आज मैं बात करूंगा ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े एक ऐसे आयाम के बारे में, जिसके बारे में जानना सब चाहते हैं, लेकिन सरकार की तरफ से कोई इस बारे में कुछ कहने को तैयार नहीं. ये सेना के ऑपरेशन का वो पहलू है, जिसकी चिंता सबको है, पर कोई खुलकर कुछ बताना नहीं चाहता.
सबके मन में सवाल है कि क्या भारतीय वायु सेना पाकिस्तान के एटमी हथियारों के ज़खीरे के दरवाजे तक पहुंच गई थी ? क्या भारत की मिसाइल्स पाकिस्तान के एटमी ठिकानों के करीब पहुंच गईं थी? क्या हमलों के समय पाकिस्तान ने Nuclear Command Authority की मीटिंग बुला ली थी? अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से ये किसने कहा कि भारत पाकिस्तान के एटमी ठिकाने को उड़ा सकता है? सरगोधा के पास जो मुशफ एयरबेस है वहां तक भारत की मिसाइल कैसे पहुंची ? क्या कहूटा भी इन मिसाइल्स के निशाने पर था ? क्या किराना हिल्स में बनी एटमी हथियारोंकी सुरंग के प्रवेश द्वार पर हमला हुआ था ? क्या कहूटा में रेडिएशन का खतरा पैदा हो गया था ? क्या पाकिस्तान ने उस इलाके को खाली करवा लिया ? क्या रेडिएशन की जांच करने के लिए अमेरिका का सर्विलांस प्लेन वहां उड़ता नजर आया ? क्या मिस्र ने रेडिएशन से बचाने के लिए बोरॉन से भरा प्लेन पाकिस्तान भेजा था ?
हर तरह की बातें कही जा रही हैं. आस्ट्रिया के रक्षा इतिहासकार टॉम कूपर ने इंडिया टीवी को विशेश इंटरव्यू में बताया कि इसके पक्के सबूत हैं कि भारत ने बहुत सोच-समझकर पाकिस्तान के एटमी ठिकानों को निशाना बनाया, किराना हिल्स पर भारत की मिसाइलें गिरीं. कूपर ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के एटमी हथियारों के ज़खीरे पर सीधा हमला नहीं किया, उसके आसपास मिसाइल्स से हमला किया. कूपर ने कहा, भारत ने ऐसा सोची समझी रणनीति के तहत किया, किराना हिल्स में बनी सुरंगों के दोनों प्रवेश द्वारों पर हमले किए. टॉम कूपर ने कहा कि भारत ने जिस तरह से हमले किए, उसके बाद पाकिस्तान के पास जवाबी हमला करने का कोई रास्ता ही नहीं बचा, इसलिए ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान पर भारत की सेनाओं की स्पष्ट विजय है.
एटम बम एक ऐसी चीज है जिसके बारे में कोई भी मुल्क हल्के में बात नहीं करता. लेकिन पाकिस्तान के नेताओं ने एटमी हथियारों के मसले को मजाक बना दिया है. बात बात में एटम बम की धमकी देते हैं. वहां के रेल मंत्री मुहम्मद हनीफ अब्बासी ने कहा हमारे पास 130 एटम बम हैं, अब कोई पूछे कि रेल मंत्री को कैसे पता चला कि कितने एटम बम हैं ? क्या पाकिस्तान के एटमी हथियार स्टेशन पर रखे जाते हैं ? पाकिस्तान का हर मंत्री भारत के खिलाफ एटम बम के इस्तेमाल की धमकी दे रहा था. और पाकिस्तान इस एटमी धमकी को आतंकवादियों के लिए कवर के तौर पर इस्तेमाल कर रहा था, लेकिन इस बार चार दिन तक चले हमलों में पासा उल्टा पड़ गया. पाकिस्तान रोता गिड़गिड़ाता अमेरिका के पास ये कहने पहुंचा कि हमारे एटमी ठिकाने भारत की मिसाइल्स के निशाने पर हैं. इस मामले में तीन बातें नोट करने वाली हैं.
पहली, ट्रंप ने कहा कि दोनों देशों के संघर्ष में लाखों लोगों के मारे जाने का खतरा पैदा हो गया था. कोई भी समझ सकता है ये खतरा सिर्फ परमाणु युद्ध में हो सकता है.
