पंजाब में नशे के खिलाफ जंग : पंजाबियों को खुद लड़नी होगी
मंगलवार की शाम मेरे प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने पंजाब के तरन तारन में 18 साल के एक नौजवान की लाश से लिपट कर रोती एक मां की दिल दहला देने वाली तस्वीरें दिखाई । हमने दिखाया, कैसे पिता चिता की परिक्रमा करते वक्त जोर-जोर से रोने लगे, और कैसे एक ग्रन्थी वहां मौजूद सभी लोगों से रोते हुए कह रहा था कि ‘ सरकार और पुलिस के भरोसे न रहें और अपने बच्चों को ड्रग्स के कहर से बचाने के लिए खुद आगे आएं।‘
ग्रन्थी ने कहा, ‘ये मत सोचना कि हमारे बच्चे का संस्कार हो गया, अब अपने घर ये आग नहीं आएगी। अगर आपने अपने बच्चों को नहीं बचाया तो चिता की ये आग हर घर के बच्चों को अपनी चपेट में ले लेगी।’
ग्रन्थी की बात सुनकर मैं भी सन्नाटे में आ गया। आखिर पंजाब के लोगों को क्या हो गया है? ड्रग्स का जाल इतनी तेजी के कैसे फैल रहा है कि अधिकांश परिवार इसकी चपेट में हैं। पंजाब की सरकार इस जहर को फैलने से रोकने में नाकाम क्यों है? जब बच्चे-बच्चे को पता है कि ड्रग्स कहां मिलती है, कौन बेचता है, तो पुलिस ड्रग्स बेचने वालों को क्यों नहीं पकड़ती? पुलिस हर बार मौत पर मातम के वक्त ही क्यों पहुंचती है? ऐसे न जाने कितने सवाल हैं जो ज़ेहन में लगातार घूम रहे हैं।
ड्रग्स से नौजवानों की मौत की बेचैन करने वाली खबरें रोज आती हैं। मंगलवार को ऐसी तीन-तीन खबरें आईं। पंजाब के तरनातारन जिले में दो नौजवानों की ड्रग्स के कारण मौत हो गई। इनमें एक की उम्र 18 साल थी और दूसरा 26 साल का था। अमृतसर में दो सगे भाइयों की जान ड्रग्स ने ले ली। ड्रग्स की वजह से हजारों परिवार बर्बाद हो चुके हैं। नशे के कारण हजारों माता-पिता बेऔलाद हो गए, छोटे-छोटे बच्चे यतीम हो गए, पूरे के पूरे परिवार सड़क पर आ गए, लेकिन ड्रग्स पर लगाम लगाने वाला कोई नहीं।
18 साल के महकदीप की मौत ड्रग्स की ओवरडोज के कारण हुई। अब परिवार वालों के पास रोने के सिवाय कुछ नहीं बचा। पंजाब में जब किसी जवान लड़के की मौत होती है, और अगर उसकी शादी नहीं हुई हो तो माता-पिता अन्तिम संस्कार से पहले अपने बच्चे की सेहराबंदी करते हैं, उसे दुल्हे की तरह सजाते हैं और श्मशान ले जाते हैं। महकदीप की भी सेहराबंदी हुई और जब उसे सेहरा पहनाया गया तो उसके पिता सदमे में चले गए और मां बेसुध हो गई। पिता को अपने बेटे की अर्थी को कांधा देना पड़ा। श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के दौरान उसके पिता बेसुध हो गए।
पंजाब के लोगों के लिए इस तरह का दर्द झेलना आम बात हो गई है। जब महकदीप को मुखाग्नि दी गई, उसी वक्त एक ग्रन्थी जलती हुई चिता के सामने खड़ा हो गया। उसने जो कहा वह ये बताने के लिए काफी है कि पंजाब में ड्रग्स का जहर कितना फैल चुका है। उस ग्रन्थी ने जलती चिता के सामने खड़े होकर श्मशान मौजूद लोगों से कहा, ‘मैंने बच्चों को समझाया है कि वे ड्रग्स न लें, लेकिन बच्चे कहते हैं कि ‘हम फंस गए हैं, अब पीछे नहीं हट सकते।’ आप लोग अब संभल जाइए और अपने बच्चों को समझाइए। उन्हें इस जहर से बचाइए।’
पंजाब में महकदीप जैसे लाखों नौजवान ड्रग्स की लत के शिकार हैं। अब महकदीप के परिवार वाले घर में मातम मना रहे हैं। महकदीप के कजिन रंजोत बीर सिंह ने बताया कि जब परिवार को उसके लापता होने की बात पता चली तो वह कैसे उसे खोजने गए। उन्होंने कहा, ‘महकदीप बेसुध पड़ा था। उसने ड्रग्स ली हुई थी। आसपास नशे के तमाम इंजेक्शन पड़े थे। वहां और भी लड़के थे और सब ड्रग्स के शिकार थे।’ रंजोत बीर सिंह ने कहा, ‘सरकार, पुलिस, प्रशासन सब झूठ बोलते हैं। जो यह कहता है कि पंजाब में नशा नहीं बिकता, वह सबसे बड़ा झूठा है।’
इंडिया टीवी के संवाददाता पुनीत परींजा तरनतारन के खडूर साहिब पहुंचे और महकदीप के परिजनों से मिले। उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से भी बात की। महकदीप की मां मलकीत कौर ने कहा कि उनके बेटे ने कभी ड्रग्स नहीं लिया था।
मलकीत कौर ने कहा, ‘उसे जानबूझकर ड्रग्स की ओवरडोज दी गई थी। मेरे बच्चे को कत्ल किया गया। उसकी अपने दोस्तों से कुछ तू-तू मैं-मैं हुई थी। बस उन्होंने मेरे बेटो के ड्रग की ओवरडोज जबरदस्ती लगा दी। मेरे बच्चे को ऐसी चीजों की बिल्कुल भी आदत नहीं थी। उसने कभी भी एक्सट्रा पैसे नहीं लिए। मैं खुद ग्रैजुएट हूं, पढ़ी-लिखी हूं। दसवीं तक के बच्चों को मैंने पढ़ाया है। मैंने कभी भी अपने बेटे को नशे की हालत में नहीं देखा।’
महकदीप के पिता ने कहा, ‘मैंने 14 अक्टूबर को शाम करीब 4.30 बजे अपने बेटे को फोन किया था। वह मेरी बाइक लेकर गया था और कहा था कि 20-25 मिनट में घर लौट आएगा, लेकिन 4 घंटे बीतने के बाद भी वह नहीं लौटा। जब मैंने अपने बेटे को दोबारा फोन किया तो घंटी बजी, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। उसके बाद मुझे अपने बेटे की मौत की खबर मिली।’
महकदीप की मां ने आरोप लगाया कि उन्होंने पुलिस को उन संदिग्ध लोगों के बारे में बताया था जिन्होंने उनके बेटे को ड्रग की ओवरडोज दी। उन्होंने कहा कि पुलिस उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उनके माता-पिता को थाने बुलाकर उनकी मेहमाननवाजी करती है। उन्होंने कहा, ‘पुलिस अफसर मेरे पति से पूछते हैं कि क्या कार्रवाई की जाए। इसी से आप अंदाजा लगा लीजिए कि मुझे कितना इंसाफ मिला है।’
इंडिया टीवी के रिपोर्टर ने खडूर साहिब के थाना प्रभारी जतिंदर सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘परिवार वालों की शिकायत पर गैर-इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है। जिन 14 लोगों के नाम महकदीप के परिवार वालों ने बताए हैं, उनमें से 6 को गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरफ्तार किए गए लोगों में से 4 तो महकदीप के दोस्त ही हैं।’
सभी जानते हैं कि पुलिस की इस जांच का अंजाम क्या होगा। ड्रग्स का कारोबार जैसा चल रहा है, वैसा ही चलता रहेगा। पंजाब में ड्रग्स की ओवरडोज से यह न पहली मौत है और न आखिरी।
मंगलवार को पंजाब के तरनतारन जिले के एक और गांव में भी ड्रग्स से मौत का केस सामने आया। तरनतारन के मरहाना गांव में 26 साल का नौजवान सिकंदरजीत सिंह भी ड्रग्स का शिकार हो गया। सिकंदरजीत अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। पिता की मौत पहले ही हो चुकी है, परिवार में सिर्फ मां है। सिकंदरजीत परिवार में अकेला कमाने वाला था, लेकिन उसको नशे की लत लग गई। वह ड्रग्स लेने लगा था। दो दिन पहले उसने ड्रग्स की ओवरडोज ले ली और उसकी मौत हो गई। रो-रोकर मां की आंखों के आंसू भी सूख गए। उन्होंने रोते हुए कहा, ‘मेरे बेटे को बुरी संगत खा गई। यह क्या हो गया? मेरा बेटा तो मारा ही गया, अब मैं सरकार से क्या मांग करूं? मैं तो लुट गई।’
अमृतसर शहर के कटरा बघियां मुहल्ले में एक गरीब परिवार के दो भाइयों की जान ड्रग्स ने ले ली। बड़ा भाई हरगुन जेल में बीमार पड़ गया था। उसे गुरु नानक देव अस्पताल के नशामुक्ति केंद्र में भर्ती कराया गया, जहां मंगलवार को उसकी मौत हो गई। जब उसकी लाश उसके घर पहुंची तभी खबर आई कि उसके छोटे भाई की भी ड्रग्स की वजह से मौत हो गई है। दोनों की उम्र 21 और 19 साल थी। सदमे की वजह से उनके बुजुर्ग माता-पिता की हालत खराब है।
पंजाब पुलिस और सरकार लगातार दावा कर रही है कि ड्रग्स के सेवन के खिलाफ उनकी मुहिम जोर पकड़ रही है। अधिकारियों के मुताबिक, पिछले एक हफ्ते में 350 से अधिक ड्रग तस्करों को गिरफ्तार किया गया और करोड़ों रुपये की हेरोइन और अफीम के साथ-साथ लाखों रुपये नकद बरामद किए गए। NDPS ऐक्ट (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances) के तहत गिरफ्तार किए गए लोगों को सख्त से सख्त सजा दिलाने की कोशिश की जा रही है।
जमीनी हकीकत काफी अलग है। पंजाब में ड्रग्स की डोज सिर्फ गली-मुहल्लों में नहीं मिल रही है, यहां की जेलों में भी यह आसानी से मिल जाती है। मंगलवार को ही एक वीडियो सामने आया जिसके बारे में दावा किया गया कि यह अमृतसर की सेंट्रल जेल का है। वीडियो में नजर आ रहा है कि जेल में कुछ कैदी गुट बनाकर बैठे हैं और नशा कर रहे हैं। पंजाब के जेल मंत्री हरजोत बैंस ने इस वीडियो को देखने के बाद ऐक्शन का वादा किया और कहा कि जांच के बाद सख़्त कार्रवाई होगी।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य को नशा मुक्त बनाने का वादा किया था। पंजाब पुलिस के आईजी (हेडक्वॉर्टर) सुखचैन सिंह पुलिस की कार्रवाई की पूरी एक लिस्ट लेकर आ गए। उनके मुताबिक अब तक ड्रग तस्करों के खिलाफ 272 FIR दर्ज की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि कुछ बड़े तस्करों समेत 350 से ज्यादा ड्रग तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। सबसे ज्यादा 29 केस फिरोजपुर जिले में दर्ज हुए हैं जबकि अमृतसर में 21 और होशियारपुर में 19 केस रजिस्टर किए गए हैं। खन्ना, लुधियाना और मोहाली में भी केस दर्ज हुए हैं।
पुलिस ने आंकड़े गिनाकर, FIR दर्ज करके अपना काम पूरा कर लिया। पुलिस को इससे मतलब नहीं है कि ड्रग्स के खिलाफ कैंपेन का असर हो रहा है या नहीं। जमीनी हकीकत क्या है, यह पंजाब के आम लोग बताते हैं। पंजाब के तरनतारन के लोगों ने कहा कि ड्रग्स कहां से आती है, कौन सप्लाई करता है, कौन बेचता है, कौन खरीदता है, पुलिस को सब पता है। ज्यादातर मामलों में पुलिस दिखावे का ऐक्शन करती है।
पुलिस की गाड़ी इलाके में सायरन बजाती हुई आती है। यह सायरन ड्रग्स का धंधा करने वालों के लिए सिग्नल होता है। सायरन की आवाज सुनकर ड्रग्स बेचने वाले इधर-उधर हो जाते हैं, पुलिस घूमकर निकल जाती है। पुलिस के जाते ही ड्रग्स बेचने वाले फिर अपने काम पर लग जाते हैं। लोगों ने इंडिया टीवी के रिपोर्टर से कहा कि भगवंत मान ने बदलाव का वादा किया था लेकिन कुछ नहीं बदला, हालात और खराब हो गए।
पंजाब नशे की गिरफ्त में है यह बताने के लिए न किसी स्टडी की जरूरत है, न किसी रिपोर्ट की। पूरा पंजाब जानता है, पुलिस जानती है, सरकार को मालूम है कि पंजाब का हर सातवां व्यक्ति नशे की चपेट में है। पंजाब का हर परिवार ड्रग्स के जहर से प्रभावित है। अब नशे के इस भयानक रूप के साथ कई और खतरे भी जुड़ गए हैं।
ड्रग्स के अलावा एक बड़ा खतरा HIV का है। ड्रग एडिक्ट इंजेक्शन लेते हैं, नशे की एक सीरिंज का इस्तेमाल कई लोग करते हैं। इसलिए जानलेवा HIV के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। नशे के खौफनाक कारोबार का एक और साइड इफेक्ट यह है कि अब दहशतगर्दों और ड्रग्स तस्करों ने पंजाब के गैंगस्टर्स के साथ कार्टेल बना लिया है। यह देश की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
मंगलवार को NIA ने आतंकवादियों, गैंगस्टरों और ड्रग तस्करों के कार्टेल को ध्वस्त करने के लिए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली NCR में करीब 50 जगह रेड की। पंजाब की मुश्किल यह है कि पाकिस्तान से करीब 550 किलोमीटर का बॉर्डर लगता है। पंजाब में ज्यादातर ड्रग्स पाकिस्तान से आता है। अफगानिस्तान में दुनिया की 90 फीसदी अफीम पैदा होती है। अफगानिस्तान से ये अफीम पाकिस्तान पहुंचती है और वहां से पंजाब में इसकी तस्करी की जाती है। अब तस्कर भारत में ड्रोन के जरिए ड्रग्स पहुंचा रहे हैं।
सुरक्षा एजेंसियां बॉर्डर पार से ड्र्गस की तस्करी को रोकने की पूरी कोशिश कर रही हैं, लेकिन लोकल लेवल पर पुलिस सबसे कमजोर कड़ी है। पंजाब के लोगों का कहना है कि अगर पुलिस ईमानदारी से काम करे तो राज्य के नौजवानों को नशे के कहर से बचाया जा सकता है। यहां मैं आपको उस ग्रन्थी की बात याद दिलाऊंगा जिन्होंने कहा था, ‘पुलिस या सरकार कुछ नहीं करेगी। ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई खुद ही शुरू करनी पड़ेगी।’ नशे के खिलाफ ये जंग पंजाब के हर घर से शुरू होनी चाहिए। पंजाब के भविष्य के लिए ये बहुत जरूरी है।
War against drugs In Punjab: Punjabis will have to fight it themselves
In my prime time show ‘Aaj Ki Baat’ on Tuesday evening, we showed heart rending visuals of a mother weeping near the body of her 18-year-old son in Taran Taran, Punjab, the father breaking into loud sobs while performing the ‘parikrama’ of the funeral pyre, and the Sikh ‘granthi’ weeping and loudly telling all those assembled, not to rely on government and police, and come forward to protect their children from the scourge of narcotics.
