तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के मंत्री बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म के सर्वनाश का एलान करके देश की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है. बीजेपी को एक बड़ा मुद्दा मिल गया और DMK की पार्टनर कांग्रेस का मुंह सिल गया. देश भर में प्रतिक्रिया हुई. हिन्दू समाज की भावनाएं आहत हुई, पर उदयनिधि को कोई परवाह नहीं .उदयनिधि ने फिर कहा कि सनातन धर्म का जड़ से विनाश करने की जो बात उन्होंने कही थी, वो सही थी. उन्होंने सोच-समझ कर कही और वो अपनी बात पर कायम हैं.. उदयनिधि ने कहा कि बयान वापस लेने का सवाल ही नहीं है, सनातन धर्म को खत्म होना ही चाहिए और वो इसकी बात आगे भी कहते रहेंगे. उदयनिधि स्टालिन के इस बयान पर पूरे देश में सियासत गर्म है. बीजेपी ने इस मुद्दे पर विरोधी दलों के गठबंधन के नेताओं से चुप्पी तोड़ने को कहा है, राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान, धर्मेन्द्र प्रधान, अनुराग ठाकुर, गिरिराज सिंह से लेकर सुशील मोदी तक बीजेपी के तमाम नेताओं ने कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी बताएं कि वो उदयनिधि स्टालिन की बात का समर्थन करते हैं या नहीं और अगर वो इसके खिलाफ हैं, तो अब तक कांग्रेस ने अपना स्टैंड स्पष्ट क्यों नहीं किया. इंडिया गठबंधन में शामिल DMK के नेताओं से सवाल क्यों नहीं पूछे.हिन्दुओं की भावनाओं को आहत करने वाली DMK को गठबंधन से क्यों नहीं निकाला. हैरानी की बात ये है कि उदयनिधि स्टालिन के बयान पर कांग्रेस के ज्यादातर नेता बोलने से बच रहे हैं लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे, कर्नाटक में कांग्रेस विधायक प्रियांक खरगे ने उदयनिधि स्टालिन के बयान का समर्थन किया है. प्रियांक खरगे ने कहा कि जो धर्म लोगों को जातियों के आधार पर बांटकर उनका अपमान करता हो, गैर-बराबरी को बढ़ावा देता हो, उसे खत्म हो ही जाना चाहिए, इसमें गलत क्या है.. इसके बाद विवाद और बढ़ गया. साधु संत उदयनिधि के बयान से नाराज हैं. विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठन खफा है. मैं आपको बता दूं कि जिस प्रोग्राम में उदयनिधि स्टालिन ने ये बात कही थी, उसमें तमिलनाडु सरकार के धर्मादा संस्थान मंत्री पी के शेखर बाबू मौजूद थे. एम के स्टालिन की सरकार ने तमिलनाडु के ज्यादातर मंदिरों को अपने क़ब्ज़े में ले रखा है. तमिलनाडु में दर्जनों विश्वप्रसिद्ध प्राचीन मंदिर हैं. रामेश्वरम का रामनाथ स्वामी मंदिर बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है..इसी तरह चेन्नई का कपालेश्वर मंदिर, मदुरै का मीनाक्षी अम्मन मंदिर, तंजवूर का बृहदेश्वर मंदिर, कांचीपुरम का एकंबरेश्वर मंदिर, महाबलीपुरम का पांचरथ मंदिर, ऐसे सैकड़ों मंदिर हैं जिनमें हर दिन एक लाख रुपए से ज्यादा चढ़ावा आता है. लेकिन तमिलनाडु में सनातन परंपरा के इन समृद्ध प्रतीकों को सरकार ने सिर्फ कमाई का जरिया बना दिया है. पुजारियों को सिर्फ वेतन मिलता है जबकि मंदिर में आने वाला चढ़ावा सरकार ले लेती है. हर साल सैकड़ों करोड़ रुपए इन मंदिरों से मिलते हैं और बदले में उदयनिधि स्टालिम सनातन धर्म को ही जड़ से खत्म करने की बात कर रहे हैं. वैसे इस तरह की विवादित बात उदयनिधि ने कोई पहली बार नहीं कही है. पिछले साल दिसंबर में उदयनिधि स्टालिन ने क्रिसमस के एक प्रोग्राम में ख़ुद को ईसाई बताया था. कहा था कि उन्हें खुद को ईसाई कहने पर गर्व है.
