मुस्लिमों को फ्रांस में जिहादियों द्वारा सिर कलम करने की घटना की निंदा क्यों करनी चाहिए
शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भारत के हजारों मुसलमानों ने हिस्सा लिया। अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने मैक्रों के पोस्टर पर जूते बरसाए, उनकी तस्वीर को जूतों से पीटा। दरअसल, फ्रांस के राष्ट्रपति ने उन इस्लामिक जिहादियों के खिलाफ बयान दिया था जिन्होंने फ्रांस में चाकू से हमला कर 2 लोगों का सिर कलम कर दिया था और कई अन्य को घायल कर दिया था। ये हमले पैगंबर मोहम्मद के कार्टून के विरोध में किए गए थे।
जुमे की नमाज के बाद मुख्य रूप से भोपाल, मुंबई और हैदराबाद में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर पड़े। ताज्जुब तो तब हुआ जब गुरुवार की रात 10 बजे के आसपास भोपाल के इकबाल मैदान में हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। कोरोना के वक्त में अचानक इतनी बड़ी संख्या में लोगों का एक जगह इकट्ठे होना चिंता की बात है। कांग्रेस के स्थानीय विधायक आरिफ मसूद ने पूरी प्लानिंग के तहत भीड़ जुटाई। ऐसी बातें फैलाई गईं कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने इस्लाम की तौहीन की है, पैगंबर साहब का अपमान किया है, इसका विरोध करना होगा। लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ नहीं था। मैक्रों ने इस्लामिक जिहादियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया था, जो पैगंबर के सम्मान की रक्षा के नाम पर निर्दोष लोगों का सिर कलम कर रहे थे।
भोपाल में इस विरोध-प्रदर्शन की तैयारी कांग्रेस विधायक ने पहले ही शुरू कर दी थी। फ्रांस के राष्ट्रपति इम्यैनुएल मैक्रों के फोटो छपवाए गए, फ्रांस के झंडे बांटे गए। तकरीर के लिए मंच भी तैयार किया गया। लाउडस्पीकर से अनाउंसमेंट हुआ और लोगों को विरोध प्रदर्शन के लिए बुलाया गया। पूरा ड्रामा प्री-प्लांड था और इरादा भी साफ था। एक ऐसे मुद्दे पर मुस्लिमों की भावनाओं को भड़काना जिसका भारत से कोई लेना-देना नहीं है। मंच पर भोपाल के शहर काजी मुस्ताक अहमद नदवी ने भड़काऊ भाषण देते हुए लोगों से पैगंबर की शान में गुस्ताखी करने वालों से बदला लेने को कहा। भीड़ को संबोधित करने के लिए कई मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं को भी आमंत्रित किया गया था।
इसके तुरंत बाद आरिफ मसूद ने एक और भड़काऊ भाषण दिया और मुसलमानों को बदला लेने के लिए भड़काया। मसूद ने इस मुद्दे पर भारत सरकार के खिलाफ जहर उगला। मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के वोटर 3 नवंबर को हो रहे चुनाव में अपना वोट डालने जाएंगे, और मसूद ने वोट के लिए इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। शुक्रवार को भी भोपाल के इकबाल मैदान में लोगों की भारी भीड़ जुटी और इसने मैक्रों विरोधी नारे लगाते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति के पोस्टर्स को अपने कदमों तले रौंदा। मजेदार बात यह है कि इनमें से अधिकांश प्रदर्शनकारियों को यह पता भी नहीं था कि मैक्रों कौन हैं और उन्होंने क्या बयान दिया था। उनका कहना था कि मस्जिद की तकरीर में मौलवी साहब ने कहा है कि फ्रांस में उनके प्यारे नबी का अपमान हुआ है, और वे उन्हीं की बात मानकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
मुंबई के मुस्लिम बहुल इलाके भिंडी बाज़ार में एक स्थानीय संगठन रज़ा अकादमी ने ऐसे पोस्टर चिपकाए जिनमें लिखा था कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने पैगंबर का अपमान किया है और मुसलमानों को इसका बदला लेना होगा। स्थानीय पुलिस ने समय पर कार्रवाई की और इन पोस्टरों को हटा दिया, लेकिन जुमे की नमाज के बाद भीड़ मैक्रों विरोधी नारे लगाने के लिए इकट्ठा हो गई। मुंबई में भी अधिकांश प्रदर्शनकारियों को यह पता नहीं था कि मैक्रों हैं कौन।
आइए एक बार फिर से जानते हैं कि वाकई में हुआ क्या था। फ्रांस में एक टीचर ने पैगंबर मुहम्मद के एक आपत्तिजनक कार्टून को अपनी क्लास के छात्रों को दिखाया था, जिसके बाद चेचेन्या के एक युवक ने उसका सिर कलम कर दिया। पूरा फ्रांस अपने इस टीचर के साथ खड़ा हो गया, और राष्ट्रपति मैक्रों ने इस घटना को ‘इस्लामी आतंकवादी हमला’ कहते हुए इसकी कड़ी निंदा की। इसके कुछ ही दिन बाद एक ट्यूनीशियाई शख्स फ्रांस के नीस शहर के एक चर्च में घुसा और उसने ‘अल्लाहू अकबर’ का नारा लगाते हुए एक महिला का सिर कलम कर दिया और 2 अन्य की चाकू घोंपकर हत्या कर दी। बाद में गोली लगने से वह गंभीर रूप से घायल हो गया। नीस के मेयर ने इसा घटना को ‘इस्लामो-फासिज्म’ करार दिया, जबकि मैक्रों ने कहा कि फ्रांस कभी भी इस तरह के आतंकी हमलों के सामने अपने मूल मूल्यों का आत्मसमर्पण नहीं करेगा। यहां इस बात पर ध्यान देना होगा कि सभी यूरोपिय देशों में फ्रांस में सबसे ज्यादा मुसलमान हैं।
मैक्रों ने कहा, ‘अगर हम पर फिर से हमला होता है तो यह हमारे मूल्यों के प्रति संकल्प, स्वतंत्रता को लेकर हमारी प्रतिबद्धता और आतंकवाद के सामने नहीं झुकने की वजह से होगा। मैं एक बार फिर साफ-साफ कहता हूं, हम किसी भी चीज़ के सामने नहीं झुकेंगे।’ अपने इस बयान में मैक्रों ने कहीं भी ऐसी कोई बात नहीं की जिसे पैगंबर का अपमान कहा जा सके। उन्होंने केवल हर फ्रांसीसी नागरिक की धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में बात की थी और इस्लामिक आतंकवाद की निंदा की थी। आतंकी हमलों को रोकने के लिए फ्रांस ने अब सार्वजनिक स्थानों पर 7,000 से ज्यादा सैनिकों को तैनात किया है।
मैक्रों के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कई इस्लामिक देशों ने, जिनकी अगुवाई खासतौर पर तुर्की कर रहा है, फ्रांस में बने सभी उत्पादों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। शुक्रवार को कई इस्लामिक देशों में मैक्रों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘मैं आज नीस में चर्च के भीतर हुए नृशंस हमले समेत फ्रांस में हुए हालिया आतंकी हमलों की कड़ी निंदा करता हूं। पीड़ितों के परिजनों और फ्रांस के लोगों के प्रति हमारी गहरी संवेदना है। भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में फ्रांस के साथ खड़ा है।’
मेरा सवाल यह है कि फ्रांस के किसी टीचर ने कोई विवादित पोस्टर दिखाया तो इससे भारतीय मुसलमानों का क्या लेना-देना है? जिहादी हमला केवल फ्रांस या यूरोप के लिए चिंता का विषय नहीं है। पूरी दुनिया ही इस्लामिक आतंकवाद से चिंतित है, और प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में फ्रांस के साथ एकजुटता व्यक्त करके सही काम किया है। 2015 में फ्रांसीसी पत्रिका चार्ली हेब्दो के कई पत्रकारों को इस्लामिक जिहादियों ने मौत के घाट उतार दिया था, और भारत ने उस हमले की भी निंदा की थी। फ्रांस में इस हफ्ते हुई चाकूबाजी और सिर कलम करने की घटनाओं की कड़ी से कड़ी निंदा होनी चाहिए, लेकिन इस तस्वीर का एक दूसरा पहलू भी है।
अगर पैगंबर मोहम्मद साहब की फोटो दिखाने से, जिन्हें वे अपना ‘नबी’ कहते हैं, मुसलमान भाई-बहनों की आस्था को चोट पहुंचती है, तो ऐसा काम कतई नहीं होना चाहिए। उनकी भावनाओं का सम्मान होना चाहिए, इससे बोलने की आजादी खत्म नहीं हो जाती। कुरान भी ये कहता है और बाइबिल में भी ये लिखा है कि किसी का दिल दुखाना अन्याय है, लेकिन में मुसलमान भाई-बहनों से भी अपील करना चाहूंगा कि वे हत्या करने वालों का, सिर कलम करने वाले स्वयंभू जिहादियों का खुलकर विरोध करें। वे ऐसे हत्यारों को किसी भी तरह का परोक्ष या प्रत्यक्ष समर्थन न दें, क्योंकि कुरान में ये कहा गया है कि एक भी इंसान की हत्या पूरी इंसानियत की हत्या है। जीसस क्राइस्ट और मोहम्मद साहब, दोनों का संदेश यही है कि धर्म के नाम पर किसी की हत्या करना पाप है, और साथ ही धर्म के नाम पर किसी का दिल दुखाना भी पाप है। इसी पाप से दुनिया को बचाने की जरूरत है।
Why Muslims should condemn beheading by jihadists in France
Tens of thousands of Muslims in India took part in protests against French President Emmanuel Macron after Friday prayers. Hundreds of them beat posters of Macron with shoes to express their resentment. The French President had spoken out against Islamic jihadists who had beheaded at least two people and stabbed several others in his country over blasphemous cartoons depicting Prophet Mohammed.
