कश्मीर से मंगलवार को दो बड़ी खबरें आई। पहली ये कि अफगनिस्तान में तालिबान की सरकार बनवाने के बाद पाकिस्तान का फोकस जम्मू-कश्मीर में दहशतगर्दी तेज करने पर है। इस बात के सबूत मिले हैं कि पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी ISI अब कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए अफगानिस्तान के टेररिस्ट ग्रुप्स की मदद ले रही है। पाकिस्तान से ऑपरेट करने वाले आतंकी संगठन अब ISIS के नाम पर कश्मीर में आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। पिछले हफ्ते श्रीनगर में रहने वाले बिहार के स्ट्रीट वेंडर वीरेंद्र पासवान की हत्या हुई जिसका वीडियो पाकिस्तान की ISI ने सोशल मीडिया पर अपलोड कराया और ये दिखाने की कोशिश की कि इसके पीछे ISIS का हाथ है। वीरेंद्र पासवान की हत्या उसी दिन की गई जिस दिन आतंकियों ने कश्मीरी पंडित व्यवसायी माखन लाल बिंद्रू की हत्या उनकी दवा दुकान के अंदर कर दी थी।
कश्मीर से दूसरी बड़ी खबर ये है कि हमारी सिक्युरिटी फोर्स ने जबरदस्त एक्शन लिया है। पिछले 30 घंटे में 7 आतंकियों को मार गिराया। इनमें से 2 आतंकी वो हैं जिन्होंने सिविलियंस की हत्या की थी। सिक्योरिटी फोर्सेज ने उन टेररिस्ट्स को भी आइडेंटिफाई कर लिया है जिन्होंने कश्मीरी पंडित माखन लाल बिंद्रू, दीपक चंद और सिख प्रिंसिपल सुपिंदर कौर की हत्या की थी। जिस दिन आतंकियों ने माखन लाल बिंद्रू की हत्या की थी उस दिन जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने ‘आज की बात’ में मुझसे बात करते हुए ये भरोसा दिलाया था कि घाटी में माइनॉरिटीज ही हत्या करने वालों का जल्द ही हिसाब कर दिया जाएगा। एक आतंकी को तो उसके किए की सज़ा दी जा चुकी है बाकी टेररिस्ट्स की भी पहचान हो गई है और किसी भी वक्त उन्हें भी ढेर किया जा सकता है।
सिक्योरिटी फोर्सेस ने कश्मीर में हुई टारगेट किलिंग्स को अंजाम देने वाले चेहरों की और उसके मास्टरमाइंड की पहचान कर ली है। पता चला है कि इन सारी हत्याओं के पीछे बासित अहमद डार नाम का आतंकवादी है। बासित साउथ कश्मीर के कुलगाम का रहनेवाला है और ये पिछले साल अप्रैल में अपने घर से गायब हो गया था। फिर वो लश्कर के एक शैडो आउटफिट द रजिस्टेंस फोर्स (TRF) के साथ जुड़ गया। बासित ने सबसे पहले लश्कर के ही अब्बास शेख नाम के टेररिस्ट को फॉलो किया, उसके ऑर्डर पर किलिंग्स करने लगा लेकिन अब्बास शेख की मौत के बाद बासित अहमद डार ने खुद को TRF का चीफ डिक्लेयर कर दिया।
पिछले हफ्ते जिन पांच लोगों की हत्या हुई उसमें बासित और उसके ग्रुप का ही हाथ है। बासित अहमद डार के साथ मेहरान शल्ला और आदिल नाम के आतंकवादी भी मौजूद थे। इनके साथ एक चौथा दहशतगर्द भी शामिल था। इनके अलावा दो और दहशतगर्द जो इन हत्या में शामिल थे उन्हें मार गिराया गया है। मैं आपको याद दिला दूं कि पांच अक्टूबर को श्रीनगर और बांदीपोरा में तीन सिविलियंस की हत्या की गई थी। पहले कश्मीरी पंडित कम्युनिटी के मशहूर केमिस्ट माखन लाल बिंद्रू को टारगेट किया गया था। इसके बाद पानीपुरी बेचने वाले वीरेंद्र पासवान और फिर बांदीपोरा में टैक्सी स्टैंड के अध्यक्ष मोहम्मद शफी लोन को भी गोली मारी गई थी। इसके दो दिन बाद आतंकवादियों ने श्रीनगर में स्कूल की प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और एक कश्मीरी पंडित टीचर की भी टारगेट किलिंग की थी।
