जोधपुर दंगे : ज़िम्मेदार कौन ?
राजस्थान के जोधपुर में ईद के दिन (मंगलवार) दो समुदायों के बीच हिंसा हुई और पुलिस ने अब तक 97 लोगों को हिरासत में लिया है। मंगलवार सुबह मुसलमानों ने ईद की नमाज अदा की और नमाज खत्म होते ही पथराव शुरू हो गया। इस दौरान तलवारें लहराई गईं, लाठी-डंडों से हमले हुए और एसिड भरी बोतलें भी फेंकी गईं। घरों पर पथराव हुए और दर्जनों गाड़ियों में तोड़फोड़ हुई।
जोधपुर शहर के 10 थाना क्षेत्रों में मंगलवार से कर्फ्यू लगा हुआ है। हिंसा की यह घटना राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अपने गृह क्षेत्र में हुई और मंगलवार को उनका जन्मदिन भी था। मुख्यमंत्री ने अपने जन्मदिन को लेकर होनेवाले सभी समारोहों को रद्द कर दिया और हालात को नियंत्रित करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठकें कीं । जोधपुर में एक हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। शहर में मोबाइल इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दोनों समुदायों से सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने अपने दो मंत्रियों, राजेंद्र यादव और सुभाष गर्ग को पुलिस के बड़े अधिकारियों के साथ जोधपुर शहर में भेजा। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब ईद से एक रात पहले धार्मिक झंडे को लेकर दो गुटों के बीच झड़प हुई थी तो फिर शहर की पुलिस अलर्ट क्यों नहीं थी ?
जोधपुर के जालोरी गेट पर स्वतंत्रता सेनानी बाल मुकुंद बिस्सा की मूर्ति है। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मात्र 34 वर्ष की उम्र में उनकी मौत हो गई थी। उन्हें महान क्रांतिकारी बाघा जतिन के समकक्ष माना जाता है। सोमवार की रात मुस्लिम समुदाय के कुछ शरारती तत्वों ने बिस्सा की मूर्ति के पास से भगवा झंडा हटाकर इस्लामिक झंडा लगा दिया। झंडा़ लगाने के लिए मूर्ति के चेहरे पर चारों तरफ से ब्लैक टेप लगा दिया। स्वतंत्रता सेनानी बाल मुकुंद बिस्सा का चेहरा पूरी तरह काले रंग के टेप से ढक गया। दरअसल, यह जानबूझकर किया गया था क्योंकि स्थानीय हिंदू संगठनों ने अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती त्योहारों को मनाने के लिए जालौरी गेट चौराहे की काफी आकर्षक सजावट की थी।
इसी बात को लेकर हिंदू और मुस्लिम युवकों में पहले बहस हुई और फिर मारपीट होने लगी । अचानक लाठी-डंडे और तलवारें निकल आईं और पत्थरबाजी भी होने लगी। कुछ पता ही नहीं चला कि इतनी जल्दी हथियार कहां से आ गए? कुछ ही मिनटों में सैकड़ों की भीड़ ने हमला कैसे कर दिया? इन सबसे यह लगा कि हिंसा की तैयारी पहले से थी। सैकड़ों मुस्लिम नौजवानों की भीड़ जमा हो गई और ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगाने लगी। हिंदू युवक ‘अल्लाहू अकबर’ के जवाब में ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाने लगे। देखते ही देखते दंगाई चौक से निकल कर मोहल्लों तक पहुंच गए और पथराव करने लगे । दंगाईयों ने गाड़ियों में जमकर तोड़फोड़ की।
जालोरी गेट का इलाका जोधपुर के सुरसागर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां से सूर्यकांत व्यास बीजेपी की विधायक हैं। उनके घर पर भी पथराव किया गया और उनके घर के बाहर खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी गई। सूर्यकांता व्यास लगातार जालौरी गेट इलाके में लोगों को समझाने-बुझाने में लगी रहीं। उन्होंने मीडिया से कहा कि कहा कि जोधपुर में इस तरह की हिंसा कभी नहीं हुई और उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि ईद के मुबारक मौके पर इस तरह से हिंसा होगी।
