कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने का एकमात्र तरीका है मास वैक्सीनेशन
देश में मंगलवार को कोरोना वायरस के 3,82,315 नए मामले सामने आए जबकि संक्रमण की वजह से 3780 लोगों की जान गई, जो एक दिन में सर्वाधिक हैं। अबतक यह वायरस देश में 2,26,188 लोगों की मौत का कारण बन चुका है। कुल एक्टिव मामलों का आंकड़ा बढकर 34,87,229 तक पहुंच गया है। वहीं पिछले 24 घंटों के दौरान देशभर में कोरोना से 3,38,439 लोग ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं।
दिल्ली में मंगलवार को कोविड के 19,953 नए मामले सामने आए और 338 मौतें हुईं। महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों के दौरान 51,880 नए मामले और 891 मौतें हुईं। कर्नाटक में 44,631 नए मामले और 292 मौतें हुईं, उत्तर प्रदेश में 25,858 नए मामले और 352 मौतें हुईं, राजस्थान में 16,974 नए मामले और 154 मौतें हुईं हैं। अन्य राज्यों में, बिहार ने 14,794 नए मामले दर्ज किए, छत्तीसगढ़ 15,785, मध्य प्रदेश 12,236, पश्चिम बंगाल 17,639, गुजरात 13,050, पंजाब 7,601, और हरियाणा में 15,786 नए मामले सामने आए। उत्तर प्रदेश सरकार ने महामारी के प्रसार को रोकने के लिए आज ‘कोरोना कर्फ्यू’ को 10 मई तक बढ़ा दिया।
इस बीच, वैक्सीनेशन में गिरावट दर्ज की गई है क्योंकि प्राइवेट अस्पतालों ने अभी तक इसके सप्लाई को लेकर वैक्सीन निर्माताओं के साथ टाई-अप नहीं किया है। इस वक्त सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि देश में हर व्यक्ति वैक्सीन लगवाना चाहता है लेकिन इतनी बड़ी तादाद में वैक्सीन है नहीं। अपोलो, मैक्स और फोर्टिस जैसे टॉप प्राइवेट अस्पतालों में अब वैक्सीन सीमित मात्रा में बचे हैं। मंगलवार को पूरे देश में 38,54,442 कोविड वैक्सीन की खुराक दी गई। अब तक, 16.05 करोड़ भारतीयों को टीका लगाया गया है।
इस बीच, दिल्ली-एनसीआर और कई अन्य राज्यों में ऑक्सीजन के लिए मारामारी जारी है। सख्त कदम उठाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केंद्र को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि दिल्ली को आवंटित ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए आदेश का पालन नहीं करने पर उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जाय ? आज सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से कहा कि किसी भी कीमत पर दिल्ली को सात सौ मिट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई जाए। कोर्ट ने कल केन्द्र सरकार के अफसरों को कोर्ट में हाजिर होकर जबाव देने को कहा है। हाईकोर्ट ने कहा सरकार शुतुरमुर्ग की तरह अपना सिर रेत में डाल सकती हैं लेकिन कोर्ट ऐसा नहीं कर सकता। केंद्र ने आज सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के नोटिस को रद्द करने की मांग की।
दिल्ली की ही तरह यूपी में भी ऑक्सीजन के लिए मारामारी है। मंगलवार को, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने से कोविड मरीजों की मौत आपराधिक कृत्य जैसा है। कोविड मरीजों की मौत उनके लिए किसी नरसंहार से कम नहीं है जिन्हें लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पाया कि “ऑक्सीजन सिलेंडर की भारी जमाखोरी और जरूरतमंद लोगों का उत्पीड़न हो रहा है”।
इंडिया टीवी रिपोर्टर रूचि कुमार ने बाताया कि ऑक्सीजन रिफिंग प्लांट्स के बाहर लाइन लगना अब तो आम बात है। रूचि का कहना है कि ऑक्सीजन रिफिलिंग सेंटर्स के बाहर कई ऐसे लोग मिलते हैं जो रात से ही लाइन में लग जाते हैं। इन लोगों का कहना है कि सारे कागज़ दिखाने के बावजूद ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। इनका इल्जाम है कि अस्पतालों के नाम पर ऑक्सीजन डाइवर्ट कर दी जाती है और जब तक इनका नंबर आता है तब तक किसी के लिए कुछ बचता नहीं।
यूपी सरकार पिछले कुछ दिनों से हॉस्पिटल में बेड्स बढ़ाने के इंतजाम कर रही है। आज DRDO ने लखनऊ में अपना 500 बेड का अटल बिहार वाजपेयी कोविड केयर सेंटर शुरू किया। इसमें 150 वेंटिलेटर आईसीयू बेड हैं और 350 ऑक्सीजन बेड हैं। सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा के मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ इस केंद्र का संचालन करेंगे। भारतीय नौसेना का आईएनएस ऐरावत सिंगापुर से 3,650 ऑक्सीजन सिलेंडर, 8 आईएसओ टैंक और चिकित्सा उपकरण लेकर भारत आ रहा है।
दूसरी ओर, ऑक्सीजन और अस्पताल में बेड की कमी के कारण मरीजों की मौत जारी है। इंडिया टीवी ने पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से आई एक तस्वीर दिखाई जहां एक साथ करीब 40 से ज्यादा लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। बंगाल के चार जिलों दार्जिलिंग, कलिमपोंग, नॉर्थ दिनाजपुर और जलपाईगुड़ी से इन डेडबॉडीज को अंतिम संस्कार के लिए यहां लाया गया था।
इसमें तो कोई शक नहीं है कि फिलहाल हमारे देश में वैक्सीन की कमी है। अभी वैक्सीन का प्रोडक्शन उतना नहीं है जितने की जरूरत है। हमारे यहां वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां अपना प्रोडक्शन बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। इसके लिए नए प्लांट लगाए जा रहे हैं लेकिन वैक्सीन का प्रोडक्शन थोड़ा high end होता है इसलिए इसके प्लांट को फंक्शनल करने में वक्त लगता है। इस समय कोशिश की जा रही है कि दुनिया में जहां भी वैक्सीन मौजूद है चाहे वो स्पूतनिक हो फाइजर हो या मॉडर्ना उसे जितनी मात्रा में खरीदा जा सकता है, खरीद लिया जाए क्योंकि वैक्सीनेशन के अलावा कोई दूसरा उपाय भी नहीं है। हमें उम्मीद है कि एक बार सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भारी मात्रा में वैक्सीन की आपूर्ति हो जाने के बाद स्थिति बेहतर होगी।
