प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान को फिर चेतावनी दी. आतंकवादियों के जनाज़े को कंधा देने वाले पाकिस्तानी फौज के अफसरों को वॉर्निंग दी. मोदी ने ऐलान किया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है. मोदी ने पाकिस्तान की मदद करने वाले चीन को भी आड़े हाथों लिया. आतंकवाद की मदद करने वाले दोनों मुल्कों से कैसे डील करना है, इसका संदेश दिया.
मोदी ने पाकिस्तान को साफ-साफ बता दिया कि अब पर्दे के पीछे छुप कर वार करने का फॉर्मूला नहीं चलेगा. मोदी ने 70 साल से भारत के खिलाफ जारी पाकिस्तान के प्रॉक्सी वॉर का जिक्र किया और कहा, अब प्रॉक्सी वॉर का ज़माना गया, अब जंग होगी. मोदी ने कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर नहीं, युद्ध लड़ रहा है, क्योंकि पाकिस्तान की सेना आतंकवादियों के साथ है. अब state actors और non-state actors में फर्क नहीं किया जाएगा. दोनों को बंदूक की गोली से उड़ाया जाएगा.
मोदी ने कहा कि कांटा कहीं भी चुभे, दर्द पूरे शरीर को होता है, इसीलिए आतंकवाद के इस कांटे को जड़ से उखाड़ कर फेंका जाएगा.
मोदी ने कहा कि प्रॉक्सी वॉर कह कर पाकिस्तान को बहुत दिन तक छूट मिलती रही, अब ये नहीं चलेगा. आतंकवादी गतिविधियों में पाकिस्तान की हुकूमत और वहां की फौज सीधे शामिल है. ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकवादियों के जनाज़े को कंधा पाकिस्तानी फौज के अफसरों ने दिया, दहशतगर्दों की लाशों को पाकिस्तानी झंडे में लपेटा गया. अब और क्या सबूत चाहिए?
मोदी ने कहा कि अब दुनिया भी कान खोल कर सुन ले कि पाकिस्तान ने आतंकवाद की आड़ लेकर भारत के खिलाफ सीधी जंग छेड़ रखी है और उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा. मोदी ने कांग्रेस की एतिहासिक गलतियों की भी याद दिला दी. कहा की आज़ादी के बाद कश्मीर पर कबायली हमले के वक्त ही सरदार पटेल की बात मान ली होती, तो न आतंकवादी बचते, न PoK पर कब्जा होता, न ये दिन देखने पड़ते….अब नया भारत ये सहन नहीं करेगा. अब पाकिस्तान की पूंछ सीधी करने का वक़्त आ चुका है और ऑपरेशन सिंदूर के साथ ये काम शुरू हो गया है.
हो सकता है, नई पीढ़ी को इतिहास की पूरी जानकारी न हो. 1947 में आजादी के फौरन बाद पाकिस्तान ने दहशतगर्दी का रास्ता अख्तियार कर लिया था. कबाइलियों के हाथों में बंदूकें थमा कर भारत पर हमला करवाया. कश्मीर के एक हिस्से पर कब्ज़ा किया. कबाइलियों के पीछे पाकिस्तान की फौज थी. महाराजा हरि सिंह ने जब भारत में जम्मू और कश्मीर के विलय के कागज़ात पर दस्तखत किए, उसके बाद भारत ने अपनी सेना भेजी. अक्टूबर 1947 में जनवरी 1949 तक जंग चली और हमारी फौज ने पाकिस्तान की फौज को खदेड़ दिया. उस वक्त हमारी फौज पूरा कश्मीर ले सकती थी लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू मामले को UN में ले गए और सीज़फायर लागू हो गया. पाकिस्तान की साजिशें इसके बाद भी खत्म नहीं हुईं. इसीलिए मोदी ने कहा कि अगर उसी वक्त कश्मीर का फुल एंड फाइनल सेटेलमेंट हो गया होता तो पाकिस्तान की हिम्मत न बढती. पाकिस्तान ने 1965 और 1971 में भारत के साथ युद्ध किये, और दोनों बार उनकी मात हुई.
