प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश की जनता से हाथ जोड़कर एक भावुक अपील करते हुए कहा कि वे त्योहारों के मौसम में कोरोना को लेकर लापरवाही नहीं बरतें। उन्होंने कहा कि कोरोना का प्रकोप कम जरूर हुआ है, लेकिन खत्म नहीं हुआ है। इसलिए लापरवाही न करें। लॉकडाउन खत्म हुआ है, लेकिन कोरोना वायरस खत्म नहीं हुआ है। इसलिए रिस्क न लें, कोई खतरा मोल न लें। उन्होंने लोगों से कहा कि मास्क पहनें, हाथ को धोते रहें और दो गज की दूरी का ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि लोगों को इस नतीजे तक नहीं पहुंच जाना चाहिए कि कोरोना के खिलाफ जंग जीती जा चुकी है और कोरोना के प्रति लापरवाह हो जाएं, लोग कोरोना के खतरे को हल्के में लेने लगे हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वैक्सीन (टीका) आने तक वे संयम बरतें और किसी तरह की लापरवाही न करें।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने करीब बारह मिनट के देश के नाम संदेश में कोरोना वायरस के प्रति लोगों की लापरवाही पर चिंता जताई। मोदी ने चिंता जताई कि दुनिया के कई देशों में कोरोना महामारी की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है और हमें किसी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। पीएम मोदी ने बहुत ही कम और सधे हुए शब्दों में सीधी सीधी और साफ साफ बात की। मोदी ने कहा कि स्थिति अच्छी है, इसे बिगाड़ना नहीं है, और अच्छा करना है। इसका एक ही तरीका है-सावधानी। उन्होंने कहा कि ये सही है कि कोरोना का खतरा कम हुआ है। लेकिन ये नहीं भूलना है कि वैक्सीन अभी बनी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन तो खत्म हो गया है लेकिन कोरोना अभी गया नहीं है। अगर आप लापरवाही बरतते हैं, बिना मास्क के घर से बाहर निकलते हैं तो आपकी थोड़ी सी लापरवाही पूरी मेहनत पर पानी फेर सकती है। आपके परिवार और पूरे समाज को मुश्किल में डाल सकती है।
प्रधानमंत्री के देश के नाम संबोधन से एक दिन पहले मैंने अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में आपको मंदिरों और चुनावी रैलियों की तस्वीरें दिखाई थी। बताया था कि कैसे लोग कोरोना के खतरे को हल्के में ले रहे हैं और कोरोना के इन्फैक्शन को न्योता दे रहे हैं। कैसे बिहार की चुनावी रैलियों में भारी भीड़ उमड़ रही है। कैसे उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों में नवरात्रि पूजा के दौरान हजारों की संख्या में भक्त उमड़ रहे हैं। चुनावी रैलियों और मंदिरों में जुटी भीड़ में अधिकांश लोगों ने मास्क तक नहीं लगा रखा था।
जाहिर है कि लोग कोरोना वायरस को हल्के में ले रहे हैं। वास्तव में ये लोग कोरोना वायरस को हमले का न्योता दे रहे हैं। मैं अपने शो में आपको आगाह कर चुका हूं कि अगर संभलकर चले तो नैया पार हो जाएगी और थोड़ी सी लापरवाही की तो मंझधार में किनारे पर आकर नाव डूब सकती है। थोड़ी सी लापरवाही से एकबार फिर कोरोना के मामले तेजी से बढ़ सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में इन सब बातों का जिक्र किया। मोदी की बात सुनकर लगा कि जैसे वो समाज में हो रहे छोटे- छोटे डेवलपमेंट्स पर नजर रखते हैं। कहां क्या हो रहा है? लोगों का व्यवहार कैसा है? किस तरह की तस्वीरें आ रही हैं और किस-किस तरह की लापरवाही हो रही है, पीएम मोदी की नजर हर जगह रहती है।
ऐसे समय में जब देशभर में कोरोना वायरस का ग्राफ धीरे-धीरे नीचे आ रहा है, किसी भी तरह की लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए। पिछले 24 घंटे में देशभर में कोरोना वायरस के 54,044 नए मामले सामने आने के साथ ही संक्रमितों की कुल संख्या 76,51,108 हो गई है। पिछले 24 घंटे में 717 लोगों की मौत होने के साथ ही देशभर में मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 1,15,914 हो गया है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिक पिछले 24 घंटे में एक्टिव मामलों में की संख्या में 8, 448 की कमी के साथ ही देश में कुल एक्टिव मामले अब 7,40,090 हैं। पिछले 24 घंटे में 61,775 मरीज डिस्चार्ज किए गए। इसके साथ ही कोरोना वायरस के संक्रमण से अबतक 67,95,103 लोग ठीक हो चुके हैं।