दूसरी बात, अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इस बात की पुष्टि की है कि भारत की मिसाइल्स पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के ज़खीरों तक जाने वाली सुरंगों के प्रवेश द्वार तक पहुंच गई थी.
तीसरी बात रेडिएशन की थी. अमेरिकी विमान हालात का जायज़ा लेने पहुंचा था, ऐसी खबर थी. लेकिन रेडिएशन और surveillance की बातों में कोई दम नहीं. ये सिर्फ सोशल मीडिया की अटकले हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि भारत ने पाकिस्तान का Bluff expose कर दिया. अब एटम बम की धमकी आतंकवादियों को कवर नहीं दे पाएगी. भारत इस तरह की किसी धमकी की कोई परवाह नहीं करेगा.
भारत ने 6-7 मई की रात एक बजकर पांच मिनट पर पाकिस्तान पर हमला बोला. केवल 23 मिनट में पाकिस्तान के भीतर सारे लक्ष्यों पर हमले करके हमारी सशस्त्र सेनाओं के जवान अपने अड्डों पर सुरक्षित लौट आए. इन 23 मिनटों में पाकिस्तान को कुछ समझ में नहीं आया कि क्या हुआ, कैसे हुआ, क्योंकि भारत की फौज ने 23 मिनट के लिए पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह choke कर दिया था. इन मिनटों में पाकिस्तान की फ़ौज अंधेरे में रही. उसका रेडार सिस्टम ब्लैक आउट रहा. भारत ने साफ कहा है, जो आतंक मचाएगा या आतंकवादियों का साथ देगा, उसके पास कोई भी ताकत हो, वो कहीं भी छुपा हो, हमारी पराक्रमी सेना उसे ढूंढ कर निकालेगी और मिट्टी में मिला देगी. इसमें किसी को शक इसीलिए नहीं होना चाहिए कि ये हमने करके दिखाया है.
तुर्किए, अज़रबैजान का बॉयकॉट करो
पाकिस्तान को तो हमारी सेनाओं ने उसकी औकात दिखा दी लेकिन अब भारत के लोग उन देशों को सबक सिखाने की तैयारी कर रहे हैं, जिन्होंने पाकिस्तान की मदद की. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किए और अज़रबैजान ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया. इसलिए अब इन दोनों मुल्कों के खिलाफ हर भारतीय के मन में ज़बरदस्त गुस्सा है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने व्यापारियों से तुर्किए के सामान न खरीदने की अपील की है. सोशल मीडिया में हैशटैग बायकॉट टर्की ट्रेंड कर रहा है. हर साल औसतन तीन लाख भारतीय पर्यटक तुर्किए जाते हैं. इससे तुर्किए को करीब 3 हजार करोड़ रु. की कमाई होती है. लेकिन अब हमारे ट्रैवल ऑपरेटर्स ने तुर्किए की बुकिंग लेना बंद कर दिया है. जो बुकिंग हुईं थी वो भी कैंसिल की जा रही हैं. पिछले एक हफ्ते में तुर्किए और अजरबैज़ान की बुकिंग में 60 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई, इन दोनों देशों की यात्रा के लिए कैंसिलेशन 250 परसेंट तक बढ़ गया. अब फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने इंप्लाइज़ ने फिल्म इंडस्ट्री से तुर्किए का बायकॉट करने की अपील की है. भारत ने अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 की बीच तुर्किए से करीब 25 हजार करोड़ रूपए के सामानों का आयात किया. इनमें संगमरमर, सेब, सब्जियां, ड्राई फ्रूट्स, सीमेंट, मिनरल ऑयल, केमिकल्स, मोती, लौहा और इस्पात शामिल है. तुर्किए में भारतीयों का पूजीनिवेश दो हजार करोड़ रूपए का है. उद्योगपति हर्ष गोयनका ने बताया कि भारत के लोगों ने पिछले साल पर्यटन से तुर्किए और अजरबैजान को 4 हजार करोड़ रुपये दिए. वहां के होटल, एयरलाइंस, शॉपिंग सेंटर्स, सबको फायदा पहुंचाया. वहां के लोगों को नौकरियां मिली, लेकिन पहलगाम हमले के बाद ये दोनों मुल्क पाकिस्तान के साथ खड़े हैं. आतंकवाद की फैक्ट्री को माल सप्लाई कर रहे हैं. क्या हमें इन देशों का बायकॉट करना चाहिए? मुझे लगता है बिलकुल करना चाहिए. व्यापार और आतंक, पर्यटन और आतंक साथ-साथ नहीं चल सकते. मेरे एक दोस्त का बर्थडे सेलिब्रेशन अगले महीने तुर्किए में था. मैंने invitation accept किया था. हम लोग पांच दिन तुर्किए में रहने वाले थे. पहलगाम की घटना के बाद वैसे ही कहीं जाने का मन नहीं था और तुर्किए की हरकत देखकर वहां जाने का तो सवाल ही नहीं था. मैंने जैसे ही अपने दोस्त को दुविधा बताई, तो उन्होंने तुरंत सारी बुकिंग्स कैंसिल कर दी. ऐसे बहुत सारे लोग हैं. जब तक तुर्किए और अजरबैजान पाकिस्तान का साथ देंगे, हम वहां नहीं जाएंगे. और सबको यही करना चाहिए.