हैरानी की बात यह है कि जब रात में इतनी हिंसा हो चुकी थी उसके बाद भी प्रशासन नहीं जागा। जोधपुर प्रशासन ने लोगों को मुख्य सड़क पर नमाज़ पढ़ने की इजाज़त दी थी इसलिए इतनी बड़ी तादाद में लोग एक जगह जमा हुए और फिर हालात खराब होने लगे। जोधपुर से बीजेपी के सांसद और मोदी सरकार में मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी कहा कि प्रशासन ने जिस तरह एक वर्ग को छूट दी उससे शक पैदा होता है कि हिंसा हुई नहीं, करवाई गई। चूंकि सबसे जयादा हिंसा सुनारों के मोहल्ले में हुई इसलिए केंद्रीय मंत्री शेखावत उस मोहल्ले में गए और पीड़ितों से मुलाकात की, हालांकि इलाके में हालात तनावपूर्ण थे इसलिए पुलिस ने शेखावत को वहां जाने से रोकने की कोशिश की लेकिन लोग इतने नाराज थे कि उन्होंने पुलिस के सामने ही हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
रात भर हुई हिंसा के बाद जब सुबह में ईद की नमाज के लिए मुसलमान जालोरी गेट इलाके में जमा हुए तो तनाव का माहौल था। नमाज तो शांति से खत्म हो गई लेकिन कुछ ही देर में लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। हिंसा पर उतारू भीड़ ने पुलिस वालों को भी नहीं बख्शा। मौके पर तैनात पुलिसकर्मी भी बेबस नजर आए। दंगाइयों ने दर्जनों वाहनों को तोड़ दिया।
इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। हालात के मद्देनजर बुधवार रात तक के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया। झड़प और भगदड़ के बीच पूरे इलाके में हजारों जूते-चप्पल बिखरे पड़े थे। जालोरी गेट के बाद धीरे-धीरे घनी आबादी वाली गलियों में भी हिंसा फैल गई। दंगाइयों ने गाड़ियों के अलावा एटीएम मशीनों और दुकानों के शीशे तोड़ दिए। उन्होंने महिलाओं और बच्चों को भी निशाना बनाया।
कबूतर चौक इलाके में भीड़ ने पांच साल की एक बच्ची को पीट दिया। बच्ची को पिटता देख इलाके के हिन्दू भी भड़क गए। उन लोगों ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख ज्यादा है कि जिन लोगों के साथ रोज का उठना-बैठना है, जो लोग दुकानों से रोज सामान लेते हैं आज वही लोग दुकान लूट रहे हैं। जिन लोगों से गले मिलते हैं वही लोग गला काटने की बात कर रहे हैं। सीसीटीवी फुटेज में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि भीड़ तलवारें, पत्थर और लाठियों से बाइक सवारों पर हमले कर रही है। एक दंगाई ने तो बाइक सवार युवक पर तलवार से हमला कर दिया।
कर्फ्यू लगने के बाद दर्जनों मुसलमानों ने जालोरी गेट मोहल्ले की जालम बावड़ी मस्जिद में शरण ली। बाद में पुलिस ने उन्हें उनके घर लौटने में मदद की। जहां बीजेपी नेताओं ने सांप्रदायिक हिंसा के लिए राजस्थान की कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया, वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बीजेपी नेताओं पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जिन-जिन राज्यों में चुनाव होने हैं उन सब राज्यों में बीजेपी इसी तरह के दंगे करवाएगी। उन्होंने कहा बीजेपी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी सांप्रदायिक दंगे भड़काने की योजना बना रही है । इन राज्यों में अगले साल चुनाव होने हैं।
सुरजेवाला सियासी बयान देकर बच नहीं सकते। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और अगर जोधपुर हिंसा में बीजेपी का हाथ है तो फिर पुलिस बीजेपी के लोगों को गिरफ्तार क्यों नहीं करती ? राजस्थान पुलिस को किसने रोका है?
वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस मामले की नजाकत को समझते हैं इसीलिए उन्होंने इस मामले में सियासत नहीं की, कोई सियासी बयान नहीं दिया । उन्होंने जोधपुर में तैनात बड़े अफसरों की क्लास लगाई है। अगर एक बार हिंसा होती तो माना जा सकता था कि दो गुटों में झगड़ा हुआ और पत्थरबाजी हो गई। लेकिन रात में हिंसा हुई और फिर सुबह भी पत्थर चले, एसिड बम फेंके गए तो सवाल यह उठता है कि रात भर प्रशासन क्या कर रहा था ? प्रशासन को हिंसा की प्लानिंग की खबर क्यों नहीं हुई?
दरअसल, राजस्थान को लेकर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि एक महीने में ये दूसरा मौका है जब किसी त्योहार के मौके पर राज्य में हिंसा हुई है। ठीक एक महीने पहले यानी 2 अप्रैल को रामनवमी के दिन राजस्थान के करौली में हिंसा हुई थी। तब राजस्थान के डीजीपी ने कह दिया कि रामनवमी की शोभा यात्रा में डीजे बज रहा था और लोगों ने भड़काऊ नारे लगाए इसलिए हिंसा हुई । मुझे लगता है कि इस तरह के मामलों में सियासी बयानबाजी से बचना चाहिए, हर मामले को चुनाव से जोड़ देना ठीक नहीं है। इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि जब जालोरी गेट पर रात में झड़प हुई तो फिर कुछ घंटे बाद ही प्रशासन ने खुली सड़क पर ईद की नमाज की इजाजत क्यों दी? अभी तक इसका कोई ठोस जवाब नहीं मिल सका है।
Jodhpur riots: Who is to blame?
Communal clashes took place in Jodhpur city of Rajasthan on Eid Day (Tuesday) and till now 97 persons have been rounded up by police. Muslims took part in Eid namaaz on Tuesday morning, and soon after the namaaz was over, there was stone pelting. Swords were brandished, lathis were used and bottles filled with acid were thrown. Several dozen vehicles were smashed and homes were stoned.
Curfew has been enforced in ten police station areas of Jodhpur city since Tuesday. The clashes happened in Rajasthan chief minister Ashok Gehlot’s home constituency, and Tuesday was his birthday. The chief minister cancelled all birthday celebrations and held meetings to control the situation. More than 1,000 police personnel have been deployed in the city. Mobile internet services have been suspended in Jodhpur.
Chief Minister Gehlot appealed to both the communities to maintain harmony. He sent two of his ministers, Rajendra Yadav and Subhash Garg, along with top police officers to the city. The moot questions is why the city police was not on alert, because on the night preceding Eid ul-Fitr there were clashes between two groups over hoisting of flags.
At Jalori Gate of Jodhpur stands the statue of freedom fighter Balmukund Bissa, who died at the age of 34 during the Quit India movement in 1942. He is known as the equivalent of great revolutionary Bagha Jatin. On Monday night, some mischievous elements from Muslim community removed a saffron flag and planted an Islamic flag near the statue. They put black tape on the face of the freedom fighter’s statue. This was done intentionally because local Hindu outfits had decorated the centrally located area with colourful festoons to celebrate Akshay Tritiya and Parshuram Jayanti festivals.
Hindu and Muslim youths first quarrelled and then came to blows. Lathis, swords and stones were used during the clash. Nobody knew whether these weapons had been stored with an intent to cause violence. Muslim youths shouted ‘Allahu Akbar’ and protested when the Islamic flag was sought to be removed. Hindu youths shouted ‘Jai Bajrangbali’ and ‘Jai Shree Ram’ to counter them. It soon spread to the congested localities, where rioters damaged vehicles and stoned homes.
Jalori Gate falls under Jodhpur’s Sursagar assembly constituency, from where Suryakanta Vyas is the BJP MLA. Her home was also stoned and vehicles parked outside her house were set on fire. The lady MLA tried her best to persuade the mob to stop violence. She told media that she never dreamed that there would be violence in the locality on the eve of Eid.
Surprisingly, the local administration did not wake up in time, and allowd Muslism to offer Eid namaaz on the main road. This led to deterioration in the situation. BJP MP from Jodhpur and Union Jalshakti Minister Gajendra Singh Shekhawat said, the administration had given a free hand to the Muslim community and this rouses suspicion whether the clashes took place intentionally. The worst hit was the Sunar Mohalla (goldsmiths’ locality), where the Union Minister met the affected families, despite resistance from local police. Hindus in the locality started reciting Hanuman Chalisa in front of police and demanded immediate action against rioters.
