Rajat Sharma

मुस्लिम नेता मदरसों के सर्वे का विरोध क्यों कर रहे हैं?

akb full_frame_74900उत्तर प्रदेश के सभी गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे करने के राज्य सरकार के निर्देश पर कई मुस्लिम नेताओं ने आपत्ति जताई है। इस कदम का मकसद छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की संख्या, सिलेबस और किसी भी गैर सरकारी संगठन के साथ इन मदरसों के लिंक के बारे में जानकारी जुटाना है।

यह सर्वे 5 अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा। यह सर्वे SDM, बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला-स्तरीय अल्पसंख्यक मामलों के अधिकारी की टीमों द्वारा किया जाएगा। टीमें अपनी सर्वे रिपोर्ट ADM को सौंपेंगी, जो बाद में इसे DM को भेजेंगे। निर्देश में कहा गया है कि जिलाधिकारी को 25 अक्टूबर तक सर्वे रिपोर्ट सरकार को देनी होगी।

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस सर्वे को कराने के पांच मकसद बताए हैं।

पहला, सरकार यह पता लगाना चाहती है कि पूर् प्रदेश में कितने ऐसे मदरसे हैं, जिन्हें सरकारी मान्यता नहीं मिली है। दूसरा, इन मदरसों में कितने बच्चे पढ़ रहे हैं और उन्हें पढ़ाने के लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं या नहीं। तीसरा, मदरसे में छात्रों की संख्या के लिहाज से जरूरी कक्षाएं और शिक्षक हैं या नहीं और बच्चों के बैठने का पूरा इंतजाम किया गया है या नहीं। चौथा, मदरसों के छात्रों को क्या पढ़ाया जा रहा है, किस सिलेबस के तहत पढ़ाई हो रही है और बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक और मौलाना पढ़ाने के योग्य हैं या नहीं। पांचवा, मदरसों का ख़र्च कैसे चलता है, उनकी आमदनी का क्या जरिया है और उनका खर्चा कितना है। इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर और आधुनिक शिक्षा देने में सरकार की मदद करने के लिए ये डेटा एकत्र किया जा रहा है।

यह सर्वे सभी मदरसों की शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सक्रिय दृष्टिकोण का हिस्सा है। अल्पसंख्यक मामलों और मुस्लिम वक्फ मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा, इन मदरसों में कार्यरत महिला कर्मचारियों को माध्यमिक शिक्षा विभाग और बेसिक शिक्षा विभाग में लागू नियमों के अनुरूप मातृत्व अवकाश और बाल्य देखभाल अवकाश भी मिलेगा। यह सर्वे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की अपेक्षा के मुताबिक किया जाएगा, जो मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता को लेकर चिंतित है।

AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने इस निर्देश पर आपत्ति जताई और इसे ‘मिनी-NRC’ करार दे दिया। ओवैसी ने आरोप लगाया कि यूपी सरकार सूबे में मुसलमानों को परेशान कर रही है। उन्होंने कहा कि कुछ मदरसे यूपी मदरसा बोर्ड के अंतर्गत आते हैं और संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत सरकार अल्पसंख्यकों के अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। ओवैसी ने कहा, ‘बीजेपी मुसलमानों से नफरत करती है। वह हम पर नमाज अदा करने पर पाबंदी लगाना चाहती है, हमें कुरान पढ़ने से रोकना चाहती है। यही वजह है कि मदरसों को निशाना बनाया जा रहा है। देश में मिनी-NRC शुरू हो गया है।’

हालांकि, NCPCR के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने ओवैसी के तर्क को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘ओवैसी झूठ बोल रहे हैं और अल्पसंख्यकों को गुमराह कर रहे हैं। वह बच्चों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सरकार को गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों की हालत जानने का पूरा हक है। पूरे भारत में 1.1 करोड़ से ज्यादा मुस्लिम बच्चे गैर-मानचित्रित और गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ रहे हैं। अनुच्छेद 30 यहां लागू नहीं होता है क्योंकि सरकार उन बच्चों के अधिकारों की संरक्षक है जो स्कूलों में नहीं पढ़ रहे। यूपी सरकार को गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों के आंकड़े जुटाने का पूरा अधिकार है।’

