Rajat Sharma

My Opinion

‘आप की अदालत’ में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल

akb0110 इस बार ‘आप की अदालत’ शो में मेरे मेहमान हैं केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल। मैंने उनसे पूछा कि क्या बजरंगबली कर्नाटक में बीजेपी को शानदार जीत दिलाएंगे? इस पर उन्होंने जो जवाब दिया उसे आपको जरूर सुनना चाहिए। पीयूष गोयल ने जनता को बताया कि वो हनुमान जी के भक्त हैं। हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान मंदिर में पूजा करने जाते हैं। पीयूष गोयल को पूरा भरोसा है कि कर्नाटक में इस बार बजरंगबली उनकी पार्टी को आशीर्वाद देंगे। उन्होंने कहा कि बजरंग बली तो हर जगह मौजूद रहते हैं पर कर्नाटक उनकी जन्मस्थली है। पीयूष गोयल ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि बजरंग बली कर्नाटक की जनता पर कोई संकट नहीं आने देंगे।

‘आप की अदालत’ के इस शो में पीयूष गोयल ने राहुल गांधी पर करारा हमला किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लोग राहुल गांधी को कर्नाटक में प्रचार करने से रोक रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि राहुल गांधी के प्रचार से कांग्रेस को नुक़सान होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री पद के तीन दावेदार हैं: सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे। पीयूष गोयल ने कहा कि कर्नाटक में राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के बजाय कर्नाटक में ‘पार्टी जोड़ो’ यात्रा निकाली थी। पीयूष गोयल ने महाराष्ट्र की राजनीति पर भी बात की। मैंने ज़िक्र किया कि इस बात की बहुत चर्चा है कि महाराष्ट्र में अजित पवार, बीजेपी के साथ आना चाहते हैं और एनसीपी को अपने साथ लाना चाहते हैं। मैंने पीयूष गोयल से पूछा कि क्या बीजेपी को लगता है कि एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री रहते चुनाव लड़ा, तो नुक़सान होगा? क्या महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री को बदला जाएगा? गोयल ने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बने रहेंगे और महाराष्ट्र में अगला विधानसभा चुनाव उन्हीं के नेतृत्व वाली शिवसेना और भाजपा मिलकर लड़ेंगे। पीयूष गोयल ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के इस्तीफे को ‘नाटक’ बताया। पीयूष गोयल के साथ ‘आप की अदालत’ शो आप शनिवार और रविवार रात 10 बजे और रविवार सुबह 10 बजे इंडिया टीवी पर देख सकते हैं।

कर्नाटक : संकट में कांग्रेस

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव का प्रचार जोरों पर है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बेंगलुरू में एक विशाल रोड शो निकाल रहे हैं । उधर, राहुल और सोनिया गांधी भी चुनावी रैलियों को संबोधित कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने यह आरोप लगाकर चुनाव प्रचार में नई गर्मी ला दी कि फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ का विरोध करके कांग्रेस परोक्ष रूप से आतंकवाद का समर्थन कर रही है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म इस्लामिक आतंकी साजिश पर बनी है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इंडिया टीवी के संवाददाता देवेंद्र पाराशर को दिए एक इंटरव्यू में आरोप लगाया कि प्रियंका गांधी ने 2019 के चुनाव प्रचार के दौरान अमेठी में नमाज पढ़ी थी। कांग्रेस के नेताओं को प्रियंका से इस बात की पुष्टि कर लेनी चाहिए कि स्मृति ईरानी का आरोप सही है या नहीं।

कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि किसी तरह बजरंग बली के मुद्दे से पीछा छुड़ाया जाए। आस्था और धर्म के मुद्दों को प्रचार में हावी नहीं होने दिया जाए। इसीलिए कांग्रेस के नेता इन पर बात नहीं कर रहे हैं। लेकिन बीजेपी का पूरा फोकस इस बात पर है कि कांग्रेस पर बजरंग दल को बैन करने के वादे पर कैसे घेरा जाए। दूसरी ओर, मोदी तुमकुरु और बेल्लारी में अपनी जनसभाओं में ‘जय बजरंगबली’ का जयकार लगाते रहे। कांग्रेस के नेताओं की मुश्किल ये है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी उन्हें बजरंग बली मुद्दे के संकट से बचा नहीं पाएंगे। कांग्रेस के नेताओं को इस बात का एहसास हो गया है कि चुनाव घोषणा पत्र में पीएफआई और बजरंग दल को एक जैसा बताकर उन्होंने बड़ी ग़लती कर दी है। नरेंद्र मोदी ने इसे बजरंगबली से जोड़कर इतना बड़ा मुद्दा बना दिया है कि कांग्रेस के प्रचार मैनेजर्स के हाथ-पांव फूल गए हैं। इस मुद्दे से छुड़ाने के लिए, तरह तरह की कोशिश की गई। कांग्रेस के नेता दरियादिली से सफाई दे रहे हैं कि पार्टी का बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का कोई इरादा नहीं है। कभी कांग्रेस के कुछ नेता मतदाताओं को यह दिखाने के लिए हनुमान चालीसा ले जा रहे हैं कि वे बजरंगबली के भक्त हैं। प्रियंका गांधी हनुमान जी की पूजा करने के लिए मंदिरों का चक्कर लगा रही हैं। कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार ने राज्य भर में आंजनेय (बजरंगबली) मंदिर बनाने का वादा किया है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेताओं ने चुनाव आयोग से भी शिकायत कर दी कि पीएम मोदी ने बजरंग बली का नाम क्यों लिया? कुल मिलाकर, जो कनफ्यूज़न पैदा हुआ उसका बीजेपी भरपूर फ़ायदा उठा रही है।

पवार: इस्तीफा वापस

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा के चार दिन बाद शुक्रवार अपना इस्तीफा वापस ले लिया। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं और बड़े नेताओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस्तीफा वापस लेने का फैसला किया है। इसमें कोई शक नहीं कि राजनीतिक अनुभव, चतुराई, दांव-पेंच में शऱद पवार का कोई मुकाबला नहीं। उन्होंने अपनी एक चाल से अजित पवार को चारों खाने चित कर दिया जो पार्टी अध्यक्ष पद पर नजर गड़ाए हुए थे। हालांकि शरद पवार की उम्र हो गई है। वे 82 साल के हैं और स्वास्थ्य उनका साथ नहीं देता। लेकिन, राजनीति में उनका दिमाग़ बहुत तेज़ी से चलता है। 63 साल उन्होंने राजनीतिक में जी-तोड़ मेहनत की है इसलिए, अच्छा होता कि वो एक मार्गदर्शक बनकर रहते। लेकिन, परिस्थितियों ने उन्हें मजबूर कर दिया कि वो अध्यक्ष बने रहें। लेकिन, इस पूरे संकट से एक बात यह निकलकर आई कि जितनी भी पार्टियां, एक व्यक्ति के नाम और काम पर चलती हैं, उनमें से किसी के पास, उत्तराधिकार को लेकर कोई योजना नहीं है। बड़े नेता के शीर्ष पर रहते उत्तराधिका का प्लान बनाने की हिम्मत कौन कर सकता है? और कोई नेता शीर्ष पर रहते हुए अपना उत्तराधिकारी तय नहीं करना चाहता। एनसीपी में शरद पवार के इस्तीफ़े और उनकी वापसी के दौरान जो मंथन हुआ उसका एक अच्छा परिणाम ये निकला है कि इस पार्टी में थोड़े दिन बाद,उत्तराधिकारी तय हो जाएगा। शरद पवार ने ख़ुद ये एलान किया कि वो संगठन में फेर-बदल करेंगे और इस हिसाब से करेंगे कि एक उत्तराधिकार की योजना बन जाए। अगर दूसरी पार्टियों के नेता भी अपने रिटायरमेंट के पहले, ऐसे ही प्लान बना लें तो देश की राजनीति के लिए अच्छा होगा।

