Rajat Sharma

महाराष्ट्र, झारखंड : क्या इस बार एग्जिट पोल सही साबित होंगे ?

AKB महाराष्ट्र, झारखंड में विधानसभा चुनाव, 5 राज्यों की 15 सीटों पर उपचुनाव और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए वोट डाले गए। चुनाव आयोग ने बताया कि महाराष्ट्र में 65.08 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि झारखंड में 68.45 प्रतिशत वोट डाले गए। आयोग ने कहा कि इनमें पोस्टल बैलट शामिल नहीं हैं, और कई मतदान केंद्रों से पूरे आंकड़े नहीं आये हैं। दोनों राज्यों में माहौल गर्म था लेकिन वोटिंग शान्तिपूर्ण तरीके से हुई। कहीं से किसी तरह की हिंसा या तनाव की खबर नहीं आई। किसी भी चुनाव में मतदान के बाद लोगों की सबसे ज्यादा दिलचस्पी ये जानने में होती है कि लोगों ने किसको वोट दिया? कौन जीतेगा? सरकार किसकी बनेगी? ये जानने का एक ही पैमाना है, एग्जिट पोल। लेकिन एग्जिट पोल इतनी बार गलत साबित हो चुके हैं कि कुछ कहना मुश्किल है।

कई एजेंसीज के एग्जिट पोल सामने आए हैं। मोटे तौर पर सारे एग्जिट पोल इस बात पर एकमत हैं कि महाराष्ट्र और झारखंड में दोनों जगह NDA की सरकारें बनेगी। दोनों राज्यों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। असलियत तो 23 नवम्बर को ही पता चलेगी। आजकल एग्जिट पोल की विश्वसनीयता काफी कम है। हमारे देश में लोकसभा चुनाव और हरियाणा चुनाव में दोनों जगह एग्जिट पोल गलत साबित हुए। अमेरिका में भी ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच कांटे की टक्कर दिखा रहे थे। सब गलत साबित हुए। ट्रंप ने जबरदस्त जीत हासिल की लेकिन तो भी एग्जिट पोल में दर्शकों की दिलचस्पी तो रहती है।

एक्जिट पोल के मुताबिक, महाराष्ट्र में बीजेपी और उसके साथी दलों की सरकार बन सकती है। लोकसभा चुनाव में इसका उल्टा हुआ था। वहां महाविकास अघाड़ी ने ज्यादा सीटें हासिल की थी। इसीलिए जब विधानसभा चुनाव की शुरुआत हुई तो बीजेपी वाले अलायंस की जीत मुश्किल मानी जा रही थी लेकिन शिंदे सरकार ने वेलफेयर स्कीम्स का मेला लगा दिया और फिर लोग कहने लगे कि हवा बदल गई है। अगर महाराष्ट्र के एग्जिट पोल सही निकले तो ये बात सही साबित हो जाएगी।

इसी तरह झारखंड में जब हेमंत सोरेन को जेल भेजा गया तो लोग कहते थे, ये बीजेपी ने बड़ी गलती कर दी। विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन को सहानुभूति वाला वोट मिलेगा पर ये एग्जिट पोल में दिख नहीं रहा। अगर एग्जिट पोल सही साबित होते हैं तो लगेगा कि लोग हेमंत सोरेन सरकार से नाराज थे, उनके खिलाफ एंटी इनकम्बैंसी फैक्टर ने काम किया। दूसरी बात ये है कि इस बार बीजेपी ने मजबूत गठबंधन बनाया, मिलकर चुनाव लड़ा। हो सकता है इसका फायदा मिला हो, लेकिन ये सब अटकलें हैं, अनुमान हैं, 23 नवम्बर को पता चलेगा कौन जीता, कौन हारा, किसकी सरकार बनी, किसकी सरकार गई।

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