After overnight violence, when Muslims assembled for morning Eid prayers there was palpable tension in Jalori Gate locality. The prayer was over peacefully, but soon after people started stoning. Police personnel deployed at the spot looked helpless. Several dozen vehicles were smashed by rioters.
Police then resorted to lathicharge and firing of tear gas shells, and later curfew was enforced till Wednesday night. During the melee, several thousand shoes and sandals lay scattered in the area. Soon after violence spread in the densely populated lanes and bylanes. The rioters smashed vehicles, ATM machines and the glass windows of shops. Even children and women were targeted.
In Kabutar Chowk locality, the mob beat up a five-year-old girl. Local Hindus were outraged and said that they were shocked to see their Muslim brethren indulging in violence. CCTV videos clearly showed a mob carrying swords, stones and lathis attacking motorbikers. One rioter threw a sword at a youth driving a bike.
After imposition of curfew, dozens of Muslims took shelter in the Jalam Bawdi mosque in Jalori Gate locality. Later police helped them to return to their homes. While BJP leaders blamed the Congress government in Rajasthan for communal violence, Congress spokesman Randeep Surjewala blamed BJP leaders for fomenting violence. He said, BJP is planning to incite communal riots in MP and Chhattisgarh took, which will go to polls next year.
The Congress is in power in Rajasthan and Surjewala cannot just go away by making a political statement. If BJP had planned the violence, the question arises: Why is the Rajasthan Police not arresting BJP workers and leaders? Who has stopped the state police?
On the other hand, Chief Minister Ashok Gehlot understands this sensitive issue. He did not make any political remark, but took senior police and district officials to task. Clashes between two groups may take place any time, but if clashes take place at night, and in the morning, stones and acid bottles were thrown, the question arises: What was the local administration doing through the night? Why didn’t the administration keep track of preparations being made by rioters?
Rajasthan is in focus, because this is the second communal clash in the last one month. On April 2, during Ramnavami festival there was violence in Karauli and the state police chief remarked that objectionable DJ songs were being played during the Ramnavami procession, there were provocative slogans and this resulte din violence. To link all issues with elections is not the right step. Questions are being asked why the administration allowed Eid prayers on an open road, hours after clashes took place at night. There is no cogent answer till now.
मोदी ने बर्लिन में प्रवासी भारतीयों को कैसे मंत्रमुग्ध कर दिया ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में हैं। वे अपने तीन दिनों के यूरोप दौरे के चूसरे चरण में यहां पहुंचे हैं। पीएम मोदी डेनमार्क के पीएम और वहां की रानी से मुलाकात करेंगे । इसके साथ ही दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन के दौरान वे स्वीडन, आइसलैंड, फिनलैंड और नॉर्वे के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।
सोमवार को उन्होंने जर्मनी के चांसलर ओलाफ़ शोल्ज़ के साथ विभिन्न् विषयों पर लंबी चर्चा की। उन्होंने भारत और जर्मनी के इंटर गवर्नमेंटल परामर्श में भाग लिया। लेकिन पीएम मोदी की बर्लिन यात्रा का मुख्य आकर्षण प्रवासी भारतीयों के लिए दिया गया उनका करिश्माई भाषण था। यूरोप के अलग-अलग हिस्सों से आए प्रवासी भारतीयों ने सोमवार रात बर्लिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोरदार स्वागत किया।
