इस साल भारत के कई शहरों में रामनवमी और हिंदू नव वर्ष के त्योहारों पर निकाले गए जुलूसों पर पत्थरबाजी हुई और ऐसा लगता है कि कुछ ताकतें देश में दंगे करवा कर सांप्रदायिक उन्माद बढ़ाना चाहते हैं।
2 अप्रैल को राजस्थान के करौली में एक मुस्लिम इलाके में हिंदू नव वर्ष की शोभायात्रा पर पहले तो पत्थर बरसाए गए, फिर बाद में छुरेबाजी और आगजनी तक हुई। इसके बाद 10 अप्रैल को मध्य प्रदेश के खरगोन और गुजरात के आणंद में रामनवमी के जुलूसों पर पथराव किया गया।
बुधवार की रात मेरे प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने दिखाया कि कैसे आणंद में एक दरगाह के मौलवी ने रामनवमी की शोभायात्रा पर पत्थरबाजी की साजिश को अंजाम दिया। इसके लिए एक-एक बात की जिम्मेदारी तय की गई कि किसको पैसों का इंतजाम करना है, किसको लड़कों का इंतजाम करना है और किसको पत्थरों की व्यवस्था करनी है। गुजरात पुलिस ने इस साजिश का पर्दाफाश करते हुए 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। स्थानीय मुसलमानों को इस बारे में कुछ नहीं बताया गया ताकि साजिश का खुलासा न हो सके।
पुलिस ने जो जानकारी दी, वह चौंकाने वाली है। 10 अप्रैल को हिंदुओं ने आणंद शहर के खंभात में एक जुलूस निकाला, जिस पर पथराव किया गया और जल्द ही आगजनी होने लगी। कई दुकानें जला दी गईं। आणंद में हर साल शांतिपूर्वक रामनवमी के जुलूस निकाले जाते थे, और मुसलमान कब्रिस्तान के पास इन जुलूसों का स्वागत करते थे, लेकिन इस बार एक खतरनाक साजिश रची गई थी।
इस पूरे प्लान का मास्टरमाइंड रज्जाक हुसैन पटेल उर्फ मौलवी अयूब मलिक था। उसने रामनवमी की शोभायात्रा पर पथराव की प्लानिंग एक हफ्ते पहले कर ली थी। अधिकारियों से इजाजत लेकर खानभाट में श्री राम सेना द्वारा जुलूस निकाला गया था। पुलिस की जांच में पता चला कि मौलवी रज्जाक ने अपने 2 सहयोगियों के साथ जुलूस में हिंसा करके उसे खत्म करने की साजिश रची गई थी। गिरफ्तार लोगों ने पुलिस को बताया कि उनका मकसद हिंदुओं के मन में डर पैदा करना था ताकि भविष्य में वे जुलूस निकालने की हिम्मत न करें।
गुजरात पुलिस ने बताया कि मौलवी रज्जाक की मदद माजिद, जमशेद जोरावर खान, मुस्तकीम उर्फ मौलवी यूनुस खान, मोहम्मद सईद और मतीन अल्टी ने की थी। मतिन ने पैसों का इंतजाम किया था, जबकि जमशेद, जोरावर खान और मौलवी यूनुस खान ने जुलूस पर पथराव करने के लिए बाहर से लड़के लेकर आए। आणंद जिले के एसपी अजित राजियान ने कहा कि शोभायात्रा पर पथराव के लिए कब्रिस्तान को चुना गया ताकि पत्थर आराम इकट्ठा किए जा सकें और पथराव करने वाले आसानी से भाग सकें। वे पूरे गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़काना चाहते थे।
इंडिया टीवी के रिपोर्टर निर्णय कपूर खंभात के शकरपुर इलाके में गए और ठीक उस जगह का दौरा किया जहां 10 अप्रैल को पत्थरबाजी हुई थी। मौलवी रज्जाक हुसैन कब्रिस्तान में ही बनी एक दरगाह में रहता है। साजिश का खुलासा तब हुआ जब गुजरात पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्ते ने जमशेद जोरावर खान को गिरफ्तार किया। जमशेद ने स्वीकार किया कि हिंसा से एक दिन पहले युवाओं को भरूच और अहमदाबाद से आणंद लाया गया था। आणंद के एसपी ने कहा कि पत्थरबाजों को पैसे दिए गए और पकड़े जाने पर कानूनी मदद का वादा किया गया।