मोदी ने पंडित नेहरू की एक और ऐतिहासिक गलती बताई. मोदी ने कहा कि 1960 में सिंधु जल संधि भारत के हितों के खिलाफ थी. हमारे हिस्से के पानी पर पाकिस्तान का कब्जा हो गया. ऐसा समझौता क्यों किया गया जिसमें भारत अपने इलाके में बने डैम्स की सफाई तक न करवा सके. मोदी ने कहा कि अभी तो हमने सिंधु संधि को सिर्फ निलम्बित रखा है, इतने में ही पाकिस्तान के पसीने छूटे रहे हैं.
कश्मीर से बहने वाली छह नदियों, सिंधु, झेलम, चिनाब, सतलुज, रावी और व्यास नदियों के पानी के बंटवारे को लेकर 1960 में जो संधि हुई, उसमें सतलुज, रावी और व्यास के ज्यादातर पानी पर तो भारत का हक है, लेकिन सिंधु, झेलम और चिनाब का अस्सी प्रतिशत पानी पाकिस्तान को मिलता है. संधि में पाकिस्तान ने ऐसी कई शर्तें लगा दीं जिनकी वजह से भारत के लिए अपने हक़ का पानी इस्तेमाल करना भी दुश्वार हो गया. पाकिस्तान को ये अधिकार दे दिया गया कि वो सिंधु, झेलम और चिनाब पर बने भारत की पनबिजली परियोजनाओं को रुकवा सकता है, डैम्स की सफाई के लिए भी पाकिस्तान की अनुमति लेने की शर्त थी. इसका असर ये हुआ कि सलाल और बग़लिहार डैम में कचरे की सफाई न हो पाने की वजह से दोनों डैम्स आधी क्षमता पर काम कर रहे थे. संधि की वजह से ही चिनाब पर रतले प्रोजेक्ट अटका हुआ है, वुलर बैराज का काम लटका हुआ है क्योंकि पाकिस्तान संधि की आड़ में इन दोनों परियोजनाओं पर काम को रुकवा रहा था.
पाकिस्तान को लेकर मोदी ने भारत का रुख कैसे बदला है, इसे समझने की जरूरत है.
पहले जब पाकिस्तान आतंकवादियों को भेजता था, तो हम अमेरिका से शिकायत करते थे. अब 22 मिनट में आतंकवादी अड्डों को तबाह करने की ताकत दुनिया को दिखाते हैं.
पाकिस्तान आतंकवादियों को non-state actors कह कर बच जाता था, अब भारत पाकिस्तान के भीतर जाकर 11 एयरबेस को तबाह कर देता है.
पहले पाकिस्तान एटम बम का इस्तेमाल करने की धमकी देता था, अब अपने एटमी ठिकानों को बचाने के लिए अमेरिका के पास जाकर ‘बचाओ, बचाओ’ की गुहार लगाता है.
भारत ने पहले गलतियां कीं. 1948 में कश्मीर के अपने हिस्से पर पाकिस्तान को कब्जा करने दिया. 1960 में सिंधु जल संधि हुई. लेकिन अब एक-एक करके इन गलतियों को सुधारा जा रहा है. भारत के हर एक्शन का असर पाकिस्तान के रिएक्शन में दिखाई दे रहा है.
चीनी माल क्यों न खरीदें ?
गांधीनगर की अपनी रैली में मोदी ने कहा कि अब तो छोटी-छोटी आंखों वाले गणेश जी भी विदेश से आते हैं, होली की पिचकारी और रंग भी विदेशी हैं, ये अब बंद होना चाहिए. मोदी ने कहा कि हर भारतवासी को ये प्रण लेना होगा कि देश में बना स्वदेशी सामान ही इस्तेमाल करेंगे. बड़े व्यापारी और छोटे दुकानदार तय कर लें कि मेड इन इंडिया प्रोडक्ट्स ही बेंचेंगे, तो फिर कोई ताकत भारत को आर्थिक महाशक्ति बनने से नहीं रोक सकती.
मोदी ने कहा कि केवल ‘भारत माता की जय’ कहने से काम नहीं चलेगा, अब ऑपरेशन सिंदूर को जन आंदोलन के ज़रिए आगे बढाना होगा. अब भारत के 140 करोड़ लोगों को अपनी ताकत दुनिया को दिखानी है, Made In India प्रोडक्टस को आगे बढ़ाना होगा, विदेशी सामानों का त्याग करना होगा. मोदी ने चीन का नाम लिए बगैर कहा कि भारत के उपभोक्ता बाजार में चीनी सामानों की भरमार है.
