Rajat Sharma

राजस्थान में हजारों गायों की मौत का जिम्मेदार कौन ?

AKBराजस्थान के कई जिलों में लंपी (LSD) बीमारी से हजारों गायों की मौत हो चुकी है। तमाम जिलों में बड़ी तादाद में गायें मरी पड़ी हैं। इन शवों से उठ रही बदबू आसपास के इलाकों में फैल रही है जिससे लोगों का जीना मुहाल हो गया है। इन इलाकों में दो मिनट खड़े रहना भी मुश्किल है। बदबू के चलते लोगों को उल्टी आ रही है। चील-कौवे इन शवों के आसपास मंडरा रहे हैं। ड्रोन कैमरे से ली गई तस्वीरें में कई वर्ग किलोमीटर के इलाके में मरी हुई गायें बिखरी पड़ी दिखाई दे रही हैं। कई जगह तो हालात ऐसे हैं कि मरी हुई गायों को गिनना मुश्किल है।

राजस्थान के कई जिलों में आम लोगों का दावा है कि उनके इलाके में 50 हजार से ज्यादा गायें लंपी वायरस का शिकार बन चुकी हैं। लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि पूरे राजस्थान में लंपी वायरस से कुल 45 हजार गायों की मौत हुई है और करीब 11 लाख मवेशी प्रभावित हुए हैं।

शुक्रवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने जोधपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर, बाड़मेर, जालोर, गंगानगर, नागौर, जैसलमेर, करौली, दौसा, भरतपुर, अजमेर, बूंदी और कोटा की ग्राउंड रिपोर्ट दिखाई। जिस गाय को हिंदू शास्त्रों में मां का दर्जा दिया गया है और जिसकी देख-रेख के तमाम दावे सरकार करती है, उस गाय की दुर्दशा देखकर आपको दुख होगा। लंपी वायरस ने राजस्थान में विकराल रूप ले लिया है। गायों की मौत इतनी बड़ी संख्या में हुई है कि कई जिलों में दूध के दाम 10 से लेकर 20 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गए हैं।

अपने शो में हमने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के होम डिस्ट्रिक्ट जोधपुर का दृश्य दिखाया। यहां सड़कों पर गायों की लाशें सड़ रही हैं। सैकड़ों की संख्या में गायें मरी पड़ी हैं। मरी हुई गायों की संख्या इतनी ज्यादा है कि आवारा कुत्ते, चील-कौवे भी इन्हें खत्म नहीं कर पा रहे हैं। सड़ रहे शवों की बदबू अब जोधपुर शहर तक पहुंचने लगी है। इन शवों के निस्तारण का कोई सरकारी इंतजाम नहीं है।

हमारे रिपोर्टर मनीष भट्टाचार्य ने जोधपुर का दौरा किया। उन्होंने बताया कि अकेले जोधपुर में लंपी बीमारी से 3,800 से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है। हर तरफ गायों के शव बिखरे होने के चलते लोगों का सड़कों पर चलना दुश्वार है। लोग सड़कों पर चलने से परहेज कर रहे हैं। इन सड़कों पर आते जाते कम ही लोग मिलते हैं। एक शख्स ने दावा किया कि मरी हुई गायें आम लोगों ने नहीं फेंकी हैं बल्कि इन गायें को नगर निगम के लोगों ने सड़कों पर फेंक दिया है।

लंपी (LSD) वायरस जानवरों के लिए बहुत ही खतरनाक है। इस वायरस के चपेट में आने से गायों की मौत बहुत ही भयानक होती है। पहले गायों को बुखार होता है, भूख कम हो जाती है और इसके बाद फेफड़ों में इन्फेक्शन होता है और एक हफ्ते के बाद शरीर पर छोटी-छोटी गांठें बन जाती हैं। गायों की नाक से सैलाइवा टपकने लगता है। इसके बाद शरीर पर बनी गांठे बड़ी होती जाती हैं। यह रोग मच्छरों, मक्खियों, ततैयों और मवेशियों के सीधे संपर्क से और दूषित भोजन और पानी से भी फैलता है। इस बीमारी के चलते कुछ समय के बाद जानवर की मौत हो जाती है।

जोधपुर में दूध की भारी किल्लत है और उत्पादन 50 प्रतिशत तक गिर गया है। उत्पादन कम होने से दूध की कीमतें बढ़ गई हैं। लेकिन सबसे ज्यादा मुसीबत में गाय पालने वाले किसान हैं। यहां कोई सरकारी मदद नहीं मिल रही। वेटरिनरी डॉक्टर्स का इंतजाम नहीं है, दवाओं का अता-पता नहीं है। इसलिए गाय पालने वाले किसान खुद ही किसी तरह गायों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अब तक तो किसानों की कोशिशें कामयाब नहीं हुई हैं और गायों के मरने का सिलसिला जारी है। एक स्थानीय डेयरी मालिक ने कहा-इस महामारी के चलते दूध का उत्पादन लगभग आधा रह गया है।

