राहुल गांधी एक बार फिर अग्निवीर को लेकर विवाद में पड़ गए. उन्होंने एक बार फिर आरोप लगाया कि शहीद अजय कुमार के परिवार को कोई मुआवजा नहीं मिला. भारतीय सेना ने इस बात का खंडन किया, इस आरोप को गलत बताया. सेना ने एक बयान जारी कर के कहा कि शहीद अग्निवीर के परिवार को अब तक करीब एक करोड़ रूपए मिल चुके हैं. दो दिन पहले लोकसभा में भी राहुल गांधी ने इल्जाम लगाया था कि सरकार अग्विनीर योजना को लेकर गलतबयानी कर रही है. राहुल ने कहा था अग्निवीर को न शहीद का दर्जा मिलता है, न पेंशन मिलती है, न कोई मुआवज़ा मिलता है. और सबूत के तौर पर राहुल गांधी ने पंजाब के शहीद अग्निवीर अजय कुमार का उदाहरण दिया. कहा वो अजय के परिवार से मिले थे और परिवार ने बताया कि उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उसी वक्त सदन में खड़े होकर राहुल को सदन को गुमराह करने को लेकर टोका, साफ कहा कि अगर कोई अग्निवीर सेना के ऑपरेशन में या सीमा पर देश की रक्षा करते हुए शहीद होता है तो उसके परिवार को करीब एक करोड़ रूपए मिलते हैं. लेकिन गुरुवार को राहुल गांधी ने एक बार फिर राजनाथ सिंह पर झूठ बोलने का इल्जाम लगाते हुए एक वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने शहीद अग्निवीर अजय के पिता का वीडियो लगाया, जो ये कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि सरकार की तरफ से उन्हें कुछ नहीं मिला. इस वीडियो का संदर्भ देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि अब झूठ बोलने के लिए रक्षामंत्री को देश से मांफी मांगनी चाहिए. जैसे ही राहुल गांधी का वीडियो सामने आया तो ये बड़ा मुद्दा बन गया. सेना ने बयान जारी किया, पूरी बात बताई, कहा कि शहीद अग्निवीर के परिवार को करीब एक करोड़ रूपए मिल चुके हैं. इसके अलावा अभी कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद करीब 67 लाख रूएए और दिए जाएंगे. इसलिए ये कहना ठीक नहीं है कि रक्षामंत्री ने लोकसभा में गलत बात कही. अब सवाल ये है कि इस मामले का सच क्या है ? क्या वाकई में शहीद के परिवार को कोई मुआवजा नहीं मिला? क्या रक्षामंत्री ने झूठ बोला? राहुल ने वीडियो में जिस व्यक्ति का बयान दिखाया, वह चरणजीत सिंह हैं, अग्निवीर अजय कुमार के पिता. चरणजीत सिंह लुधियाना में रामगढ़ सरदारां गांव के रहने वाले हैं. चरणजीत सिंह के बेटे अजय सिंह अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए थे और इसी साल 18 जनवरी को राजौरी में एक बारूदी सुरंग के धमाके में शहीद हुए थे. चूंकि राहुल गांधी ने अपनी बात को सही और राजनाथ सिंह के बयान को गलत साबित करने के लिए शहीद के पिता को ढाल बनाया तो सेना की तरफ से बयान जारी करके पूरी हकीकत सामने रखी गई. बयान में कहा गया है कि शहीद अग्निवीर अजय कुमार के परिवार को अब तक 98 लाख 39 हज़ार रुपए मिल चुके हैं और 67 लाख तीस हजार रूपए और दिए जाने बाकी है. ये रकम औपचारिक कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद जल्द से जल्द दे दी जाएगी. सेना की तरफ से बताया गया कि अग्निवीर 18 जनवरी को शहीद हुए थे और उसके बाद एक महीने से भी कम वक्त में उनके परिवार को जीवन बीमा रकम के 50 लाख रुपए मिल गए थे. पचास लाख की ये रक़म 13 फ़रवरी को अजय की मां मनजीत कौर के खाते में क्रेडिट हुई थी. इसके बाद 10 जून को सेना की अपनी बीमा पॉलिसी के तहत 48 लाख 39 हज़ार रुपए भी अजय की मां के खाते में क्रेडिट हो गए थे. इस तरह कुल मिलाकर 98 लाख 39 हजार रूपए की कुल रकम शहीद के परिवार को मिल चुकी है. सेना ने अपने बयान में जो जानकारी दी है, उसके कागजी सबूत इंडिया टीवी के पास हैं. हमें जो दस्तावेज मिले हैं, उसके मुताबिक 18 जनवरी को अग्निवीर अजय सिंह की शहादत के बाद, ICICI लोंबार्ड बीमा कंपनी ने उनकी मां मनजीत कौर को 13 फरवरी को 50 लाख रुपए की पेमेंट की थी. इस बीमा पॉलिसी की पेमेंट के लिए शहीद अजय के परिवार की तरफ़ से 24 जनवरी को क्लेम दाख़िल किया गया था. 