इसी तरह, कोविड मरीजों में लंग्स इंफेक्शन में वृद्धि के कारण ऑक्सीजन की मांग बढ़ रही है। आज कल कोरोना का जो नया म्यूटेंट है उसमें लंग्स का इंफेक्शन बहुत तेजी से होता है इसीलिए ऑक्सीजन की भारी मात्रा में जरुरत पड़ती है। दिल्ली में तो ऑक्सीजन का संकट सबसे ज्यादा है जहां, कुछ मामलों में, फ्लैटों में रहने वाले पूरा परिवारों कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं। इनमें से अधिकांश लोगों को तुरंत ऑक्सीजन की जरुरत पड़ रही है। शायद ही कोई ऐसा हॉस्पिटल होगा जहां एक भी ICU बेड खाली हो। ICU बेड फुल होने का मतलब होता है और भी ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत। ICU वेंटिलेटर सिलेंडर से सीधे ऑक्सीजन के रोगियों की तुलना में अधिक ऑक्सीजन कंज्यूम करते हैं। उम्मीद करते हैं कि दिल्ली-एनसीआर में अगले दो से तीन दिनों में ऑक्सीजन सप्लाई की स्थिति दुरुस्त कर ली जाएगी।
Mass vaccination is the only method of preventing the spread of Covid-19 pandemic
India reported 3,82,315 fresh Covid-19 cases on Tuesday, while 3,780 deaths, the highest on a single day so far, was recorded during the last 24 hours. This takes the cumulative Covid death toll to 2,26,188. Active cases in India have increased to 34,87,229, while there were 3,38,439 discharges during the last 24 hours.
Delhi reported 19,953 new Covid cases and 338 deaths on Tuesday. Maharashtra reported 51,880 fresh cases and 891 deaths during the last 24 hours. Karnataka reported 44,631 new cases and 292 deaths, Uttar Pradesh reported 25,858 new cases and 352 deaths, Rajasthan 16,974 new cases and 154 deaths. Among other states, Bihar reported 14,794 new cases, Chhattisgarh 15,785 new cases, Madhya Pradesh 12,236 new cases, West Bengal 17,639, Gujarat 13,050, Punjab 7,601, and Haryana 15,786 new cases. Uttar Pradesh government today extended ‘Corona curfew’ till May 10 to stem the spread of the pandemic.
Meanwhile, daily vaccinations have recorded a dip as private hospitals are yet to tie up with vaccine manufacturers for supplies. Top private hospitals like Apollo Max and Fortis have now limited stocks of vaccines. On Tuesday, 38,54,442 Covid vaccine doses were administered across India. So far, 16.05 crore Indians have been vaccinated.
Meanwhile, oxygen shortage in Delhi-NCR region and several other states continue. Taking a tough line, Delhi High Court on Tuesday issued show cause notice to the Centre asking why contempt action should not be initiated against it for not complying with its order for supplying the allocated oxygen share to Delhi. It rejected the Additional Solicitor Generals’ arguments that Delhi does not require 700 metric tonnes of oxygen in the light of its existing medical infrastructure. The High Court bench lashed out at the Centre saying, ‘because Delhi government earlier made demand of 300 MT..the Centre is quibbling about these little things to justify and let people die? Are you living in ivory towers? You may want to be the ostrich in the sand but we will not be.” The Centre today filed an appeal before the Supreme Court seeking to quash the High Court notice.
On Tuesday, the Allahabad High Court observed that death of Covid patients due to non-supply of oxygen “amounts to a criminal act, and it is nothing short of a genocide, on part of those who are entrusted to ensure such supplies”. The high court observed there was “rampant hoarding of oxygen cylinders and harassment of citizens desperately in need of oxygen”.
India TV reporter Ruchi Kumar met people standing in queues outside oxygen refilling centres. Most of the people said, they spent the whole night waiting, but by the time, their turn came, the refillers said they had run out of stock. There were allegations of oxygen being diverted by hoarders and blackmarketers.
There was a silver lining amidst dark clouds today when the DRDO started its 500-bed Atal Bihar Vajpayee Covid Care Centre in Lucknow. It has 150 ICU beds with ventilators and 350 oxygen beds. Medical and para medical staff of Armed Forces Medical Services will man this centre. The Indian Navy’s INS Airavat is on its way from Singapore to India carrying 3,650 oxygen cylinders, 8 ISO tanks and medical equipment.