नरेंद्र मोदी ने अपने पुराने अंदाज में प्रवासी भारतीयों को अपनी आठ साल पुरानी सरकार की उपलब्धियों और भारत की भविष्य की योजनाओं के बारे में भी बताया। मोदी ने कहा-’21वीं सदी भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आज नए भारत ने अपना मन बना लिया है और संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। कोई देश एक नए रास्ते पर तभी चलता है जब वह एक संकल्प करता है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करते दिखाता है।’
भाषण के दौरान कई बार भीड़ ने ‘मोदी है तो मुमकिन है’, ‘मोदी वन्स मोर’ का नारा लगाया। मोदी ने बताया कि कैसे नौकरशाही और लालफीताशाही की बाधाओं से बचने के लिए उनकी सरकार ने 25 हजार से ज्यादा शर्तों को पूरी तरह से हटा दिया है और करीब 1500 कानूनों को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘2014 में जीतने के बाद, हम 2019 में और ज्यादा बहुमत से जीते, क्योंकि देश के युवा तेजी से तरक्की हासिल करने के लिए राजनीतिक स्थिरता की जरूरत को समझते हैं और उन्होंने बटन (ईवीएम) दबाकर तीन दशकों की राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त कर दिया है।
थिएटर पोस्टडैमेर प्लाट्ज में मोदी के भाषण के दौरान 1600 से ज्यादा अप्रवासी भारतीय मौजूद थे जिसमें छात्र, रिसर्चर्स और प्रोफेशनल भी शामिल थे। अपने घंटे भर के भाषण में मोदी ने कहा कि एक नए भारत ने दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ने का मन बना लिया है। उन्होंने विदेशों में बसे भारतीयों से यह अनुरोध किया कि वे आगे आएं और विदेशों में ‘मेक इन इंडिया’ जैसे प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देकर अपनी मातृभूमि में अपने भाइयों की मदद करें।
मोदी ने कहा, 2014 से पहले भारत एक ‘वर्क इन प्रोग्रेस’ पर था, लेकिन एनडीए शासन के आठ वर्षों में भारत ने हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है। चाहे ईज ऑफ लिविंग हो, क्वालिटी ऑफ लाइफ हो, रोजगार में आसानी, शिक्षा की गुणवत्ता, संचार और यात्रा की गुणवत्ता हो या फिर उत्पादों की गुणवत्ता, हर क्षेत्र में भारत ने तरक्की की है। मोदी ने कहा भारत में 2014 के आसपास 200-400 स्टार्ट-अप थे, आज 68,000 स्टार्ट अप और दर्जनों यूनिकॉर्न हैं। जिनमें से कुछ पहले ही 10 अरब डॉलर के मूल्यांकन के साथ डेका-कॉर्न बन गए हैं।
मोदी ने श्रोताओं से कहा, ‘2014 में मैं अपने बाबुओं से पूछता था कि उनके बच्चे क्या कर रहे हैं। तब वे मुझे बताते थे कि उनके बच्चे आईएएस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अब जब मैं अपने बाबुओं से पूछता हूं, तो वे कहते हैं कि उनके बच्चे अब स्टार्ट-अप में हैं। मोदी ने कहा-‘नया भारत अब एक सुरक्षित भविष्य के बारे में नहीं सोचता है, बल्कि यह जोखिम लेने के लिए तैयार है, कुछ नया करने को तत्पर है।’
उन्होंने भारतीय किसानों की तारीफ भी की और कहा, ऐसे समय में, जब दुनिया गेहूं की गंभीर किल्लत से जूझ रही है, हमारे किसान दुनिया का पेट भरने के लिए आगे आए हैं। जब भी मानवता पर संकट आता है, भारत एक समाधान के साथ आगे आता है। यह न्यू इंडिया है, यही न्यू इंडिया की ताकत है।’ एक समय था जब किसी नई कंपनी को रजिस्टर कराने में महीनों लग जाते थे। हमने सभी बाधाओं को दूर किया और अब देश में किसी भी नई कंपनी को रजिस्टर कराने में केवल 24 घंटे लगते हैं। इससे शासन में लोगों का भरोसा बहाल हो रहा है।
नरेंद्र मोदी ने नाम लिए बिना कांग्रेस पर निशाना साधा, लेकिन पंजा (कांग्रेस का चुनाव चिन्ह) का जिक्र करते हुए अपनी हथेली दिखा दी। मोदी ने कहा एक पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था कि केंद्र से राज्यों को अगर एक रुपया भेजा जाता है तो अंतिम लाभार्थी तक केवल 15 पैसा पहुंचता है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘वो कौन सा पंजा था, जो 85 पैसे घिस लेता था?… पिछले 8 वर्षों में हमारी सरकार ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत सीधे 22 लाख करोड़ रुपये लाभार्थियों के खाते में भेजा।’
मोदी ने यह भी पूछा कि भारत को एक संविधान बनने में 70 साल से ज्यादा का वक्त क्यों लगा। दरअसल वह जम्मू और कश्मीर के अलग संविधान का जिक्र कर रहे थे जो आजादी के बाद से लागू था। इसके तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त था। लेकिन 5 अगस्त, 2019 को संसद ने आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया था। पीएम मोदी ने कहा, ‘देश एक था, लेकिन हमारे पास दो संविधान थे। हमें एक संविधान बनाने में 70 साल लग गए। लेकिन इतना समय क्यों लगा? हमने अब इसे लागू कर दिया है।’