यह पहली बार था जब आणंद में रामनवमी की शोभायात्रा पर हमला किया गया था। इस शहर में हिंदू और मुसलमान शांतिपूर्वक त्योहार मनाते आए थे। इस बार मकसद दोनों समुदायों के बीच एक दरार पैदा करने का था। साजिशकर्ता उस समय अपने मकसद में कुछ हत तक कामयाब भी हुए जब शांति से शोभायात्रा निकल रहे हिंदू पत्थरबाजी शुरू होने के बाद बदहवास होकर इधर-उधर भागने लगे। कई दुकानों में आग लगा दी गई और एक शख्स की जान चली गई। यह बड़ी बात है कि गुजरात पुलिस ने 72 घंटे के भीतर पूरी साजिश का पर्दाफाश कर दिया और सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
आणंद में तो माहौल अब शांत है, लेकिन साबरकांठाके हिम्मतनगर में लोग अब भी डरे हुए है। रामनवमी के दिन हिम्मतनगर में भी साजिश के तहत हिंसा हुई थी। पुलिस अब तक 40 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। हिम्मतनगर में दंगाइयों ने वंजारा समाज के भक्तों के घरों पर जमकर पत्थरबाजी की थी और पेट्रोल बम फेंके थे। अब हालत यह है कि डर और खौफ के कारण 8 वंजारा परिवारों ने अपना घर-बार छोडकर इस इलाके से पलायन करने की तैयारी कर ली थी। हालांकि जब इसकी खबर पुलिस और प्रशासन को मिली, तो अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्होंने लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया, तब जाकर वंजारा परिवार वहां रहने पर राजी हुए।
गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने मंगलवार को साबरकांठा का दौरा किया और स्थानीय पुलिस को पीड़ित परिवारों को पूरी सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया। हमले के बारे में बताते हुए एक पीड़ित ने कहा कि उनके घरों पर जमकर पत्थर बरसाए गए और पेट्रोल बम फेंके जाने के तुरंत बाद आग लग गई। उन्होंने कहा कि उनके घर आगजनी और पथराव के बावजूद इसलिए टिके रहे क्योंकि उनकी छतों पर लोहे की चादर लगी हुई थी। पीड़ितों में से एक ने कहा कि चांद नगर से करीब 500 लोगों की भीड़ आई थी।
मध्य प्रदेश के खरगोन में भी कई हिंदू परिवार पहले ही मुस्लिम इलाकों से पलायन कर चुके हैं। रामनवमी (10 अप्रैल) के बाद से अभी भी कर्फ्यू जारी है। मध्य प्रदेश पुलिस ने कहा कि दंगाइयों ने तालाब चौक इलाके में पत्थर जमा किए थे और उनमें से कई लाठी, चाकू, तलवार और बंदूकों से लैस थे। पुलिस को कई वीडियो मिले हैं जिनमें दंगाइयों के चेहरे साफ पहचाने जा सकते हैं। फिलहाल तो वहां शांति है, लेकिन हिंदुओं और मुसलमानों के बीच अभी भी अंदर ही अंदर तनाव फैला हुआ है।
इलाके में बड़ी संख्या में सशस्त्र पुलिस तैनात की गई है और सुरक्षा बढ़ा दी गई है। लोगों का कहना है कि अभी तो पूरे इलाके बड़ी तादाद में पुलिस तैनात है इसलिए शांति है, लेकिन पुलिस के जाने के बाद उनपर फिर खतरा पैदा हो जाएगा। उनका कहना है कि 10 साल में तीसरी बार दंगा हुआ है, और हर बार हिंदू त्योहारों के वक्त माहौल को खराब करने की कोशिश होती है। 2015 में विजयदशमी के मौके पर रावण दहन करके लौट रहे हिंदुओं पर पथराव किया गया था। 2018 में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी और इस साल रामनवमी के जुलूस पर पथराव किया गया और दुकानों को जला दिया गया। मुस्लिम इलाकों में हिंदू परिवार डर के साए में जी रहे हैं। पुलिस अधिकारी उन वीडियो के सहारे पत्थरबाजों को पहचानने की कोशिश कर रहे हैं, जिन्हें हमले के दौरान अपने घरों में दुबके लोगों ने बनाया था। इन वीडियो में दंगाई न सिर्फ जुलूस बल्कि हिंदुओं के घरों पर पथराव करते दिख रहे हैं।
कुछ दंगाइयों ने घरों में घुसने के लिए गेट तोड़ने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। हिंसा के हालात खुद-ब-खुद नहीं बने थे, बल्कि इसकी प्लानिंग पहले से ही की गई थी। दंगाइयों के पास पेट्रोल बम और बंदूकें थीं। स्थानीय एसपी के भी पांव में गोली लगी थी और वह घायल हो गए थे।