On the other hand, death of Covid-19 patients due to lack of oxygen and hospital beds continue. India TV showed visuals of more than 40 bodies of Covid-19 victims being given mass cremation in Siliguri, West Bengal. These were bodies brought from Darjeeling, Kalimpong, Jalpaiguri and North Dinajpur districts.
It is true that the nationwide vaccination drive is now going at a very slow price due to depleting stocks. But make no mistake: Covid vaccination of people on a massive scale will be the only protection from, if God forbid, a deadly third wave of the pandemic. All the vaccine manufacturers are presently trying their level best to ramp up production, but if it may take time. India is already on the hunt for more vaccines from abroad. Let us hope the situation will turn for the better, once the vaccines are supplied in bulk to government and private hospitals.
Similarly, the demand for oxygen is rising because of a surge in the number of people suffering from Covid chest infection. The situation is really acute in Delhi-NCR region, where, in some cases, entire families living in residential flats are being tested positive. Most of them require oxygen on emergency basis. ICU beds equipped with ventilators are occupied in almost all the top hospitals. ICU ventilators consume more oxygen compared to patients inhaling oxygen directly from cylinders. Let us hope the oxygen supply situation will ease in Delhi-NCR region at least in the next two to three days.
कोरोना महामारी: भारत अभी भी ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना क्यों कर रहा है
भारत में एकबार फिर से 3.5 लाख से ज्यादा कोरोना के नए मामले सामने आए जिससे देश में कोरोना मामलों का कुल आंकड़ा सोमवार को 2 करोड़ (2,02,82,833) के पार पहुंच गया। वहीं इस दौरान 3,449 मरीजों की मौत हो गई जिससे इस महामारी से मरने वालों की संख्या 2,22,408 पह पहुंच गई है। इस वक्त देश में एक्टिव मामलों की संख्या 34,47,133 है, हालांकि अब स्थिति ये है कि अगर 100 नए मरीज आ रहे हैं तो 82 मरीज ठीक भी हो रहे हैं। पिछले चौबीस घंटों में तीन लाख 68 हजार नए केस आए तो तीन लाख से ज्यादा लोग ठीक भी हुए हैं।
इस बीच, सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, हैदराबाद से एक रिपोर्ट आई है जिसमें बताया गया है कि एक नया एपी वेरिएंट, N440K, विशाखापत्तनम और आंध्र प्रदेश के अन्य हिस्सों में कहर मचा रहा है। नया एपी स्ट्रेन 15 गुना तेज़ी से फैलता है और 3-4 दिनों के भीतर रोगी की स्थिति को गंभीर बना देता है। ये नौजवानों को बड़े पैमाने पर संक्रमित कर रहा है। इसके कारण ऑक्सीजन और आईसीयू बेड पर बोझ बढ़ रहा है। कोरोना का ये स्ट्रेन सबसे पहले करनूल में मिला था।
ऑक्सीजन टैंकरों को एयरलिफ्ट करने और रेलवे द्वारा ऑक्सीजन कंटेनर भेजने के लिए देशव्यापी अभियान के बावजूद दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और अन्य राज्यों के अस्पतालों को ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली, मेरठ और अन्य शहरों के प्राइवेट हॉस्पिटल्स ऑक्सीजन की इमरजेंसी को लेकर लगातार sos भेजते रहे।
दूसरी तरफ सरकार का दावा है कि देश में ऑक्सीजन का उत्पादन डेढ़ गुना से ज्यादा हो गया है। इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन को मेडिकल ऑक्सीजन में बदला गया है, भारतीय वायुसेना और रेलवे युद्ध स्तर पर ऑक्सीजन को ट्रांसपोर्ट करने में लगे हैं। अडानी और अंबानी जैसे बड़े ओद्योगिक घरानों ने आक्सिजन का प्रोडक्शन कई गुना बढ़ा दिया है।
सवाल ये है कि इतनी आक्सजीन आ रही है तो जा कहां रही है? दिल्ली-एनसीआर और लखनऊ में लोग बत्तीस बत्तीस घंटे से ऑक्सीजन रीफिलिंग प्लांट के बाहर लाइन में लगे हैं लेकिन नंबर नहीं आया। ऑक्सीजन का सिलेंडर भराने के लिए मरीजों के रिश्तेदारों की शिफ्ट में ड्यूटी लग रही है फिर भी सिलेंडर खाली है। लोग दुखी और बेबस हैं।
सरकार युद्ध स्तर पर काम कर रही है लेकिन कोरोना उससे ज्यादा तेज रउतार से बढ़ रहा है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पिछले सात दिन में सिर्फ एक हफ्ते में देशभर में कोरोना के 26 लाख से ज्यादा नए केसेज सामने आ चुके हैं। ये बहुत बड़ी संख्या है इसीलिए सारे रिसोर्सेज कम पड़ रहे हैं, सारी कोशिशें नाकाफ़ी साबित हो रहीं हैं। देश में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकार ने कुछ बड़े फैसले किए हैं। चूंकि कोरोना के मरीजों की संख्या इतनी तेजी से बढ रही है कि संसाधनों के साथ साथ अब डॉक्टर्स की कमी भी पड़ने लगी है इसलिए आज प्रदानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हालात की समीक्षा करने के बाद फैसला किया है कि अब MBBS के फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स की भी कोरोना ड्यूटी लगाई जाएगी। स्टूडेंट्स और पेरेन्टेश में एक चिंता NEET और PG के एक्जाम्स को लेकर थी। सरकार ने आज इस मुद्दे पर भी फैसला कर लिया। अब NEET और PG एक्जाम्स को चार महीने के लिए टाल दिया गया है। NEET के एक्जाम 31 अगस्त से पहले नहीं होंगे।
