemented. On Thursday, Singhdeo said, ‘let the results come, and then the high command will decide’. In Chhattisgarh, the BJP lacked a strong leadership and its organization is fragmented. Bhupesh Baghel began his poll preparations a year ago, the party backed him and he implemented paddy purchase, and cow dung purchase schemes to attract farmers. If Congress gets a clear majority, Baghel will continue as chief minister. I think, T S Singhdeo will have to wait.

RAJASTHAN

BJP leadership had high hopes in Rajasthan, but exit polls indicate a repeat of Congress rule. Chief Minister Ashok Gehlot’s magic may work. This time too, small parties may play an important role. Exit polls have predicted 14 to 18 seats for independents and small parties. In vote share projections, both Congress(43 pc) and BJP (42 pc) are neck-to-neck. Last time, Mayawati’s BSP had won six seats, but Gehlot took all the six MLAs in his party. If Gehlot wins, Rajasthan will break a 30-year-old record of not repeating any party to rule after five years. On Thursday, Gehlot said, there was no anti-incumbency wave or anger against the CM, but the abusive language used by BJP leaders against the Congress, helped his party. Gehlot made one important point. He said, the manner in which BJP tried to polarize voters on lines of religion, could affect the results, but even if BJP succeeds, it will be the Congress which will form the government. On the other hand, BJP leaders claimed that the party will win more than 135 seats this time and will dislodge Gehlot from power. The Congress high command gave Gehlot a free hand during the election campaign, but BJP leadership delayed in bringing Vasundhara Raje on the dais. This led to confusion among BJP supporters, and Gehlot took advantage of this.

TELANGANA

Exit poll projections predict KCR may be on his way out and Congress may form government. India TV-CNX exit poll projects 63-79 seats for Congress, and 31-47 seats for KCR’s party BRS. Vote share projections show, Congress’ share may get a 14 per cent jump, while BRS’ vote share may drop by 9 pc to 38 per cent. Telangana state was formed during UPA rule, but Congress never took credit for it. It was KCR who took the entire credit. Last time, KCR was so confident that he preponed the assembly polls by a year, but this time, the picture appears to be different. Telangana Congress chief Revantha Reddy is confident of forming a new government. He has even fixed December 9 as the date of his swearing-in. But KCR’s ally AIMIM chief Asaduddin Owaisi rejected the exit poll projections and said KCR will retain power on December 3. Winds of change were already blowing in Telangana for the last one year. Congress leaders put in their best efforts, and managed to get support of Muslim voters, who were hitherto supporting BRS, because of Owaisi.

MIZRORAM

In Mizoram, exit poll projection shows a hung assembly, but Chief Minister Zoramthanga’s Mizo National Front is leading with 14-18 seats, followed by Zoram People’s Movement with 12-16 seats. Congress may get only 8-10 and BJP may get two seats.

The current assembly elections are being projected as a ‘semi-final’ for next year’s Lok Sabha elections. If Congress forms government in Rajasthan, Chhattisgarh and Telangana, opposition parties, including the Congress, may claim that there is a nationwide wave against Narendra Modi. But I would like to remind them about what happened five years ago. In 2018, Congress won assembly polls in MP, Rajasthan and Chhattisgarh, and lost in Telangana, but five months later, when Lok Sabha elections took place, BJP made a clean sweep of all 25 Lok Sabha seats in Rajasthan. It won 28 out of 29 seats in MP, and nine out of 11 seats in Chhattisgarh. I think, whatever results that may come on, it is difficult to say confidently that these results will cast a shadow over next year’s parliamentary elections. Though exit poll projects are not exactly results, let us all wait for December 3, when the exact results will come in. India TV has made special arrangements for live telecast of counting in all five states on December 3. My entire team of reporters and producers will be there on Sunday from 6 am onwards, with new and modern graphics. There will be panels of experts. Do watch the election results LIVE on December 3 with me from 6 am onwards.

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