“Do not forget these visuals when you leave this cremation ground”, the granthi said, “if you do not protect your children, this fire from the funeral pyre will burn each of your children in every home”.
Emotional words, indeed. What has happened to the people of Punjab? The narcotic dragnet is closing in on most of the families. Why is the state government and police unable to stem this poison from spreading? When even children and teenagers in the streets know where to get drugs, why is the police unable to catch the drug peddlers? Why does the police reach the funeral spot only when someone dies? These are some of the questions that are worrying me.
Every day, we read news about somebody or the other dying of drugs. On Tuesday, there were three such stories. In Taran Taran district, two youths, one aged 18 and the other aged 26 years died due to drugs. In Amritsar, two brothers of a family died due to drugs. The scourge of narcotics has already destroyed thousands of families.
Eighteen-year-old Mehakdeep Singh died due to overdose of drugs. In Punjab, if an unmarried young man dies, his parents take his body to the cremation ground, dressing him up as a bridegroom. When the bridal turban was tied to Mehakdeep’s head, his mother fell unconscious while his father went into a stupor. The father had to put his shoulder to the bier of his dead son. At the cremation ground, while the last rites were going on, the father fell unconscious.
This, in a nutshell, spells out the tragedy of a family in Punjab. The weeping granthi’s clarion call to all families to protect their children from the scourge of drugs, struck a note of sadness in the minds of all those present. The granthi told people at the cremation ground: “I myself persuaded several children and asked them to stop taking drugs. The children said, ‘we are trapped, we cannot retrace our steps’. All of you, please persuade your children and save them from this scourge”.
There are several lakhs teenagers in Punjab, like Mehakdeep, who have fallen prey to drugs. Mehakdeep’s cousin described how he went in search of him, when the family found him missing. “Mehakdeep was lying unconscious. There were several empty ampoules of drug injections lying near him. There were other youths too, all of them had taken drugs”, said Ranjot Beer Singh, Mehakdeep’s cousin. “The government is lying when it says drugs are no more being sold”, he added.
India TV reporter Puneet Parinja met Mehakdeep’s family in Khadoor Sahib of Taran Taran district. He also spoke to senior police officials. Mehakdeep’s mom Malkeet Kaur alleged that her son never used to take drugs.
“He was deliberately given an overdose of drugs. My son was murdered. He had a quarrel with his friends, and they gave him an overdose of drugs. Mehak never took money from me to buy drugs. I am a graduate, and I have taught children till Class Ten. I never found my son in a drugged state”, Malkeet Kaur said.
Mehakdeep’s father said, “I rang up my son at 4.30 pm on October 14. He had taken my bike and had promised to return in 20-25 minutes, but he did not return for nearly four hours. The next time, I rang him up, the phone was ringing, and nobody picked it up. Then I got news of the death of my son.”
Mehakdeep’s mother alleged that she told police about the suspects who gave her son an overdose of drugs, but instead of taking action, police officers called the parents of those suspects to the police station and treated them as honoured guests. “Police officers were asking my husband, what action can they take. This is the justice that we have got”, she added.
India TV reporter spoke to Jatinder Singh, in-charge of Khadoor Sahib police post. He said, “a case of unintentional murder has been registered. Six out of the 14 persons named by Mehakdeep’s family have been arrested. Out of them, four are Mehakdeep’s friends.”
Everybody knows where this police probe will lead to. Drugs trade will continue as usual. This is not the first death in Punjab due to overdose of drugs.
On Tueday, in Marhana village of Taran Taran district, 26-year-old Sikandarjit Singh died due to drugs. He was the sole son of his parents. His father had died earlier, and his mother is alive. Sikandarjit was the lone bread earner in the family. He was a drug addict. Two days ago, he took an overdose of drugs and died. His weeping mother said: “My son got addicted because of his friends. My son is now gone. What can I ask from the government? I have lost everything.”
In Katra Baghian mohalla of Amritsar city, two brothers in a poor family died of drugs. The elder brother Hargun fell ill, while he was in jail. He was admitted to a de-addiction centre in Guru Nanak Dev Hospital, where he died on Tuesday. When his body reached his home, it was found that his younger brother, too, had died due to drugs. Both were aged 21 and 19 years. The elderly parents are in a state of shock.
Punjab police and government have been claiming that their campaign against drug consumption is gaining momentum. According to officials, more than 350 drug peddlers were arrested in last one week, and several crores of rupees worth heroin and opium were seized along with several lakhs of rupees in cash. The drug peddlers have been booked under NDPS (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances) Act.
The ground reality is quite different. Drugs are not only being sold in streets and bylanes, it is being consumed inside jails too. On Tuesday, a video showing jail inmates consuming drugs became viral. It was claimed that drugs were being consumed inside Amritsar Central Jail. Punjab Jail Minister Harjot Bains promised to take action on the basis of the video.
Punjab Chief Minister Bhagwant Mann had promised to make the state drug-free. IG(Headquarters) of Punjab Police Sukhchain Singh trotted a list of actions taken by police. According to him, 272 FIRs have been filed till now against drug peddlers. More than 350 drug peddlers, including some top smugglers, have been arrested, he said. The highest number of cases (29) were filed in Ferozepur district, 21 in Amritsar, and 19 cases in Hoshiarpur district. Cases were also lodged in Khanna, Ludhiana and Mohali, he said.
These statistics have no connect with the ground realities. Common people in Taran Taran, Punjab, told our reporter, police officials know from where drugs come, who supplies and sells them, and who buys them. Most of the action taken is cosmetic in nature.
Police vehicles, with screeching siren calls, reach a locality. This is supposed to be a signal to drug peddlers to go and hide. Policemen make a cursory round of the locality and leave. No sooner than the police leaves, the drug peddlers are back, busy with their trade. Commoners told Indian TV reporter that Chief Minister Bhagwant Mann has failed to fulfil his promise for a drug-free Punjab.
One does not need a voluminous study or report to explain how Punjab is facing the scourge of narcotics. Leaders, police officials and common people know that one out of every seven people in Punjab has become a drug addict.
Along with narcotics, another scourge of HIV has raised its head. This is due to widespread overuse of drug injections. One single syringe is being used by several drug addicts, and cases of HIV are spreading. The number of crimes is also on the rise. Terrorists and drug smugglers in Punjab have formed a cartel with local gangsters. This poses a threat to national security.
On Tuesday, the NIA carried out raids at more than 50 places, against gangsters, drug smugglers and terrorists in Punjab, Haryana, UP, Rajasthan and Delhi NCR. The main problem with Punjab is that it has a 550 km long porous border with Pakistan. Most of the drugs are sent from Pakistan. Afghanistan produces 90 per cent of the world’s opium. From Afghanistan, the drugs make their way to India via Pakistan through Punjab border. Smugglers have started using drones to drop packets of drugs inside Indian territory.
Security agencies are trying their best to stop cross-border drug smuggling, but the local police in Punjab is the weakest link. People in Punjab say, if the police acts sincerely and honestly, the youths of the state can be saved from the scourge of drugs. Here, I would like to remind the words of the ‘granthi’ again, who said: “This government and police will not do anything. You will have to fight the war against drugs yourself”. This war against drugs should start from every home in Punjab. This is a must for the future of Punjab.
सिसोदिया से पूछताछ की तुलना भगत सिंह की शहादत से कैसे कर सकते हैं ?
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से सोमवार को CBI ने करीब 9 घंटे तक पूछताछ की और फिर देर शाम उन्हें जाने की इजाज़त दे दी। दिल्ली में करोड़ों रुपये के शराब घोटाले के सिलसिले में CBI उन्हें फिर से पूछताछ के लिए बुला सकती है।
पूछताछ के बाद सिसोदिया ने आरोप लगाया, ‘मुझे CBI दफ्तर में AAP छोड़ने के लिए कहा गया। मैंने उनसे कहा, मैं BJP के लिए AAP नहीं छोड़ सकता। उन्होंने कहा, … AAP छोड़ने के लिए मुझ पर दबाव डाला गया। मुझे दिल्ली का मुख्यमंत्री पद पाने या जेल की सजा काटने की पेशकश की गयी। जब मैंने कहा कि मेरे खिलाफ कोई मामला नहीं है तो मुझे कहा गया कि सत्येंद्र जैन के खिलाफ भी कोई मामला नहीं था लेकिन फिर भी वह जेल में हैं।‘
CBI अधिकारियों ने तुरंत इसका खंडन करते हुए आरोप को खारिज कर दिया। CBI के प्रवक्ता ने कहा, ‘सिसोदिया से FIR में लगाए आरोपों और जांच के दौरान अभी तक मिले सबूतों को लेकर पूछताछ की गयी। उन्होने जो बयान दिया, उसकी पुष्टि की जाएगी और जांच की आवश्यकता के अनुरूप आगे की कार्रवाई की जाएगी। CBI ऐसे आरोपों का कड़ाई से खंडन करती है और दोहराती है कि सिसोदिया से पूछताछ FIR में उनके खिलाफ लगे आरोपों के अनुसार ही पेशेवर तथा कानूनी तरीके से की गयी।’
CBI सूत्रों के मुताबिक, सोमवार को सिसोदिया से शराब व्यवसायी अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और एक मीडियाकर्मी के साथ उनके संबंधों के बारे में पूछताछ की। FIR में इन सभी को आरोपी बनाया गया है। अधिकारी इस मामले में अन्य आरोपियों, आबकारी आयुक्त आरव गोपीकृष्ण, उप आबकारी आयुक्त आनंद तिवारी और सहायक आबकारी आयुक्त पंकज भटनागर के साथ उनकी बातचीत के ब्यौरे के बारे में भी जानना चाह रहे थे।
AAP के कम्यूनिकेशन इंचार्ज विजय नायर और TRS नेता के बेटे अभिषेक बोइनपल्ली की गिरफ्तारी के बाद सिसोदिया से पूछताछ की गई है। एक अन्य आरोपी समीर महेंद्रू को इसी से जुड़े एक मामले में ED ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया है।
सिसोदिया से पूछताछ से पहले दिल्ली में दिनभर ड्रामा चला। आम आदमी पार्टी के समर्थकों ने CBI दफ्तर के बाहर धरना दिया, सिसोदिया ने अपनी मां से आशीर्वाद लिया, राजघाट में महात्मा गांधी की समाधि पर प्रार्थना की और वहां से एक जुलूस के साथ CBI दफ्तर पहुंचे। सिसोदिया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दोनों ने ट्वीट्स की झड़ी लगाते हुए कहा कि CBI गिरफ्तारी करने जा रही है।
जब पूछताछ जारी थी, तभी अरविंद केजरीवाल गुजरात के मेहसाणा में एक रैली में मतदाताओं से ‘जेल के ताले टूटेंगे, मनीष सिसोदिया छूटेंगे’ का नारा लगाने के लिए कह रहे थे। केजरीवाल का यह नारा बिहार की राजनीति पर बनी एक लोकप्रिय वेब सीरीज से लिया गया था।
चूंकि रैली में बैठे मेहसाणा के लोगों ने वह वेब सीरीज नहीं देखी होगी, इसलिए वे केजरीवाल के नारे को समझ नहीं पाए। ऐसे में केजरीवाल को खुद ही नारा पूरा करना पड़ा। दिल्ली बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा ने कहा, ‘अगर आम आदमी पार्टी ने शराब घोटाले में फंसे मनीष सिसोदिया को भगत सिंह घोषित कर ही दिया है तो फिर दिल्ली दंगों के मामले में जेल में बंद ताहिर हुसैन को राजगुरु, और भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद सत्येंद्र जैन को सुखदेव भी घोषित कर देना चाहिए।’ राजगुरु और सुखदेव शहीद भगत सिंह के साथी थे जिन्हें अंग्रेजों ने लाहौर जेल में फांसी दी थी।
आम आदमी पार्टी ने CBI की पूछताछ को एक राजनीतिक घटना बना दिया, और आरोप लगाया कि गुजरात विधानसभा चुनावों के कारण सिसोदिया को निशाना बनाया जा रहा है। सिसोदिया जब CBI दफ्तर के लिए निकले तो उनके साथ संजय सिंह, सौरभ भारद्वाज, आतिशी और दिलीप पांडे समेत पार्टी के तमाम नेता मौजूद थे।
चूंकि धारा 144 लागू कर दी गई थी, AAP कार्यकर्ताओं और नेताओं ने दिल्ली पुलिस के साथ हाथापाई की और घेरा तोड़ने की कोशिश की। सिसोदिया ने गले मे पीले रंग का वस्त्र पहना हुआ था और शहीद भगत सिंह के नारे लगाए जा रहे थे। लाउडस्पीकर पर ‘आजादी’ के गाने बज रहे थे और गाड़ी के रूफटॉप के बाहर सिसोदिया खड़े थे। इस जुलूस ने करीब 6 किलोमीटर की दूरी तय की। AAP नेताओं के धरने के बाद पुलिस ने पार्टी के 119 नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। इनमें AAP सांसद संजय सिंह और पार्टी के 16 विधायक शामिल थे।
CBI दफ्तर जाने से पहले सिसोदिया ने मीडिया से कहा कि CBI उन्हें गुजरात में अपनी पार्टी के लिए प्रचार करने से रोकने के लिए गिरफ्तार करना चाहती थी, लेकिन वह डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम भगत सिंह के लोग हैं, जेल जाने से नहीं डरते।
बीजेपी ने पूरे ड्रामे को एक ‘तमाशा’ बताते हुए इसे ‘जश्न-ए-करप्शन’ करार दिया। पार्टी प्रवक्ता संबित पात्र ने कहा कि शहीद भगत सिंह तो भारत की आजादी के लिए जेल गए थे, जबकि सिसोदिया और बीजेपी ने कहा कि शहीदे आजम भगत सिंह देश की आजादी के लिए कुर्बान हुए थे, लेकिन सिसोदिया को तो दलाली के केस में CBI दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। सम्बित पात्र ने कहा, ‘दोनों की तुलना हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के अपमान के सिवा और कुछ नहीं है। अगर भ्रष्टाचार के लिए कोई विश्व कप टूर्नामेंट होगा तो उसमें AAP जरूर जीतेगी।’