कर्नाटक के चामराजनगर से सोमवार को बुरी खबर आई जहां सरकारी हॉस्पिटल में ऑक्सजीन की कमी से 24 मरीजों की मौत हो गई। जिन 24 मरीजों की मौत हुई उनमें से 23 कोरोना पेशेन्ट थे। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं। हालांकि चामराजनगर के डिप्टी कमिश्नर ने इस बात से इनकार किया है कि मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है लेकिन उन्होंने ये बात मानी है कि जिले में ऑक्सीजन की कमी है। प्रशासन का कहना है कि चामराजनगर में ऑक्सीजन की सप्लाई मैसूर से होती है और इस वक्त मैसूर में ही ऑक्सीजन की कमी है इसलिए सप्लाई कम हो रही है। प्रशासन ने इस घटना पर लीपापोती करने की कोशिश की लेकिन जिन 24 लोगं की जान चली गई उनके परिवारों का हाल देखकर दिल भर आता है। मरीजों के परिजनों का कहना है कि उनका मरीज ठीक हो रहा था, दो चार दिन में घर जाने की बात हो रही थी लेकिन आज सुबह लाश लेकर श्मशान जाना पड़ रहा है।
ये हाल किसी एक राज्य का नहीं हैं, ज्यादातर जगह ऐसे ही हालात हैं। ज्यादातर राज्यों में, ज्यादातर हॉस्पिटल्स में ऑक्सीजन की सिचुएशन टाइट है। मेरठ के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से 5 मरीजों की मौत की खबर आई है। मेरठ के न्यूट्रिमा हॉस्पिटल में 5 मरीजों की जान चली गई और पेशेन्ट्स के परिवार वालों का आरोप है कि ऑक्सीजन की कमी से उनकी मौत हुई है। दिल्ली में भी पिछले करीब दस दिनों से ऑक्सीजन की क्राइसिस है। अरविन्द केजरीवाल का दावा है कि इस वक्त दिल्ली में ऑक्सीजन डिमांड 976 मीट्रिक टन हो चुकी है लेकिन दिल्ली को करीब साढ़े चार सौ टन ऑक्सीजन ही मिल रही है, इसके कारण अब तमाम हॉस्पिटल्स मरीजों के रिश्तेदारों से ही ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम करने को कह रहे हैं। गुजरात में मरीजों को बैड मिलना मुश्किल है। अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल की तस्वीरें देखेंगे तो हैरान रह जाएंगे। ये अस्पताल अहमदाबाद का कोरोना का सबसे बडा सेंटर है। 1200 बेड्स हैं लेकिन सारे बेड्स फुल हैं लेकिन मरीजों के आने का सिलसिला जारी है। अस्पताल के बाहर अब एंबुलेंस की लंबी लाइन नजर आती है। हर एंबुलेंस में कोरोना का पेशेंट हैं।
सरकार का दावा है कि पिछले कुछ हफ्तों में ऑक्सीजन का प्रोडक्शन साढ़े सात हजार मीट्रिक टन से बढ़कर रोजाना 9000 मीट्रिक टन हो गया है। अब इंडस्ट्रियल गैस मैन्युफैक्चरर्स भी मेडिकल ऑक्सीजन बना सकेंगे। उन्ही प्लांट्स के आसपास कोविड केयर सेंटर बवाए जा रहे हैं जिससे ऑक्सीजन के ट्रांसपोर्टेशन में होने वाली दिक्कत और देरी दोनों से बचा जा सके इसीलिए स्टील प्लांट और ऑयल रिफाइनरीज की मदद से जंबो कंटेनर बेस्ड कोविड अस्पताल तैयार किए जा रहे हैं। इसके साथ साथ 50% नाइट्रोजन कैरी करनेवाले टैंकर्स को भी ऑक्सीजन टैंकर में कनवर्ट किया जा चुका है। सरकार ने नाइट्रोजन प्रोड्यूश करने वाले प्लांट्स को ऑक्सीजन प्लांट्स में कन्वर्ट कर रही है। ऐसे 37 प्लांट की पहचान हो चुकी है, इनका कनवर्जन हो रहा है। .यानि सरकार हर संभव कोशिश कर रही है लेकिन दिक्कत ये है कि कोरोना की सेंकेन्ड बेव ज्यादा घातक है और तीस से पचास गुना तक ज्यादा तेज है इसलिए सारी तैयारियां, सारे इंतजाम कम पड़ जाते हैं।
देश के बडे बडे बिजनेसमैन भी इस वक्त ऑक्सीजन सप्लाई में मदद कर रहे हैं। सोमवार को जामनगर से हरियाणा के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज की तरफ से 85 टन ऑक्सीजन भेजी गई है। बडी बात ये है कि अब रिलायंस इंडस्ट्रीज की तरफ से रोजाना 1000 टन तक मेडिकल ऑक्सीजन का प्रोडक्शऩ हो रहा है। खुद मुकेश अंबानी इसपर नजर बनाए हुए हैं। रिलायंस की तरफ से भी 24 कंटेनर्स इंपोर्ट किए गए हैं। इसी तरह अदानी ग्रुप भी ऑक्सीजन क्राइसिस में आगे आया है। पहले वॉटर रूट के जरिए कंटेनर्स के जरिए सऊदी अरब से 80 टन ऑक्सीजन मंगाई। इसके अलावा सिंगापुर, दुबई, थाईलैंड से क्रायोजैनिक कंटेनर्स मंगाए गए हैं। दुबई से जो 18 क्रायोजैकिन टैंक्स आए उनमें 180 टन ऑक्सीजन अलग अलग राज्यों में पहुंचाई जाएगी।
