हैदराबाद में बढते साम्प्रदायिक तनाव को देखते हुए बुधवार को पुलिस ने शहर के कई इलाकों में फ्लैग मार्च किया। पुराने हैदराबाद के चारमीनार इलाके में मंगलवार की शाम को फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे। बीजेपी विधायक टी. राजा सिंह ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ वीडियो जारी किया था, और इसके कारण उनका सिर कलम करने की मांग करते हुए पुराने शहर के इलाकों में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं।
अपने जहरीले वीडियो को राजा सिंह ने यूट्यूब पर पोस्ट किया किया और इसके फौरन बाद शहर के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। राजा सिंह को पुलिस ने मंगलवार की सुबह गिरफ्तार कर लिया, लेकिन शाम तक उन्हें तकनीकी आधार पर अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट ने जमानत पर रिहा कर दिया। उनके वकील ने अदालत को बताया कि हैदराबाद पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जिसके तहत CrPC की धारा 41a के तहत आरोपी को गिरफ्तारी से पहले नोटिस दिया जाता है।
बीजेपी आलाकमान ने घटना को गंभीरता से लेते हुए राजा सिंह को प्राथमिक सदस्ता से सस्पेंड कर दिया। उन्हें भाजपा अनुशासन समिति के सदस्य ओम पाठक ने कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें उन्हें इस बात का जवाब देने के लिए 10 दिन का समय दिया गया कि उन्हें पार्टी से क्यों न निकाला जाये। ओम पाठक द्वारा जारी नोटिस में कहा गया : ‘आपने विभिन्न मामलों पर पार्टी की स्थिति के विपरीत विचार व्यक्त किए हैं, जो स्पष्ट रूप से बीजेपी के संविधान का उल्लंघन है। मुझे आपको यह बताने के लिए निर्देशित किया गया है कि आगे की जांच लंबित रहने तक, आपको तत्काल प्रभाव से पार्टी से और आपकी जिम्मेदारियों/कार्यों से, यदि कोई हैं, निलंबित किया जाता है।’
टी. राजा सिंह को अपने के पर कोई पछतावा नहीं था। उन्होंने कहा, ‘मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है और मैं हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का वफादार सिपाही रहूंगा। मेरे लिए पार्टी से ज्यादा, धर्म की रक्षा करना जरूरी है।’ उन्होंने वीडियो क्लिप- पार्ट 2 जारी करने की भी धमकी दी, जिसमें शायद उन्होंने इस्लाम और पैगंबर के खिलाफ इसी तरह की जहरीली बातें कही हैं।
बीजेपी विधायक ने जिस तरह से अपमानजनक वीडियो पोस्ट किया है, वह सोशल मीडिया का बेजा इस्तेमाल कर देश का माहौल खराब करने की साफ कोशिश है। उन्होंने जानबूझकर यह काम किया था। उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी की बातों का विरोध करते हुए पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अमर्यादित भाषा और अपशब्दों का इस्तेमाल किया।
सोशल मीडिया पर राजा सिंह का 10 मिनट 27 सेकंड का वीडियो सामने आते ही हजारों मुसलमान सोमवार की रात हैदराबाद की सड़कों पर निकल आए और ‘सिर तन से जुदा’ के नारे लगाने लगे। मंगलवार सुबह मौलानाओं, AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी और स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी विधायक के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। राजा सिंह अपने घर में सो रहे थे, जबकि हजारों लोग हैदराबाद की सड़कों पर उनके खून के प्यासे हो रहे थे। उन्हें हैदराबाद पुलिस ने तुरंत गिरफ्तार भी कर लिया था, लेकिन एक स्थानीय अदालत ने शाम तक उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया।
सवाल यह है कि जब पैगंबर के खिलाफ नूपुर शर्मा की आपत्तिजनक टिप्पणी पर पहले से ही तनाव था तो बीजेपी विधायक ने यह वीडियो क्यों पोस्ट किया? उन्होंने यह शर्मनाक हरकत क्यों की? क्या यह एक सियासी कदम था? उनके जहरीले वीडियो के कारण हैदराबाद के चंचलगुडा, दबीरपुरा, भवानी नगर, रोडिन बाजार और मीर चौक इलाकों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। ये मुस्लिम बहुल इलाके थे जहां ओवैसी की पार्टी AIMIM काफी असर रखती है।