दिल्ली बीजेपी के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इन सारी चीजों को आम आदमी पार्टी का ‘तमाशा’ बताया। सिरसा ने कहा कि पहले देश के लिए लड़ने वाले लोग अपनी पत्नी से तिलक लगवाते थे, मां से आशीर्वाद लेते थे लेकिन अब शराब बेचने वालों से कमीशन लेने वाले लोग इस तरह के ड्रामे कर रहे हैं।
सोमवार को बिल्कुल उसी तरह की तस्वीरें आईं जैसी शिवसेना नेता संजय राउत की गिरफ्तारी के वक्त आई थीं। जिस तरह सिसोदिया ने अपनी मां के पैर छूकर आशीर्वाद लिया और उनकी पत्नी ने उनके माथे पर तिलक लगाया, ठीक वैसे ही संजय राउत की पत्नी ने भी उन्हें विदा किया था और मां ने आशीर्वाद दिया था। पूछताछ के लिए गए राउत गिरफ्तार कर लिए गए थे और अभी भी जेल में हैं। उन्हें कोर्ट से जमानत मिलनी बाकी है। सिसोदिया ने दावा किया कि CBI को उनके दफ्तर, उनके घर और यहां तक कि यूपी के पिलखुवा में उनके पैतृक निवास स्थान पर तलाशी लेने के बावजूद कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला।
आइए, दिल्ली शराब घोटाला केस में कुछ तथ्यों पर एक नजर डालते हैं। CBI ने इस केस में सिसोदिया को आरोपी नंबर 1 बनाया है, जबकि दो अन्य आरोपी विजय नायर और अभिषेक जेल में हैं। ED शराब कारोबारी समीर महेंद्रू को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। जिस केस में मनीष सिसोदिया से पूछताछ हो रही है, उसमें कुल 15 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज है।
CBI का आरोप है कि सिसोदिया ने शराब कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए दिल्ली सरकार की शराब नीति में मनमाने बदलाव किए, और पूरी पॉलिसी शराब कंपनियों से जुड़े लोगों ने तैयार की। सरकारी बैठकों में निजी कंपनियों के लोग मौजूद रहे। सिसोदिया ने जो नई शराब नीति तैयार की उसने छोटे व्यापारियों को खत्म कर दिया और बड़े व्यापारियों को फायदा हुआ। शराब कंपनियों को ही डिस्ट्रिब्यूटर और रिटेलर बना दिया गया।
इल्जाम तो यह भी है कि शराब व्यापारियों का कमीशन 2 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया। इसमें से 6 फीसदी कैश के रूप में वापस ले लिया गया और इस पैसे का इस्तेमाल चुनाव लड़ने में हुआ। इल्जाम बहुत सारे हैं, और गंभीर हैं, इसीलिए दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ CBI जांच की सिफारिश की थी। बड़ी बात यह है कि जैसे ही जांच के आदेश हुए, केजरीवाल की सरकार ने अपनी नई शराब नीति को वापस ले लिया।
दिल्ली के मुख्य सचिव द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि पहली नजर में यह जाहिर होता है कि नई एक्साइज पॉलिसी को लागू करने में GNCT ऐक्ट-1991, ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज ऐक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का उल्लंघन किया गया है। आरोप है कि शराब विक्रेताओं की लाइसेंस फीस भी माफ की गई जिससे सरकार को 144 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ। रिपोर्ट में आबकारी मंत्री की भी जिम्मेदारी निभा रहे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने वैधानिक प्रावधानों और आबकारी नीति का उल्लंघन किया।
अरविंद केजरीवाल ने जुलाई से ही कहना शुरू कर दिया था कि मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। सोमवार को भी उन्होंने दिन में ऐलान कर दिया कि मनीष तो जेल चले गए। यहां तक कि उन्होंने गुजरात के मतदाताओं से ‘जेल के ताले टूटेंगे, मनीष सिसोदिया छूटेंगे’ का नारा लगाने के लिए भी कहा। ऐसा लगा कि केजरीवाल, मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के लिए CBI से भी ज्यादा उत्सुक हैं। केजरीवाल को लगता है कि मनीष को अगर जेल भेज दिया गया तो गुजरात के चुनाव में आम आदमी पार्टी को फायदा हो जाएगा। वह तो चाहते हैं कि मनीष सिसोदिया को CBI गिरफ्तार करके जेल भिजवा दे ताकि इसे गुजरात चुनावों में मुद्दा बनाया जा सके।
जब से दिल्ली का शराब घोटाला सामने आया है, बीजेपी इसे भ्रष्टाचार का मुद्दा बनाने में लगी है जबकि आम आदमी पार्टी इसे सियासी मुद्दा बनाना चाहती है। बीजेपी के नेता बार-बार आरोप लगाते हैं कि दिल्ली की AAP सरकार ने शराब कारोबारियों को करोड़ों रुपये की रियायत दी लेकिन केजरीवाल इसे हर बार गुजरात चुनाव से जोड़ देते हैं।
सोमवार को हुए प्रदर्शनों, प्रार्थनाओं और जुलूसों को देखकर लगता है कि स्क्रिप्ट पहले से तैयार थी। मनीष सिसोदिया को जब CBI ने बुलाया तो उन्होंने पत्नी से माथे पर तिलक लगवाया और मां के पैर छूकर बाहर निकले। इसके बाद उन्होंने खुली कार में खड़े होकर जुलूस निकाला। इसके बाद वह पहले राजघाट गए और फिर CBI के दफ्तर पहुंचे। केजरीवाल और उनके साथियों ने इस पूरे वाकये को सियासी रंग दे दिया।
हालांकि, केजरीवाल ने बस एक गलती कर दी। उन्होंने मनीष सिसोदिया की तुलना शहीद भगत सिंह से कर दी। भ्रष्टाचार के मामले में CBI जांच की तुलना शहीद भगत सिंह की शहादत से करना उनकी पार्टी पर काफी भारी पड़ सकता है।
How can you compare Sisodia’s questioning with Bhagat Singh’s martyrdom?
The Central Bureau of Investigation grilled Delhi Deputy Chief Minister Manish Sisodia for nearly nine hours on Monday and then allowed him to leave late in the evening. CBI may call him again for interrogation in connection with the multi-crore liquor scam in Delhi.
On Monday night, Sisodia alleged, “I was asked in CBI office to quit AAP, or else such cases will keep getting registered. … I told them, I won’t leave AAP for BJP. They said, they will make me the chief minister”, he said. This was promptly denied by CBI officials, who rubbished the allegation.
The CBI spokesperson said, “Sisodia was examined strictly on the allegations made in the FIR and on the evidence collected so far during the investigation. His statement will be verified and further action will be taken as per requirement. CBI strongly refutes allegations made by the accused. The examination was carried out in a legal manner, strictly as per the allegations made against him the FIR”.
According to CBI sources, Sisodia was questioned about his connections with liquor businessmen Amit Arora, Dinesh Arora and a mediaperson, all named as accused in the FIR. The officials also wanted to know the details of his communications with Excise Commissioner Arav Gopikrishna, deputy excise commissioner Anand Tiwari and assistant excise commissioner Pankaj Bhatnagar, all accused in the case.
Sisodia was questioned following the arrests of AAP’s communication in-charge Vijay Nair and a TRS leader’s son Abhishek Boinpally. Already another accused, Sameer Mahendru has been arrested by Enforcement Directorate in a connected case.
The questioning of Sisodia was preceded by daylong drama in Delhi. AAP supporters staged dharna outside the CBI office, Sisodia took blessings from his mother, visited Rajghat to offer prayers at the samadhi of Mahatma Gandhi, and from there, in a procession reached the CBI office. There was a flurry of tweets from both Sisodia and Chief Minister Arvind Kejriwal saying that CBI was going to make the arrest.
Even as the questioning was going on, Arvind Kejriwal was asking voters at a rally in Mehsana, Gujarat to chant the slogan “Jail Ke Taaley tootengey, Manish Sisodia Chhootengey” (the locks of jail will be broken, Sisodia will be released). Kejriwal’s chant was a take from a popular web series made on Bihar politics.
Since the common voters of Mehsana were not aware of the web series, it was left to Kejriwal to complete the slogan. Delhi BJP leader Kapil Mishra commented, ‘if AAP is declaring Sisodia as Shaheed Bhagat Singh, then it should also declare Delhi riots accused Tahir Hussain, in jail, as Rajguru, and Health Minister Satyendar Jain, in jail for corruption, as Sukhdev.’ Rajguru and Sukhdev were Shaheed Bhagat Singh’s associates who were hanged by the British in Lahore jail.
Aam Aadmi Party made the CBI questioning a political event, and alleged that Sisodia was being targeted because of Gujarat assembly elections. Sisodia, was accompanied by a phalanx of AAP leaders like Sanjay Singh, Saurabh Bhardwaj, Atishi and Dileep Pandey, before he reached the CBI office.
AAP workers and leaders grappled with Delhi Police and tried to break through the cordon, since Sec 144 prohibitory orders were in force. Sisodia was wearing a yellow coloured ‘patta’, slogans were chanted in the name of Shaheed Bhagat Singh, and he waved from an open vehicle , which was part of a procession that covered six kilometres, with ‘azadi’ songs blaring from loudspeakers. After the dharna by AAP leaders, 119 AAP leaders and activists were taken into custody by police. These included AAP MP Sanjay Singh and 16 AAP MLAs.
Before reaching the CBI office, Sisodia told media that CBI wanted to arrest him to prevent him from campaigning for his party in Gujarat, but he would “not be cowed down”. He declared himself a staunch follower of Shaheed Bhagat Singh.
BJP described the entire drama as a “farce”, and labelled it as “jashn-e-corruption”. Party spokesperson Sambit Patra said, Shaheed Bhagat Singh went to jail for India’s freedom, but Sisodia has to go to CBI office for taking bribes in liquor scam. “Comparing the two is nothing but an insult to our great freedom fighters. If there is a world cup tournament for corruption, AAP will surely win”, Patra said.
Delhi BJP leader Manjinder Singh Sirsa described the AAP protest as ‘tamasha’. Sirsa said, those who fought for India’s freedom used to leave home after their wives put ‘tilak’ on their forehead and they touched their mothers’ feet, but in the present case, those who have taken commission from liquor traders are enacting such a drama.
The visuals of Sisodia touching his mother’s feet to seek her blessings, and his wife applying ‘tilak’ on his forehead, reminded one of how Shiv Sena leader Sanjay Raut, too, touched his mother’s feet, and his wife applied ‘tilak’, before he went for questioning, was arrested, and is still in jail. Raut is yet to get bail from court. Sisodia claimed that the CBI did not find anything incriminating despite carrying out searches in his office, his residence and even his paternal home in Pilkhuwa, UP.
Let us have a look at some of the facts relating to the Delhi liquor scam case. Sisodia has been named by CBI as Accused No.1, while two other accused, Vijay Nair and Abhishek are in jail. ED has already arrested liquor businessman Sameer Mahendru. In all, 15 persons have been named in the FIR.
CBI’s charge is that Sisodia made arbitrary changes in the Delhi government’s liquor policy to help liquor companies, and the new liquor policy was prepared in collusion with these businessmen. People from private companies attended confidential government meetings. The new liquor policy, prepared by Sisodia, did away with small traders, and benefited big liquor traders. Liquor companies were appointed as distributors and retailers.
It has also been alleged that the commission for liquor traders was hiked from two per cent to 12 per cent. Out of this, 6 per cent was taken back in cash. It was alleged that this money was used to fight elections. There are several more serious allegations, and it was, on this basis, that the Delhi Lt. Governor Vinai Kumar Saxena recommended CBI probe against Sisodia. The vital point is that Kejriwal government hurriedly withdrew its new liquor policy, after the probe was ordered.
Delh chief secretary in his report on the new liquor policy had clearly stated that the provisions of GNCT (Government of National Capital Territory) Act, 1991, Transaction of Business Rules, 1993, Delhi Excise Act, 2009 and Delhi Excise Rules, 2010 were violated while framing the new policy. It was alleged that license fees of liquor sellers were waived off, causing Rs 144 crore revenue loss to the exchequer. The report said, Deputy Chief Minister Manish Sisodia, who was holding the excise portfolio, had violated legal provisions and excise rules.
Arvind Kejriwal has been saying since July that his deputy Manish Sisodia will be arrested. On Monday, he even declared in a Gujrat rally that Sisodia has been sent to jail. He asked the voters of Gujarat to chant the slogan “Jail Ke Taaley Tootengey, Manish Sisodia Chhootengey”. It appears as if Kejriwal is more interested than the CBI in ensuring that Sisodia goes to jail. Kejriwal’s calculation could be that if Sisodia is sent to jail, it will help the Aam Aadmi Party in Gujarat elections. He wants CBI to arrest Sisodia, so that he can make it a big issue in Gujarat elections.
Since the time the Delhi liquor scam broke, BJP had been trying to make it a corruption issue, but AAP wants to convert it into a political issue. When BJP leaders started alleging that Delhi AAP government gave crores of rupees worth concessions to liquor companies, Kejriwal linked it with Gujarat elections.
Monday’s protests, prayers and procession by AAP were clearly scripted in advance. When Sisodia touched his mother’s feet, his wife applied ‘tilak’ on his forehead, and when he went to Rajghat and from there to CBI office in an open vehicle, Kejriwal and his colleagues gave the entire questioning issue a political colour.
Kejriwal, however, made one mistake. He compared Sisodia with Shaheed Bhagat Singh. To compare a CBI probe in a corruption case with Shaheed Bhagat Singh’s martyrdom may cost his party heavily.