सराकर और उद्योगपतियों के अलावा मुसीबत की इस घड़ी में दुनिया भर के देश भी भारत की मदद में आगे आए हैं। सोमवार को इटली से दिल्ली एयरपोर्ट पर एक ऑक्सीजन जेनरेटिंग प्लांट और 20 वेटिलेटर्स पहुंचे हैं। इसी तरह इंडियन एयरफोर्स का प्लेन फ्रैंकफर्ट से चार बडे ऑक्सीजन कंटेनर्स लेकर पहुंच चुका है। ब्रिटेन का चौथा कंसाइनमेंट भी दिल्ली आ चुका है। इसमें 60 वेंटिलेटर्स और कई दूसरे मेडिरल इक्विपमेंट्स मौजूद हैं। चाइना से भी आज 700 ऑक्सीजन कंसनट्रेटर्स आए। आज ही ओडिशा से लिक्विड ऑक्सीजन लेकर एक ट्रेन पहुंची है।
हर कोई अपने स्तर पर ऑक्सीजन की किल्लत को खत्म करने में जुटा है। ऑक्सीजन की डिमांड करने वाले मरीज़ों की तादाद जिस रफ्तार से बढ़ रही है उसके आगे दुनिया भर से आई ऑक्सीजन भी कम पड़ जाती है। डॉक्टर्स कहते हैं कि नए म्यूटेंट में सीधे फेफडों तक पहुंचने की ताकत है। जब तक पता चलता है तब तक ये वायरस फेफड़ों पर हमला कर चुका होता है, तब तक देर हो चुकी होती है। ऐसी हालत में पहली जरुरत ऑक्सीजन सपोर्ट की होती है इसीलिए इतनी ज्यादा ऑक्सीजन की डिमांड हो रही है।
एक और चीज है जिसने इस समस्या को बढ़ा दिया है और वो है लोगों का डर और अपने आप को बचाने का स्वार्थ। आप हैरान होंगे कि कई जगह तो लोगों ने अपने घर में ऑक्सीजन सिलेंडर स्टोर कर रखे हैं। सिर्फ इसलिए घर में ऑक्सीजन का सिलेंडर स्टॉक कर लिया कि शायद किसी दिन वो बीमार पड़ जाएं, भविष्य में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है। मुझे लगता है ये अन्याय है, जुल्म है और जिन लोगों की ऑक्सीजन की कमी से मौत हो रही, ये स्टोर करने वाले लोग भी उन मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराए जाएंगे।
बुरी खबरों के बीच कुछ उम्मीद की किरणे भी दिख रही हैं। सरकार की तरफ से कुछ आंकड़े पेश किए गए, उसमें भी अच्छी खबर है। जिन राज्यों में कोरोना बहुत तेजी से बढ़ रहा था, छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब, तमिलनाडु और उत्तराखंड जैसे राज्यों में नए केसों की संख्या कम हो रही है। रिकवरी रेट भी बढ़ा है लेकिन अभी आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, हरियाणा और असम जैसे कई राज्य हैं जिनमें मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। .22 राज्य ऐसे हैं जहां अभी भी पॉजिटिविटी रेट 15 परशेंट से ज्यादा है इसलिए अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। सब मिलकर कोशिश कर रहे हैं और ये कोशिश तब तक जारी रहेगी जब तक कम से कम 70 परसेंट आबादी का वैक्सीनेशन ना हो जाए।
Covid Pandemic: Why India is still facing acute shortage of oxygen
India’s total number of Covid-19 cases crossed the 2-crore mark (2,02,82,833) on Monday after 3,57,229 fresh cases were reported on a single day. The death toll jumped to 2,22,408 after 3,449 Covid-related deaths were reported from across the country. As of now, there are 34,47,133 active cases, though the recovery rate is around 82 per cent. 1,66,13,292 people have so far recovered from Covid-19.
Meanwhile, a report has come from Centre for Cellular and Molecular Biology, Hyderabad, which says that a new Andhra variant, N440K, is causing havoc in Visakhapatnam and other parts of Andhra Pradesh. The new AP strain is 15 times more virulent, incubates faster, makes the patient’s condition critical within 3-4 days, has started affecting younger population too and hospitals are now running out of oxygen and ICU ventilators. This AP strain was first noticed in Kurnool.
Hospitals in Delhi, Uttar Pradesh, Haryana and other adjoining states continue to face critical shortage of oxygen, despite nationwide logistics for airlifting oxygen tankers and sending oxygen containers by railway. Private hospitals in Delhi, Meerut and other cities continue to send SOS saying their oxygen supply was tapering off.
The Centre says, oxygen production has been raised by more than one and half times, industrial oxygen is being diverted as medical oxygen, foreign assistance in the form of oxygen concentrators and tankers have arrived, and yet the moot question remains: Where is all this medical oxygen going? People in Delhi-NCR and Lucknow are waiting in kilometre long queues for more than 32 hours to get their oxygen cylinders refilled. A sense of agony and helplessness has gripped the populace.
The government is working on a war footing but the surge in pandemic appears to be faster. All the resources that are being mustered in the form of hospital beds, ICUs, ventilators and oxygen appear to be inadequate. MBBS final year students will now be inducted in the health care sector to boost the strength of Corona warriors. NEET and PG exams have been postponed by four months.