Protests were held mainly in Bhopal, Mumbai and Hyderabad after Friday prayers. The most surprising part was the assembly of several thousand Muslims in Iqbal Maidan of Bhopal on Thursday night, and the main organizer of the crowd was a local Congress MLA Arif Masood. Despite the spread of Covid pandemic, devout Muslims were asked to assemble at night by the local MLA to protest against the French President. The crowd was misled into believing that Macron had insulted the Prophet, but in reality, it was not so. Macron had taken a tough stance against Islamic jihadists who were beheading innocent people in the name of protecting the honour of the Prophet.
The Congress MLA got posters of President Macron printed in advance and, after meticulous planning, invited people through loudspeakers to assemble to register their protest. The entire drama was pre-planned and the intent was obvious: to instigate feelings of Muslim over a non-issue which had no relevance to India. Even French national flags were distributed among the crowd to be trampled upon. A makeshift dais was prepared from where the Qazi of Bhopal Mushtaq Ahmed Nadvi gave inflammatory speech asking the devouts to take revenge against those who had insulted the Prophet. Several Muslim leaders and maulanas were invited to address the gathering.
Soon after, Arif Masood gave another inflammatory speech and asked Muslims to take revenge. Masood even went to the extent of criticizing the Indian government on this issue. With voters in 28 assembly constituencies of Madhya Pradesh going to polls on November 3, Masood tried to give the issue a communal colour in order to garner votes. On Friday too, the crowd assembled at Bhopal’s Iqbal Maidan and while chanting anti-Macron slogans they trampled upon the posters of the French President. The most funny part was that most of the protesters did not know who Macron was and what he had said. The protesters said they were merely following the call of the maulana who told them that the Prophet had been insulted in France.
In Mumbai’s Muslim-dominated locality Bhindi Bazaar, a local outfit Raza Academy circulated posters alleging that the French President had insulted the Prophet and Muslims should take revenge. Local police took timely action and removed the posters, but after Friday prayers, a crowd congregated to chant anti-Macron slogans. In Mumbai too, most of the protesters did not know who Macron was.
Let us go back to recapitulate what actually happened. In France, a teacher displayed an objectionable cartoon of Prophet Muhammad to his students in class, after which a Chechnyan youth beheaded him. The entire French nation stood one in solidarity with the beheaded teacher, and President Macron led the nation in condemning what he called ‘Islamist terrorist attack.’ Soon after, a Tunisian man went on a stabbing spree inside a church in the city of Nice, beheading a woman and stabbing two others to death while chanting ‘Allahu Akbar’. He was shot and seriously injured. The Mayor of Nice described this as an act of “Islamo-fascism”, while Macron said, France will never surrender its core values in the face of such terror attacks. It must be noted here that among European countries, France has the largest number of Muslims.
Macron said: “If we are attacked once again, it is for the values which are ours: freedom, for the possibility on our soil to believe freely and not to give in to any spirit of terror. I say it with great clarity once again today: we won’t surrender anything.” Nowhere in this statement did Macron make any remark which could be termed as an insult to the Prophet. He had only spoken about the freedom of belief of every French citizen and had condemned Islamist terror. More than 7,000 French soldiers have been deployed at public places to prevent terror attacks.
As a reaction, several Islamic countries, notably led by Turkey, have given a call to boycott all products made in France. On Friday, there were protests against Macron in several Islamic countries. On behalf of India, Prime Minister Narendra Modi tweeted: “I condemn the recent terrorist attacks in France, including today’s heinous attacks in Nice, inside a church. Our deepest and heartfelt condolences to the families of victims and the people of France. India stands with France in the fight against terrorism.”
My question is: what has the act of a teacher displaying a blasphemous poster in France got anything to do with Indian Muslims? The jihadist attack is not only a matter that concerns France or Europe. The entire world is concerned over Islamic terrorism, and Prime Minister Modi did the right thing in expressing solidarity with France in the fight against terrorism. In 2015, journalists at the French magazine Charlie Hebdo were massacred by Islamic jihadists, and India had condemned that act. The beheadings and stabbings that took place in France this week need to be condemned, but there is another aspect to this issue.
The feelings of a majority of Muslims all over the world have been hurt because of blasphemous cartoons depicting Prophet Mohammed, whom they consider as ‘Nabi’. Their feelings must be given respect, but this does not mean that the freedom of expression must be curbed in totality. The Holy Quran and the Holy Bible advise followers not to hurt the feelings of others, but I would appeal to Muslim brothers and sisters to also condemn the heinous beheadings and killings by self-proclaimed jihadists. They should not extend any direct or indirect support to these killers. The Holy Quran says, even the murder of a single individual is murder of humanity. Both Prophet Mohammed and Jesus Christ have said that killings in the name of religion is a sin, hurting somebody’s feelings in the name of religion is also a sin. Let us save our world from such sins.
पुलवामा, अभिनंदन के राज़ पर पर्दा हटा : पाकिस्तान में मोदी का खौफ है
आखिरकार पुलवामा हमला और विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई का सच सामने आ ही गया, जो अभी तक रहस्य बना हुआ था, जिसके बारे में तरह-तरह की चर्चाएं तो होती थी लेकिन सच्चाई पर भ्रम के बादल छाए हुए थे। पाकिस्तान के नेता अयाज सादिक ने यह खुलासा किया है कि उनका देश भारत से डरता है। पाकिस्तान में मोदी का खौफ़ है। उन्होंने विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई का जिक्र करते हुए कहा कि आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा इस बात से डर गए थे कि अगर पाकिस्तान ने विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा नहीं किया तो भारत पाकिस्तान पर उसी रात हमला कर देगा। वहीं दूसरी ओर इमरान के मंत्री फवाद चौधरी ने दावा किया है कि पुलवामा हमले का श्रेय इमरान खान को दिया जाना चाहिए। नेशनल असेंबली में हुए इन दोनों खुलासों ने पाकिस्तान को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है।
सबसे पहले फवाद चौधरी के बयान की बात करते हैं जो पाकिस्तान के साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्री हैं और इमरान खान के बेहद करीबी माने जाते हैं। जब-जब विपक्ष इमरान पर हमलावर होता है तो फवाद चौधरी अक्सर अपने नेता का बचाव करने उतर जाते हैं। लेकिन गुरुवार को फवाद चौधरी ने उस राज़ पर पर्दा हटाया, उस हकीकत को बयां कर दिया कि 14 फरवरी, 2019 के पुलवामा हमले की योजना किसने बनाई थी, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
नेशनल असेंबली की बहस में हिस्सा लेते हुए फवाद चौधरी ने कहा-‘हमने हिंदुस्तान को घुस के मारा।’ उन्होंने कहा कि पुलवामा आतंकी हमला पाकिस्तान की बड़ी कामयाबी है। पूरे पाकिस्तान को इस पर फख्र होना चाहिए। इमरान खान के मंत्री फवाद चौधरी ने वो बात कह दी जो पाकिस्तान पूरी दुनिया से अब तक छुपा रहा था कि पुलवामा हमले से उसका कोई लेना-देना नहीं है। फवाद चौधरी ने कहा-‘पुलवामा हमले को मत भूलिए। हमने इंडिया में घुसकर हमला किया था। पुलवामा हमला इमरान खान के नेतृत्व में पाकिस्तान की जनता की बड़ी कामयाबी है। आप (विपक्ष) और हम (सत्तारूढ़ दल) सभी उस कामयाबी का हिस्सा हैं।‘ फवाद चौधरी नैशनल असेम्बली में बोले तो करीब दस मिनट लेकिन सिर्फ 22 सेकेंड में उन्होंने वो बात कह दी, जो पाकिस्तान 22 महीने से छुपाए हुए था।
हकीकत जुबां से बाहर आने के बाद जबतक फवाद चौधरी को इस बात का अहसास हुआ कि कुछ गलत हो गया है, बात बहुत दूर तक निकल चुकी थी। हालांकि उन्होंने अपनी बात से पलटने की कोशिश की और कहा-‘पुलवामा वाकये के बाद जब हमने इंडिया को घुस के मारा’। अब फवाद चौधरी के इस बयान को भारतीय मीडिया ने लपक लिया और दिन भर वे सफाई देते रहे कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया। उन्होंने कहा- ‘मैं उस वक्त का जिक्र कर रहा था जब हमारे विमानों ने भारत के लड़ाकू ठिकानों को निशाना बनाया।’