घायल एसपी ने इंडिया टीवी को बताया कि जब पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे तो दंगाइयों ने कैसे पेट्रोल बम से हमला किया। पेट्रोल बमों की मौजूदगी साफतौर पर पहले से ही हिंसा के इरादे की तरफ इशारा करती है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दंगाइयों द्वारा निजी और सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान का आकलन करने और 3 महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक ट्राइब्यूनल का गठन किया है। यह ट्राइब्यूनल, जिसमें रिडायर्ड जस्टिस शिव कुमार मिश्रा और पूर्व सचिव प्रभात पाराशर शामिल हैं, दंगाइयों से हर्जाना वसूलने के उपाय भी सुझाएगा।
अब तक स्थानीय अधिकारियों ने दंगाइयों के 16 घरों और 34 दुकानों पर बुलडोजर चलाया है और 95 दंगाइयों को जेल भेजा है। जब पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्राइब्यूनल के गठन का विरोध किया, तो मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पलटवार करते हुए कहा, ‘दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के दोहरे चरित्र को उजागर किया है। एक तरफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अपने कार्यकर्ताओं से रामनवमी और हनुमान जयंती मनाने को कहा है तो दिग्विजय सिंह उन लोगों का समर्थन कर रहे हैं जिन्होंने इन त्योहारों के दौरान हिंसा का सहारा लिया। हमारी सरकार दंगाइयों के खिलाफ कड़े कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी।’
इस बीच भोपाल के शहर काज़ी ने इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए एक नया सुझाव दिया है। शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी ने सभी मस्जिदों के मौलानाओं से कहा है कि वे अपने यहां सीसीटीवी लगाएं, जिससे पता चले कि गड़बड़ी किन लोगों ने की। उन्होंने ये बातें खरगोन हिंसा और उसके बाद हो रहे एक्शन को लेकर मध्य प्रदेश के डीजीपी से मुलाकात के बाद कीं। नदवी ने कहा कि अगर मस्जिदों के बाहर CCTV लगा होगा, तो गड़बड़ी कौन कर रहा है इसकी हकीकत पता लग जाएगी,वरना इसी तरह मुसलमानों के घर पर बुलडोजर चलते रहेंगे।
रामनवमी के दिन साजिश के तहत खरगोन में हिंसा हुई, और साजिश के सबूत भी मिल गए। वीडियो फुटेज से आरोपियों की पहचान हुई, और सबूत मिलने के बाद आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चले तो अब यह फैलाया जा रहा है कि सरकार जानबूझकर मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चला रही है। ये गलत है, और जो लोग इस तरह की बातें फैला रहे हैं, वे मुसलमानों के दुश्मन हैं। खरगोन के एसपी के पैर में गोली लगी है, पुलिस वाले घायल हैं। दुकानों और गाड़ियों को जला दिया गया और ये सब एक पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा था। इसके बाद भी अगर सरकार की सख्त कार्रवाई पर सियासत हो तो यह दुख की बात है।
गुजरात और मध्य प्रदेश में दंगाई कम से कम गिरफ्तार तो किए गए, लेकिन राजस्थान के करौली में मुख्य साजिशकर्ता मतलूब अहमद अभी भी फरार है और उसे पकड़ा जाना बाकी है। 2 अप्रैल को करौली में हिंदू नव वर्ष की रैली के दौरान पथराव, आगजनी और हिंसा हुई थी। दंगाइयों की पहचान कर ली गई है, लेकिन मुख्य साजिशकर्ता अभी भी फरार है।