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि ऐसा सर्वे तो देश के सभी मदरसों का होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मोदी जी मदरसों को आधुनिक बनाना चाहते हैं, लेकिन ओवैसी जैसे नेता इसके खिलाफ हैं। वे चाहते हैं कि मुसलमानों के बच्चे आधुनिक शिक्षा से दूर रहें, वे सिर्फ इस्लामी तालीम लें और उनकी गुलामी करें।’

ओवैसी ने कहा कि मुसलमान मदरसों की वजह से नहीं, सरकारी उपेक्षा की वजह से पिछड़े रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मदरसों में तो बच्चों को इंसान बनाया जाता है। सरकार उन मदरसों का सर्वे करे जो सरकारी मदद से चलते हैं। वह प्राइवेट मदरसों का सर्वे क्यों कर रही है? एक तरफ तो यूपी के सरकारी स्कूलों में टीचर नहीं हैं, बिल्डिंग्स की हालत खराब है, टीचर्स को वक्त पर सैलरी नहीं मिल रही है और सरकार इन सारे मुद्दों को छोड़कर सिर्फ मदरसों के पीछे पड़ी है।’

यूपी मदरसा बोर्ड के चेयरमैन इफ्तिकार अहमद जावेद ने इसका जवाब देते हुए कहा, ‘अगर सरकार मदरसों की हालत सुधारना चाहती है तो उसमें बुराई क्या है? मोदी जी चाहते हैं कि हर मुस्लिम बच्चे के एक हाथ में कंप्यूटर हो और दूसरे हाथ में कुरान हो।’

मुंबई में इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन रजा एकेडमी के प्रमुख मौलाना सईद नूरी ने सर्वे पर आपत्ति जताते हुए कहा, ‘अगर सरकार सभी मदरसों को मान्यता देना चाहती है तो ठीक है, लेकिन हकीकत यह है कि सरकार मदरसों का भला नहीं करना चाहती। वह तो मदरसों की आड़ में माहौल को सांप्रदायिक बनाना चाहती है।’

देवबंद के दारुल उलूम के मौलाना मसूद मदनी ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, ‘सरकार गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे के नाम पर गरीब मुसलमानों के बच्चों को पढ़ने से रोकना चाहती है।’

लखनऊ में शैखुल आलम साबरिया चिश्तिया मदरसा के प्रिंसिपल मौलाना इश्तियाक अहमद कादरी ने कहा, ‘मुसलमान तो आज के दौर में राजनीति के फुटबॉल बन गए हैं। कोई उनके विरोध की राजनीति कर रहा है तो कोई उनके समर्थन में खड़ा होकर अपनी सियासत चमका रहा है। अगर सर्वे के बाद मदरसों की परेशानियां दूर की जाएं तो ठीक, वरना अभी तो यह सियासी कदम ही लगता है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके अपने मदरसे ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं, लेकिन मान्यता नहीं मिली। उन्होंने कहा, ‘हम 8 साल से इंतजार कर रहे हैं, और सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बावजूद हमें अभी तक मान्यता नहीं मिली है।’

इंडिया टीवी की रिपोर्टर रुचि कुमार ने लखनऊ के एक मदरसे में कुछ छात्रों और शिक्षकों से मुलाकात की। उनमें से अधिकांश ने सर्वे के फैसले का स्वागत किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में सत्ता में आने के बाद मदरसों के आधुनिकीकरण की पहल की थी। उन्होंने 2017 में एक पोर्टल बनाया था जिसमें सभी मदरसों को रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने की इजाजत दी गई थी। अब तक 16,513 मदरसों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है, जिनमें से 558 मदरसों को सरकारी अनुदान मिल रहा है। योगी सरकार ने उनके सिलेबस में NCERT की किताबों को शामिल किया, मदरसे के छात्रों के लिए एक लर्निंग ऐप लॉन्च किया, मदरसों में परीक्षा के दौरान नकल रोकने के लिए वेब कैम लगवाए और सबसे ज्यादा नंबर पाने वाले छात्रों को 1 लाख रुपये और टैबलेट दिए।

यह बात सही है कि ज्यादातर मदरसों में गरीब मुसलमानों के बच्चे पढ़ते हैं इसलिए अगर यूपी सरकार सर्वे करवा कर प्राइवेट मदरसों की हालत पता करवाकर उनकी मदद करती है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। ओवैसी को चाहिए कि सरकारी मदद से चल रहे मदरसों में जाएं और पता करें कि क्या वहां मैथ्स, साइंस, कंप्यूटर और इंग्लिश पढ़ने वाले बच्चों ने कुरान और नमाज पढ़ना बंद कर दिया।

