अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर तभी बात आगे बढ़ेगी, जब टैरिफ का मामला सुलझेगा. 27 अगस्त से अमेरिका को निर्यात की जाने वाली भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगेगा.
इधर अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर कई हलचलें हुई. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्रंप को दो टूक जवाब दे दिया और कहा भारत किसी भी कीमत पर देश के हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा, किसानों का हित सर्वोपरि है. मोदी ने ट्रंप को दूसरा झटका ये एलान करके दिया कि थोड़े दिन बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन भारत आएंगे. गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने मास्को में पुतिन से मुलाकात की. अजित डोवल ने कहा कि पुतिन का भारत दौरा तय हो गया है और तारीखें भी तय हो गई है.
तीसरी खबर ये है कि अब ये भी तय हो गया है कि चीन में शी जिनपिंग, पुतिन और नरेन्द्र मोदी की बैठक होगी. मोदी इन दोनों नेताओं से अलग-अलग बात भी करेंगे. इन सारी खबरों को जोड़कर देखने की जरूरत है. ट्रंप तो बार-बार टैरिफ की धमकी देकर भारत पर दबाव बना रहे हैं, चीन के बाजार को खत्म करने की चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन क्या अब भारत, रूस और चीन तीनों मिलकर अमेरिका की दादागिरी को खत्म करने की रणनीति बनाएगे ?
पुतिन इस बात को समझते हैं कि उनके बुरे वक्त में मोदी ने उनका साथ दिया. जब यूक्रेन को लेकर अमेरिका ने रूस को घेरा, भारत अमेरिका के दबाव में नहीं आया. भारत ने रूस के साथ रिश्ते और मजबूत किए, व्यापार बढ़ाया, हथियार खरीदे, कच्चा तेल खरीदा. इसके साथ-साथ मोदी ने पुतिन से कहा कि आज के जमाने में युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है. इस पृष्ठभूमि में पुतिन का भारत आने का फैसला अहम है. इसमें अजित डोवल ने एक बड़ी भूमिका अदा की.
ये सही है कि ट्रंप के 50% tariff से भारत को नुकसान होगा. Pharma और Textiles जैसे उद्योगों को परेशानी होगी लेकिन ये अस्थायी है. भारत तो थोड़ा बहुत नुकसान उठाने के बाद अपने निर्माताओं के लिए नए बाज़ार खोज लेगा, लेकिन ट्रंप की tariff नीति अमेरिकी निर्माताओं को भी नुकसान पहुंचाएगी. अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत एक बहुत बड़ा बाज़ार है और अमेरिका में इस बात को लेकर काफी चिंता है कि अगर ट्रंप ने भारत के साथ रिश्ते खराब किए तो अमेरिका को खामियाज़ा भुगतना पड़ेगा.
जो लोग नरेंद्र मोदी को जानते हैं, वो समझते हैं कि मोदी किसी तू-तू, मैं-मैं में नहीं पड़ते, वह पक्के अहमदाबादी हैं, किसी भी संकट को अवसर में बदलना जानते हैं. अगर ट्रंप के tariff से परेशान चीन, रूस और भारत एक साथ आ गए तो ये एक बहुत बड़ी ताक़त बनेगी, महाशक्ति बनेगी जो अमेरिका के कारोबार के लिए मुश्किलें खड़ी कर देगी.
राहुल आरोपों का शपथ पत्र क्यों नहीं देते ?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी कई दिन से कह रहे थे कि चुनाव में किस तरह वोट की चोरी हो रही है, उनके पास इसके पक्के सबूत हैं. राहुल ने कहा था कि जब वो सबूत सामने रखेंगे तो परमाणु बम फूटेगा. गुरुवार को राहुल ने वो बम फोड़ा, लेकिन ये सुतली बम निकला. राहुल ने लोकसभा चुनाव का हवाला दिया. कर्नाटक में लोकसभा की एक सीट के एक असैंबली सेगमेंट की वोटर लिस्ट दिखा कर इल्जाम लगाया कि चुनाव आयोग वोटर लिस्ट में गड़बड़ी करके बीजेपी को जिताने में मदद कर रहा है.
राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सर्वे कह रहा था कि कांग्रेस को 16 सीटें मिलेंगी लेकिन सिर्फ 9 सीटें मिली. इसलिए उन्होंने उन सीटों पर फोकस किया जहां कांग्रेस हारी. बैंगलूरू सेन्ट्रल सीट पर कांग्रेस सिर्फ 32 हजार 707 वोट से हारी थी. इस सीट के महादेवपुरा असेंबली सेगमेंट सीट में बीजेपी को कांग्रेस से 1 लाख 14 हजार 46 वोट ज्यादा मिले थे.
राहुल गांधी का आरोप है कि खेल इसी सेगमेंट में किया गया. इस असैंबली सेगमेंट में 1 लाख से ज्यादा वोटों की चोरी हुई. राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट दिखाकर दावा किया कि पांच तरीकों से वोटों की चोरी की गई. इस असेंबली सीट में 11 हजार 965 डुप्लीकेट वोटर्स थे, यानि एक ही वोटर के नाम कई अलग-अलग जगह पर थे. 40 हजार से ज्यादा ऐसे वोटर्स थे, जिनके पते फर्जी थे. तीसरा, एक ही पते पर पचास-पचास, साठ-साठ वोटर्स के नाम दर्ज थे. राहुल ने कहा, एक छोटे से मकान के पते पर 80 वोटर्स के नाम दर्ज थे जबकि वहां कोई नहीं रहता.
कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी ने राहुल गांधी को चिट्ठी लिख कर कहा है कि जिन वोटर्स के नाम, पते और पहचान को लेकर गड़बड़ी के आरोप लगाए गए हैं, उसका प्रमाण शपथ पत्र के साथ दें.
राहुल गांधी ने गुरुवार को जिस तरह का presentation दिया, वो ऊपर से देखने में impressive लग सकता है, ये publicity के लिए अच्छा मसाला हो सकता है. लेकिन किसी भी चुनाव को चुनौती देने की एक खास प्रक्रिया है. और ये कोई secret नहीं है. हर उम्मीदवार जानता है कि किसी भी चुनाव के नतीजे को हाई कोर्ट में चुनौती देने के लिए चुनाव याचिका फाइल करनी पड़ती है. मताजाता सूची को चुनौती देने के लिए on oath declaration फाइल करना होता है. और राहुल ने ये दोनों काम नहीं किए.
सबसे बड़ी बात ये है कि वोटिंग का तरीका secret होता है. ये भी secret होता है कि किसने किसको वोट दिया. फिर राहुल गांधी किस आधार पर ये दावा कर सकते हैं कि जिनके नाम उन्होंने गिनाए, उन्होंने बीजेपी को वोट दिया?
दूसरी बात, राहुल गांधी को अपनी शिकायत चुनाव आयोग से करनी चाहिए. वही बता सकता है कि कौन सा voter फर्जी है और कौन सा असली. जैसे, तेजस्वी यादव के केस में हुआ. वह कह रहे थे की उनका नाम voter list से गायब है और बाद में उनके दो voter card मिले.
सबसे दिलचस्प बात ये है कि राहुल गांधी बिहार में चुनाव आयोग द्वारा मतादाता सूची के विशेष गहन परीक्षण का विरोध कर रहे हैं. अगर चुनाव आयोग जांच नहीं करेगा, तो voter list दुरुस्त कैसे होगी? अगर कर्नाटक की list में राहुल गांधी को गड़बड़ दिखी, वहां ठीक से list नहीं बनी, तो बिहार में voter list की checking पर ऐतराज़ कैसे किया जा सकता है?