पिछले 30 घंटे में अनंतनाग और बांदीपोरा में दो आतंकी मारे गए जबकि 5 दहशतगर्द शोपियां में ढेर कर दिए गए। साउथ कश्मीर के शोपियां में दो अलग अलग जगह एनकाउंटर हुए जिनमें पांच आतंकवादी मारे गए। 3 दहशतगर्द शोपियां के तुलरान गांव में छिपे हुए थे। उन्हें सरेंडर का मौका दिया गया लेकिन जब वो नहीं माने, गोलियां चलाई तो रिटैलिएशन में मारे गए। इसी तरह शोपियां के ही फेरिपोरा इलाके में भी दो आतंकवादियों का सफाया हो गया। तीन आतंकियों की पहचान दानिश हुसैन डार, यावर नायकू और मुख्तार अहमद शाह के तौर पर हुई है। इसी तरह फेरीपोरा में उबेद अहमद डार और खुबैब अहमद नाम के टेररिस्ट्स सिक्योरिटी फोर्स की जवाबी कार्रवाई में मारे गए। पुलिस ने इस बात को कनफर्म किया है कि बांदीपोरा में मोहम्मद शफी लोन की हत्या करनेवाले आतंकी इम्तियाज़ डार और वीरेंद्र पासवान को गोली मारने वाले मुख्तार शाह को खत्म कर दिया गया है।
इंटेलिजेंस सोर्स ने इस बात की पुष्टि की है कि पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी ISI TRF का इस्तेमाल कर आतंकी हत्याओं को अंजाम दे रही है और ISIS की आड़ में सोशल मीडिया पर इनका प्रचार-प्रसार कर रही है। इस बीच, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने सिविलियंस की हत्याओं की जांच शुरू कर दी है। इन टारगेट किलिंग्स में मदद करने वाले ओवरग्राउंड वर्कर्स और सिम्पेथाइजर्स के खिलाफ 10 अक्टूबर को एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। TRF की मदद करने वाले हर ओवरग्राउंड वर्कर का बैकग्राउंड चेक किया जा रहा है। NIA ने आतंकी सिम्पेथाइजर्स के सोलह ठिकानों पर छापेमारी की है। ये ओवरग्राउंड वर्कर लश्कर, जैश-ए-मोहम्मद, अल बद्र, हिजबुल मुजाहिदीन और अन्य आतंकी संगठनों से जुड़े हुए हैं।
हमारे डिफेंस एडिटर मनीष प्रसाद को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के प्रमुख कुलदीप सिंह ने कहा कि कश्मीर घाटी में आतंकी समूह अब हताश हो चुके हैं और अब वे बौखलाहट में अस्थिरता पैदा करने के लिए अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होनेवाले हैं।
NIA चीफ ने कहा, “5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में फिर से शांति बहाल हुई और हालात सामान्य हुए लेकिन अब आतंकियों ने भी अलग-अलग तरह की रणनीति बनाई है। इसमें से बहुत सारी चीजों से हम पहले ही निपट चुके हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से अल्पसंख्यकों को टारगेट करके टारगेट किलिंग की कवायद शुरू की गई। इनका मकसद लोगों के अंदर डर, दहशत और घाटी में अशांति पैदा करना है, वे इस तरह से घाटी के माहौल को खऱाब करना चाहते हैं ताकि विघटनकारी शक्तियों का प्रादुर्भाव हो। लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके है। अब 5 अगस्त 2019 से पहले वाली स्थिति वापस नहीं आ सकती, चाहे वे कुछ भी कर लें। ये उनकी बौखलाहट है। उन्हें कोई और रास्ता नहीं मिल रहा तो निर्दोष लोगों को मार रहे हैं।“