गोपाल इटालिया को अपनी भद्दी टिप्पणियों के लिए माफी मांगनी चाहिए
आज मैं आपसे आम आदमी पार्टी के गुजरात ईकाई के अध्यक्ष गोपाल इटालिया के बारे में बात करूंगा। गोपाल इटालिया ने एक वीडियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 100 वर्षीय मां हीरा बा को खुलेआम गाली दी और उनका मजाक उड़ाया। इस वीडियो को देखकर आपको दुख भी होगा औऱ गुस्सा भी आएगा।
इटालिया के पहले भी कई वीडियो आए हैं जिनमें आपत्तिजनक टिप्पणी करके वह विवादों को जन्म देते रहे हैं। एक वीडियो में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘नीच’ कहा था जबकि दूसरे वीडियो में उन्होंने गुजरात की महिलाओं को मंदिरों और सत्यनारायण कथाओं में ना जाने की सलाह दी थी क्योंकि गोपाल इटालिया के मुताबिक वहां महिलाओं का शोषण होता है।
इस नए वीडियो में तो गोपाल इटालिया ने पीएम मोदी की मां हीरा बा के बारे में अपमानजनक टिप्पणी कर शालीनता की सारी हदें पार कर दी। हीरा बा राजनीति में नहीं हैं, वे सार्वजनिक जीवन में भी नहीं हैं। उन्होंने कभी किसी के बारे में कुछ नहीं कहा। लेकिन गोपाल इटालिया ने अपनी सियासत के लिए उनके बारे में अपमानजनक बातें कहीं। इंडिया टीवी की ओर से हमने गोपाल इटालिया को सफाई देने का मौका दिया लेकिन वह अपनी बात पर अड़े हुए हैं।
एक वाहन के अंदर शूट किए गए बिना तारीख वाले वीडियो में इटालिया को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘इस नीच नरेन्द्र मोदी की सभा का खर्च क्यों नहीं मांगते हैं आप ? नीच किस्म का इंसान, उसका खर्च मांगो, और हीरा बा आकर नाटक करती हैं। हमें बोलने में भी शर्म आती है इतनी बड़ी उम्र के व्यक्ति के लिए लेकिन वो लोग नहीं शर्माते। 70 साल का मोदी होने को आया, हीरा बा खुद 100 पर पहुंच रहीं हैं लेकिन फिर भी दोनों में से कोई नाटक बंद नहीं करते हैं।’
गुजरात बीजेपी के मीडिया संयोजक याग्नेश दवे द्वारा शुक्रवार को अहमदाबाद में बिना तारीख वाले इस वीडियो को ट्वीट किया गया। इस वीडियो के सामने आते ही बीजेपी नेताओं में आलोचना का दौर शुरू हो गया।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इटालिया के इस बयान पर घोर आपत्ति जताई। उन्होंने आम आदमी पार्टी के चीफ अरविंद केजरीवाल को संबोधित करते हुए कहा, अरविंद केजरीवाल, आपका बड़बोला नेता गोपाल इटालिया आपके इशारे पर ही हीरा बा को गाली देता है। शब्द कम पड़ते हैं, आक्रोश को व्यक्त करने के लिए। मैं यह नहीं जताना चाहती कि गुजराती कितने नाराज हैं लेकिन गुजरात और गुजरातियों ने ये संकल्प लिया है कि आम आदमी पार्टी को आगामी चुनाव में ध्वस्त करेंगे। गुजरात में आम आदमी पार्टी की राजनीतिक हार आगामी चुनाव में होने वाली है। जनता न्याय करेगी।’
गोपाल इटालिया गुजरात में आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष हैं। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाते हैं तो ठीक है क्योंकि मोदी उनके राजनीतिक विरोधी हैं। हालांकि, राजनीतिक विरोधी का मतलब दुश्मन नहीं होता लेकिन फिर भी मोदी को गाली देते तो नजरंदाज किया जा सकता था क्योंकि बीजेपी के कार्यकर्ता उसका जबाव दे सकते हैं लेकिन मोदी की मां को अपशब्द कहना, 100 साल की बुजुर्ग मां हीरा बा को ड्रामेबाज कहना निंदनीय है।
दिल्ली में बीजेपी महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं ने आम आदमी पार्टी के दफ्तर बाहर इटालिया के इस बयान पर विरोध जताया। वहीं गुजरात में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने गुजरात में विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने इटालिया के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की। बीजेपी कार्यकर्ताओं का कहना था कि गोपाल इटालिया के लगातार इस तरह के अभद्र बयान आ रहे हैं फिर भी अरविन्द केजरीवाल गोपाल के खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लेते ? प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक केजरीवाल अपने प्रदेश अध्यक्ष के बयान के लिए माफी नहीं मांगते तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा। क्योंकि इस तरह की बातें सिर्फ मोदी की मां का अपमान नहीं है बल्कि देश की करोड़ों माताओं का अपमान है।
गोपाल इटालिया के बयान का कोई समर्थन नहीं कर सकता लेकिन आम आदमी पार्टी के नेता घुमाफिरा कर गोपाल इटालिया का बचाव कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल की सरकार में मंत्री गोपाल राय ने इटालिया का बचाव किया। गोपाल राय ने कहा- ‘बीजेपी 27 साल के कामकाज का हिसाब नहीं देना चाहती है इसलिए इस तरह के पुराने वीडियो सामने लाकर मुद्दों से ध्यान भटका रही है।’ गोपाल राय से जब यह सवाल किया गया कि क्या किसी की मां को इस तरह से अपमानित करना हमारी संस्कृति है ? गोपाल राय इस सवाल पर खामोश हो जाते हैं।
इंडिया टीवी के रिपोर्टर ने गुजरात के राजकोट में कुलदेवी के दर्शन करने पहुंचे गोपाल इटालिया से जब इस संबंध में सवाल किया तो उन्होंने सवालों का सीधा जवाब देने की बजाय बीजेपी को दोषी ठहरा दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी की इस तरह की साजिशों से लड़ने की शक्ति मांगने के लिए ही तो वे कुलदेवी के पास आए हैं।
इटालिया ने कहा-‘बीजेपी वालों को सिर्फ मोदी की मां की चिन्ता है, मैं भी मोदी की मां को प्रणाम करता हूं। लेकिन मेरा सवाल बीजेपी से है कि वह गुजरात की करोड़ों माताओं की फिक्र कब करेगी? उनके बेटों को रोजगार कब मिलेगा? बुजुर्ग माताओं को इलाज और पेंशन कौन देगा?’
हमारे अहमदाबाद के रिपोर्टर एक आवासीय सोसायटी में गए और वहां की महिलाओं से बात की। इन महिलाओं ने खुलकर अपनी बात कही। इनमें से ज्यादातर महिलाओं ने कहा-‘एक नेता जो 100 साल की बुजुर्ग मां का अपमान कर सकता है, उससे करोड़ों माताओं की चिंता की उम्मीद नहीं की जा सकती है। इस तरह के लोगों को सियासत में रहने का हक नहीं है।’ इतना ही नहीं राज्य के कांग्रेस और आरजेडी के नेताओं ने भी इटालिया के बयान की निंदा की।
कौन हैं गोपाल इटालिया ? गोपाल इटालिया गुजरात पुलिस में काम कर चुके हैं। 2013 में वह गुजरात पुलिस में भर्ती हुए और एक साल तक अहमदाबाद में पुलिस कॉन्स्टेबल के तौर पर काम किया। इसके बाद 2014 में अहमदाबाद कलक्ट्रेट में राजस्व क्लर्क बन गए लेकिन 2017 में नौकरी से निकाल दिए गए। जब गोपाल इटालिया बेरोजगार हुए उसी वक्त पटेल आंदोलन शुरू हो गया तो गोपाल इटालिया पाटीदार अमानत आंदोलन समिति में शामिल हो गए। 2017 में उन्होंने गुजरात के गृह राज्य मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा पर जूता फेंका था। 2019 में इटालिया को आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था।
इतना ही नहीं गोपाल इटालिया ऐसे लोगों से मिलते रहे हैं जिन पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप लगते रहे हैं। उन्होंने 2018 में अहमदाबाद में शबनम हाशमी के संगठन द्वारा आयोजित मीटिंग में हिस्सा लिया था। इस मीटिंग का विषय था-डिसमेंटलिंग इंडिया: ए 4 ईयर रिपोर्ट (Dismantling India: A 4-year report)।
इसके अलावा इटालिया ऐसे संगठनों के संपर्क में भी रहे जिन पर गुजरात और भारत को बदनाम करने के आरोप लगते रहे हैं। गोपाल इटालिया ने 2020 में आम आदमी पार्टी की सदस्यता ली और कुछ ही महीनों के बाद जून में केजरीवाल ने उन्हें गुजरात में आम आदमी पार्टी का वाइस प्रेसीडेंट बना दिया और छह महीने के बाद दिसंबर 2020 में उन्हें पार्टी की गुजरात ईकाई का अध्यक्ष बना दिया गया।
गाली-गलौज वाली भाषा बोलने के बात की जाए तो गोपाल इटालिया सीरियल ऑफेंडर (अपराधी) रहे हैं। गोपाल इटालिया के ऐसे वीडियोज की लंबी लिस्ट रही है। बीजेपी के सभी नेताओं को वो गाली देते हैं। एक वीडियो में उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जीतू वघाणी के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया।
गोपाल इटालिया के इस तरह के घटिया बयान को लेकर केजरीवाल और उनकी पार्टी के पास बचाव के दो तर्क हैं। एक तो ये कि गोपाल के ये सारे बयान पुराने हैं। ये बयान उन्होंने आम आदमी पार्टी में शामिल होने से पहले दिए थे। मैं पूछना चाहता हूं कि एक लीडर को पार्टी में शामिल करने से पहले, उसे पार्टी की राज्य ईकाई का अध्यक्ष बनाने से पहले उसकी बैकग्राउंड चेक क्यों नहीं की गई ? गोपाल इटालिया क्या-क्या बोल चुके हैं इसके बारे में सबको पता था। आम आदमी पार्टी गंगोत्री नहीं है कि इसमें नहाए और पुराने पाप धुल गए।
केजरीवाल का दूसरा तर्क ये है कि गोपाल इटालिया पाटीदार हैं और बीजेपी उन पर इसलिए हमला कर रही है कि बीजेपी पाटीदारों से नफरत करती है। यह बचाव के लिए एक निहायत ही कमज़ोर तर्क है। क्या गुजरात के पाटीदार मोदी की मां को ड्रामेबाज कहते हैं ? क्या गुजरात के पाटीदार मोदी को ‘नीच’ कहते हैं ? इन सवालों का पाटीदारों से क्या लेना-देना? गुजरात के पाटीदार इस तरह की बातों को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
अच्छा तो ये होता कि केजरीवाल इस तरह के बयानों की निंदा करते और अपने राज्य ईकाई के अध्यक्ष गोपाल इटालिया को शालीनता का पाठ पढ़ाते। उनको समझाते और उनसे ये सारे बयान वापस लेने को कहते। गोपाल इटालिया माफी मांगते और फिर राजनीति में नई शुरुआत करते लेकिन किसी ने ऐसा नहीं किया। मुझे लगता है कि गुजरात की जनता इस तरह की घटिया बातों को कभी पसंद नहीं करेगी और इस तरह की बयानबाजी का केजरीवाल को नुकसान होगा।
Gopal Italia should apologize for his crude remarks
Today I want to speak about Gujarat Aam Aadmi Party chief Gopal Italia, who has openly abused and mocked Prime Minister Narendra Modi’s 100-year-old mother Hirabai in a video. This will make all of you sad and angry.
Italia had already courted controversy by making objectionable remarks in other videos. In one video, he described Modi as “neech”, and in another video, he had advised women in Gujrat not to go to temples and attend ‘satyanarayan katha’ because, according to him, women are exploited there.
In the latest video, Italia has crossed all limits of decency, by making crass remarks about the PM’s mother, Hira Ba, who is not in politics or public life and has never said anything about anybody in recent years. From India TV, we gave Gopal Italia the chance to respond to this video, but he says, he stands by his remarks.
In this undated video, shot inside a vehicle, Italia is heard saying, “Why are you not asking ‘neech’ Narendra Modi to reveal the expenses of his public meeting. And his mother Hiraba is also doing drama. Modi is nearing 70 years and his mother Hiraba will soon become 100, yet both of them continue with their drama.”
This undated video, tweeted on Friday by Gujarat BJP media convenor Yagnesh Dave in Ahmedabad triggered a barrage of criticisms from BJP leaders.
Union Minister Smriti Irani described Italia as a “guttermouth”. In her tweet addressed to AAP chief Arvind Kejriwal, Irani wrote: “Arvind Kejriwal, gutter mouth Gopal Italia now abuses Hira Ba with your blessings. I profer no outrage, I don’t want to show how indignant Gujaratis are, but know this you have been judged and your party shall be decimated electorally in Gujarat. Now the people will deliver justice.”
Italia is the state unit chief of Aam Aadmi Party. He had been taking potshots at Prime Minister Narendra Modi. His abuses against Modi can even be ignored, but using foul words against his 100-year-old mother Hira Ba is condemnable.
In Delhi, BJP Mahila Morcha workers protested outside AAP office, while BJP workers staged protests in Gujarat. They demanded immediate action against Gopal Italia. BJP leaders said, the protests would continue till Kejriwal takes action against his state chief. They said, Italia’s remarks are not against an old lady, but against millions of Indian mothers.
Surprisingly, AAP leaders are trying to indirectly defend Italia. Delhi AAP minister Gopal Rai said, “BJP does not want to give an account of its performance for last 27 years, and is therefore bringing out old videos to divert people’s attention.” He remained silent when he was asked whether it was morally proper for a leader to make such comments against the PM’s 100-year-old mother.
India TV reporter asked Gopal Italia in Rajkot, Gujarat, where the latter had gone to offer prayers at a temple. Instead of replying to questions directly, Italia blamed the BJP. “I have come here to seek the goddess’s blessings for the power to fight BJP’s conspiracies”, he said.
Italia said: “BJP leaders are only worried about Modi’s mother. I also salute Modi’s mother, but my question is: when will BJP leaders take care of the millions of mothers in Gujarat? When will their sons get jobs? Who will provide treatment and pension to the old mothers?”
Our Ahmedabad reporter met women at a residential complex. Most of them said, “a leader who can insult an 100-year-old lady cannot be expected to take care of millions of mothers. Such leaders do not have the right to stay in politics”. Even Congress and RJD leaders in Gujarat have condemned Italia’s comments.
Who is Gopal Italia? He joined Gujarat Police as a constable in 2013 and worked for one year. The next year, he joined the Ahmedabad district collectorate as a revenue clerk, but was dismissed three years later. He became unemployed and joined the Patidar movement. In 2017, he had thrown a shoe at Gujarat Minister of State for Home Pradeep Singh Jadeja. In 2019, he was arrested under Arms Act.
Italia had been meeting people involved in anti-national activities. In 2018, he attended a meeting in Ahmedabad convenued by Shabnam Hashmi’s organisation, and the meeting’s agenda was “Dismantling India: A 4-year report”.
He was involved with outfits which were defaming Gujarat and India. In 2020, he took the membership of Aam Aadmi Party, and in June that year, he was made vice-president of AAP state unit. In December, 2020, he was elevated as president of Gujarat state unit of AAP.
Italia is a serial offender as far as using abusive language in concerned. There is a long list of videos in which he has abused state BJP leaders. In one video, he hurled vile abuses against Home Minister Amit Shah, former CM Vijay Rupani and former state BJP chief Jitu Vaghani.
Arvind Kejriwal and his Aam Aadmi Party has two defences about Gopal Italia’s crass remarks. One, most of these videos are old, and the comments were made before he joined AAP. My simple question: Did Kejriwal check the antecedents of a person whom he was appointing as state party president? Everybody knew what Gopal Italia had spoken in the past. Aam Aadmi Party is not the ‘Gangotri’ that will absolve past sins, once somebody joins it.
Kejriwal’s second argument: Gopal Italia is a Patidar and BJP is targeting him because the party hates Patidars. This is a weak defence. Do the Patidars of Gujart call Modi’s mother Hira Ba a ‘dramebaaz’? Do the Patidars of Gujarat call Modi a ‘neech’? What Patidars have to do with such issues? The Patidars of Gujarat will never tolerate such crass acts.
It would have been better had Kejriwal condemned such abusive remarks, and taught his state chief a lesson in decency. Or, at least persuaded him not to make abrasive remarks, and asked him to withdraw all his previous crude comments.
He could have asked Italia to public apologize for his comments and make a fresh beginning in politics, but Kejriwal did not do so. I think the people of Gujarat will never accept such crude behaviour and these vile remarks will ultimately harm Kejriwal.
हिजाब व्यक्तिगत पसंद या फिर धार्मिक अनिवार्यता?
कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में मुस्लिम छात्राओं द्वारा हिजाब पहनने के संवेदनशील मुद्दे पर अब सुप्रीम कोर्ट की एक बड़ी बेंच सुनवाई करेगी, जिसमें कम से कम तीन जज होंगे। शीर्ष अदालत की दो जजों वाली बेंच ने गुरुवार को एक खंडित फैसला दिया था, जिसके बाद ये तय हुआ है। बेंच ने यह भी कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट का 5 फरवरी का वह आदेश बरकरार रहेगा जिसके तहत राज्य सरकार के स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखा, जबकि जस्टिस सुधांशु धूलिया ने राज्य सरकार के प्रतिबंध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि हिजाब विशुद्ध रूप से मुस्लिम छात्राओं द्वारा ‘धार्मिक पसंद’ का मुद्दा है, जिसकी अनदेखा नहीं की जा सकती ।
खंडित फैसला देने के बाद बेंच ने कहा, ‘बेंच की अलग-अलग राय के मद्देनजर इस मामले को एक उचित बेंच के गठन के लिए भारत के चीफ जस्टिस के समक्ष रखा जाए।’
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने 140 पन्नों के अपने फैसले में 11 सवाल तैयार किए थे और इन पर दोनों पक्षों की दलीलों का विस्तृत विश्लेषण किया था । उन्होने हिजाब के समर्थन में दिए गए मुस्लिम पक्ष के तर्कों को नकार दिया था। दूसरी ओर जस्टिस धूलिया ने अपने 76-पृष्ठ के फैसले में कहा, ‘यहां मुद्दा ‘आवश्यक धार्मिक प्रथाओं की अवधारणा’ नहीं है। यह अंतत: पसंद (choice) का मामला है, इससे कम या ज्यादा कुछ और नहीं।’ उन्होंने कहा कि लड़कियों को स्कूल के गेट पर हिजाब उतारने के लिए कहना, उनकी निजता पर आक्रमण है।
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने अपने फैसले में कहा कि उनके द्वारा तैयार किए गए सभी 11 सवालों के जवाब अपीलकर्ताओं के खिलाफ हैं। इनमें समानता का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, निजता और गरिमा, और धार्मिक प्रथाओं के अधिकार के संबंधित दायरे और परस्पर क्रिया शामिल हैं। जस्टिस गुप्ता ने कहा, ‘यूनिफॉर्म लागू होने से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन नहीं होता है। बल्कि यह समानता के अधिकार को मजबूत करता है।’
अपने फैसले में उन्होंने कहा, ‘इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सभी छात्र एक जैसा यूनिफॉर्म पहनें। इससे न केवल स्कूलों में एकरूपता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि धर्मनिरपेक्ष वातावरण को भी प्रोत्साहन मिलेगा । यह संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत दिए गए अधिकार के अनुरूप है। इसलिए, धर्म और अंतःकरण की स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों को भाग III (मौलिक अधिकार) के अन्य प्रावधानों के साथ-साथ अनुच्छेद 25 (1) के प्रतिबंधों के तहत पढ़ा जाना चाहिए।’
जस्टिस गुप्ता ने कहा, कोई भी छात्र स्कूल में धार्मिक कार्य के लिए नहीं जाता, इसलिए राज्य के पास एक धर्मनिरपेक्ष स्कूल परिसर के भीतर हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘धार्मिक आस्था को सरकारी पैसे से बनाए गए किसी धर्मनिरपेक्ष स्कूल में नहीं ले जाया जा सकता । यूनिफॉर्म को लागू करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है, बल्कि यह अनुच्छेद 1 के तहत समानता के अधिकार को मजबूत करता है।’
मुस्लिम अपीलकर्ताओं के इस तर्क पर कि मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने की अनुमति देने से बंधुत्व को बढावा देने का संवैधानिक लक्ष्य प्राप्त होगा, जस्टिस गुप्ता ने कहा: ‘बंधुत्व एक महान लक्ष्य है, लेकिन इसे केवल एक समुदाय के चश्मे से नहीं देखा जा सकता। यह लक्ष्य बिना जाति, पंथ, लिंग और धर्म के देश के सभी नागरिकों के लिए है।’
इससे बिल्कुल विपरीत फैसले में जस्टिस धूलिया ने कहा: ‘सभी याचिकाकर्ता चाहते हैं कि हिजाब पहनने की छूट मिले ! क्या लोकतंत्र में इतनी सी मांग करना कोई बड़ी बात है ? यह कैसे कानून और व्यवस्था, नैतिकता या स्वास्थ्य के खिलाफ है? या शालीनता अथवा संविधान के भाग III के किसी प्रावधान के खिलाफ है?… मुझे यह बिल्कुल तर्कसंगत नहीं लगता कि कैसे किसी कक्षा में हिजाब पहन कर बैठने वाली छात्रा सार्वजनिक व्यवस्था अथवा कानून और व्यवस्था के लिए समस्या पैदा करेगी ।’
अपने फैसले में जस्टिस धूलिया ने कहा, कि अदालत धार्मिक प्रश्नों को हल करने का मंच नहीं है, न ही अदालत ये तय करेंगे कि हिजाब एक जरूरी धार्मिक प्रथा है अथवा नहीं। उन्होंने कहा, ‘लड़कियों को स्कूल के गेट से प्रवेश करने से पहले हिजाब उतारने के लिए कहना, पहले उनकी निजता पर आक्रमण है, फिर यह उनकी गरिमा पर हमला है, और फिर अंततः यह उनकी धर्मनिरपेक्ष शिक्षा को नकारना है। ये स्पष्ट रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए), अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 25(1) का उल्लंघन हैं।’
जस्टिस धूलिया ने कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट फैसला करते समय खुद गलत दिशा में चली गई और अनावश्यक रूप से यह तय करने के पचड़े में पड़ गई कि कुरान की आयतों के आधार पर हिजाब इस्लाम में अनिवार्य है या नहीं। हाई कोर्ट को चाहिए था कि वह संविधान में प्रदत्त व्यक्तिगत पसंद की आज़ादी के अधिकार की कसौटी पर सरकारी सर्कुलर की वैधता को परखती ।
कर्नाटक के सरकारी स्कूल- कॉलेजों में हिजाब पहनने पर रोक लगाने वाले राज्य सरकार के सर्कुलर को कर्नाटक हाई कोर्ट ने 15 मार्च के अपने फैसले में बरकरार रखा था, इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में 26 याचिकाएं दायर की गई थीं।
सुप्रीम कोर्ट का यह खंडित फैसला जैसे ही सामने आया, AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी सहित मुस्लिम नेताओं ने जस्टिस धूलिया के फैसले का स्वागत किया और कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने कुरान और हदीस की गलत व्याख्या करके गलत फैसला सुनाया था।
ये सारा विवाद पिछले साल जुलाई में शुरू हुआ था जब उडुपी जिले के एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज ने छात्राओं के हिजाब पहनकर आने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद 6 छात्राओं ने हिजाब पहनने की इजाज़त न मिलने पर कॉलेज का बायकॉट कर दिया। फिर जिले के कई इलाकों में प्रदर्शन होने लगे।
विवाद बढ़ा तो कर्नाटक सरकार ने 5 फरवरी को राज्य के सभी सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में ड्रेस कोड अनिवार्य कर दिया। इसके तहत हिजाब या की अन्य धार्मिक ड्रेस पहनकर स्कूल आने पर रोक लगा दी गई। मामला हाईकोर्ट में तो गया तो 15 मार्च को कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी हिजाब पर बैन को सही ठहराया। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का खंडित फैसला आने के बाद कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बी. सी. नागेश ने कहा कि कक्षाओं में हिजाब पर प्रतिबंध जारी रहेगा।
समाजवादी पार्टी के बुजुर्ग सांसद शफीक़ुर्रहमान बर्क ने कहा कि अगर हिजाब पर पाबंदी लगी तो आवारगी बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा, ‘एक जज तो हमारे फेवर में हैं ही। हम तो चाहते हैं कि हिजाब रहना चाहिए। हिजाब नहीं रहा तो समाज पर बुरा असर पड़ेगा।’ सही मायनों में बर्क का यह बयान मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं के लिए अपमानजनक है।
कांग्रेस के नेता आरिफ मसूद ने जस्टिस हेमंत गुप्ता पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा, ‘जस्टिस गुप्ता ने हमारी बात नहीं मानी। यह मामला स्कूल-कॉलेज के स्तर पर ही सुलझना चाहिए था। सियासी दखलअंदाजी से हिजाब का विवाद इतना बड़ा हो गया।’ NCP नेता माजिद मेमन, जो कि खुद एक वकील हैं, ने कहा, ‘कोई भी अधिकार असीमित नहीं होता। उसकी सीमाएं होती हैं। पहनने के अधिकार के मामले में भी यही बात लागू होती है।’
लखनऊ के मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा, ‘बात इस्लाम की नहीं है। बात संविधान की है। मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनने का हक संविधान ने दिया है और इस पर कोई रोक नहीं लगाई जानी चाहिए। किसी को हिजाब पहनना है तो यह उसकी च्वाइस है। इसे किसी को रोकने का अधिकार नहीं है।’ मुंबई के मौलाना सिराज खान ने कहा, ‘स्कूल जाने के बाद मुस्लिम लड़कियां कॉमन रूम में हिजाब उतार देती हैं, फिर भी लोगों को दिक्कत है। सरकार हर मुद्दे पर हिंदू-मुसलमान करने लगती है।’
मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने कहा, ‘क़ुरान में हिजाब पर जोर नहीं है। क़ुरान में कलम दवात को ज्यादा अहमियत दी गई है। मुसलमानों को चाहिए कि वे हिजाब की बात छोड़ें औरर पढ़ने-लिखने पर ज्यादा ध्यान दें।’
इंडिया टीवी के पत्रकारों ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, भोपाल, जयपुर और अलीगढ़ में मुस्लिम लड़कियों से बात की। ज्यादातर लड़कियों ने कहा कि हिजाब जरूरी नहीं है, यह व्यक्तिगत पसंद का मामला है। उन्होंने कहा कि इस्लाम लड़कियों को पूरी आजादी देता है और इस्लाम के नाम पर इस तरह की पाबंदी गलत है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मुस्लिम छात्राओं ने कहा कि हिजाब को शिक्षा के आड़े नहीं आना चाहिए। यूनिवर्सिटी कैंपस में बुर्का और हिजाब पहने लड़कियों ने कहा, ‘यह हमारी अपनी मर्जी है। जो नहीं पहनना चाहता, उसके साथ जबर्दस्ती नहीं की जानी चाहिए।’
सुप्रीम कोर्ट के जज हिजाब के बारे में एक राय नहीं बना पाए तो इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है। बड़े-बड़े मौलाना-मौलवी, इस्लामिक स्कॉलर तक इस मसले पर मुख्तलिफ राय रखते हैं। हिजाब को लेकर इस वक्त पूरी दुनिया में लोग बंटे हुए हैं। इस्लामिक मुल्क ईरान में लड़कियां हिजाब के खिलाफ सड़कों पर उतर आई हैं। जहां तक हमारे मुल्क का सवाल है, यहां भी ज्यादातर लड़कियां कह रही हैं कि हिजाब अनिवार्य नहीं होना चाहिए, जिसे पहनना हो पहने, जिसे नहीं पहनना है न पहने। इसमें कुछ गलत नहीं है। लेकिन असदुद्दीन ओवैसी और शफीकुर्रहमान बर्क जैसे तमाम नेता हिजाब के मसले को इस तरह से पेश कर रहे हैं जैसे पूरे मुल्क में हिजाब पहनने पर पाबंदी लगा दी गई हो। ये बिल्कुल गलत है, सरासर झूठ है।
सिर्फ कर्नाटक में, वहां की सरकार ने स्कूल-कॉलेजों में ड्रेस कोड का पालन करने को कहा है। स्कूल-कॉलेज में किसी भी तरह के धर्मिक कपड़े पहनने पर पाबंदी लगाई है। यह फैसला सिर्फ स्कूल कॉलेज के कैंपस के अंदर ही लागू है। यानी लड़कियां अगर घर से कॉलेज तक हिजाब पहनकर आती हैं तो उस पर कोई पाबंदी नहीं हैं, कॉलेज के अंदर जाकर वे हिजाब उतार कर बैग में रख लें, जब बाहर निकलें तो फिर पहन लें, इसमें कोई दिक्कत नहीं है। हमारे मुल्क में हिजाब पर काई पाबंदी नहीं है। वैसे भी स्कूल में, कॉलेज में, पुलिस में या आर्मी में सबका एक ड्रेस कोड होता है। उस ड्रेस कोड का पालन सभी को करना पड़ता है। कैंपस के अंदर ड्रेस कोड अनिवार्य है, बाहर जाकर जिसको जो पहनना हो पहने, कोई पाबंदी नहीं है।
हमें महिलाओं द्वारा ईरान में चलाए जा रहे आंदोलन से सीखना चाहिए, जहां अब विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस की फायरिंग में कई महिलाओं की जान जा चुकी है। प्रदर्शनकारियों को जेल में डाला जा रहा है। यह सब 13 सितंबर को तब शुरू हुआ जब एक 22 साल की महिला महासा अमीनी को ईरान की मॉरल पुलिस ने उन सख्त नियमों का उल्लंघन करने के लिए पीट-पीट कर मार डाला, जिनके मुताबिक महिलाओं को अपना सिर हिजाब से ढकना अनिवार्य है। उसके सिर पर लाठी मारी गई जिसके बाद वह पुलिस स्टेशन में ही गिर पड़ीं।
ईरानी महिलाओं ने एकजुटता दिखाते हुए कई शहरों में सड़कों पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया और सार्वजनिक रूप से अपने हिजाब के टुकड़े-टुकड़े किए। कई महिलाओं ने खुलेआम अपने बाल काटे और हिजाब को आग के हवाले कर दिया। उन्होंने ‘औरत, जिंदगी, आजादी’ और ‘तानाशाह मुर्दाबाद’ के नारे बुलंद किए। स्कूली छात्राओं ने भी खेल के मैदानों से लेकर सड़कों तक विरोध प्रदर्शन किया। हिजाब के खिलाफ इस विरोध में पुरूषों ने भी महिलाओं का भरपूर साथ दिया। नॉर्वे के एक ग्रुप, ईरान ह्यूमन राइट्स ने कहा है कि सुरक्षा बलों ने देश में 23 बच्चों सहित कम से कम 201 लोगों की जान ली है।
एक तरफ ईरान की बहादुर महिलाएं सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पहनने के कानून से मुक्ति के लिए संघर्ष कर रही हैं और दूसरी तरफ भारत में मुस्लिम नेता, मौलाना और मौलवी महिलाओं पर हिजाब थोपने की कोशिश कर रहे हैं। वे मांग कर रहे हैं कि स्कूल और कॉलेज में मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने दिया जाए। यह एक विसंगति है। अब वक्त आ गया है कि भारत के बुजुर्ग मुसलमान ये तय करें कि हिजाब पहनना व्यक्तिगत पसंद होगी या फिर धार्मिक अनिवार्यता।
Is Hijab a personal choice or religious compulsion?