करौली अब कांग्रेस, बीजेपी और अन्य राजनीतिक दलों के लिए सियासी जंग का मैदान बन गया है। बुधवार को राजस्थान पुलिस ने बीजेपी की यूथ विंग के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पुनिया को करौली जाने से रोक दिया। पार्टी ने शहर में ‘न्याय यात्रा’ निकालने की योजना बनाई थी, लेकिन राज्य सरकार ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। करौली से करीब 30 किलोमीटर दूर हिंडन में बीजेपी कार्यकर्ताओं को रोका गया। बीजेपी नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, लेकिन जल्द ही उन्हें रिहा कर दिया गया।
बीजेपी के युवा नेता तेजस्वी सूर्या ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तीखा हमला करते हुए कहा, ‘क्या अब करौली पाकिस्तान में है? क्या हमें करौली जाने के लिए वीजा लेना पड़ेगा?’ राज्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा, ‘करौली जाने की इजाजत देने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन बीजेपी के इस जुलूस का मकसद और ज्यादा तनाव पैदा करना था। करौली में अब शांति है और बीजेपी को इसी बात का दुख है। यही वजह है कि बीजेपी के नेता न्याय यात्रा नहीं बल्कि दंगा यात्रा निकालने के लिए करौली जाना चाहते थे।’
करौली हिंसा के मामले में राजस्थान पुलिस ने अब तक 23 लोगों को गिरफ्तार किया है लेकिन हिंसा का मुख्य आरोपी और स्थानीय पार्षद मतलूब अहमद अब तक फरार है। वहां रह रहे 7 हिंदू परिवारों ने मुस्लिम इलाके को छोड़ दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा, कांग्रेस सरकार जुलूसों को रोकने के लिए धारा 144 लागू करती है, लेकिन साथ ही रमजान के दौरान मुस्लिम इलाकों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति का आदेश देती है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ‘मुसलमानों को खुश करने के लिए हिंदुओं के खिलाफ काम कर रही है।’ AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, गहलोत सरकार करौली में हिंसा को रोक सकती थी, लेकिन अब उसे कम से कम पीड़ितों को मुआवजा और दंगाइयों को सजा देनी चाहिए। ओवैसी को भी बुधवार को करौली जाने से रोक दिया गया था।
भारत में ज्यादातर हिंदू और मुसलमान शांति से रहना चाहते हैं। कोई नहीं चाहता कि दंगा-फसाद हो, खून-खराबा हो, लेकिन दोनों जगह थोड़े-बहुत ऐसे तत्व हैं जो नफरत फैलाते हैं, भावनाओं को भड़काते हैं, लोगों को लड़ाते हैं। गुजरात में, मध्य प्रदेश में, राजस्थान में रामनवमी के दिन ऐसे ही लोगों के कारनामों का एक सिलसिला दिखाई दिया। यह सिर्फ एक संयोग नहीं है कि उसी दौरान पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स ने सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया कि भारत में मुसलमानों पर जुल्म हो रहा है, जबकि इसका जमीनी हकीकत से कुछ लेना-देना नहीं है।
अमेरिका में हिजाब पहन कर खुद को इस्लाम की योद्धा के रूप में पेश करने वाली महिला सीनेटर इल्हान उमर ने प्रधान मंत्री मोदी की तुलना चिली के तानाशाह ऑगस्टो पिनोशे से करने की कोशिश की। उन्होंने यह तब किया, जब भारत के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री वॉशिंगटन में थे और शीर्ष स्तर के 2+2 संवाद में व्यस्त थे। सोशल मीडिया पर भारत विरोधी रिऐक्शन का ही असर था कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत में ‘मानवाधिकारों के हनन’ पर टिप्पणी की। भारत में लोगों को इन सारी बातों पर गौर करना चाहिए और साजिश करने वालों के इरादों को नाकाम करना चाहिए। हम सब मिलकर ये तय करें कि हिंदू और मुसलमान शांति से रहेंगे।