Rajat Sharma

हमास की दरिंदगी पर कौन खामोश हैं ? क्यों ?

AKBगाजा में हमास के खिलाफ इजरायल के हमले जारी है और लाखों लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भागने की कोशिश कर रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन बुधवार को इज़रायल और जॉर्डन जाएंगे और इज़रायल, जॉर्डन, मिस्र और फलस्तीन के नेताओं से मुलाकात करेंगे. उधर ईरान के विदेश मंत्री ने धमकी दी है कि अगर इजरायल ने गाज़ा पर हमला नहीं रोका, तो इज़रायल के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है. अब हमास-इज़रायल जंग पूरे क्षेत्र में फैलने की आशंका पैदा हो गई है. इजराइली फौज की तरफ से नार्थ गाजा के इलाकों को खाली करने की डैडलाइन खत्म हो गई है. हमास और इजराइली फौज के बीच चल रहे युद्ध के बीच गाजा के आम लोगों फंस गए हैं. मिस्र अपनी सीमा खोलने को तैयार नहीं हैं. हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि जल्दी ही राफा बॉर्डर खुल जाएगा और गाजा के लोग मिस्र जा सकेंगे. लेकिन इजराइल इतनी आसानी से गाजा के लोगों को मिस्र जाने की इजाजत देने को तैयार नहीं हैं क्योंकि उसे शक है कि आम लोगों के बीच हमास के आंतकवादी भी मिस्र भाग सकते हैं. इसवक्त गाजा में लाखों लोगों के पास पीने का पानी नहीं है, खाना नहीं है. इजराइल की कार्रवाई को इस्लामिक देश अमानवीय बता रहे हैं. लेकिन इजराइल ने साफ कह दिया है कि जब तक हमास के सभी आतंकवादियों को खत्म नहीं कर देगा तब तक हमले नहीं रूकेंगे. इजराइल ने कहा है कि अब भी इजरायल समेत 41 देशों के 199 नागरिक हमास के कब्जे में हैं. इस बीच लेबनान की तरफ से आंतकवादी संगठन हिजबुल्लाह ने भी इजराइल पर रॉकेट से हमले से शुरू कर दिए हैं. इससे स्थिति और खराब हुई है. अमेरिका, भारत और यूरोपीय संघ पूरी तरह से इजराइल के साथ खड़े हैं लेकिन ईरान, सीरिया, तुर्किए, लेबनान और रूस के अलावा चीन ने भी हमास का समर्थन किया है. चीन ने गाजा में इजराइल के एक्शन को गलत बताया है. दुनिया दो भागों में बट रही है जबकि गाजा और इजराइल में लोगों की मौत का सिलसिला जारी है. इजराइल के हमलों में गाजा में अब तक 2700 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि दस हजार से ज्यादा लोग घायल हैं. इजराइल का दावा है कि हमास के हमलों में 1400 से ज्यादा इजराइली लोगों की जान गई, ढाई हजार से ज्यादा घायल हैं. मरने वालों में 297 इजराइली सैनिक भी शामिल हैं. चूंकि दुनिया इजराइल की कार्रवाई पर सवाल उठा रही है इसलिए इजराइल ने हमास के हमलों के कुछ वीडियो फुटेज जारी किए. ये दिखाने की कोशिश की कि हमास के आतंकवादियों ने किस तरह की हैवानियत की थी, छोटे छोटे बच्चों को घर में घुसकर प्वाइंट ब्लैंक रेंज से गोली मारी, जिंदा जला दिया. अब सवाल ये है कि गाजा के आम लोगों का इसमें क्या कसूर? क्या हमास की दारिंदगी का बदला गाजा के आम लोगों के खून से चुकाया जाएगा? इजराइल का बदला कैसे पूरा होगा? ये कौन तय करेगा कि हमास के आतंकवादी खत्म हो गए? ये कैसे तय होगा कि इजराइल की जीत हो गई? क्योंकि बेंजामिन नेतान्याहू कह रहे हैं कि जब तक जीत नहीं जाते तब तक हमले नहीं रूकेंगे. हमास के आतंकवादियों