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर पाकिस्तान के मंत्री ने इस तरह की बात क्यों कही? ऐसा क्या हो गया जिससे फवाद चौधरी को ऐसा बयान देना पड़ा। असल में पिछले दो दिनों से पाकिस्तान की पार्लियामेंट में इमरान खान औऱ उनकी सरकार की जमकर बखिया उधेड़ी जा रही है। विरोधी दलों के नेता एकजुट होकर इमरान खान के और पाकिस्तान की फौज के सीक्रेट सामने ला रहे हैं। फवाद चौधरी नवाज शरीफ की पार्टी के नेता अयाज सादिक के खुलासे को ढकने की कोशिश कर रहे थे।
अयाज सादिक ने पार्लियामेंट में चर्चा के दौरान ऐसी बात कह दी थी जिससे पूरे पाकिस्तान में इमरान खान और पाकिस्तान की फौज का मजाक उड़ाया जा रहा था।
अयाज सादिक ने पार्लियामेंट में पूरे जोश के साथ, पूरे यकीन के साथ कहा कि पुलवामा हमले के बाद हुई एयर स्ट्राइक से पाकिस्तान नरेन्द्र मोदी से काफी डर गया था। उन्होंने खुलासा किया कि एक टॉप लेवल की मीटिंग का जिक्र किया जिसमें विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी समेत कई वरिष्ठ राजनेता और सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा शामिल हुए थे। अयाज ने कहा कि पाकिस्तानी फौज के जनरल इतने घबराए हुए थे कि आर्मी चीफ बाजवा के पैर कांप रहे थे। पाकिस्तान की सरकार डर के मारे थर्रा रही थी। मीटिंग में कहा गया कि अगर रात 9 बजे तक अभिनंदन को रिहा नहीं किया गया तो भारत पाकिस्तान पर हमला कर सकता है। इसी डर की वजह से पाकिस्तान ने विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा करने का फैसला किया । रात के नौ बजते उससे पहले ही पाकिस्तान ने विंग कमांडर अभिनंदन को भारत के हवाले कर दिया था। अयाज सादिक ने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान बैठक में शामिल होने वाले थे, लेकिन वे नहीं आए। दरअसल, विंग कमांडर अभिनंदन का मिग विमान पाकिस्तानी विमानों के साथ हवाई मुकाबले के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और वे पाकिस्तान वाले हिस्से में जा गिरे थे। पाकिस्तानी सेना ने विंग कमाडंर अभिनंदन को बंदी बना लिया था और भारत ने उनकी फौरी रिहाई की मांग की थी।
अयाज सादिक पाकिस्तान के कोई साधारण नेता नहीं हैं। वे नेशनल असेंबली के स्पीकर रह चुके हैं और जिन तथ्यों को उन्होंने सामने रखा है वे बेहद अहम हैं। ये तथ्य आधारहीन नहीं हैं। अब तक किसी को ये पता नहीं था कि पाकिस्तान ने अचानक विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा करने का फैसला क्यों किया। केवल कयास लगाए जा रहे थे।
मुझे याद है मैंने पिछले साल मई में अपने शो ‘सलाम इंडिया’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यही सवाल किया था। तब मोदी ने मुस्कुरा कर कहा था, ‘वो एक रात थी, जिस रात में कई राज़ थे, राज़ को राज़ ही रहने दीजिए। ‘
अब हकीकत सबके सामने है। पाकिस्तानी नेता कह रहे हैं कि उनके विदेश मंत्री ने टॉप लेवल की एक गुप्त मीटिंग में कहा था कि अगर अभिनंदन को रिहा नहीं किया गया तो भारत आज रात 9 बजे पाकिस्तान पर हमला कर देगा । पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने विपक्ष के नेताओं से अभिनंदन की रिहाई के लिए सहमति मांगी थी।
गुरुवार को पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने अयाज सादिक के बयान पर सफाई देने की पूरी कोशिश की। लेकिन वे अयाज के खुलासे को खारिज नहीं कर पाए। प्रवक्ता ने केवल यह कहा कि अभिनंदन को छोड़ने का फैसला एक ‘मेच्योर रिस्पॉन्स’ (सूझबूझ से लिया गया फैसला) था और ‘इसे किसी और बात के साथ जोड़ना भ्रामक होगा।’
पाकिस्तानी नेताओं के कबुलनामें से दो बातें स्पष्ट हो गई है। पहला, पाकिस्तान ने मान लिया कि पुलवामा में आतंकी हमले की साजिश उसने रची। दूसरा, पाकिस्तान में नरेंद्र मोदी का खौफ है। इमरान खान, नरेन्द्र मोदी की हिम्मत और ताकत से घबराते हैं। इसके अलावा अब जो भी सफाई पाकिस्तान की ओर से आ रही है वो इस मुद्दे को उलझाने की एक कोशिश का हिस्सा है।
फवाद चौधरी ने दुनिया के सामने सच्चाई बयान कर दी। अब पाकिस्तान कैसे कहेगा कि उसने पुलवामा में आंतकवादी हमला नहीं करवाया था। इमरान खान अब शान्ति दूत बनने का नाटक कैसे करेंगे। अब तक इमरान खान पूरी दुनिया के सामने घूम-घूम कर रोते थे। पुलवामा हमले के बाद हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक के जख्म दिखाकर दुनिया की हमदर्दी हासिल करने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन अब इमरान खान क्या कहेंगे? अब पाकिस्तान की फौज क्या कहेगी?
भारत ने बालाकोट एयरस्ट्राइक के वक्त भी सीना ठोक कर कहा था कि ये पुलवामा में हुए हमले का बदला है। पुलवामा में हमारे जवानों का खून बहानेवाले दहशतगर्दों को सबक सिखाने के लिए ये किया गया है। ये पाकिस्तान को चेतावनी है। उस वक्त पाकिस्तान में घुसकर की गई एयर स्ट्राइक की जानकारी सबसे पहले औपचारिक तौर पर भारत ने पाकिस्तान को ही दी थी। भारत ने कुछ छिपाया नहीं था। झूठ नहीं बोला था। पाकिस्तान को बताया था कि ये हमला पाकिस्तान पर नहीं बल्कि पाकिस्तान में छिपे दहशतगर्दों पर है। उस वक्त इमरान खान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जंग को उकसावा देने का इल्जाम लगाया था। लेकिन इमरान खान के फरेब से उन्हीं के मंत्री ने पर्दा उठा दिया।
अब सवाल ये है कि अगर पाकिस्तान विंग कमांडर अभिनंदन को वापस न भेजता तो क्या वाकई में हमारी फौज रात नौ बजे पाकिस्तान पर धावा बोल देती? क्या हमारी सेना और एयरफोर्स वाकई में हमले की तैयारी कर चुकी थी? इस हकीकत को जानने के लिए इंडिया टीवी ने बात की उस वक्त के एयर चीफ मार्शल बी. एस. धनोआ से। धनोआ ने भी कहा कि इंडियन एयरफोर्स हमले के लिए पूरी तरह तैयार थी। कुछ ही मिनटों में पाकिस्तान की फ्रंट लाइन डिफेंस को पूरी तरह तहस- नहस किया जा सकता था। पाकिस्तान इस बात को समझ चुका था। इसीलिए पाकिस्तान को विंग कमांडर अभिनंदन को रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पूर्व एयर चीफ मार्शल की बात सुनकर गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। हमारी फौज की शक्ति पर, हमारे जवानों की बहादुरी पर भरोसा और बढ़ जाता है। प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व क्षमता पर हमारी फौज को कितना भरोसा है, ये भी समझ में आ जाता है। लेकिन हमारे देश में ऐसे नेता हैं जो इस जोश और इस हिम्मत को देखना नहीं चाहते, समझना नहीं चाहते ।
अब जब पाकिस्तान ने राज़ खोल दिए हैं तो आज सबको ये बात समझ आ जानी चाहिए कि पहले के भारत और आज के भारत में क्या फर्क है। पाकिस्तान का कबूलनामा और पाकिस्तान का खौफ देखकर ये पता चल जाना चाहिए कि पहले की लीडरशिप और मोदी की लीडरशिप में क्या फर्क है। पाकिस्तान पहले भी आतंकवादी हमले करवाता था। हमारी फौज की ताकत, उनकी बहादुरी पहले भी थी। लेकिन पहले हम पाकिस्तान को डोजियर भेजते थे, चिट्ठियां लिखते थे। पहले हम अमेरिका से मदद मांगने चले जाते थे। लेकिन नरेन्द्र मोदी ने इस परिभाषा को बदल दिया। पाकिस्तान ने जब हमला किया तो उसको उसके घर में घुसकर मारा और आज इस बात का भी सबूत मिल गया कि अगर पाकिस्तान अभिनंदन को न छोड़ता तो भारत उस पर हमला करने वाला था।
आज ये भी पता चल गया कि पाकिस्तान को नरेन्द्र मोदी की ताकत का कितना एहसास है। पाकिस्तान में मोदी का खौफ है। लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है कि हमारे देश में हमारे अपने लीडर इस बात को मानने को तैयार नहीं है। पाकिस्तान के कबूलनामे के बाद कम से कम उन्हें ये समझ लेना चाहिए कि वो चीन और पाकिस्तान पर भरोसा करने की बजाय हमारी फौज पर यकीन करें। अपने प्रधानमंत्री पर भरोसा करें।
Pulwama, Abhinandan secrets are out: Pakistan is scared of Modi
The secrets are out. Pakistani leader Ayaz Sadiq has revealed that his country fears Modi. Prime Minister Imran Khan and Army Chief Gen. Qamar Javed Bajwa were worried that if they did not release Wing Commander Abhinandan, India would attack Pakistan. Imran’s minister Fawad Chaudhry claimed that Imran should be given credit for organizing the attack in Pulwama. Both the revelations in Pakistan’s National Assembly completely expose Pakistan.
Let us take Fawad Chaudhry first. Pakistan’s Science and Technology Minister Fawad Chaudhry is said to be very close to Prime Minister Imran Khan. Fawad Chaudhry frequently defends his leader whenever he is attacked by the Opposition. But on Thursday, Fawad Chaudhry spilled out the secret on who planned the Pulwama attack of February 14, 2019 in which 40 CRPF soldiers were martyred.
Taking part in a debate in National Assembly, Fawad Chaudhry said the terror strike in Pulwama was a major “success” under the leadership of Prime Minister Imran Khan. He said, “humne Hindustan ko ghus ke maara (we attacked India inside their home). Our success in Pulwama is a success of the people under the leadership of Imran Khan. You (opposition) and we (ruling party) are all part of that success.”
As soon as the cat was out of the bag, Fawad Chaudhry realized his folly and then backtracked. He said, “Pulwama ke waqaye ke baad jab humne India ko ghus ke mara” (when we hit India in their home after Pulwama). Soon Indian media picked up the minister’s remark, and Fawad Chaudhry had to spend the rest of the day clarifying that he was “misquoted and misinterpreted”. He said, he was referring to “when our planes targeted India’s combat installations”.
