Rajat Sharma

अजमेर दरगाह का खादिम बरी : क्या पुलिस ने केस को कमज़ोर किया?

AKB30 राजस्थान में इस वक्त मुद्दा उठा है, अजमेर में ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगवाने वाले अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम गौहर चिश्ती समेत सभी छह आरोपी बरी कैसे हो गए? गौहर चिश्ती सहित छह लोगों को अजमेर की अदालत ने मंगलवार को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. गौहर चिश्ती शुक्रवार को जेल से रिहा हो गए. अजमेर की अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस आरोपों को साबित करने के लिए पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाई. बरी होने के बाद गौहर चिश्ती ने कहा कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया था,लेकिन अदालत ने उनके साथ इंसाफ किया. गौहर चिश्ती के खिलाफ समाज में नफरत फैलाने, लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का इल्जाम एक वीडियो के आधार पर लगा था. ये वीडियो 17 जून 2022 का है. उस दिन गोहर चिश्ती ने अजमेर शरीफ दरगाह के मुख्य द्वार पर तकरीबन 20 हजार लोगों की एक भीड़ को संबोधित किया था. इस वीडियो में गौहर चिश्ती मंच पर खड़े होकर भीड़ से ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगवाते हुए साफ सुनाई दे रहे थे. ये वीडियो पुलिस वाले ने शूट किया था. आठ दिन बाद 25 जून को एक पुलिस कांस्टेबल जय नारायण की तरफ से शिकायत दर्ज करवाई गई थी. इसमें तो कोई शक नहीं है कि सिर तन से जुदा के नारे लगाए गए. पुलिस की तरफ से इस इल्जाम को साबित करने के लिए कोर्ट में 22 गवाह पेश किए गए लेकिन इनमें कोई आम व्यक्ति नहीं था. सारे के सारे पुलिस वाले थे. पुलिस ने वीडियो अदालत में पेश किया लेकिन इसकी फॉरेन्सिंक जांच नहीं करवाई. उस पुलिस कांस्टेबल का फोन भी जब्त नहीं किया जिससे ये वीडियो बनाया गया था. इसीलिए अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया. चूंकि ये मामला उस वक्त का है जब राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार थी इसीलिए बीजेपी के नेताओं ने इल्जाम लगाया है कि सरकार के इशारे पर पुलिस ने जानबूझकर केस कमजोर किया. गौहर चिश्ती की रिहाई को लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी नाराज हैं. मुख्यमंत्री ने जांच में ढिलाई बरतने पर अजमेर प्रशासन को फटकार लगाई है, हांलाकि सरकारी वकील जांच पर सवाल खड़े नहीं कर रहे हैं. सरकारी वकील वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि गौहर चिश्ती के खिलाफ सारे सबूत थे, वीडियो में वो सर तन से जुदा का नारा लगाते साफ-साफ दिखाई दे रहे हैं, लेकिन अदालत ने उनकी दलीलों को नहीं माना. राठौड़ ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ अब वो हाईकोर्ट जाएंगे. घटना के बाद गौहर चिश्ती फरार हो गया था. पुलिस ने उसे हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था. हैदराबाद में गौहर चिश्ती को पनाह देकर छिपाने वाला नासिर भी इस मामले में आरोपी है लेकिन पुलिस उसका गुनाह भी साबित नहीं कर पाई. गौहर चिश्ती दावा कर रहा है कि वो भागा नहीं था, वो हैदराबाद घूमने गया था. दिलचस्प बात ये है कि नासिर के साथ गौहर चिश्ती की तस्वीर भी पुलिस के पास थी लेकिन कोर्ट ने उसे भी सबूत नहीं माना.इस मामले में नासिर को भी बरी कर दिया गया है. इस बात में कोई शक नहीं है कि राजस्थान पुलिस ने इस केस की जांच में लापरवाही की, जानबूझकर सबूत गायब किए, केस को कमजोर किया. पुलिस को ये बताने की जरूरत नहीं होती कि जिस मोबाइल फोन से वीडियो शूट किया गया हो उसे फॉरेन्सिक जांच के लिए जब्त किया जाता है.पुलिस ने ऐसा करने के बजाए वीडियो को CD पर ट्रांसफर लिया और फोन से वीडियो डिलीट कर दिया गया. अदालत ने जब सरकारी वकील से पूछा कि ऑरीजनल वीडियो कहां है तो बताया गया कि डिलीट हो गया. कोर्ट ने पूछा कि पुलिस वाले ने जिस फोन में वीडियो शूट किया था, वो फोन कहां है, तो कहा गया कि फोन खऱाब हो गया था, खो गया. कोर्ट ने पूछा, नारे भीड के सामने लगे थे लेकिन सारे गवाह पुलिस वाले ही क्यों है, पुलिस एक भी इंडिपेंडेंट गवाह क्यों नहीं खोज पाई, तो कोई जबाव नहीं था. इसीलिए कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया. अब ये जानना जरूरी है कि पुलिस ने जो किया, वो स्थानीय पुलिस ने अपने स्तर पर किया या उसे ऊपर से इस केस को कमजोर करने के लिए निर्देश दिए गए. ये भी पता लगना चाहिए कि क्या ये पुलिस की नाकामी है या एक सोचा समझा राजनीतिक फैसला, जिसके लिए पुलिस के कंधे का सहारा लिया गया.

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