Rajat Sharma

आई टी एक्ट में बदलाव की जरूरत क्यों है?

akb fullआज मैं उस मुद्दे के बारे में बात करना चाहता हूं जिससे हम और आप रोज दो चार होते हैं। फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर करोडों भारतीय एक्टिव हैं। इन प्लेटफॉर्म्स पर कब, कौन, किसे धमकी दे जाए, कब कौन गाली देने लगे, कब कोई कीचड़ उछालने लगे, इसका कोई अंदाजा ही नहीं लगा सकता। सिर्फ गालियां नहीं, ऐसी फर्जी तस्वीरें, गुमराह करने वाले वीडियो और नफरत फैलाने वाली पोस्ट वायरल की जाती है जिसके कारण समाज में टेंशन हो जाती है, दंगे जैसे हालात बन जाते हैं।

सबसे बड़ी परेशानी ये है कि कौन दंगा भड़काने की कोशिश कर रहा है, कौन गाली दे रहा है, इसको पकड़ना भी मुश्किल है क्योंकि ज्यादातर प्रोफाइल फेक होते हैं। इस तरह की फर्जी प्रोफाइलों पर पुरुषों और महिलाओं की तस्वीरें पोस्ट की जाती हैं, ऑनलाइन चैट के बाद लड़कियों को ब्लैकमेल किया जाता है, और ट्रोल्स के लिए तो मॉर्फ्ड इमेज का इस्तेमाल करना, गाली देना, धमकी देना और दूसरों को बदनाम करना आम बात है।

केंद्र इस तरह की गलत गतिविधियों में लिप्त लोगों के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में कड़े प्रावधान लाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। ऐसे उकसाने वालों, ब्लैकमेल करने वालों और गाली देने वालों की तुरंत पहचान की जा सकती है और उन्हें सजा दी जा सकती है। सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल या फर्जी अकाउंट बनाना अपराध माना जाएगा। चूंकि आम लोगों, पब्लिक फिगर्स और सिलेब्रिटीज को सोशल मीडिया पर गालियों, धमकियों और अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ता है, इसलिए कानून को सख्त बनाना होगा।

ताजा उदाहरण एक ट्रोल का है जिसने भारत के पाकिस्तान से टी20 मैच हारने के बाद स्टार क्रिकेटर विराट कोहली की 9 महीने की बेटी को धमकी दी थी। तेलंगाना के संगारेड्डी निवासी 23 वर्षीय आरोपी रामनागेश श्रीनिवास अकुबाथिनी सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। उसने आईआईटी हैदराबाद से पढ़ाई की है। उसे मुंबई पुलिस ने हैदराबाद पुलिस की मदद से गिरफ्तार किया था। कोहली की बेटी के खिलाफ उसकी धमकी को लेकर पूरे देश में नाराजगी देखने को मिली थी। गिरफ्तारी के बाद रामनागेश को मुंबई लाया गया। वह पहले भी नकली पहचान का इस्तेमाल कर ट्रोलिंग किया करता था, लेकिन उसका परिवार और उसके दोस्त उसे एक अच्छे छात्र के रूप में जानते थे जो विदेश में उच्च शिक्षा हासिल करने की प्लानिंग कर रहा था।

एक महीने पहले तक वह 24 लाख रुपये सालाना के पैकेज पर बेंगलुरु स्थित एक प्रमुख फूड डिलिवरी ऐप के लिए काम कर रहा था। बाद में उसने अमेरिका में मास्टर डिग्री की तैयारी के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। उनके पिता मेडक जिले के संगारेड्डी में एक ऑर्डनेंस फैक्ट्री में काम करते हैं। रामनागेश ने आईआईटी-जेईई परीक्षा में 2367वां स्थान हासिल किया था। वह पढ़ाई में काफी मेहनत करता था और कक्षा 10 की परीक्षा में टॉपर था, लेकिन उसके परिवार को उसकी ऑनलाइन ट्रोलिंग गतिविधि के बारे में पता नहीं था। एक क्रिकेट फैन के तौर पर वह भारत के पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के हाथों लगातार हार से काफी निराश था।

रामनागेश ने विराट कोहली की बेटी को धमकी देता हुआ ट्वीट देर रात किया था। अपने ट्वीट में उसने विराट कोहली और उनकी ऐक्टर पत्नी अनुष्का शर्मा को भी टैग किया था। अगली सुबह जब उसे महसूस हुआ कि उससे बहुत बड़ी गलती हुई है, उसने अकाउंट डिएक्टिवेट कर दिया। इस दौरान उसने 2 और अकाउंट डिलीट किए। तब तक विराट कोहली की मैनेजर ने मुंबई पुलिस साइबर क्राइम सेल में शिकायत कर दी थी और FIR दर्ज कर ली गई थी। रामनागेश के परिवार का दावा है कि उन्होंने ‘गलती से’ ट्वीट पोस्ट किया था। उनके पिता ने कहा कि रामनागेश ने तुरंत अपनी पोस्ट हटा दी थी लेकिन तब तक वह ट्वीट तेजी से ट्विटर पर फैलने लगा था।

ट्वीट का स्क्रीनशॉट वायरल हो गया और मुंबई एवं दिल्ली पुलिस, दोनों को इस बारे में सूचित कर दिया गया। रामनागेश ने तुरंत अपना ट्विटर हैंडल @ramanheist बदल दिया और एक पाकिस्तानी यूजर @criccrazygirl होने का नाटक किया, लेकिन तब तक उसके हैंडल को फैक्ट-चेक वेबसाइटों द्वारा ट्रैक किया जा चुका था। मुंबई पुलिस ने कहा कि रामनागेश जांच में सहयोग कर रहा है, वह एक सीरियल ऑफेंडर नहीं लग रहा और उसे अपनी गलती का अहसास है।