महाराष्ट्र में कोरोना को लेकर हालत अभी भी गंभीर है (कल 8,151 नए मामले आए), जबकि अन्य प्रभावित अन्य राज्यों में कर्नाटक (6,297 मामले), केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश हैं।
त्यौहारों का मौसम और बिहार चुनाव को देखते हुए पीएम मोदी ने लोगों को एक सिंपल सा नारा दिया: ‘जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं’। मोदी ने कहा- ‘कोरोना का खतरा कम हुआ है, ये भी सही है कि कोरोना के मामले में भारत की स्थिति दुनिया के तमाम मुल्कों में सबसे बेहतर है। ये भी सही है कि भारत के पास संसाधन कम हैं, लेकिन भारत ने कोरोना का मुकाबला दुनिया के तमाम धनी देशों से बेहतर ढंग से किया है। अबतक, भारत में कोरोना से मृत्यु दर अन्य देशों के तुलना में सबसे कम है, भारत ने अपने मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को बड़ा किया है। टेस्टिंग की क्षमता को बढ़ाया है। यह सकारात्मक उपलब्धियां हैं। ये भी सही है कि भारत कोरोना की वैक्सीन बनाने के बेहद करीब है। लेकन ये नहीं भूलना है कि वैक्सीन अभी बनी नहीं हैं, और कोरोना अभी गया नहीं है। इसलिए ये वक्त बहुत नाजुक है। थोड़ी सी लापरवाही बड़ी मुसीबत का सबब बन सकती है।
मंगलवार की रात मैंने आपको चेन्नई के सिल्क साड़ी शोरूम में सेल का दृश्य दिखाया जहां सस्ती साड़ी लेने के लिए लोग ऐसे टूट पड़े, जैसे कोरोना का डर कभी था ही नहीं। कोरोना को लेकर सारे नियम कायदे सेल की भेंट चढ़ गए। साड़ियां खरीदने के लिए जबरदस्त भीड़ लग गई। शोरूम में हजारों लोग साड़ी खरीदने के लिए जद्दोजहद करते नजर आए। पांव रखने तक की जगह नहीं थी। बहुत से लोगों ने तो मास्क भी नहीं लगाया था। बाद में जब इसका वीडियो सर्कुलेट हुआ,वायरल हुआ, तो चेन्नई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन एक्शन में आई। अफसरों ने कोरोना नियमों के उल्लंघन के आरोप में इस शो रूम को अब सील कर दिया है। इसी तरह की तस्वीरें, इसी तरह की लापरवाही, लोगों का इसी तरह का बर्ताव, चिंता पैदा करता है। कोरोना के खिलाफ पूरे देश की लड़ाई को कमजोर करता है। इसपर अंकुश लगाने की जरूरत है।
यहां मैं दो बातें कहना चाहता हूं। पहली बात ये कि मंदिर, मजिस्द, गुरूद्वारे या चर्च खुलें, इससे किसी को कोई एतराज नहीं है। आस्था का सम्मान जरूरी है। इस पर रोक लगनी भी नहीं चाहिए, लेकिन भगवान भी तो भक्तों को मुश्किल में नहीं डालना चाहते। और भक्तों का भला इसी में है कि दो गज की दूरी रखें, मास्क लगाएं। दशहरा, दीवाली, ईद अगले साल भी आएगी। इसलिए इस साल खुद को खतरे में डालना ठीक नहीं हैं।
दूसरी बात, जहां तक चुनावी रैलियों में उमड़ रही भीड़ का सवाल है तो चुनाव भी जरूरी है और चुनाव प्रचार पर भी रोक नहीं लगाई जा सकती। लेकिन जो तस्वीरें आ रहीं हैं, उसमें पब्लिक की नहीं, नेताओं की गलती दिख रही है। अगर नेता खुद नियमों का पालन नहीं करेंगे, जनता को नहीं समझाएंगे, खुद भीड़ जुटाएंगे तो कोरोना के लिए अकेले पब्लिक को दोषी कैसे ठहराया जा सकता है?
मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील का असर जरूर होगा। लोग सार्वजनिक जगहों पर, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों में भीड़ नहीं लगाएंगे। नियमों का पालन करेंगे और कोरोना के खतरे को समझेंगे। ये मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि पिछले सात महीनों में नरेन्द्र मोदी का देश के लोगों के नाम ये सातवां संबोधन था। हर बार पीएम मोदी ने जो कहा उसे देश के लोगों ने माना। इसीलिए कोरोना की लड़ाई में हमारी स्थिति दूसरों से बेहतर है। अब थोड़ी गड़बड़ी हो रही है। जब कोरोना का ग्राफ देश में नीचे जा रहा है तो हमें नियमों का पालन करने में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। इसलिए सही वक्त पर प्रधानमंत्री ने लोगों को खतरे से आगाह कर दिया और इसका असर भी जरूर होगा।