यह सिर्फ बहकाने वाली बात है और इसे लेकर लोगों को भड़काना नहीं चाहिए। योगी सरकार अगर अच्छी नीयत से मदरसों का सर्वे करवा रही है तो उसका समर्थन करना चाहिए। यूपी में 16,513 मदरसे हैं जिनमें से अगर सिर्फ 558 को सरकारी मदद मिल रही है तो यह हैरानी की बात है। सरकारी मदद पाने वाले मदरसों की संख्या बढ़नी चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि सरकारी मान्यता के लिए नियम कड़े होते हैं। मदरसे एरिया डिफाइन होता है, क्लासरूम का साइज तय होता है, सुविधाएं तय होती हैं। जो मदरसे 2-2 कमरों में चल रहे होते हैं, वे मान्यता की शर्तों को पूरा नहीं कर पाते। इसलिए सरकार को मान्यता प्रप्ता करने की शर्तों में भी ढील देने पर विचार करना चाहिए।

और भी ऐसे मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है। असम सरकार ने हाल ही में गोवालपारा, बरपेटा और बोंगाईगांव में 3 मदरसों पर बुलडोजर चलवा दिया था। इन मदरसों में काम करने वाले 37 लोगों को AQIS (भारतीय उप-महाद्वीप में अल कायदा) और बांग्लादेशी आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला के साथ संबंधों के लिए गिरफ्तार किया गया था। मदरसे चलाने की आड़ में ये लोग देश विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थे। उनमें से कुछ मदरसों में मुस्लिम छात्रों को बतौर मौलवी पढ़ा रहे थे।

असम के मुख्यमंत्री हिमन्त विश्व शर्मा ने कहा कि उनकी सरकार किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है, लेकिन अगर मदरसे आतंकवादी तत्वों की मदद करते पाए गए तो सरकार वहां बुलडोजर चलाएगी। शर्मा ने कहा, ‘हमारा इरादा सिर्फ यह है कि जिहादी तत्व मदरसों का इस्तेमाल न करने पाएं। जब मदरसों का इस्तेमाल जिहादी गतिविधियां चलाने या जिहादी विचारधारा के प्रचार के लिए नहीं होगा तो उन्हें गिराया ही क्यों जाएगा?’

ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के नेता बदरुद्दीन अजमल ने कहा, अगर किसी मदरसे में कोई गड़बड़ आदमी मिलता है तो सरकार उसे पकड़ ले, पूरे मदरसे को गिराने की क्या जरूरत है। उन्होंने पूछा, ‘सरकार सबको सजा क्यों दे रही है?’

हिमन्त विश्व शर्मा शुरू से ही मदरसों को लेकर सख्त रुख अपनाते रहे हैं। 2020 में जब वह शिक्षा मंत्री थे तो उन्होंने विधानसभा से कानून पास कराकर असम के सभी सरकारी मदरसे बंद कर दिए थे। गुरुवार को उन्होंने कहा, ‘हम सिर्फ उन्हीं मदरसों के खिलाफ ऐक्शन ले रहे हैं जो आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे थे। मैं मदरसों में पढ़ने वाले मुस्लिम बच्चों से मिला हूं। उनमें से अधिकांश ने कहा कि वे दीन की, इस्लाम की तालीम ही नहीं लेना चाहते। वे सब या तो डॉक्टर बनना चाहते हैं या इंजीनियर।’

अगर किसी मदरसे को चलाने वाले के लिंक दहशतगर्दों के साथ पाए जाएं तो उस मदरसे पर बुलडोजर चलाने पर किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए। अगर किसी मदरसे में आतंकवाद की तालीम दी जाती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होना ही चाहिए। लेकिन सरकार इस बात का ध्यान रखे कि बेकसूर बच्चों की पढ़ाई का हर्ज ना हो। अगर मदरसों में दीनी तालीम के साथ कंप्यूटर की पढ़ाई हो, आधुनिक शिक्षा दी जाए तो इससे फायदा छात्रों का ही होगा और वे भी इंजीनियर और डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर सकेंगे।

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