जर्मनी में भारतीय प्रवासी पीएम मोदी की बर्लिन यात्रा से खासे उत्साहित हैं। जर्मनी में दो लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं। उनमें से क़रीब 1 लाख 60 हज़ार लोगों के पास भारतीय पासपोर्ट है। करीब 43 हज़ार भारतीय मूल के लोगों ने जर्मनी की नागरिकता ले ली है। प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए सैकड़ों हिन्दुस्तानी बर्लिन के ऐतिहासिक ब्रैंडेनबर्ग गेट पर जमा हुए थे। ब्रैंडनबर्ग गेट पर पूरे भारत की झांकी दिखी। प्रधानमंत्री के स्वागत में गुजरात का गरबा हुआ। कोई महाराष्ट्र की वेश-भूषा में आया था तो कोई साउथ इंडियन ड्रैस में। बहुत से महिलाएं पारंपरिक गुजराती ड्रेस पहनकर आई थीं। मोदी भी इन लोगों से गर्मजोशी से मिले। इस दौरान उन्होंने ड्रम भी बजाया।
इससे पहले दिन में मोदी ने जर्मन चांसलर के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘भारत का मानना है कि रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई में कोई विजेता नहीं होगा। इस युद्ध से पूरी दुनिया का नुकसान होगा और विकासशील एवं कम विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर इसके अधिक गंभीर प्रभाव पड़ेगे। दोनों नेताओं ने इस युद्ध को तुरंत खत्म करने का आह्वान किया। जर्मनी ने वर्ष 2030 के लिए निर्धारित क्लाइमेट एक्शन टारगेट के लिए भारत को 10 बिलियन यूरो देने का वादा किया, जिसमें रिन्यूएबल सोर्सेज से 50 प्रतिशत ऊर्जा की सोर्सिंग और 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन उत्पादन क्षमता विकसित करना शामिल है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के परिणामों के बारे में मोदी ने जो कहा है, वह प्रैक्टिकल आकलन पर आधारित है। उन्होंने कहा कि युद्ध न केवल यूक्रेन को बल्कि दुनिया भर के अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी भारी नुकसान पहुंचा रहा है। यूक्रेन में युद्ध के कारण ईंधन, खाद और गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं। भारत ने भले ही कई देशों में गेहूं भेजना शुरू कर दिया हो, लेकिन इसे लंबे समय तक बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। युद्ध कोई समाधान नहीं है। रूस और यूक्रेन दोनों को युद्ध समाप्त करना होगा और बातचीत की टेबल पर आना होगा।
पीएम मोदी की जर्मनी यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 14 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए और इसमें सबसे महत्वपूर्ण समझौता रिन्यूएबल एनर्जी का है।
बर्लिन की चांसलरी यानी जर्मन सरकार के हेडक्वार्टर में प्रधानमंत्री का शानदार स्वागत किया गया। दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत से पहले प्रधानमंत्री मोदी और जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। मोदी और ओलाफ की मुलाकात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जर्मनी, यूरोप की आर्थिक महाशक्ति है। जर्मनी दुनिया की चौथे नंबर की सबसे बड़ी इकोऩॉमिक पावर है और भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। इस वक्त भारत में 1700 से ज्यादा जर्मन कंपनियां कारोबार कर रही हैं। 1600 से ज्यादा कंपनियां इंडो-जर्मन सहयोग से चल रही हैं। इसके अलावा 600 से अधिक इंडो-जर्मन जॉइंट वेंचर्स काम कर रहे हैं। जर्मनी में भारतीय कंपनियों का कारोबार भी बढ़ा है। इस वक्त 200 से ज्यादा भारतीय कंपनियां जर्मनी में बिजनेस कर रही हैं। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी और जर्मन चासंलर के बीच सिर्फ यूक्रेन- रूस पर ही नहीं बल्कि आपसी व्यापारिक रिश्तों पर भी बात हुई।
इस साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह पहला विदेशी दौरा है। यूक्रेन-रूस युद्ध की पृष्ठभूमि में यह दौरा बहुत अहम है। क्योंकि ज्यादातर यूरोपीय देश रूस के खिलाफ एकजुट हैं। लेकिन ये भी सही है कि यूरोपीय देशों की रूस पर निर्भरता भी ज्यादा है। ज्यादातर यूरोपीय देशों को पाइप लाइन के जरिए गैस की सप्लाई रूस ही करता है। अगर रूस ने सप्लाई बंद कर दी तो यूरोपीय देशों के लिए मुश्किल हो सकती है। जहां तक भारत का सवाल है तो तेल के मामले में रूस पर भारत की निर्भरता सबसे कम है। भारत रूस से सिर्फ दो प्रतिशत ऑयल इंपोर्ट करता है।
इसलिए भारत पर कोई दबाव नहीं है। दूसरी बात भारत ने न तो रूस का विरोध किया न ही यूक्रेन का समर्थन किया है। भारत ने बार-बार कहा कि वह शान्ति चाहता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका के दबाव के बाद भी भारत ने रूस के खिलाफ वोट नहीं डाला। दूसरी तरफ यूक्रेन को सहायता भी भेजी। रूस से सस्ता तेल खरीदने का फैसला किया। मोदी के इन्हीं फैसलों के कारण यूरोपीय देशों को समझ आ गया कि भारत अपनी आजाद विदेश नीति पर चल रहा है जो उसके राष्ट्रीय हितों के अनुकूल है।
How Modi mesmerized Indian diaspora in Berlin
Prime Minister Narendra Modi is presently in Copenhagen, the capital of Denmark, on the second leg of his three-day visit to Europe. He will meet the Queen and Prime Minister of Denmark, and also the leaders of Sweden, Iceland, Finland and Norway at the Second India-Nordic Summit.
On Monday, he had wide-ranging discussions with German Chancellor Olaf Scholz and took part in India-Germany inter-governmental consultations. But the highlights of his visit to Berlin was Modi’s charismatic speech to the Indian diaspora in Germany. NRIs who had come from different parts of Europe, gave a resounding ovation to Prime Minister Narendra Modi, when he spoke to them in Berlin on Monday night.
Modi, in true vintage form, told the NRIs about the achievements of his eight-year-old government and outlined India’s plans for the future. “21st century”, Modi said, “is very important for India. Today the new India has made up its mind and is moving ahead with determination. A nation treads on a new path when it makes a resolve, and shows it by achieving desired goals.”
As the crowd chanted “Modi Hai Toh Mumkin Hai” “Modi Once More” several times, Modi described how his government has completely removed more than 25,000 compliances and has scrapped 1,500 laws to save people from the obstacles of bureaucratic red tapes. He said, ‘after we won in 2014, we won with a greater majority in 2019, because the young and aspirational Indians understand the need for political stability to achieve progress at a fast rate, and has ended three decades of political stability with the touch of a button’ (on EVM).
It was a gathering of more than 1,600 NRIs, consisting of students, researchers and professionals, at the Theater Am Postdamer Platz. In his hour-long speech, laced with witticisms, Modi said, a new resurgent India has made up its mind to move forward with determination. He urged the Indians settled abroad to come forward and help their brethren in their motherland, like promoting “Made in India” products in foreign countries.
Modi said, before 2014, India was a “work in progress”, but in the last eight hours of NDA rule, India has made rapid strides in every sector, whether ease of living, quality of life, ease of employment, quality of education, quality of communication and travel, and quality of products. “In 2014, there were only 200-400 start-ups in India, but now there are more than 68,000 start-ups and dozens of unicorns, some of which have already become “deca-corns” with valuation of 10 billion US dollars”, Modi said.
“In 2014, I used to ask my babus what their offsprings were doing. They used to tell me their children were preparing for IAS exams, but now when I ask my babus, they tell me their children are now into start-ups”, Modi told the audience. “The new India does not think of a secure future”, he said, “the new India is ready to take risks, ready to innovate and incubate.”