विजय शाह को माफ़ नहीं किया जा सकता
ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी पर हर भारतीय सेना को सलाम कर रहा है. लेकिन इस वक्त भी कुछ गिने-चुने लोग ऐसे हैं, जो शर्मनाक और घटिया बयान दे रहे हैं. मध्य प्रदेश के आदिवासी मामलों के मंत्री विजय शाह ने भारतीय सेना की बहादुर अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर जिस तरह की बेशर्मी भरी बात कही, उससे पूरे देश में नाराजगी है. आज सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर.गवई की बैंच ने कहा कि सार्वजनिक पदों पर बैठे मंत्रियों को पूरी ज़िम्मेदारी के साथ एक-एक वाक्य कहना चाहिए. विजय शाह की वकील का कहना था कि मंत्री ने अपने बयान पर माफई मांग ली है, तो उस पर मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि आप हाई कोर्ट में जाकर माफी मांगें. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने विजय शाह के बयान पर सख्त रुख अपनाते हुए राज्य पुलिस के महानिदेशक को कहा कि मंत्री के खिलाफ तत्काल विस्तार से FIR फाइल करे वरना उन्हें अदालत की अवमानना का दोशी माना जाएगा. जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की पीठ ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि मंत्री ने सेना की एक वरिष्ठ महिला अधिकारी के बारे में “गटर की भाषा” का इस्तेमाल किया है. राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी कहा कि विजय शाह का बयान न सिर्फ बहन-बेटियों का, बल्कि पूरे राष्ट्र का अपमान है. इस मंत्री ने जो शर्मनाक बयान दे कर बेहूदी हरकत की है, उसकी जिंतनी निंदा की जाए कम है. मैं यहां विजय शाह के वो शब्द नहीं बता सकता जो उन्होने कहा है. देश की जो बेटी दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दे रही हो, जो बेटी पाकिस्तान में खौफ का दूसरा नाम बन गई हो, जो बेटी हमारी फौज की जांबाजी को पूरी शान के साथ देश को बता रही हैं, उसके लिए इतनी घटिया बात कोई भारतीय करेगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. लेकिन विजय शाह ने वही किया. बड़ी बात ये है कि ये कोई आम शख्स नहीं हैं, विजय शाह आठ बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं, मंत्री हैं. उन्हें ये भी नहीं मालूम कि जनता इस तरह की हरकत कभी बर्दाश्त नहीं करेगी. विजय शाह बीजेपी के नेता हैं, इसलिए उनके बयान से पूरी पार्टी को embarassment झेलनी पड़ रही है. कांग्रेस ने विजय शाह को मंत्रिमंडल से बरखास्त करने की मांग की है. विजय शाह ने जो शर्मनाक बात कही, वो पाप है, गुनाह है. जो लोग सरहद पर हमारी रक्षा करते हैं, वो हम सबके भाई बहन हैं. जो जवान वर्दी में हैं, वो किसी एक समुदाय या धर्म से नहीं जुड़े हैं. वे तो देश की धरोहर हैं, देश का मान हैं. जिन कर्नल सोफिया कुरैशी पर पूरे देश को गर्व है, उनके बारे में विजय शाह ने निहायत घटिया बात की. उनके बारे में घटिया मानसिकता रखने वाला व्यक्ति एक मंत्री है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है. इनके खिलाफ केस तो होना ही चाहिए. ऐसे व्यक्ति का सार्वजनिक जीवन में कोई स्थान नहीं हो सकता. बीजेपी को इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.