राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने गुरुवार को एक बहुत बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि अब ज्ञानवापी के मुद्दे पर कोई आंदोलन नहीं होगा। नागपुर में RSS अधिकारियों के प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि ज्ञानवापी का मुद्दा लाखों हिंदुओं की आस्था से जुड़ा है, लेकिन इस पर कोई आंदोलन नहीं होगा।
भागवत ने कहा, ‘अब ज्ञानवापी का मामला अदालत में है। हम इतिहास को नहीं बदल सकते। वह इतिहास हमारे द्वारा नहीं बनाया गया और न ही आज के हिंदुओं और मुसलमानों द्वारा बनाया गया। यह उस समय हुआ, जब इस्लाम आक्रांताओं के साथ भारत आया। RSS ने अयोध्या राम जन्मभूमि मुद्दे को कुछ ऐतिहासिक कारणों से हाथ में लिया था, और वह संकल्प पूरा हो गया है। यह पहले ही कह दिया गया है कि हमारा संगठन किसी नए आंदोलन का हिस्सा नहीं होगा। हर दिन नए मुद्दे उठाना ठीक नहीं है। हर मस्जिद में शिवलिंग खोजने की जरूरत नहीं है। ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मुद्दा हिंदुओं और मुसलमानों को मिल-बैठकर सुलझा लेना चाहिए। अगर कोर्ट की तरफ से कोई फैसला आता है तो उसे दोनों पक्षों को मानना चाहिए।’
पूरे भारत में धार्मिक स्थलों के बारे में नए-नए दावों और जवाबी दावों पर RSS प्रमुख ने कहा, ‘आक्रांताओं ने हिंदुओं के मनोबल को गिराने और धर्मांतरण करने वाले नए मुसलमानों के बीच एक धारणा बनाने के लिए मंदिरों को तोड़ा था। इतिहास में हुई इन घटनाओं को अब न तो हिंदू बदल सकते हैं और न ही मुसलमान।’
भागवत ने कहा कि मुसलमान ‘हिंदुओं और यहां तक कि क्षत्रियों के ऐसे वंशज हैं जिन्होंने दूसरा धर्म अपना लिया। हिंदुओं को यह समझना चाहिए कि मुसलमान उनके अपने पूर्वजों के वंशज हैं। वे मुसलमान केवल इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने अपना धर्म बदल दिया। अगर वे वापस आना चाहते हैं तो उनका खुली बाहों से स्वागत करेंगे। अगर वे वापस नहीं आना चाहते, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। पहले ही हमारे 33 करोड़ देवी-देवता हैं, कुछ और जुड़ जाएंगे। हमारे देश में कई मजहब हैं और इस्लाम भी उनमें से एक रहेगा।’
भागवत ने कहा, ‘धैर्य बनाए रखने की जिम्मेदारी हिंदुओं और मुसलमानों दोनों की है। दोनों तरफ से डराने-धमकाने की बात नहीं होनी चाहिए। हालांकि, हिंदू पक्ष की ओर से ऐसा कम है। हिंदुओं ने सदियों तक बहुत धैर्य रखा है। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन हिंदुओं को यह भी समझना चाहिए कि न तो उन्हें किसी से डरना चाहिए और न ही दूसरों को डराना चाहिए। हम भाईचारे में विश्वास रखते हैं। हम चाहते हैं कि भारत ‘विश्वगुरु’ बने। लेकिन ऐसे लोग हैं जो जाति, भाषा, धर्म के बीज बोकर हमें आपस में लड़ाना चाहते हैं। हमें सजग रहना चाहिए।’
RSS प्रमुख ने कहा, ‘हमारा संगठन किसी भी प्रकार की पूजा पद्धति का विरोध नहीं करता और उन सभी को पवित्र मानता है। उन्होंने (मुसलमानों ने) पूजा के अन्य रूपों को भले ही अपना लिया हो, लेकिन वे हमारे ऋषियों, मुनियों, क्षत्रियों के ही वंशज हैं। हम सब एक ही पूर्वजों के वंशज हैं।’
मोहन भागवत ने जो कहा वह देश की सियासत की दिशा बदलने वाली बात है। यह उन लोगों को जवाब है जो कहते हैं कि अब वह दिन दूर नहीं जब हर मस्जिद को मंदिर बताया जाएगा, मुसलमानों से 30,000 मस्जिदें छीनी जाएंगी। असदुद्दीन ओवैसी हों, अबू आजमी हों, महबूबा मुफ्ती हों, उमर अब्दुल्ला हों या फारूक अब्दुल्ला हों, ये सारे लोग लगातार हिंदू-मुसलमान के मुद्दे पर बयान दे रहे हैं। मथुरा में ईदगाह और ज्ञानवापी का मुद्दा ये जानबूझकर राजनीतिक कारणों से उठा रहे हैं, और यह मुसलमानों को दबाने का एक गेमप्लान है। वे बीजेपी और RSS पर आरोप लगा रहे हैं कि ये मिलकर मुसलमानों को परेशान कर रहे हैं, देश में माहौल खराब कर रहे हैं, लेकिन मोहन भागवत का भाषण एक स्पष्ट परिप्रेक्ष्य में है।
भागवत ने कहा कि भारत में रहने वाले मुसलमान भी हमारे भाई हैं, उनके पूर्वज भी हिंदू हैं, सिर्फ पूजा पद्धति अलग हो गई है। भागवत ने हिंदुओं से साफ कहा कि हर मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने की कोशिश करना ठीक नहीं है। भागवत की बातें ओवैसी और महबूबा मुफ्ती की बातों के लहजे से बिल्कुल अलग हैं। मुझे लगता है कि मोहन बागवत की इस बात के लिए तारीफ होनी चाहिए। जैसा कि भागवत ने कहा, हिंदुओं और मुसलमानों को सौहार्दपूर्ण ढंग से अपने मसलों को सुलझाना चाहिए और भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाने के लिए एकजुट होना चाहिए।