PIYUSH GOYAL IN ‘AAP KI ADALAT’

akb0710 This weekend Union Commerce Minister Piyush Goyal is my guest in ‘Aap Ki Adalat’ show. I asked him whether Bajrangbali will bless BJP in Karnataka with a resounding win. You must listen to his reply. Goyal said, he has been a devotee of Bajrangbali since his youth days. Whenever he goes out of town, or visits abroad, he makes it a point to visit Hanuman temple on Tuesdays and Saturdays to offer his prayers. On Karnataka, Goyal was confident that Bajrangbali would bless his party this time. ‘Bajrangbali is omnipresent, Karnataka is Bajrangbali’s place of birth. I am fully confident, Bajrangbali will not allow any crisis for the people of Karnataka’, he said. In ‘Aap Ki Adalat’ show, Goyal made scathing remarks on Congress leader Rahul Gandhi and said, even Congress leaders want Rahul must not campaign, because they fear the party may lose. He said, there are three claimants for the CM post in Congress: Siddaramaiah, D. K. Shivkumar and Congress President Mallikarjun Kharge. Goyal said, Rahul’s ‘Bharat Jodo Yatra’ in Karnataka was in fact ‘Party Jodo Yatra’ in that state. Goyal also spoke on Maharashtra politics. I asked him about speculations that Sharad Pawar’s nephew Ajit Pawar may join BJP camp along with NCP legislators, and, in that case, will the CM be replaced? Goyal emphatically said that Chief Minister Eknath Shinde will continue and the next assembly elections in Maharashtra will be fought jointly by Eknath Shinde-led Shiv Sena and BJP. Goyal described the resignation move by NCP supremo Sharad Pawar as “a drama”. You can watch ‘Aap Ki Adalat’ show with Piyush Goyal on Saturday and Sunday nights at 10 pm and on Sunday morning at 10 am on India TV.

CONGRESS IN A QUANDARY IN KARNATAKA

Campaigning in Karnataka is in full swing with Prime Minister Narendra Modi taking out a huge road show in Bengaluru on Saturday, and Rahul and Sonia Gandhi to address election rallies. Modi added a fresh touch to the campaign by alleging that the Congress was indirectly supporting terrorism by opposing the movie ‘The Kerala Story’, which he said was based on Islamic terror conspiracy. Union Minister Smriti Irani, in an interview to India TV correspondent Devendra Parashar, alleged that Priyanka Gandhi had offered namaaz in Amethi during 2019 poll campaign. I think, Congress leaders should confirm whether Smriti’s allegation is true or not. Congress in Karnataka is trying hard to shake off the Bajrangbali issue and wants to ensure that religion and faith must not overshadow the campaign. On the other hand, Modi continued to chant ‘Jai Bajrangbali’ at his public meetings in Tumkuru and Bellary. The problem with Congress is that Sonia and Rahul Gandhi may not be able to save the party on Bajrangbali issue. Congress leaders have realized they have committed a big mistake in comparing Bajrang Dal with PFI in its election manifesto. Narendra By making Bajrangbali a big issue, Modi has forced Congress leaders to run for cover. Congress leaders are profusely clarifying that the party has no intention to ban Bajrang Dal. Some leaders are carrying Hanuman Chalisa in their pockets to show to voters that they are devotees of Bajrangbali, while Priyanka Gandhi is making a round of temples to offer prayers to Lord Hanuman. Congress state chief D. K. Shivkumar has promised to build Anjaneya (Bajrangbali) temples across the state. On the other hand, Congress has lodged complaint on Bajrangbali issue with the Election Comission. Clearly, the confusion is worse confounded in the Congress camp, and BJP is trying to reap the harvest.

PAWAR: BACK TO SQUARE ONE

Four days after he announced his resignation as NCP chief, Sharad Pawar, on Friday said, he has decided to continue responding to the sentiments of party workers and appeals made to him by several national leaders. There is not an iota of doubt that there is no politician in India who can match Sharad Pawar in political experience and acumen. By offering to resign, and then withdrawing his decision, Pawar floored his nephew Ajit Pawar, who was eyeing the party chief post. The 82-year-old political warhorse is facing health problems, but his political mind works with great speed. For 63 years, he toiled in the hurly-burly of Maharashtra politics. It would have been better if he had chosen to remain as the guiding force for his party, but circumstances forced his hand to continue as party chief. One message that came out from this crisis is that most of the political parties in India which work under a single leader, do not have a succession plan. Who can dare to make a succession plan with the party supremo active at the top? No supreme leader wants to anoint a successor. The churning (‘manthan’) that took place in NCP during Pawar’s resignation and withdrawal, has yielded one good result: a successor will be selected in NCP after some days. Pawar himself announced that he would reorganize the party setup, in such a manner, that a succession plan is put in place. If other parties also prepare similar succession plans for their party chiefs after retirement, it will be good for national politics.

पहलवानों से बदसलूकी गलत, केंद्र बातचीत शुरु करे

akb fullदिल्ली के जंतर मंतर पर बुधवार की रात जिस तरह से पुलिसवालों ने देश के लिए मेडल जीतनेवाले पहलवानों के साथ बदसलूकी और गाली-गलौज की, वह किसी जुल्म से कम नहीं है । इन चैंपियन पहलवानों के साथ जो कुछ भी हुआ उसे देखकर किसी को भी दुख होगा। मेडल जीतने वाली महिला पहलवानों की आंखों में आंसू देखकर किसी का भी दिल रोएगा। मुझे लगता है उस रात इनके साथ ज़ुल्म हुआ। मैं मान सकता हूं कि पहलवानों के इस दंगल में अब आम आदमी पार्टी ज़ोर आज़माने के लिए कूद गई है। यह भी समझ में आता है कि मनीष सिसोदिया के जेल जाने से और अपने नए घर पर खर्च की डीटेल सामने आने से केजरीवाल काफ़ी परेशान हैं। बाज़ी पलटने के लिए वे पहलवानों का इस्तेमाल करना चाहते हैं। मैं ये भी मान सकता हूं कि दीपेंद्र हुड्डा पहलवानों को उकसा रहे हैं, उनके धरने को हवा दे रहे हैं। जिस-जिसको मौक़ा मिल रहा है वो इन पहलवानों का इस्तेमाल मोदी सरकार को नीचा दिखाने के लिए कर रहा है। लेकिन, क्या इस मामले को समझदारी के साथ हैंडल नहीं किया जाना चाहिए था? क्या, खेल मंत्री को इस मामले को सुलझाने के लिए और ज़्यादा प्रयास नहीं करने चाहिए थे? कोई, पहलवानों के धरने का फ़ायदा न उठा पाए, इसके लिए सरकार को एक्स्ट्रा अलर्ट नहीं रहना चाहिए था? पुलिस की बदनामी न हो, इसके लिए क्या अधिकारियों को चतुराई से काम नहीं लेना चाहिए था? जंतर मंतर की बुधवार रात की तस्वीरों ने सरकार के विरोधियों के हाथ में मसाला दे दिया। आम जनता ऐसी तस्वीरों को देखकर, अपने चैंपियंस को रोते देखकर आहत होती है। कोई इन पहलवानों को ज़िद्दी कह सकता है, मिसगाइडेड मिसाइल कह सकता है, पर ये अपराधी नहीं हैं। य़े पहलवान समाज के दुश्मन नहीं हैं। इन्होंने देश का नाम रौशन किया है। इसलिए, अगर इन्होंने कोई ग़लती की भी है, तो इन्हें रियायत देनी चाहिए। सरकार को इनसे बात करके, इस मामले को जल्दी से जल्दी सुलझाना चाहिए।

कर्नाटक में बजरंगबली का असर

कर्नाटक की अपनी चुनाव रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजरंगबली का जयकारा किया, तो कांग्रेस ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करा दी । कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मोदी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। लेकिन एक बात कहनी पड़ेगी कि मोदी में बजरंगबली का जयकारा लगा कर कर्नाटक के चुनाव में हवा बदल दी है। कल तक जो कांग्रेस पूरी तरह आक्रामक थी, वह अब बचाव की मुद्रा में आ गई है। अब सफाई दी जा रही है कि बजरंग दल पर बैन लगाने की बात कांग्रेस ने नहीं कही। प्रियंका गांधी लोगों से कह रही हैं कि बीजेपी के प्रचार पर ध्यान न दें । लेकिन हनुमान चालीसा की गूंज तो गली-गली में सुनाई दे रही है । बीजेपी के समर्थक कर्नाटक के कई शहरों में हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं। अब कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार कह रहे हैं कि हम भी आंजनेय (बजरंगबली) के मंदिर बनवाएंगे। कुल मिलाकर कांग्रेस अब बीजेपी के एजेंडे पर खेल रही है और अपने मुद्दों को भूल गई है । अब लोग बजरंगबली को कैसे भूलेंगे? ज़ाहिर है इस मामले में बीजेपी का पलड़ा भारी है और कांग्रेस को नुकसान हो सकता है ।

बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण पर रोक

पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को बिहार में चल रहे जाति आधारित सर्वेक्षण पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया। चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने कहा- ‘प्रथम दृष्टया हमारी राय है कि राज्य के पास जाति आधारित सर्वेक्षण करने की कोई शक्ति नहीं है और जिस तरह से यह किया जा रहा है वह एक जनगणना के समान है और ऐसा करना संघ की विधायी शक्ति का अतिक्रमण होगा।’ खंडपीठ ने कहा- ‘सरकार की ओर से जारी अधिसूचना से हम यह भी देखते हैं कि सरकार राज्य विधानसभा के विभिन्न दलों, सत्ता पक्ष और विपक्षी दल के नेताओं के साथ सूचनाएं साझा करना चाहती है, जो कि बहुत चिंता का विषय है।’ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने इस साल जनवरी से बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण का काम शुरु कराया था । उस वक्त सरकार ने कहा था कि विभिन्न जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलने से वंचित समूहों के लिए बेहतर नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। ये बात सही है कि जिस वक्त जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का फैसला हुआ था, उस वक्त नीतीश कुमार बीजेपी के साथ थे। बीजेपी ने भी जाति आधारित सर्वेक्षण पर सहमति जताई थी। लेकिन यह भी सही है कि इस सर्वेक्षण पर अब हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने साफ कहा है कि सरकार यह बताने में नाकाम रही है कि आखिर जातिगत जनगणना क्यों कराना चाहती है? इसकी क्या जरूरत है? दूसरी बात ये कि अगर इस मुद्दे पर सभी पार्टियों की सहमति थी तो सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पास करने के बजाय इसे विधेयक के तौर पर पास क्यों नहीं करवाया? तीसरी बात कोर्ट ने कही कि जातिगत जनगणना से निजता के उल्लंघन की पूरी आशंका है इसलिए इस सर्वेक्षण को फिलहाल रोकना जरूरी है। कुल मिलाकर अब यह मामला लटक गया है और अब इस मुद्दे पर सियासत होगी कि जातीय जनगणना किसके कारण रुकी।

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MANHANDLING UNACCEPTABLE, CENTRE MUST TALK TO WRESTLERS

AKb (1)The manner in which police personnel in Delhi roughly manhandled and abused our medal winning wrestlers at Jantar Mantar on Wednesday night is nothing short of an atrocity. Those who have seen visuals of our champion female wrestlers weeping after the scuffle with police, will surely feel sad. The tears of our female wrestlers are bound to touch the chords of our hearts. Whatever happened on that night was atrocious. I agree, Aam Aadmi Party intervened in the sit-in to flex its muscles. I can also understand, with Manish Sisodia in jail, and Arvind Kejriwal worried after exposure of public money spent on his lavish official residence, AAP leaders wanted to use the wrestlers for their benefit. I can also agree, Congress leader Deepender Hooda is instigating the wrestlers and egging them on to carry on with their sit-in. I agree, other politicians are also trying to use the wrestlers to embarrass Modi’s government. But my simple question is: Couldn’t the situation been handled peacefully, and with care? Shouldn’t the Sports Minister taken initiative in defusing the crisis? Shouldn’t the government remain vigilant in disallowing others to take advantage of the sit-in? Shouldn’t senior officials cleverly handled the situation to avoid bringing a bad name to police? The visuals of Wednesday midnight scuffle at Jantar Mantar have given ammunition to the opposition to attack the Centre. The common man feels offended and sad on watching our medal winning wrestlers being roughly manhandled by police. You can say, some of the wrestlers are adamant, they are misguided missiles, but they are not criminals. These wrestlers are not enemies of society. They brought fame and glory to our country. Even if they might have committed mistakes, they should have been given concessions. Government must start a dialogue with the wrestlers and solve the problem.

MUCH ADO ABOUT BAJRANGBALI IN KARNATAKA

The Congress has lodged a complaint with the Election Commission over Prime Minister Narendra Modi invoking the name of Bajrangbali (Hanuman) in his rallies in Karnataka. It has asked the Commission to restrain Modi from invoking the names of Hindu gods in his election speeches. Needless to say, Modi has completely changed the narrative in Karnataka elections. Congress, which was on offensive till recently, is now on the defensive. Priyanka Gandhi is asking voters not to take notice of BJP’s ‘Bajrangbali’ campaign. Already Hanuman Chalisa is being recited in several cities of Karnataka by BJP supporters. To counter Modi, Congress leader D K Shivkumar has promised to set up Anjaneya (Hanuman) temples across Karnataka. Congress is now playing on BJP’s pitch and has practically forgotten the local issues that it had been raising. On the Bajrangbali issue, BJP has an upper hand, and this can cause damage to Congress’ prospects.

CASTE CENSUS PUT ON HOLD IN BIHAR

Patna High Court, on Thursday, issued an interim order staying the caste-based survey going on in Bihar. “Prima facie, we are of the opinion that the State has no power to carry out a caste-based survey, in the manner in which it is fashioned now, which would amount to a census, thus impinging upon the legislative power of the Union Parliament”, the bench of Chief Justice K. Vinod Chandran and Justice Madhuresh Prasad said. The bench said, “We also see from the notification issued that the government intends to share data with the leaders of different parties of the State Assembly, the ruling party and opposition party, which is also a matter of great concern.” Chief Minister Nitish Kumar’s government had launched the caste-based survey in Bihar from January this year, saying that detailed info about socio-economic conditions of different castes, will help create better policies to help disadvantaged groups. It is also correct that when the decision on caste-based survey was taken, Nitish Kumar was with the BJP, and the latter had agreed to it. But, it is also a fact that the High Court has said that the state government has failed to convince why it wants to carry out the caste census. Secondly, if all parties had agreed on carrying out the caste census, why was a bill not passed by the legislature, instead of a resolution. Thirdly, the High Court has pointed out that caste-based survey can cause violation of individual privacy, and hence, an interim stay is necessary. The ball is now in the court of political parties, which are going to start the blame game.

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बजरंग दल को लेकर कांग्रेस पसोपेश में