राजस्थान सरकार ने दावा किया है कि पशुओं के वैक्सीनेशन के लिए 30 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और अबतक साढ़े 6 लाख से ज्यादा पशुओं को वैक्सीन लगाई जा चुकी है, लेकिन जमीनी हालात इन दावों को झुठलाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि मवेशियों पर वायरस का हमला होने से पहले वैक्सीनेशन की जरूरत होती है, लेकिन अगर वायरस पहले ही फैल चुका और उसके बाद वैक्सीनेशन हो तो यह प्रभावी नहीं हो पाता है।

इंडिया टीवी के रिपोर्टर मनीष भट्टाचार्य ने अपनी गाड़ी से एक बड़े इलाके में बिखरे शवों की तस्वीरों ली। ये शव करीब 1 से 1.5 किलोमीटर लंबे इलाके में फैले हुए थे। जोधपुर, बीकानेर, बाड़मेर, जालौर और गंगानगर के किसानों ने सरकार की ओर से कोई मदद न मिलने पर कुछ गैर सरकारी संगठनों की मदद से अपने मवेशियों को बचाने का अभियान शुरू कर दिया है। वे इसके लिए दवा के साथ-साथ पशुशाला में कीटनाशक का छिड़काव कर रहे हैं।

राजस्थान के 33 में से 31 जिले लंपी वायरस की चपेट में हैं। बीकानेर में सरकार ने दावा किया कि केवल 2600 गायों की मौत हुई है लेकिन तस्वीरें हकीकत बयां कर रही हैं। यहां दूर-दूर तक मरी हुई गायें ही दिख रही हैं। बीकानेर के बाहर जोड़बीड़ नाम की एक जगह गायों की लाशों का अंबार लगा है। जहां तक नज़र जाती है, गायों के शव ही नज़र आते हैं। यह इलाका शहर से दूर है लेकिन मरी हुई गायों की बदबू अब शहर वालों को परेशान कर रही है। बीकानेर की मेयर हालात देखने जोड़बीड़ पहुंचीं तो वह भी वहां पांच मिनट से ज्यादा खड़ी नहीं रह पाईं। मेयर ने कहा कि बीकानेर में लंपी वायरस से दस हज़ार से ज़्यादा जानवर मर चुके हैं और प्रशासन लीपा-पोती में जुटा है। वहीं बीकानेर नगर निगम के कमिश्नर गोपाल राम बिरदा ने मेयर के बयान पर विरोध जताया और दावा किया कि जोड़बीड़ इलाक़े में तो वर्षों से मरे जानवर फेंके जाते रहे हैं। उन्होंने तो यहां तक दावा किया कि इस इलाके में जो मरी हुई गायें दिख रही हैं वो लंपी वायरस से नहीं मरीं।

बीकानेर के जिलाधिकारी भगवती प्रसाद कलाल ने गायों के शवों को लेकर एक अलग तर्क दिया। उन्होंने दावा किया-‘जोड़बीड़ मैदान में हजारों मरे हुए मवेशियों की तस्वीरें भ्रामक हैं। यह मरे हुए पशुओं का निस्तारण करने के लिए एक तय की हुई जगह है। शहर में मरे जानवरों के शवों को यहां लाया जाता है। उनके चमड़े को निकाल दिया जाता और बाकी हिस्सों को सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। बाद में ठेकेदार बचे हुए कंकाल को बाजार में बेचता है। जानवरों के करीब 1,000 शव तो यहां अक्सर पाए जाते हैं।’ हालांकि उन्होंने यह माना कि बीकानेर में लंबी के कारण 2,600 से ज्यादा पशुओं की मौत हुई है।

ये बात सही है कि जोड़बीड़ में गिद्धों का सबसे बड़ा कंज़र्वेशन सेंटर है और यहां गिद्धों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है लेकिन यह बात गलत है कि बीकेनेर में इतनी बड़ी संख्या में गायों की स्वभाविक मौत हुई है। अगर ऐसा होता तो इस इलाके की पहले भी इस तरह की तस्वीरें आतीं।

वैसे हालात भीलवाड़ा में भी खराब हैं। यहां लंपी रोग से ग्रसत गायों के लिए अलग क्वारंटीन सेंटर बनाए जा रहे हैं। यहां एक क्वारंटीन सेंटर में 60 गायों को रखा गया है। इस क्वारंटीन सेंटर में वक्त पर इलाज मिलने से 13 गायें स्वस्थ हो चुकी हैं। भीलवाड़ा नगर परिषद की कमिश्नर दुर्गा कुमारी ने बताया कि बीमार गाय को लाकर पहले अलग रखा जाता है। उसका ट्रीटमेंट किया जाता है। क्वारंटीन सेंटर में उसके खाने-पीने का भी पूरा इंतजाम किया जाता है ताकि वो जल्दी से ठीक हो सके।