The sensitive issue of wearing Hijab by Muslim girl students in schools and colleges of Karnataka will now be heard by a larger bench of Supreme Court, consisting of not less than three judges. This was necessary after a two-judge bench of the apex court gave a split verdict on Thursday. At the same time, the bench said the Karnataka High Court’s February 5 order upholding the state government‘s ban on wearing of hijab in schools and colleges will remain.
Justice Hemant Gupta upheld the ban on hijab, while Justice Sudhanshu Dhulia quashed the state government’s ban saying that hijab is purely an issue of “faith-driven choice” by Muslim girl students, that cannot be violated.
After delivering diametrically opposite judgements, the bench said, “In view of the divergent views expressed by the Bench, the matter be placed before the Chief Justice of India for constitution of an appropriate bench.”
Justice Hemant Gupta had framed 11 questions and had carried out a detailed analysis of the arguments from both sides in his 140-page judgement and negated the Muslim side’s pro-hijab arguments. On the other hand, Justice Dhulia in his 76-page judgement, said, “Concept of essential religious practices” is not the issue. “It is ultimately a matter of choice, nothing more, nothing less.” He said, asking a pre-university schoolgirl to take off her hijab at the school gate is an “invasion” of her privacy.
In his judgement, Justice Hemant Gupta said the answers to all the 11 questions that he had framed go against the appellants. These include the respective scope and interplay of right to equality, freedom of expression, privacy and dignity, and right to religious practices. “Enforcement of uniforms does not violate the right to freedom of expression. Rather it reinforces right to equality”, Justice Gupta said.
In his judgement, he said, “The object was to ensure that there is parity among the students in terms of uniforms. It was only to promote the uniformity and encourage a secular environment in the schools. This is in tune with the right guaranteed under Article 14 of the Constitution. Hence, restrictions on freedom of religion and conscience have to be read conjointly along with other provisions of Part III (Fundamental Rights) as laid down under the restrictions of Article 25(1).”
Justice Gupta said, no student is going to perform a religious duty in school and hence the state has the power to restrict wearing of hijab within a secular school premises. “The religious belief cannot be carried to a secular school maintained out of state funds”, he said. “The enforcement of uniforms does not violate the right to freedom of expression, it rather reinforces the right to equality under Article 1”, he added.
On the Muslim appellants’ arguments that allowing Muslim girls to wear hijab would achieve the constitutional goal of fraternity, Justice Gupta remarked: “Fraternity is a noble goal but cannot be seen from the prism of one community alone. It is a goal for all citizens of the country irrespective of caste, creed, sex and religion”.
In his diametrically opposite judgement, Justice Dhulia said: “All the petitioners want is to wear a hijab! Is it too much to ask in a democracy? How is it against public order, morality or health? Or even decency or against any provision of Part III of the Constitution?…It does not appeal to my logic or reason as to how a girl child who is wearing a hijab in a classroom is a public order problem or even a law and order problem”.
In his judgement, Justice Dhulia said, court are not the forums for deciding theological issues, whether hijab is essential religious practice or not. “By asking the girls to take off their hijab before they enter the school gates, is first an invasion of their privacy, then it is an attack on their dignity, and then ultimately it is a denial to them of secular education. These are clearly violative of Article 19(1)(a), article 21 and Article 25(1) of the Constitution of India.”
He said the Karnataka High Court misdirected itself in getting unnecessarily entangled in determining essentiality of hijab to Islam by referring to Quranic verses. He said, the High Court should have tested the government circular on the touchstone of right to freedom of choice guaranteed under the Constitution.
Twenty six petitions were filed challenging the Karnataka High Court’s March 15 verdict upholding the state government circular prohibiting wearing of hijab in schools and colleges.
Soon after the apex court announced its split verdict, Muslim leaders including AIMIM chief Asaduddin Owaisi, welcomed Justice Dhulia’s verdict and said that the Karnataka High Court had given a wrong decision by incorrectly interpreting the Holy Quran and Hadees.
The controversy over wearing of Hijab began in July last year when a government-run pre-university college in Udupi district prohibited wearing of hijab by students. This was followed by boycott of college by six Muslim girl students. Protests took place in several parts of the district.
When this controversy resulted in tension in several districts, Karnataka government on February 5 made dress code compulsory in all government schools and colleges. In effect, it prohibited wearing of hijab in schools and colleges. The order was challenged in High Court, which upheld the government circular on March 15. After Thursday’s split verdict from the apex court, Karnataka Education Minister B. C. Nagesh said that the ban on hijab in classrooms will continue.
Samajwadi Party MP Shafiqur Rehman Barq said, if wearing of hijab is banned, it will lead to rakish behaviour among youths. “At least one judge is in favour of hijab. We want wearing of hijab to continue, otherwise it will have a bad effect on society”, the MP said. In other words, Barq’s remarks amount to insulting Muslim girls and women.
Congress leader Arif Masood raised question about Justice Hemant Gupta and said, “the judge did not accept the arguments of Muslims. Actually, this matter should have been resolved in schools and colleges, but due to political interference, the controversy arose.” NCP leader Majid Memon, himself a lawyer, said, “no right is absolute. There are limitations. This also applies to wearing of clothes.”
Muslim scholar from Lucknow Maualana Khalid Rashid Firangi Mahali said, “The issue is not about Islam. It is about the Constitution, which has given Muslim women the right to wear hijab. It is a matter of choice. There should be no ban on hijab.” Maulana Siraj Khan from Mumbai said, “Muslim girl students take off their hijab in college common room, yet people have objections. This government is viewing every issue from the prism of religion.”
Muslim Women’s Personal Law Board chief Shaista Amber said, “There is no emphasis on wearing of hijab on the Holy Quran. More emphasis has been given on ink and pen in Quran. Muslims should stop making hijab an issue and concentrate more on education.”
India TV reporters spoke to Muslim girls in Delhi, Mumbai, Kolkata, Lucknow, Bhopal, Jaipur and Aligarh. Most of the girls said, hijab is not compulsory, it is a matter of personal choice. They said, Islam gives full freedom to girls, and any such ban in the name of Islam is unfair. Muslim girl students in Aligarh Muslim University said, hijab should not come in the way of education. Girls wearing burqa and hijab in AMU campus said, “This is our personal choice. Those who do not want to wear, they should not be forced.”
It is not surprising that the two hon’ble judges of Supreme Court could not reach unanimity on the issue of hijab. Even top Muslim scholars have divergent views on this issue. People across the world are now divided into two camps on the issue of hijab. In the Islamic Republic of Iran, women have come out on the streets opposing wearing of hijab. As far as India is concerned, most of the Muslim girls are saying, it is a matter of personal choice and not compulsion. There is nothing wrong in this view. But leaders like Owaisi and Shafiqur Rahman Barq are projecting as if a nationwide ban on wearing hijab has been clamped. This is nothing but a white lie.
Only in Karnataka, the state government has asked all state-run schools and colleges to follow the dress code. This decision is enforceable only inside the education campus. There is no ban on girl going to college wearing hijab, but once they enter school or college, wearing of hijab has been prohibited. There is nothing wrong in this order. In India, whether in schools or colleges, or in police or armed forces, unform dress code is followed. Everybody has to follow that code. Inside the campus, dress code is a must, but outside the campus, anybody is free to wear whatever he or she likes.
We should learn from the mass movement by women in Iran, where scores of women have so far died in police firing while staging protests. Demonstrators are being thrown into jails. It all started when, on September 13, a 22-year-old woman Mahsa Amini was beaten to death by Iranian morality police for violating the strict rules requiring women to cover their head with hijab. Policemen hit her head with a baton, and she collapsed to death inside the police station.
In solidarity, Iranian women staged protests on streets in several cities and ripped off their hijab in public. Many women publicly cut off their hair and burnt hijab. They chanted slogans like “Women, life, freedom”, “Death to the dictator”. Even schoolgirls staged protests in playgrounds and streets. Men and teenagers also joined the women in protests. Iran Human Rights, a Norway-based group, has said, at least 201 people, including 23 children, have been killed by security forces.
On one hand, the brave women of Iran are fighting against the draconian Islamic rules requiring all women to cover their heads with hijab in public, while on the other hand, self-styled Muslim leaders in India are demanding that Muslim girls must wear hijab in schools and colleges. There is a clear dichotomy here. It is time for the Muslim elders in India to decide whether wearing of hijab should be made a personal choice or a religious compulsion.
हर भारतीय अगर देश में कहीं भी वोट डाल सकता है तो फिर जम्मू-कश्मीर में क्यों नहीं ?
जम्मू-कश्मीर में गैर-बीजेपी विपक्षी दलों के हंगामे के बाद जम्मू प्रशासन ने बुधवार देर रात वोटर लिस्ट से जुड़े अपने आदेश को वापस ले लिया। इस आदेश में तहसीलदारों को अधिकृत किया गया था कि वे जम्मू क्षेत्र में एक साल से ज्यादा समय से रह रहे लोगों को निवास प्रमाण-पत्र जारी करें । इस प्रमाण-पत्र के आधार पर लोग मतदाता सूची में अपना नाम रजिस्टर्ड करा सकेंगे और वोट भी डाल सकेंगे। निवास प्रमाण पत्र ग्राउंड वैरीफिकेशन के आधार पर उन लोगों को जारी किए जाने थे जो जम्मू क्षेत्र में एक साल से ज्यादा समय से रह रहे हैं और उनके पास चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित कोई दस्तावेज या पहचान पत्र नहीं है।
जिला चुनाव अधिकारी और जम्मू की डिप्टी कमिश्नर अवनि लवासा ने मंगलवार रात को यह आदेश वापस ले लिया और इसकी कोई स्पष्ट वजह नहीं बताई। जो आदेश वापस लिया गया, उसमें कहा गया था कि कुछ पात्र मतदाता जरूरी दस्तावेज न होने की वजह से वोटर लिस्ट में अपना नाम शामिल नहीं करा पा रहे हैं। इस केंद्र शासित प्रदेश में नए मतदाताओं के रजिस्ट्रेशन के साथ ही वोटर लिस्ट में सुधार और संशोधन का काम 15 सितंबर से ही चल रहा है।
तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों, महबूबा मुफ्ती, डॉ. फारूक़ अब्दुल्ला और गुलाम नबी आज़ाद ने इस कदम का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार यहां की जनसंख्या अनुपात को बदलने की कोशिश कर रही है।
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (JKPDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा, जम्मू क्षेत्र में बाहर के लोगों को वोट का हक़ देने से यहां बाहरी लोगों की बाढ़ आ सकती है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘निर्वाचन आयोग ने अपने आदेश में नए मतदाताओं के रजिस्ट्रेशन को मंजूरी देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू में केंद्र सरकार औपनिवेशिक सोच के तहत काम कर रही है और मूल निवासियों के स्थान पर नए लोगों को बसाने की कार्रवाई कर रही है। इससे डोगरा संस्कृति, पहचान, व्यापार और रोजगार को बड़ा झटका लगेगा।’
कुलगाम में मीडिया से बात करते हुए महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के पीछे बीजेपी की ‘एक अनुचित मंशा’ थी। “उनका मकसद जम्मू-कश्मीर में जनसंख्या के अनुपात को बदलना है। यह जम्मू से शुरू होगा जब वहां बड़ी संख्या में बाहर के लोग आएंगे। इससे डोगरा संस्कृति ही नहीं बल्कि व्यापार और रोजगार भी प्रभावित होंगे।“
डॉ. फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस ने दावा किया कि बीजेपी ‘चुनावों से डरी हुई है और जानती है कि वह बुरी तरह हारेगी, इसलिए वह यहां 25 लाख बाहरी मतदाताओं को जोड़ने की अपनी योजना पर आगे बढ़ रही है। जम्मू-कश्मीर के लोगों को चुनाव में इन साजिशों का जवाब देना चाहिए।’ पार्टी ने एक ट्वीट में ये बातें कही।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता रतनलाल गुप्ता की यह बात सही है कि जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने ये कहा था कि इस बार 25 लाख नए वोटर बन सकते हैं । लेकिन उन्होंने ऐसी बात क्यों कही थी, ये नहीं बताया। 2019 के लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर में कुल 78.4 लाख मतदाता थे। अलग केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के बाद यह संख्या 76.7 लाख रह गई। पिछले तीन साल में तकरीबन 22 लाख युवा 18 वर्ष से साल से ज्यादा के हो चुके हैं और उनके नाम भी वोटर लिस्ट में जोड़े जाएंगे। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इसी संदर्भ में 25 लाख नए मतदाताओं की संख्या का जिक्र किया था।
फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाले गैर-बीजेपी दलों के समूह ‘पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन’ (पीएजीडी) ने मतदाता सूची में गैर-स्थानीय लोगों को शामिल करने के प्रयास को रोकने की रणनीति तैयार करने के लिए एक 14 सदस्यीय समिति का गठन कर रखा है। पीएजीडी में कांग्रेस, डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी और डोगरा सदर सभा के नेता भी शामिल हैं।
वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने वोटर लिस्ट में गैर-स्थानीय लोगों के नाम जोड़ने की पहल का स्वागत किया है जो लंबे समय से जम्मू क्षेत्र में रह रहे हैं। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष रवीन्द्र रैना ने कहा कि हालांकि लवासा ने अपना आदेश वापस ले लिया है लेकिन देश का संविधान लागू है और इसके प्रावधानों के मुताबिक, किसी को भी किसी भी जगह पर अपना नाम वोटर के रूप में दर्ज कराने से कोई नहीं रोक सकता।
रैना ने कहा-‘जम्मू-कश्मीर में जन प्रतिनिधित्व कानून लागू है। यह क़ानून पूरे देश पर लागू होता है और यहां भी लागू है। जो भी व्यक्ति लंबे समय से एक जगह पर रह रहा हो, वह अपने जन्म स्थान से अपना वोट स्थानानंतरित कराने का हकदार है। इसलिये जो भी यहां रह रहा है, वो यहां का वोटर बन सकता है। देश का संविधान इसकी इजाज़त देता है।’ रैना ने यह भी कहा कि बंटवारे के बाद पश्चिमी पाकिस्तान से आए हज़ारों लोग, जम्मू-कश्मीर के चुनाव में वोट नहीं डाल पा रहे थे । उन्हें वोट डालने का अधिकार मिलना चाहिए।
डिप्टी कमिश्नर द्वारा वापस लिये गये आदेश में यह प्रावधान था कि जम्मू क्षेत्र में एक साल से ज्यादा समय से रहने वाला कोई भी व्यक्ति पानी, बिजली या गैस कनेक्शन बिल, या आधार कार्ड, बैंक या डाकघर बचत खाते का पासबुक या पासपोर्ट या किसान बुक या भूमि स्वामित्व दस्तावेज या घर की रजिस्ट्री का दस्तावेज या रेंट या फिर लीज एग्रीमेंट की प्रति जमा करा कर वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवा सकता है। बूथ लेवल अफसर द्वारा ग्राउंड वेरिफिकेशन के बाद नाम वोटर लिस्ट में शामिल किया जाएगा।
कांग्रेस के पूर्व नेता और डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘इस आदेश से जम्मू-कश्मीर में सामाजिक तनाव बढ़ेगा। आजाद ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में सिर्फ स्थानीय लोगों को ही वोट देने का अधिकार मिलना चाहिए।‘
वोटर लिस्ट से जुड़े आदेश पर जम्मू कस्मीर में लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया रही। कुछ लोगों ने इंडिया टीवी को बताया कि ये तो होना ही था। देश का क़ानून जम्मू-कश्मीर में लागू होगा तो बाहरी (गैर-स्थानीय ) वोटर बनेंगे ही। इस पर बेवजह की सियासत हो रही है। वहीं, कुछ लोगों का कहना था कि सरकार अगर जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए बनेगी तो बाहरी को वोटर बनाने का क्या मतलब?
