अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार उन आतंकी चेहरों से भरी है जिन्हें अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने ‘मोस्ट वांटेड’ घोषित कर रखा है। आतंक के ये चेहरे अब अफगानिस्तान की सरकार में मंत्री पद संभालने की तैयारी में हैं। लेकिन सही मायने में देखा जाए तो यह सरकार पाकिस्तान चलाएगा। पाकिस्तान अपने ब्यूरोक्रैट्स को भेजकर नई तालिबान सरकार को शासन चलाने में मदद करेगा।
यह खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि पाकिस्तान के वित्त मंत्री शौकत तरीन ने संसद की स्टैंडिंग कमेटी को संबोधित करते हुए किया। तरिन ने कहा, ‘अफगानिस्तान में कई विभागों को चलाने के लिए पाकिस्तान से लोगों को भेजा जा सकता है’। तारीन ने यह भी कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तानी रुपये में व्यापार करेगा, क्योंकि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के पास अमेरिकी डॉलर की भारी कमी है। अफगानिस्तान में पिछले शासन के दौरान, अफगानी मुद्रा पाकिस्तानी रुपये की तुलना में मजबूत थी, लेकिन अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद अफगानी मुद्रा निचले स्तर पर पहुंच गई है, और पाकिस्तान इस आर्थिक संकट का फायदा उठाने की पूरी कोशिश करेगा।
वित्त मंत्री शौकत तरीन के इस बयान को लेकर जब पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी से पूछा गया तो उन्होंने कहा- हम अफगानिस्तान को ‘तन्हा’ कैसे छोड़ सकते हैं? वहीं पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद ने कहा, ‘तालिबान हमारे दोस्त हैं, इसमें छिपाने की क्या बात है?’
पहले से ही ऐसी खबरें हैं कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई ने अफगानिस्तान की पिछली सरकार द्वारा जमा किए गए अधिकांश गोपनीय डेटा को अपने कब्जे में ले लिया है। काबुल में पाकिस्तान से मानवीय सहायता पहुंचाने वाले तीन सी-130 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट गोपनीय दस्तावेजों को लेकर वापस रवाना हुए हैं। इनमें खासतौर से अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय से जुड़े गोपनीय दस्तावेज हैं। भारत की सुरक्षा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आईएसआई इन गोपनीय दस्तावेजों का अध्ययन कर इसे समझेगी और इसका इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए करेगी। अब ये अहम डेटा कई खुफिया सोर्स को खतरे में डाल सकते हैं जिन्होंने अफगानिस्तान में काम किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डेटा हासिल करने के इस पूरे ऑपरेशन को काबुल में पाकिस्तान के राजदूत मंसूर अहमद ने को-ऑर्डिनेट किया था।
पिछले 20 वर्षों में अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य कार्रवाई के दौरान पाकिस्तान की आईएसआई तालिबान के नेताओं और लड़ाकों को अपने यहां पनाह दे रही थी और उनकी मदद कर रही थी। अब सारे भेद खुल चुके हैं। पाकिस्तान की आईएसआई के डीजी फैज हमीद ने तालिबान के विभिन्न गुटों को एकजुट करने के लिए अचानक काबुल का दौरा किया। पाकिस्तानी एयरफोर्स के विमानों ने पंजशीर घाटी में अहमद मसूद के ठिकानों पर हमला किया और तालिबान लड़ाकों को घाटी में दाखिल होने में मदद की। अब जबकि तालिबान की सरकार बन गई है, पाकिस्तानी नेता और मंत्री खुले तौर पर कह रहे हैं कि वे अपने लोगों को भेजकर शासन चलाने में तालिबान की मदद करेंगे।
पहले से ही पाकिस्तान के मिलिट्री एयरक्राफ्ट कंधार, खोस्त और काबुल में मानवीय सहायता प्रदान करने की आड़ में लैंड कर रहे हैं। लेकिन उनका असली मकसद कुछ और है। पाकिस्तान के मिलिट्री एडवाइजर तालिबान को सशस्त्र सेना के तौर पर स्थापित करने में मदद कर रहे हैं। इतना ही नहीं तालिबान के लड़ाके अब सीधे पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों से आदेश ले रहे हैं।