मंगलवार तड़के 2.30 बजे AIMIM विधायक अहमद बिन अब्दुल्ला बलाला जब दबीरपुरा थाने में शिकायत दर्ज करा रहे थे तो उस समय बाहर जुटी भीड़ नारेबाजी कर रही थी। टी. राजा सिंह गोशमहल से बीजेपी के विधायक हैं। वह इस विधानसभा क्षेत्र से 2 बार जीत चुके हैं। वह तेलंगाना विधानसभा में बीजेपी के चीफ व्हिप और राज्य में हिंदुत्व का एक जाना-माना चेहरा हैं। वह अक्सर अपने बयानों से विवादों में रहते हैं
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस तरह के जहरीले बयानों और हैदराबाद में माहौल को ‘खराब’ करने के लिए बीजेपी को दोषी ठहराया। ओवैसी ने आरोप लगाया कि बीजेपी मुसलमानों को ‘उकसा’ रही है। उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि मुसलमानों का अपमान करना बीजेपी की ‘आधिकारिक नीति’ बन गई है। ओवैसी ने मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर बोलना चाहिए और नफरत भरे वीडियो की निंदा करनी चाहिए। AIMIM सुप्रीमो ने आरोप लगाया कि बीजेपी तेलंगाना में अपनी जड़ें जमाने के लिए सांप्रदायिक दंगे कराना चाहती है। यह पूछे जाने पर कि मुसलमान ‘सिर तन से जुदा’ के नारे क्यों लगा रहे हैं तो ओवैसी बचाव की मुद्रा में आ गए। उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसे नारों की मजम्मत करता हूं। कानून अपने हाथ में लेने का हक किसी को नहीं है।’
ओवैसी सीनियर लीडर हैं, बैरिस्टर हैं। वह जानते हैं कि कब क्या बोलना है, कितना बोलना है, इसलिए संभलकर बोले। इस बीच स्थानीय कांग्रेस नेता राशिद खान भी थाने पहुंचे और बीजेपी विधायक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। हैदराबाद के बड़े मौलवियों में से एक मौलाना जफर पाशा ने कहा कि राजा सिंह का बयान ‘बर्दाश्त के काबिल नहीं’ है।
राजा सिंह विधायक हैं, चुने हुए नेता हैं। मुनव्वर फारूकी के खिलाफ उनका विरोध जायज हो सकता है, उनके खिलाफ वह अपनी बात कह सकते हैं, लेकिन बात करने का एक तरीका होता है। जिस तरह से उसने फारूकी, इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक बातें कही, उसे कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता। सीधी बात है उन्होंने बहुत बड़ी गलती की और इसलिए इसकी सजा तो मिलनी ही चाहिए। लेकिन यह बात भी याद रखना जरूरी है कि मुनव्वर फारूकी ने भी देवी-देवताओं का अपमान किया था, और हिन्दू संगठन उनके शो का विरोध कर रहे थे। उनके शो कर्नाटक में, महाराष्ट्र में और कई दूसरे राज्यों में रद्द कर दिए गए थे।
तेलंगाना में TRS सरकार ने फारूकी को हैदराबाद में एक शो करने की इजाजत दी। फारूकी ने हिंदू देवी-देवताओं के बारे में जो कहा था, उसके बारे में न तो TRS और न ही AIMIM बोल रही है। मंगलवार को इंडिया टीवी के रिपोर्टर टी. राघवन ने जब ओवैसी से का कि कुछ मुनव्वर फारूकी पर भी कहिए, तो AIMIM नेता ने जवाब दिया, ‘मैं एक कॉमिडियन के बारे में क्या बोलूं? उस सरकार से पूछिए जिसने उन्हें सुरक्षा दी और उन्हें यहां शो करने की इजाजत दी। अगर राजा सिंह को फारूकी से नाराजगी थी तो पुलिस में शिकायत कर सकते थे, या कोर्ट जा सकते थे। उन्होंने पैगंबर का अपमान क्यों किया, मुसलमानों को धमकी क्यों दी?’
हैरानी की बात यह है कि राजा सिंह के आपत्तिजनक वीडियो पर TRS नेताओं ने चुप्पी साध रखी है। मुंबई में MNS चीफ राज ठाकरे ने कहा, ‘असद्दुदीन ओवैसी और उनके भाई अकबरूद्दीन ओवैसी हिन्दू देवी-देवताओं के बारे में उल्टा-सीधा बोलते हैं तब कोई नहीं बोलता, लेकिन नुपूर शर्मा ने कुछ कह दिया तो पूरे देश में हंगामा हो गया। यह कैसे चलेगा? जाकिर नाइक तो एक मुस्लिम उपदेशक है, जो भारत से फरार हो गया, वह इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन का संस्थापक है। उसने भी वही बात कही थी जो नुपुर शर्मा ने पैगंबर के बारे में कही। जाकिर नाइक के बारे में तो किसी ने कुछ नहीं कहा, क्यों?’