सियासी लोग अपनी-अपनी तरह से वोटर लिस्ट में बदलाव की व्याख्या कर रहे हैं। लेकिन मैं आपको कुछ तथ्य बताता हूं। जम्मू कश्मीर में 18 साल की उम्र पार कर चुके 22 लाख से ज्यादा नौजवानों का नाम वोटर लिस्ट में जुड़ेगा। इसके अलावा एक लाख 46 हजार से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो पाकिस्तान और पीओके से भागकर जम्मू कश्मीर में आए थे लेकिन अनुच्छेद 370 के कारण अभी तक उन्हें वोटिंग के अधिकार नहीं मिले थे। अब इनके नाम भी वोटर लिस्ट में जुड़ेंगे।
जम्मू-कश्मीर में 14 लाख लोग ऐसे हैं जो 10 साल से ज्यादा वक्त से जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं लेकिन अनुच्छेद 370 के कारण वो भी अब तक वोटर लिस्ट में शामिल नहीं थे। साढ़े तीन लाख लोग ऐसे हैं जो तीन साल से ज्यादा वक्त से जम्मू-कश्मीर में हैं उनके नाम भी वोटर लिस्ट में नहीं हैं और वो भी जुड़ेंगे। मंगलवार को जारी आदेश में जम्मू क्षेत्र में एक साल से ज्यादा समय से रहनेवाले लोगों को मतदान का अधिकार दिया गया लेकिन बाद में इस आदेश को वापस ले लिया गया।
देश के दूसरे राज्यों में चुनाव आयोग हर तीन महीने में वोटर लिस्ट में रिविजन का मौका देता है। अगर कोई पंजाब से आकर तीन महीने से दिल्ली में रह रहा है तो वह दिल्ली की वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वा सकता है। इसलिए ये कहना ठीक नहीं है कि जम्मू कश्मीर में अलग नियम लागू किए जा रहे हैं। हकीकत ये है कि अब जम्मू-कश्मीर में सही मायने में ‘एक झंडा एक विधान’ लागू हो रहा है। कश्मीर के नेताओं को यह समझ लेना चाहिए कि पुराने दिन अब लद गए हैं।
If Indians can vote anywhere in India, why not in Jammu and Kashmir?
Following an outcry by non-BJP opposition parties in Jammu and Kashmir, the Jammu administration late on Wednesday night withdrew its earlier order authorizing tehsildars (revenue officials) to issue certificates of residence to those residing in Jammu for more than a year to enable them to register as voters. The certificates were to be issued on the basis of ground verification of people who have been living in Jammu region for over a year, but do no possess any document prescribed by the Election Commission of India.
No reason was specified for the withdrawal of the order that was issued on Tuesday by District Election Officer and Deputy Commissioner of Jammu, Avny Lavasa, after taking note of some eligible voters facing hardships in registration as voters for non-availability of required documents. Already the Special Summary Revision of electoral rolls has begin in the Union Territory from September 15 for registration of new voters and for deletion, correction and transposition of voters who have migrated or died since the last revision.
Three former chief ministers Mehbooba Mufti, Dr. Farooq Abdullah and Ghulam Nabi Azad opposed the move alleging that the Centre was trying to change the demography of the union territory.
JKPDP chief Mehbooba Mufti said, giving voting rights to people from outside Jammu region can lead to a deluge of people from outside. She tweeted: “ECI’s latest order for registration of new voters makes it clear that the GOI’s colonial settler project has been initiated in Jammu. They will bear the first blow to Dogra culture, identity, employment and business.”
Speaking to reporters in Kulgam, Mehbooba Mufti alleged that BJP has “an illegitimate intent” behind the abrogation of Article 370. “Their aim is to change the population ratio in Jammu and Kashmir. It will start in Jammu when a sea of people will come from outside and it will harm the Dogras who will lose out on business, employment and resources.”
Dr Farooq Abdullah’s National Conference claimed that the BJP “is scared of elections and knows it will lose badly. That’s why it is going ahead with its plan to add 25 lakh non-local voters here. People of Jammu and Kashmir must defeat these conspiracies at the ballot box”, the party said in a tweet.
National Conference leader Ratanlal Gupta’s remark is correct that the Chief Electoral Officer of J&K had said that names of 25 lakh new voters will be included in the electoral rolls, but he did not mention why the CEO said this. In the 2019 Lok Sabha elections, there were 78.4 lakh voters. Excluding the separate UT of Ladakh, the number was 76.7 lakhs. During the last three years, nearly 22 lakh youths have attained the age of more than 18 years and are therefore eligible to vote. The CEO had mentioned the number of 25 lakh new voters in this context.
The group of non-BJP parties ‘People’s Alliance for Gupkar Declaration” (PAGD), led by Dr Farooq Abdullah, has already formed a 14-member committee to chalk out a strategy to stop “any attempt at manipulation and inclusion of non-locals in the revised electoral rolls”. The PAGD also includes leaders from Congress, Dogra Swabhiman Sangathan Party and Dogra Sadar Sabha.
On the other hand, BJP has favoured inclusion of non-locals who have been residing for long duration in Jammu region in the electoral rolls. State BJP chief Ravinder Raina said, though Lavasa has withdrawn her order, the Constitution of India is there, and as per its provisions, no one can stop anybody from getting registered as a voter at a particular place.
Raina said, “As per the provision of Representation of People’s Act, anyone who is long residing at a place, is entitled to shift his vote to the play of stay from his place of birth. There is nothing wrong in it, and even the Constitution gives every citizen the right to get enrolled as voter at a place of his choice.” Raina also said that thousands of people who had come from Pakistan or PoK, had no right to vote till now, and they should not get the right to exercise their vote.
According to the Deputy Commissioner’s order, now withdrawn, anybody residing in Jammu region for more than one year, can include his name in the electoral rolls, by submitting water, electricity or gas connection bills, or Aadhar card, bank or post office savings account passbook, or passport, Kisan book, or land ownership document, or home registry document, or rent or lease agreement. The inclusion will be subject to ground verification by BLOs (booth level officers).
Former Congress leader and Democratic Azad Party chief Ghulam Nabi Azad said, the order will increase social tensions in Jammu and Kashmir. Azad said, only locals in Jammu and Kashmir should get the right to vote.
There were mixed reactions from common people. Some residents told India TV that the nation’s laws must be applicable to Jammu and Kashmir now and non-locals must get the right to vote, but several others said, if J&K should have its own government, what is the point in giving voting rights to non-locals?
Political leaders have their own axes to grind when it comes to the issue of voters. But let me narrate some facts. There are at present more than 22 lakh youths in Jammu and Kashmir who are already 18 years of age. Their names will be included in the electoral rolls. There are more than 1,46,000 people who had fled Pakistan and PoK and settled in Jammu and Kashmir, but they were denied voting rights because of Article 370. Their names will also be included in the rolls.
There are nearly 14 lakh people who have been living in Jammu and Kashmir for more than 10 years, but they were denied voting rights due to Article 370. There are more than 3.5 lakh people who have been living J&K for more than three years, and their names are not there in the electoral rolls. The order issued on Tuesday, but later withdrawn, gave voting rights to residents living in Jammu region for more than one year.
In other states of India, the Election Commission allows revision of electoral rolls after every three months. Anybody from Punjab living in Delhi for more than three years, can get his name included in Delhi electoral rolls. So, it is unfair to say that new voters registration rules are being implemented in Jammu and Kashmir. The fact is that “One Flag, One Constitution” is now in force in Jammu and Kashmir after the annulment of Article 370. The politicians of Kashmir valley must realize that the old days are over.