क्रिकेटर विराट कोहली के साथ जो हुआ वह सिर्फ एक उदाहरण है। हमारे देश में सोशल मीडिया पर रोज ऐसे लाखों केस होते हैं। समस्या यह है कि कोई सख्त आईटी कानून नहीं है और न ही हमारा सिस्टम ऐसे मामलों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। मौजूदा आईटी एक्ट 20 साल पुराना है। इसे 2001 में बनाया गया था जब फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम का वजूद ही नहीं था।

वक्त के हिसाब से अपराध और अपराध का दायरा बदल रहा है, इसलिए कानून भी वक्त के हिसाब से बदलने पड़ेंगे। प्रस्तावित संशोधनों के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी के खिलाफ बेहूदा, आपत्तिजनक या अश्लील टिप्पणी करता है, तो उसका पता लगाया जा सकता है और उसे ट्रैक किया जा सकता है, और उसे किसी भी फर्जी पहचान के पीछे छिपने नहीं दिया जाएगा। उसकी लोकेशन का पता तुरंत या एक निश्चित समय सीमा के भीतर लगाया जा सकेगा। ऑनलाइन यौन उत्पीड़न को नए आईटी अधिनियम के तहत परिभाषित किया जाएगा और मॉर्फ्ड इमेज पोस्ट करने और डराने-धमकाने वालों को सजा दिलाने के प्रावधान किए जाएंगे।

सरकार को दखल देने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि सोशल मीडिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां ऐसे अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहीं, जो अश्लील, बेहूदे और अपमानजनक कॉमेंट और वीडियो पोस्ट करते हैं। फेसबुक के ही एक पूर्व कर्मचारी एवं व्हिसलब्लोअर ने अमेरिकी कांग्रेस कमेटी के सामने खुलासा किया था कि कैसे उनकी कंपनी के बड़े अधिकारियों ने प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई अभद्र टिप्पणियों को नजरअंदाज कर दिया। यह देखा गया है कि किसी बेहूदे कॉमेंट या तस्वीर के पोस्ट होने पर फेसबुक कोई शिकायत होने से पहले शायद ही कभी उस कॉमेंट या तस्वीर को हटाता है। इसी पृष्ठभूमि में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि सोशल मीडिया पर हेट क्राइम, फेक न्यूज, साइबर बुलिंग, चाइल्ड पॉर्नोग्राफी और इसी तरह के अन्य अपराधों के खिलाफ प्रभावी सुरक्षा उपाय और सिक्यॉरिटी चेक्स होने चाहिए। इसीलिए सोशल मीडिया कपनियों को लेकर सरकार ने जो आईटी रूल्स तय किए थे, यह इसी दिशा में एक नया कदम है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के यूजर्स के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। भारत में व्हाट्सऐप के यूजर्स को छोड़ भी दिया जाए तो फेसबुक पर 34 करोड़, इंस्टाग्राम पर 14 करोड़, ट्विटर पर 2.25 करोड़ और भारतीय कू ऐप पर 1.5 करोड़ यूजर्स हैं। भारतीय न केवल अपनी राय व्यक्त करने के लिए बल्कि अपनी शिकायतों को आगे बढ़ाने के लिए भी ट्विटर का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि अधिकांश सरकारी एजेंसियों और अधिकारियों के अपने-अपने ट्विटर हैंडल हैं। इस सोशल मीडिया स्पेस का इस्तेमाल करके व्यापार, राजनीति, शादियां और यहां तक कि अपराध भी होते हैं।

इस साल के दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान बांग्लादेश में फेसबुक पर कुरान के कथित अपमान के बारे में एक फेक न्यूज पोस्ट की गई थी, जिसका नतीजा यह हुआ कि मुसलमानों की भीड़ ने गुस्से में हिंदू मंदिरों, पूजा पंडालों और घरों में आग लगा दी। भारत में एक बुजुर्ग मुस्लिम शख्स की दाढ़ी जबरन मुंडवाने का एक नकली वीडियो वायरल किया गया, जिसके चलते सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था। इस साल गणतंत्र दिवस पर लाल किले तक किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट किए गए थे। कुछ हफ्ते पहले असम में पुलिस की मौजूदगी में एक कैमरामैन द्वारा एक मृतक के शव पर कूदने के वीडियो से काफी गुस्सा फैल गया था, लेकिन वह वीडियो छिपा लिया गया था जिसमें लोग पुलिस पर हथियारों से हमला बोल रहे थे। त्रिपुरा में सांप्रदायिक तनाव को लेकर इसी तरह के वीडियो वायरल किए गए, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई।

देश में नफरत फैलाने वालों को रोकने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम को जल्द से जल्द अपडेट करने की जरूरत है। कुछ लोग अनजाने में अपनी व्यक्तिगत खुन्नस निकालने के लिए सोशल मीडिया पर गड़बड़ पोस्ट करते हैं लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो जानबूझ कर समाज को बांटने वाले, नफरत फैलाने वाले पोस्ट डालते हैं। आजकल राजनीति में भी एक दूसरे को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल होता है। कानून में बदलाव से इस तरह की हरकतों पर भी लगाम लगेगी। अगर आप किसी के बारे में सोशल मीडिया पर कुछ लिख रहे हैं, किसी पर कोई इल्ज़ाम लगा रहे हैं, कोई फोटो या वीडियो डाल रहे हैं तो फिर वह फैक्ट, तस्वीर या वीडियो सही है, उसकी गारंटी आपकी ही होगी। आपको अपनी पोस्ट को वेरिफाई करना होगा, वरना एक्शन होगा।

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