Monday’s worst news came from Chamarajanagar in Karnataka, where 23 patients died after the district hospital ran out of oxygen supply. Chief Minister B S Yeddyurappa has ordered a probe. The Deputy Commissioner claimed, only three patients died due to lack of oxygen, while the remaining 20 patients died because of Covid. Relatives of dead patients alleged that all the patients died due to lack of oxygen.
Karnataka is not alone. Five Covid patients died due to oxygen shortage in a private hospital in Meerut. In Lucknow, relatives of patients including the hospital owner, stood waiting for oxygen supply outside the hospital. The SOS was sent 24 hours ago. For the last ten days, relatives of Covid patients in Delhi are running from pillar to post in search of oxygen cylinders. There were kilometre long queues outside refilling centre, with some people saying that they have been in the queue for more than 32 hours. Delhi CM Arvind Kejriwal claimed that the capital’s oxygen requirement was 976 metric tonnes whereas it was getting 450 metric tonnes. Gujarat is suffering from acute shortage of hospital beds. All the 1,200 beds in Ahmedabad civil hospital are full with patients waiting outside in ambulances.
The Centre claims that oxygen production in India has increased from 7,500 MT to 9,000 MT daily. Now plans are on the anvil to set up Covid care centres near oxygen producing plants, so that precious lives can be saved. Steel plants and oil refineries are going to create huge jumbo sized container type Covid care centres. Nearly 50 per cent nitrogen carrying tankers have now been converted into oxygen tankers. The Centre has identified 37 nitrogen producing plants which will now produce oxygen.
Meanwhile, top business houses are also pitching in with massive assistance. On Monday, Reliance Industries sent 85 MT medical grade oxygen from its Jamnagar refinery to Haryana. RIL is producing 1,000 MT medical grade oxygen daily under the watchful supervision of its chairman Mukesh Ambani. RIL has imported 24 oxygen containers. The Adani group brought in 80 tonnes oxygen by ship from Saudi Arabia. It has brought in cryogenic oxygen tankers from Thailand, Singapore and Dubai. 18 cryogenic tanks brought from Dubai will transport 180 MT medical grade oxygen to hospitals.
On Monday, Italy sent one oxygen generating plant and 20 ventilators to Delhi. The IAF brought in four big oxygen containers from Frankfurt, Germany. The fourth UK consignment, including 60 ventilators and other medical equipment, has also reached Delhi. China sent 700 oxygen concentrators on Monday.
It seems that the demand for oxygen at this moment is too huge compared to the oxygen that is being supplied to hospitals and Covid care centres. Doctors say the new Covid mutant strains are faster and they attack the lungs of the infected within a short space of time. By the time doctors come to know about the extent of lung infection, the virus spreads its tentacles wide inside the body, causing shortness of breath. The patients then need ICU ventilators to revive.
The second, and more important, part of the problem is that a fear psychosis has gripped people living in cities, and many people, who do not require oxygen, are storing oxygen cylinders in their homes, fearing Covid infection. This is sheer injustice and a self-centric act of human greed. They fail to realize that by hoarding cylinders, they are causing the untimely deaths of so many people who require oxygen for their survival.
Among these dark clouds are some thin silver linings. The Centre on Monday reported that the numbers of fresh Covid-19 cases in Chhattisgarh, Delhi, MP, UP, Jharkhand, Punjab, Tamil Nadu and Uttarakhand, are now on the lower side and the recovery rate is rising. There is surge of the epidemic in AP, Bihar, Karnataka, Assam and Haryana. There are 22 states where the positivity rate is presently more than 15 per cent. Let us hope that the overall surge will come down in the coming weeks, but the danger will be over only when 70 per cent of India’s population take both doses of Covid-19 vaccine. For the moment, this appears to be a tall order.