महाकाल लोक: मोदी कैसे कर रहे हैं सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का संचार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान महाकालेश्वर के मंदिर परिसर में 900 मीटर लंबे ‘श्री महाकाल लोक’ गलियारे के प्रथम चरण का लोकार्पण किया। कुल 856 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के पहले चरण में ‘महाकाल लोक’ को 351 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। मंदिर में आए श्रद्धालु इसके स्वरूप में आए अद्वितीय और अद्भुत परिवर्तन को देखकर हैरान रह गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में विशेष पूजा-अर्चना के बाद वहां आए श्रद्धालुओं को संबोधित भी किया।
मोदी ने ई-कार्ट में बैठकर पूरे महाकाल कॉरिडोर को देखा। उन्होंने उन 108 अलंकृत स्तंभों पर ‘आनंद तांडव स्वरूप’ (भगवान शिव के अलौकिक नृत्य का एक रूप) और लगभग 200 नक्काशीदार मूर्तियों और भित्ति चित्रों में भगवान शिव और देवी शक्ति की आकृतियों को देखा। मुख्य द्वार से लेकर मंदिर तक शिव की 93 मूर्तियां हैं, और हर मूर्ति का अपना QR कोड है ताकि कोई भी श्रद्धालु कोड को स्कैन कर सके और उमा ऐप (Uma App) पर जाकर इन मूर्तियों के बारे में जानकारी हासिल कर सके।
महाकाल कॉरिडोर में सबसे ज्यादा चर्चा सप्तऋषि मंडल की है। यहां शिवजी के शिष्य कहे जाने वाले सप्त ऋषियों – कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भारद्वाज की प्रतिमाएं ध्यान की मुद्रा में लगाई गई हैं। इन्हीं सप्तऋषियों के नाम पर हिंदू धर्म में गोत्र की उत्पत्ति हुई। सप्तऋषि मंडल के बीच में शिव स्तंभ बना है, लगता है मानो ये सप्तऋषि अपने गुरु से शिक्षा ले रहे हों । यहां समुद्र मंथन से जुड़ी प्रतिमा भी है जहां भगवान शिव को विष पीते दिखाया गया है। ‘महाकाल पथ’ पर रक्षा धागे से बना एक विशाल शिवलिंग बना है। मोदी द्वारा इस शिवलिंग को देखे जाने के बाद इसे वहां से हटा दिया गया।
सुप्रसिद्ध रुद्रसागर, जिसका वर्णन ’स्कंद पुराण’ में भी है, पहले बदबू और कचरे से भरा तालाब हुआ करता था, लेकिन अब यह क्षिप्रा नदी से लाए गए पवित्र जल से भरी हुई है। झील में पानी का स्तर सुधारने के लिए बड़े पैमाने पर सफाई की गई। कॉरिडोर बनाने के लिए क्षिप्रा नदी से महाकालेश्वर मंदिर तक के रास्ते पर लगभग 152 इमारतों का अधिग्रहण किया गया। बड़ी संख्या में उज्जैन आने वाले पर्यटकों की सुविधा और मध्य प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दुकानों, विश्राम गृहों, इमर्जेंसी मेडिकल फैसिलिटी, ई-वीकल्स और सोलर-बेस्ड पार्किंग की व्यवस्था की गई है।
दूसरे चरण में महाराजवाड़ा, महाकाल गेट, रुद्रसागर, हरि फाटक ब्रिज, रामघाट के आगे का हिस्सा, रुद्रसागर में म्यूजिकल फाउंटेन, बेगम बाग रोड जैसे इलाकों को संवारा जाएगा और कुंभ संग्रहालय की स्थापना की जाएगी। महाकालेश्वर मंदिर से रामघाट तक पुराने पैदल मार्ग के पास एक बागीचा भी लगाया जाएगा। क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित रामघाट पर ‘लाइट एंड साउंड शो’ होंगे।
अपने ओजस्वी भाषण में मोदी ने कहा, ‘महाकाल लोक की ये भव्यता भी समय की सीमाओं से परे आने वाली कई-कई पीढ़ियों को अलौकिक दिव्यता के दर्शन कराएगी, भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना को ऊर्जा देगी। विशेष रूप से, मैं शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार, उनका मैं हृदय से अभिनंदन करता हूँ, जो लगातार इतने समर्पण से इस सेवायज्ञ में लगे हुये हैं। साथ ही, मैं मंदिर ट्रस्ट से जुड़े सभी लोगों का, संतों और विद्वानों का भी आदरपूवर्क धन्यवाद करता हूँ जिनके सहयोग ने इस प्रयास को सफल किया है।’
उज्जैन, जिसे प्राचीन काल में अवंतिका कहा जाता था, की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा, ‘हजारों वर्ष पूर्व जब भारत का भौगोलिक स्वरूप आज से अलग रहा होगा, तब से ये माना जाता रहा है कि उज्जैन भारत के केंद्र में है। एक तरह से, ज्योतिषीय गणनाओं में उज्जैन न केवल भारत का केंद्र रहा है, बल्कि ये भारत की आत्मा का भी केंद्र रहा है। ये वो नगर है, जो हमारी पवित्र सात पुरियों में से एक गिना जाता है। ये वो नगर है, जहां स्वयं भगवान कृष्ण ने भी आकर शिक्षा ग्रहण की थी। उज्जैन ने महाराजा विक्रमादित्य का वो प्रताप देखा है, जिसने भारत के नए स्वर्णकाल की शुरुआत की थी।’
मोदी ने कहा, ‘महाकाल की इसी धरती से विक्रम संवत के रूप में भारतीय कालगणना का एक नया अध्याय शुरू हुआ था। उज्जैन के क्षण-क्षण में,पल-पल में इतिहास सिमटा हुआ है, कण-कण में आध्यात्म समाया हुआ है, और कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचारित हो रही है। यहां काल चक्र का, 84 कल्पों का प्रतिनिधित्व करते 84 शिवलिंग हैं। यहां 4 महावीर हैं, 6 विनायक हैं, 8 भैरव हैं, अष्टमातृकाएं हैं, 9 नवग्रह हैं, 10 विष्णु हैं, 11 रुद्र हैं, 12 आदित्य हैं, 24 देवियां हैं, और 88 तीर्थ हैं। और इन सबके केंद्र में राजाधिराज कालाधिराज महाकाल विराजमान हैं।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यानी, एक तरह से हमारे पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा को हमारे ऋषियों ने प्रतीक स्वरूप में उज्जैन में स्थापित किया हुआ है। इसीलिए, उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारत की संपन्नता और समृद्धि का, ज्ञान और गरिमा का, सभ्यता और साहित्य का नेतृत्व किया है। इस नगरी का वास्तु कैसा था, वैभव कैसा था, शिल्प कैसा था, सौन्दर्य कैसा था, इसके दर्शन हमें महाकवि कालिदास के मेघदूतम् में होते हैं। बाणभट्ट जैसे कवियों के काव्य में यहां की संस्कृति और परम्पराओं का चित्रण हमें आज भी मिलता है। यही नहीं, मध्यकाल के लेखकों ने भी यहां के स्थापत्य और वास्तुकला का गुणगान किया है।’
मोदी ने बताया कि कैसे उनकी सरकार भारत में प्रमुख मंदिरों का जीर्णोद्धार कर रही है। उन्होंने कहा, ‘आज अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है। काशी में विश्वनाथ धाम, भारत की सांस्कृतिक राजधानी का गौरव बढ़ा रहा है। सोमनाथ में विकास के कार्य नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। उत्तराखंड में बाबा केदार के आशीर्वाद से केदारनाथ-बद्रीनाथ तीर्थ क्षेत्र में विकास के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार चारधाम प्रोजेक्ट के जरिए हमारे चारों धाम ऑल वेदर रोड्स से जुड़ने जा रहे हैं। इतना ही नहीं, आजादी के बाद पहली बार करतारपुर साहिब कॉरिडॉर खुला है, हेमकुंड साहिब रोपवे से जुड़ने जा रहा है। इसी तरह, स्वदेश दर्शन और प्रासाद योजना से देशभर में हमारी आध्यात्मिक चेतना के ऐसे कितने ही केन्द्रों का गौरव पुनर्स्थापित हो रहा है। और अब इसी कड़ी में, ये भव्य, अतिभव्य ‘महाकाल लोक’ भी अतीत के गौरव के साथ भविष्य के स्वागत के लिए तैयार हो चुका है।’
मोदी ने कहा, ‘आजादी के इस अमृतकाल में अमर अवंतिका भारत के सांस्कृतिक अमरत्व की घोषणा कर रही है। उज्जैन जो हजारों वर्षों से भारतीय कालगणना का केंद्र बिन्दु रहा है, वो आज एक बार फिर भारत की भव्यता के एक नए कालखंड का उद्घोष कर रहा है।’ प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘अतीत में हमने देखा है, प्रयास हुये, परिस्थितियाँ बदलीं, सत्ताएं बदलीं, भारत का शोषण भी हुआ, आज़ादी भी गई। इल्तुतमिश जैसे आक्रमणकारियों ने उज्जैन की ऊर्जा को भी नष्ट करने के प्रयास किए। भारत अपनी आस्था के इन प्रामाणिक केन्द्रों की ऊर्जा से फिर पुनर्जीवित हो उठा, फिर उठ खड़ा हुआ। हमने फिर अपने अमरत्व की वैसी ही विश्वव्यापी घोषणा कर दी।’
महाकाल के परिसर के भव्य स्वरूप को देखकर किसी भी हिंदू को गर्व होगा। महाकालेश्वर में नरेंद्र मोदी को माथे पर त्रिपुंड लगाए भगवान शिव की आराधना करते देखकर हिंदू जनमानस उत्साहित है। उन्हें शिव की महिमा देखकर अपनी विरासत पर अभिमान होगा।
जिस तरह से महाकालेश्वर मंदिर का विकास किया गया, उसकी सुंदरता, उसकी छटा और उसका विकास देखकर साफ हो जाता है कि यह एक बड़ी सोच का परिचायक है। यह विडंबना है कि आजादी के 75 साल हो गए, लेकिन जिन मंदिरों के प्रति करोड़ों लोगों की आस्था है, पहले किसी ने उनके रखरखाव और वहां आने वाले लोगों की सुविधाओं पर ध्यान तक नहीं दिया। नरेंद्र मोदी ने उन करोड़ों लोगों के बारे में सोचा जो इन मंदिरों में श्रद्धा के साथ भगवान का आशीर्वाद लेने जाते हैं।
अब चाहे उज्जैन में महाकालेश्वर हो, काशी विश्वनाथ हो, केदारनाथ हो, गुजरात में सोमनाथ हो, देवघर में वैद्यनाथ हो, अयोध्या में रामजन्म भूमि हो, हर जगह मंदिरों को भव्य स्वरूप दिया जा रहा है। भक्तों की सहूलियत का ध्यान रखा गया है। यह अपने आप में एक बड़ा काम है और इसका पूरा क्रेडिट नरेंद्र मोदी को जाना चाहिए।
यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ये मंदिर सिर्फ श्रद्धा के केंद्र नहीं हैं, इनके विकास से इनके आसपास के इलाके पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित होंगे जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। भक्ति और विकास का ये अनूठा संगम सिर्फ एक बहुमुखी प्रयास है। मुझे विश्वास है कि मंदिरों का ये पुनरुत्थान आने वाले हजारों साल तक जनमानस में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना का संचार करेगा।
Mahakal Lok: How Modi is bringing about cultural and spiritual awakening
Prime Minister Narendra Modi on Tuedsay unveiled the first phase of the Rs 856 crore ‘Shri Mahakal Lok’ project, a 900-metre-long corridor at the world famous ‘Jyotirlinga’ shrine of Lord Mahakaleshwar in Ujjain, Madhya Pradesh. The stunning and breathtaking transformation of the shrine enthralled visitors who came to the shrine to hear Prime Minister Modi speak, after he offered special prayers in the ‘garbhagriha’ (sanctum sanctorum) of Mahakaleshwar shrine.
Modi went round the corridor in an e-kart and watched 108 ornate pillars that depict ‘Ananda Tandava Swaroop’ (a form of Lord Shiva’s ethereal dance) and nearly 200 exquisitely carved statues and murals depicting Lord Shiva and goddess Shakti. From the main entrance to the shrine are 93 statues of Lord Shiva, each with a QR code, so that any visitor can scan the codes and download information on Uma App about the religious sculptures.
There are the sculptures of Saptarishis, said to be Lord Shiva’s disciples – Kashyap, Atri, Vashisht, Vishwamitra, Gautam, Jamadagni and Bharadwaj. These ‘saptarishis’ were the pioneers of ‘gotras’ in Hindu dharma. In the middle of Saptarshi Mandal is a Shiva Stambha (pillar) to depict that the seven rishis were taking lessons from Shiva. There is also the sculpture of Samudra manthan (churning of ocean), with Lord Shiva drinking the poison that emanated. On ‘Mahakal Path’ (corridor) was also a huge shivling made from sacred thread (Raksha dhaga). After Modi watched this beautiful shivling, it was removed.
The iconic Rudrasagar Lake, mentioned in ‘Skanda Purana’, which was earlier a pond filled with stench and garbage, now sparkles with water brought from River Kshipra that flows near Ujjain. A massive clean-up was done to improve the quality of water in the lake. Nearly 152 buildings on the path from Kshipra river to the Mahakaleshwar shrine were acquired to build the corridor. Convenience shops, accommodation in rest houses, emergency treatment facilities, e-vehicles and solar-based parking facilities have been built to facilitate tourists, who are likely to visit Ujjain in large numbers and give a huge boost to M.P. tourism.
In the second phase, localities like Maharajwada, Mahakal gate, Rudrasagar, Hari Phaatak bridge, Ramghat façade, musical fountain at Rudrasagar, Begum Bagh Road, will be spruced up, and a Kumbh Museum will be set up. From Mahakleshwar temple to Ramghat, near the old pedestrian walkway, a garden will be developed. There will be light and sound shows at Ramghat along the Kshipra river.
In his emotional speech, Prime Minister Modi said, “the grandeur of Mahakal Lok will radiate energy for India’s cultural and spiritual awakening, and its divine splendour will be a sight to behold for many generations, beyond the limits of time.” He thanked Chief Minister Shivraj Singh Chouhan, his government, those from the Temple Trust and sadhus who collaborated in the building of this corridor.
Describing the significance of Ujjain, earlier known as Avantika, Modi said, “Thousands of years ago, when the geographical contours of India could have been different from today’s, it was assumed that Ujjain was located at the centre of India. Ujjain was at the centre not only from the view of astrological calculations, but it was the centre of India’s soul. This city was one of the seven sacred ‘Puris’ (ancient cities) of India, where Lord Shri Krishna came for his education. Ujjain has witnessed the valour of King Vikramaditya, who ushered in a new golden age in India.”
Modi said, “On the soil of Mahakal, began a new chapter of Indian calculations of time in the form of Vikram Samvat. Each moment of Ujjain encapsulates history and spirituality, and divine energy radiates from each of its corners. There are 84 shivlingas here that represent the 84 ‘kalps’ of Kaal Chakra, there are 4 Mahavirs, 6 Vinayaks, 8 Bhairavs, 8 Matrikas, 9 Navgrahas, 10 Vishnus, 11 Rudras, 12 Adityas, 24 Devis and 88 ‘teerths’ here. In the centre is Rajadhiraj Kaladhiraj Mahakal.”
The Prime Minister said, “In a manner, our rishis had concentrated the symbolic energy of entire universe here in Ujjain. It is because of this that Ujjain, in course of thousands of years, led India’s prosperity, knowledge, glory, civilisation and literature. We can visualize the architecture, its splendour and beauty from the great epic Meghadootam by Mahakavi Kalidasa. Poets like Banabhatta portrayed the culture and traditions of this city. Even writers from Middle Ages, have praised Ujjain’s architecture and sculpture.”
Modi reminded people of how his government has undertaken renovation of major shrines across India. He said, “Work on Ram Mandir is going on at full pace in Ayodhya today. Vishwanath Dham corridor in Kashi has been built. New records of development are being set up in Somnath. New chapters are being written to renovate Kedarnath-Vishwanath area with the blessings of Baba Kedar. For the first time since independence, the Char Dham project has started to link all four shrines by all-weather roads. For the first time since independence, Kartarpur Sahib Corridor has been opened, and Hemkund Sahib is going to be linked by a ropeway. In this series, this grand Mahakal Lok, steeped with the glory of past, is ready to welcome the future.”
Modi said, “In this Amrit Kaal, the immortal Avantika is announcing India’s cultural immortality. Ujjain, which has been the centre of Indian astrological time calculations (Kaal Ganana), now announces a new ‘Kaal Khand’ (period) of India’s cultural and spiritual grandeur.” The Prime Minister also mentioned, “In the past, we saw how conditions changed, rulers changed, India was exploited and we lost our freedom. Invaders like Iltutmish (of Slave Dynasty) tried to destroy Ujjain’s energy, but our centres of faith rejuvenated themselves.”
Any Hindu will feel proud on seeing the grandeur of the magnificient Shri Mahakal Lok corridor. Hindus across the world feel a sense of pride when they watch their Prime Minister Narendra Modi offered prayers to Lord Mahakaleshwar with sandal paste on his forehead. They will surely feel proud on watching the timelessness of Hindu Sanatani spririt on watching the renovated corridor.
This reflects the beginning of a new age of thought. It was a misfortune that rulers during the last 75 years never paid serious attention on renovating the iconic Hindu shrines and on providing basic facilities to millions of devotees that come to pay their obeisance. It was Narendra Modi who thought about the millions of Indians who visit these famous shrines to seek divine blessings.
Whether it is Mahakaleshwar in Ujjain, or Vishwanath in Kashi, or Kedarnath, or Somnath in Gujarat, or Baba Vaidyanath in Deoghar or the Ram Janmabhoomi in Ayodhya, all these shrines are getting a big makeover. Devotees visiting these shrines are now availing of better facilities. This, in itself, is a huge task and the credit should go to Narendra Modi.
We must not forget that our temples are not only centres of our faith, but they provide employment to thousands of people, when devotees visit those cities. Religious tourism gets a big boost. This mix of faith and development is a multi-faceted one. I am of the firm view that the renovation of holy shrines across India will impart tremendous energy to the spiritual and cultural consciousness of all Indians.