akbकर्नाटक में जारी अपने घोषणा पत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के वादे को लेकर कांग्रेस फंसती नजर आ रही है । इस चुनाव में बजरंग बली सबसे बड़ा मुद्दा बन गए हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी रैलियों में ‘बजरंगबली की जय’ का जयकारा लगवा रहे हैं और मतदाताओं से कह रहे हैं कि जब वो वोट डालने जाएं तो ‘बजरंग बली की जय’ बोलकर ही ईवीएम का बटन दबाएं । पूरे चुनाव अभियान का सुर और स्वर बदल चुका है । कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम. वीरप्पा मोइली ने स्पष्ट किया कि बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है क्योंकि राज्य सरकार के पास संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार ही नहीं है । वहीं छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाना चाहिए । यह सही है कि बजरंगबली और बजरंग दल का आपस में कोई संबंध नहीं है, लेकिन बीजेपी ने इस मसले को ऐसा ट्विस्ट दे दिया है जिसके चक्कर में कांग्रेस में फंस गई है । गलती कांग्रेस से हुई, क्योंकि बजरंग दल कोई आतंकवादी संगठन नहीं हैं । बजरंग दल राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं है । जो लोग नहीं जानते उन्हें बता दूं कि बजरंग दल का गठन 1984 में हुआ था। 1984 में हुई धर्म संसद में राम जन्मभूमि मंदिर के लिए आंदोलन का फैसला हुआ था। तय हुआ कि देशभर में ‘राम जानकी रथ यात्रा’ निकाली जाएगी। यात्राएं शुरू हुईं तो उन पर पथराव की घटनाएं होने लगीं। सरकार से सुरक्षा की मांग की गई लेकिन सुरक्षा नहीं मिली। फिर विश्व हिन्दू परिषद ने राम जानकी रथ यात्राओं की सुरक्षा के लिए अपने कार्यकर्ताओं की टोलियां बनाईं। चूंकि राम जानकी रथ यात्राएं राम मंदिर निर्माण के लिए हो रही थीं और बजरंगबली प्रभु राम के अनन्य भक्त और योद्धा थे इसलिए यात्रा में चल रहे रामभक्तों की सुरक्षा करने वाली टोलियों को हनुमान जी के नाम पर बजरंग दल कहा गया। बजरंग दल का गठन हिन्दुओं और रामभक्तों की रक्षा के लिए हुआ इसलिए इसे आंतकवादी संगठन कैसे कहा जा सकता है। चूंकि कांग्रेस ने बजरंग दल की तुलना पीएफआई से कर दी इसलिए यह इतना बड़ा मुद्दा बन गया। अपनी सभाओं में पीएम मोदी ने लोगों से कहा कि वो घर घर जाएं और उनके संदेश को फैलाएं: ईवीएम का बटन दबाते हुए हुए ‘बजरंगबली की जय’ का नारा लगाएं और कांग्रेस को सबक सिखाएं। कर्नाटक में टक्कर कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही है। यह सही है कि कुछ दिन पहले तक कर्नाटक में कांग्रेस की स्थिति मजबूत थी। लेकिन पिछले चार दिनों में नरेन्द्र मोदी के धुंआधार प्रचार से हवा बदली है। बीजेपी को अहसास है कि कर्नाटक में मोदी ही नैया पार लगा सकते हैं इसलिए अब मोदी के प्रचार का दायरा बढ़ा दिया गया है। नरेंद्र मोदी बुधवार तक कर्नाटक में 12 जनसभाएं और तीन रोड शो कर चुके हैं। शनिवार (6 मई) को मोदी 37 किलोमीटर का रोड शो भी करेंगे। यह मोदी का अब तक सबसे लंबा रोड शो होगा। इसमें मोदी 17 विधानसभा सीटों को कवर करेंगे। सात मई को कर्नाटक में मोदी चार जनसभाओं को संबोधित करेंगे। बीजेपी के नेताओं को पूरा यकीन है कि मोदी का प्रचार गेम चेंजर साबित होगा।

यूपी निकाय चुनाव में कड़ी मेहनत कर रहे हैं योगी

उत्तर प्रदेश के 37 जिलों में स्थानीय निकायों के लिए पहले चरण का मतदान गुरुवार को हुआ, जबकि दूसरे चरण का मतदान 11 मई को होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगभग सभी जिलों को कवर करते हुए प्रचार में जुटे हुए हैं। बुधवार को उन्होंने मऊ, आजमगढ़, बलिया और संत कबीर नगर में रैलियों को संबोधित किया और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती दोनों पर हमला बोला। उन्होंने मतदाताओं को याद दिलाया कि कैसे सपा और बसपा के शासन में माफिया सरगनाओं और गैंगस्टरों का राज था, लेकिन अब उनमें से ज्यादातर सलाखों के पीछे हैं । वहीं अखिलेश यादव मतदाताओं के सामने स्थानीय मुद्दों को उठा रहे हैं । अखिलेश यादव ने ट्विटर पर लिखा कि बीजेपी के नेताओं के हैलीकॉप्टर पूरे प्रदेश में घूम रहे हैं । सारे नेता प्रचार कर रहे हैं । यह बीजेपी का डर है । लेकिन सच्चाई यह है कि यूपी की शहरी स्थानीय निकाय में पहले से बीजेपी का कब्जा है । पिछले चुनाव में 16 नगर निगमों में से बीजेपी ने 14 में जीत दर्ज की थी । दो जगह बीएसपी के मेयर बने थे और समाजवादी पार्टी का खाता भी नहीं खुला था। इसके बाद भी योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ बीजेपी के सभी नेता जबरदस्त मेहनत कर रहे हैं। सीएम योगी अब तक 28 जनसभाएं कर चुके हैं । दूसरी तरफ, अखिलेश यादव ने प्रचार के नाम पर लखनऊ मेट्रो में सफर किया । वे गोरखपुर, सहारनपुर और कन्नौज गए में सभाओं को संबोधित किया। मायावती तो इस बार बाहर ही नहीं निकलीं। इसलिए लगता है कि योगी की मेहनत का असर 13 मई को शहरी निकायों के नतीजों में दिखाई देगा।

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CONGRESS CAUGHT IN A BIND OVER BAJRANG DAL

AKBThe Congress seems to be caught in a bind over its promise to ban Bajrang Dal in Karnataka. With Prime Minister Narendra Modi chanting ‘Bajrangbali ki Jai’ slogan at his rallies and asking Kannadiga voters to chant the same while casting their vote, the tone and tenor of election campaign has completely changed. Former Karnataka CM and senior Congress leader M. Veerappa Moily on Thursday clarified that there was no proposal to ban Bajrang Dal, simply because the state government does not have the power to ban radical outfits. On the other hand, Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel said, Bajrang Dal must be banned. It is true that there is no connection between Bajrangbali (Hanuman) and Bajrang Dal, but BJP has given the Congress promise a twist. Congress made the mistake in naming Bajrang Dal as a radical outfit. It is not a terror outfit which indulges in anti-national activities. For those who do not know, Bajrang Dal was set up in 1984 at the Vishwa Hindu Parishad’s Dharma Sansad, when the Ramjanmabhoomi movement was launched. At that time, ‘Ram Janaki rath’ yatras were taken out by VHP, and when incidents of stoning took place, and the state governments refused to provide security, VHP formed its own groups of young men to provide security to Ram devotees. The group was named Bajrang Dal because Bajrangbali (Hanuman) is considered the foremost devotee and warrior of Lord Ram. The Bajrang Dal thus came into existence. It was set up for protection of Hindus and Ram devotees. It cannot be termed a terror outfit. Since Congress clubbed Bajrang Dal with Islamic radical outfit PFI, it became a big issue. At his public meetings, PM Modi told the audience to go home and spread his message: to chant ‘Bajrangbali ki Jai’ while pushing the EVM button and teach Congress a lesson. Karnataka is heading towards a straight contest between Congress and BJP. It is true that Congress was in a strong position till a few days ago, but Narendra Modi changed the narrative in the last four days. BJP leaders feel, Modi can help the party win the elections. Modi has extended his campaign in Karnataka. Till Wednesday, he has addressed 12 public meetings and took out three road shows. On Saturday (May 6) , Modi will lead a 37 kilometre long road show, the largest so far, in the city of Bengaluru, covering 17 assembly seats. On Sunday, he will address four rallies. BJP leaders are confident that Modi could prove to be a game changer this time.

YOGI TOILING HARD IN UP ELECTIONS

The first phase of polling for local urban bodies took place in 37 districts of Uttar Pradesh on Thursday, while the second phase will take place on May 11. Chief Minister Yogi Adityanath is in the thick of campaigning, covering almost all the districts. On Wednesday he addressed rallies in Mau, Azamgarh, Ballia and Sant Kabir Nagar, and attacked both Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav and BSP supremo Mayawati. He reminded voters how mafia dons and gangsters used to rule during SP and BSP rule, but now most of them were behind bars. On his part, Akhilesh Yadav is raising local issues facing voters. On Twitter, Akhilesh wrote how BJP leaders were travelling across the state in helicopters, because the party fears defeat. The fact is completely different. In the last urban local bodies elections, BJP won 14 out of 16 municipal corporations, while BSP won two. SP could not open its account. Despite BJP’s firm footing, Yogi, along with other BJP leaders, is toiling hard. He has addressed 28 public meetings till now. On the other hand, Akhilesh Yadav travelled in Lucknow Metro, and addressed meetings in Gorakhpur, Saharanpur and Kannauj. Mayawati did not address a single meeting. The indications are quite clear. Yogi’s toil is going to bear fruits when the votes will be counted on May 13.