राजस्थान के पश्चिमी इलाके में लंपी वायरस का असर बहुत ज्यादा है जबकि पूर्वी राजस्थान में कम है। सवाल ये है कि बीमारी अचानक तो फैली नहीं। इसकी खबरें तो डेढ़ महीने से आ रही थी। राजस्थान सरकार ने वक्त रहते कदम क्यों नहीं उठाए ? मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी कई पूर्व मंत्रियों द्वारा वायरस फैलने के बारे में बताया गया था। करीब दो हफ्ते पहले लंपी वायरस से निपटने की रणनीति के लिए एक वर्चुअल मीटिंग हो रही थी। इस बैठक में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और गहलोत सरकार में मंत्री रहे रघु शर्मा अपनी ही सरकार के कृषि और पशुपालन मंत्री लाल चंद कटारिया से भिड़ गए थे। रघु शर्मा ने कहा था कि अफसर हालात की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं। उनके इलाके में लंपी वायरस तेजी से फैल रहा है और वेटरिनरी डॉक्टर्स का ट्रांसफर दूसरे इलाकों में कर दिया गया है, ये ठीक नहीं है। शुक्रवार को बीजेपी नेताओं ने राज्यपाल से मुलाक़ात की और कहा कि वो मुख्यमंत्री गहलोत को कहें कि इस बीमारी की गंभीरता समझें और इससे निपटने के लिए सभी ज़रूरी उपाय करें।

इस केस में यह तो साफ दिख रहा है कि राजस्थान सरकार लंपी वायरस से मरने वाली गायों की संख्या को बहुत कम करके बता रही है। दूसरी बात यह सही है कि अब राजस्थान सरकार थोड़ी एक्टिव हुई है। क्वारंटीन सेंटर बने हैं और वैक्सीनेशन भी शुरू हुआ है। लेकिन यह काम बहुत पहले होना चाहिए था। अब बहुत देर हो गई है। अशोक गहलोत अनुभवी मुख्यमंत्री हैं और मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि वे हालात का अंदाजा लगाने में फेल कैसे हो गए? अब राजस्थान में गायों की मौत से किसानों का नुकसान हो रहा है। दूध की कमी हो रही है और यह मंहगा भी हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि हालात जल्दी काबू में आएंगे इसकी उम्मीद कम है।

ऐसा नहीं कि ये बीमारी सिर्फ राजस्थान में फैली है। देश के 12 राज्यों में लंपी वायरस के मामले सामने आए हैं। यूपी में भी यह वायरस पहुंच चुका है। राज्य के 75 जिलों में से 23 जिलों में यह वायरस फैल चुका है। चूंकि योगी सरकार ने तीन हफ्ते पहले ही इसकी तैयारी शुरू कर दी थी इसलिए हालात नियंत्रण में हैं। अब तक, लगभग 12 लाख गायें और अन्य जानवर प्रभावित हुए हैं, लेकिन केवल 220 मौतें हुई हैं। इलाज के बाद करीब 10 हजार गायें ठीक हो गईं। यूपी सरकार ने बड़े पैमाने पर पशुओं का वैक्सीनेशन शुरू किया है। अब तक करीब 9 लाख वैक्सीन दी जा चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीलीभीत से इटावा जिले तक 300 किमी लंबा और 10 किमी चौड़ा क्वारंटाइन कॉरिडोर बनाने का फैसला किया है। यह पांच जिलों से होकर गुजरेगा।

असल में अब तक लंपी वायरस का असर हरियाणा और राजस्थान से लगे पश्चिमी यूपी के जिलों में ही है। सरकार चाहती है कि वायरस को इसी इलाके में रोक दिया जाए। इसलिए क्वारंटाइन जोन बनाए जा रहे हैं।

अगर सरकार प्रोएक्टिव हो तो बड़ी से बड़ी मुसीबत का मुकाबला किया जा सकता है। जब राजस्थान में लंपी वायरस के मामले आने शुरू हुए थे उसी वक्त योगी आदित्यनाथ ने लंपी वायरस को रोकने के उपाय करने शुरू कर दिए थे। सबसे पहले जो पशु बाजार लगते थे उन पर पाबंदी लगाई। फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में बड़े पैमाने पर गायों का वैक्सीनेशन शुरू किया। अब तीन सौ किलोमीटर का कॉरीडोर बनाने का फैसला लिया गया है, जिससे वायरस को आगे बढ़ने से रोका जा सके। योगी ने यही रणनीति कोरोना के दौरान अपनाई थी और कोरोना को काबू किया था। उनकी दुनिया भर में तारीफ हुई। अब योगी ने एक बार फिर लंपी वायरस से मुकाबला करने के मामले में दूसरों राज्यों को रास्ता दिखाया है। दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को योगी से सीखना चाहिए।

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