उदयनिधि जिस DMK पार्टी से आते हैं, उसके संस्थापक सी एन अन्नादुरै भी सनातन का विरोध करते थे, वो ब्राह्मणवाद के खिलाफ थे. DMK ने तमिलनाडू में अपनी सियासी जमीन इसी आधार पर तैयार की इसलिए उदयनिधि को लग रहा है कि उन्होंने जो कहा जो सियासी तौर पर उनकी पार्टी को Suit करता है और ये सही भी है. उदयनिधि, मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बेटे हैं इसलिए तमिलनाडु में कोई उनका विरोध भी नहीं करेगा लेकिन चूंकि उन्होंने इस बार सनातन धर्म को मिटाने की बात की है इसलिए अब मुद्दा पूरे देश का हो गया है. .चूंकि DMK, इंडिया अलायन्स की पार्टनर है और कांग्रेस, JDU, RJD, NCP, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना अच्छी तरह से जानती हैं कि उत्तर भारत हिन्दू, हिन्दुत्व या सनातन को मिटाने की बात कहने वाला राजनीति में टिक नहीं सकता. उत्तर भारत के लोग सनातन को जड़ से खत्म करने की बात करने वालों, या उनका समर्थन करने वालों को सहन नहीं करेंगे. इसीलिए विरोधी दलों के नेता इस मुद्दे पर बोलने से बच रहे हैं और बीजेपी के नेता उन्हें जवाब देने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहे हैं. हो सकता है उदयनिधि को नहीं मालूम कि सनातन धर्म क्या है लेकिन मैं ये देखकर हैरान हूं कि कांग्रेस के नेता सनातन धर्म के सर्वनाश की बात को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहकर टाल रहे हैं. सनातन धर्म से करोड़ों लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं.सनातन का शाब्दिक अर्थ है – सदा कायम रहने वाला, जिसका न आदि है न अंत है. सनातन धर्म को हिंदुत्व धर्म या वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है और ये दुनिया का प्राचीनतम धर्म है, सबसे पुरानी सभ्यता का प्रतीक है. सनातन धर्म तो वो है जो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना से चलता है.सनातन धर्म तो वो है जिसने अपने देशों से निकाले गए यहूदियों और पारसियों को गले लगाया. सनातन धर्म की व्याख्या भगवत गीता में की गई है., स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी ने की है. किसी ने कभी ये नहीं कहा कि सनातन धर्म लोगों को बांटता है लेकिन अगर इन सबकी बात छोड़ दें तब भी सुप्रीम कोर्ट ने सनातन धर्म के बारे में, हिन्दू धर्म के बारे में क्या कहा, ये सबको जान लेना चाहिए. जस्टिस जे एस वर्मा की अगुवाई वाली एक बेंच ने कहा था कि हिंदुत्व शब्द भारतीय लोगों की जीवन पद्धति की ओर इशारा करता है. .इसे सिर्फ उन लोगों तक सीमित नहीं किया जा सकता जो अपनी आस्था की वजह से हिंदू धर्म को मानते हैं. मोटे तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि हिंदुत्व महज एक धर्म नहीं है, ये एक जीवन शैली है. मैं उदयनिधि और उनके जैसे लोगों से बात कहना चाहता हूं – हजारों साल के जुल्म और सत्ता का इस्तेमाल करके भी, सनातन धर्म को कोई मिटा नहीं पाया, तो इसके सर्वनाश की बात कहना और सोचना बेमानी है. इस देश में रहने वाले किसी भी नागरिक को, खास तौर पर वो लोग जो संवैधानिक पदों पर बैठे हैं, देश की जनता की भावनाओं को आहत करने का कोई अधिकार नहीं है.