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पवार : सस्पेंस जारी

AKBराष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के संस्थापक शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे का ऐलान करके सबको चौंका दिया है । पवार ने कुछ दिन पहले कहा था कि तवे पर रोटी पलटने का वक्त आ गया है लेकिन मंगलवार उन्होंने तवा ही उलट दिया। पवार के बयान के बाद महाराष्ट्र की सियासत में हलचल पैदा हो गई। पार्टी के सीनियर नेताओं और कार्यकर्ताओं ने रोते हुए उनसे इस्तीफा न देने की गुहार लगाई। सैकड़ों कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए । बुधवार को एक बार फिर पार्टी के बड़े नेताओं ने शरद पवार से मुलाकात की और उनसे इस्तीफा वापस लेने की अपील की। शरद पवार ने अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए 2-3 दिन का समय मांगा है। शरद पवार इस वक्त देश के सबसे उम्रदराज सक्रिय नेता हैं। पवार 82 साल के हैं लेकिन इस उम्र में भी उनकी सक्रियता और राजनैतिक कौशल कमाल का है। उनके सियासी दांव-पेंचों का लोहा सब मानते हैं। शरद पवार 60 साल से सक्रिय राजनीति में हैं। सबसे कम उम्र में महाराष्ट्र की सियासत में उन्होंने ‘रोटी’ पलटी थी और 1978 में सिर्फ 37 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बन गए थे। मैं 1978 से ही शरद पवार की राजनीति को करीब से देख रहा हूं। पवार साहब की खासियत यह है कि वो दाएं हाथ से जो करते हैं उसकी खबर बाएं हाथ को नहीं लगने देते। और वो जब कोई बात कहते हैं तो उससे पहले आगे के चार कदम प्लान कर चुके होते हैं। इसलिए पवार ने मंगलवार जो कदम उठाया उससे इस बात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि उनकी स्कीम में आगे क्या है। लेकिन आज की परिस्थितियों में तीन बातें साफ हैं। पहली बात, बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य के कारण पवार रोजमर्रा की दौड़भाग की जिंदगी से आराम चाहते हैं। दूसरी बात, पवार समझते हैं कि उनके भतीजे अजित पवार ज्यादा इंतजार नहीं करना चाहते। अजित पवार अपने चाचा शरद पवार के रिटायरमेंट के लिए उतावले हैं। अजित पवार को लगता है कि वो पने चाचा के स्वाभाविक उत्तराधिकारी हैं और उनकी जगह गर कोई और आया भी, तो यह एक अस्थाई व्यवस्था होगी। तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात, महाराष्ट्र की राजनीति में अजित पवार के समीकरण उन समीकरणों से बिल्कुल अलग हैं, जो शरद पवार ने बनाए हैं। अगर पार्टी की कमान अजित पवार के हाथ में आती है तो महाराष्ट्र की राजनीति की पूरी तस्वीर बदल जाएगी। इसलिए राजनीति पर नजर रखनेवालों को अभी कुछ दिन इंतजार करना होगा। तेल और तेल की धार दोनों देखनी होगी।

मोदी का बजरंगबली स्ट्रोक

कर्नाटक में आठ दिन के बाद विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होगी। चुनाव प्रचार पूरे शबाब पर है। कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी होने के कुछ ही मिनट बाद मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभियान का नैरेटिव बदल दिया। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ऐलान कर दिया कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो मुसलमानों का आरक्षण बहाल होगा, गोहत्या पर बना कानून वापस लिया जाएगा और नफरत फैलाने वाले संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। यहां तक तो ठीक था। लेकिन कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में नफरत फैलाने वालों संगठनों के नामों में पीएफआई के साथ-साथ बजरंग दल का भी नाम डाल दिया। बस इसी बात को मोदी ने पकड़ लिया और इसे ऐसा मोड़ दिया कि शाम होते-होते कांग्रेस के नेता हनुमान चालीसा लेकर घूमते दिखाई दिए। कांग्रेस के नेताओं को लोगों यह समझाने के लिए मजबूर होना पड़ा कि वे बजरंगबली के विरोधी नहीं हैं। पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस को पहले प्रभु राम से दिक्कत थी और अब कांग्रेस को बजरंग बली का नाम लेने वालों से नफरत हो गई है, बजरंग बली की जय बोलने वालों पर पांबदी लगाने की बात कर रही है। इसके जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने अपनी जेब से हनुमान चालीसा निकाला और कहा कि वो भी हनुमान भक्त हैं। उन्होंने कहा कि बजरंग दल जैसे संगठन को बजरंग बली से तुलना करके मोदी ने हनुमान भक्तों की आस्था का अपमान किया है। कांग्रेस के रक्षात्मक होने पर बीजेपी नेताओं ने दबाव बनाया और कांग्रेस को मुस्लिम समर्थक और हिंदू विरोधी करार दिया। बुधवार को मोदी ने अपनी रैलियों में ‘बजरंगबली की जय’ का नारा लगाया। वहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने अपनी सभाओं में बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि उसे असली मुद्दों पर चुनाव लड़ना चाहिए। एक बात कहनी पड़ेगी कि राहुल गांधी से बेहतर वक्ता प्रियंका गांधी हैं। कम से कम प्रियंका मुद्दे तो उठाती हैं। उनके भाषणों में कुछ तो नया होता है। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी समस्या यही है कि राहुल गांधी उसके सबसे बड़े प्रचारक हैं और उनका मुकाबला नरेन्द्र मोदी जैसे चतुर और वाकपटु नेता से है। दूसरी बात यह है कि बीजेपी की रणनीति बिल्कुल स्पष्ट है लेकिन कांग्रेस असमंजस की स्थिति में है। कांग्रेस मुस्लिम मतदाताओं को नाराज नहीं करना चाहती और खुद को हिन्दुओं की हितैषी भी दिखाना चाहती है। इसी चक्कर में उसने पीएफआई की तुलना बजरंग दल से कर दी। बजरंग दल पर पाबंदी की बात मोदी ने पकड़ ली और अब कांग्रेस के नेता अगले आठ दिन तक सफाई देते घूमेंगे।

बृजभूषण शरण के नखरे

पहलवानों के आरोपों से घिरे भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का असली चेहरा जनता के सामने आ गया। मंगलवार को वह इंडिया टीवी पर एक लाइव बहस के दौरान भड़क गए और बीच में इंटरव्यू छोड़कर चले गए। हमारे एंकर सौरव शर्मा ने बृजभूषण के सामने उस हलफनामे को रखा जिसमें एक नाबालिग महिला पहलवान ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था । इंटरव्यू के दौरान बृजभूषण शरण सिंह ने आरोप लगाने वाली महिला पहलवानों के नाम भी ले लिए । इंडिया टीवी के पास महिला पहलवान के हलफनामे की कॉपी थी जिसमें बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न के इल्जाम लगाए गए थे। जब सौरव शर्मा ने हलफनामे का हवाला दिया तो बृजभूषण उखड़ गए। सौरव शर्मा ने उन्हें बताया कि एक महिला पहलवान ने जांच कमेटी को बताया है कि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ने उन्हें अपने दफ़्तर में बुलाकर ग़लत तरीक़े से उनके शरीर को छुआ, ज़बरदस्ती गले लगाने की कोशिश की। इसपर उनका रिएक्शन मांगा गया, तो वो नाराज़ हो गए। इंडिया टीवी पर बृजभूषण शरण सिंह का लाइव टेलीकास्ट जंतर मंतर पर धरने पर बैठे पहलवान भी देख रहे थे। उन्होंने बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि बृजभूषण शरण सिंह की यही असलियत है। यही उनका असली चेहरा है। विनेश फोगाट ने कहा, ‘सोचिए जब बृजभूषण शरण सिंह नेशनल मीडिया के साथ ऐसा कर सकते हैं तो फिर बंद कमरे में खिलाड़ियों से कैसा सलूक करते होंगे’। मैंने बृजभूषण शरण सिंह से सौरव शर्मा की बातचीत देखी। सौरव एक अच्छे प्रोफेशनल एंकर की तरह सवाल पूछ रहे थे। उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं कही कि नेताजी को इंटरव्यू बीच में छोड़कर भागना पड़े। नेताजी अपनी सफाई में जांच रिपोर्ट का हवाला दे रहे थे। जब सौरव ने रिपोर्ट का वो हिस्सा पढ़कर सुनाया, जहां एक लड़की ने बृजभूषण शरण सिंह पर सीधे-सीधे यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था तो नेताजी बिफर गए और डरकर भाग गए। मैं कहना चाहता हूं कि जो लोग सार्वजनिक जीवन में होते हैं उन्हें बर्दाश्त करना पड़ता है। जो लोग चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं उन्हें जनता के प्रति उत्तरदायी होना पड़ता है। मीडिया के सवालों के जवाब देने पर जिस तरह का ड्रामा बृजभूषण शरण सिंह ने किया जिस तरह के नखरे उन्होंने दिखाए वो उनकी कमजोरी को दर्शाते हैं। माइक उतारना, देख लेने की धमकी देना, ऐसा तो वो लोग करते हैं जिन्हें एक्सपोज होने का डर होता है। हमलोग ऐसी धमकियों से ना कभी डरे हैं और ना डरेंगे। मैं तो बृजभूषण शरण सिंह को आमंत्रित करता हूं कि वो ‘आप की अदालत’ में आएं, देश के चैंपियन पहलवानों का सामना करें और सवालों के जवाब दें ताकि जनता के सामने दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।