ने जब इजरायल के मासूम नागरिकों पर बेरहमी से हमला किया तो वो हथियारों के साथ-साथ कैमरों से भी लैस थे, अपनी वहशियाना हरकतों को कैमरे में कैद कर रहे थे. आज जब इसके सबूत सामने आए तो साफ हो गया कि इरादा सिर्फ मारकाट मचाना नहीं था, इरादा सिर्फ इजरायल को नुकसान पहुंचाने का नहीं था, इरादा तो ये था कि ये हैवानियत दुनिया को दिखाया जाए, इरादा इजरायल के आत्म सम्मान पर चोट पहुंचाना भी था. इसलिए अब इजरायल दुनिया को हमास के जुल्मों की तस्वीरें दिखाकर पूछ रहा है कि इस पर दुनिया के इस्लामिक देश खामोश क्यों हैं? जो आज इजरायल से जंग रोकने के लिए कह रहे हैं उन्होंने हमास की अमानवीय कार्रवाई की निंदा क्यों नहीं की? अगर कैमरों पर सबूत न होते तो कुछ लोग शायद ये कह देते कि इजरायल की फौज और मोसाद ने खुद ही अपने लोगों को मरवाया ताकि उन्हें हमास पर हमला करने का बहाना मिल सके. लेकिन इस बात के पुख्ता सबूत हैं और दावे भी कि हमास के आतंकवादियों ने मासूम और बेकसूर लोगों के साथ वहशियाना तरीके से जुल्म किया, हत्या की और आज भी अगवा किए गए लोगों को इंसानी ढाल बनाकर अपने आप को बचाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले इन हरकतों को नजरअंदाज करने में लगे हैं. दुनिया के कई मुल्कों में प्रदर्शन हुए हैं, लोग इजरायल पर दबाव बनाना चाहते हैं ताकि वो गाजा पर किए जा रहे हमलों को रोके. पर इजरायल ने साफ कर दिया कि वो हमास को खत्म करके ही दम लेगा. इजराइल के कड़े रूख को देखते हुए अब हमारे देश में भी फलिस्तीन और हमास के समज्ञर्थन में मुश्लिम संगठनों और मुस्लिम नेताओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं. सोमवार को दिल्ली और मुंबई में प्रदर्शन हुए, दिल्ली में जंतर-मंतर पर वाम दलों से जुड़े संगठनों ने प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में AISA, कई वामपंथी स्टूडेंट यूनियन., JNU और जामिया के छात्र और दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुछ प्रोफेसर शामिल हुए. असदुद्दीन ओवैसी खुलकर इजराइल का विरोध कर रहे हैं. इजराइल का समर्थन करने के भारत सरकार के फैसले को गलत बता रहे हैं. ओवैसी ने कहा कि महात्मा गांधी ने फिलस्तीन का समर्थन किया था, आजादी के बाद से 2014 तक की सभी सरकारों ने इजराइल का विरोध किया. अब भारत सरकार ने यूटर्न ले लिया है, ये ठीक नहीं है. इजरायल ने तो बताया है कि उसने हमास के खिलाफ इतना सख्त एक्शन क्यों लिया पर हमारे देश में इजरायल पर सवाल उठाने वालों ने ये नहीं बताया कि उन्होंने हमास के जुल्म को नजरअंदाज क्यों किया. इन लोगों ने इस बात को भी नजरअंदाज किया कि हमास के दहशतगर्दों ने महिलाओं के कपड़े उतारकर उन पर जुल्म करके, उनकी नुमाइश करते वक्त कैमरों के सामने अल्लाहु अकबर के नारे लगाए. नोट करने की बात ये भी है कि साउदी अरब और यूनिइटेड अरब अमीरत के मुल्कों में कोई प्रोटेस्ट के लिए सड़कों पर नहीं उतरा लेकिन हमारे देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जिनके बारे में कुछ लोग कह रहे हैं – बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना.

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