पाकिस्तान में चमन बॉर्डर से कंधार की दूरी मुश्किल से 115 किमी है। सिर्फ दो घंटे में ट्रक से सामान पहुंच जाता है। जितनी देर में ट्रक सामान लेकर एयरपोर्ट पहुंचते हैं, फिर उन्हें एयरक्राफ्ट में लोड और अनलोड किया जाता है, उतनी देर में तो ट्रक कंधार पहुंच जाएंगे। सवाल ये है कि पाकिस्तान अपने मिलिट्री ट्रांसपोर्ट विमानों को कंधार क्यों भेज रहा है? इसी तरह अफगानिस्तान के खोस्त प्रोविंस से पाकिस्तान बॉर्डर की दूरी सिर्फ 33 किलोमीटर है। मुश्किल से एक घंटे में खाने-पीने का सामान और जरूरी दवाएं पहुंचाई जा सकती है। फिर भी मिलिट्री विमानों का उपयोग किया जा रहा है।
ऐसी खबरें हैं कि इन मिलिट्री विमानों में अमेरिका में बने हथियार और अन्य अत्याधुनिक सामान तस्करी कर पाकिस्तान लाए जा रहे हैं। गुरुवार की रात ‘आज की बात’ शो में मैंने दिखाया था कि कैसे कराची, लाहौर, पेशावर और गुजरांवाला में दुकानदार अमेरिका में बने हथियार और सामान को ‘माल-ए-गनीमत’ के रूप में खुलेआम बेच रहे हैं। तालिबान द्वारा हथियाए गए अमेरिकी हथियारों की तस्करी के बारे में पाकिस्तानी सेना और आईएसआई अच्छी तरह से वाकिफ है।
इस बीच पंजशीर घाटी से बुरी खबर आई है जहां तालिबान ने रसद सप्लाई के सारे रूट बंद कर दिए हैं। लाखों लोग भूख-प्यास से तड़प रहे हैं। हालांकि अफगान नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स का दावा है कि पंजशीर के 60 प्रतिशत हिस्से पर अभी-भी उनका कब्जा है। तालिबान की मदद करते हुए पाकिस्तान एयरफोर्स के विमान अभी-भी घाटी के अंदर अहमद मसूद के ठिकानों पर बमबारी कर रहे हैं।
पंजशीर घाटी से हजारों लोग अपना सामान बांधकर, घरबार छोड़कर भागने को मजबूर हो गए हैं। वहां वाहनों की लंबी कतारें लगी हैं। तालिबान के लड़ाकों ने उनके निकलने के रास्ते को रोक दिया है। इस बीच शुक्रवार को पंजशीर से एक बुरी खबर आई कि तालिबान ने अमरुल्ला सालेह के भाई रोहुल्लाह सालेह को प्रताड़ित करने के बाद उसकी हत्या कर दी।
चाहे वो कंधार हो, काबुल या फिर पंजशीर घाटी, अफगानिस्तान के लोग बेहद हैरान-परेशान हैं। उनके पास ना खाना है, ना पानी। न दवाएं हैं और ना अन्य जरूरी चीजें। बैंक बंद हैं, लोग एटीएम से पैसे नहीं निकाल पा रहे हैं। ट्रांसपोर्ट बंद हैं। दुकानों में सामान नहीं है। चारों ओर बदहाली है, लोगों की जेब में पैसे नहीं हैं। घर के बाहर खौफ का माहौल है। लोग अपने घरों से बाहर निकलने से डरते हैं कि कहीं ऐसा न हो कि उन्हें तालिबान की बर्बरता का सामना करना पड़े।
वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान घड़ियाली आंसू बहा रहा है। वह कह रहा है कि उसे अफगानिस्तान के लोगों और वहां की अर्थव्यवस्था की चिंता है। लेकिन पाकिस्तान की अपनी सूरत-ए-हाल क्या है? वहां की अर्थव्यवस्था का क्या हाल है? वहां कितनी बेबसी है ये सबको पता है। हमारे यहां कहावत है ‘घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने’। पाकिस्तान की अपनी अर्थव्यवस्था अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है और अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को सुधारने की प्लानिंग कर रहा है। जिस पाकिस्तान में अपनी सरकार ठीक से नहीं चलती, रोज झगड़े होते हैं, वहां के मंत्री अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार चलाने के दावे कर रहे हैं।
असलियत ये है कि आईएसआई और पाकिस्तान की फौज ने मिलकर तालिबान को काबुल की सत्ता तक पहुंचा दिया है। पाकिस्तान की एय़र फोर्स ने तालिबान को पंजशीर में दाखिल होने के लिए कवर दिया। तालिबान की नई सरकार में हक्कानी नेटवर्क का दबदबा है। दुनिया के जाने-माने दहशतगर्द तालिबान की सरकार में मंत्री हैं। आईएसआई प्रमुख ने हक्कानी आतंकी नेटवर्क के प्रमुख को गृह मंत्री बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है। दोहा में तालिबान ने महिलाओं को मानवाधिकार और समान अधिकार देने के जो वादे किए थे, उनसे वो मुकर गया है। पूरी दुनिया इन हरकतों को देख रही है। अब देखना ये है कि अमेरिका और उसके नाटो (NATO) सहयोगी कब तक हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहेंगे।