बॉलीवुड ऐक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत का रहस्य अब अपने निर्धारित निष्कर्ष की तरफ बढ़ रहा है। एम्स फोरेंसिक पैनल और सीबीआई, दोनों ही मामले की जांच के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि ऐक्टर की मौत खुदकुशी के चलते हुई थी और इसमें फाउल प्ले, जहर देने या जबरन प्रवेश का कोई सबूत नहीं मिला।
इस पॉइंट पर आगे बात करने से पहले मैं आपको बताता हूं कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को सुशांत की पूर्व प्रेमिका और अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए क्या कहा। हाई कोर्ट द्वारा NDPS ड्रग्स मामले में जमानत दिए जाने के तुरंत बाद रिया मुंबई की भायखला महिला जेल से बाहर निकल गई। रिया ने डीलरों से ड्रग्स खरीदने के आरोप में 28 दिन हिरासत में बिताए।
हाईकोर्ट ने 70 पन्नों के अपने आदेश में कहा कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के इन आरोपों में कोई दम नहीं था कि रिया ड्रग नेटवर्क को ‘फाइनैंस’ कर रही थी या ‘ड्रग ट्रैफिकिंग में लिप्त’ थी। जस्टिस सारंग कोतवाल ने अपने आदेश में कहा, ‘वह ड्रग डीलरों की कड़ी का हिस्सा नहीं है, और न ही उसके अपार्टमेंट से ड्रग्स की बरामदगी हुई है।’ रिया के साथ दो अन्य आरोपियों, सुशांत के हाउस मैनेजर सैमुअल मिरांडा और हाउस स्टाफ दीपेश सावंत को भी कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया। हालांकि रिया के भाई शौविक चक्रवर्ती की जमानत याचिका इस आधार पर खारिज कर दी गई कि वह ‘ड्रग डीलरों से सीधे संपर्क में था।’
NCB ने रिया पर मादक पदार्थों की तस्करी और, ड्रग डीलर्स को शरण देने, और ‘एक ड्रग सिंडिकेट की सक्रिय सदस्य’ होने का आरोप लगाया था। हाई कोर्ट ने कहा, ‘इस समय जांच एजेंसी के पास ऐसा कुछ भी दिखाने को नहीं है, जिससे साबित हो कि रिया ने कमर्शियल क्वांटिटी में ड्रग्स का इस्तेमाल किया था। जज ने हालांकि रिया को कड़ी शर्तों के साथ जमानत देते हुए निर्देश दिया कि अपनी ‘अवेलिबिलिटी दिखाने के लिए’ वह अगले दस दिनों तक नजदीकी पुलिस स्टेशन में रोजाना रिपोर्ट करे।
हाईकोर्ट के जज ने कहा कि डील्स से मुनाफा कमाने वाले ड्रग ट्रैफिकर्स और ड्रग अपराधों में शामिल अन्य लोगों जो कि ‘मेन ऑफेंडर’ नहीं हैं, के बीच अंतर किया जाना चाहिए। जज ने NCB के इस तर्क से असहमति जताई कि ऐक्टर सुशांत सिंह राजपूत को ड्रग्स की सप्लाई के लिए पेमेंट करने पर सेक्शन 27ए लगाई जा सकती है। यह सेक्शन आमतौर पर ड्रग डील्स को ‘फाइनैंस’ करने के आरोप में लगाया जाता है।
एडिशनल सॉलिसिटल जनरल की इस दलील से कि सेलिब्रिटीज और रोल मॉडल्स के खिलाफ सख्ती से पेश आना चाहिए ताकि इससे यंग जनरेशन के बीच एक मिसाल पेश हो, अदालत ने असहमति जताई। जज ने कहा कि वो इस दलील से इत्तेफाक नहीं रखते, क्योंकि कानून के सामने सब बराबर हैं। अदालत ने कहा कि जब किसी सेलिब्रिटी या दूसरे रोल मॉडल को अदालत में कोई स्पेशल प्रिविलेज नहीं मिलता, तो जब वे कानून का सामना करते हैं, उनके साथ अलग बर्ताव नहीं किया जा सकता। जज न कहा कि उनकी कोई स्पेशल लाइबिलिटी नहीं है और आरोपी चाहे कोई भी हो, हर केस को उसकी मेरिट पर भी डिसाइड करना चाहिए।
रिया चक्रवर्ती के खिलाफ ड्रग्स केस शुरू से ही कमजोर था और दोनों ही पक्षों के वकील इस बात को जानते थे। उसे जमानत मिलने में ज्यादा देर नहीं लगनी थी। और अब मैं आपको विस्तार से बताता हूं कि सुशांत सिंह की मौत के बारे में एम्स और सीबीआई ने क्या कहा है। एम्स के 7 डॉक्टरों का फोरेंसिक पैनल इस नतीजे पर पहुंचा है कि दिवंगत ऐक्टर के विसरा में जहर नहीं मिला है। पैनल से हत्या के संदेह को सिरे से नकार दिया है।
इंडिया टीवी की रिपोर्टर के पास CBI रिपोर्ट की डीटेल्स हैं जो AIIMS पैनल के नतीजों से मेल खाती है। अपनी रिपोर्ट में सीबीआई की टीम ने कहा है कि ऐक्टर के अपार्टमेंट में क्राइम सीन को रीकंस्ट्रक्ट किए जाने के बाद, और गवाहों के बयानों के आधार पर, किसी तरह के फाउल प्ले या फोर्स्ड एंट्री के सबूत नहीं मिले हैं, जिससे कि हत्या की तरफ शक जाए।रिपोर्ट कहती है कि किसी भी बाहरी व्यक्ति के साथ बेडरूम के अंदर किसी तरह के स्ट्रगल का एक भी सबूत नहीं था। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि शुरुआती फोरेंसिक रिपोर्ट में जहर का कोई सबूत नहीं मिला। संक्षेप में कहें तो सीबीआई लगभग इस नतीजे पर पहुंच गई है कि सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या की थी, न कि उनकी हत्या हुई थी।
सीबीआई की रिपोर्ट में एक और जरूरी बात का जिक्र किया गया है कि सुशांत सिंह राजपूत के बैंक अकाउंट से जो 70 करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन हुआ, उसमें से रिया चक्रवर्ती पर सिर्फ 55 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। इनमें से भी ज्यादातर खर्च ट्रैवल, स्पा और गिफ्ट्स पर हुआ था। कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि सुशांत की मौत किसी साजिश का नतीजा नहीं थी, बल्कि यह स्पष्ट तौर पर आत्महत्या का मामला है। हालांकि CBI ने अपनी रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन इंडिया टीवी ने रिपोर्ट की अधिकांश फाइंडिंग्स देखी हैं।
बुधवार को अपनी आखिरी कोशिश करते हुए सुशांत के पिता के वकील विकास सिंह ने सीबीआई को एक पत्र भेजा है जिसमें मांग की गई है कि मेडिकल रिपोर्ट और विसरा के सैंपल की जांच के लिए एक दूसरा फोरेंसिक पैनल बनाया जाए। वकील ने डॉक्टर सुधीर गुप्ता की अध्यक्षता वाले एम्स के फोरेंसिक पैनल के नतीजों को खारिज कर दिया। यह ध्यान की बात है कि सुशांत के परिवार के आग्रह पर ही एम्स के फोरेंसिक पैनल का गठन किया गया था, जबकि कूपर अस्पताल के डॉक्टरों ने पहले ही उन्हें पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दे दी थी।
मेरा मानना है कि सीबीआई को अपनी रिपोर्ट जल्द ही सार्वजनिक करनी चाहिए और अंतहीन अटकलों पर विराम लगाना चाहिए। सीबीआई से बड़ी कोई ऐसी जांच एजेंसी नहीं है जो सुशांत सिंह राजपूत की मौत की इन्वेस्टिगेशन कर सके। प्रत्येक व्यक्ति पर संदेह की उंगलियों को इंगित करना बंद करना चाहिए। इस केस में लोगों को खुद ही इन्वेस्टिगेटर, वकील और जज बनना बंद करना चाहिए। CBI को अपना काम पूरा करने दें और सभी आशंकाओं को थोड़ा विराम दें।