गंभीर बनाम कोहली

लखनऊ में आईपीएल मैच के बाद हार से बौखलाए गौतम गंभीर ने एक बार फिर विराट कोहली पर अपनी खीझ निकालने की कोशिश की। दोनों के बीच जमकर बहस हुई। मामला इतना बढ़ गया कि बीच-बचाव की नौबत आ गई। इस घटना ने सभी क्रिकेट प्रेमियों को झकझोर कर रख दिया है। गंभीर लखनऊ सुपर जायंट्स के मेंटर हैं और विराट कोहली रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के स्टार बल्लेबाज हैं। लखनऊ के इकाना स्टेडियम में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और लखनऊ सुपरजायंट्स के बीच मैच चल रहा था। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने मैच 18 रन से जीत लिया। गौतम गंभीर लखनऊ सुपरजायंट्स के प्रदर्शन से निराश थे और इसका गुस्सा उन्होंने विराट कोहली पर उतारने की कोशिश की। एक बात तो साफ है कि गौतम गंभीर विराट कोहली की लोकप्रियता और उनकी सफलता से जलते हैं। दोनों दिल्ली के बड़े प्लेयर हैं। गौतम गंभीर इस बात को कभी पचा नहीं पाए कि विराट उनके मुकाबले बहुत बड़े प्लेयर बन गए। जब विराट कोहली आउट ऑफ फॉर्म चल रहे थे और उनके बल्ले से रन नहीं बन रहे थे तब गौतम गंभीर ने विराट कोहली को राइट ऑफ कर दिया था। गंभीर कोहली का मजाक उड़ाते थे। विराट कोहली ने अपने बल्ले से ऐसा करारा जवाब दिया कि गौतम गंभीर को मिर्ची लगने लगी। दिल्ली से चुनाव लड़कर और सांसद बनने के बाद गौतम गंभीर का अहंकार और भी बढ़ गया। विराट की लोकप्रियता गंभीर को कितना परेशान करती है यह मंगलवार को ग्राउंड में साफ-साफ नजर आया। विराट कोहली ऐसे प्लेयर हैं जो हमेशा एग्रेसिव रहते हैं। वो किसी तरह की नॉन-सेंस को बर्दाश्त नहीं करते इसीलिए उन्होंने गौतम गंभीर को बराबर का जवाब दिया। कोहली गंभीर को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि हुआ क्या है, लेकिन गंभीर सुनने को तैयार नहीं थे। लेकिन कुल मिलाकर गौतम गंभीर ने जो किया वह खेल भावना के खिलाफ था। ऐसी घटनाओं से क्रिकेट का नुकसान होता है।

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PAWAR: TO BE OR NOT TO BE

AKBNationalist Congress Party supremo Sharad Pawar dropped a bombshell on Tuesday when he announced his intention to resign from party chief post. Senior party leaders and workers wept and implored their party chief not to resign. On Wednesday, top party leaders again met Pawar and appealed to him to withdraw his resignation. The party supremo has sought 2-3 days’ time to rethink. Sharad Pawar is one of the seniormost political leaders in India. Even at the age of 82, he is quite agile, and his political skills are marvellous. Politicians from all parties acknowledge his strategic skills. Pawar has been in active politics for nearly 60 years. He first turned the political ‘roti’ (bread) in Maharashtra at a very young age and in 1978, he became the youngest chief minister, at the age of 37. I have been closely observing Pawar’s deft political moves since 1978. His unique ability is not to allow his right hand to know what his left hand is doing. And when Pawar makes a comment, he ensures that the next four steps are planned in advance. The political implications of what Pawar did on Tuesday cannot be gauged immediately. Nobody knows what his future plan is. Three points are clear from Tuesday’s development: First, due to age and health related issues, Pawar wants rest from the hurly-burly world of politics. Second, he has realized that his nephew Ajit Pawar is unwilling to wait anymore. Ajit Pawar is impatient to see that his uncle retires soon, because he feels he is his natural successor. Any person who replaces his uncle will only be a temporary arrangement. Third, and this is the most important one: Ajit Pawar’s equations in Maharashtra politics are completely different from the equations set by his uncle. If the baton goes into the hands of Ajit Pawar, the entire political scene in Maharashtra will undergo a fundamental change. For political watchers, it will be better to wait and watch which way the wind is moving.

MODI’S BAJRANGBALI STROKE

Karnataka will be going to polls eight days from now, and politicians of all hues have joined the campaign. On Tuesday, Prime Minister Narendra Modi changed the campaign narrative, minutes after the Congress manifesto was released. Congress has promised to restore reservation for Muslims, withdraw the law banning cow slaughter, and enforce a ban on outfits spreading hate. Names of Bajrang Dal and PFI were mentioned in the manifesto. Modi picked this up, and gave it a twist, forcing Congress leaders to explain that they were not opposed to Bajrangbali (Lord Hanuman). Modi mentioned how Congress put locks on Ramjanmabhoomi temple in Ayodhya and now it plans to lock up Lord Hanuman. In response, Congress spokesperson Pawan Khera recited Hanuman Chalisa at his press briefing. With Congress on the defensive, BJP leaders piled up the pressure and branded Congress as pro-Muslim and anti-Hindu. On Wednesday, Modi chanted the slogan ‘Bajrangbali Ki Jai’ at his rallies. On the other hand, Congress leader Priyanka Gandhi, at her meetings, countered saying, BJP should fight the elections on real issues. Watching Priyanka speak, I can say that she is a better orator than her brother Rahul Gandhi. At least Priyanka raises issues, and in each of her speeches, there is something new. The biggest problem facing Congress is that Rahul Gandhi is their top campaigner who is facing a stiff challenge from Modi. The PM is better in oratory and knows where and how to strike. Secondly, BJP’s strategy is clear, while Congress is in a state of confusion. Congress does not want to alienate Muslim voters and at the same time, it wants to project itself as a well-wisher of Hindus too. It was because of this that the party equated Bajrang Dal with PFI. With Modi raising the Bajrangbali issue, Congress leaders are now busy finding ways to counter his attacks.

WFI CHIEF’S TANTRUMS

Embattled Wrestling Federation of India chief Brij Bhushan Sharan Singh flared up on Tuesday during a live debate on India TV, when he was confronted by our anchor Sourav Sharma, with an affidavit that mentioned allegation of sexual harassment made by a female wrestler. During the interview, Singh even named the female wrestlers who have made allegations, but when Sourav started reading from one of the affidavits, Singh abruptly ended the interview. Sourav Sharma was quoting from the affidavit in which it was alleged that an adolescent female wrestler told an inquiry committee that Brij Bhushan Sharan Singh called her to his office and tried to inappropriately touch her. Wrestlers sitting on dharna at Jantar Mantar were watching the India TV debate live and they later said this was the real face of WFI chief. Wrestler Vinesh Phogat said, ‘if Singh can do this on national media, think about what he might have done with athletes inside closed room’. I have watched the entire TV interview. Sourav Sharma was asking questions like a professional anchor, and he did not say anything which could have forced Singh to leave the interview abruptly. While Singh was quoting from inquiry committee report in his defence, Sourav started reading from the affidavit given before the committee in which the victim clearly alleged sexual assault on part of Brij Bhushan Sharan Singh. This got the goat of WFI chief and he abruptly stopped the interview. I would like to say: those in public life must have the patience to listen to allegations. Elected representatives must be accountable to the people. The tantrums that Singh displayed while replying to media’s questions, shows his weakness. Those who fear that they may be exposed, indulge in such tantrums by taking off the mike and threatening the media. I want to make it quite clear, we in India TV have never feared, nor will ever fear in the face of such threats. I give an open invitation to Brij Bhushan Sharan Singh to come as my guest in ‘Aap Ki Adalat’ show and face India’s champion wrestlers, so that people at large can know who is speaking the truth.