He also praised the Indian farmers and said, “at a time when the world is looking at a serious wheat crisis, our farmers have stepped in to feed the world. Whenever humanity is faced with a crisis, India comes up with a solution. This is New India, this is the strength of New India…There was a time when it took months to register a new company. We have removed all obstacles. Now any new company can be registered in India within 24 hours. This has restored the confidence of people and businessmen in governance”.
Modi hit out at the Congress, without naming the party, but showed his palm while mentioning ‘panja’ (the ‘hand’ poll symbol of Congress). “One former prime minister said that 85 paise out of a rupee sent from the Centre to the states evaporate, and only 15 paise reach the people. Who kaun sa panja tha, jo 85 paise ghis leta tha? (which palm was it that took away those 85 paise?)…In the last eight years, our government has transferred Rs 22 lakh crore through DBT (direct benefit transfer) directly to the intended beneficiaries”.
Modi also asked why it took more than 70 years for India to have a single Constitution. He was referring the separate Constitution of Jammu & Kashmir that was in force since independence when J&K had a special status, but was removed by Parliament through scrapping of Article 370 on August 5, 2019. “The country was one, but we have two Constitutions. It took 70 years for us to have a single Constitution. But why did it take so long? We have implemented it now”, Modi said.
The Indian diaspora in Germany is ecstatic over Modi’s Berlin visit. There are more than two lakh Indians living in Germany, and out of them, 1,60,000 hold Indian passports. Nearly 43,000 Indians have taken German citizenship. Hundreds of Indians assembled at the historic Brandenburg Gate to welcome Modi. There were dancers who showcased Gujarati ‘garba’, while several dancers were in Maharashtrian and South Indian attire. Modi himself joined the crowd by beating a drum.
Earlier in the day, Modi, while addressing a joint press conference with the German Chancellor, said, “India believes no country can emerge victorious in the Russia-Ukraine war, as all sides will suffer losses, and it will cause a more serious impact on the economies of developing and less developed countries. Both the leaders called for an immediate cessation of hostilities in Ukraine. Germany pledged 10 billion euros for India’s climate action targets set for 2030, which include sourcing 50 per cent energy from renewable sources and developing 500 GW non-fossil fuel generating capacity.
What Modi has said about the consequences of Russia-Ukraine war is based on practical assessments. He pointed out that the war is not only causing huge damage to Ukraine, but also the economies of other countries across the world. Fuel, fertiliser and wheat prices are going up because of the war in Ukraine. India may have started sending wheat to several countries, but it can be difficult to sustain it over a longer period. War is no solution and both Russia and Ukraine will have to cease war and come to the negotiation table.
During his Germany visit, 14 agreements were signed between both countries, and the most important one relates to renewable energy.
Modi was given a warm, ceremonious welcome at the Berlin Chancery, and he had a long one-to-one dialogue with the German Chancellor. Germany is Europe’s economic powerhouse, and the fourth largest economic power in the world. India is the world’s fifth largest economy, which is emerging at a faster rate. More than 1,700 German companies are doing business in India, and more than 1,600 companies are being run with Indo-German collaboration. More than 600 Indi-German joint ventures are also working. More than 200 Indian companies are doing business in Germany, and the thrust of most of the bilateral talks was on enhancing cooperation.
This is Prime Minister Modi’s first foreign visit this year. In the backdrop of fierce fighting going on between Russia and Ukraine. Most of the European countries have joined hands to counter Russia, but it is also a fact that many of these countries are economically dependent on Russian oil and other supplies. It is Russia which supplies natural gas and oil to European countries. On the other hand, India is hardly dependent on Russia for oil, though it is mopping up Russian oil from market at a big discount. India uses hardly two per cent Russian oil.
India is not under pressure. Secondly, India has refused to oppose Russia, nor has it extended unconditional support to Ukraine. India has been calling for ceasefire and dialogue. Despite American pressure, India abstained from voting against Russia in the UN Security Council. At the same time, India sent medicines and other essential goods to Ukraine and bought Russian oil. European countries have realized that India wants to follow an independent foreign policy suited to its national interests.