Rajat Sharma

मोदी के नेतृत्व में भारत कोरोना की नई चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है

AKBकोरोना महामारी की एक और लहर का खतरा मंडराता देख केंद्र और राज्य सरकारों ने बुनियादी ढांचे के मोर्चे पर बड़े पैमाने पर तैयारियां शुरू कर दी हैं ताकि आने वाली चुनौती का सामना किया जा सके। ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट्स से लेकर दवा और वेंटिलेटर तक, देश में हर काम युद्ध स्तर पर शुरू हो चुका है। एक तरफ इंट्रा-नेज़ल वैक्सीन के इस्तेमाल को केंद्र की मंजूरी मिल गई है, वहीं दूसरी तरफ मास्क के इस्तेमाल और सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया गया है।

चीन में कोरोना के मामलों में तेजी को देखते हुए सरकार अस्पतालों में महामारी से जुड़ी इमरजेंसी सेवाओं की तैयारियां की जांच के लिए एक mock-drill करने वाली है। इसके लिए 27 दिसंबर (मंगलवार) को भारत भर में एक मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी। इस ड्रिल में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी शामिल होंगे।

केंद्र ने भारत बायोटेक की इंट्रा-नेज़ल वैक्सीन Incovacc के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। इस वैक्सीन का इस्तेमाल अलग बूस्टर के रूप में किया जा सकेगा । यह वैक्सीन प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध होगी और इसे आज से कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कर लिया गया है। नाक के रास्ते दी जाने वाली यह वैक्सीन 18 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों को बूस्टर डोज के रूप में दी जा सकती है।

सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने 18 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए कुछ हफ्ते पहले इस इंट्रा-नेज़ल वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। इस वैक्सीन को लगाना आसान है और इसमें सूई की जरूरत नहीं है, इसलिए इसमें सुई से जुड़े खतरों जैसे चोट और संक्रमण की भी गुंजाइश खत्म हो जाती है। इस वैक्सिन को लेना इतना आसान है कि इसके लिए किसी प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी की भी जरूरत नहीं पड़ती ।

बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री मांडविया, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अन्य अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्य सरकारों से अपने अस्पतालों में कोविड से निपटने के लिए की गई तैयारियों का ऑडिट कराने को कहा। इसमें ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, वेंटिलेटर का पर्याप्त स्टॉक और इन्हें ऑपरेट करने वाले कर्मियों की उपलब्धता सुनिश्चित करना शामिल है। सभी राज्यों को एयरपोर्ट्स पर आने वाले यात्रियों की रैंडम टेस्टिंग करने, अस्पतालों में कोविड वार्ड्स को शुरू करने, पिछले साल केंद्र द्वारा भेजे गए सभी वेंटिलेटरों की जांच करने, सोशल डिस्टैंसिंग और मास्क के इस्तेमाल को सुनिश्चित करने के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कुछ देशों में कोरोना के मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए लोगों को सामाजिक समारोहों जैसे कि शादी-विवाह, सियासी या सामाजिक बैठकों के साथ-साथ विदेश यात्रा से बचने की सलाह दी है। एक एडवाइजरी में IMA ने लोगों से टीकाकरण के लिए जाने और कोविड-सम्मत आचरण का पालन करने की अपील की है।

बैठक में प्रधानमंत्री ने हॉस्पिटल बेड्स, ऑक्सीजन सप्लाई और वेंटिलेटर्स के बारे में जानकारी ली। देश भर में वैक्सीनेशन की रफ्तार क्या है, कितने लोगों ने बूस्टर डोज ले ली है, इन सब सवालों पर प्रधानमंत्री को डिटेल में प्रेजेन्टेशन दी गई। मीटिंग में बताया गया कि सरकारी सिस्टम तो कोरोना से लड़ने के लिए तैयार है, दवाएं और वैक्सीन भी उपलब्ध हैं, लेकिन आम लोगों में लापरवाही बढ़ी है। लोग कोरोना को हल्के में ले रहे हैं, इसलिए जागरूकता पर ध्यान देना पड़ेगा। सरकार का कहना है कि भारत में इस समय कोरोना वायरस के 10 वैरिएंट्स ऐक्टिव हैं, जिनमें सबसे नया BF.7 है और इसी ने चीन में कहर मचाया है।

लोगों तक सही संदेश पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति, सभी मंत्री और अधिकांश सांसद मास्क पहनकर संसद में आने लगे हैं। स्पीकर और राज्यसभा के चेयरमैन ने सभी सदस्यों से अपील की कि वे चीन से मंडराते खतरे को देखते हुए लोगों में कोविड-उपयुक्त व्यवहार के बारे में जागरूकता फैलाएं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य मंत्री मांडविया की सराहना की और कहा, ‘अपनी 2 विदेश यात्राओं के दौरान मुझे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के अच्छे कामों की गूंज सुनाई पड़ी। ये तारीफ सुनना अच्छा लगा। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में 2 अरब से ज्यादा टीकाकरण हुआ और उसके डिजिटल प्रमाणपत्र आसानी से उपलब्ध होना एक ऐसी उपलब्धि है जो दुनिया के सबसे विकसित देश भी हासिल नहीं कर पाए।’

यह बात सही है कि भारत आज कोरोना से लड़ने के लिए तैयार है, सक्षम है। इस बात को पूरी दुनिया जानती है। जब पहली बार कोरोना से सामना हुआ था तो हमारे पास न मास्क थे, न PPE किट थी, न दवाएं थीं और न ही पर्याप्त हॉस्पिटल बेड्स का इंतजाम था। वैक्सीन के बारे में तो कोई सोच भी नहीं सकता था। पिछले साल कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश को जिस ऑक्सीजन संकट का सामना करना पड़ा था, उसे मेडिकल-ग्रेड ऑक्सीजन बनाने वाले PSA (प्रेशर स्विंग सोखना) प्लांट्स की स्थापना के साथ ही तुरंत दूर भी कर लिया गया था।

आज हमारे पास ऑक्सीजन का इंतजाम है, दवाइयां हैं, कोरोना के मरीजों के लिए हॉस्पिटल बेड्स हैं, PPE किट्स हैं, ICU है और सबसे बड़ी बात अब हमारे डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स के पास कोरोना से निपटने का अनुभव है। अबी कोरोना की तीसरी लहर हमारे देश में पहुंची नहीं है, और अगर यह आई भी तो इस बार हम उसे हराने के लिए हम दुनिया में सबसे बेहतर स्थिति में हैं। सावधानी बरतने में कोई नुकसान नहीं है। बस किसी भी कीमत पर लापरवाही नहीं होनी चाहिए, न केंद्र सरकार की तरफ से न राज्य सरकारों की तरफ से।

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