GAMBHIR VERSUS KOHLI

The fracas between Gautam Gambhir and Virat Kohli after the IPL match in Lucknow, shown live on television, has shocked all cricket lovers. Gambhir is the mentor of Lucknow Super Giants and Virat Kohli is the star batsman of Royal Challengers Bangalore. Soon after LSG lost to RCB by 18 runs, Gambhir displayed temper tantrums in front of Kohli, and the two had to be separated. One thing is clear: Gambhir envies Virat Kohli’s huge popularity and success. Both are top players from Delhi, but Gambhir could never accept the fact that Kohli has left him far behind in the performance stakes. Kohli was out of form recently, and Gambhir started writing him off. He used to make fun of Kohli. The latter replied with his bat during IPL and Gambhir could not stomach this. After being elected as a Member of Parliament from Delhi, Gambhir became more arrogant. What happened on Monday night at the Lucknow stadium clearly showed that Gambhir was unwilling to accept Virat’s popularity. Virat Kohli is a cricketer who has always been aggressive. He never tolerates any nonsense. But this time he was trying to explain to Gambhir as to what happened. But Gambhir was not willing to listen. Overall, what Gambhir did was against sportsman spirit. Such incidents are not good for cricket.

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मोदी को गाली देना कांग्रेस को महंगा पड़ सकता है

akbप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दी गई गालियों की लिस्ट में एक गाली और जुड़ गई। सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के विधायक बेटे प्रियांक खरगे ने पीएम मोदी को ‘नालायक बेटा’ कहा । इसके तुरंत बाद बीजेपी नेताओं ने प्रियांक खरगे के इस बयान पर नाराजगी जताते हुए पलटवार करना शुरू कर दिया। इस समय पूरे कर्नाटक में पार्टी का प्रचार कर रहे प्रियंका और राहुल गांधी भी जानते हैं कि अगर कांग्रेस के नेता नरेंद्र मोदी को गालियां देते हैं तो यह पार्टी को कितना महंगा पड़ता है। पिछले कई चुनावों में कांग्रेस को मोदी को गालियां देने की क़ीमत चुकानी पड़ी है। दो दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नरेंद्र मोदी को ‘ज़हरीला सांप’ बताते हुए उन पर तंज कसा था । इसके जवाब में नरेंद्र मोदी ने एक रैली में कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने उन्हें अब तक 91 गालियां दी हैं । उन्होंने कर्नाटक के लोगों से चुनावों में गाली देने वालों को सबक सिखाने की अपील की थी । मोदी की प्रतिक्रिया के बाद कांग्रेस के नेता डिफेंसिव मोड में आ गए । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने बयान को वापस ले लिया। वहीं, खरगे ने सोमवार को कहा कि उनके बेटे ने नरेंद्र मोदी को गाली नहीं दी । उन्होंने दावा किया कि उनका बेटा बंजारा समुदाय से जुड़े एक स्थानीय नेता के बारे में कह रहा था । उधर, प्रियंका और राहुल इस मामले को ज़्यादा तूल नहीं देना चाहते । कांग्रेस की कोशिश है कि कर्नाटक के चुनाव को स्थानीय मुद्दों और स्थानीय नेताओं के नाम पर लड़ा जाए । इसलिए राहुल और प्रियंका बार-बार कर्नाटक की जनता और कर्नाटक के मुद्दों की बात करते हैं । क्योंकि उनके पास, मोदी को देने के लिए जवाब नहीं है । वो जानते हैं कि अगर चुनाव मोदी के नाम पर लड़ा गया, तो मुसीबत हो जाएगी।

कर्नाटक में वोटरों को रिझाने में जुटी भाजपा

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को कर्नाटक में पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया। इस घोषणा पत्र के दो बड़े वादे पार्टी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकते हैं । बीजेपी ने वादा किया है कि अगर कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बनी तो समान नागरिक संहिता और एनआरसी लागू होगी । इसके अलावा गरीब परिवारों को कई चीजें मुफ्त दी जाएंगी। जैसे, गरीब परिवारों को साल में 3 मुफ्त गैस सिलेंडर, हर गरीब परिवार को रोज आधा लीटर नंदिनी दूध , गरीब परिवारों को हर महीने पांच किलो चावल और मोटा अनाज । इस बार कर्नाटक में बीजेपी सारे दांव आजमा रही है । पार्टी ने यहां प्रचार करने के लिए 135 नेताओं की फौज उतारी है। इन नेताओं में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्व शर्मा, मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान से लेकर कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। यहां योगी की काफी डिमांड है। वह किसी दिन यूपी के स्थानीय निकाय चुनाव में प्रचार करते नजर आते हैं तो अगले दिन कर्नाटक चुनाव के लिए प्रचार कर रहे होते हैं । पीएम मोदी भी कर्नाटक का तूफानी दौरा कर रहे हैं । बीजेपी नेताओं को पूरा यकीन है कि मोदी हवा के रुख को उनके पक्ष में मोड़ देंगे । कांग्रेस के नेता भी प्रचार में मेहनत कर रहे हैं । लेकिन, कांग्रेस और बीजेपी के प्रचार में एक बड़ा फर्क है । इस बार बीजेपी का फोकस उन 65 सीटों पर है जो वह कभी नहीं जीती, जबकि कांग्रेस उन सीटों पर ताकत लगा रही है जहां वह मजबूत स्थिति में है।

यूपी निकाय चुनाव में अखिलेश का काफी कुछ दांव पर

उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए 4 और 11 मई को मतदान होगा । मतदाता मेयर और पार्षदों का चुनाव करेंगे । इस चुनाव की मतगणना 13 मई को होगी। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को मुरादाबाद, प्रतापगढ़, वाराणसी और गोरखपुर में प्रचार किया । मंगलवार को उन्होंने प्रयागराज में चुनाव प्रचार किया । योगी अपने भाषणों में ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार की बात करते हैं और अखिलेश यादव, मायावती और कांग्रेस पर निशाना साधते हैं । योगी ने कहा कि पहले की सरकारों में यूपी में नौजवानों को तमंचे पकड़ाए जाते थे, गुंडागर्दी होती थी और रंगदारी मांगी जाती थी, लड़कियों का घर से निकलना मुश्किल था लेकिन अब वक्त बदल चुका है । योगी ने कहा कि उनकी सरकार में कोई गुंडा, माफिया या अपराधी सिर उठाने की हिम्मत नहीं कर सकता । समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भी चुनाव प्रचार कर रहे हैं । उन्होंने सोमवार को लखनऊ मेट्रो में सफर किया और यह दावा किया कि उन्हीं के शासन के दौरान इस मेट्रो का निर्माण हुआ था । यूपी के स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी, समाजवादी पार्टी और बीएसपी के अलावा चौथे खिलाड़ी हैं, एआईएमआईएम प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी । ओवैसी अपनी सभाओं में योगी के बुलडोजर और अपराधियों के एनकाउंटर को मुद्दा बना रहे हैं । निकाय चुनाव के नतीजे साफ तौर पर पूरे यूपी में शहरी मतदाताओं की पसंद का संकेत देंगे । योगी ने प्रयागराज के उस इलाके में एक रैली को संबोधित किया जहां माफिया डॉन अतीक अहमद द्वारा कब्जा की गई जमीन को छुड़ाने के बाद गरीबों के लिए घर बनाए गए हैं । योगी अतीक और मुख्तार को प्रतीक के तौर पर पेश कर रहे हैं । वह यूपी के लोगों को बता रहे हैं कि जो भी गड़बड़ी करेगा, उसका वही हाल होगा जो अतीक और मुख्तार का हुआ । योगी इसे अपराध और अपराधियों के खिलाफ सरकार की जीरो टालरेंस पॉलिसी के रूप में पेश कर रहे हैं । स्थानीय निकाय चुनाव में ओवैसी के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन अखिलेश यादव का बहुत कुछ दांव पर लगा है, क्योंकि अगर शहरी मतदाता समाजवादी पार्टी से दूरी बना लेते हैं तो इससे उनकी अगले साल होनेवाले लोकसभा चुनाव की रणनीति प्रभावित होगी।