Fawad Chaudhry’s remark comes a day after Nawaz Sharif’s party leader Ayaz Sadiq revealed why Pakistan decided to release Indian Air Force Wing Commander Abhinandan. Ayaz Sadiq recounted a top meeting held in February last year during the critical standoff between India and Pakistan after the Balakot air strike.
He revealed how at a top meeting attended by senior political leaders and the Army Chief Gen. Qamar Javed Bajwa, Foreign Minister Shah Mehmood Qureshi, looking frightened, perspiring and shaking in his knees, walked in and told the meeting that Abhinandan must be released because India may attack Pakistan at 9 pm that night. Ayaz Sadiq said PM Imran Khan was supposed to attend the meeting, but he did not. Wing Commander Abhinandan was captured by Pakistani army after MiG-21 jet fell down during a dogfight with a Pakistani aircraft, and India had demanded his release.
Ayaz Sadiq is not an ordinary politician in Pakistan. He has been the Speaker of National Assembly and the facts that he was revealing carried weight. Till now, nobody knew why Pakistan suddenly decided to release Wing Commander Abhinandan. There were speculations galore.
I remember, I had put the same question to Prime Minister Narendra Modi in my ‘Salaam India’ show with him in May last year. Modi had then smiled and replied: “Let the secret of that night remain a secret forever.”
The secret is now out. According to the Pakistani leader, their Foreign Minister told the top secret meeting that India was going to attack that night at 9 pm, and he virtually pleaded with the opposition to agree to Abhinandan’s release.
On Thursday, the Pakistani army spokesman tried his best to clarify Ayaz Sadiq’s remark, but he did not reject his revelation. The spokesman only said that the decision to release Abhinandan was “a mature response” and “it would be misleading to link this with anything else.”
Two clear facts emerge from the remarks of these two Pakistani leaders: One, Pakistan had conspired the suicide terrorist attack in Pulwama, and Two, Pakistan is mortally afraid of Modi. All other clarifications from Pakistan are nothing but attempts to obfuscate the issue.
Fawad Chaudhry has exposed what Pakistan had been trying to hide till now. Pakistan had been claiming that it had nothing to do with the Pulwama terror attack. Imran Khan had been crying hoarse throughout the hold that his country was not a sponsor but a victim of terrorism, but here, it was his own minister who has spilled the cat out of the bag.
What will the Pakistani army establishment do about Fawad’s remark? It was India which had openly told the world that it has taken revenge for Pulwama terror attack by carrying out airstrike on terror camps in Balakot. It was India which had formally informed Pakistan about the Balakot airstrike. India never tried to hide facts, but Pakistan did lie. After Balakot airstrike, it was Imran Khan who had alleged that Prime Minister Modi was trying to provoke a war. But his own minister has now nailed Imran Khan’s lies.
For the last two days, the combined Opposition is spilling out several secrets about Imran Khan and the Pakistani army while participating in the debate of national security. Whatever Ayaz Sadiq revealed in National Assembly has brought loss of face to the mighty Pakistani army establishment. Ayaz Sadiq has revealed what others feared to do. He spoke about how the General and his foreign minister were perspiring and shaking in their knees because India was going to attack at 9 pm. They were beseeching the Opposition to agree to the government’s decision to release Abhinandan unconditionally.
India TV spoke to the then IAF chief retired Air Chief Marshal B. S. Dhanoa. He told India TV that the air force was at that time ready to wipe out the entire frontline defence of Pakistan, within minutes. That is why, Dhanoa said, Pakistan was forced to release Wing Commander Abhinandan. Watching the former air chief speak makes our hearts fill with pride. We are proud of the unmatched bravery of our armed forces, and they too have an abiding faith in the leadership of our Prime Minister.
Now that the dark secrets are spilled out, every Indian must realize that there is a big difference in what India was less than a decade ago and now. After watching Pakistani leaders admitting that their army had planned the terror attack and that its general were shaking in their knees on hearing about an impending Indian attack, every Indian must realize the difference between the qualities of the earlier leadership and Modi’s leadership.
Pakistan had been aiding and abetting terrorists since decades, and our armed forces were quite capable to strike back, but the earlier leadership used to send dossiers and write letters to Pakistan. The earlier leadership used to take complaints against Pakistan to the United States, but Modi has changed the very lexicon of how to act against the enemy. He ordered the army and air force to carry out surgical strikes inside enemy territory at least twice, and now, the secret is out that India was poised to attack at 9 pm that night, had Abhinandan not been released from captivity.
The unravelling of this secret has clearly underlined the extent to which Pakistan regards Modi’s strength. The Pakistani establishment fears Modi, but unfortunately, our own leaders here are unwilling to admit this. After Pakistan’s admission of its hand in Pulwama attack, our leaders should stop believing in fake claims made by Pakistan and China, and trust the capability of our armed forces. They should have trust in the leadership of our Prime Minister.
बिहार विधानसभा चुनाव: मोदी बने गेम चेंजर
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले दौर के लिए बुधवार को जब वोट डाले जा रहे थे उसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद मोदी मुजफ्फरपुर, पटना और दरभंगा में तीन चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे थे। मोदी ने अपने भाषण में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधा। हालांकि उन्होंने अपने भाषण में तेजस्वी का नाम नहीं लिया लेकिन ‘जंगलराज का युवराज’ कहकर यह स्पष्ट कर दिया कि उनका इशारा तेजस्वी की ओर है।
मोदी ने बिहार में आरजेडी के 15 साल के शासन के दौरान अराजकता के दौर का जिक्र किया। उन्होंने लोगों को वो बातें दिलाई, वो वक्त याद दिलाया, वो मुद्दे याद दिलाए जिसे बिहार की जनता भूलना चाहती है। मोदी ने बार-बार अपहरण, भ्रष्टाचार और अपराधियों के जमाने की य़ाद दिलाई और बिहार के लोगों को चेतावनी दी, उन्हें सावधान किया। मोदी हर रैली में पहले वाली रैली से अलग नजर आए, इलाके के हिसाब से, जनता के मूड के हिसाब से उन्होंने मुद्दे उठाए। लेकिन जंगलराज की बात हर जगह की और प्रमुखता से की। मोदी ने अपने भाषण में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी को ‘युवराज’ बताया। लालू इन दिनों चारा घोटाले के मामले में जेल में सजा काट रहे हैं। तेजस्वी को आरजेडी की अगुवाई वाले गठबंधन ने सीएम उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा है।
मोदी ने मतदाताओं को वोट डालते वक्त सावधान रहने की अपील की। उन्होंने लोगों से कहा-‘ अगर वे बिहार में विकास को इसी रफ्तार से आगे बढ़ाना चाहते हैं तो उन्हें जंगलराज की वापसी को रोकना होगा। अगर जंगलराज वाले लोग सत्ता में आ गए तो फिर से बिहार ‘लालटेन’ (आरजेडी का चुनाव चिन्ह) के अंधेरे युग में चला जाएगा। बिहार फिर से अपहरण का बाजार बन जाएगा। यह फिर से बीमारू राज्य हो जाएगा। जो लोग नौकरी का वादा कर रहे हैं, असल में वो अपने लिए नौकरी का इंतजाम करने में लगे हैं। ये लोग सत्ता में आ गए तो ‘पैसा हजम और परियोजना खतम’।“ दरभंगा की रैली में तो मोदी ने साफ-साफ कहा कि ये मौका है जब बिहार के लोग राज्य को फिर से बीमारू होने से बचा सकते हैं।
बुधवार को मोदी का वो रंग दिखा जिसके कारण उन्हें चुनाव का रूख पलटने वाला प्रचारक कहा जाता है, उन्हें गेम चेंजर कहा जाता है। उन्होंने अपने भाषण में विपक्षी दलों पर कड़ा प्रहार किया। एनडीए के प्रचार अभियान में मोदी के इस भाषण को गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है। अपनी हर रैली में मोदी ने ये बताया कि बिहार के लिए उनकी सरकार ने क्या किया। नीतीश कुमार की सरकार ने कौन से काम किए। डबल इंजन की सरकार से बिहार को कितना फायदा हुआ और फिर याद दिलाया अगर इस वक्त चूक हो गई तो कितना नुकसान हो जाएगा और इसके बाद मोदी ने विस्तार से जंगलराज की बात की। नीतीश कुमार और लालू यादव के वक्त का फर्क समझाया।
मोदी ने हर वो बात कही जो बिहार के लोग सुनना चाहते हैं, बीजेपी और जेडीयू के नेता कहना चाहते हैं, लेकिन मैसेज भी चला जाए और बात भी कह दी जाए और मर्यादा भी बनी रहे, ये एक कला है, जो सबके बस की बात नहीं है। अधिकतर नेता इसमें मात खा जाते हैं और व्यक्तिगत टीका-टिप्पणियों में ज्यादा उलझ जाते हैं। मोदी ने लालू यादव के बारे में, तेजस्वी यादव के चुनाव प्रचार के बारे में हर बात कही, लेकिन एक भी शब्द ऐसा नहीं कहा जिस पर विरोधी सवाल उठा सकें, किसी तरह का इल्जाम लगा सकें। पहली बार प्रधानमंत्री ने बिना नाम लिए तेजस्वी यादव पर हमले किए। नाम नहीं लिया लेकिन जैसे ही मोदी अपने भाषण में बोलते थे ‘जंगलराज के युवराज’, तो रैली में मौजूद हजारों लोग समझ जाते थे कि तीर लालटेन की तरफ चलाया गया है। कुल मिलाकर पीएम मोदी ने जबरदस्त प्रचारक का रोल अदा किया। बिहार के लोगों को समझाया, पढ़ाया और थोड़ा-थोडा डराया भी।
तेजस्वी पर सीधा हमला मंगलवार को नीतीश कुमार ने भी किया था। लेकिन मुद्दा गलत चुना। लालू के नौ बच्चों (सात बेटी, दो बेटे) की बात कर दी और तेजस्वी को जवाब देने का मौका मिल गया। लेकिन बुधवार को मोदी ने जो कहा उससे आरजेडी के नेताओं को, तेजस्वी को दर्द तो बहुत हुआ होगा, लेकिन इस दर्द की कोई दवा नहीं है। तेजस्वी पिछले कई हफ्तों से अपने भाषणों में ‘जंगलराज’ को लेकर किसी भी तरह के पलटवार या टिप्पणी से बचने की कोशिश कर रहे थे। वे चाह रहे थे कि उन दिनों की बातों से छुटकारा मिले, लेकिन मोदी ने उन स्याह दिनों को एक बार फिर चुनावी बिसात पर ला दिया है। पीएम मोदी ने अपनी तीनों रैली में जंगलराज की बात की और जनता को उन बीते दिनों की याद दिलाई।
