Rajat Sharma

आफताब पर हमला गलत : पुलिस को जांच करने दें, अदालत दोषी को सज़ा देगी

AKb (1)दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को श्रद्धा के कथित हत्यारे आफताब पूनावाला का नार्को-एनालिसिस टेस्ट कराने की इजाज़त पुलिस को दे दी। 1 और 5 दिसंबर को आफताब का नार्को-एनालिसिस टेस्ट फॉरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) के अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। 1 दिसंबर को अंबेडकर अस्पताल में आफताब का प्रि-मेडिकल टेस्ट होगा और फिर 5 दिसंबर को उसका नार्को-एनालिसिस टेस्ट होगा।

श्रद्धा हत्याकांड की जांच शुरू हुए 20 दिन बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस को अभी तक इस जघन्य हत्याकांड से जुड़े कुछ अहम सबूत हाथ नहीं लगे हैं। जांच कर रही टीम को नार्को टेस्ट के बाद नए सुराग मिलने की उम्मीद है। श्रद्धा के शरीर के बाकी हिस्से और उसका सैलफोन, कुछ ऐसे अहम सबूत हैं जिन्हें अभी बरामद किया जाना बाकी है।

अभी तक श्रद्धा के शरीर के सिर्फ 13 टुकड़े बरामद हुए हैं। महरौली के जगंल से जबड़ा बरामद हुआ है। जिस फ्लैट में श्रद्धा और आफताब रहते थे, उसके वॉशरूम, किचन और बेडरूम से खून के कुछ धब्बे मिले हैं। चूंकि इस बर्बर हत्या के छह महीने बाद जांच शुरू हुई इसलिए पुलिस को सबूत जुटाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। हत्या की तारीख, समय और जगह के बारे में जांच टीम को आफताब के बयान पर निर्भर रहना पड़ रहा है। इस हत्या के पीछे के मकसद का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन आफताब ने दावा किया कि जब उसे ऐसा लगा कि श्रद्धा उसे छोड़ सकती है, तब उसने गुस्से में आकर उसका गला घोंट दिया।

इस बीच, सोमवार की शाम रोहिणी के फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री परिसर में खूब ड्रामा हुआ। खुद को हिंदू सेना के सदस्य बताने वाले कुछ लोग हाथों में तलवार लेकर पहुंचे और पुलिस वैन के अंदर बैठे आफताब पर हमला करने की कोशिश की। लेकिन पुलिस की मुस्तैदी के कारण उनकी कोशिश नाकाम हो गई। इन हमलावरों को रोकने के लिए पुलिसवालों को राइफल ताननी पड़ी । जिस वक्त हमला हुआ, उस वक्त आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट पूरा होने के बाद पुलिस उसे वैन से वापस जेल ले जा रही थी।

कार में आए लोगों ने पुलिस वैन का रास्ता रोक लिया। हमलावर नंगी तलवारें लेकर, हथौड़े और लाठियां लेकर काफी दूर तक पुलिस वैन के पीछे दौड़ते रहे। इन लोगों ने वैन के अंदर बैठे आफताब पर हमला करने की कोशिश की। इनको रोकने के लिए एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर को हवा में अपनी सर्विस रिवाल्वर दिखा कर गोली चलाने की धमकी देनी पड़ी। पुलिस वैन में मौजूद में एक पुलिसवाले ने दरवाजा खोला और राइफल दिखाकर इन हमलावरों को डराया।

वैन तेजी से आफताब को लेकर वहां से निकल गई। पुलिस ने दो हमलावरों को हिरासत में ले लिया। एक का नाम निगम गुर्जर है जो ट्रक ड्राइवर है जबकि दूसरे का नाम कुलदीप ठाकुर है और वह कार सेल्स एजेंट है। दोनों गुरुग्राम के रहनेवाले हैं। इस हाई वोल्टेज ड्रामे को एफएसएल लैब के बाहर खड़े मीडियाकर्मियों ने कैमरे में कैद कर लिया।

हमलावरों का दावा है कि वे हिंदू सेना से जुड़े हैं। एक हमलावर चिल्ला रहा था, ‘इसने हमारी बेटी के 35 टुकड़े किए हैं, हम इसके 75 टुकड़े कर देंगे।’ हमलावरों ने कहा कि अगर आफताब पुलिस के साथ पैदल सड़क पर निकला होता तो वे अपनी गाड़ियां उस पर चढ़ा देते। हमलावरों ने हताशा में एफएसएल परिसर के बाहर ट्रैफिक जाम में फंसी पुलिस वैन पर अपनी तलवारों से हमला कर दिया।

वहीं मौके पर मौजूद रिपोर्टर्स ने कई बार कहा कि ‘पुलिस अपना काम कर रही है, आप कानून हाथ में न लें’, लेकिन तलवारें लिए हुए हमलावर चिल्लाते रहे कि वे आफताब को सज़ा देने आए हैं। इनमें से एक कह रहा था-‘ मैं भी 2 बेटियों का बाप हूं। हम आफताब को छोड़ेंगे नहीं।’ साफ लगा कि ये लोग पूरी प्लानिंग के साथ आए थे और अगर पुलिस मुस्तैद न होती तो एक बहुत बड़ा हादसा हो सकता था। वैन के अंदर दिल्ली पुलिस की तीसरी आर्म्ड बटालियन के पांच पुलिसकर्मी आफताब के साथ बैठे थे। इन पुलिसकर्मियों का नेतृत्व सामने बैठा एक सब-इंस्पेक्टर कर रहा था।