पहलवानों के मुद्दे से फायदा उठाने की कोशिश में नेता

दिल्ली के जंतर मंतर पर महिला पहलवानों का धरना मंगलवार को दसवें दिन भी जारी रहा। दिल्ली पुलिस ने जहां भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की है वहीं पहलवानों की मांग है कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए और कुश्ती महासंघ अध्यक्ष पद से हटा दिया जाए । सोमवार को कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू और नेशनल कांफ्रेंस के नेता डॉ. फारूक अब्दुल्ला पहलवानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए जंतर-मंतर पर पहुंचे थे । वहीं दूसरी ओर बृजभूषण शरण सिंह यूपी के गोंडा में स्थानीय निकाय चुनाव के प्रचार में व्यस्त हैं । बृजभूषण ने आरोप लगाया कि पहलवानों के धरने के पीछे वही लोग हैं, जो शाहीन बाग में धरने पर बैठे थे और जो लोग किसान आंदोलन के पीछे थे। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी कहेगी तो इस्तीफा देने में एक मिनट भी नहीं लगाएंगे, लेकिन खिलाड़ियों की मांग पर इस्तीफा देने का सवाल ही नहीं है । दोनों खेमे अब अड़े हुए हैं । दोनों तरफ बराबर की आग है। बृजभूषण शरण सिंह चाहे जितनी भी सफ़ाई दें, लेकिन उनकी पृष्ठभूमि आड़े आती है। उनका ये तर्क सही हो सकता है कि कुछ गिने-चुने पहलवान उन पर इल्ज़ाम लगा रहे हैं और ज़्यादातर पहलवान उनके साथ हैं । लेकिन, बृजभूषण के ख़िलाफ़ पहले से इतने सारे मामले हैं कि उनकी विश्वसनीयत बहुत कम हो गई है। वहीं धरने पर बैठी महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं । उनकी यह बात भी सही लगती है कि पहलवानों की शिकायतों पर खेल मंत्रालय ने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया । जब से पहलवानों के धरने में राजनीतिक नेता शामिल होने लगे हैं तब से पहलवानों का केस कमज़ोर हुआ है । साफ़ दिखाई दे रहा है कि चाहे केजरीवाल हों, नवजोत सिंह सिद्धू या प्रियंका गांधी, सभी राजनीतिक दल इसका फ़ायदा उठाने के चक्कर में हैं।

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HURLING ABUSES AT MODI CAN COST CONGRESS DEARLY

rajat-sirOn Monday, Congress President Mallikarjun Kharge’s legislator son Priyank Kharge labelled Prime Minister Narendra Modi as a ‘nalayak beta’ (worthless son). This immediately drew ire from BJP leaders. Both Priyanka and Rahul Gandhi, presently campaigning for their party across Karnataka, know how costly it could be for the Congress if party leaders start hurling abuses at Modi. In several elections in the past, Congress had to pay the price for hurling abuses at Modi. Two days ago, Congress President Mallikarjun Kharge had hurled a barb at Modi describing him as “a venomous snake”. In reply, Modi, at a rally, mentioned that “till now, Congress leaders have hurled 91 abuses at him and the people of Karnataka must teach Congress a lesson”. Soon after Modi’s reaction, Congress leaders went on the defensive and Mallikarjun Kharge retracted his remark. On Monday too, Kharge clarified that his son did not abuse Modi. He claimed, his son was referring to a local leader belonging to Banjara community. Both Priyanka and Rahul Gandhi do not want to make an issue out of this. Congress wants to fight Karnataka elections on local issues, projecting local leaders before the people. Both the siblings have been raising local issues at their public meetings, because they know they do not have a reply to Modi. The siblings know that if the elections are fought in the name of Modi, Congress may face problems at the time of polling.

BJP GOES ALL-OUT TO WOO VOTERS IN KARNATAKA

On Monday, BJP president J P Nadda released the party’s election manifesto for Karnataka. Two major promises could become game changers for the party. BJP has promised to implement uniform civil code and NRC (National Register of Citizens) in Karnataka, apart from offering freebies. Three free LPG cylinders will be given to poor families, 5 kg rice and cereals will be given every month to BPL families, and half a litre Nandini milk will be given daily to poor families. This time, BJP has a big stake in Karnataka elections. The party has fielded 135 leaders from across India to campaign among voters. These include UP CM Yogi Adityanath, Home Minister Amit Shah, Defence Minister Rajnath Singh, Assam CM Himanta Biswa Sarma, MP CM Shivraj Singh Chouhan, and several union ministers. Yogi is much in demand. He is presently campaigning for UP local body elections and Karnataka polls on alternate days. Prime Minister Modi is already in the thick of campaigning. BJP leaders are confident that Modi will manage to turn the tide in favour of the party. Congress leaders are also campaigning, but there is a stark difference. BJP is presently focussing on 65 assembly seats, which it never won in the past. Congress is focussing on seats, where it has a strong presence.

AKHILESH HAS MUCH AT STAKE IN UP LOCAL BODY POLLS

Voters in Uttar Pradesh will be electing mayors and councillors in the local body elections slated on May 4 and 11. Counting is on May 13. On Monday, UP CM Yogi Adityanath campaigned in Moradabad, Pratapgarh, Varanasi and Gorakhpur, and on Tuesday he campaigned in Prayagraj. In his speeches, Yogi calls for a ‘triple engine’ government, and targets Akhilesh Yadav, Mayawati and Congress. He mentions how gangsters who used to rule the roost in UP, have now gone underground. Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav is also campaigning. He travelled in Lucknow Metro on Monday and claimed that it was during his rule that the Metro was built. The fourth player, apart from BJP, SP and BSP, is AIMIM chief Asaduddin Owaisi. He is raising the issue of bulldozers and encounters at his public meetings. The local body election results will clearly indicate the preference of urban voters across UP. Yogi addressed a rally in Prayagraj in the same locality, where houses were built for the poor after clearing land grabbed by mafia don Atiq Ahmed. Yogi is projecting both the dons Atiq Ahmed and Mukhtar Ansari against whom his government has launched an all-out attack. In the local body elections, Owaisi has nothing to lose, Akhilesh Yadav has much at stake, because if the urban voters stay away from supporting his party, it will affect his strategy for Lok Sabha elections next year.

LEADERS TRYING TO REAP GAINS FROM WRESTLERS’ ISSUE

The dharna at Delhi’s Jantar Mantar by female wrestlers continued for the tenth day on Tuesday. While Delhi Police has filed two FIRs against Wrestling Federation of India chief Brij Bhushan Sharan Singh, the wrestlers are demanding that he should be arrested and removed from his post. On Monday, Congress leader Navjot Singh Sidhu and National Conference leader Dr Farooq Abdullah went to Jantar Mantar to express solidarity with the wrestlers. On the other hand, Brij Bhushan Sharan Singh is busy campaigning for local body elections in Gonda, UP. Singh alleged that those behind the dharna are the same people who were staging Shaheen Bagh dharna and farmers’ dharna. He said, he would resign if BJP leadership asked him to do so, but he would not bow down to the demands of wrestlers. Both the camps are now adamant. Whatever clarifications Singh may give, his background is not credible. His argument may be correct that only a handful of wrestlers are levelling charges against him, and that most of the other wrestlers are with him, but there are so many cases pending against Singh that his credibility is now at a low. On the other hand, female wrestlers, sitting on dharna, have levelled serious allegations against him. Their argument appears to be correct that the Sports Ministry did not pay much attention to their complaints. One point to note: since the time political leaders started taking part in the dharna, the wrestlers’ case has somewhat weakened. Whether it is Arvind Kejriwal, or Navjot Singh Sidhu or Priyanka Gandhi, most of the political parties are trying to take political advantage.

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