दिलचस्प बात ये है कि बुधवार को बिहार में राहुल गांधी ने भी चुनाव प्रचार किया। राहुल गांधी के भाषण को मैंने गौर से सुना, ये सोचकर कि शायद कोई नई बात मिले। कोई ऐसा मुद्दा तो मिले जिससे बिहार के चुनाव को जोड़ा जा सके, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। राहुल ने पंजाब की बात की, दशहरे की बात की, 2014 के लोकसभा चुनाव में किए गए मोदी के वादों की बात की, कोरोना के दौरान मोदी के भाषणों की बात की और वोट बिहार के लोगों से मांगा। राहुल ने रोजगार का मुद्दा उठाया तो इसमें भी नीतीश कुमार को नहीं, मोदी को ही निशाना बनाया। राहुल गांधी के भाषणों पर ध्यान दीजिए। उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि वह बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए वोट मांग रहे हैं या फिर लोकसभा चुनाव का प्रचार कर रहे हैं।
मैं राहुल के भाषणों पर पिछले तीन साल से गौर कर रहा हूं। राहुल गांधी के मुद्दे तो छोड़िए, डायलॉग भी नहीं बदले हैं। बस जगह बदल जाती है, चुनाव बदल जाता है। इसकी वजह ये है कि चुनाव कोई भी हो, जगह कोई भी हो, राहुल गांधी के दिलों दिमाग में सिर्फ नरेन्द्र मोदी छाए रहते हैं। इसके चक्कर में वह सब भूल जाते हैं। और हकीकत ये है कि राहुल नरेन्द्र मोदी को जितना कोसते हैं, बीजपी को उतना फायदा होता है। समय है कि राहुल गांधी को अपने भाषण का सुर बदल लेना चाहिए। हमेशा मोदी पर एक सुर में बोलने की बजाय उन मतदाताओं से जुड़े मुद्दों पर ज्यादा बोलना चाहिए जो उन्हें सुनने आते हैं।
Bihar elections: Modi the game changer
Even as brisk voting was in progress for 71 assembly seats in Bihar on Wednesday, Prime Minister Narendra Modi in his speeches at three rallies in Muzaffarpur, Patna and Darbhanga hit out at RJD leader Tejashwi Yadav describing him as “Jungleraj Ka Yuvraj” (Prince of Jungle Rule).
Modi was referring to the period of lawlessness in Bihar during the 15-year-long rule of RJD. During this period, a large number of kidnappings, heists and robberies took place in the state and criminal gangs were ruling the roost. By ‘Yuvraj’, he was referring to Tejashwi, son of RJD supremo Lalu Prasad, presently serving his sentence in jail in the fodder scam. Tejashwi has been projected as chief ministerial candidate by the RJD-led Mahagathbandhan.
Modi cautioned voters to be careful while casting their votes. He said, “if jungle raj returns to Bihar, the dark age of lantern (RJD poll symbol) will return. All the development that took place during Nitish Kumar’s 15-year-long rule will go waste. Forget about getting government jobs, even private companies that are offering jobs in Bihar, will close shop and leave. The kidnapping industry will return and Bihar will again turn ‘bimaru’ (sick). Those who are promising you jobs are actually trying to arrange jobs for themselves. Once they return to power, ‘paisa hazam, pariyojana khatam’ (they will pocket all the money from projects).”
Modi’s speeches on Wednesday were hard-hitting and are being viewed as a game changer in the current NDA campaign. The people of Bihar have not yet forgotten the dark period of corruption and rampant kidnappings, when criminal gangs were active. Modi reminded voters that it was Nitish Kumar who consistently worked towards bring back the rule of law and ensured that projects were completed.
Modi knows the art of convincing the common man in a language that they understand. Most of the politicians lack this art of convincing voters and indulge in personal mudslinging. The people of Bihar were yearning to hear Modi speak about Lalu Yadav and his son Tejashwi Yadav. Modi did not even name Tejashwi, but by naming him as ‘yuvraj’ he conveyed whatever he wanted to. Nowhere did he resort to abusive words.
Contrast this with what Nitish Kumar said on Tuesday while mentioning about Lalu Yadav and his seven daughters and two sons. This did not go down well with the common people of Bihar. The same message was conveyed by Modi in a different manner and it was not at all jarring. Tejashwi and RJD leaders must have felt the pinch after watching Modi speak, but they had no answer. Tejashwi, for the last several weeks, had been consciously trying to avoid any mention of ‘jungleraj’ in his speeches. He wanted the sad memories of those days forgotten, but it was left to Modi to point out the truth about those dark years in a blunt manner.
Congress leader Rahul Gandhi also addressed rallies in Bihar on Wednesday. I listened to some of his speeches but these were bland, to say the least. Rahul was speaking about farmers’ protests in Punjab, about Dussehra, about what Modi said during Corona epidemic, and he was seeking votes from the people of Bihar. It matters the least to Rahul Gandhi whether he is addressing a rally during the assembly elections or the Lok Sabha elections.
For the last three years, I have been watching most of his speeches. Most of his dialogues are repetitive, they do not connect with the voters, and if you change the time and place of his rallies, you may not find an iota of change in his speeches. In all his speeches, Rahul Gandhi’s single point agenda is Modi. The more he makes disparaging remarks about Modi, the more he is indirectly helping the BJP. It’s time that Rahul should change the tone and tenor of his speeches and make them relatable to voters who are listening to him, instead of speaking only about Modi like a stuck gramophone record.
निकिता मर्डर केस: हत्यारों को फौरन सज़ा दें ताकि आगे के लिए मिसाल बन सके
हरियाणा में फरीदाबाद के पास बल्लभगढ़ में मंगलवार को एक लड़की की दिनदहाड़े हत्या से पूरे देश में आक्रोश की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया पर वायरल हुई 23 सेकंड की एक सीसटीवी फुटेज में तौसीफ नाम का बदमाश निकिता नाम की लड़की को पॉइंट ब्लैंक रेंज पर गोली मारते हुए नजर आ रहा है।
20 साल की निकिता तोमर फरीदाबाद के एक कॉलेज में बी. कॉम अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही थी। मंगलवार को जब वह अपनी एक सहेली के साथ कॉलेज से बाहर आई, तभी हत्यारा तौसीफ और उसका साथी रेहान एक कार में आए और निकिता को अपनी कार में खींचने की कोशिश की। निकिता ने जब इसका विरोध किया तो तौसीफ ने अपनी पिस्तौल निकाली और गोली चला दी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। वारदात को अंजाम देने के बाद दोनों कार से फरार हो गए और निकिता की सहेली भौंचक्की होकर उसे सड़क पर मरते हुए देखती रही।
थोड़ी ही देर में निकिता के परिजन घटनास्थल पर पहुंच गए और अन्य स्थानीय निवासियों के साथ मिलकर वे दिल्ली-मथुरा हाईवे पर धरना पर बैठ गए, और पूरी सड़क जाम हो गई। धरना दे रहे लोगों का समर्थन करने के लिए जल्द ही वहां हजारों लोग इकट्ठा हो गए और सभी मिलकर हत्यारों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग करने लगे।
निकिता के पिता ने आरोप लगाया कि तौसीफ पिछले 2 साल से उनकी बेटी को परेशान कर रहा था, और उसने पिछले साल सितंबर में छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज कराई थी। स्थानीय पुलिस ने तब दोनों परिवारों के बीच समझौता करा दिया था। लेकिन तौसीफ और उसकी मां पिछले कुछ हफ्तों से उसे लगातार इस्लाम कबूल करके निकाह करने के लिए दबाव डाल रहे थे। निकिता ने इससे साफ इनकार कर दिया, लेकिन तौसीफ नहीं माना और पीछा करना जारी रखा।
स्थानीय पुलिस ने निकिता को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। निकिता के नाना ने आरोप लगाया कि हत्या के बाद जब परिवार के लोग शिकायत करने थाने गए तो SHO का बर्ताव काफी बुरा था, और उसने तौसीफ के खिलाफ FIR दर्ज करते समय परिवार की बात नहीं सुनी। उन्होंने मांग की है कि एक नई FIR दर्ज की जाए और मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजा जाए।
दोनों आरोपियों की धरपकड़ के लिए क्राइम ब्रांच की 10 टीमें बनाई गईं, और इस जघन्य वारदात को अंजाम देने के कुछ ही घंटे के भीतर पुलिस ने तौसीफ और रेहान को गिरफ्तार कर लिया। निकिता का हत्यारा तौसीफ 21 साल का है और वह फिजियोथैरेपी का कोर्स कर रहा है। दोनों आरोपियों को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया गया जहां से इन्हें 2 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। हत्यारों को फांसी की सजा देने की मांग कर रहे निकिता के परिवार के सदस्यों और स्थानीय निवासियों को समझाने में पुलिस अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। पुलिस अफसरों ने उन्हें भरोसा दिलाया कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान मामले में तेजी लाई जाएगी और जल्द न्याय मिलेगा। शाम को परिजनों ने धरना खत्म कर दिया और निकिता के शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया।
यह एक निर्मम हत्या है और किसी भी तरह से यह नहीं कहा जा सकता इसे गुस्से में अंजाम दिया गया है। इस मामले में स्थानीय पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है क्योंकि तौसीफ एक स्थानीय कांग्रेस विधायक का चचेरा भाई है। अब जबकि सबूत के रूप में सीसीटीवी फुटेज के साथ-साथ चश्मदीद गवाह भी मौजूद हैं, तो चार्जशीट दाखिल करने और दोनों हत्यारों को सजा दिलाने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए। बचाव पक्ष के वकील अदालतों में इस केस को लंबा खींचने की पूरी कोशिश कर सकते हैं, लेकिन इस बात को समझना होगा कि देर से मिले न्याय का कोई मतलब नहीं रह जाता। अभियोजन पक्ष को पूरी मजबूती से यह केस लड़ना चाहिए और हत्यारों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाना चाहिए।
लोगों का गुस्सा जायज़ है क्योंकि आमतौर पर कानूनी पचड़ों में काफी वक्त लगता है जिससे न्याय मिलने में देरी होती है। हालांकि बलात्कारियों और हत्यारों को सजा देने के लिए एक कड़ा कानून बनाया तो गया है, लेकिन फास्ट ट्रैक कोर्ट्स में ऐसे मामलों के निपटान के लिए एक तय समय सीमा निर्धारित होनी चाहिए। बेटियों को जितनी जल्दी न्याय मिलेगा, उतना ही अच्छा होगा। इन मामलों में जल्द सजा दी जानी चाहिए और वह ऐसी हो जिससे महिलाओं को परेशान करने वालों, हत्यारों और बलात्कारियों के मन में कानून का डर बना रहे। ऐसा होने पर ही हमारी बेटियां ऐसे अपराधियों से बैखौफ होकर एक सुरक्षित जीवन जीने का सपना देख सकती हैं।
Nikita murder case: Killers must be given swift, exemplary punishment
The daylight murder of a girl in Ballabhgarh near Faridabad in Haryana has caused nationwide outrage after the 23-second CCTV footage of the shooting at point blank range by the stalker named Tauseef was circulated on social media.