वैक्सीनेशन की बेहतर प्लानिंग और रणनीति अमेरिका से सीख सकता था भारत
देश में पहली बार शुक्रवार को कोरोना वायरस के नए मामलों की संख्या 4 लाख को पार कर गई। शुक्रवार को देशभर में कोरोना वायरस के 4,01,993 नए मामले सामने आए जबकि इस घातक वायरस ने 3,523 लोगों की जान ले ली। हालांकि पिछले 24 घंटे में करीब तीन लाख (2,99,988) मरीज ऐसे थे जो कोरोना संक्रमण से मुक्त हुए है लेकिन कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। देश भर में इसने तबाही मचा रखी है। अस्पतालों में आईसीयू बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर्स की कमी अब भी बनी हुई है ।
आज मैं आपको सावधान करना चाहता हूं। आप सभी से मेरा आग्रह है कि कोरोना के वैक्सीनेशन सेंटर्स पर भीड़ न लगाएं। डॉक्टरों ने अलर्ट किया है कि इन केंद्रों पर भारी भीड़ के कारण तेजी भी कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है। इन सेंटर्स पर अगर भीड़ हुई तो आप इस घातक वायरस का आसान शिकार बन सकते हैं। मेरी आपसे अपील है कि अगर आपने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है तो भी आप वैक्सीनेशन सेंटर पर तब तक न जाएं जब तक आपके पास अप्लाइंटमेंट का मैसेज नहीं आ जाता है। इस वक्त भीड़ का मतलब है, इन्फेक्शन को दावत देना। इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल जरूर रखें।
वैक्सीन के स्टॉक की कमी के कारण 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन केवल 6 राज्यों में शुरू हुआ है। यह शुरुआत भी अभी प्रतिकात्मक तौर पर ही हुई है। सरकारी अस्पतालों में 45 से अधिक आयु वर्ग के लिए वैक्सीन फ्री में उपलब्ध होगी। केंद्र ने प्राइवेट अस्पतालों से कहा है वह वैक्सीन स्टॉक को अपने यहां की राज्य सरकारों को वापस करें। प्राइवेट अस्पताल सीधे वैक्सीन निर्माताओं से वैक्सीन खरीदना चाहते हैं लेकिन देश में वैक्सीन बनाने वाली दोनों कंपनिया सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक ने तत्काल वैक्सीन सप्लाई करने में असमर्थता जताई है। क्योंकि इन कंपनियों ने अपने यहां निर्मित वैक्सीन का 50 फीसदी केंद्र सरकार और बाकी का 50 फीसदी राज्य सरकारों को देने का वादा किया है। राज्य सरकारों ने अपने ऑर्डर अलग से दे रखा है।
मेरा मानना है कि केंद्र की उस प्लानिंग में कुछ गंभीर कमियां थी जिसके तहत यह ऐलान किया गया था कि 1 मई से 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान शुरू किया जाएगा। दरअसल, वैक्सीनेशन में अमेरिका ने जिस मुस्तैदी से काम किया उससे काफी कुछ सीखा जा सकता है। वहां इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन किया गया है कि अब अमेरिका में 2 डोज लगवा चुके लोगों को छोटे-छोटे ग्रुप्स में बिना मास्क लगाए बाहर घूमने की इजाजात भी दी जा रही है। अमेरिका का लक्ष्य है कि 4 जुलाई तक हर नागरिक को वैक्सीन की दोनों डोज लग जाए। अमेरिका ने फाइज़र और मॉर्डना जैसी बड़ी कंपनियों को पहले फेज में ही 10 करोड़ वैक्सीन डोज बनाने का ऑर्डर दे दिया और इन कंपनियों के वैक्सीन एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी। ये कंपनियों जो कच्चा माल बाहर भेजना चाहती थी उस पर भी पाबंदी लगा दी गई।
अमेरिका में वैक्सीनेशन अभियान को तीन चरणों में शुरू किया गया। पहले चरण में 60 साल से ज्यादा, फिर दूसरे चरण में 45 साल से ज्यादा और तीसरे चरण में 18 साल से ज्यदा उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन किया गया। लेकिन जब लोगों को वैक्सीन लगनी शुरू हुई तो इसमें बहुत ज्यादा कानूनबाजी नहीं हुई। इसका अंदाजा आपको इस बात से लग जाएगा कि जो लोग अमेरिका में अवैध प्रवासी हैं, गैरकानूनी तरीके से रहते हैं, उनको भी वैक्सीन लगा दी गई और किसी को कोई परेशानी नहीं हुई। अमेरिका में 10 करोड़ लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी है जो कि अमेरिका की कुल आबादी का 40 फीसदी है। 65 प्रतिशत बुजुर्गों को भी वैक्सीन दी चुकी है। इस पूरे अभियान का असर ये हुआ कि अब अमेरिका में कोरोना के नए मामले और मरने वालों की संख्या कम हुई है। अमेरिका की सरकार को यह उम्मीद है कि इस साल जुलाई तक वहां सबकुछ सामान्य हो जाएगा।
यहां हमें यह समझना चाहिए कि भारत अमेरिका नहीं है। हमारे यहां अमेरिका से 100 करोड़ लोग ज्यादा हैं। अगर हम युद्धस्तर पर भी वैक्सीनेशन शुरू करते हैं तो इसे पूरा होने में लंबा समय लगेगा। हमारे यहां वैक्सीन की जरूरत बहुत बड़ी है। अब तक हम 16 करोड़ से ज्यादा डोज ही दे पाए हैं। नंबर के हिसाब ये बड़ा लग रहा होगा लेकिन आबादी की प्रतिशत के लिहाज से यह संख्या बहुत छोटी है। इसके अलावा हम 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए यूनिवर्सल वैक्सीनेशन अभियान बहुत जल्द नहीं शुरू कर सकते क्योंकि हमारे पास पर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इसके साथ ही दूसरी समस्या ये भी है कि हमारे यहां हर काम पर कानूनबाज़ी बहुत होती है और सवाल भी बहुत पूछे जाते हैं ।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वैक्सीनेशन को लेकर केंद्र सरकार से सवाल पूछे। अदालत ने कहा कि केन्द्र सरकार कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन को राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान के तौर पर क्यों नहीं लेता? वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से पूरी वैक्सीन केन्द्र सरकार क्यों नहीं खरीदती? CoWin ऐप पर रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी है? जो लोग पढ़े लिखे नहीं हैं या जिन लोगों के पास इंटरनेट नहीं है, वो रजिस्ट्रेशन कैसे करेंगे ? वैक्सीन के लिए अलग-अलग कीमतें क्यों तय की गईं? अब देश को कोविड वैक्सीनेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का इंतजार है
जब स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी से पूछा गया कि 18-वर्ष से ज्याद उम्र के लोगों के लिए राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान की घोषणा क्यों की गई, जब वैक्सीन का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध नहीं था. इस पर तो आधिकारी (लव अग्रवाल) ने जवाब दिया कि एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू होने पर इस तरह की कमियां अक्सर रहती है। इसके अलावा तीसरे चरण में यह पेड वैक्सीनेशन अभियान है। लोगों को टीकों के लिए भुगतान करना होगा। उन्होंने वादा किया कि जल्द ही इस अभियान को गति मिलेगी। अब दो बातें साफ हैं: 45 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को मुफ्त टीके मिलेंगे, जबकि 18 से 45 वर्ष के बीच के लोगों को वैक्सीन के लिए भुगतान करना पड़ सकता है।
भारत में स्वास्थ्य सेवाएं बहुत हद तक प्राइवेट सेक्टर पर निर्भर करती हैं। इसलिए प्राइवेट अस्पताल तीव्र गति से वैक्सीनेशन में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। लेकिन उनके पास वैक्सीन नहीं है। वैक्सीन बनानेवाली कंपनियों ने उन्हें 6 से 8 सप्ताह तक इंतजार करने के लिए कहा है। वैक्सीन का इम्पोर्ट संभव नहीं है क्योंकि निर्माता कह रहे हैं कि वे केवल सरकार के साथ सौदा करेंगे। मुझे लगता है कि इस नीति में परिवर्तन करने की जरूरत है क्योंकि मौजूदा समय में बहुत तेज रफ्तार से वैक्सीनेशन ही महामारी के क़हर को रोकने का एकमात्र विकल्प है और यह प्राइवेट सेक्टर की सक्रिय भागीदारी के बिना संभव नहीं हो सकता ।
Covid: India could have planned a better vaccination strategy by taking a cue from USA
India’s daily Covid-19 cases crossed the 4-lakh mark for the first time on Friday with 4,01,993 fresh cases and 3,523 deaths reported officially on a single day. Of course, there were nearly three lakh patients (2,99,988) who were discharged in the last 24 hours, but the scourge of the pandemic is spreading far and wide. Hospitals are running out of oxygen, ICU beds and ventilators.
Today I want to sound a note of caution. I would request all not to crowd Covid vaccination centres. Doctors have alerted that these centres are fast becoming spreaders of Coronavirus due to huge crowds. Crowding these centres may make you an easy prey for the deadly virus. My appeal: Please do not visit the vaccination centre unless you get an appointment on phone. Maintain safe distance as the virus can infect people standing in a crowd easily.
Due to shortage of vaccine stocks, vaccination for people above the age of 18 years is being done only in six states, that too, symbolically. Vaccines will be available free for 45-plus age group in government hospitals. The Centre has asked private hospitals to return the vaccine stocks to their respective state governments. Private hospitals want to purchase directly from manufacturers, but both the Serum Institute of India and Bharat Biotech have expressed their inability to supply immediately, as they have promised to supply 50 per cent of their manufactured vaccines to the Centre and the remaining 50 per cent to the states. State governments have placed their orders separately.
I think there were some serious shortcomings at the planning stage, when the Centre announced it would launch nationwide vaccination drive for 18-plus age group from May 1. We should have learnt some lessons from the USA, where people who have already taken both the doses are now being allowed to move in small groups in public places. The US government’s aim is give both the doses to all its citizens by July 4 (US Independence Day) this year. As part of its plan, the US government first ordered Pfizer and Moderna to manufacture 10 crore doses at the beginning. It banned export of vaccines by these two manufacturers, and wanted all the stocks for its citizens. US authorities even clamped ban on export of raw materials used for manufacturing Covid vaccines.
The vaccination drive in the US was carried out in three phases – first, for 60-plus age group, second, for 45-plus age group, and third, for 18-plus age group. People came forward in large numbers to get themselves vaccinated. There were no legal hassles, and even illegal migrants staying in the US got vaccinated. The result is there for all to see:10 crore people have been fully vaccinated, which is close to 40 percent of US population. 65 percent of the vulnerable elderly population has also been fully vaccinated. There has been a huge drop in number of fresh cases and the number of deaths. The US government expects everything to return to normal by July this year.
Here, we should understand that India is not USA. We have 100 crore more people than the US. Even if we speed up vaccination on a war footing, it will take a long time to reach our objective. Till now, we have administered more than 16 crore doses. Number of dozes may sound big but it’s very small in terms of the percentage. Moreover, we may not be able to launch universal vaccination for all Indians above the age of 18 years soon. There’s not enough vaccine. Other problem is that as usual too many questions are being asked.
The Supreme Court, on Friday, posed a series of questions to the Centre as to why a national vaccination drive has not been launched, why the Centre is not purchasing all the vaccine stocks available to distribute among the people, why registration on CoWin app was necessary, as a vast majority of people have no access to internet, why there were different prices fixed for vaccines. The nation now awaits Covid vaccination guidelines from the Supreme Court.
When a senior Health Ministry official was asked why nationwide vaccination drive for 18-plus group was announced, when there was no availability of adequate stocks, the official (Luv Agarwal) replied that such glitches always occur in the beginning when a nationwide drive is launched. Moreover, it is a paid vaccination drive in phase 3, where people will have to pay for vaccines. He promised that the drive will pick up pace soon. Two things are now clear: all Indians above the age of 45 years will get free vaccines, while those between 18 and 45 years may have to pay for the vaccines.
In India, health services depend hugely on private sector. Hence private hospitals can play a major role in getting people vaccinated speedily. But they have no vaccines. Vaccine manufacturers have asked them to wait for 6 to 8 weeks, and import is not possible as manufacturers are saying they will deal only with the government entities. I think this needs a course correction. Vaccination at a much faster pace is the only option. And this may not be possible without active involvement of the private sector.