कुलदीप सिंह ने कहा, “अब इसमें कौन सी बहादुरी का काम है, ये तो कायरता है। लड़ना है तो सुरक्षा बलों से लड़ो। ये क्या बात हुई कि कोई गांव या शहर में पैदल जा रहा है, कोई कहीं जा रहा है और आपने उसको पकड़कर मार दिया। ये तो कायरता का काम है। कायरता के कामों को करके वे समाज में एक विघटनकारी परिस्थिति तैयार करना चाहते हैं लेकिन वे इसमें सफल नहीं हुए क्योंकि पब्लिक भी इन चीजों को समझती है।“
NIA डायरेक्टर ने कहा, “माइनॉरिटीज की टारगेट किलिंग तभी हो सकती है जब इनको कोई पनाह दे, कोई ओवरग्राउंड वर्कर हो या फिर कोई इनका सिम्पेथाइजर हो। अब तक जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, द रेसिस्टेंस फ्रंट, अल बदर जैसे आतंकी समूह से मिलेजुले लोग जब कोई आतंकी गतिविधि करते हैं तो उसपर जम्मू कश्मीर पुलिस तो केस करती ही हैं, और जिसमें ऐसा लगता है कि कोई गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) का मामला है तो उसकी जांच के लिए वो भारत सरकार को लिखते हैं और NIA उसकी जांच करती है। लेकिन जो लोग आतंकी संगठन की गतिविधियों में लिप्त रहते हैं, प्लानिंग करते हैं, अबतक उनपर कोई मामला नहीं था। जब सिक्युरिटी फोर्स और इंटेलिजेंस एजेंसी ने सूचना शेयर की तो उसी के आधार पर भारत सरकार ने हमें ऐसे लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया। इसी आदेश के तहत हमलोगों ने ऐसे लोगों के खिलाफ 10 अक्टूबर को आपराधिक मामला दर्ज किया है।“
इस्लामिक स्टेट के माध्यम से श्रीनगर में बिहार के स्ट्रीट वेंडर की हत्या का वीडियो पोस्ट करने वाले ISI के निहितार्थों को समझना होगा। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में सांप्रदायिक तनाव पैदा करना चाहता है। इसकी इंटेलिजेंस एजेंसी आतंकी संगठनों के गिरते मनोबल को बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रही है।
अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद कश्मीर में दहशतगर्दी बढ़ेगी इसकी आशंका तो पहले से थी। हमारी सिक्योरिटी फोर्सेज अलर्ट पर थी इसीलिए इस बार आतंकवादियों ने सॉफ्ट टारगेट चुने। दुकान में दवा बेचने वाले, स्कूल में पढ़ाने वाले, सड़क पर पानीपूरी बेचने वाले लोगों को निशाना बनाया। अब जम्मू-कश्मीर पुलिस और फौज ने मिलकर एक बड़ा ऑपरेशन शुरु किया है। इस हमले में शामिल लोगों की पहचान कर ली है। बड़ी संख्या में लोगों को डिटेन किया है लेकिन जब जब सिक्योरिटी फोर्सेज एक्शन लेती हैं तो कुछ लोग ह्यूमन राइट्स का झंडा उठा लेते हैं। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि पुलिस एक्शन से कुछ नहीं होगा। आतंकवादियों को मारने और पक़डने से कुछ नहीं होगा। वो तो चाहती है कि हमला करने वालों से, उनके आकाओं से बात करनी चाहिए। मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने ह्यूमन राइट्स को लेकर इसी तरह की सेलेक्टिव अप्रोच को आड़े हाथों लिया।