Twenty-year-old Nikita Tomar was a B. Com. Final Year student in a Faridabad college. On Tuesday, as she came out of the college with her friend, the killer and his associate Rehan came in a car and tried to drag her into their car. As Nikita resisted, Tauseef whipped out his pistol and fired, killing her on the spot. The two fled in their car leaving the shocked friend watching Nikita dying on the road.
Soon her family members came and along with other local residents, they staged an impromptu sit-in on the road blocking traffic on the Delhi-Mathura highway. Thousands of people joined the protesters demanding immediate action against the killers.
Nikita’s father alleged that Tauseef had been harassing her for the last two years, and his daughter had filed a molestation complaint in September last year. The local police had then arranged a compromise between the two families, but Tauseef and his mother had been persistently calling her for the last few week pressuring her to convert to Islam and marry. Nikita steadfastly refused, but Tauseef continued to stalk her.
The local police did not take any action to provide security to the girl. Nikita’s grandfather alleged that after the murder, the local SHO did not listen to the family’s version about the incident while registering FIR against Tauseef. They demanded that a fresh FIR be registered and the case be tried in a fast track court.
Ten teams were set up by the Crime Branch to nab the two killers, and both Tauseef and Rehan were arrested within hours of committing the heinous crime. Tauseef is 21 years old and is studying physiotherapy. Both were produced in court on Tuesday and sent to two days’ police custody. Police had a tough time persuading Nikita’s family members and local residents, who were demanding death penalty for the killers. Police officers had to convince them that the case would be speeded up during trial and justice will be ensured. By evening, the sit-in was lifted and Nikita’s body was taken for last rites.
This was a case of cold-blooded murder and by no stretch of imagination, it can be said that the killing took place because of anger. The role of the local police has come under the scanner because Tauseef happens to be a cousin of a local Congress MLA. Now that the CCTV evidence and eyewitnesses are available, there must be no delay in filing charge sheet and securing punishment for the two killers. The defence counsels may try their best to delay the matter in courts, but one must understand that justice delayed is justice denied. The prosecution must come out with a strong water-tight case and the killers must not be spared at any cost.
The anger of protesters is justified because normally law takes a long time while following its own course. Though a stringent law has been enacted to punish rapists and killers, there must be a specific deadline for disposal of such cases in fast track courts. The sooner justice is given, the better. The punishment must be exemplary and swift, so that stalkers, killers and rapists must dread the hands of law. Only then can our daughters can dream of living a secure life unhindered by such criminals.
किसके इशारे पर रावण की जगह पीएम मोदी का पुतला जलाया गया?
पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों में रविवार को दशहरा महोत्सव के दौरान किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला जलाया। रावण के पुतलों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा लगाया गया। रावण के दस सिरों की जगह उद्योगपति गौतम अडानी और मुकेश अंबानी की तस्वीरें लगाई गई। कुछ जगहों पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के अन्य नेताओं की फोटो लगाई गई। इंडिया टीवी के रिपोर्टर्स जब मामले की तह में गए तो पाया कि इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे स्थानीय कांग्रेस नेताओं का हाथ था।
इस तरह से प्रधानमंत्री का पुतला जलाना देश के लिए, लोकतन्त्र के लिए, संवैधानिक संस्थाओं के लिए और संवैधानिक पदों की गरिमा के लिए अच्छा नहीं है। इससे संवैधानिक पदों के प्रति लोगों का सम्मान खत्म होता है और यह लोकतंत्र की नींव को बहुत कमजोर कर देता है। अगर इस तरह की एक-दो घटनाएं होती तो इसकी चर्चा नहीं होती। ये बड़ा मुद्दा नहीं बनता। इसे छिटपुट घटना मानकर नजरअंदाज किया जा सकता था। लेकिन, ये सब सोच-समझकर, पूरी रणनीति के साथ कांग्रेस पार्टी के इशारे पर पंजाब और हरियाणा के कई शहरों में किया गया।
ज्यादतर जगहों पर स्थानीय कांग्रेस के नेताओं ने भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं को आगे रख कर पीएम मोदी के पुतले जलाए जिससे यह दावा किया जा सके कि सरकार ने किसानों के लिए जो कानून बनाए हैं, उससे किसान नाराज हैं। नाराज किसान पीएम मोदी के खिलाफ विरोध जाहिर कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने सोमवार को बड़ी चतुराई से इन तस्वीरों को फैला दिया। राहुल गांधी ने ट्वीटर पर वीडियो पोस्ट किए। राहुल ने इसके साथ जो लिखा, उससे ऐसा दिखाने की कोशिश की, जैसे उनका या कांग्रेस का इन घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं है। राहुल ने लिखा-‘कल पूरे पंजाब में पीएम मोदी का पुतला जलाया गया। ये दुखद है कि पंजाब में प्रधानमंत्री को लेकर लोगों का गुस्सा इस लेवल तक पहुंच गया है। यह बहुत ही खतरनाक उदाहरण है और हमारे देश के लिए बुरा है। प्रधानमंत्री को इन लोगों से बात करनी चाहिए और इन्हें तत्काल राहत देनी चाहिए।’
बठिंडा में स्टेडियम के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 12 फीट का पुतला बनाया गया था। इस पुतले के चेहरे पर पीएम मोदी की तस्वीर लगाई गई थी। मोदी के चेहरे के दाएं-बाएं अंबानी और अडानी की तस्वीर लगी थी। पुतले के एक हाथ में फांसी का फंदा लटकाते हुए इसे कृषि कानून बताया गया था। जबकि पुतले के दूसरे हाथ में चाय के कप में केतली से चाय डालते हुए दिखाया गया था। बठिंडा जैसी तस्वीरें नवांशहर में भी दिखी। नवांशहर में भी रावण के चेहरे पर प्रधानमंत्री मोदी की फोटो लगाई गई थी। यहां मेघनाद की जगह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कुंभकर्ण की जगह गृह मंत्री अमित शाह का पुतला बनाया गया था। नवांशहर में विजयादशमी पर इन पुतलों को जलाने के लिए क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह पहुंचे थे। उधर, जालंधर में किसानों की आड़ में स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री मोदी के मुखौटे वाले पुतले जलाए। प्रधानमंत्री मोदी के पुतले जलाने वालों में जालंधर पश्चिम से कांग्रेस विधायक, एनएसआईयू और यूथ कांग्रेस के कई नेता शामिल थे। पंजाब के कई शहरों में प्रशासन की नाक के नीचे देश के चुने हुए प्रधानमंत्री को रावण के रूप में जलाया गया, लेकिन पूरे पंजाब में कहीं कोई कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन ने कहीं कोई कदम नहीं उठाया, न लोगों को ऐसा करने से रोका।
वहीं, पड़ोसी राज्य हरियाणा के यमुनानगर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुतले पर रावण की जगह नरेन्द्र मोदी की तस्वीर लगाया था। इसके साथ-साथ रावण के 10 सिरों में हरियाणा से सभी 10 लोकसभा सांसदों के चेहरे लगाए गए थे। चूंकि हरियाणा में लोकल इंटेलीजेंस को जानकारी मिल गई थी कि दशहरे के मौके पर इस तरह की हरकत हो सकती है, इसलिए पुलिस ने एहतियात के तौर पर कांग्रेस के नेताओं को हिरासत में लिया था। इसके बावजूद यमुनानगर में कुछ कांग्रेस समर्थक पीएम मोदी का पुतला जलाने में सफल रहे। उधर, अंबाला में भारतीय किसान यूनियन के लोगों ने पहले से प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का पुतला फूंकने का ऐलान कर रखा था। इसे देखते हुए अंबाला में जगह-जगह पुलिस तैनात थी। कई जगह पुलिस ने किसानों को पुतला फूंकने से रोका लेकिन कई जगह अचानक छोटे-छोटे समूह में लोग आए और पुतले में आग लगा दी।
अब राहुल गांधी बहुत निर्दोष भाव से कह रहे हैं कि बहुत बुरा हुआ। राहुल कह रहे हैं कि यह बहुत ही खतरनाक उदाहरण है और हमारे देश के लिए बुरा है। प्रधानमंत्री को पुतला जलाने वालों से बात करनी चाहिए। लेकिन बीजेपी ने साफ-साफ कहा है कि जो हुआ वो राहुल गांधी के इशारे पर हुआ। पंजाब और हरियाणा में राहुल गांधी की हरी झंड़ी मिलने के बाद कांग्रेस के नेताओं ने रावण की जगह प्रधानमंत्री के पुतले जलाए। बीजेपी के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा कि पंजाब में ये ड्रामा राहुल गांधी के डायरेक्शन पर हुआ है। नड्डा ने ट्विटर पर लिखा-‘ ये घटना शर्मनाक है, लेकिन आकस्मिक या अनएक्सपेक्टेड नहीं है। नेहरु-गांधी परिवार ने प्रधानमंत्री पद का कभी सम्मान नहीं किया। 2004-2014 के बीच भी ऐसा ही देखने को मिला था जब यूपीए के शासनकाल में प्रधानमंत्री के पद को सोचे-समझे तरीके से कमजोर किया गया।’