इसमें कोई शक नहीं कि आफताब ने एक जघन्य अपराध किया है। जिस तरह से उसने एक बेकसूर लड़की के 35 टुकड़े कर दिए, उसने लोगों का दिल दहला दिया। लेकिन उस पर हमला करना और कानून को अपने हाथ में लेना बिल्कुल गलत है। आफताब को सज़ा देने का काम अदालत करेगी।

आफताब के खिलाफ सबूत जुटाने का काम पुलिस का है। हमने देखा कि पुलिस, हत्यारे आफताब के खिलाफ पुख्ता केस तैयार करने के लिए कितनी मेहनत कर रही है। जंगलों में भटककर 6 महीने पहले फेंके गए लाश के टुकड़े इकट्ठा करना आसान काम नहीं है। पानी से भरा तालाब खाली कराकर वहां श्रद्धा के सिर के अवशेष ढूंढना आसान काम नहीं है। शातिर हत्यारे आफताब से सच उगलवाना आसान काम नहीं है इसीलिए पुलिस, पॉलिग्राफ टेस्ट का सहारा ले रही है, इसके बाद नार्को टेस्ट करवाया जाएगा क्योंकि इस केस में अपराध को साबित करना पुलिस के लिए एक बड़ा चैलेंज है।

हत्या 6 महीने पहले हुई, हत्यारे ने बड़ी चालाकी से सारे सबूत मिटा दिए। लाश के 35 टुकड़े करके जंगलों में फेंक दिए। श्रद्धा का मोबाइल फोन पानी में फेंक दिया। जिस घर में श्रद्धा की हत्या की थी उसे केमिकल से साफ कर दिया। इसलिए इस बात को समझने की जरूरत है कि पुलिस को इस मामले में कितनी सूझ-बूझ से काम लेना पड़ रहा है। इसलिए आफताब को तलवारों से हमले कर सज़ा देने की कोशिश करने की हरकत करना शर्मनाक और नागवार है। पुलिस को अब उन लोगों के खिलाफ भी एक्शन लेना चाहिए जिन्होंने पुलिस वैन पर हमला किया। ये लोग इतना भी नहीं समझते कि आज के ज़माने में अपराधी कितनी चालाकी से काम करते हैं। ना जाने कहां-कहां से हत्या करने के तरीके ढूंढते हैं और फिर सबूत मिटाने के लिए कैसे-कैसे तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।

इसी तरह एक खौफनाक हत्या पूर्वी दिल्ली के पांडवनगर के पास त्रिलोकपुरी में हुई। बिहार के रहनेवाले एक 52 साल के शख्स अंजन दास को उसकी पत्नी और बेटे ने शराब में नींद की गोली मिला कर दे दिया, और बाद में गला रेतकर हत्या कर दी। अगले दिन उसके शरीर के 22 से ज्यादा टुकड़े किए और फ्रिज में रख दिया। फिर मां-बेटे ने मिलकर शरीर के इन टुकड़ों को कई जगहों पर फेंक दिया ।

श्रद्धा की हत्या के ठीक 12 दिन बाद जून में यह जघन्य हत्या हुई थी। पुलिस ने महिला पूनम (48) और उसके बेटे दीपक (25) को गिरफ्तार कर लिया है। महिला ने आरोप लगाया कि उसका पति उसकी बेटी और बहू पर बुरी नजर रखता था। तभी उसने बेटे दीपक के साथ मिलकर उसे मारने का फैसला किया। स्पेशल पुलिस कमिश्नर (क्राइम ब्रांच) रवींद्र यादव ने कहा, पांच जून से तकरीबन पांच दिन तक रामलीला मैदान से मानव अंग मिले थे और तकनीकी विश्लेषण के जरिए शव की पहचान की गई ।

इस केस में भी हत्या के बाद शव के टुकड़े-टुकड़े करने का पैटर्न बिल्कुल श्रद्धा हत्याकांड की तरह था। अब सवाल है कि ऐसे दिल दहलाने वाले आइडिया आजकल कहां से मिल रहे हैं?

माना जा रहा है कि आफताब को यह आइडिया एक अमेरिकन वेब सीरीज़ क्राइम थ्रिलर देखकर आया था। यह एक ख़तरनाक ट्रेंड है। आजकल लोगों के मोबाइल फोन तक में वेब सीरीज़ से लेकर तमाम फिल्में और वीडियो देखने की सुविधा है। एक क्लिक में तमाम सूचनाएं मिल जाती है। लेकिन आसानी से सूचना मिलने की इस सुविधा का इस्तेमाल अपराध में न हो, और इस पर नियंत्रण हो सके, यह किसी चुनौती से कम नहीं है।

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