राज ठाकरे की अपनी सियासत है। राजा सिंह द्वारा आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल के बारे में ओवैसी ने जो कहा, वह ठीक है। राजा सिंह ने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया, जिस तरह की बात कही, उसे कोई सपोर्ट नहीं कर सकता। राजा सिंह को सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कोई पहली बार ऐसी गलती नहीं की है, वह विवादित बयानबाजी के आदतन अपराधी हैं। पहले भी उन्होंने ऐसे बयान दिए हैं। वह इसे अपनी USP समझते हैं। राजा सिंह को शायद लगता है कि इस तरह की बातें हैदराबाद जैसे शहर में, ओवैसी के गढ़ में अपना वजूद कायम रखने में मदद करती हैं।
इस बार भी राजा सिंह ने जो कहा उसके पीछे सियासत है, और इस सियासत में मुख्यमंत्री केसीआर भी शामिल हैं। असल में कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी के खिलाफ हिन्दू देवी-देवताओं के अपमान के इल्जाम पुराने हैं, और उन पर केस भी चल रहे हैं। मुनव्वर फारूकी इसके लिए जेल भी जा चुके हैं, इसके बाद भी केसीआर सरकार ने उन्हें हैदराबाद में बुलाकर शो करने की इजाजत दी। ऐसा मुसलमानों में यह संदेश भेजने के लिए किया गया कि केसीआर और उनकी पार्टी टीआरएस हिन्दूवादी संगठनों के दबाव में काम नहीं करते।
मुस्लिम वोटों पर सत्तारूढ़ पार्टी की नजर थी और इसीलिए मुनव्वर फारूकी को हैदराबाद में शो करने की इजाजत दी गई। प्रशासन ने राजा सिंह को नजरबंद रखा और वह और उनके समर्थक फारूकी को नहीं रोक सके। हिंदू समर्थकों को अपने साथ बनाए रखने के लिए राजा सिंह ने वीडियो जारी करके मुनव्वर फारूकी का नाम लिया। उन्होंने इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ जहर उगला। KCR और राजा सिंह की सियासत में ओवैसी को नुकसान हो रहा था, इसलिए उस नुकसान की भरपाई करने के लिए ओवैसी, उनके भाई और समर्थक पिछले 2 दिनों से लगातार सक्रिय हैं। AIMIM के समर्थक ‘सिर तन से जुदा’ का नारा लगाते हुए सड़क पर उतर गए।
मामला सिर्फ और सिर्फ सियासत का है। लेकिन वोट के चक्कर में पूरे देश का माहौल खराब हो रहा है। जरूरत तो इस बात की है कि राजा सिंह जैसे लोगों की जुबान पर ताला लगाया जाए, और कॉमेडी के नाम पर हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान करने वाले मुनव्वर फारूकी जैसे लोगों को भी सबक सिखाया जाए। हिंदू संत और जाने-माने मुस्लिम मौलवी भी इन सब चीजों की निंदा कर रहे हैं। उन्होंने दोनों समुदायों से एक-दूसरे के धर्मों और भावनाओं का सम्मान करने की अपील की है।
मोटी बात यह है कि अगर राजा सिंह को मुनव्वर फारूकी से शिकायत थी तो वह पुलिस में शिकायत कर सकते थे। इसी तरह जिन लोगों को राजा के बयान से चोट पहुंची उन्हें भी पुलिस से शिकायत करनी चाहिए। न तो राजा सिंह को पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने का हक है, और न ही किसी को ‘सिर तन से जुदा’ जैसे इरादे जाहिर करने का हक है। लेकिन अब ऐसे लोग पुलिस के पास जाने के बजाय सोशल मीडिया पर जा रहे हैं।
लोग नफरत फैलाने के लिए सोशल मीडिया का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं। अक्सर यह देखा गया है कि चूंकि लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल बेरोकटोक कर सकते हैं, इसलिए वे नफरत से भरे वीडियो बनाते हैं और पोस्ट कर देते हैं। हैदराबाद में पिछले 2 दिनों में जो कुछ भी हुआ वह सोशल मीडिया के जरिए नफरत फैलाने का ही नतीजा है। हालांकि इस केस में सियासत भी एक बड़ी वजह है क्योंकि तेलंगाना में अगले साल दिसंबर तक विधानसभा चुनाव होने हैं और सारी पार्टियां अपनी पोजिशन ले रही हैं।