ये बात सही है कि चीन ने घटिया और सस्ते सामान बनाकर दुनिया भर के बाजार पर कब्जा किया है. मैं कुछ रिपोर्ट्स देख रहा था. उनके मुताबिक, हमारे देश में 62 प्रतिशत लोग रोजमर्रा की जिंदगी में ज्यादातर चाइनीज सामानों का इस्तेमाल कर रहे हैं. देशभर में जितने इलैक्ट्रॉनिक गैजेट्स बिकते हैं, उनमें से 55 प्रतिशत चीन के बने होते हैं. सैलफोन, टीवी, ब्लूटूथ डिवाइस से लेकर खिलौने तक सब चीन के बने हुए हैं. अब तो कपड़े भी चीन से आ रहे हैं. होली, दीवाली, जन्माष्टमी जैसे त्योहारों के वक्त पूजा सामग्री और भगवान की मूर्तियां तक चीन की बनी हुई हैं. सजावट का पैंतीस प्रतिशत सामान चीन से आता है.
भारत चीनी सामानों के लिए बड़ा बाज़ार है. अगर हम चीनी प्रोडक्ट्स खरीदना बंद कर दें, तो चीन की अक्ल ठिकाने आ जाएगी. मार्केट में चीन के प्रोडक्ट्स की भरमार को अमेरिका ने भी महसूस किया है. इसीलिए ट्रंप ने चीन के बने सामानों पर इतना टैरिफ लगा दिया है कि अमेरिका के लोग ऊंची कीमतों के कारण खरीद न सकें.
बांग्लादेश : क्या यूनुस के दिन गिनती के हैं ?
बांग्लादेश की अन्तरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस की मुश्किलें बढ़ गई हैं. बांग्लादेश सेना ने मुहम्मद यूनुस को सीधी चेतावनी दी है. सेना ने कहा है कि या तो मुहम्मद यूनुस देश में जल्दी चुनाव कराएं और सत्ता चुनी हुई सरकार के हवाले करें या फिर अपना बोरिया बिस्तर समेट लें. असल में यूनुस सरकार ने म्यांमार की सरकार से रोहिंग्या कॉरिडोर का समझौता किया है. ये कॉरिडोर म्यांमार से रोहिंग्या शरणार्थियों को बांग्लादेश लाने में मदद करेगा. यूनुस सरकार ने एलन मस्क के सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सिस्टम स्टारलिंक को भी अनुमति दे दी है.
बांग्लादेश की सेना ने यूनुस के इन फ़ैसलों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरनाक बताया है. सेना ने कहा है कि वो म्यांमार के साथ किसी भी क़ीमत पर ये कॉरिडोर नहीं बनने देगी और न ही स्टारलिंक को बांग्लादेश में काम करने की अनुमति देगी. बांग्लादेश सेना के DGMO ने कहा कि अस्थायी सरकार को कोई समझौता करने का अधिकार नहीं है.
बांग्लादेश के तमाम सियासी दल देश में जल्दी से जल्दी चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री बेग़म ख़ालिदा ज़िया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने कहा है कि एक साल बीतने के बावजूद यूनुस चुनाव का कोई रोडमैप नहीं पेश कर पाए हैं, इससे जनता का सब्र ख़त्म हो रहा है.
मुहम्मद युनूस बांग्लादेश की सेना की सहमति से ही अन्तरिम सरकार के मुखिया बने थे लेकिन अब यूनुस का इरादा बिल्कुल साफ है. जिस दिन से वो सत्ता में बैठे हैं, उसी दिन उन्होंने तय कर लिया था कि आसानी से कुर्सी नहीं छोड़ेंगे, वह चुनाव की बातें करते रहेंगे, नई-नई समयसीमा देते रहेंगे लेकिन चुनाव नहीं करवाएंगे. इसीलिए बांग्लादेश के लोगों का सब्र टूट रहा है और सेना भी मुहम्मद युनूस के खिलाफ हो गई है.