12 फ़रवरी को बीमा कंपनी को सारे कागज़ात मिल गए थे और 13 फ़रवरी को कंपनी ने बीमा पॉलिसी के तहत भुगतान को मंजूरी दे दी थी. ये बीमा पॉलिसी रक्षा मंत्रालय की अग्निवीर योजना का हिस्सा है जिसमें रक्षा मंत्रालय ने ICICI Lombard के साथ एक memorandum of understanding पर दस्तखत किया है. इसके तहत युद्ध के दौरान या सरहद पर शहीद होने वाले अग्निवीर के नॉमिनी को 50 लाख रुपए दिए जाते हैं. इसके अलावा, सेना हर अग्निवीर का एक बीमा अलग से भी कराती है. अजय के परिवार को सेना की इस बीमा पॉलिसी के 48 लाख रुपए 10 जून को भुगतान कर दिए गए थे. इसका दस्तावेज भी सेना ने रिलीज़ किया है. ये रक़म, शहीद अजय की मां मनजीत कौर के स्टेट बैंक के खाते में गई थी. सेना ने ये भी बताया कि अभी अजय के परिवार को लगभग 67 लाख 30 हज़ार रुपए और मिलेंगे. इसमें अनुग्रह राशि या एकमुश्त 44 लाख रुपए सेना से मिलेंगे. आर्मी वेल्फेयर फंड से अजय सिंह के परिवार को 8 लाख रुपए मिलेंगे. अजय सिंह की बची हुई सर्विस की सैलरी के पैसे भी उनके परिवार को मिलेंगे. ये रक़म लगभग 13 लाख रुपए होगी. इसके अलावा सर्विस फंड या सेवा निधि से भी अजय के परिवार को 2 लाख तीस हजार रु. की राशि मिलेगी. कुल मिलाकर, शहीद अग्निवीर अजय के परिवार को अभी सेना से 67 लाख तीस हजार रुपए और मिलने हैं. इस तरह अजय के परिवार वालों को कुल एक करोड़ पैंसठ लाख 69 हजार की रकम मिलनी है जिसमें से 98 लाख 39 हजार मिल चुके हैं. शहीद अजय के घर में माता पिता के अलावा छह बहनें हैं. अजय के पिता चरणजीत सिंह ने कहा कि राहुल गांधी चुनाव से पहले 29 मई को उनके घर आए थे. उस वक्त तक परिवार को पचास लाख रूपए मिल चुके थे. इसके बाद जून में 48 लाख रूपए और मिले. कुल करीब एक करोड़ रूपए मिल चुके हैं. चरणजीत सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं मालूम ये पैसा केन्द्र सरकार ने भेजा है या राजनाथ सिंह ने भेजा है, लेकिन पैसा तो मिला है. अग्निवीर अजय की बहन बख़्शो कौर ने भी कहा कि उन्हें सेना से कोई शिकायत नहीं हैं. भाई की शहादत के बाद सेना हर वक्त परिवार के साथ खड़ी रही. भाई का अन्तिम संस्कार पूरे सैनिक सम्मान के साथ किया, परिवार की मदद की.जब भी जरूरत पड़ी तो एक फोन करने पर उन्हें मदद मिल गई. शहीद अजय सिंह के केस को लेकर चार बातें साफ हैं. पहली, सबके मन में अग्निवीर शहीद अजय के परिवार के प्रति सहानुभूति और सम्मान का भाव होना चाहिए. इस परिवार ने अपना इकलौता बेटा देश पर न्योछावर किया है. दूसरी बात, इस बलिदान की कोई कीमत नहीं लगाई जा सकती है, न हो सकती है. इसे रूपए पैसों से कभी तोला नहीं जा सकता. तीसरा, शहीद अजय के परिवार की जो भी सहायता की जा रही है, उसे देश का इस परिवार के प्रति कृतज्ञता का भाव मानना चाहिए. इसमें कोई शक नहीं कि इस परिवार को करीब एक करोड़ रूपए की रकम मिली है, कुछ राशि अभी मिलना बाकी है. चौथी बात, देश के प्रति एक सैनिक का बलिदान राजनीति का विषय नहीं होना चाहिए. ये दुर्भाग्य पूर्ण है कि शहीद को कितना मुआवज़ा मिला, इसकी चर्चा संसद में हुई. ऐसा लगता है कि जिन लोगों ने राहुल गांधी को जानकारी दी, उन्होंने राहुल को यही बताया कि परिवार को सहायता की राशि नहीं मिली है. संसद में जब राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी को सूचित किया कि एक करोड़ रूपए दिया गया है, तब भी वो यही कह रहे थे कि परिवार वाले कुछ और बता रहे हैं. लेकिन आज जब सेना की तरफ से बयान जारी कर दिया गया, एक करोड़ की सहायता कब और कैसे दी गई, ये बता दिया गया, तो इस पर सब को भरोसा करना चाहिए. शहीद के लिए क्या करना है, कितना मुआवज़ा देना है, उनके परिवार को किस तरह की सहायता देनी है, ये काम हमारी फौज का है और उसके प्रति किसी को कोई सवाल नहीं उठाना चाहिए. हमारी फौज के प्रति लोगों के मन में जो भरोसा है, विश्वास है, उस पर किसी तरह की आंच नहीं आनी चाहिए. इतिहास गवाह है कि देश की सुरक्षा के लिए हमारी थल सेना, नौसेना और वायु सेना के बहादुर जवानों और अफसरों ने अनगिनत बलिदान दिए, न जाने कितने वीर जवान देश के लिए शहीद हुए और हमारा देश इस त्याग और बलिदान के लिए हमेशा उनका ऋणी रहेगा.
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