हैरानी की बात ये है कि राहुल गांधी ये सब (नरेंद्र मोदी पर हमला) करने के लिए किसानों के पीछे क्यों छुप रहे हैं। अगर वाकई में वो किसी से नहीं डरते, जैसा वो दावा करते हैं, तो उन्हें कहना चाहिए कि हां हमने ये किया और करवाया है। दशहरे पर ये पुतले पिछले तीन साल में राहुल गांधी के द्वारा बोले गए डायलॉग की याद दिलाते हैं। आपको याद होगा कि वो हमेशा कहते हैं ‘नरेन्द्र मोदी किसानों के विरोधी हैं, ये अडानी और अंबानी की सरकार है।’ अब पंजाब और हरियाणा में रावण के पुतलों पर जो तस्वीरें लगीं वो राहुल गांधी के ऐसे ही डायलॉग के मुताबिक लगी।
ये पूरी घटना राहुल गांधी की सोच का रिफ्लेक्शन है। राहुल गांधी की सोच इसमें दिखती है। कांग्रेस के विधायक ने, एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने रावण के रूप में पीएम मोदी का पुतला जलाया और राहुल गांधी कहते हैं- ‘बड़े दुख की बात है…ये देश के लिए अच्छा नहीं है।’ अगर वाकई में राहुल गांधी को तकलीफ हुई और वो इसे गलत मानते हैं, तो फिर पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। राहुल गांधी को पंजाब सरकार से उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहना चाहिए जिन्होंने इस तरह की हरकत की। लेकिन पंजाब सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की? पीएम मोदी को रावण के रूप में दिखाने वाले कांग्रेस विधायक के खिलाफ पार्टी ने एक्शन क्यों नहीं लिया?
मुझे लगता है कि राहुल गांधी का ये दोहरा चरित्र और ये चालाकी ठीक नहीं है। सरकार का विरोध करने का हक सबको है। प्रधानमंत्री के खिलाफ प्रदर्शन करने का भी हक है। सरकार की आलोचना करना, सरकार से सवाल पूछना गलत नहीं है, लेकिन दशहरे जैसे पावन पर्व का इस तरह सियासी इस्तेमाल करना, प्रधानमंत्री के पद को अपमानित करना, ये ठीक नहीं है। जो हुआ वो लोकतन्त्र के लिए अच्छा नहीं है। क्योकि लोग आएंगे, जाएंगे। सरकारें बनेंगी और बदलेंगी। लेकिन प्रधानमंत्री पद की गरिमा तो हमेशा रहेगी और इसके साथ खिलवाड़ नहीं की जानी चाहिए।
Burning of PM’s effigy as Ravana: Who directed this drama?
On Sunday, during Dussehra festivities, effigies of Prime Minister Narendra Modi were set on fire by farmers in several parts of Punjab and Haryana. Pictures of industrialists like Ambani and Adani, and Home Minister Amit Shah were pasted on the ten-headed effigy of Ravana and set on fire. India TV reporters investigated and found that local Congress leaders were behind most of these protests.
Burning of the Prime Minister’s effigies is not a good sign for democracy. It erodes people’s respect for Constitutional posts and weakens the very foundation of democracy. Had it been a stray and isolated incident, one could have ignored it, but the burning of PM’s effigies in the form of Ravana during Dussehra was done on a large scale in these two states at the behest of the Congress party.
In most of the places, Bharatiya Kisan Union activists were placed in front, while the backstage arrangements were made by local Congress leaders. It was all part of a well-coordinated strategy to tarnish the Prime Minister’s image.
On Monday, Congress leader Rahul Gandhi posted a tweet, which amounted to indirectly dissociating his party from these protests. Rahul Gandhi used pictures of effigy burning and tweeted: “This happened all over Punjab yesterday. It’s sad that Punjab is feeling such anger towards PM. This is a dangerous precedent and is bad for our country. PM should reach out, listen and give a healing touch quickly.”
In Bathinda, a 12-feet high effigy of the PM along with pictures of Ambani and Adani was burnt. One hand of the effigy was shown carrying a hangman’s noose marked as farming laws, and the other hand was pouring tea into a cup from a kettle. In Nawanshahar, Modi’s effigy was accompanied by the effigies of Yogi Adityanath as Meghnad and Amit Shah as Kumbhakarna. The main person setting fire to these effigies was Yograj Singh, father of cricketer Yuvraj Singh. In Jalandhar, a local Congress MLA led NSUI and Youth Congress activists in setting fire to Modi’s effigy. No action was taken by police and local administration against those who burnt the PM’s effigies.
In neighbouring Haryana, Congress activists set fire to PM’s effigy in Yamunanagar, and the ten heads of the demon depicted pictures of all the ten BJP MPs from the state. Haryana police rounded up several Congress leaders in advance, but their supporters managed to set fire to the effigy. In Ambala, Congress and BKU had planned to burn effigies of Modi and Haryana CM Manohar Lal Khattar, but due to tight restrictions, no such protests took place, though a handful of Congress supporters managed to set fire to the effigies.
On the face of it, Rahul Gandhi is putting up an innocent face by saying that such an act of burning the PM’s effigy was “a dangerous precedent and bad for our country”, but he should rein in his own partymen who are indulging in such acts. BJP president Jagat Prakash Nadda alleged on Twitter: “The Rahul Gandhi-directed drama of burning PM’s effigy in Punjab is shameful, but not unexpected. After all, the Nehru-Gandhi dynasty has NEVER respected the office of the PM. This was seen in the institutional weaking of the PM’s authority during the UPA years of 2004-2014.”
I do not understand why Rahul Gandhi is hiding behind the farmers in targeting Narendra Modi. If he claims that he has the courage to speak up to Modi, then he should publicly admit that he and his party were behind these protests. For the last three years, Rahul Gandhi had been alleging that Modi was colluding with Mukesh Ambani and Gautam Adani, and now his partymen are presenting them in the form of effigies of Ravana and his heads.
This act is a clear reflection of Rahul Gandhi’s thinking and there should be no doubt about it. If we go by what Rahul Gandhi has written in his tweet, then he should tell his party’s government in Punjab to take action against those who set fire to the PM’s effigies.
I feel that such double-faced attitude on part of Rahul Gandhi is not good. In a democracy, every body has the right to express opinion and stage protest against the government, but to use a religious and festive occasion to denigrate the Constitutional office of the Prime Minister is not good for democracy. Leaders may come, and leaders may go, but the prestige of the post of Prime Minister must not be tarnished.
बिहार चुनाव: अब पीएम मोदी पर टिकी हैं सारी उम्मीदें
प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने शुक्रवार को बिहार में चुनाव प्रचार का श्रीगणेश करते हुए चुनावी माहौल में और ज्यादा गर्मी ला दी। उन्होंने लोगों से बिहार रेजिमेंट के उन जवानों की वीरता और साहस को नहीं भूलने की अपील की, जिन्होंने लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों का डटकर मुकाबला किया। पीएम मोदी ने मतदाताओं को बिहार के जवानों द्वारा दिखाए गए अदम्य साहस की याद दिलाई। बिहार रेजिमेंट के ये जवान बिना हथियार के, खाली हाथ ही दुश्मन पर टूट पड़े और देश की सेवा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
गया, भागलपुर और सासाराम में तीन चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘बिहार के बहादुर बेटों ने गलवान घाटी में तिरंगे के सम्मान की रक्षा के लिए अपनी शहादत दी। मैं अपना सिर झुकाकर इन बहादुर बेटों को श्रद्धांजलि देता हूं, उन्हें नमन करता हूं।’ इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष, और खासतौर से कांग्रेस पर जम्मू और कश्मीर में धारा 370 को बहाल करने के वादे को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कहा-‘वे कह रहे हैं कि अगर वे सत्ता में आए तो धारा 370 को बहाल करेंगे। उनका दुस्साहस तो देखिए। और वे अभी भी बिहार में वोट मांगने की हिम्मत कर रहे हैं। क्या यह बिहार के लोगों की भावनाओं का अपमान नहीं है, जो देश की सीमा की रक्षा के लिए अपने बेटे और बेटियों को भेजते हैं?’
पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार और वंशवाद की राजनीति पर भी विपक्षी दलों को घेरा। उन्होंने सीधे तौर पर लालू की राष्ट्रीय जनता दल का नाम तो नहीं लिया लेकिन बिहार में उसके 15 वर्ष के शासन को याद करते हुए ‘जंगल राज’ का जिक्र किया। उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि वे भावनाओं में बहकर वोट न डालें बल्कि विकास और रूल ऑफ लॉ (कानून के शासन) के लिए वोट करें। गया में अपनी रैली में मोदी ने महागठबंधन का जिक्र किया और कहा कि इन दलों ने नक्सलियों से हाथ मिला लिया है। बिहार के लोग समझ गए होंगे कि पहले ही दिन गया में मोदी की रैली क्यों रखी गई और मोदी ने नक्सलियों की बात करके क्या मैसेज दिया। मैं आपको बताता हूं। असल में महागठबंधन में तेजस्वी यादव ने इस बार लेफ्ट पार्टियों के लिए 29 सीटें छोड़ी हैं और इनमें से 19 सीटें सीपीआई (एमएल) को दी है। नक्सल प्रभावित इलाकों में इनका प्रभाव है। इसीलिए मोदी ने कहा कि अब नक्सली समस्या को जड़ से खत्म करना है, तो फिर महागठबंधन से दूर रहना होगा।
शुक्रवार को पीएम मोदी की सहरसा, गया और भागलपुर की रैलियों से करीब 40 विधानसभा की सीटों पर असर होगा। मैं पिछले कई दिन से बिहार के लोगों की बात सुन रहा हूं। लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी के भाषण भी सुन रहा हूं और उनके वादे भी सुन रहा हूं। बिहार की जनता जानती है कि लालू के राज में कितनी गड़बड़ थी, ‘जंगल राज’ था। राज्य में चारों ओर भ्रष्टाचार फैला हुआ था। बिहार में अपहरण एक उद्योग हो गया था। लेकिन आजकल ज्यादातर लोग कहते हैं कि मोदी से कोई दिक्कत नहीं हैं, लेकिन नीतीश कुमार अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरे। वे एनडीए के लिए बोझ बनते जा रहे हैं।
मैंने देखा कि तेजस्वी यादव मतदाताओं से कह रहे हैं कि मतगणना से एक दिन पहले नौ नवंबर को लालू को जमानत मिल जाएगी। उन्होंने अपने समर्थकों के बीच यह भी कहा कि लालू जी को जमानत मिलने के अगले दिन नीतीश कुमार की विदाई हो जाएगी। यह अपने समर्थकों के मनोबल को बढ़ाने के लिए तेजस्वी की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। लेकिन जहां तक लालू के जमाने के बिहार का सवाल है तो ये बात तो सच है कि बिहार के लोग उस दौर को वापस लाना तो दूर, उस वक्त को याद भी नहीं करना चाहते।
मैं तो इसका गवाह हूं। मैंने वो वक्त देखा है जब बिहार में अपहरण एक उद्योग हो गया था। कार तो बहुत दूर की बात है, लोग स्कूटर या बाइक खरीदने से डरते थे। क्योंकि अगर किसी को लगा कि इसके पास पैसा है तो उसके बच्चे का अपहरण हो जाएगा। ठेकेदार बिहार में काम नहीं करना चाहते थे, क्योंकि सरकारी टैक्स से ज्यादा रंगदारी देनी पड़ती थी। इसीलिए नरेन्द्र मोदी ने बिहार के लोगों को पुराने दिन याद दिलाए। पीएम मोदी ने आरजेडी नेताओं की वो नस दबाई है, जहां दर्द सबसे ज्यादा होता है। अब तेजस्वी समेत आरजेडी के बड़े नेताओं को इसका जवाब देना पड़ेगा। मतदाताओं से वादा करना होगा कि ‘जंगल राज’ वापस नहीं आएग।
वहीं दूसरी ओर ये सही है कि नीतीश कुमार के कार्यकाल में काम हुआ है, सड़कें बनी हैं, बिजली की हालत सुधरी है, स्कूल, कॉलेज और अस्पताल बने हैं। भ्रष्टाचार आरजेडी शासन के मुकाबले कम हुआ है। अपराधियों पर नकेल कसी गई है, अपहरण का उद्योग बंद हो गया है। सब सही है। लेकिन कोरोना और बाढ़ के वक्त जो मिस मैनेजमेंट हुआ है उसे लोग कैसे भूल सकते हैं। इन दो अहम मौकों पर नीतीश कुमार अपने घर से कभी-कभार ही बाहर निकले। उन्हें खुद को घर में बंद रखने के बजाय लोगों की सेवा के लिए आगे आना चाहिए था। लोग इस बात को लेकर उनसे नाराज हैं।
मेरी बिहार के बड़े बीजेपी नेताओं से बात हुई है। निजी तौर पर बीजेपी के नेता भी इस बात को मान रहे हैं कि कोरोना के कारण हुई दिक्कतों और बाढ़ के वक्त हुई परेशानियों के कारण बिहार के लोगों में नीतीश कुमार के प्रति नाराजगी तो है। लेकिन बिहार के लोग लालू यादव के जमाने के ‘जंगल राज’ को भी याद नहीं करना चाहते। ये बीजेपी के लिए राहत की बात है। इसीलिए बीजेपी ने अब नरेंद्र मोदी को प्रचार के लिए मैदान में उतारा है। बीजेपी के नेता अब प्रधानमंत्री मोदी पर अपनी उम्मीदें टिकाए हुए हैं, जिनकी छवि बेदाग है। पीएम मोदी ने पहले ही दिन बिहार के लोगों को पन्द्रह साल पुराने दिन याद दिला दिए और ‘जंगल राज’ के प्रति लोगों को सावधान कर दिया। वहीं उन्होंने नीतीश कुमार के काम को भी याद करा दिया। अब बिहार के मतदातों को इसपर अंतिम फैसला लेना है।
Bihar elections: All eyes are on Modi
Prime Minister Narendra Modi hit the election campaign trail in Bihar on Friday and appealed to people not to forget the bravery of Bihar Regiment jawans who gallantly fought Chinese troops at Galwan valley in Ladakh. He reminded voters about the indomitable courage shown by our jawans from Bihar who fought the enemy with bare hands, without weapons, and gave the supreme sacrifice in the service of the nation.
Addressing three election rallies in Gaya, Bhagalpur and Sasaram, Modi said: “The brave sons of Bihar attained martyrdom to protect the honour of our tricolour in Galwan valley. I bow my head and pay homage to these brave sons.” The Prime Minister then hit out at the opposition, particularly the Congress, for promising to restore Article 370 in Jammu and Kashmir. He said, “They are saying they will restore Article 370 if they came to power. Look at their audacity. And they still dare to seek votes in Bihar. Is this not an insult to the sentiments of people in Bihar who send their sons and daughter to protect our borders?”
Modi also spoke about corruption and dynastic politics, indirectly referring to Lalu Yadav’s Rashtriya Janata Dal, and the ‘jungle raj’ during his party’s rule in Bihar for 15 years. He asked voters not to be swayed by emotions and vote for development and the rule of law. In his rally in Gaya, Modi pointedly referred to the Mahagathbandhan and said that these parties have joined hands with Naxalites. The RJD-led Mahagathbandhan has given 29 seats to Left parties in Bihar, out of which 19 seats have been given to CPI(ML), a pro-Maoist party.
Modi’s three rallies on Friday will definitely have an impact on voters’ preferences in at least 40 assembly constituencies. For the last several days, I have been watching reactions of common people in Bihar and also the promises being made by Lalu’s son Tejashwi Yadav. The common voter is aware that there was ‘jungle raj’ during RJD regime, he is also aware that there was widespread corruption and kidnappings in the state. The same voters also say that they have no issues with Narendra Modi, but most of them are unhappy with Chief Minister Nitish Kumar, who is fast becoming a liability for NDA.
I watched Tejashwi Yadav telling voters that his father Lalu will be out on bail on November 9, a day before counting of votes will take place. He has also told his supporters that Nitish Kumar will lose the next day. This could be part of his strategy to boost the morale of his followers, but he is unable to remove the ‘jungle raaj’ perception about RJD from the minds of common people.
I remember how during RJD regime in Bihar, kidnapping became a thriving industry. If people went to showrooms to buy cars, or even motorbikes or scooters, their children were abducted by criminals in order to collect ransom. Road and building contractors refused to work because they had to pay ‘rangdaari’ tax to criminals, which was more compared to the taxes that they paid to the government. It was because of this perception that Prime Minister Modi on Friday pressed the nerves of RJD leaders where it hurt the most. Tejashwi will now have to promise voters that the days of ‘jungle raaj’ will not return.
On the other side, it is a fact that during Nitish Kumar’s regime, roads, schools, colleges and hospitals were built and power supply position has improved in Bihar. The scale of corruption during his rule is less compared to massive corruption during RJD regime. Criminals have been kept on a tight leash. But the common man is unhappy with the manner in which the Covid pandemic and this year’s floods were handled in Bihar. Nitish Kumar barely moved out from his official residence during these two critical periods. He should have been out serving the people instead of closeting himself inside his residence.
I have spoken to several senior BJP leaders. The state BJP leaders admit in private that the common people is unhappy with Nitish Kumar. They are now resting their hopes on Prime Minister Modi, who has an impeccable and incorruptible image. Modi cautioned voters about the return of ‘jungle raaj’ if they were swayed by anti-incumbency. He did not forget to remind the people of the thriving kidnapping industry that was going on in Bihar during RJD rule. Modi also pointed out the achievements of Nitish Kumar’s government in recent years. It is now for the voters of Bihar to take a final call.