Rajat Sharma

हॉस्पिटल में बर्बरता: सबूत किसने मिटाये?

AKB सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी हड़ताली डॉक्टरों से अपील की कि वे काम पर जल्द लौटें क्योंकि उनकी गैरमौजूदगी के कारण वो लोग परेशान हैं, जिन्हें स्वास्थ्य सेवाओं की सख्त ज़रूरत है. मुख्य न्यायाधीस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने डॉक्टरों को आश्वासन दिया कि ड्यूटी पर लौटे के बाद अदालत इस बात को सुनिश्चित करेगी कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाय. भारत में इस समय लाखों गरीब मरीज़ सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं ठप रहने और सर्जरी न होने से परेशान हैं. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में रेजीडेंट डॉक्टरों के वकील ने मांग की की नैशनल टास्क फोर्स में रेजीडेंट डॉक्टरों को प्रतिनिधित्व दिया जाय, लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा करने से ये टास्क फोर्स ठीक से काम नहीं कर पाएगा. बहरहाल उन्होने आश्वासन दिया कि टास्क फोर्स डॉक्टरों की मांगों को अवश्य सुनेगा. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि डॉक्टर्स जिस तरह से लगातार 36 या 48 घंटे तक काम कर रहे हैं, वह वाकई आमानवीय है,और टास्क फोर्स उनके काम करने के घंटों को भी नियमित करेगा. मेरी राय में डॉक्टरों को अब सुप्रीम कोर्ट की अपील मान लेनी चाहिए और काम पर लौटना चाहिए. जहां तक कोलकाता में क्टर बेटी की रेप-हत्या के केस का सवाल है, सुप्रीम कोर्ट ने आज विस्तार से सभी पक्षों की बातें सुनी, और राज्य सरकार को जम कर फटकार लगाई. कोर्ट को विस्तार से बताया गया कि कैसे crime scene पर सारे सबूतों को इरादतन मिटाया गया ताकि दरिंदों को बचाया जा सके. जब भी रेप-हत्या जैसे वीभत्स केस में लोगों को लगता है कि सबूत मिटाने की कोशिश की गई, या अपराधियों को बचाने की कोशिश की गई, तो लोगों का गुस्सा बढ़ जाता है. कोलकाता में एक मासूम लड़की के साथ जो वहशियाना हरकत हुई, उसमें डॉक्टर्स के प्रोटेस्ट की यही वजह है. देश की आम जनता में आक्रोश का यही कारण है. अब ये बात और भी गंभीर हो गई है क्योंकि लोगों को लगता है कि इस केस में मुख्य आरोपी से लेकर बाकी लोग जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, ठीक से सवालों के जवाब नहीं दे रहे हैं. कोलकाता पुलिस भी मेडिकल कालेज के पूर्व प्रिन्सिपल डॉक्टर संदीप घोष के खिलाफ कई केस फाइल करके नई चाल चल रही है. आशंका है कि कोलकाता पुलिस डॉक्टर संदीप घोष को गिरफ्तार करके अपनी हिरासत में लेना चाहती है, वरना जिन डॉक्टर घोष को पहले बचाने की कोशिश की गई, अब वो पुलिस के घेरे में क्यों आए? इसी तरह जिस भीड़ ने हॉस्पिटल में तोड़फोड़ की, सबूत मिटाने की कोशिश की, उसके बारे में भी अभी तक कुछ खास पता नहीं चला है कि वे किसके लोग थे? उन्हें किसने भेजा था? ये सवाल भी बना हुआ है. इस सारे मामले में एक और दुख की बात ये है कि डॉक्टर्स की हड़ताल के कारण देश भर में लाखों मरीज परेशान हैं, खास तौर पर सरकारी अस्पतालों में, जहां गरीब मरीज़ इलाज कराने जाते हैं. मुझे लगता है डॉक्टर्स को सुप्रीम कोर्ट की अपील पर ध्यान देना चाहिए, काम पर लौटना चाहिए, उन्हें CBI की जांच पर भरोसा करना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ मिलेगा, इस पर यकीन करना चाहिए.

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